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30 जनवरी 2021

दिल्ली में अरहर और मसूर की कीमतों में तेजी

नई दिल्ली। स्थानीय दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से शनिवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की लेमन अरहर के साथ के साथ कनाडा और मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में तेजी आई।  


बर्मा की नई लेमन अरहर की कीमतों में दिल्ली में लगातार दूसरे दिन 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6250 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

बाजार के सूत्रों के अनुसार,  नेफेड ने आज से अरहर की बिक्री बंद कर दी है।

इसी तरह से चेन्नई से फरवरी डिलीवरी की अरहर की कीमतें 100 रुपये बढ़कर 6000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

इस दौरान, हरियाणा लाईन की नई अरहर के दाम 100 रुपये बढ़कर 5550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

कर्नाटका से नेफेड द्वारा खरीदी हुई पुरानी अरहर की कीमतें आज दिल्ली में 100 रुपये बढ़कर 6250 से 6300 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।
 
दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से मसूर की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर कनाडा की मसूर 5200 रुपये और मध्य प्रदेश की मसूर के भाव 5,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

आयातित स्टॉक ज्यादा होने के साथ ही चालू रबी में बुआई में हुई बढ़ोतरी से मसूर की कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं है।

इंदौर मंडी में चना की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 4,600 से 4,625 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मसूर के भाव इंदौर में 50 रुपये तेज होकर 5,050 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

अरहर कर्नाटक लाईन के भाव इंदौरान 6,300 से 6,400 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

बर्मा में लेमन अरहर नई के भाव 710 डॉलर ओर पुरानी के भाव 670 डॉलर प्रति टन रहे।

बर्मा में उड़इ एफएक्यू के भाव 805 डॉलर और एसक्यू के भाव 940 डॉलर प्रति टन रहे।

बासमती चावल का निर्यात 18.93 फीसदी बढ़ा, गैर बासमती का 129 फीसदी ज्यादा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 महीनों में बासमती चावल का निर्यात 18.93 फीसदी बढ़कर 33.80 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की समान अवधि में इसका निर्यात 28.42 लाख टन का ही हुआ था।

वाणिज्य एवं उद्वयोग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 महीनों में बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से 22,038 करोड़ रुपये का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 20,926 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था।

गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 129 फीसदी बढ़कर 82.17 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 35.87 लाख टन का ही हुआ था। मूल्य के हिसाब से गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर तक बढ़कर 22,856 करोड़ रुपये का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 10,268 करोड़ रुपये का हुआ था।

निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर होने से पंजाब, हरियाणा एवं दिल्ली में बासमती चावल के दाम शनिवार को स्थिर बने रहे। दिल्ली के नया बाजार के चावल व्यापारी राजीव जैन ने बताया कि निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, ऐसे में उम्मीद है कि फरवरी में निर्यातकों की मांग बढ़ेगी, जिससे मौजूदा भाव में सुधार आने का अनुमान है।

29 जनवरी 2021

अरहर के साथ उड़द एसक्यू के दाम दिल्ली में तेज, कनाडा की मसूर नरम

नई दिल्ली। स्थानीय दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर के साथ के साथ बर्मा की उड़द एसक्यू की कीमतों में तेजी आई, जबकि कनाडा की मसूर में गिरावट देखी गई।

बर्मा की नई लेमन अरहर की कीमतों में दिल्ली में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6200 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इसी तरह से चेन्नई से फरवरी डिलीवरी की अरहर की कीमतें 50 रुपये बढ़कर 5900 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान, हरियाणा लाईन की नई अरहर के दाम 5450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। कर्नाटका से नेफेड द्वारा खरीदी हुई पुरानी अरहर की कीमतें आज दिल्ली में 6150 से 6175 रुपये प्रति क्विंटल पर टिकी रही। इस बीच 28 जनवरी, 2021 को कर्नाटक में नेफेड ने खरीफ 2019 की खरीदी हुई अरहर की बिक्री 5721 से 5725 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की।

चेन्नई में आये सुधार के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू में दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से 25 रुपये बढ़कर भाव 8,700 रुपये रुपये प्रति क्विंटल हो गए जबकि, एफएक्यू किस्म के दाम 7,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। दाल मिलों की मांग सुधरने से शुक्रवार को दिल्ली और चेन्नई में बर्मा उड़द एसक्यू की कीमतों में 25 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। दूसरी ओर, मिलों की सीमित मांग के कारण मुंबई में एफएक्यू की कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर में दिल्ली में 25 रुपये का मंदा आकर भाव 5,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मध्य प्रदेशा की मसूर के दाम 5,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। आयातित स्टॉक ज्यादा होने के साथ ही चालू रबी में बुआई में हुई बढ़ोतरी से मसूर की कीमतों पर दबाव है।

दिल्ली में चना की कीमतों में 25 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया। लारेंस रोड़ पर राजस्थान चना की कीमतें बढ़कर 4,650 से 4,675 रुपये एवं मध्य प्रदेश के चना के भाव 4,625 से 4,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर मार्च डिलीवरी के वायदा अनुबंध में 23 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, जबकि अप्रैल वायदा अनुबंध के भाव में 48 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया।


चालू पेराई सीजन में 302 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान-इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2020 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2020-21 अक्टूबर से सितंबर के दौरान देश में चीनी का उत्पादन 302 लाख टन होने का अनुमान है जोकि आरंभिक अनुमान 310 लाख टन से 8 लाख टन कम है।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन, इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में 302 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है, जबकि पहली अक्टूबर 2020 को पेराई आरंभ होने के समय देश में चीनी का बकाया स्टॉक 107 लाख टन का बचा हुआ था। देश में चीनी की सालाना खपत 260 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि 60 लाख टन का निर्यात कोटा केंद्र सरकार ने तय किया हुआ है। ऐसे में पहली अक्टूबर 2021 को आगामी पेराई सीजन के समय चीनी का बकाया स्टॉक इस बार की तुलना में कम यानि 89 लाख टन बचने का अनुमान है। केंद्र सरकार चीनी निर्यात पर मिलों को 8,000 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दे रही है।

इस्मा के अनुसार उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 105 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में राज्य में 126.37 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। राज्य में गन्ने की उत्पादकता में कमी आने के साथ ही गन्ने में रिकवरी की दर भी कम आ रही है, जबकि चीनी मिलें सीधे गन्ने के रस से एथेनॉल का उत्पादन भी कर रही हैं।

दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 105.41 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में राज्य में केवल 61.69 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में गन्ने के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है, जबकि पिछले पेराई सीजन में भारी बारिश और बाढ़ से गन्ने की फसल को भारी नुकसान हुआ था।

कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 42.5 लाख टन का होने का अनुमान है जोकि पिछले पेराई सीजन के 39.94 लाख टन से ज्यादा है। राज्य में गन्ने के क्षेत्रफल में तो बढ़ोतरी हुई ही है, साथ ही गन्ने में रिकवरी की दर भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा आ रही है। अन्य उत्पादक राज्यों में चीनी का उत्पादन 49.35 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के लगभग बराबर ही है।

रबी फसलों की बुआई 684 हेक्टेयर के पार, पिछले साल से 2.86 फीसदी ज्यादा

नई दिल्ली। चालू रबी में फसलों की बुआई 2.86 फीसदी बढ़कर 684.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 665.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है जबकि मोटे अनाजों की बुआई में कमी आई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में बढ़कर 346.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 336.53 लाख हेक्टेयर से 2.95 फीसदी ज्यादा है। इसी तरह से दालों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 167.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 162.87 लाख हेक्टेयर में ही दालों की बुआई हुई थी।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई 112 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 107.31 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मसूर की बुआई 16.54 लाख हेक्टेयर मेंए मटर की 10.69 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 8.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 16.13 लाख हेक्टेयर में, 10.97 लाख हेक्टेयर और 7.54 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मूंग की बुआई चालू रबी में 6.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की इस अवधि के 6.66 लाख हेक्टयेर से थोड़ी कम है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 83.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 79.98 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 73.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 69.08 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंगफली की बुआई 4.76 लाख हेक्टेयर में और अलसी की 2.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक क्रमशः 4.82 और 3.47 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी सीजन में घटकर 51.68 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 56.16 लाख हेक्टेयर में ही चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 27.18 लाख हेक्टयेर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 30.19 लाख हेक्टेयर से कम है। मक्का की बुआई 16.94 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई चालू रबी में 6.84 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 17.48 और 7.79 लाख हेक्टेयर में हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में पिछले साल के 30.20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 35.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

28 जनवरी 2021

बर्मा में अरहर तेज, घरेलू बाजार में उड़द, चना, मूंग और मसूर नरम

नई दिल्ली। नेपाल की खरीद के कारण लेमन अरहर (लिंके वैरायटी) बर्मा के दलहन मार्केट में बुधवार को 10 डॉलर मजबूत होकर 690 डॉलर प्रति टन हो गई। इसी तरह राजमा के भाव भारत की खरीद के कारण 20 से 50 डॉलर प्रति टन तक बढ़ गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के दाम 6,150 रुपये और मुंबई में 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रहे। इंदौर में अरहर के भाव 5,200 से 5,700 रुपये और सोलापुर में 5,500 से 6,275 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

दिल्ली में राजस्थानी चना के दाम आज 4,675 रुपये प्रति क्विंटल रहे, जबकि मध्य प्रदेश के चना के भाव में 25 रुपये का मंदा आकर भाव 4,625 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

आयातित हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी दाल मिलों की खरीद कमजोर होने से बुधवार को चेन्नई और दिल्ली बाजार में बर्मा उड़द की कीमतों में 75 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। हालांकि, बर्मा उड़द एफएक्यू के दाम मिलों की खरीद से चुनिंदा बाजारों में 50 रुपये प्रति क्विंटल तक तेज हुए। दाल मिलों की कमजोर मांग के बीच लातूर और गुंटूर में नई घरेलू उड़द में क्वालिटीनुसार 100-150 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई।

बर्मा में एफएक्यू-एसक्यू उड़द में मिलाजुला रुख रहा। भारत के खरीदार निचले भाव पर खरीद में दिलचस्पी ले रहे थे। कंटेनरों की किल्लत होने के कारण इसके भाड़े में बढ़ोतरी रही। एक स्थानीय कारोबारी के अनुसार, इनडायरेक्टर वैसेल के जरिये भारत (चेन्नई) को 15,000-20,000 टन उड़द की लदान होने की संभावना है। एक डायरेक्टर वैसेल 31 जनवरी के आसपास भारत पहुंचने की संभावना है। इसमें करीब 6,000 टन माल होने की संभावना है।

दाल मिलों की कमजोर मांग से कनाडा की मसूर के भाव मुंबई, कोलकाता, कांडला, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव मुंबई में बुधवार को स्थिर बने रहे। देसी मसूर के भाव मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रमुख बाजारों में मिलों की कमजोर मांग से 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल घट गए। दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश के लाईन की मसूर की कीमतों में 50-150 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में मूंग की कीमतों में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 5,125 से 5,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

25 जनवरी 2021

चना, मूंग, मसूर के साथ ही उड़द में गिरावट, अरहर के ​भाव में मिलाजुला रुख

नई दिल्ली। प्रमुख बाजारों में सोमवार को चना, मूंग और मसूर के साथ ही उड़द की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान अरहर के भाव में मिलाजुला रुख देखा गया।

दिल्ली के लारेंस रोड़ पर राजस्थानी चना के भाव में 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 4,650 से 4,675 रुपये और मध्य प्रदेश लाईन के चना के भाव 4,625 से 4,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मूंग के दाम दिल्ली में मिलों की मांग घटने से 50 रुपये का मंदा आकर भाव 6,500 से 7,550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि इंदौर में इसके भाव 5,500 से 6,700 रुपये और जयपुर में भाव 7,200 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। जयपुर में इसके भाव 100 रुपये का मंदा आया।

अरहर की कीमतें मुंबई में 5,960 रुपये प्रति क्विंटल बोले गई, तथा इन भाव में ग्राहकी कमजोर रही। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से सोमवार को दिल्ली में हरियाणा के साथ ही कर्नाटक की नेफेड की पुरानी खरीद हुई अरहर की कीमतों में सुधार आया। बर्मा की लेमन अरहर नई कीमतें दिल्ली में 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। चेन्नई से जनवरी डिलीवरी अरहर की कीमतें 5950 रुपये प्रति क्विंटल पर टिकी रही।

हरियाणा लाईन की नई अरहर के दाम 50 रुपये बढ़कर 5500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। नेफेड ने 8,623 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को 23 जनवरी, 2021 को कर्नाटक में 5,612 रुपये प्रति क्विंटल की दर से स्वीकृत किया।

आयातित हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी दाल मिलों की मांग कमजोर होने से सोमवार को चेन्नई और मुंबई बाजार में बर्मा उड़द की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। नेफेड ने 23 जनवरी, 2021 को मध्यप्रदेश में खरीफ 2018 की खरीदी हुई उड़द 5,402 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बेची। बर्मा में, स्थानीय और विदेशों से सुस्त व्यापारिक गतिविधि के बीच उड़द एफएक्यू-एसक्यू किस्मों में गिरावट आई। भारतीय आयातक नीचे दाम पर खरीद करने के इच्छुक थे। देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में देसी उड़द की कीमतों में आज मिलाजुला रुख रहा।

मोठ के भाव दिल्ली में 6,000 से 7,200 रुपये और जयपुर में 6,000 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे।

दाल मिलों की कमजोर मांग से कनाडा की मसूर के भाव मुंबई, कांडला, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव कोलकाता में सोमवार को 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल तक घट गए। देसी मसूर के भाव मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रमुख बाजारों में मिलों की कमजोर मांग से 25 से 100 रुपये प्रति क्विंटल घट गए। आयातित मसूर का स्टॉक ज्यादा है जबकि बुआई में बढ़ोतरी हुई तथा मसूर दाल में ग्राहकी कमजोर होने से कीमतों पर दबाव है।

मटर के भाव कानपुर में 6,150 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

23 जनवरी 2021

अरहर, चना, मूंग और मसूर में सुधार, उड़द के दाम स्थिर

 

नई दिल्ली। प्रमुख बाजारों में आज चना, अरहर मूंग और मसूर के भाव में हल्का सुधार आया, जबकि उड़द की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा।,

दिल्ली के लारेंस रोड़ पर राजस्थानी चना के भाव में 25 रुपये का सुधार आकर भाव 4,750 से 4,775 रुपये और मध्य प्रदेश लाईन के चना के भाव में 50 रुपये का सुधार आकर भाव 4,725 से 4,750 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मुंबई में तंजानिया का चना 4,350 रुपये, और जलगांव में मिक्स चना के दाम 4,450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सोलापुर, कानपुर और इंदौर में चना के दाम स्थिर बने रहे।

मूंग के दाम दिल्ली में मिलों की मांग बढ़ने से 6,500 से 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि इंदौर में इसके भाव 5,500 से 6,700 रुपये और जयपुर में भाव 7,100 से 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसमें 100 से 200 रुपये की तेजी आई।

अरहर की कीमतों में सोलापुर में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,500 से 6,300 रुपये और मुंबई में लेमन अरहर के दाम 50 रुपये बढ़कर 5,950 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। चेन्नई में अरहर के दाम 6,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली के नया बाजार में शनिवार को हरियाणा लाईन की अरहर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। बर्मा की लेमन अरहर नई कीमतें दिल्ली में 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। चेन्नई से जनवरी डिलीवरी अरहर की कीमतें 5950 रुपये प्रति क्विंटल पर टिकी रही। इस दौरान, हरियाणा लाईन की नई अरहर के दाम 50 रुपये घटकर 5400 से 5450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

नेफेड ने 12,671 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को 22 जनवरी, 2021 को कर्नाटक में 5,551 से 5,611 रुपये प्रति क्विंटल की दर से स्वीकृत किया। नेफेड ने 1,000 टन खरीफ 2019 अरहर की निविदा को 22 जनवरी, 2021 को महाराष्ट्र में 5,022 से 6,333 रुपये प्रति क्विंटल की दर से स्वीकृत किया।

उड़द एसक्यू के भाव चेन्नई में 8,500 रुपये हाजिर डिलीवरी के रहे, मुंबई में एफएण्क्यू के भाव 7,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार पिछले दो, तीन दिनों इसके इसके दाम तेज थे, लेकिन बढ़े भाव में आज ग्राहकी कमजोर रही।

मोठ के भाव दिल्ली में 5,500 से 7,300 रुपये और जयपुर में 6,100 से 6,350 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे।

मसूर के भाव दिल्ली में बढ़कर 5,300 से 5,325 रुपये, और इंदौर में 5,150 रुपय ेप्रति क्विंटल हो गए। कानपुर में इसके भाव 5,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मटर के भाव कानपुर में 50 रुपये घटकर 6,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि कानपुर लाईन में इसके भाव 5,600 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

22 जनवरी 2021

उड़द, चना और अरहर की कीमतों में तेजी, मसूर में गिरावट

 

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली के नया बाजार में शुक्रवार को अरहर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में मंदा आया। बर्मा की लेमन अरहर नई की की कीमें दिल्ली में 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। चेन्नई से जनवरी डिलीवरी अरहर की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 5950 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान हरियाणा लाईन की नई अरहर के दाम 5450 से 5500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

नेफेड ने 6,557 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को 21 जनवरी, 2021 को कर्नाटक में 4,555 से 5,655 रुपये प्रति क्विंटल की दर से स्वीकृत किया। नेफेड ने 620 टन खरीफ 2019 अरहर की निविदा को 21 जनवरी, 2021 को महाराष्ट्र में 5,515 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल की दर से स्वीकृत किया। इसके अलावा 47 टन खरीफ 2016 की अरहर 5,011 रुपये प्रति क्विंटल, 16 टन खरीफ 2017 की अरहर 4,661 रुपये प्रति क्विंटल, 6 टन खरीफ 2018 की अरहर 4661 रुपये प्रति क्विंटल की दर से स्वीकृत किया।

आयातित हाजिर स्टॉक कम होने एवं दाल मिलों की मांग बढ़ने से शुक्रवार को मुंबई और कोलकाता के बाजारों में बर्मा उड़द एफएक्यू की कीमतों में 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। आंध्र प्रदेश में उड़द की फसल को नुकसान होने की आशंका से इसके भाव में तेजी आई है। खुदरा के साथ ही थोक बाजार में उड़द दाल में ग्राहकी में बढ़ोतरी हुई। आयातित उड़द तेज होने से देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में देसी उड़द की कीमतों में लगातार दूसरे दिन 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई।

दाल मिलों की कमजोर मांग से कोलकाता में शुक्रवार को आस्ट्रेलियां की मसूर में 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। इसी तरह से,  देसरी मसूर के भाव मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रमुख बाजारों में मिलों की कमजोर मांग से 25 से 100 रुपये प्रति क्विंटल घट गए। आयातित मसूर का स्टॉक ज्यादा है जबकि बुआई में बढ़ोतरी हुई तथा मसूर दाल में ग्राहकी कमजोर होने से कीमतों पर दबाव है। चालू रबी में बुवाई में बढ़ रही है, प्रमुख उत्पादक राज्यों में 22 जनवरी तक मसूर की बुआई 2.67 फीसदी बढ़कर 16.53 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 16.13 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। नेफेड ने 21 जनवरी 2021 को मध्य प्रदेश में रबी 2018 में खरीदी हुई मसूर को 4851 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक्री की। दिल्ली में मध्य प्रदेश लाईन की मसूर में आज 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 5300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि कनाडा की मसूर के दाम 5,225 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में चना की कीमतों में आज 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर लारेंस रोड़ पर राजस्थानी चना के भाव 4,725 से 4,750 रुपये और मध्य प्रदेश लाईन के चना के दाम 4,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मूंग की कीमतें दिल्ली में 6,500 से 7,400 रुपये प्रति क्विंटल पर और मोठ की कीमतें 5,500 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रही।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर मार्च डिलीवरी के वायदा अनुबंध में 58 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, जबकि अप्रैल वायदा अनुबंध के भाव में 39 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया।

रबी फसलों की बुआई 675 लाख हेक्टेयर में, पिछले साल से 2.86 फीसदी बढ़ी

नई दिल्ली। चालू रबी में फसलों की बुआई 2.86 फीसदी बढ़कर 675 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 656.25 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है जबकि मोटे अनाजों की बुआई में कमी आई है।

गेहूं के साथ ही चना और मसूर की बुआई बढ़ी

कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में बढ़कर 345.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 334.68 लाख हेक्टेयर से 3.13 फीसदी ज्यादा है। इसी तरह से दालों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 165.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 161.13 लाख हेक्टेयर में ही दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई 110.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 106.52 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मसूर की बुआई 16.53 लाख हेक्टेयर मेंए मटर की 10.64 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 7.90 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 16.10 लाख हेक्टेयर में, 10.93 लाख हेक्टेयर और 7.32 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मूंग की बुआई चालू रबी में 5.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की इस अवधि के 6.17 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है।

सरसों की बुआई बढ़ी, मूंगफली की घटी

तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 83.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 79.36 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 73.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 68.84 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंगफली की बुआई 4.57 लाख हेक्टेयर में और अलसी की 2.90 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक क्रमशः 4.65 और 3.34 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।

ज्वार के साथ ही मक्का और जौ की बुआई कम

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी सीजन में घटकर 50.97 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 55.09 लाख हेक्टेयर में ही चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 26.83 लाख हेक्टयेर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 29.87 लाख हेक्टेयर से कम है। मक्का की बुआई 16.61 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई चालू रबी में 6.84 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 16.96 और 7.68 लाख हेक्टेयर में हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में पिछले साल के 25.99 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 29.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

21 जनवरी 2021

उड़द, चना के साथ ही अरहर की कीमतों में तेजी, मसूर में नरमी

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली के नया बाजार में गुरूवार को अरहर और उड़द की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि मसूर की कीमतों में मंदा आया। बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में दिल्ली में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 6,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि व्यापार कम हुआ। इसी तरह, चेन्नई से जनवरी डिलीवरी अरहर की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान हरियाणा लाईन की नई अरहर के दाम भी 50 रुपये बढ़कर 5450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।


बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में आज दिल्ली में 150 से 200 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 7750 रुपये और 8700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। चेन्नई और मुंबई में भाव में आए सुधार और हाजिर स्टॉक कम होने से कीमतों में बढ़ोतरी हुई। इसी प्रकार, राजस्थान में कोटा लाईन की उड़द के साथ, साथ मध्य प्रदेश लाईन की पुरानी नेफेड द्वारा खरीदी गई उड़द के भाव 100 रुपये बढ़कर 7,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द भी 100 रुपये बढ़कर 7,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

आयातित हाजिर स्टॉक कम होने एवं दाल मिलों की मांग बढ़ने से गुरूवार को चेन्नई, मुंबई, कोलकाता और दिल्ली के बाजारों में बर्मा उड़द की कीमतों में 50 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। खुदरा के साथ ही थोक बाजार में उड़द दाल में ग्राहकी में बढ़ोतरी हुई। उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में बर्मा में बढ़ोतरी दर्ज की गई, क्योंकि वहां बिकवाली कमजोर थी, जबकि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के खरीदार स्थानीय बाजार से उड़द खरीदने के इच्छुक थे। इस बीच, कंटेनरों की कमी के कारण भाड़ा भी ज्यादा है। इसी तरह से, आयातित उड़द तेज होने के कारण देश के प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में देसी उड़द की कीमतों में 100 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई।


दिल्ली में, कनाडा और मध्य प्रदेश लाईन की मसूर में आज 25 से 50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 5225 रुपये और 5350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। आयातित मसूर का स्टॉक ज्यादा है, साथ ही चालू रबी में बुआई में बढ़ोतरी हुई है जिससे कीमतों पर दबाव है। दाल मिलों की कमजोर मांग से कनाडा की क्रिमसन मसूर मुंबई, कोलकाता, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह के साथ ही ऑस्ट्रेलिया मसूर के भाव मुंबई और कोलकाता में गुरूवार को स्थिर बने रहे। नेफेड ने 20 जनवरी 2021 को मध्य प्रदेश में रबी 2018 में खरीदी हुई मसूर को 4821 से 4876 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक्री की दूसरी ओर,  देसरी मसूर के भाव मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रमुख बाजारों में मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल सुधरे।

दिल्ली में गुरूवार को चना की कीमतों में 75 रुपये की तेजी आकर राजस्थानी चना के भाव 4,675 से 4,700 रुपये और मध्य प्रदेश लाईन के चना के दाम 4,650 से 4,675 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर मार्च डिलीवरी के वायदा अनुबंध में 70 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, जबकि अप्रैल वायदा अनुबंध के भाव में 56 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया।

मोठ के भाव में दिल्ली में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,500 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर आंध्रप्रदेश से खरीफ सीजन 2020-21 के लिए अरहर की खरीद को मंजूरी दे दी है। अरहर की खरीद नेफेड के माध्यम से की जायेगी तथा किसानों को राज्य सरकार की एजेंसी के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

20 जनवरी 2021

अनुकूल मौसम से 100 लाख टन सरसों के उत्पादन का अनुमान-अतुल चतुर्वेदी

नई दिल्ली। चालू रबी में बुआई में हुई बढ़ोतरी के साथ ही अभी तक रहे अनुकूल मौसम से सरसों का उत्पादन बढ़कर 100 लाख टन होने का अनुमान है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन (एसईए)  के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी के अनुसार बुआई के समय सरसों के साथ ही सरसों तेल के दाम उंचे होने के कारण किसानों ने बुआई ज्यादा की।

उन्होंने कहा कि चालू रबी सीजन में सरसों की बुआई 73.25 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की तुलना में 4.61 लाख हेक्टेयर ज्यादा है जबकि पांच साल के औसतन बुआई आंकड़े 59.44 लाख हेक्टेयर से 13.8 लाख हेक्टयेर अधिक है।

उन्होंने बताया कि अभी तक सरसों के उत्पादक राज्यों में मौसम फसल के लगभग अनुकूल रहा है तथा चार से छह सप्ताह में सरसों की नई फसल की आवक शुरू हो जायेगी। आगे भी मौसम अनुकूल रहा तो उत्पादन 100 लाख टन के स्तर को छू सकता है जोकि घरेलू बाजार के लिए अच्छा संकेत है क्योंकि खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ेगी।

भारतीय आयातकों की खरीद से बर्मा में उड़द एफएक्यू और एसक्यू तेज, अरहर और मसूर की कीमतों में गिरावट

नई दिल्ली। भारतीय आयातकों की मांग से बुधवार को बर्मा के दाल बाजार में उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।


भारतीय खरीददारों ने करीब 60 से 70 कंटेनर एफएक्यू और एसक्यू उड़द के आयात सौदे क्रमशः 760 डॉलर और 900 डॉलर प्रति टन एफओबी के आधार पर चेन्नई के लिए किए। कंटनेरों की कमी के कारण भाड़े में बढ़ोतरी हुई है।

बर्मा के स्थानीय बाजार में नई अरहर और उड़द की फसल की आवक देखी गई। स्थानीय व्यापारी के अनुसार, उड़द की 20,000 से 25,000 टन के आसपास की शिपमेंट अप्रत्यक्ष पोत के जरिए जनवरी महीने में भारत में चेन्नई पहुंचने की संभावना है। यह माल सीधा भारत नहीं आ रहा है।

डीजीएफटी ने मार्च 2021 तक चालू वित्त वर्ष के लिए उड़द का आयात कोटा आवंटित किया हुआ है। अधिसूचना के अनुसार प्रत्येक आयातक को लगभग 97 टन आयात करने की अनुमति दी हुई है। सरकार ने 2.5 लाख टन उड़द के आयात के लिए म्यांमार के साथ पांच साल का एमओयू किया हुआ है। डीजीएफटी ने मार्च 2021 तक 1.5 लाख टन मूंग के लिए कोटा मिलों को आवंटित किया हुआ है।

आयातित हाजिर स्टॉक कम होने एवं दाल मिलों की मांग से बुधवार को चेन्नई, मुंबई और दिल्ली के बाजारों में बर्मा उड़द की कीमतों में 25 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। आयातित उड़द तेज होने के कारण उत्पादक राज्यों की प्रमुख मंडियों में देसी उड़द की कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। इसी बीच, उड़द की नई फसल की आवक आंध्रप्रदेश के कुरनूल और ओंगोले प्रकाशम जिलों में हो रही है। कृष्णूर जिले में नई उड़द की आवक फरवरी 2021 से शुरू होगी।

स्थानीय मिलों की हाजिर मांग सीमित होने से दिल्ली के नया बाजार में बुधवार को अरहर और मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि उड़द के भाव में सुधार आया। बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों दिल्ली में 6,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। दूसरी ओर, चेन्नई से जनवरी डिलीवरी के लिए अरहर की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, हालांकि, नीचे दाम पर खरीददार सक्रिय थे। हरियाणा लाईन की नई अरहर के दाम भी 5.0 रुपये घटकर 5,350 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अन्य बाजारों में कीमतों में आई नरमी का असर इसकी कीमतों पर देखा गया।  इस बीच, 19 जनवरी, 2021 को कर्नाटक में नेफेड ने 2180 टन खरीफ 2019 में खरीदी हुई अरहर की निविदा को कर्नाटक में 5705 से 5735 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर मंजूरी दी।

बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में आज दिल्ली में 50 से 100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 7550 से 7600 रुपये और 8550 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। चेन्नई और मुंबई में भाव में आए सुधार और हाजिर स्टॉक कम होने से कीमतों में बढ़ोतरी हुई।

कनाडा और मध्य प्रदेश लाईन की मसूर में आज 50 से 100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 5200 रुपये और 5400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
कोलकाता में मसूर का हाजिर स्टॉक लगभग 1.5 लाख टन और ऑस्ट्रेलियाई का 20,000 टन है जबकि मासिक खपत लगभग 30,000 टन की है। दूसरे और देसी मसूर का हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी दाल मिलों की कमजोर मांग से प्रमुख बाजारों में क्वालिटीनुसार मिलाजुला रुख रहा। आयातित मसूर का स्टॉक ज्यादा है, साथ ही चालू रबी में बुआई में बढ़ोतरी हुई है जिससे कीमतों पर दबाव है।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर जनवरी डिलीवरी के वायदा अनुबंध में 19 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध के भाव में 51 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया।

19 जनवरी 2021

डीओसी का निर्यात दिसंबर में दोगुना हुआ, बंग्लादेश की आयात मांग बढ़ी

नई दिल्ली। बंग्लादेश के साथ ही वियतनाम और यूएसए की मांग बढ़ने से दिसंबर में डीओसी का निर्यात बढ़कर 512,997 टन का हुआ है जोकि पिछले साल दिसंबर महीने के 220,404 टन से 133 फीसदी ज्यादा है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार दिसंबर में सोया डीओसी के साथ ही सरसों डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान डीओसी के निर्यात में 26 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 2,461,696 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 1,955,276 टन का ही हुआ था। बंग्लादेश ने चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में 340,771 टन डीओसी का आयात किया, जोकि पिछले वित्त वर्ष के 34,552 टन से ज्यादा है।

एसईए के अनुसार दिसंबर में सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 251,221 टन का हुआ है जबकि नवंबर में इसका निर्यात 198,776 टन का ही हुआ था। सरसों डीओसी का निर्यात नवंबर के 45,050 टन से बढ़कर दिसंबर में 141,866 टन का हुआ है। सोया डीओसी की कीमतें भारतीय बंदरगाह पर दिसंबर में औसतन 492 डॉलर प्रति टन रही, जोकि नवंबर के 495 डॉलर प्रति टन से कम थी। हालांकि इस दौरान सरसों डीओसी के भाव नवंबर के 294 डॉलर से बढ़कर दिसंबर में 295 डॉलर प्रति टन हो गए।

18 जनवरी 2021

चीनी का उत्पादन 142 लाख टन के पार, पिछले साल से 31 फीसदी ज्यादा

नई दिल्ली। चीनी मिलों में जल्द पेराई शुरू होने से चालू पेराई सीजन 2020-21 के पहले साढ़े तीन महीनों पहली अक्टूबर से 15 जनवरी 2021 तक चीनी का उत्पादन 31.98 फीसदी बढ़कर 142.70 लाख टन को हो चुका है जबकि पिछले सीजन में इस दौरान केवल 108.94 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में 487 चीनी मिलों में पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इस समय 440 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही थी।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 15 जनवरी 2021 तक 51.55 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 25.51 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में चालू पेराई सीजन में 181 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक केवल 139 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी।

उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 120 चीनी मिलों में पेराई चल रही है तथा 15 जनवरी 2021 तक राज्य में 42.99 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 43.78 लाख टन से थोड़ा कम है, पिछले पेराई सीजन में राज्य में 119 मिलों में पेराई चल रही थी।

कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 15 जनवरी तक 29.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 21.90 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।

गुजरात में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 4.40 लाख टन और  तमिलनाडु में 1.15 लाख टन का उत्पादन हुआ है। अन्य राज्यों, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना, बिहार, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड तथा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को मिलाकर चालू पेराई सीजन में 15 जनवरी 2021 तक 12.81 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।

इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन के पहले तीन महीनों अक्टूबर से दिसंबर अंत तक 3 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ है। केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन में 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए मिलों को 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने का निर्णय किया है, इससे आगे निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है। इस्मा के अनुसार इस समय इंडोनेशिया के साथ ही मलेशिया की चीनी में आयात मांग बनी हुई है तथा खाड़ी देशों के साथ ही श्रीलंका और बंगलादेश के अलावा पूर्वी अफ्रीकी देशों को अच्छे निर्यात की संभावना है।

जीरा में निर्यात मांग कमजोर, आगे हल्का सुधार संभव बड़ी तेजी नहीं

नई दिल्ली। सोमवार को उंझा और राजकोट में जीरा के दाम स्थिर बने रहे, जबकि वायदा में मिलाजुला रुख देखा गया।

जीरा में स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर है क्योंकि अगले महीने नई फसल की आवक बनेगी, तथा नई फसल का उत्पादन अनुमान ज्यादा है। इसलिए नई फसल की आवक बनने से पहले स्टॉकिस्ट मौजूदा कीमतों में 200 से 400 रुपये प्रति​ क्विंटल की तेजी तो कर सकते हैं, लेकिन बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज पर सोमवार को जनवरी वायदा करीब 95 रुपये कम होकर 12,895 रुपये के करीब बंद हुआ, जबकि मार्च वायदा 30 रुपये बढ़कर 13,195 रुपये पर बंद हुआ।  

 ऊंझा मंडी ने सोमवार को 5,500 बोरियों की आवक, जोकि शनिवार के 4,500 बोरियों से ज्यादा। सीमित मांग से मंडी में जीरा की कीमतें लगभग स्थिर बनी रही। एनसीडीईएक्स क्वालिटी जीरा का भाव 2,100-2,170 रुपये प्रति 20 किलो रहा, जबकि मीडियम क्वालिटी का भाव 2,220-2,320 प्रति 20 किलो तथा अच्छी गुणवत्ता के जीरा का भाव 2,420-2,470 रुपये प्रति 20 किलो रहा।

गुजरात के राज्य कृषि विभाग द्वारा दूसरे अग्रिम अनुमान में जीरा का उत्पादन 0.5 फीसदी बढ़कर फसल सीजन 2020-21 में 3,73,700 टन होने का अनुमान जारी किया है।

दिल्ली में उड़द और मध्य प्रदेश की मसूर तेज, विदेशी में तेजी से मसूर के आयात पड़ते नहीं

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से सोमवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की उड़द के साथ ही मध्य प्रदेश की मसूर में हल्का सुधार आया, जबकि ग्राहकी कमजोर होने से कनाडा की मसूर में नरमी दर्ज की गई।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने एवं स्टॉक कम होने के कारण बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 25-25 रुपये की तेजी आकर दिल्ली में भाव क्रमश: 7,525 रुपये और 8,450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

आयातित हाजिर स्टॉक कम होने के साथ दाल मिलों की मांग में आए सुधार से चेन्नई, मुुंबई और दिल्ली के बाजार में बर्मा उड़द की कीमतों में सोमवार को 25 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। हालांकि उड़द दाल में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी कमजोर ही बनी हुई है।  

उड़द एफएक्यू-एसक्यू की किस्में बर्मा में भी तेज हो गई हैं। भारत, पाकिस्तान के साथ ही बांग्लादेश के खरीदार बर्मा के स्थानीय बाजार में उड़द की खरीद करने के इच्छुक थे लेकिन कंटेनर का भाड़ा ज्यादा होने के कारण कोई व्यापार नहीं हुआ।

नेफेड ने 16 जनवरी, 2021 को मध्य प्रदेश में खरीफ 2018 की खरीद हुई उड़द 5,306 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बेची।

मध्यप्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में आज दिल्ली में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 5,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दूसरी तरफ कनाडा की मसूर की कीमतों में 25 रुपये का मंदा आकर भाव 5,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की सीमित मांग से कनाडा की क्रिमसन मसूर के दाम मुंबई, कोलकाता, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह पर तथा ऑस्ट्रेलियाई मसूर के भाव मुंबई और कोलकाता में सोमवार को स्थिर बने रहे। आयातित मसूर का स्टॉक ज्यादा है जबकि बुआई में बढ़ोतरी से हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

विदेश में कीमतें ज्यादा होने के कारण मसूर के आयात पड़ते नहीं लग रहे है। कनाडा के क्रिमसन और ऑस्ट्रेलिया मसूर की कीमतें कंटेनर में 600 से 620 डॉलर प्रति टन बोली जा रही है। इस बीच, कोलकाता में आज रिलेसर सक्रिय थे। कनाडा की मसूर का हाजिर स्टॉक लगभग 1.5 लाख टन और ऑस्ट्रेलियाई का 20,000 टन है जबकि मासिक खपत लगभग 30,000 टन की है।

दूसरे और देसी मसूर का हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी दाल मिलों की कमजोर मांग से प्रमुख बाजारों में क्वालिटीनुसार मिलाजुला रुख रहा।

दिल्ली में मध्यप्रदेश की मसूर में मिलों की मांग सुधरने से कीमतों में आज 25 रुपये की तेजी आकर भाव 5,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, दूसरे और कनाडा की मसूर में 25 रुपये का मंदा आकर भाव 5,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

नेफेड ने 16 जनवरी, 2021 को मध्य प्रदेश में 4,874-4,907 रुपये प्रति क्विंटल की दर से रबी 2018 की खरीदी हुई मसूर की बिक्री की है।

आयातित स्टॉक की उपलब्धता ज्यादा होने के साथ ही, चालू रबी में बुवाई क्षेत्र में हुई बढ़ोतरी से कीमतों पर दबाव है।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी डिलीवरी के वायदा अनुबंध में 35 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध के भाव में 10 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया।

16 जनवरी 2021

उड़द और अरहर की कीमतों में सुधार, मूंग और चना के दाम स्थिर

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से शनिवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर और उड़द की कीमतों में तेजी आई, जबकि बढ़े भाव में ग्राहकी कमजोर होने से मध्य प्रदेश की मसूर में नरमी दर्ज की गई।
अन्य बाजारों में दाम बढ़ने के साथ ही स्थानीय दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में बर्मा लाइन की नई अरहर की कीमतों में लगातार तीसरे दिन 75 रुपये की तेजी आकर भाव 6,050 से 6,075 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह, चेन्नई से जनवरी डिलीवरी के लिए अरहर की कीमतों में आज 100 रुपये की तेजी आकर भाव 5,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हरियाणा लाईन की नई अरहर की कीमतों में 125 रुपये की तेजी आकर भाव 5,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने एवं स्टॉक कम होने के कारण बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की किस्मों में 50 से 100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,500 रुपये और 8,400 से 8,425 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी प्रकार, राजस्थान (कोटा) में मध्यप्रदेश लाईन की पुरानी उड़द के साथ-साथ नए उड़द की कीमतों में आज 100—100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।

मध्यप्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में आज दिल्ली में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,475 से 5,500 रुपये रह गए। आयातित स्टॉक की उपलब्धता ज्यादा होने के साथ ही, चालू रबी में बुवाई क्षेत्र में हुई बढ़ोतरी से कीमतों पर दबाव है।

कानपुर मंडी में चना के दाल आज चना के दाम 4,650 रुपये, मसूर के 5,400 रुपये प्रति क्विंटल रहे। मटर के भाव 50 रुपये घटकर 6,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में राजस्थान के चना के भाव 4,625 रुपये और मध्य प्रदेश के 4,600 रुपये प्रति क्विंटल रहे। इंदौर में चना के बिल्टी भाव 4,475 से 4,500 रुपये और जलगांव में चापा के भाव 4,600 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

मूंग के भाव आज दिल्ली में 6,500 से 7,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे। इंदौर में एवरेज क्वालिटी के भाव 6,000 से 7,400 रुपये और बेस्ट क्वालिटी के भाव 8,000 से 8,300 रुपये प्रति क्विंटल रहे। हरदा मंडी में मूंग 5,200 से 8,180 रुपये और जयपुर में 7,200 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल रही।

15 जनवरी 2021

रबी फसलों की बुआई 651 हेक्टेयर के पार, गेहूं एवं दलहन के साथ तिलहन की बढ़ी

नई दिल्ली। चालू रबी में फसलों की बुआई 1.56 फीसदी बढ़कर 651.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 641.90 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है जबकि मोटे अनाजों की बुआई में कमी आई है।

गेहूं के साथ ही चना और मसूर की बुआई बढ़ी

कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में बढ़कर 337.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 330.60 लाख हेक्टेयर से आगे है। इसी तरह से दालों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 162.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 158.79 लाख हेक्टेयर में ही दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई 109.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 105.46 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मसूर की बुआई 16.43 लाख हेक्टेयर में, मटर की 10.60 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 7.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 16.03 लाख हेक्टेयर में, 10.86 लाख हेक्टेयर और 7.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंग की बुआई चालू रबी में 5.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की इस अवधि के 5.46 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है।

सरसों की बुआई बढ़ी, मूंगफली की घटी

तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 82.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 78.96 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 73.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 68.64 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंगफली की बुआई 4.31 लाख हेक्टेयर में और अलसी की 2.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक क्रमशः 4.54 और 3.32 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।

ज्वार के साथ ही मक्का और जौ की बुआई कम

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी सीजन में घटकर 49.11 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 53.51 लाख हेक्टेयर में ही चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 26.47 लाख हेक्टयेर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 29.40 लाख हेक्टेयर से कम है। मक्का की बुआई 15.13 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई चालू रबी में 6.83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 15.90 और 7.63 लाख हेक्टेयर में हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में पिछले साल के 20.04 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 21.04 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

उड़द, अरहर और मसूर की कीमतों में दिल्ली में तेजी का रुख

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर और उड़द के साथ ही कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में तेजी आई।

अन्य बाजारों में दाम बढ़ने के साथ ही स्थानीय दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में बर्मा लाइन की नई अरहर की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,975 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

इसी तरह, चेन्नई से जनवरी डिलीवरी के लिए अरहर की कीमतों में आज 100 रुपये की तेजी आकर भाव 5,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

हरियाणा लाईन की नई अरहर की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,250 से 5,275 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

बर्मा में लेमन अरहर नई का भाव 690 डॉलर और पुरानी का भाव 640 डॉलर प्रति टन रहा।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने एवं स्टॉक कम होने के कारण बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की किस्मों में 25 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,400 रुपये और 8,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

बर्मा में उड़द एसक्यू का भाव 910 डॉलर प्रति टन हो गया, इसमें 10 डॉलर प्रति टन की तेजी आई। एफएक्यू उड़द का भाव 800 डॉलर प्रति टन पर स्थिर बना रहा।

नीचे दाम पर मांग बढ़ने से मध्य प्रदेश और कनाडा लाईन की मसूर की कीमतों में 50 से 75 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश 5,500 रुपये और 5,325 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

आयातित स्टॉक की उपलब्धता ज्यादा होने के साथ ही, चालू रबी में बुवाई क्षेत्र में हुई बढ़ोतरी से कीमतों पर दबाव है।

दिल्ली में राजस्थान लाइन के चना के दाम 4,625 रुपये और एमपी लाईन के चना के भाव 4,600 रुपये प्रति क्विंटल रहे। इंदौर में चना के भाव 4,475 से 4,500 रुपये, मुंबई में तंजानियां के चना का भाव 4,300 रुपये और जलगांव में चापा का भाव 4,600 रुपये प्रति क्विंटल रहा।

मूंग के भाव दिल्ली में 6,500 से 7,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी डिलीवरी के वायदा अनुबंध में 1 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध के भाव में 3 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया।

तेल मिलों की मांग घटने से सरसों में गिरावट का रुख जारी, उत्पादन अनुमान ज्यादा

नई दिल्ली। राजस्थान के साथ ही अन्य उत्पादक राज्यों की मंडियों में आज सरसों की कीमतों में गिरावट का सिलसिला न केवल जारी रहा बल्कि तेज भी हुआ। आज एक दिन में सरसों की कीमतों में 250 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई, जबकि पिछले दो कारोबारी सत्रों में 450 रुपये प्रति​ क्विंटल का मंदा आ चुका है। उत्पादन अनुमान ज्यादा होने से कीमतों में मंदा बना हुआ है। सरसों तेल और खल की कीमतों में भी गिरावट दर्ज की गई। साथ ही वायदा कारोबार में कीमतों में मंदा आया। देश भर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक 60,000 बोरियों से बढ़कर 75,000 बोरी हो गई।

अगले महीने नई फसल की आवक शुरू हो जायेगी, इसलिए स्टॉकिस्टों की बिकवाली सरसों में पहले की तुलना में बढ़ गई है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य उत्पादक राज्यों में हाल ही में हुई बारिश से सरसों के उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी की संभावना है। अत: उत्पादन अनुमान ज्यादा होने के कारण तेल मिलें भी सीमित मात्रा में ही खरीददारी कर रही हैं, जिससे गिरावट ​को बल मिला।

जयपुर में 42 फीसदी कंडीशन की सरसों में आज करोबार 6150-6155 रुपये प्रति क्विंटल इसमें जीएसटी अलग की दर से हुआ जबकि इससे पहले कारोबारी दिवस में भाव 6400-6405 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापार हुआ था। सरसों तेल की कीमतें भी घटकर जयपुर में 1231-1232 रुपये प्रति 10 किलो रह गई जबकि आसपास के क्षेत्रों में भाव 1221-1222 रुपये प्रति 10 किलोग्राम पर हुआ। इससे पहले कारोबारी दिवस में जयपुर में सरसों तेल में व्यापार 1260-1261 और आसपास के क्षेत्रों में 1250-1251 रुपये प्रति 10 किलोग्राम पर व्यापार हुआ था। सरसों खल के दाम घटकर आज 2525-2530 रुपये प्रति क्विंटल रह गए जबकि इसके पहले कारोबारी दिवस में इसमें 2575-2580 रुपये प्रति क्विंटल की पर व्यापार हुआ था।

देश भर की मंडियों में सरसों की कुल आवक 75,000 क्विंटल की हुई। राज्य के हिसाब से राजस्थान में 40,000, एमपी में 5,000, यूपी में 10,000, हिमाचल प्रदेश मेें 5,000, गुजरात में 5000 और अन्य राज्य में 10,000 बोरी की आवक हुई।

एनसीडीईएक्स पर सरसों के अनुबंधों में भी आज गिरावट आई। सरसों के भाव जनवरी वायदा में85 रुपये घटकर 5997 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से फरवरी अनुबंध में 58 रुपये की गिरावट आकर भाव 5543 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अप्रैल अनुबंध में भी 33 रुपये का मंदा आकर भाव 5095 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

14 जनवरी 2021

खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात दिसंबर में 20 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। दिसंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 20 फीसदी बढ़कर 1,356,585 टन का हो गया, जबकि पिछले साल दिसंबर में इनका आयात 1,128,281 टन का ही हुआ था।

सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2020-21 के पहले दो महीनों नवंबर एवं दिसंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 9 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 2,459,484 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में 2,255,501 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष के नवंबर, दिसंबर में खाद्य तेलों के कुल आयात में क्रुड तेल की हिस्सेदारी 99.5 फीसदी है जोकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि 90 फीसदी से ज्यादा है। चालू तेल वर्ष के पहले दो महीनों में खाद्य तेलों के आयात में क्रुड तेल का आयात 2,398,590 टन का और रिफाइंड तेलों का आयात 12,900 टन का हुआ है।

नवंबर के मुकाबले दिसंबर में खाद्य तेलों की कीमतों में भी तेजी आई है। दिसंबर में आरबीडी पोमालीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 968 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि नवंबर में इसका औसत भाव 896 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पाम तेल का भाव नवंबर के 873 डॉलर से बढ़कर दिसंबर में 974 डॉलर प्रति टन हो गया। क्रुड सोया तेल का भाव नवंबर के 991 डॉलर से बढ़कर 1,081 डॉलर प्रति टन हो गया।

13 जनवरी 2021

दिल्ली और चेन्नई में उड़द की कीमतों में तेजी, मसूर में नरमी

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की उड़द की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।

बर्मा उड़द एफएक्यू और एफक्यू की कीमतों में आज दिल्ली में 25-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,350 रुपये और 8,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, चेन्नई में आए सुधार से इसके भाव बढ़े हैं, जबकि आयातित उड़द का हाजिर स्टॉक कम होने के कारण मिलों को एफएक्यू का माल नहीं मिल रहा है।

आयातित हाजिर स्टॉक कम होने के साथ दाल मिलों की मांग में आए सुधार से चेन्नई और दिल्लीके बाजार में बर्मा उड़द की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। दूसरी ओर, बर्मा उड़द एफएक्यू में दाल मिलों की सीमित खरीद होने से कोलकाता में 50 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया। मिलों की मांग कमजोर होने के कारण राजस्थान की प्रमुख मंडियों में नई देसी उड़द की कीमतों में क्वालिटीनुसार 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। नेफेड ने खरीफ 2018 की खरीद हुई उड़द मध्य प्रदेश में 5,301 प्रति क्विंटल की दर 12 जनवरी, 2021 को बेची।

मुंबई, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह पर कनाडा की क्रिमसन मसूर के साथ ही मुंबई के बाजारों में ऑस्ट्रेलिया मसूर की कीमतों में बुधवार को 25 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। दूसरी ओर, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रमुख बाजारों में दाल मिलों की सीमित मांग के कारण देसी मसूर के दाम लगभग स्थिर बने रहे।

दिल्ली में राजस्थान के चना की कीमतों मेंं 50 रुपये का मंदा आकर भाव 4,600 से 4,625 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मध्य प्रदेश के चना के दाम घटकर 4,575 से 4,600 रुपये प्रति क्विंटल रह।

मूंग के दाम दिल्ली में 6,500 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल पर​ स्थिर बने रहे।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी डिलीवरी के वायदा अनुबंध में 35 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में भाव में 45 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया।

कपास की कीमतों में आगे और तेजी की उम्मीद, निर्यात में होगी बढ़ोतरी

नई दिल्ली। विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में चल रही तेजी से घरेलू बाजार से अक्टूबर 2020 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में 60 से 65 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास का निर्यात होने का अनुमान है। उधर उत्तर भारत के राज्यों में अब कपास की फसल 24 से 25 फीसीद ही बची हुई जोकि मजबूत हाथों में है इसलिए बिकवाली का दबाव अब मंडियों में बनने की उम्मीद नहीं है।

अहमदाबाद के कॉटन कारोबारी रामलाल भाटिया के अनुसार अमेरिका में कपास के उत्पादन अनुमान में और कमी आने की आशंका है, जबकि निर्यात लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में वहां बकाया स्टॉक कम बचेगा। इसी के असर से आईसीई कॉटन मार्च वायदा मंगलवार को 1.58 फीसदी बढ़कर 81.70 सेंट पर पहुंच गया। उन्होंने बताया कि मौजूदा तेजी को देखते हुए घरेलू बाजार से चालू सीजन में कॉटन का निर्यात बढ़कर 60 से 65 लाख गांठ होने का अनुमान है जोकि कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया, एसईए के आरंभिक अनुमान 54 लाख गांठ से ज्यादा है। पिछले साल देश से 50 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। चालू सीजन में अभी तक करीब 22 लाख गांठ के निर्यात सौदे हो चुके हैं।

उन्होंने बताया कि चालू फसल सीजन में अभी तक करीब 210 से 215 लाख गांठ कपास की आवक मंडियों में हो चुकी है तथा सीसीआई ने 11 जनवरी 2021 तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 83,41,536 गांठ कॉटन की खरीद की है ​बाकि खरीद यार्न मिलों, एमएनसी कपंनियों और स्टॉकिस्टों ने की है। सीसीआई खरीद के साथ ही पुरानी और नई कॉटन की बिक्री भी कर रही है तथा उत्पादक मंडियों में कपास के दाम सीसीआई के खरीद भाव से ज्यादा हो गए हैं, जिस कारण सीसीआई की खरीद में पिछले चार, पांच दिनों से कमी आई है, तथा अब ज्यादा खरीद यार्न मिलें या फिर एमएनसी कंपनियां ही कर रही हैं।

नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी के कारण घरेलू बाजार में भाव बढ़ रहे हैं, जिस कारण किसानों की बिकवाली पहले की तुलना में कम हो गई है। किसानों को उम्मीद है ​कीमतों में आगे और तेजी आयेगी, इसलिए बिकवाली कम रहे हैं। अगर एक फीसदी भाव नीचे भी आते हैं तो फिर सीसीआई के खरीद केंद्रों पर बिक्री कर देंगे। उन्होेंने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों में अब किसानों के पास वैसे भी 25 फीसदी की करीब फसल बची हुई है, जोकि मजबूत हाथों में है।

​व्यापारियों के अनुसार कॉटन की कीमतों में तेजी आई से यार्न के निर्यात पड़ते पहले की तुलना में कम हो गए हैं, लेकिन कॉटन में नि​र्यात पैरिटी अच्छी बनी हुई हैं तथा मिलों अपनी 90 से 95 फीसदी उत्पादन क्षमता का उपयोग भी कर रही है। पिछले तीन महीनों में यार्न मिलों ने अच्छी खरीद की है जिस कारण मिलों के पास अगले दो से तीन महीने की खपत का स्टॉक है लेकिन विश्व बाजार में आगे दाम और तेज होने की संभावना है इसलिए मिलों की खरीद बराबर बनी रहने से मौजूदा कीमतों में 1,000 से 1,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की और तेजी बनने की उम्मीद है।

12 जनवरी 2021

मिलों कमजोर मांग से धान के भाव रुके, आगे सुधार का अनुमान

नई दिल्ली। चावल मिलों की सीमित मांग से मंगलवार को धान के दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार पंजाब के साथ ही हरियाणा और दिल्ली की नरेला मंडी में सोमवार को धान के भाव में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया था लेकिन बढ़े भाव में ग्राहकी कमजोर रही।

दिल्ली की नरेला मंडी में धान की आवक मंगलवार को 8 से 9 हजार बोरियों की हुई जबकि स्थानीय मिलों की मांग सीमित होने से पूसा 1,121 धान के दाम 2900-3125 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मंडी के धान कारोबारियों ने बताया कि 3050 से 3125 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर एकाध डेरी का व्यापार होता है, बाकि सब नीचे दाम पर ही बिक रही है। उन्होंने बताया शरबती धान में मांग अच्छी है तथा शरबती धान का भाव 1950 से 1,975 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। उन्होंने बताया कि मंडी में धान की आवक कम हो रही है तथा अब आवक बढ़ने की उम्मीद नहीं है, इसलिए आगे इसके भाव में सुधार बन सकता है।

चालू खरीफ विपणन सीजन 202-21 में भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर अभी तक 541.11 लाख टन धान की खरीद कर चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 429.20 लाख टन से 26.07 फीसदी ज्यादा है। अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 202.77 लाख टन, यानि 37.47 फीसदी है।

दिल्ली में अरहर और उड़द में मंदा, काबूली चना, मोठ और राजमा में तेजी, एमपी में मसूर मंदी

नई दिल्ली। स्थानीय मिलों की कमजोर मांग से मंगलवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर और उड़द की कीमतों में गिरावट दर्ज की। जबकि काबुली चना, चीन की राजमा और मोठ की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने तीन कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है, और गतिरोध का हल निकालने के लिए किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत करने के लिए एक समिति का गठन किया है।

बर्मा की नई लेमन अरहर की कीमतों में आज दिल्ली में 75 रुपये का मंदा आकर भाव 5,800-5,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह, चेन्नई से जनवरी डिलीवरी के लिए अरहर की कीमतों में 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,500 रुपये प्रति​ क्विंटल के स्तर पर आ गए। अफ्रीका की अरहर का स्टॉक ज्यादा होने से कीमतों पर दबाव बना हुआ है, जबकि बाजार में नई फसल की आवक बढ़ रही है, तथा सरकार पुरानी अरहर की लगातार बिकवाली कर रही है। 11 जनवरी, 2021 को कर्नाटक में नेफेड ने 5,550-5,563 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 5,070 टन खरीफ 2019 की अरहर की निविदा को मंजूरी दी।

बर्मा उड़द एफएक्यू और एफक्यू की कीमतों में आज दिल्ली में 25-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,300-7,325 रुपये और 8,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, अन्य बाजारों में गिरावट आने के साथ ही दाल में ग्राहकी कमजोर होने से भाव में नरमी आई है, जबकि आयातित उड़द का हाजिर स्टॉक कम है तथा मिलों को एफएक्यू का माल नहीं मिल रहा है।

मुंबई, कोलकाता, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह पर कनाडा की क्रिमसन मसूर के साथ ही मुंबई और कोलकाता के बाजारों में ऑस्ट्रेलिया मसूर के दाम मंगलवार को स्थिर बने रहे। मध्य प्रदेश के प्रमुख बाजारों में खरीद कमजोर होने के कारण देसी मसूर की कीमतों में क्वालिटीनुसार 25-100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई।  

महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और इंदौर लाईन के काबुली चना में स्थानीय मिलों की मांग बढ़ने से 100 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार हाल ही में मध्य प्रदेश और महराष्ट्र खराब मौसम और बारिश होने से फसल को नुकसान होने की आशंका है।

चीन की चित्रा राजमा में स्थानीय खरीद बढ़ने से ​मंगलवार को दिल्ली में 400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई, जबकि मद्रास लाईन की चित्रा सॉर्टेक्स और शर्मिला छोटी किस्म के साथ-साथ पूना लाईन की सॉर्टेक्स किस्म की राजमा की कीमतें स्थिर बनी रही।

मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में राजस्थान की मोठ के भाव में भी तेजी दर्ज की गई।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी डिलीवरी के वायदा अनुबंध में 65 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में भाव में 64 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया।

11 जनवरी 2021

चेन्नई में बर्मा उड़द की कीमतों में मंदा, देसी में मिलाजुला रुख

नई दिल्ली। आयातित हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी दाल मिलों की कमजोर मांग से सोमवार को चेन्नई में बर्मा उड़द की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। साथ ही मांग कमजोर होने से देश के प्रमुख बाजारों में नई घरेलू उड़द की कीमतों में क्वालिटीनुसार मिलाजुला रुख देखा गया।

बर्मा में उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में स्थानीय और निर्यात मांग कमजोर होने से गिरावट आई। बर्मा के स्थानीय व्यापारियों के अनुसार 20 से 25 हजार टन उड़द जनवरी में चेन्नई पहुंचेगी। बर्मा के स्थानीय बाजार में नई उड़द की आवक हो रही है।  

उड़द की नई फसल की आवक आंध्रप्रदेश के कुरनूल और ओंगोले प्रकाशम जिलों में हो रही है। नेल्लोर जिले में जनवरी मध्य के बाद से नई उड़द की आवक शुरू होने की संभावना है। कृष्णूर जिले में नई उड़द की आवक फरवरी 2021 से शुरू होगी।

स्थानीय दाल मिलों की मांग कमजोर होने से सोमवार को दिल्ली में कनाडा के साथ ही मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों गिरावट जारी रही। दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आकर भाव क्रमशः 5225 रुपये और 5425 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मसूर का आयातित स्टॉक ज्यादा होने के साथ बुआई में हुई बढ़ोतरी से कीमतों पर दबाव बना हुआ है।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी डिलीवरी के वायदा अनुबंध में 10 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में भाव में 6 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया।

निजामाबाद में हल्दी किसानों ने 15,000 एमएसपी तय करने की मांग की

नई दिल्ली। निजामाबाद में सैकड़ों हल्दी किसानों ने सरकार ने हल्का का 15,000 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसी तय करने की मांग की।

चालू फसल विपणन सीजन शुरू होने से कुछ हफ्तों पहले हल्दी की कीमतें 5,500-6,000 रुपये प्रति क्विंटल थी, जोकि घटकर अब 4,000-5,000 रुपये प्रति क्विंटल (क्वालिटीनुसार) रह गई हैं, जोकि उत्पादन लागत 7,500 रुपये प्रति क्विंटल से काफी नीचे हैं। इसलिए नाराज, किसानों ने सरकार से 15,000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी की मांग के लिए एक संयुक्त कार्रवाई समिति बनाई है।

हल्दी उगाने के लिए किसान लगभग 1.50 लाख रुपये प्रति एकड़ खर्च करते हैं। औसतन, उन्हें लगभग 20 क्विंटल हल्दी का उत्पादक एक एकड़ से मिलता है। तेलंगाना भारत की कुल 4.20 लाख एकड़ में से एक-चौथाई हल्दी का उत्पादन करता है, जो देश के एक-चौथाई 11 लाख टन से अधिक का उत्पादन करता है।

हल्दी किसानों की संयुक्त कार्रवाई समिति के एक नेता अनवेश रेड्डी ने कहा कि मार्केटिंग सीजन शुरू होते ही कीमतों में गिरावट आ गई तथा हल्दी के भाव घटकर 4,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। ऐसे में सरकार को किसानों की पारिश्रमिक आय सुनिश्चित करने के लिए 15,000 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी में हस्तक्षेप करना चाहिए और जल्दी इसकी घोषणा करनी चाहिए।

विभिन्न राजनीतिक दलों और किसान संगठनों से जुड़े किसानों ने अपनी मांगों को उठाने के लिए साझा मंच का गठन किया है। अक्टूबर में बारिश की मार से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था तथा राज्य के कई हिस्सों में जलभराव के कारण उत्पादकता भी प्रभावित हुई थी।

निजामाबाद में 36,375 एकड़ में इऔर जगतीलाल के पास 32,000 एकड़ में हल्दी का उत्पादन होता है कि जोकि राज्य के कुल हिस्से 1.33 लाख एकड़ का करीब आधार है।

सीमित ने मांग की कि सरकार निज़ामाबाद में एक हल्दी बोर्ड की स्थापना करे ताकि उनके सामने आने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सके और उपज को बढ़ावा दिया जा सके। सरकार पर दबाव बनाने के लिए एक कार्य योजना बनाने के लिए किसानों की समिति 20 जनवरी के बाद एक बैठक बुलाएगी।

बर्ड फ्लू का डर, उत्तर भारत में बिनौला की कीमतों में सुधार, कपास खली में मंदा

नई दिल्ली। हरियाणा के साथ ही राजस्थान में सोमवार को बिनौला की कीमतों में सुधार आया जबकि कपास खली की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। पंजाब की मंडियों में बिनौला के दाम स्थिर बने रहे।  व्यापारियों के अनुसार 9 राज्यों में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने से कपास खली की मांग प्रभावित होने का डर है जिससे कपास खली की कीमतों दबाव बना हुआ है।  

हरियाणा के आदमपुर में सोमवार को बिनौला के एक्स फैक्ट्री भाव 25 रुपये बढ़कर 2900 से 2925 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि इस दौरान कपास खली के भाव में 20 रुपये की गिरावट भाव 2280 से 2340 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। ऐलनाबाद और सिरसा में आज बिनौला के भाव में 30 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 3090 रुपये और 3010 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि कलवानी में इसके भाव 20 रुपये बढ़कर 3000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। कैथल में बिनौला के भाव 2670 रुपये और फतेहाबाद में 2970 रुपये प्रति क्विंटल हो गए तथा इनमें 20 रुपये की तेजी आई। राजस्थान की अलवर में बिनौला के भाव 25 रुपये बढ़कर 2675 रुपये और जोधपुर में 30 रुपये बढ़कर 2880 से 2930 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। पंजाब के भटिंडा और अबोहर में सोमवार को बिनौला के दाम क्रमशः 2975 से 3025 रुपये तथा 2975 से 3025 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।  

हरियाणा के कैथल में सोमवार को कपास खली के भाव में 20 रुपये का मंदा आकर दाम 2500 से 2680 रुपये, उचाना में 20 रुपये घटकर 2480 से 2590 रुपये और नरवाना में 30 रुपये घटकर 2570 से 2580 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। राजस्थान के शादुलशहर में कपास खली के दाम 30 रुपये घटकर 2270 से 2290 रुपये प्रति क्विंटल रह गए जबकि गजसिंहपुर में 2390 से 2440 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

राजस्थान के खैरथल में सोमवार को बिनौला के भाव 25 रुपये बढ़कर 2600 से 2650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। व्यापारियों के अनुसार देश के 9 राज्यों में बर्ड फ्लू फैलने से पोल्ट्री उद्योग की मांग में कमी आने का डर है, जबकि वायदा में दाम घटने का असर भी हाजिर बाजार में कपास खली की कीमतों पर पड़ा है।

08 जनवरी 2021

तमिलनाडु से उड़द के साथ ही मूंग खरीद को मंजूरी, गुजरात से सरसों की

नई दिल्ली।  केंद्र सरकार ने पीएसएस के तहत तमिलनाडु से रबी 2020-21 फसल सीजन के लिए उड़द के साथ ही मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद को मंजूरी दे दी है, इसकी खरीद नेफेड द्वारा की जायेगी तथा किसानों को राज्य सरकार की एजेंसी के पास रजिस्ट्रेशन करना होगा।

केंद्र सरकार ने पीएसएस योजना के तहत गुजरात से रबी सीजन 2020-21 के लिए सरसों की खरीद को मंजूरी दे दी है, सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद नेफेड के माध्यम से की जायेगी तथा किसानों को राज्य सरकार की एजेंसी के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा।

दाल मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में अरहर, उड़द और मसूर में मंदा

नई दिल्ली। स्थानीय दाल मिलों की मांग कमजोर होने से शुक्रवार को दिल्ली में कनाडा के साथ ही मध्य प्रदेश लाईन की मसूरए बर्मा की अरहर और उड़द की कीमतों में दिल्ली के नया बाजार में गिरावट दर्ज की गई।

बर्मा की नई लेमन अरहर के दाम आज दिल्ली में 5900 रुपये प्रति क्विंटल क्विंटल पर स्थिर रहे, तथा ग्राहकी कमजोर थी। चेन्नई से जनवरी डिलीवरी के लिए अरहर के दाम 50 रुपये घटकर 5550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अफ्रीका की अरहर नीचे दाम पर बिक रही है तथा इसका स्टॉक भी ज्यादा है, साथ ही केंद्रीय पूल से नेफेड लगातार अरहर बेच रही है जबकि उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवक लगातार बढ़ने से इसकी कीमतों पर दबाव बना हुआ है। इस बीच, 7 जनवरी, 2021 को कर्नाटक में नैफेड ने 2880 टन अरहर खरीफ 2019 की खरीदी हुई की निविदा को 5562 से 5601 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मंजूरी दी।

बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू में दाल मिलों की मांग कमजोर होने के कारण 75 से 100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7300 रुपये और 8250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। व्यापारियों के आयातित उड़द का हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी कीमतों में गिरावट आई है।

दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में लगातार दूसरे दिन 25 से 75 प्रति क्विंटल का मंदा आकर भाव क्रमशः 5325 रुपये और 5500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मसूर का आयातित स्टॉक ज्यादा होने के साथ बुआई में हुई बढ़ोतरी से कीमतों पर दबाव बना हुआ है।

दाल मिलों की कमजोर मांग से मुंबई और हजीरा बंदरगाह पर पहुंचे वैसल में कनाडा की क्रिमसन मसूर के भाव में शुक्रवार को 25 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रमुख बाजारों में देसी मसूर की कीमतों में 25 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। आयातित मसूर का स्टॉक ज्यादा होने के साथ ही बुआई में हुई बढ़ोतरी के कारण बढ़े भाव पर मिलों की मांग ही बनी हुई है।

नेफेड ने 7 जनवरी, 2021 को मध्य प्रदेश में 5,001 से 5,014 रुपये प्रति क्विंटल की दर से रबी 2018 की खरीदी हुई मसूर की बिक्री की। चालू रबी में मसूर की बुआई 3.22 फीसदी बढ़कर 16.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 15.86 लाख हेक्टेयर में बुआई हो पाई थी।

रबी फसलों की बुआई 644 हेक्टेयर के पार, गेहूं, दलहन और तिलहन की ज्यादा

नई दिल्ली। चालू रबी में फसलों की बुआई 2.61 फीसदी बढ़कर 644.05 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 627.66 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है जबकि मोटे अनाजों की बुआई में कमी आई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में बढ़कर 335.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 326.75 लाख हेक्टेयर से आगे है। इसी तरह से दालों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 159.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 152.67 लाख हेक्टेयर में ही दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई 108.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 103.79 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मसूर की बुआई 16.37 लाख हेक्टेयर में, मटर की 10.51 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 7.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 15.86 लाख हेक्टेयर में, 10.69 लाख हेक्टेयर और 6.30 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंग की बुआई चालू रबी में 4.35 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की इस अवधि के 2.75 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है।
सरसों की बुआई बढ़ी, मूंगफली की घटी
तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 81.80 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 77.79 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 72.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 68.15 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंगफली की बुआई 4.01 लाख हेक्टेयर में और अलसी की 2.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक क्रमशः 4.12 और 3.21 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।
ज्वार के साथ ही मक्का और जौ की बुआई कम
मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी सीजन में घटकर 48.45 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 52.18 लाख हेक्टेयर में ही चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 26.23 लाख हेक्टयेर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 28.83 लाख हेक्टेयर से कम है। मक्का की बुआई 14.75 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई चालू रबी में 6.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 15.21 और 7.60 लाख हेक्टेयर में हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में पिछले साल के 18.26 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 18.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

07 जनवरी 2021

गेहूं की कीमतों में तेजी जारी, स्टॉकिस्टों की कमजोर बिकवाली और बढ़ेंगे दाम

नई दिल्ली। राजस्थान को छोड़ अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में गुरूवार को भी गेहूं की कीमतों में तेजी जारी रही। दिल्ली में गेहूं के दाम बढ़कर 1915 से 1920 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गए। हैदराबाद में राजस्थान लाइन के गेहूं के दाम 2140 से 2150 रुपये, यूपी लाईन के 2100 3पये और पंजाब लाइन के 2060 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, तथा इनमें 10 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई।

दिल्ली के लारेंस रोड़ पर मिल क्वालिटी गेहूं के दाम में 20 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव 1915 से 1920 रुपये प्रति क्विंटल हो गए जबकि दैनिक आवक 7,000 बोरियों की हुई। उत्तर भारत के राज्यों में आज बारिश तो नहीं हुई, लेकिन मौसम अभी भी खराब बना हुआ है। बंगलोर में मिल क्वालिटी गेहूं के दाम आज 2155 से 2255 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, जबकि विशाखापटनम में 2150 रुपये प्रति बोले गए।

लेमन अरहर, एसक्यू उड़द और मसूर की कीमतें दिल्ली में घटी

नई दिल्ली। स्थानीय दाल मिलों की मांग कमजोर होने से गुरूवार को दिल्ली में कनाडा के साथ ही मध्य प्रदेश लाईन की मसूर,, बर्मा की अरहर और एसक्यू उड़द की कीमतों में दिल्ली के नया बाजार में गिरावट दर्ज की गई।

बर्मा की नई लेमन अरहर की कीमतों में आज 100 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

इसी तरह, चेन्नई से जनवरी डिलीवरी के लिए अरहर के दाम 100 रुपये घटकर 5,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गई।

अफ्रीका की अरहर नीचे दाम पर बिक रही है तथा इसका स्टॉक भी ज्यादा है, साथ ही केंद्रीय पूल से नेफेड लगातार अरहर बेच रही है जबकि उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवक लगातार बढ़ने से इसकी कीमतों पर दबाव बना हुआ है।

इस बीच, 6 जनवरी, 2021 को कर्नाटक में नैफेड ने 5330 टन अरहर खरीफ 2019 की खरीदी हुई की निविदा को 5655 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मंजूरी दी।

बर्मा उड़द एसक्यू में दाल मिलों की मांग कममजोर होने के कारण 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 8,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। व्यापारियों के अनुसार आयातित उड़द का हाजिर स्टॉक कम होने के बावजूद भी कीमतों में गिरावट आई है। उधर उड़द एफएक्यू के दाम 7,375 से 7,400 रुपये पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में लगातार दूसरे दिन 25 से 75 प्रति क्विंटल का मंदा आकर भाव क्रमशः 5,350 रुपये और 5,575 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मसूर का आयातित स्टॉक ज्यादा होने के साथ बुआई में हुई बढ़ोतरी से बढ़ी कीमतों पर ग्राहकी कम हुई है।

दिल्ली में गेहूं के भाव में 50 से 75 रुपये का मंदा आकर राजस्थानी चना के दाम 4,725 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के दाम 4,675 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मोठ के दाम दिल्ली में 5,500 से 6,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मूंग की कीमतों में दिल्ली में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,500 से 7,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 12 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में इसके भाव में 7 रुपये प्रति क्विंटल की मंदी दर्ज की गई।

कॉटन का उत्पादन अनुमान 358.50 लाख गांठ होने का अनुमान, पहले से 2.50 लाख गांठ ज्यादा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2020 से शुरू चालू हुए फसल सीजन में कॉटन का उत्पादन 358.50 लाख गांठ होने का अनुमान है जोकि प्रारंभिक अनुमान से 2.50 लाख गांठ ज्यादा है जबकि पहले उत्पादन का अनुमान 356 लाख गांठ का था। हालांकि पिछले साल के 360 लाख गांठ से उत्पादन अनुमान अभी भी कम है। चालू फसल सीजन के पहले तीन महीनों पहली अक्टूबर से 31 दिसंबर 2020 तक उत्पादक मंडियों में 197.85 लाख गांठ की आवक हो चुकी है।

कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया, एसईए के अनुसार राजस्थान, गुजरात और आंध्रप्रदेश में कॉटन के प्रारंभिक उत्पादन अनुमान में 2-2-2 लाख गांठ की बढ़ोतरी होने का अनुमान है जबकि और मध्य प्रदेश में एक लाख गांठ, कर्नाटक में 1.50 लाख गांठ और ओडिशा में एक लाख गांठ की कमी आने का अनुमान है।

उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कॉटन का उत्पादन 62 लाख गांठ होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 63 लाख गांठ से एक लाख गांठ कम है। मध्य भारत के गुजरात और महाराष्ट्र में कॉटन का उत्पादन क्रमशः 94 और 85 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमशः 95 और 87 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। मध्य प्रदेश में चालू सीजन में कॉटन का उत्पादन अनुमान 20 लाख गांठ होने की उम्मीद है जोकि पिछले साल के 18 लाख गांठ से ज्यादा है। दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में कॉटन का उत्पादन क्रमशः 48 और 16 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमशः 52 और 15.25 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। कर्नाटक में चालू सीजन में 24.50 लाख गांठ, और तमिलनाडु में 5 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमशः 20 और 5 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। चालू सीजन में ओडिशा में 3 और अन्य राज्यों में एक लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

एसईए के अनुसार चालू फसल सीजन में कॉटन का आयात घटकर 14 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पहले 15.50 लाख गांठ के आयात का अनुमान है। चालू फसल सीजन के पहले तीन महीनों में करीब 4.50 लाख गांठ  का आयात हो चुका है। चालू सीजन में कॉटन का निर्यात 54 लाख गांठ होने का अनुमान है जोकि प्रारंभिक अनुमान के बराबर ही है लेकिन पिछले साल के 50 लाख गांठ से ज्यादा है। एसईए के अनुसार 31 दिसंबर तक 21.25 लाख गांठ की शिपमेंट हो चुकी है।

31 दिसंबर 2020 को कॉटन का कुल स्टॉक 224.85 लाख गांठ का है जिसमें से यार्न मिलों के पास 65 लाख गांठ और सीसीआई के साथ ही फेडरेशन, एमएनसी और एमसीएक्स तथा जिनर्स के पास है। 30 अक्टूबर 2021 को शुरू होने नए सीजन के आरंभ में 113.50 लाख गांठ कपास का स्टॉक बचने का अनुमान है।

06 जनवरी 2021

दिल्ली में चना और मसूर की कीमतों में नरमी, काबुली चना के दाम तेज

नई दिल्ली। दाल मिलों की कमजोर मांग से चना की कीमतों में नरमी आई। राजस्थानी चना के दाम घटकर 4,750 से 4,775 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के दाम 4,725 से 4,750 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

बढ़े भाव में दाल मिलों की मांग कमजोर होने से कनाडा के साथ ही मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों दिल्ली में बुधवार गिरावट दर्ज की गई, जबकि काबुली चना में ग्राहकी अच्छी होने से तेजी आई।

दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में 50 प्रति क्विंटल ​की गिरावट दर्ज की गई। दिल्ली में देसी मसूर के दाम घटकर 5,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों हाजिर मांग कमजोर होने से बुधवार को कनाडा की मसूर के दाम मुंबई, कोलकाता, हजीरा, मुंद्रा और कांडला बंदरगाह पर जबकि आस्ट्रेलियाई मसूर की कीमतों में कोलकाता में 25 से 50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रमुख बाजारों में देसी मसूर की कीमतों में क्वालिटीनुसार मिलाजुला रुख देखा गया।

मसूर का आयातित स्टॉक ज्यादा होने के साथ बुआई में हुई बढ़ोतरी से बढ़ी कीमतों पर ग्राहकी कम हुई है।

महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और इंदौर लाईन के काबुली चना में नीचे दाम पर मिलों की खरीद बढ़ने से दिल्ली में भाव 150-400 रुपये प्रति क्विंटल तक तेज हो गए।

मूंग के दाम दिल्ली में 100 रुपये बढ़कर 6,500 से 7,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मोठ के दाम दिल्ली में 5,500 से 6,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।  

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 16 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में इसके भाव में 16 रुपये प्रति क्विंटल की मंदी दर्ज की गई।

निर्यातकों की सीमित मांग से बासमती चावल के दाम स्थिर, आगे भाव में सुधार की उम्मीद

नई दिल्ली। निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की सीमित मांग से बुधवार को पंजाब, हरियाणा के साथ ही दिल्ली के नया बाजार में बासमती चावल के दाम स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार नीचे दाम पर चावल में बिकवाली कमजोर है ऐसे में मौसम साफ होने पर आगे मांग में बढ़ोतरी का अनुमान है।
दिल्ली के नया बाजार के चावल कारोबारी ने बताया कि बासमती चावल में मिलें दाम घटाकर बिकवाली नहीं कर रही हैं, जबकि उम्मीद है कि अब आगे मौसम साफ रहेगा, जिससे व्यापार में सुधार आयेगा। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में बासमती चावल के साथ ही गैर बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है, तथा आगामी महीनों में भी निर्यात अच्छा रहने का अनुमान है। हाल ही में वितयनाम और बंगलादेश को परमल चावल के निर्यात सौदे हुए हैं, जबकि आगे ईरान, सऊदी अरब और इराक के साथ ही अन्य देशों की मांग बासमती चावल में भी बढ़ेगी। इसलिए आगे इसकी कीमतों में तेजी ही आने का अनुमान है।

गेहूं की कीमतों में तेजी जारी, मध्य फरवरी तक दाम तेज रहने का अनुमान

नई दिल्ली। उत्पादक राज्यों की मंडियों में बुधवार को गेहूं की कीमतों में तेजी जारी रही। आवक कम होने के साथ ही मिलों की मांग बढ़ने से गेहूं के भाव में मजबूती बनी हुई है। व्यापारियों के अनुसार गेहूं के भाव में मध्य फरवरी तक नई फसल की आवक बनने से पहले और भी तेजी बनने की उम्मीद है।
बरेली में गेहूं की कीमतों में 60 रुपये की तेजी आकर भाव 1790-1800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से भोपाल में गेहूं के भाव में 50 रुपये प्रति क्विंटल की और कानपुर और दिल्ली में 30-30 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। इंदौर में गेहूं के दाम 25 रुपये प्रति क्विंटल तेज हुए। उधर राजस्थान की मंडियों में गेहूं के भाव में मिलाजुला रुख रहा, जहां मिल क्वालिटी में सुधार नहीं हुआ, लेकिन डुप्लीकेट शरबती गेहूं में तेजी आई। व्यापारियों के अनुसार, गेहूं की कीमतों में वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि आवक कम हो रही है और मिलर्स की मांग अच्छी बनी हुई है।

05 जनवरी 2021

गेहूं की कीमतों में आया सुधार, आगे भाव में और भी तेजी का अनुमान

नई दिल्ली। देशभर के प्रमुख बाजारों में आज गेहूं की कीमतों मेंं 20 से 30 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया। व्यापारियों का मानना है कि आगे भाव में और तेजी आयेगी। गेहूं की कीमतें दिल्ली में शाम को बढ़कर 1,900 रुपये प्रति​ क्विंटल हो गए, इसमें 30 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई।

राजकोट और कानपुर में आज मिल क्वालिटी गेहूं की कीमतों में 10 से 20 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई, जबकि राजस्थान की मंडियों में मिलाजुला रुख देखा गया। कोटा और बूंदी मंडियों में मिल क्वालिटी गेहूं की कीमतों में वृद्धि हुई, लेकिन बारां में दाम घट गए। माना जा रहा है कि खराब मौसम के कारण गेहूं की आवक प्रभावित होने से भाव में तेजी आई है, ऐसे में मौसम साफ होने के बाद भी आवक कम रही तो मौजूदा कीमतों में और तेजी आयेगी।

भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने ओएमएसएस के तहत बिक्री के लिए एफएक्यू गेहूं (सीजन 2019-20) के लिए 2080 रुपये प्रति क्विंटल (एक्स-लुधियाना) भाव तय किया हुआ है जबकि केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2021-22 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 50 रुपये बढ़ाकर 1,975 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

चावल के साथ धान में कमजोर मांग से भाव स्थिर, खराब मौसम से व्यापार कम

नई दिल्ली। चावल मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर होने से मंगलवार को पंजाब, हरियाणा के साथ ही दिल्ली की नरेला मंडी में धान के दाम स्थिर बने रहे। उत्तर भारत के राज्यों में पिछले तीन दिनों से रुक रुक बारिश हो रही है, जिस मंडियों में धान की आवक नाममात्र की ही हो रही है। अत: खराब मौसम के कारण बासमती चावल में मांग कमजोर बनी रही।

हरियाणा की करनाल मंडी में आज धान की आवक 1,000 से 1,200 बोरियों की हुई जबकि पूसा 1,121 धान के दाम 2800-3100 रुपये और ट्रेडिशनल बासमती धान के भाव 4,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मंडी के धान कारोबारी ने बताया कि खराब मौसम के कारण मंडियों में धान की आवक नाममात्र की हो रही है। उन्होंने बताया कि सोमवार को धान की कीमतों में हल्का सुधार आया था, लेकिन बढ़े भाव में मिलों की ग्राहकी कमजोर रही। उन्होंने कहा कि मौसम साफ होने के बाद आवकोें में हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन अब ज्यादा आवक की उम्मीद नहीं है। मौसम साफ होने के बाद ग्राहकी बढ़ने की उम्मीद है, जिससे भाव में सुधार बन सकता हैं

भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई चालू खरीफ विपणन सीजन 2020—21 में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर अभी तक 500.07 लाख टन धान की खरीद कर चुकी है।

उत्तर भारत के राज्यों में लगातार तीसरे दिन खराब मौसम बना रहा, तथा सुबह से रुक रुक कर अधिकांश क्षेत्रों में बूंदा बांदी होती रही। इसका असर नया बाजार के साथ ही पंजाब और हरियाणा से बासमती चावल के व्यापार पर पड़ा, आज इन राज्यों में ग्राहकी कमजोर बनी रहने से दाम भी स्थिर रहे। किसान आंदोलन का असर भी व्यापार को प्रभावित कर रहा है।

दिल्ली में मसूर की कीमतों में तेजी, भारतीय आयातकों की खरीद से बर्मा में उड़द तेज

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा के साथ ही मध्य प्रदेश लाईन की मसूर के भाव दिल्ली में मंगलवार को तेज हो गए। हालांकि बढ़े भाव में ग्राहकी कमजोर ही रही, किसानों के आंदोलन के साथ ही दिल्ली में खराब मौसम के कारण व्यापार भी सीमित मात्रा में ही हुआ। दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश लाईन की मसूर की कीमतों में 50 से 100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 5,425 और 5,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

भारतीय आयातकों की से ताजा खरीद से मंगलवार को बर्मा के दालों के बाजार में उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। भारतीय खरीददारों ने करीब 200 कंटेनर एफएक्यू और एसक्यू उड़द के आयात सौदे क्रमश: 725-780 डॉलर और 825-880 डॉलर प्रति टन एफओबी के आधार पर चेन्नई के लिए किए। स्थानीय व्यापारी के अनुसार, बर्मा में उड़द की कीमतें और बढ़ने की उम्मीद है। बर्मा के स्थानीय बाजार में नई अरहर और उड़द की फसल की आवक शुरू हो गई है।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से मंगलवार को चेन्नई और कोलकाता के बाजारों में बर्मा उड़द एफएक्यू की कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। देश के प्रमुख बाजारों में नई घरेलू उड़द की कीमतों में क्वालिटीनुसार 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से राजस्थान की मंडियों में मंगलवार को मूंग की कीमतों में 50 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई। जबकि देश के अन्य प्रमुख बाजारों में मूंग की कीमतों में क्वालिटीनुसार मिलाजुला रुख रहा।

मुंबई में पीली मटर के भाव में कल 7,500 रुपये प्रति ​क्विंटल पर व्यापार हुआ था, जबकि आज सुबह भाव 7,600 रुपये खुले तथा शाम को बढ़कर 7,725 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मुंबई बंदरगाह पर मटर का स्टॉक सीमित मात्रा में ही है।

दिल्ली में राजस्थान चना की कीमतों में 100 रुपये का मंदा आकर भाव 4,800 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 4,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मूंग की कीमतों में दिल्ली में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 6,500 से 7,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मोठ के दाम बेस्ट क्वालिटी के 7,300 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 89 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई, जबकि मार्च वायदा अनुबंध में इसके भाव में 100 रुपये प्रति क्विंटल की मंदी दर्ज की गई।

04 जनवरी 2021

मिलों की मांग से गेहूं में तेजी जारी, आगे भाव में और सुधार का अनुमान

नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में गेहूं की कीमतों में सोमवार को भी तेजी जारी रही। आवक कम होने के के साथ ही रोलर फ्लोर मिलों एवं निर्यातकों की अच्छी मांग से भाव में तेजी को बल मिल रहा है। व्यापारियों के अनुसार गेहूं में बिकवाली कम आ रही है जबकि उत्पादक राज्यों में खराब मौसम का असर भी आवकों पर पड़ रहा है इसलिए मौजूदा कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है।  

देशभ के प्रमुख बाजारों में आज गेहूं की कीमतों में 10-75 रुपये प्रति क्विंटल की क्वालिटीनुसार तेजी दर्ज की गई। दिल्ली में मिल क्वालिटी गेहूं के भाव 10 रुपये बढ़कर 1840-1850 रुपये प्रति​ क्विंटल हो गए जबकि कोटा मंडी में डुप्लीकेट शरबती के भाव में 75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव 1725-1800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। बूंदी के एक व्यापारी ने बताया कि आवक कम होने के साथ ही, मिलर्स की मजबूत खरीद गेहूं के भाव में तेजी आई है। 

बांग्लादेश और वियतनाम की मांग के बाद भी मक्का नरम, आगे भाव में सुधार की उम्मीद

नई दिल्ली। बांग्लादेश के साथ वियतनाम को मक्का का निर्यात जारी है लेकिन उत्पादक मंडियों में आवक ज्यादा हो रही है जबकि घरेलू पोल्ट्री फीड निर्माताओं की मांग भी सीमित मात्रा में होने से सप्ताहभर में भाव में 25 से 30 रुपये प्रति क्विंटल की नरमी तो आई है लेकिन व्यापारियों का मानना है कि आगे इसके भाव में सुधार आने का अनुमान है। मध्य प्रदेश में मक्का के भाव प्लांट डिलीवरी 1,250 से 1,425 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार हैं। छिदंवाडा मंडी में मक्का के दाम 1,200 से 1,350 रुपये प्रति रहे।

व्यापारियों के अनुसार बांग्लादेश और वियतनाम को मक्का का निर्यात तो रहा है लेकिन निर्यात की गति धीमी है। बांग्लादेश के लिए सरकार ने समिति रैक कोटा आवंटित किया हुआ है जबकि वियनाम के लिए कंटेनर की कमी के कारण निर्यात में तेजी नहीं आ पा रही है। सूत्रों के अनुसार दिसंबर के आखिर में भारतीय निर्यातकों ने करीब एक लाख टन मक्का के निर्यात सौदे किए हैं, जिसमें से 50 हजार टन की लोडिंग विशाखापतनम बंदगाह से चालू महीने में होनी है। मक्का के सौदे 200 डॉलर प्रति टन एफओबी के हुए हैं।

जानकारों के अनुसार अप्रैल से अभी तक बांग्लादेश ने भारत से करीब 6.5 से 7 लाख टन मक्का के आयात सौदे किए हैं, जिसमें पिछले तीन महीनों अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में 2 लाख टन का व्यापार हुआ है। इसके अलावा वियतनाम ने अप्रैल से अभी तक एक लाख टन मक्का की खरीद की है। विश्व बाजार में मक्का के दाम लगातार तेज हो रहे हैं लेकिन जब तक सरकार बांग्लादेश के लिए रैक कोटा नहीं बढ़ायेगी और वियतनाम के लिए कंटेनरों की उपलब्धता नहीं बढ़ायेगी, तब तक घरेलू मंडियों में कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

कोविड—19 की स्थिति में सुधार आने से मक्का में पोल्ट्री उद्योग के साथ ही स्टार्च मिलों की मांग बढ़नी शुरू हो गई है, जबकि चालू रबी में बुआई में कमी आई है। अत: आगे बांग्लादेश और वियतनाम की मांग बनी रही तो मौजूदा कीमतों में 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी बनने की उम्मीद है। चालू रबी में मक्का की बुआई 12.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय इसकी बुआई 13.73 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मिलों की मांग से दिल्ली में अरहर और उड़द के दाम तेज, मसूर में सुधार

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से बर्मा की अरहर और उड़द की कीमतों में दिल्ली के नया बाजार में सोमवार को तेजी दर्ज की गई।

चालू पेराई सीजन के पहले तीन महीने में चीनी का उत्पादन 42 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। चीनी मिलों में जल्द पेराई शुरू होने से चालू पेराई सीजन 2020-21 के पहले तीन महीनों पहली अक्टूबर से 31 दिसंबर 2020 तक चीनी का उत्पादन 42 फीसदी बढ़कर 110.22 लाख टन को हो चुका है जबकि पिछले सीजन में इस दौरान केवल 77.63 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 31 दिसंबर 2020 तक 39.86 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 16.50 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में चालू पेराई सीजन में 179 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक केवल 135 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी।

उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 120 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा 31 दिसंबर 2020 तक राज्य में 33.66 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 33.16 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था तथा 119 मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी थी।

कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 31 दिसंबर तक 24.16 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 16.33 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।

गुजरात में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 3.35 लाख टन और आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में 94 हजार टन, तमिलनाडु में 85 हजार टन, बिहार में 1.88 लाख टन, हरियाणा 1.95 लाख टन, पंजाब 1.20 लाख टन, उत्तराखंड एक लाख टन तथा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 1.30 लाख टन चीनी का उत्पादन 31 दिसंबर 2020 तक हो चुका है।

केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन में 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए मिलों को 600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने का निर्णय किया है, इससे आगे निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है। इस्मा के अनुसार इस समय इंडोनेशिया के साथ ही मलेशिया की चीनी में आयात मांग बनी हुई है तथा खाड़ी देशों के साथ ही श्रीलंका और बंगलादेश के अलावा पूर्वी अफ्रीकी देशों को अच्छे निर्यात की संभावना है।

01 जनवरी 2021

नए साल के मुहूर्त सौदों से बासमती चावल में हल्का सुधार, ग्राहकी कमजोर

नई दिल्ली। नए साल 2021 के पहले दिन मुहूर्त सौदों होने से बासमती चावल की कीमतों में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के नया बाजार में 50 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार आया, लेकिन हाजिर में ग्राहकी कमजोर ही रही, इसलिए अभी बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

व्यापारियों के अनुसार बासमती चावल की कीमतों में शुक्रवार को हल्का सुधार तो आया, लेकिन व्यापार सीमित मात्रा में ही हुआ। माना जा रहा है कि किसानों का आंदोलन समाप्त होने के बाद व्यापार सुगम होगा, क्योंकि दिल्ली के चारों तरफ के रास्ते किसानों के आंदोलन के कारण लगभग बंद हैं, जिससे व्यापार प्रभावित हो रहा है। साथ ही पंजाब, हरियाणा के साथ ही दिल्ली से लोडिंग, अनलोडिंग के साथ ही परिवहन की समस्या भी आ रही है क्योंकि व्यापारी जोखिम नहीं लेना चाहते।

गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई बढ़ी, मोटे अनाजों की घटी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई में बढ़ोतरी हुई है जबकि मोटे अनाजों की बुआई घटी है। रबी फसलों की कुल बुआई बढ़कर 620.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 603.15 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में बढ़कर 325.35 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 313.95 लाख हेक्टेयर से आगे है। इसी तरह से दालों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 154.80 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 147.90 लाख हेक्टेयर में ही दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई 105.80 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 100.06 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में मसूर की बुआई 16.19 लाख हेक्टेयर में, मटर की 10.39 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 6.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 15.56 लाख हेक्टेयर में, 10.58 लाख हेक्टेयर और 6.02 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंग की बुआई चालू रबी में 3.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की इस अवधि के 2.65 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है।

सरसों की बुआई बढ़ी, मूंगफली की घटी

तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 80.61 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 75.93 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई बढ़कर चालू रबी में 72.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 66.62 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंगफली की बुआई 3.61 लाख हेक्टेयर में और अलसी की 2.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक क्रमशः 3.95 और 3.09 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी।

ज्वार के साथ ही मक्का और जौ की बुआई कम

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी सीजन में घटकर 45.12 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 49.90 लाख हेक्टेयर में ही चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई 25.21 लाख हेक्टयेर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 28.25 लाख हेक्टेयर से कम है। मक्का की बुआई 12.57 लाख हेक्टेयर में और जौ की बुआई चालू रबी में 6.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 13.73 और 7.41 लाख हेक्टेयर में हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में पिछले साल के 15.47 लाख हेक्टेयर की तुलना में अभी तक केवल 14.83 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है।