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30 सितंबर 2018

चीनी मिलों को क्यों जरुरत पड़ती है हर बार पैकेज की

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से गन्ने का नया पेराई सीजन (अक्टूबर-18 से सितंबर-19) शुरू हो जायेगा जबकि अमरोहा जिले के गांव डेराचक गांव के गन्ना किसान जोगेंद्र सिंह आर्य का धनौरा चीनी मिल पर अभी भी पौने दो लाख रुपये बकाया बचा हुआ है। बावजूद इसके कि केंद्र सरकार चीनी मिलों को पैकेज पर पैकेज दिए जा रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि किसानों के गन्ना मूल्य भुगतान के नाम पर चीनी मिलों को और कितने पैकेज की जरूरत होगी?
चीनी की कीमतों में सुधार के लिए उठाए कदम
सरकार ने चीनी की न्यूनतम बिक्री कीमत 29 रुपये प्रति किलोग्राम तय कर दी, साथ ही चीनी मिलों के लिए चीनी बिक्री की मासिक कोटा व्यवस्था लागू की गई है, जो पहले भी थी। इसके अलावा आयात पर 100 फीसदी शुल्क और निर्यात पर शून्य शुल्क कर दिया गया। इसके अलावा गन्ने के रस से सीधे बनने वाले एथनॉल के मूल्य में 25 फीसदी की बढ़ोतरी कर भाव 59.13 रुपये प्रति लीटर निर्धारित किया है जोकि वर्तमान में 47.13 रुपये प्रति लीटर है। इतना सब करने के बावजूद भी किसानों के गन्ना बकाया भुगतान में तेजी नहीं आ पाई।
किसान में बढ़ रही है नाराजगी
अमरोहा के किसान गुड्डू गुर्जर ने बताया कि धनौरा चीनी मिल ने अभी तक केवल 4 अप्रैल तक का ही भुगतान किया है, जबकि मिल ने 13 मई तक गन्ने की पेराई की थी। मिल पर अभी किसानों का करीब 57 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है। इससे राज्य के किसान चीनी मिलों के साथ ही राज्य सरकार से भी नाराज हैं। हापुड़ के किसान परविंद्र डिल्लों ने बताया कि सिंभावली शुगर मिल पर अभी भी किसानों का करीब 40 से 45 फीसदी बकाया बचा हुआ है जबकि पेराई सीजन लगभग समाप्त हो चुका है।
रिकरवरी बढ़ने से मिलों को हुआ फायदा
उत्तर प्रदेश में गन्ने का एसएपी पेराई सीजन 2017-18 के लिए कॉमन वेरायटी का 315 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि चालू पेराई सीजन में गन्ने में औसतन रिकवरी की दर 10.85 फीसदी की आई है। उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,200 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। चीनी के अलावा मिलें खोई, शीरा आदि अन्य उत्पादों से भी आमदनी कर रही है तो फिर गन्ना किसानों के भुगतान में ही देरी क्यों? मतलब साफ है, चीनी मिलों की नीयत में खोट है। उन्हें पता है कि केंद्र और राज्य सरकार को केवल किसानों के नाम पर ही ब्लैकमेल किया जा सकता है। इसी का चीनी उद्योग फायदा उठा रहा है।
चीनी मिलों पर अभी भी 13,500 करोड़ रुपये है बकाया
केंद्र सरकार ने जून में चीनी मिलों के लिए 8,500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी तथा 26 सितंबर को फिर से सरकार ने चीनी उद्योग को सहायता देने के लिए 5,500 करोड़ रुपये के राहत पैकेज पर मोहर लगा दी। इसमें पेराई सीजन 2018-19 के लिए 50 लाख टन के निर्यात के लिए चीनी मिलों को प्रोत्साहन राशि एवं परिवहन सब्सिडी शामिल है। उधर देशभर की चीनी मिलों पर अभी भी किसानों का 13,500 करोड़ रुपये चालू पेराई सीजन का ही बकाया बचा हुआ है।
इससे पहले भी दिए गए हैं पैकेज
ऐसा पहली बार नहीं है जब चीनी उद्योग को पैकेज की जरूरत पड़ी हो। यूपीए सरकार भी 6,000 करोड़ रुपये एवं राजग सराकर के समय भी 1,500 करोड़ रुपये का पैकेज चीनी उद्योग को दिया जा चुका है, मगर गन्‍ना कि‍सानों के बकाए का संकट हर साल खड़ा हो जाता है।
किसान केवल चुनाव के समय आते हैं याद
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार गन्ना किसानों के नाम पर चीनी मिलों को नाजायज फायदा पहुंचा रहे हैं। चुनाव के समय हर पार्टी गन्ना मूल्य भुगतान को बड़ा मुद्दा तो बनाती है, लेकिन चुनाव के बाद उसे भूल जाती है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी चुनाव के समय 14 दिन में किसानों के भुगतान का वायदा तो किया था, लेकिन उस पर अमल नहीं किया। .......  आर एस राणा

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