कुल पेज दृश्य

19 अक्टूबर 2009

मूंगफली में बड़ी तेजी के आसार

देशभर में पैदावार में भारी गिरावट के चलते इस साल मूंगफली सस्ती होने के आसार नहीं हैं। राजस्थान में नई फसल की आवक बढ़ने के बावजूद मूंगफली में लगातार मजबूती इसी धारणा को पुख्ता कर रही है। बाजार की मनोवृत्ति को देखते हुए अगले महीने मूंगफली के भाव 3,000 रुपये के पार होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि मूंगफली की पैदावार खरीफ और रबी सीजन दोनों में ही होती है, लेकिन 75 फीसदी उत्पादन रबी सीजन के दौरान ही होता है। इसलिए खरीफ सीजन में पैदावार मूंगफली व्यापारियों के बहुत मायने रखती है। यह देखते हुए मूंगफली में मजबूती आने की धारणा बनी हुई है।उल्लेखनीय है कि खरीफ की फसल आने से पहले निर्यात में कमी तथा पॉम ऑयल सस्ता होने से मूंगफली तेल पर दबाब बना रहा था। इस वजह से कुछ ही मौकों पर मूंगफली 3,000 रुपये क्विंटल से ऊंचे भावों पर बिक पाई थी। मनमाफिक दाम नहीं मिलने से परशान किसानों ने खरीफ सीजन में मूंगफली की बुवाई कम की है। वहीं रही-सही कसर कमजोर मानसून ने पूरी कर दी। इससे देशभर में खरीफ सीजन के दौरान मूंगफली का उत्पादन 40 फीसदी तक घटने की आशंका है। इस कारण मूंगफली की लगातार मांग निकल रही है। यह भी महत्वपूर्ण है कि रकबा घटने के अंदेशे से जुलाई के दौरान राजस्थान की मंडियों में मूंगफली के भाव दस फीसदी सुधरकर 2,500 से 2,800 रुपये क्विंटल हो गए थे। उसके भाव नई फसल की आवक से भाव थोड़े नीचे आए लेकिन इस महीने मूंगफली में फिर तेजी का रुख बन गया और अब नई मूंगफली भी 2300 से 2400 रुपये क्विंटल बिक रही है। यही रुख वायदा सौदों में देखने को मिल रहा है। एनसीडीईएक्स में नवंबर वायदा मूंगफली के भाव इस महीने डेढ फीसदी बढ़कर 2633 रुपये क्विंटल हो गए हैं। अब सिकाई वालों की मांग बढ़ने की संभावना से मूंगफली में पांच-सात फीसदी का और सुधार होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।इस बीच मूंगफली तेल में सुधार से भी मूंगफली में मजबूती की धारणा को बल मिला है। उल्लेखनीय वर्ष 2008-09 के दौरान देश में मूंगफली का कुल उत्पादन 73 लाख टन होने का अनुमान है, जो कि पूर्व वर्ष की तुलना में करीब बीस फीसदी कम है। रकबा घटने व कमजोर मानसून के चलते इस साल पैदावार में और भारी कमी की आशंका है। इस साल खरीफ में मूंगफली का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में 41.35 लाख हैक्टेयर से घटकर 33.11 लाख हैक्टेयर रह जाने का अनुमान है। ऐसे में उम्मीद के अनुरूप निर्यात में सुधार हो जाता है तो मूंगफली में बड़ी तेजी देखने को मिल सकती है। देश से कुल मूंगफली निर्यात का 15 फीसदी यूरोपीय देशों को होता है। इसमें इस साल बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। पिछले वर्ष देश से 2.50 से 2.75 लाख टन मूंगफली का निर्यात होने का अनुमान है। यह देखते हुए मूंगफली सस्ती होने के आसार नहीं है। rana@businessbhaskar.नेट

कोई टिप्पणी नहीं: