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30 सितंबर 2018

मटर आयात पर रोक 31 दिसंबर 2018 तक, तीन महीने तक अवधि बढ़ाई

आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ दलहन की नई फसल की आवक को देखते हुए केंद्र सरकार ने मटर के आयात पर लगी रोक की अवधि को तीन महीने बढ़ा दिया है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसचूना के अनुसार पीली मटर के साथ ही हरी मटर एवं अन्य किसी भी किस्म की मटर के आयात पर 31 दिसंबर 2018 तक पूरी तरह से रोक रहेगी।
केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल को 30 जून 2018 तक मटर के आयात की सीमा एक लाख टन की तय की थी, उसके बाद इसको 2 जुलाई को बढ़ाकर सितंबर 2018 तक कर दिया था।
केंद्र सरकार आयात पर रोक की अवधि बढ़ा देने से पीली मटर के भाव में सुधार देखा गया। मुंबई में पीली मटर के भाव 150 रुपये बढ़कर 4,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। आस्ट्रेलियाई चना के भाव बढ़कर दिल्ली में 4,400 रुपये और चना के भाव 4,300 से 4,325 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
केंद्र सरकार दलहन की कीमतों में सुधार लाना चाहती है, ताकि सरकार को एमएसपी पर खरीद कम करनी पड़े। इसके लिए नेफेड द्वारा बेची जा रही दालों में कम कर सकती है, वैसे भी नेफेड को अक्टूबर से खरीद दालों की एमएसपी पर खरीद भी शुरू करनी है। अत: नेफेड ने बिकवाली कम कर दी, और नई कृषि नीति में दालों के निर्यात के लिए कुछ कदम उठाये तो फिर घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में सुधार बन सकता है। 
खरीफ दलहन में मूंग की आवक उत्पादक मंडियों में शुरू हो गई है, तथा उड़द की आवक अगले से सप्ताह से शुरू हो होने की उम्मीद है। चालू खरीफ में दालों की बुवाई 135.52 लाख हैक्टेयर में हुई है जिसमें अरहर की बुवाई 45.41 लाख हैक्टेयर में, उड़द की 38.61 लाख हैक्टेयर में तथा मूंग की बुवाई 32.65 लाख हैक्टेयर में हुई है। इसके अलावा अन्य दालों की बुवाई 18.85 लाख हैक्टेयर में हुई है।............... आर एस राणा

चीनी मिलों को क्यों जरुरत पड़ती है हर बार पैकेज की

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से गन्ने का नया पेराई सीजन (अक्टूबर-18 से सितंबर-19) शुरू हो जायेगा जबकि अमरोहा जिले के गांव डेराचक गांव के गन्ना किसान जोगेंद्र सिंह आर्य का धनौरा चीनी मिल पर अभी भी पौने दो लाख रुपये बकाया बचा हुआ है। बावजूद इसके कि केंद्र सरकार चीनी मिलों को पैकेज पर पैकेज दिए जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान के नाम पर चीनी मिलों को और कितने पैकेज की जरूरत होगी?
चीनी की कीमतों में सुधार के लिए उठाए कदम
सरकार ने चीनी की न्यूनतम बिक्री कीमत 29 रुपये प्रति किलोग्राम तय कर दी, साथ ही चीनी मिलों के लिए चीनी बिक्री की मासिक कोटा व्यवस्था लागू की गई है, जो पहले भी थी। इसके अलावा आयात पर 100 फीसदी शुल्क और निर्यात पर शून्य शुल्क कर दिया गया। इसके अलावा गन्ने के रस से सीधे बनने वाले एथनॉल के मूल्य में 25 फीसदी की बढ़ोतरी कर भाव 59.13 रुपये प्रति लीटर निर्धारित किया है जोकि वर्तमान में 47.13 रुपये प्रति लीटर है। इतना सब करने के बावजूद भी किसानों के गन्ना बकाया भुगतान में तेजी नहीं आ पाई।
किसान में बढ़ रही है नाराजगी
अमरोहा के किसान गुड्डू गुर्जर ने बताया कि धनौरा चीनी मिल ने अभी तक केवल 4 अप्रैल तक का ही भुगतान किया है, जबकि मिल ने 13 मई तक गन्ने की पेराई की थी। मिल पर अभी किसानों का करीब 57 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है। इससे राज्य के किसान चीनी मिलों के साथ ही राज्य सरकार से भी नाराज हैं। हापुड़ के किसान परविंद्र डिल्लों ने बताया कि सिंभावली शुगर मिल पर अभी भी किसानों का करीब 40 से 45 फीसदी बकाया बचा हुआ है जबकि पेराई सीजन लगभग समाप्त हो चुका है।
रिकरवरी बढ़ने से मिलों को हुआ फायदा
उत्तर प्रदेश में गन्ने का एसएपी पेराई सीजन 2017-18 के लिए कॉमन वेरायटी का 315 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि चालू पेराई सीजन में गन्ने में औसतन रिकवरी की दर 10.85 फीसदी की आई है। उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,200 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। चीनी के अलावा मिलें खोई, शीरा आदि अन्य उत्पादों से भी आमदनी कर रही है तो फिर गन्ना किसानों के भुगतान में ही देरी क्यों? मतलब साफ है, चीनी मिलों की नीयत में खोट है। उन्हें पता है कि केंद्र और राज्य सरकार को केवल किसानों के नाम पर ही ब्लैकमेल किया जा सकता है। इसी का चीनी उद्योग फायदा उठा रहा है।
चीनी मिलों पर अभी भी 13,500 करोड़ रुपये है बकाया
केंद्र सरकार ने जून में चीनी मिलों के लिए 8,500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी तथा 26 सितंबर को फिर से सरकार ने चीनी उद्योग को सहायता देने के लिए 5,500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज पर मोहर लगा दी। इसमें पेराई सीजन 2018-19 के लिए 50 लाख टन के निर्यात के लिए चीनी मिलों को प्रोत्साहन राशि एवं परिवहन सब्सिडी शामिल है। उधर देशभर की चीनी मिलों पर अभी भी किसानों का 13,500 करोड़ रुपये चालू पेराई सीजन का ही बकाया बचा हुआ है।
इससे पहले भी दिए गए हैं पैकेज
ऐसा पहली बार नहीं है जब चीनी उद्योग को पैकेज की जरूरत पड़ी हो। यूपीए सरकार भी 6,000 करोड़ रुपये एवं राजग सराकर के समय भी 1,500 करोड़ रुपये का पैकेज चीनी उद्योग को दिया जा चुका है, मगर गन्‍ना कि‍सानों के बकाए का संकट हर साल खड़ा हो जाता है।
किसान केवल चुनाव के समय आते हैं याद
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार गन्ना किसानों के नाम पर चीनी मिलों को नाजायज फायदा पहुंचा रहे हैं। चुनाव के समय हर पार्टी गन्ना मूल्य भुगतान को बड़ा मुद्दा तो बनाती है, लेकिन चुनाव के बाद उसे भूल जाती है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी चुनाव के समय 14 दिन में किसानों के भुगतान का वायदा तो किया था, लेकिन उस पर अमल नहीं किया। .......  आर एस राणा

चीनी निर्यात का पहले लक्ष्य ही पूरा नहीं, फिर और 50 लाख टन का क्या है आचित्य?

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी निर्यात पर सब्सिडी के सहारे किसानों के भुगतान में तेजी लाने का दावा तो बहुत किया जा रहा है लेकिन हकीकत इसके उल्ट है। छह जून को मोदी कैबिनेट ने 20 लाख टन चीनी के निर्यात पर 5.50 रुपये प्रति क्विंटल गन्ने के फेयर ऐंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) पर सब्सिडी देने की घोषण की थी, लेकिन तीन महीने बीतने के बावजूद भी इसमें से मात्रा 4.5 से 5 लाख टन चीनी का ही निर्यात हो पाया है, जाहिर सी बात है किसानों के बकाया भुगतान में भी तेजी नहीं आ पाई। इसका एक कारण विश्व बाजार में चीनी के भाव नीचे होना भी है, ऐसे में पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले पेराई सीजन के लिए केंद्र सरकार ने फिर से 50 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दे दी जोकि अभी दूर की कौड़ी नजर आता है।
आगामी पेराई सीजन के लिए 50 लाख टन निर्यात की अनुमति
केंद्र सरकार ने 26 सितंबर को 50 लाख टन चीनी निर्यात पर 13.88 रुपये प्रति क्विंटल की मदद गन्ने के एफआरपी पर देने की घोषणा कर दी। इसमें चीनी मिलों को परिवहन लागत भी 1,000 से 3,000 रुपये प्रति टन दूरी के हिसाब से दी जायेगी। मगर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम में अंतर ज्यादा है, ऐसे में निर्यात में तेजी आयेगी, ऐसी उम्मीद बेमानी ही है।
विश्व बाजार में वर्तमान भाव पर निर्यात मुश्किल
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के डायरेक्टर जनरल अबिनाश वर्मा कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के मौजूदा दाम पर चीनी का निर्यात मुश्किल है। विश्व बाजार में व्हाईट चीनी के भाव 315-320 डॉलर प्रति टन है जोकि रुपये के हिसाब से 2,283 से 2,320 रुपये प्रति क्विंटल होते हैं। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की उपलब्धता ज्यादा रही है, जिस कारण ब्राजील ने 70 से 80 लाख टन चीनी का उत्पादन कम करने का फैसला किया है। उधर पाकिस्तान में भी चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण आगामी दिनों में विश्व बाजार में चीनी के दाम सुधरने की उम्मीद है। पिछले साल पाकिस्तान ने 20 लाख टन चीनी का निर्यात किया था।
अबिनाश वर्मा ने बताया कि विश्व बाजार में चीनी के दाम में सुधार आता है तो 50 लाख टन नहीं तो फिर 30 लाख टन का निर्यात हो सकता है।
सरकार राहत पैकेज के नाम पर कर रही है नाटक
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने जून में 20 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी थी, लेकिन निर्यात केवल 4.5 से 5 लाख टन ही हुआ। नए पेराई सीजन के लिए 50 लाख टन के निर्यात की जो अनुमति दी है, यह केवल दिखावा मात्र है। सरकार अपनी नाकामियां को छिपाने के लिए राहत पे राहत पैकेज देने का नाटक तो कर रही है लेकिन इससे किसानों के बकाया भुगतान में तेजी नहीं आ रही। कैराना में हुए उपचुनाव के समय प्रधानमंत्री ने 10 दिनों में भुगतान का वायदा किया था, लेकिन 4 महीने बीतने के बावजूद भी भुगतान अटका हुआ है।............ आर एस राणा

कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र से एमएसपी पर दालों की खरीद को केंद्र ने मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र से चालू खरीफ में प्राइस स्पोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत दालों की खरीद को मंजूरी दे दी है। मध्य प्रदेश सरकार ने भी पीएसएस के तहत दालों की खरीद के लिए केंद्र से मंजूरी मांगी है, जिस पर जल्द ही फैसला होने की संभावना है।
अक्टूबर से शुरू हो जायेगी एमएसपी पर खरीद
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र से चालू खरीफ में मूंग और उड़द की पीएसएस के तहत खरीद को मंजूरी दे दी है, तथा मध्य प्रदेश ने भी दालों की पीएसएस के तहत खरीद के लिए लिखा है, जिसे जल्दी ही मंजूरी दी जायेगी। उन्होंने बताया कि इन राज्यों में दालों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद नेफेड राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ मिलकर करेगी।
इन राज्यों से मूंग और उड़द की एमएसपी पर खरीद अक्टूबर में शुरू हो जायेगी। सूत्रों के अनुसार कर्नाटक से चालू खरीफ में 23,250 टन मूंग की पीएसएस के तहत खरीद को केंद्र सरकार ने मंजूरी थी, लेकिन राज्य सरकार ने इसे बढ़ाकर एक लाख टन करने की मांग की है।
मूंग के एमएसपी में ज्यादा बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए मूंग का एमएसपी 6,975 रुपये और उड़द का 5,600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में इनके दाम एमएसपी से काफी नीचे बने हुए हैं। मूंग के एमएसपी में जहां चालू खरीफ में 1,400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है, वहीं उड़द का एमएसपी 200 रुपये बढ़ाया है।
दालों के उत्पादन में कमी का अनुमान
पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार दालों का उत्पादन चालू खरीफ सीजन 2018-19 में घटकर 92.2 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2017-18 में 93.4 लाख टन दलहन का उत्पादन हुआ था। खरीफ की प्रमुख दलहन अरहर का उत्पादन पिछले साल के 42.5 लाख टन से घटकर 40.8 लाख टन तथा उड़द का पिछले साल के 28.4 लाख टन से घटकर 26.5 लाख टन ही होने का अनुमान है। हालांकि मूंग का उत्पादन चालू खरीफ में पिछले साल के 14.4 लाख टन से बढ़कर 15.8 लाख टन होने का अनुमान है............ आर एस राणा

26 सितंबर 2018

केंद्र ने चीनी उद्योग के लिए 5,500 करोड़ के पैकेज को दी मंजूरी, 50 लाख टन चीनी निर्यात में मदद

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने संकट से जूझ रहे चीनी उद्योग को सहायता देने के लिए 5,500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को मंजूरी दे दी। इसमें पेराई सीजन 2018-19 के लिए 50 लाख टन के निर्यात के लिए चीनी मिलों को प्रोत्साहन राशि एवं परिवहन सब्सिडी शामिल है।
बकाया भुगतान में मदद देने के लिए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह कदम मिलों पर किसानों के बकाया 13,500 करोड़ रुपये के निपटान में मदद के लिए उठाया जा रहा है। चीनी उद्योग को संकट से उबारने के लिए यह दूसरा सरकारी वित्तीय पैकेज है। इससे पहले जून में सरकार ने 8,500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी।
मिलों की तरफ से केंद्र सरकार किसानों के खाते में डालेगी राशि
चीनी के रिकार्ड उत्पादन अनुमान की स्थिति से निपटने के लिए खाद्य मंत्रालय ने गन्ने की उत्पादन लागत के असर को कम करने के लिए किसानों को पेराई सीजन 2018-19 के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) पर 13.88 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सहायता राशि देने की सिफारिश की है। इसके तहत करीब 4,163 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। चालू पेराई सीजन के लिए यह राशि 5.50 रुपये प्रति क्विंटल है। केंद्र सरकार चीनी मिलों की तरफ से किसानों के खातों में यह राशि सीधे भेजेगी।
दूरी के हिसाब से परिवहन सब्सिडी
मंत्रालय ने बंदरगाह से 100 किलोमीटर में स्थित मिलों को 1,000 रुपये प्रति टन की सब्सिडी, जबकि तटीय राज्यों में बंदरगाह से 100 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित मिलों के लिए 2,500 रुपये प्रति टन और तटीय राज्यों के अलावा स्थित चीनी मिलों के लिए 3,000 रुपये प्रति टन की परिवहन सब्सिडी का प्रस्ताव किया है। परिवहन सब्सिडी का कुल खर्च 1,375 करोड़ रुपये आने का अनुमान है। 
चीनी का उत्पादन बढ़ने का अनुमान
चालू सीजन में गन्ने की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है जबकि उत्पादक राज्यों में मानसूनी बारिश ठीक हुई है। ऐसे में पहली अक्टूबर 2018 से शुरू होने वाले पेराई सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का उत्पादन बढ़कर 355 लाख टन होने का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन के 325 लाख टन से ज्यादा है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में गन्ने की बुवाई बढ़कर 51.94 लाख हैक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 49.86 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है।
आगामी पेराई सीजन के लिए एफआरपी 275 रुपये
केंद्र सरकार ने गन्ना पेराई सीजन 2018-19 के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जोकि 10 फीसदी रिकवरी पर है। उत्तर भारत के राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड की राज्य सरकारें स्टेट एडवाइजरी प्राइस (एसएपी) तय करती हैं, जोकि आमतौर पर एफआरपी से ज्यादा ही होता हैं।
न्यूनतम भाव तय करने के साथ ही कोटा प्रणाली लागू की
गन्ने के कीमतों में सुधार लाने के लिए चालू पेराई सीजन में केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये प्रति किलो तय करने के साथ ही मिलों पर चीनी बेचने के लिए कोटा प्रणाली तय की। इसके अलावा जहां आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 100 फीसदी किया, वहीं निर्यात शुल्क को भी शुन्य किया। इसके साथ ही चीनी मिलों को एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए कर्ज मुक्त ऋण देने के साथ एक साल के लिए 30 लाख टन चीनी का बंपर स्टॉक बनाने को भी मंजूरी दी।............  आर एस राणा

खरीफ में रिकार्ड 14.15 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान, चावल की पैदावार 992.4 लाख टन

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में जहां देश के कई क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश हुई है, वहीं कुछ क्षेत्रों में बाढ़ और बेमौसम बारिश से फसलों को नुकसान होने की आशंका के बीच केंद्र सरकार ने चालू खरीफ सीजन 2018-19 में रिकार्ड 14.15 करोड़ टन खाद्यान्न के उत्पादन का पहला अनुमान जारी किया है।
चावल, मक्का का रिकार्ड उत्पादन 
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने जानकारी दी कि पिछले साल खरीफ सीजन 2017—18 में खाद्यान्न का 14.07 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था। पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन 2018-19 में चावल का रिकार्ड उत्पादन 992.4 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2017-18 में खरीफ में चावल का उत्पादन 975 लाख टन का हुआ था। इसी तरह से मक्का का उत्पादन भी चालू खरीफ सीजन में रिकार्ड 221.9 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 202.4 लाख टन मक्का का उत्पादन हुआ था।
तिलहनों का उत्पादन बढ़ने का अनुमान
तिलहनों का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में 221.9 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ में तिलहनों का उत्पादन 209.96 लाख टन का ही हुआ था। गन्ने के उत्पादन का अनुमान साल 2018-19 में 3,838.9 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल गन्ने का 3,769.05 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
बाजरा और ज्वार की पैदावार कम
चालू खरीफ में बाजरा का उत्पादन घटकर 77.7 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 91.3 लाख टन का उत्पादन हुआ था। इसी तरह से ज्वार का उत्पादन भी पिछले साल के 21 लाख टन से घटकर 18.8 लाख टन ही होने का अनुमान है। रागी का उत्पादन चालू खरीफ में घटकर 16.8 लाख टन ही होने की संभावना है जबकि पिछले साल 19.8 लाख टन रागी का उत्पादन हुआ था। 
दलहन उत्पादन में कमी आने का अनुमान
पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार दालों का उत्पादन चालू खरीफ सीजन 2018-19 में
घटकर 92.2 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 201718 में 93.4 लाख टन दलहन का उत्पादन हुआ था। खरीफ की प्रमुख दलहन अरहर का उत्पादन पिछले साल के 42.5 लाख टन से घटकर 40.8 लाख टन तथा उड़द का पिछले साल के 28.4 लाख टन से घटकर 26.5 लाख टन ही होने का अनुमान है। हालांकि मूंग का उत्पादन चालू खरीफ में पिछले साल के 14.4 लाख टन से बढ़कर 15.8 लाख टन होने का अनुमान है।
सोयाबीन का उत्पादन ज्यादा, मूंगफली का कम
चालू खरीफ में सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर 134.59 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन केवल 109.81 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। मूंगफली का उत्पादन चालू खरीफ में पिछले साल के 75.40 लाख टन से घटकर केवल 63.28 लाख टन ही होने का अनुमान है। केस्टर सीड का उत्पादन पिछले साल के 15.68 लाख टन से कम होकर 15.17 लाख टन ही होने का अनुमान है। 
कई राज्यों में हुई है सामान्य से कम बारिश
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू खरीफ सीजन में पहली जून से 25 सितंबर तक देशभर में सामान्य से 9 फीसदी बारिश कम हुई है। गुजरात में चालू खरीफ में सामान्य से 27 फीसदी कम, बिहार में 23 फीसदी कम, झारखंड में 26 फीसदी कम, पश्चिम बंगाल में 18 फीसदी कम, तमिलनाडु में 12 फीसदी कम, आंध्रप्रदेश में 10 फीसदी कम, मध्य प्रदेश में 7 फीसदी कम तथा हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी सामान्य से क्रमश: 8-8 फीसदी बारिश कम हुई है। पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में भी सामान्य से कम बारिश हुई है। ..............  आर एस राणा

बेमौसम बारिश से खरीफ फसलों को नुकसान की आशंका, फसल की आवक में भी देरी संभव

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर भारत के साथ ही मध्य भारत के कई राज्यों में हो रही बेमौसम बारिश से खरीफ फसलों धान, कपास, बाजरा, मूंग, उड़द और सोयाबीन को नुकसान होने की आशंका है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों में पिछले 24 घंटे में कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश हुई है।
बारिश से फसलों को नुकसान के साथ ही आवक में भी होगी देरी
पंजाब के कृषि सचिव के एस पन्नू ने बताया कि राज्य के कई जिलों में पिछले 24 घंटों से बारिश हुई है। हालांकि अभी तक नुकसान की खबर नहीं है लेकिन बारिश अगर जारी रही, तथा खेतों में पानी रुक गया और फिर हवा चल गई तो नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि राज्य के कपास उत्पादक क्षेत्रों में बारिश कम हुई है, लेकिन धान के उत्पादक क्षेत्रों में बारिश ज्यादा हुई है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में हुई बारिश से धान की नई फसल की आवक में भी देरी होने की आशंका है, जिस कारण धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद जोकि पहली अक्टूबर से शुरू होनी थी, उसमें भी देरी हो सकती है। राज्य से चालू खरीफ में 200 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य तय किया है। लुधियाना के किसान धर्मेंद्र गिल ने बताया कि बारिश से खेतों में पानी भर गया है, तथा हवा चलने से धान की फसल गिर गई है जिस कारण नुकसान बढ़ेगा।
जिन खेतों में पानी रुक जायेगा, वहां ज्यादा नुकसान की आशंका
हरियाणा के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक जगराज दांडी ने बताया कि हाल ही में हो रही बारिश से राज्य में अभी तक फसलों को नुकसान के कोई आंकड़े नहीं आए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य में शनिवार से बारिश हो रही है तथा मौसम विभाग ने आगे भी बारिश की चेतावनी जारी की है, अत: बारिश से जिन खेतों में पानी भर गया वहां नुकसान की ज्यादा आशंका है। राज्य में बाजरा, धान और कपास की फसल तैयार है, तथा कई जिलों में जहां धान और बाजरा की कटाई आरंभ हो चुकी है, वहीं कपास की फसल मंडियों में आ रही है।
बाजरा की क्वालिटी हो सकती है प्रभावित
हरियाणा के झज्जर जिले के किसान कृष्ण नेहरा ने बताया कि बाजरा की कटाई चल रही थी, लेकिन बारिश होने से कटाई रुक गई है। उन्होंने बताया कि लगातार हो रही बारिश से फसल की क्वालिटी प्रभावित होने की आशंका है, जिससे सरकारी एजेंसियां खरीदने में आना-कानी कर सकती हैं।
सोयाबीन के साथ दालों की फसल भी हो सकती है प्रभावित
उधर मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल की कटाई चल रही है। नीमच में पिछले 24 घंटे के दौरान हुई बारिश से सोयाबीन की कटी हुई फसल को नुकसान होने की आशंका है, इसके अलावा पानी भरने से मूंग और उड़द की फसल को भी नुकसान की आशंका है। पूर्वी राजस्थान में भी कई क्षेत्रों में बारिश हुई है, जिससे बाजरा के साथ ही मूंग और मोठ की फसल प्रभावित होने की आशंका है।
उत्तराखंड और हिमाचल में तेजी बारिश की चेतावनी
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अगले 24 घंटे में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। पिछले 24 घंटों में उत्तराखंडख् हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और पूर्वी राजस्थान के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पश्मिची मध्य प्रदेश के कई इलाकों में जोरदार बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक पंजाब में कल सामान्य से 20 गुना ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई। जबकि हिमाचल प्रदेश में करीब 15 गुना ज्यादा बारिश और पूर्वी राजस्थान में सामान्य से करीब 7 गुना ज्यादा बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक इन इलाकों में आज भी बारिश जारी रह सकती है।............. आर एस राणा

नई कृषि निर्यात नीति लायेंगी केंद्र सरकार, कृषि जिंसों का निर्यात बढ़ाने का है मकसद

आर एस राणा
नई दिल्ली। कृषि जिंसों के निर्यात में बढ़ोतरी के लिए केंद्र सरकार नई कृषि निर्यात नीति लाने की तैयारी कर रही है। नई निर्यात नीति में दालों के साथ ही चावल, चीनी और अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार एग्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के लिए नई कृषि निर्यात नीति जल्दी ही जारी की जायेगी। नई कृषि निर्यात नीति पर चर्चा करने के लिए 20 सितंबर को वाणिज्य मंत्रालय ने एग्री निर्यातकों के साथ ही प्रोससर्स की बैठक बुवाई थी। बैठक में दाल, चावल और चीनी के निर्यात को बढ़ाने के लिए निर्यातकों ने केंद्र सरकारे से मदद की मांग की। दाल निर्यातकों ने केंद्र सरकार ने दलहन के निर्यात पर 15 फीसदी इनसेंटिव देने की मांग की।
दालों के निर्यात पर इनसेंटिव देने की मांग
केंद्र सरकार पहले ही दालों के निर्यात पर लगी पाबंदी को तो हटा चुकी है, लेकिन विश्व बाजार में भाव कम होने के कारण उम्मीद के मुताबिक दालों का निर्यात नहीं हो पा रहा है। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान केवल 1.24 लाख टन दालों का निर्यात हुआ है जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 58,575 टन से तो ज्यादा है लेकिन कुल उपलब्धता की तुलना में कम है।
चीनी के भाव विश्व बाजार में कम
चीनी के भाव विश्व बाजार में काफी नीचे बने हुए हैं, इसीलिए केंद्र सरकार द्वारा चीनी निर्यात पर मिलों को राहत देने के बावजूद भी निर्यात सीमित मात्रा में ही हो रहा है। उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन 2017-18 में अक्टूबर से अगस्त तक केवल 4 लाख टन चीनी का ही निर्यात ही हुआ है।
चावल निर्यात में बढ़ोतरी की संभावना
देश से वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 127.04 लाख टन चावल का निर्यात हुआ था, जिसमें 86.48 लाख टन गैर-बासमती और 40.56 लाख टन बासमती चावल का निर्यात है। चालू फसल सीजन 2018-19 में चावल का रिकार्ड उत्पादन 11.30 करोड़ टन होने का लक्ष्य तय किया गया है, अत: चावल के निर्यात में और बढ़ोतरी की जा सकती है। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान 15.77 लाख टन बासमती चावल और 25.69 लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात हुआ है।
अन्य कृषि जिसों का निर्यात
अन्य कृषि जिंसों में ग्वार गम, मूंगफली, गेहूं, मक्का तथा सोया डीओसी और सरसों डीओसी आदि के निर्यात में बढ़ोतरी की भी अच्छी संभावनाएं हैं। ........   आर एस राणा

बेमौसम बारिश से उत्तर भारत में धान की फसल को नुकसान की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। पंजाब के साथ ही हरियाणा में बेमौसम बारिश से धान की नई फसल 1,509 को नुकसान होने की आशंका है। इन राज्यों की उत्पादक मंडियों में पूसा 1,509 बासमती धान की आवक शुरू हो गई है, जबकि पिछले 24 घंटों में इन राज्यों के कई जिलों में बारिश हुई है।
हरियाणा की कैथल मंडी के धान कारोबारी रामनिवास खुरानिया ने बताया कि मंडी में पूसा 1,509 बासमती धान की आवक शुरू हो चुकी है। 21 सितंबर को मंडी में करीब 35 से 40 हजार बोरी धान की आवक हुई थी, लेकिन खराब मौसम के कारण शनिवार को आवक नहीं हुई। उन्होंने बताया कि नये धान में 15 से 20 फीसदी मवश्चर आ रहा था, तथा बारिश से मवश्चर और बढ़ेगा। मंडी में पूसा 1,509 बासमती धान के भाव शनिवार को 2,200 से 2,300 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
उन्होंने बताया कि पूसा 1,509 बासमती धान के साथ ही ट्रेडिशनल बासमती धान और डीपी की नई फसल की आवक में अभी समय है, इसलिए हाल ही में हुई बारिश से इनको नुकसान की संभावना नहीं है।
पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के किसान अजीब सिहं ने बताया कि हाल ही में हुई बारिश से नई फसल में मवश्चर बढ़ जायेगा, जिससे फसल खराब होने की आशंका है। उन्होंने बताया कि पूसा 1,509 की कटाई शुरू हो चुकी है, तथा परमल की कटाई अगले सप्ताह से शुरू हो जायेगी। बारिश से फसल की आवक में देरी तो होगी ही, साथ ही और बारिश हुई तो नुकसान भी बढ़ेगा।
पंजाब और हरियाणा से धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद पहली अक्टूबर से शुरू होनी है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार 22 सितंबर से 24 सितंबर तक राज्य के कई क्षेत्रों मालवा और दोआबा क्षेत्र में बारिश होने का अनुमान है। पंजाब से चालू खरीफ में 200 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य तय किया गया है जोकि पिछले साल की तुलना में ज्यादा है।.....  आर एस राणा

मानसूनी बारिश सामान्य से 10 फीसदी कम, खरीफ फसलों की बुवाई 0.61 फीसदी बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में पहली जून से 20 सितंबर तक देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य से 10 फीसदी कम जरुर हुई है लेकिन खरीफ फसलों की बुवाई में 0.61 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में फसलों की बुवाई बढ़कर 1,057.81 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 1,051.36 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
धान की रोपाई 2.36 फीसदी बढ़ी, दलहन की 1.11 फीसदी घटी
मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 2.28 फीसदी बढ़कर 385.85 लाख हैक्टेयर में ही चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 376.96 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। दालों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में 1.11 फीसदी घटकर 137.93 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 139.49 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन में मूंग और अरहर की बुवाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, लेकिन उड़द की बुवाई पिछले साल की तुलना में घटी है।
तिलहनों की बुवाई 3.10 फीसदी ज्यादा
चालू खरीफ में तिलहनों की कुल बुवाई 3.10 फीसदी बढ़कर 178.27 लाख हैक्टेयर में ही चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 172.91 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई चालू सीजन में बढ़कर 112.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुवाई केवल 105.92 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई घटकर चालू सीजन में 40.14 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में मूंगफली की बुवाई 41.49 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
केस्टर और शीसम सीड की बुवाई ज्यादा
केस्टर सीड की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 8.59 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 8.17 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। शीसम सीड की बुवाई पिछले साल के 13.97 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 14.11 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। नाईजर सीड की बुवाई पिछले साल के 1.99 से घटकर 1.69 लाख हैक्टेयर में ही हुई है।
मोटे अनाजों की बुवाई 3.92 फीसदी कम
चालू खरीफ में मोटे अनाजों की बुवाई 3.92 फीसदी घटकर 176.16 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक मोटे अनाजों की बुवाई 183.34 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की बुवाई चालू सीजन में 79.23 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 79.28 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। बाजरा की बुवाई घटकर अभी तक केवल 65.49 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 70.55 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
ज्वार और रागी की बुवाई घटी
ज्वार की बुवाई चालू खरीफ में पिछले साल के 17.99 लाख हैक्टेयर से घटकर 17.83 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है। रागी की बुवाई पिछले साल के 10.43 लाख हैक्टेयर से घटकर 8.51 लाख हैक्टेयर में ही हुई है।
कपास की बुवाई 0.89 फीसदी कम
कपास की बुवाई चालू खरीफ में 120.64 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 121.72 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। गन्ने की बुवाई चालू सीजन में बढ़कर 51.94 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक गन्ने की बुवाई 49.86 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।..............  आर एस राणा

गुजरात : कई जिलों में सूखे जैसे हालात, कपास और मूंगफली उत्पादन में भारी कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में गुजरात के कई राज्यों में सामान्य से कम बारिश होने का असर खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ा है। राज्य में कपास के उत्पादन में जहा 13.59 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) की कमी आने का अनुमान है वही मूंगफली का उत्पादन भी 11.48 टन कम होने की आशंका है।
राज्य के 22 जिलों में सामान्य से कम बारिश
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार पहली जून से 19 सितंबर 2018 तक गुजरात के 33 जिलों में 22 में सामान्स से कम बारिश हुई है। राज्य के कृषि निदेशालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में फसलों की बुवाई में तो बढ़ोतरी हुई है, लेकिन मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने के कारण प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में कमी आने का अनुमान है।
कपास और मूंगफली उत्पादन में ज्यादा कमी की आशंका
राज्य के कृषि निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार फसल सीजन 2018—19 में कपास का उत्पादन घटकर 88.28 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 101.87 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली का उत्पादन भी चालू खरीफ में घटकर 26.95 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में खरीफ में 38.43 लाख टन मूंगफली का उत्पादन हुआ था।
केस्टर के साथ दलहन उत्पादन में भी कमी का अनुमान
अन्य फसलों में केस्टर सीड का उत्पादन 11.73 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में इसका उत्पादन 14.84 लाख टन का हुआ था। दालों का उत्पादन चालू खरीफ में घटकर 4.37 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 5.23 लाख टन का उत्पादन हुआ था। दलहन की प्रमुख फसल अरहर का उत्पादन 3.37 लाख टन से घटकर 3.14 लाख टन का ही होने का अनुमान है।
चावल उत्पादन बढ़ने का अनुमान
चावल का उत्पादन जरुर राज्य में चालू खरीफ में बढ़कर 19.38 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 18.65 लाख टन का ही हुआ था। मक्का और बाजरा का उत्पादन चालू खरीफ में क्रमश: 4.55 और 2.48 लाख टन का ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में इनका उत्पादन क्रमश: 4.74 और 2.83 लाख टन का हुआ था।...........  आर एस राणा

फसल बीमा के दावों के निपटाने में दो महीने की देरी पर कंपनियों को देना 12 फीसदी ब्याज

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत किसानों के दावे का निपटारा कंपनियों को दो महीने के भीतर ही करना होगा। तय अवधि में बीमा का निपटारा नहीं करने पर कंपनियों को किसानों को जुर्माने के तौर पर 12 फीसदी का ब्याज भी देना होगा। केंद्र सरकार इसी हफ्ते नए दिशा-निर्देशों के तहत इसको लागू करने की तैयारी में है। फिलहाल कंपनियां दावे का भुगतान करने में 5-6 महीने भी ज्यादा का वक्त लगाती हैं।
कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार किसानों को निर्धारित 60 दिनों में बीमा दावे का भुगतान मुहैया कराने के लिए इसी हफ्ते दिशा-निर्देश जारी किए जा सकते हैं। इसमें सबसे सबसे अहम बदलाव के तहत समय पर दावों का निपटारा नहीं करने वाली कंपनियों को को मुआवजे के साथ ही जुर्माना भी भुगतना होगा। विभिन्न परिस्थितियों के मद्देनजर दो माह के बाद चार सप्ताह अतिरिक्त बीमाकर्ता को दिए गए हैं। इस अवधि के बाद उन्हें 12 फीसदी ब्याज देना होगा।
पीएमएफबीवाई के तहत किसान अपनी फसलों का बीमा कराते हैं, ताकि जोखिम के समय उन्हें बीमा कंपनी की तरफ से भरपाई की जा सके। इसके तहत प्रीमियम के तौर पर किसानों से खरीफ फसलों के लिए दो फीसदी और रबी फसलों के लिए डेढ़ फीसदी के साथ ही वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए पांच फीसदी तक शुल्क लिया जाता है। कृषि मंत्रालय के बजट का लगभग 30 प्रतिशत या एक तिहाई, प्रत्येक वर्ष पीएमएफबीवाई के लिए प्रीमियम पर खर्च किया जाता है।
नए पोर्टल से होगी दावों की निगरानी
कृषि मंत्रालय नए पोर्टल pmfby.gov.in के जरिए सभी दावों की निगरानी करेगा। कंपनियों के लिए पोर्टल में दावों को रजिस्टर करना अनिवार्य होगा। यह व्यवस्था कंपनियों और राज्यों के लचर रवैये के मद्देनजर लायी जा रही है, क्योंकि इसके चलते किसानों को पीएम फसल बीमा का फायदा नहीं मिल पा रहा है।
मामलों के निपटारे में छह महीने का लग रहा है समय
अधिकतर मामलों में देखा गया कि कंपनियां छह महीने तक दावे का निपटारा करने में लगा देती हैं। वर्ष 2017-18 में 17 कंपनियों ने 24 हजार करोड़ रुपये का प्रीमियम एकत्र किया और किसानों को 11,899 करोड़ रुपये का ही मुआवजा दिया, जबकि किसानों ने दावे 16,448 करोड़ रुपये के किए गए थे। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक करीब 3.3 करोड़ किसानों ने 3.3 करोड़ हेक्टेयर कृषि भूमि का बीमा इस योजना के तहत कराया।
बेहतर प्रदर्शन करने पर कंपनियों को मिलेगा प्रोत्साहन
बेहतर प्रदर्शन करने वाली कंपनियों और राज्यों को प्रोत्साहन देने का नियम भी दिशा-निर्देशों में शामिल किया गया है।
दलवई समिति ने माना दावों के भुगतान में देरी
गौरतलब है कि किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने के लिए बनी दलवई समिति ने फसल बीमा योजना में दावों के भुगतान में देरी की पहचान की है। सरकार योजना में राज्यों को अधिक स्वतंत्रता देने और पीएमएफबीवाई के कुछ हिस्सों में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की योजना बना रही है। जिन राज्यों ने सौ फीसदी प्रौद्योगिकी का उपयोग कर बेहतर प्रदर्शन किया है, उन्हें पांच प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन का प्रस्ताव दिया गया है।..........   आर एस राणा

महाराष्ट्र और कर्नाटक में नेफेड 6.70 लाख टन अरहर बेचेगी, कीमतों पर बनेगा दबाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। नेफेड ने महाराष्ट्र और कर्नाटक में खरीफ सीजन 2017 में प्राइस स्पोर्ट स्कीम के तहत खरीदी हुई अरहर 6,69,938 टन अरहर बेचने का निर्णय लिया है। ई-निलामी के माध्यम से इसकी बिक्री 19 सितंबर से शुरू की जायेगी। इससे उत्पादक मंडियों में अरहर के कीमतों पर दबाव बनने की संभावना है। 
नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार निगम ने खरीफ सीजन 2017 में महाराष्ट्र से 3,34,377.48 टन और कर्नाटक से 3,35,561.70 टन अरहर की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर प्राइस स्पोर्ट स्कीम के तहत की थी, जिसको बेचने का निर्णय किया है। उन्होंने बताया कि दोनों राज्यों में अरहर ई-निलामी के माध्यम से बाजार भाव पर बेची जायेगी।
कीमतों में पर बनेगा दबाव
दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि उत्पादक मंडियों में अरहर के भाव पहले ही एमएसपी से नीचे बने हुए हैं, अत: नेफेड द्वारा बिक्री शुरू करने से इसके भाव पर और भी दबाव बनेगा। महाराष्ट्र के जलगांव में अरहर का भाव मंगलवार को 2,800 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
चालू खरीफ में बुवाई ज्यादा
चालू खरीफ में अरहर की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार अरहर की बुवाई बढ़कर 45.70 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 45.31 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
उत्पादन भी ज्यादा होने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में अरहर का उत्पादन 42.5 लाख टन का हुआ था। चालू सीजन में बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, साथ ही मौसम भी अनुकूल रहा है इसलिए उत्पादन पिछले साल से ज्यादा ही होने का अनुमान है।
एमएसपी से नीचे हैं मंडियों में भाव
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए अरहर का एमएसपी 5,675 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि पिछले खरीफ सीजन में एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल था। ........... आर एस राणा

खरीफ में 9.8 करोड़ टन चावल उत्पादन का अनुमान, गेहूं उत्पादन का लक्ष्य 10 करोड़ टन

आर एस राणा
नई दिल्ली। भले ही देशभर के 31 फीसदी क्षेत्रफल में सामान्य की तुलना में कम बारिश हुई हो, लेकिन खाद्यान्न के उत्पादन में बढ़ोतरी का ही अनुमान है। चालू खरीफ सीजन में चावल के रिकार्ड उत्पादन 9.8 करोड़ टन के उत्पादन का अनुमान है जबकि रबी में गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य 10 करोड़ टन का तय किया गया है।
चावल और गेहूं के रिकार्ड उत्पादन का लक्ष्य
रबी सीजन की तैयारियों के लिए दिल्ली में आयाजित दो दिवसीय सम्मेलन में कृषि आयुक्त एस के मलहोत्रा ने पत्रकारों से कहा कि फसल सीजन 2018-19 में चावल के उत्पादन का लक्ष्य 11.30 करोड़ टन का तय किया गया है, इसमें खरीफ में 9.8 करोड़ टन और रबी में 1.5 करोड़ टन होने का अनुमान है। रबी सीजन में गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य 10 करोड़ टन का तय किया गया है। फसल सीजन 2017-18 में गेहूं का उत्पादन 9.97 करोड़ टन का हुआ है।
कई राज्यों में सामान्य से कम हुई है बारिश
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार पहली जून से 17 सितंबर तक देशभर के 31 फीसदी क्षेत्रफल में बारिश सामान्य से कम हुई है। मध्य प्रदेश के रायलसीमा में सामान्य से 47 फीसदी कम बारिश हुई है जबकि गुजरात, बिहार, झारखंड और पश्चिमी राजस्थान के भी कई क्षेत्रों में चालू खरीफ में सामान्य से कम बारिश हुई है।
ओवरआल मानसूनी बारिश अच्छी
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहां कि चालू खरीफ में मानसूनी बारिश अच्छी हुई है इसलिए खाद्यान्न के उत्पादन में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि कुछेक क्षेत्रों में बाढ़ आई तो कहीं कुछ कम बारिश भी हुई है लेकिन ओवरआल देखे तो बारिश अच्छी हुई है।
नई खरीद नीति से राज्यों के पास विकल्प बढ़ेंगे
कृषि सचिव एस के पटनायक ने कहा कि खाद्यान्न की नई खरीद नीति से राज्यों के पास अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे। प्राइवेट कंपनियों की खरीद के बारे में उन्होंने कहा कि पहले भी प्राइवेट कंपनियां खरीद करती रही है, इसलिए यह नया नहीं है। 
खाद्यान्न उत्पादन का 28.37 करोड़ टन का लक्ष्य
एस के मलहोत्रा ने बताया कि कि फसल सीजन 2018-19 में खाद्यान्न के उत्पादन का लक्ष्य 28.37 करोड़ टन का तय किया गया है, इसमें दलहन के उत्पादन का लक्ष्य 240 लाख टन, मक्का के उत्पादन का अनुमान 273 लाख टन और तिलहनों के उत्पादन का लक्ष्य 360 लाख टन का तय किया गया है। कपास के उत्पादन का लक्ष्य 2018-19 में 355 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) तय किया गया है। फसल सीजन 2018-19 में दालों के उत्पादन लक्ष्य को कम किया गया है, चालू फसल सीजन 2017-18 के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार दालों का उत्पादन 252.3 लाख टन होने का अनुमान है। ............ आर एस राणा

दालों का उत्पादन बढ़ने हेतु 560 करोड़ का होगा आवंटन, 60:40 फीसदी केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों को उत्पादक मंडियों में भले ही दालें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बेचनी पड़ रही हो, लेकिन केंद्र सरकार ने दलहन आयात पर निर्भरता कम करने के लिए कोशिश तेज कर दी है। चालू रबी सीजन में दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 560 करोड़ रुपये का आवंटन करने की योजना है, इसके तहत जहां केंद्र सरकार 339 करोड़ रुपये खर्च करेगी, वहीं राज्य सरकारों को 221 करोड़ रुपये खर्च करनें होंगे।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमारा मुख्य उद्देश्य देश को दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है, तथा आयात पर निर्भरता को समाप्त करना है। इसीलिए रबी-समर सीजन 2108-19 में दालों का उत्पादन बढ़ने के लिए 560 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है।
किसानों को बीज और कृषि उपकरण दिए जायेंगे
उन्होंने बताया कि चिहिंत राज्यों में किसानों को दलहन के अधिक पैदावार वाले बीजों के साथ ही कृषि उपकरण तथा सिंचाई के उपकरण उपलब्ध कराये जायेंगे। उन्होंने बताया कि चालू रबी में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) के तहत यह राशि जारी की जायेगा। इसके लिए 16 राज्यों आंध्रप्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा तथा झारखंड को चिहिंत किया गया है। पूर्वोत्तर राज्य असम के लिए केंद्र और राज्य सरकार की भागीदारी जहां 90:10 फीसदी की होगी, वहीं अन्य राज्यों में केंद्र और राज्यों की हिस्सेदारी 60:40 फीसदी की होगी।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को होगा ज्यादा आवंटन
उन्होंने बताया कि इसके तहत सबसे ज्यादा आवंटन दलहन के मुख्य उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश को 165 करोड़ रुपये का, महाराष्ट्र को 77 करोड़ रुपये, राजस्थान को 60.55 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश को 55 करोड़ रुपये, कर्नाटक को 41 करोड़ रुपये, आंध्रप्रदेश को 33 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ को 27.50 करोड़ रुपये तथा तमिलनाडु को 22 करोड़ रुपये का आवंटन किया जायेगा।
पिछले साल दालों का बंपर हुआ उत्पादन
देश में दालों की सालाना खपत 245 से 248 लाख टन की होती है जबकि फसल सीजन 2017-18 में दलहन का रिकार्ड उतपादन 252.3 लाख टन होने का अनुमान है जोकि इसके पिछले साल के 231.3 लाख टन से ज्यादा है।
रबी में चना और मसूर को होता है ज्यादा उत्पादन
रबी सीजन में चना के साथ ही मसूर का उत्पादन ज्यादा होता है। रबी फसल सीजन 2017-18 में दलहन का कुल उत्पादन 158.9 लाख टन का हुआ था, जोकि इसके पिछले साल के 135.5 लाख टन से ज्यादा है। पिछले रबी में चना की रिकार्ड पैदावार 112.3 लाख टन का हुआ था।
खरीफ में दलहन की बुवाई में आंशिक कमी
कृषि मंत्रालय के अनुसार दालों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में 0.86 फीसदी घटकर 137.41 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 138.60 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन में मूंग और अरहर की बुवाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, लेकिन उड़द की बुवाई में कमी आई है।........... आर एस राणा

राजस्थान : दलहन, तिलहन और ग्वार सीड की बुवाई ज्यादा, बाजरा की कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में राजस्थान में जहां दालों, तिलहनों और ग्वार सीड की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं राज्य में बाजरा की बुवाई पिछले साल की तुलना में घटी है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार खरीफ फसलों की बुवाई 157.04 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 146.77 लाख हैक्टेयर में ही फसलों की बुवाई हो पाई थी।
मूंग की बुवाई भारी बढ़ोतरी
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार दलहनी फसलों की वुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 35.19 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 32.56 लाख हैक्टेयर में ही दालों की बुवाई हुई थी। मूंग की बुवाई राज्य में बढ़कर चालू सीजन में 18.59 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 15.70 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मोठ की बुवाई पिछले साल के बराबर ही 10.43 लाख हैक्टेयर में और उड़द की 5.02 हैक्टेयर में हुई है।
सोयाबीन की बुवाई ज्यादा, मूंगफली की कम
तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुवाई पिछले साल के 8.86 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 10.12 लाख हैक्टेयर में और मूंगफली की बुवाई पिछले साल के 5.62 लाख हैक्टेयर से घटकर 5.49 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। केस्टर सीड की बुवाई पिछले साल के 1 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 2.64 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है।
बाजरा की बुवाई में आई कमी
राज्य में खरीफ की प्रमुख फसल बाजरा की बुवाई घटकर 41.11 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 42.36 लाख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी। मक्का की बुवाई राज्य में 8.83 लाख हैक्टेयर में और ज्वार की बुवाई 5.85 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले ज्यादा है।
ग्वार सीड की ज्यादा, कपास की कम
ग्वार सीड की बुवाई चालू खरीफ में राज्य में 34.18 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में इसकी बुवाई केवल 28.44 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। कपास की बुवाई राज्य में 4.79 लाख हैक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल के 5.03 लाख हैक्टेयर से कम है।  ..........  आर एस राणा

15 सितंबर 2018

मानसूनी बारिश सामान्य से 8 फीसदी कम, फिर भी खरीफ फसलों की बुवाई 0.72 फीसदी बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में पहली जून से 14 सितंबर तक देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य से 8 फीसदी कम होने के बावजूद खरीफ फसलों की बुवाई में 0.72 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में फसलों की बुवाई बढ़कर 1,053.03 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 1,045.55 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
धान की रोपाई 2.28 फीसदी ज्यादा
मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में 2.28 फीसदी बढ़कर 383.34 लाख हैक्टेयर में ही चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 374.81 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। दालों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में 0.86 फीसदी घटकर 137.41 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 138.60 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन में मूंग और अरहर की बुवाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है, लेकिन उड़द की बुवाई में करीब 4 लाख हैक्टेयर की कमी आई है।
सोयाबीन की बुवाई ज्यादा, मूंगफली की कम
खरीफ तिलहनों में जहां सोयाबीन की बुवाई बढ़ी है, वहीं मूंगफली की घटी है। तिलहनों की कुल बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 177.29 लाख हैक्टेयर में ही चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 171.98 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई चालू सीजन में बढ़कर 112.50 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुवाई केवल 105.76 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई घटकर चालू सीजन में 40.12 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में मूंगफली की बुवाई 41.31 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
केस्टर सीड की बुवाई बढ़ी
केस्टर सीड की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 8.35 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 7.91 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। शीसम सीड की बुवाई पिछले साल के 13.77 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 13.84 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। नाईजर सीड की बुवाई पिछले साल के 1.86 से घटकर 1.37 लाख हैक्टेयर में ही हुई है।
मोटे अनाजों की बुवाई पिछड़ी
चालू खरीफ में मोटे अनाजों की बुवाई अभी तक केवल 175.46 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक मोटे अनाजों की बुवाई 182.23 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की बुवाई चालू सीजन में 79.14 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल इस समय तक 78.02 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। बाजरा की बुवाई घटकर अभी तक केवल 65.47 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 70.36 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
ज्वार की बुवाई में आई कमी
ज्वार की बुवाई चालू खरीफ में पिछले साल के 17.78 लाख हैक्टेयर से घटकर 17.68 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है। रागी की बुवाई पिछले साल के 10.04 लाख हैक्टेयर से घटकर 8.26 लाख हैक्टेयर में ही हुई है।
कपास की बुवाई पिछले साल के लगभग बराबर
कपास की बुवाई चालू खरीफ में 120.56 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 120.98 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। गन्ने की बुवाई चालू सीजन में बढ़कर 51.94 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक गन्ने की बुवाई 49.86 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।..........  आर एस राणा

तिलहनी फसलों की आवक शुरू होने से पहले ही, खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 11 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ तिलहनी फसलों सोयाबीन और मूंगफली की आवक अगले महीने उत्पादक राज्यों में शुरू हो जायेगी। उससे पहले ही खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जिसका असर घरेलू बाजार में तिलहन की कीमतों पर पड़ने की आशंका है, जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ सकता है।
रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा होने के बावजूद भी खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में बढ़ोतरी हुई है। अगस्त में 15,12,597 टन खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात हुआ है जबकि पिछले साल अगस्त में इनका आयात 13,61,272 टन का ही हुआ था।
जुलाई के मुकाबले अगस्त में आयात ज्यादा
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता के अनुसार जुलाई में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 11.19 लाख टन का ही हुआ था जबकि अगस्त में आयात बढ़कर 15.12 लाख टन का हो गया। उन्होंने बताया कि जून-जुलाई में इनके आयात में कमी आई थी, जिस कारण घरेलू बाजार में खाद्य तेलों का बकाया स्टॉक कम था।
कुल आयात में कमी आने का अनुमान
एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष (नवंबर-17 से अक्टूबर-18) के पहले 10 महीनों नवंबर से अगस्त के दौरान आयात में 3.7 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 122,78,673 टन खाद्य एवं अखाद्य तेलों का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 127,53,568 टन का हुआ था। उद्योग के अनुसार चालू तेल वर्ष में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का कुल आयात 147 से 148 लाख टन का होने का अनुमान है जबकि पिछले तेल वर्ष में 154.4 लाख टन का आयात हुआ था।
आयातित खाद्य तेलों के भाव घटे
विश्व बाजार में कीमतों में आई गिरावट के कारण आयातित खाद्य तेलों के भाव में भी मंदा आया है। आरबीडी पामोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर अगस्त में घटकर औसतन 578 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि जुलाई में इसका औसत भाव 592 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान क्रुड पॉम तेल का भाव भी 583 डॉलर से घटकर 565 डॉलर प्रति टन रह गया।
खरीफ तिलहनों की बुवाई बढ़ी
चालू खरीफ सीजन में तिलहनों की बुवाई बढ़कर 173.95 लाख हैक्टेयर में ही चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 169.20 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई चालू सीजन में बढ़कर 111.92 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुवाई केवल 105.26 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई घटकर चालू सीजन में 39.87 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में मूंगफली की बुवाई 40.76 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।............  आर एस राणा

नए सीजन के आरंभ में कपास का बकाया स्टॉक 16 लाख गांठ कम बचेगा, नई आवक में भी देरी संभव

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से आरंभ होने वाले कपास के नए सीजन में बकाया स्टॉक 22 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) ही बचने का अनुमान है जोकि पिछले साल की तुलना में 16.07 लाख गांठ कम है। उत्तर भारत के राज्यों में चालू महीने में हुई अच्छी बारिश से नई फसल की आवक में भी देरी होने की आशंका है, इसलिए अभी कपास की कीमतों में ज्यादा मंदा आने की संभावना नहीं है।
कुल उपलब्धता 416 गांठ की रही
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन 365 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि नई फसल के समय बकाया स्टॉक 36.07 लाख गांठ का बचा हुआ था। चालू सीजन में करीब 15 लाख गांठ कपास का आयात होने का अनुमान है। ऐसे में कुल उपलब्धता 416 लाख गांठ की बैठेगी। 
विश्व में कीमतों में आई गिरावट
सीएआई के अनुसार विश्व बाजार में कपास की कीमतों में आई गिरावट कारण भारत से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे है। विश्व बाजार में कपास के भाव 82.13 सेंट प्रति पाउंड रहे तथा उपर से इसमें करीब 10 सेंट प्रति पाउंड से ज्यादा का मंदा आ चुका है। चालू सीजन में अभी तक कपास की 69 लाख गांठ का निर्यात हो चुका तथा कुल निर्यात 70 लाख गांठ का ही होने का ही होने का अनुमान है।
358 लाख गांठ की हो चुकी है आवक  
अगस्त के आखिर तक उत्पादक राज्यों की मंडियों में 358 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है जबकि कपास का आयात मई आखिर तक केवल 13.50 लाख गांठ का ही हुआ है। फसल सीजन 2016-17 में कपास का आयात 27 लाख गांठ का हुआ था, जबकि चालू फसल सीजन 2017-18 में आयात घटकर 15 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है।
उत्तर भारत में आवक में होगी देरी
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश राठी के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में चालू महीने में हुई बारिश से नई फसल की आवक में देरी होगी। इसलिए अभी घरेलू मंडियों में कपास की कीमतों में ज्यादा मंदा आने की संभावना नहीं है। अहमदाबाद में सोमवार को शंकर 6 किस्म की कपास के भाव 28,000 से 28,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहे। घरेलू बाजार में यार्न मिलों के कपास बकाया स्टॉक भी कम माना जा रहा है।
बुवाई में आई कमी
कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की बुवाई चालू खरीफ सीजन में 2.39 फीसदी पिछे चल रही है। अभी तक देशभर में कपास की बुवाई केवल 118.10 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 120.98 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।..........आर एस राणा

गुजरात : खरीफ फसलों की 94 फीसदी बुवाई पूरी, कपास की बढ़ी तो मूंगफली की घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू सीजन में गुजरात में खरीफ फसलों की बुवाई 94.20 फीसदी होकर 80.68 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। खरीफ में राज्य में जहां कपास की बुवाई में बढ़ोतरी हुइ है, वहीं मूंगफली की बुवाई में कमी आई है।
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 10 अगस्त तक राज्य में 80.86 लाख हैक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक फसलों की बुवाई 84.24 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी थी।
कपास की बुवाई ज्यादा, मूंगफली की कम
खरीफ की प्रमुख फसल कपास की बुवाई बढ़कर 27.08 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 26.45 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई हुई थी। तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में घटकर 14.67 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 16.15 लाख हैक्टेयर में मूंगफली की बुवाई हो चुकी थी।
तिलहनों की कुल बुवाई कम
चालू खरीफ में राज्य में तिलहनी फसलों की बुवाई घटकर अभी तक केवल 21.64 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 24.11 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। सोयाबीन की बुवाई राज्य में पिछले साल के 1.29 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 1.35 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। केस्टर सीड की बुवाई पिछले साल के 5.53 लाख हैक्टेयर से घटकर 4.83 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। 
दालों की बुवाई पिछले साल से घटी
राज्यों में दालों की बुवाई चालू खरीफ में पिछले साल के 5.60 लाख हैक्टेयर से घटकर 4.34 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुवाई 2.70 से घटकर 2.51 लाख हैकटेयर में और उड़द की पिछले साल के 1.30 लाख हैक्टेयर की तुलना में 1.06 हैक्टेयर में ही हुई है। मूंग की बुवाई चालू खरीफ में केवल 60,794 हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.25 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
मक्का की बुवाई बढ़ी, धान की घटी
मोटे अनाजों में मक्का की बुवाई पिछले साल के 3.06 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 3.13 लाख हैक्टेयर में और धान की रोपाई 8.05 से घटकर 8.04 लाख हैक्टेयर में ही हुई है।............ आर एस राणा

चीन महाराष्ट्र से खरीद सकता है सोया डीओसी, किसानों को होगा फायदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच चले ट्रेड वार से भारतीय सोया डीओसी के लिए अच्छी खबर है। चीन ने महाराष्ट्र से सोया डीओसी की खरीद में रुचि दिखाई है, इससे उद्योग के साथ ही सोयाबीन के किसानों को भी फायदा होगा।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ 11 सितंबर को चीन के कौंसल जरनल तांग गोचाई ने मुलाकत कर राज्य से कृषि उत्पादों की खरीद और निवेश की इच्छा जताई।
बैठक के बाद फडणवीस ने कहा कि चीन से इस मुद्दे पर और बातचीत के लिए एक स्वतंत्र अधिकारी को नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि चीन राज्य से सोया डीओसी की खरीद करता है तो इससे राज्य से सोयाबीन किसानों को लाभ मिलेगा। सोयाबीन किसानों के हितों को देखते हुए केंद्र सरकार सोया डीओसी के निर्यात पर निर्यातकों को 10 फीसदी निर्यात प्रोत्साहन राशि भी दे रही है।
एक क्विंटल सोयाबीन से केवल 18 किलो तेल प्राप्त होता है, तथा बाकि डीओसी प्राप्त होती। इसलिए डीओसी की कीमत काफी महत्वपूर्ण है। सोयाबीन के भाव उत्पादक मंडियों में 3,350 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा इंदौर में सोया रिफाइंड तेल के भाव 750 रुपये प्रति 10 किलो रहे। सोया डीओसी के भाव एक्स फैक्ट्री 28,000 से 28,500 रुपये प्रति टन रहे। सोयाबीन की नई फसल की दैनिक आवक अक्टूबर में बढ़ेगी, इसलिए अक्टूबर में इनकी मौजूदा कीमतों में गिरावट आ सकती है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने बताया कि पिछले फसल सीजन में हमने 17 से 18 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात किया था, पिछले साल फसल कम थी। चालू सीजन में सोयाबीन की बुवाई में तो बढ़ोतरी हुई ही है, साथ ही अनुकूल मौसम से पैदावार भी ज्यादा होने का अनुमान है। इसलिए चालू सीजन में उपलब्धता ज्यादा होगी, चीन सोया डीओसी का आयात करेगा तो भारतीय किसानों को इसका फायदा होगा।............  आर एस राणा

नए पेराई सीजन में भी जारी रहेगी चीनी बेचने की कोटा प्रणाली, केंद्र सरकार भी पक्ष में

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी बेचने के लिए कोटा प्रणाली को पहली अक्टूबर 2018 से शुरू होने वाले नए पेराई सीजन में भी जारी रखने की योजना है। चीनी मिलों की मांग पर केंद्र सरकार भी इसके पक्ष में है तथा जल्द ही इस बारे में अधिसूचना जारी की जा सकती है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आगामी पेराई सीजन में भी चीनी का बंपर उत्पादन होने का अनुमान है इसलिए चीनी मिलों ने कोटा प्रणाली सिस्टम को जारी रखने की मांग की है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने पहले 30 सितंबर 2018 तक कोटा प्रणाली को लागू किया था।
उन्होने बताया कि चालू पेराई सीजन में तो चीनी का रिकार्ड उत्पादन हुआ ही है, गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए आगामी पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में और बढ़ोतरी का अनुमान है, अत: चीनी की कीमतों में बड़ी गिरावट नहीं आये, इसलिए हर महीने घरेलू बाजार में बेचने के लिए जारी किए जाने वाले चीनी की कोटा प्रणाली को नए पेराई सीजन में भी जारी रखा जायेगा, तथा इस बाबत जल्दी ही अधिसूचना भी जारी की जायेगी।
गन्ने के कीमतों में सुधार लाने के लिए चालू पेराई सीजन में केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये प्रति किलो तय करने के साथ ही मिलों पर चीनी बेचने के लिए कोटा प्रणाली तय की। इसके अलावा जहां आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 100 फीसदी किया, वहीं निर्यात शुल्क को भी शुन्य किया। इसके साथ ही चीनी मिलों को एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए कर्ज मुक्त ऋण देने के साथ एक साल के लिए 30 लाख टन चीनी का बंपर स्टॉक बनाने को भी मंजूरी दी।
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन में 325 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि गन्ना के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी को देखते हुए आगामी पेराई सीजन में उत्पादन बढ़कर 355 लाख टन होने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में गन्ने की बुवाई बढ़कर 51.94 लाख हैक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 49.86 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है। ......... आर एस राणा

खाद्यान्न की नई खरीद नीति को केंद्र की मंजूरी, किसानों को एमएसपी का मिलेगा फायदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले मोदी सरकार ने किसानों को ध्यान में रखते हुए नई अनाज खरीद नीति को मंजूरी दे दी। नई खरीद नीति के तहत राज्यों को एक से ज्यादा स्कीमों का विकल्प दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया।
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान को मंजूरी
फैसले की जानकारी देते केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने बताया कि कैबिनेट ने आज ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (पीएम-आशा) को मंजूरी दे दी है। इस अंब्रेला स्कीम से हमारे किसान और अधिक सशक्त होंगे, जिससे कृषि क्षेत्र को और मजबूती मिलेगी।
बैंक गारंटी के वास्ते 16,500 करोड़ रुपये का प्रावधान
उन्होंने बताया कि नई खरीद नीति में मूल्य समर्थन योजना, भावांतर योजना के साथ ही निजी खरीद तथा स्टॉकिस्ट खरीद योजना को शामिल किया गया है। इस वर्ष फसलों की खरीद के लिए बैंक गारंटी देने के वास्ते अतिरिक्त 16,550 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जिससे यह गारंटी बढ़कर कुल 45,500 करोड़ रुपये हो जायेगी। इसके अतिरिक्त बजटीय प्रावधान को भी बढ़ाकर 15,053 करोड़ रुपये किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्यों में पायलट परियोजना के रुप में निजी खरीद स्टॉकिस्ट योजना के तहत भी अनाजों की खरीद की जायेगी।
तिलहनों की खरीद के लिए भावांतर योजना
नई नीति में राज्य सरकारों को विकल्प होगा कि कीमतें एमएसपी से नीचे जाने पर वह किसानों के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाओं में से किसी का भी चयन कर सकें। सिर्फ तिलहन किसानों के संरक्षण के लिए मध्यप्रदेश की भावांतर भुगतान योजना की तर्ज पर मूल्य कमी भुगतान (पीडीपी) योजना शुरू की गई है। पीडीपी के तहत सरकार किसानों को एमएसपी तथा थोक बाजार में तिलहन के मासिक औसत मूल्य के अंतर का भुगतान करेगी। इस योजना के तहत तिलहनी फसलों की खरीद कुल उत्पादन के 25 फीसदी तक की जायेगी। इसके अलावा राज्यों को तिलहनों की खरीद करने के लिए प्रयोग के तौर पर निजी कंपनियों को साथ लेने का विकल्प दिया गया है।
अन्य स्कीम भी अपना सकते हैं राज्य
नई खाद्यान्न खरीद नीति के तहत राज्यों के पास मौजूदा मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) चुनने का विकल्प भी होगा, इसके अंतर्गत केंद्रीय एजेंसियां, जिंसों की कीमत एमएसपी से नीचे जाने की स्थिति में करती हैं, तथा केंद्र सरकार इसकी भरपाई करती है।
एफसीआई बड़े पैमाने पर गेहूं और चावल की करती है खरीद
सरकार की खाद्यान्न खरीद एवं वितरण करने वाली नोडल एजेंसी, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), पहले से ही राशन की दुकानों और कल्याणकारी योजनाओं के जरिये आपूर्ति करने के लिए एमएसपी पर गेहूं और चावल खरीदती है।
23 फसलों के तय करती है सरकार एमएसपी
न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति के तहत केंद्र सरकार हर साल खरीफ और रबी की 23 फसलों के समर्थन मूल्य तय करती है। सरकार ने जुलाई में धान के एमएसपी में 200 रुपए प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की थी।
एथनॉल के भाव में की बढ़ोतरी
कैबिनेट की बैठक में एक और बड़ा फैसला लिया गया। एथेनॉल के दाम 25 फीसदी बढ़ाने को मंजूरी दी गई। यानि बढ़ोतरी के बाद बी-हैवी मोलासिस (शीरा) से बनने वाले एथनॉल का दाम 52.4 रुपये प्रति लीटर होगा जबकि गन्ना से सीधे बनने वाले एथनॉल का दाम 59 रुपये प्रति लीटर होगा।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार केंद्र सरकार ने एथनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी से इसके उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिसका सीधा फायदा गन्ना किसानों को होगा। ...........  आर एस राणा

आईएआरआई ने गेहूं की तीन नई किस्में की विकसित, फील्ड ट्रायल के लिए किसानों को दिए जायेंगे बीज

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के बाद किस्मों के सुधार में लगे देश के कृषि वैज्ञानिकों ने भोजन में बड़े पैमाने पर उपयोग होने वाले गेहूं की तीन नई किस्में विकसित की है। चालू रबी सीजन में किसानों को फील्ड ट्रायल के तौर पर बोने के लिए इन किस्मों के बीज दिए जायेंगे। 
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजवीर यादव ने बताया कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 57वें अखिल भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान गेहूं की छह किस्मों की पहचान की गई। इनमें तीन किस्में एचडी 3226, एचडी 3237, एचआई 1620 आईएआरआई ने विकसित की हैं।
उन्होंने बताया कि चालू रबी सीजन में कुछ प्रगतिशील किसानों को इन किस्मों के बीज फील्ड ट्रायल के तौर पर बुवाई के लिए दिए जायेंगे तथा सक्षम अधिकारी द्वारा अधिसूचना जारी के बाद, इन किस्मों के बीज किसानों के लिए उपलब्ध कराये जायेंगे।
उन्होंने बताया कि एचडी 3226 किस्म की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता जहां 57.7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है, वहीं इसमें प्रोटीन की मात्रा 12.80 फीसदी है जोकि अन्य किस्मों से ज्यादा है। साथ ही इस किस्म में ब्लैक, ब्राउन और येलो रस्ट के साथ करनाल बंट की प्रतिरोधक क्षमता भी है।
उन्होंने बताया कि एचडी 3226 किस्म की बुवाई सिंचित क्षेत्रों के राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश तथा उत्तर भारत के अन्य राज्यों के लिए उपयुक्त है। अच्छी पैदावार के लिए इस किस्म की बुवाई समय से यानि नवंबर के पहले सप्ताह में करना उपयुक्त है। इसी तरह से एचडी 3237 और एचआई 1620 किस्मों की बुवाई इन राज्यों के किसान कम सिंचाई वाले क्षेत्रों (दो सिंचाई) में भी कर सकते हैं।
इन किस्मों से जहां किसान गेहूं की अधिकतम पैदावार ले सकेंगे, वहीं रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।...  आर एस राणा

सोयाबीन के उत्पादक राज्यों में मौसम अनुकूल, पैदावार ज्यादा होने का अनुमान-सोपा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई में तो बढ़ोतरी हुई ही है, साथ ही मौसम भी फसल के अनुकूल बना हुआ है इसलिए चालू खरीफ में पैदावार पिछले साल से ज्यादा ही होने का अनुमान है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने बताया कि प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में सोयाबीन की फसल काफी अच्छी है। कहीं भी फसल को नुकसान नहीं हुआ है इसलिए चालू खरीफ में सोयाबीन की पैदावार ज्यादा ही होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई भी पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।
बुवाई में हुई बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में सोयाबीन की बुवाई बढ़कर 111.91 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 105.26 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मध्य प्रदेश में सोयाबीन की बुवाई 53.18 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 50.10 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। इसी तरह से महाराष्ट्र में इसकी बुवाई पिछले साल के 38.18 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 39.28 लाख हैक्टेयर में और राजस्थान में पिछले साल के 9.24 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 10.46 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है।
पिछले साल घटा था उत्पादन
मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में सोयाबीन का उत्पादन का उत्पादन घटकर 109.81 लाख टन का ही हुआ था, जबकि इसके पिछले साल इसका उत्पादन 131.59 लाख टन का हुआ था।
सोया डीओसी की कीमतों में आयेगी गिरावट
साई सिमरिन फूड लिमिटेड के डायरेक्टर नरेश गोयनका ने बताया कि सोया डीओसी के भाव 27,300 से 27,800 रुपये प्रति टन एक्स फैक्ट्री और 27,500 से 28,000 रुपये प्रति टन कांडला बंदरगाह पर रहे। इंदौर में सोया रिफाइंड तेल के भाव 740 से 745 रुपये प्रति 10 किलो रहे। उन्होंने बताया कि अक्टूबर में सोयाबीन की नई फसल की आवक बनने पर सोया डीओसी की कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है।..........  आर एस राणा

नए पेराई सीजन में और बढ़ेगी गन्ना किसानों की मुश्किल, चालू खरीफ में बुवाई ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में गन्ने की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है जबकि उत्पादक राज्यों में मानसूनी बारिश ठीक हुई है। ऐसे में पहली अक्टूबर 2018 से शुरू होने वाले पेराई सीजन (अक्टूबर-नवंबर) में चीनी का उत्पादन बढ़कर 355 लाख टन होने का अनुमान है जिससे गन्ना किसानों की परेशानी और बढ़ने वाली है। 
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में गन्ने की बुवाई बढ़कर 51.94 लाख हैक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 49.86 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है। उद्योग के अनुसार चीनी का उत्पादन बढ़कर पेराई सीजन 2018-19 में 355 लाख टन होने का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन के 325 लाख टन से ज्यादा है।
नया पेराई सीजन आरंभ होने में एक महीने से भी कम समय बचा हुआ है, जबकि अभी भी चीनी मिलों पर किसानों का करीब 13,000 करोड़ रुपये का बकाया बचा हुआ है। उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन में मिलों ने किसानों से 92,000 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है जबकि गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी से पहली अक्टूबर 2018 से शुरू होने वाले नए पेराई सीजन में एक लाख करोड़ रुपये के गन्ने की खरीद होने का अनुमान है।
केंद्र सरकार ने गन्ना पेराई सीजन 2018-19 के लिए उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जोकि 10 फीसदी रिकवरी पर है। नए पेराई सीजन देशभर में औसत रिकवरी 10.8 आती है तो चीनी मिलों को एक क्विंटल गन्ने की खरीद पर 300 रुपये प्रति क्विंटल खर्च करने होंगे। उत्तर भारत के राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड की राज्य सरकारें स्टेट एडवाइजरी प्राइस (एसएपी) तय करती हैं, जोकि आमतौर पर एफआरपी से ज्यादा ही होता हैं।
पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले पेराई सीजन के शुरू में चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि 9,000 करोड़ रुपये बचने का अनुमान है जोकि पेराई सीजन के मध्य यानि अप्रैल के आखिर तक बकाया राशि बढ़कर 45 से 50 हजार करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच सकती है।
गन्ने के कीमतों में सुधार लाने के लिए चालू पेराई सीजन में केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये प्रति किलो तय करने के साथ ही मिलों पर चीनी बेचने के लिए कोटा प्रणाली तय की। इसके अलावा जहां आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 100 फीसदी किया, वहीं निर्यात शुल्क को भी शुन्य किया। इसके साथ ही चीनी मिलों को एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए कर्ज मुक्त ऋण देने के साथ एक साल के लिए 30 लाख टन चीनी का बंपर स्टॉक बनाने को भी मंजूरी दी।
सूत्रों के अनुसार इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आगामी पेराई सीजन में चीनी का न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये से बढ़ाकर 36 रुपये प्रति किलो तय करने की मांग की है। इसके साथ ही आगामी पेराई सीजन में 70 लाख टन चीनी का निर्यात कोटा भी तय करने की मांग की।
पहली अक्टूबर 2018 से शुरू होने वाले पेराई सीजन के आरंभ में 105 लाख टन चीनी बकाया स्टॉक होगा, जबकि 355 लाख टन चीनी उत्पादन को मिलाकर कुल उपलब्धता 450 लाख टन के करीब होगी जोकि सालाना खपत 260 लाख टन से बहुत ज्यादा है।......  आर एस राणा

लागत से 345 रुपये नीचे भाव पर गेहूं बेच रही है सरकार, अगले महीने से बढ़ेंगे भाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रही है जबकि आर्थिक लागत 2,445.62 रुपये प्रति क्विंटल की आई हुई है। पहली अक्टूबर से रेलभाड़ा बढ़ने के साथ ही गेहूं का बिक्री भाव भी बढ़ेगा, इसलिए गेहूं की कीमतों में तेजी आने का अनुमान है। गुरूवार को दिल्ली में गेहूं के भाव 2,000 से 2,005 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की खरीद पर आर्थिक लागत 2,445.62 रुपये प्रति क्विंटल की आई है जबकि इस समय ओएमएसएस के तहत गेहूं का बिक्री भाव 1,900 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर से दिसंबर के दौरान गेहूं का बिक्री भाव बढ़कर 1,925 रुपये प्रति क्विंटल हो जायेगा। पहली अक्टूबर से रेलभाड़े में भी 15 फीसदी की बढ़ोतरी होगी, इसलिए गेहूं की कीमतों में 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है।
पहली अक्टूबर से रेल भाड़ा 15 फीसदी बढ़ेगा
बंगलुरु के गेहूं कारोबारी नवीन गुप्ता ने बताया कि दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें मध्य प्रदेश और हरियाणा से एफसीआई से गेहूं की खरीद कर रही है जबकि उत्तर प्रदेश से व्यापारियों से खरीद कर रही हैं। मध्य प्रदेश और हरियाणा से एफसीआई के गेहूं का भाव बंगलुरु फ्लोर मिल पहुंच 2,240 रुपये प्रति क्विंटल है। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के इटारसी से बंगलुरु पहुंच रेलभाड़ा 200 रुपये है जोकि पहले अक्टूबर से 230 रुपये प्रति क्विंटल हो जायेगा। उत्तर प्रदेश के शांहजहांपुर से बंगलुरु पहुंच रेल का भाड़ा 254 रुपये है जोकि पहली अक्टूबर से 292 रुपये प्रति क्विंटल हो जायेगा।
गेहूं के आयात पड़ते नहीं
आयात पड़ते नहीं
विश्व बाजार में गेहूं के भाव उंचे होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं। यूक्रेन के लाल गेहूं का भाव भारतीय बंदरगाह पर पहुंच 225 डॉलर प्रति टन है जोकि भारतीय रुपये में 2,300 रुपये प्रति क्विंटल हो जाता है। उधर आस्ट्रेलियाई गेहूं का भाव भारतीय बंदरगाह पर पहुंच 265 डॉलर प्रति टन है।
ओएमएसएस के तहत आगे बढ़ेगी बिक्री
ओएमएसएस के तहत आगामी दिनों में गेहूं की बिक्री में तेजी आने का अनुमान है। एफसीआई के अनुसार जुलाई-अगस्त में ओएमएसएस के तहत फ्लोर मिलों ने 4.70 लाख टन गेहूं की खरीद की है, इसमें से जुलाई में केवल 1.77 टन गेहूं ही बिका था।
केंद्रीय पूल में गेहूं का बंपर स्टॉक
पहली अगस्त को केंद्रीय पूल में गेहूं का बंपर स्टॉक 408.58 लाख टन मौजूद है जबकि पिछले साल पहली अगस्त 2017 को इसका स्टॉक 300.59 लाख टन का ही था।
खरीद में हुई बढ़ोतरी
रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद 355.22 लाख टन की हुई है जबकि इसके पिछले रबी विपणन सीजन में केवल 308.24 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी। 
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 997 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल उत्पादन 975 लाख टन का ही हुआ था।...........  आर एस राणा