कुल पेज दृश्य

23 अगस्त 2022

ग्राहकी कमजोर होने से अरहर, उड़द, चना और मसूर में मंदा, दालों ग्राहकी कमजोर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने के कारण सोमवार को अरहर एवं उड़द, चना के साथ ही मसूर की कीमतों में गिरावट दूसरे कार्य दिवस में भी जारी रही। दालों में थोक के साथ ही खुदरा में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है, साथ ही महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में नई उड़द एवं मूंग की आवक शुरू हो गई है। इसलिए इनकी कीमतों पर दबाव बना रहेगा। आयातित मसूर सस्ती है इसलिए मसूर में भी भाव नरम हुए हैं। अरहर और चना में अच्छी क्वालिटी के मालों की आवक कम है इसलिए इनके भाव में बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं है।

बर्मा से आयातित लेमन अरहर एवं उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव चेन्नई के लिए सितंबर डिलीवरी के स्थिर बने रहे। लेमन अरहर के भाव 935 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ के पूर्व स्तर पर टिके रहे। इस दौरान उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव भी क्रमशः 870 डॉलर और 1,010 डॉलर प्रति टन के पूर्वस्तर पर स्थिर हो गए।

व्यापारियों के अनुसार दालों में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है। चालू महीने में बर्मा से करीब तीन वैसल उड़द और अरहर लेकर आ रही है, जिनमें अरहर की तुलना में उड़द ज्यादा है।

मध्यप्रदेश में पिछले दो दिनों से लगातार तेज बारिश हो रही है। राज्य के भोपाल, गुना, रायसेन, सागर एवं जबलपुर सहित अनेक जिलों में लगातार वर्षा हो रही है। मध्य प्रदेश खरीफ उड़द का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, तथा चालू खरीफ में राज्य में 16.33 लाख हेक्टेयर में उड़द की बुआई हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 15.28 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है। व्यापारियों के अनुसार अभी तक बारिश से ज्यादा नुकसान के समाचार नहीं है, अतः राज्य में अगले एक, दो दिनों तक मौसम कैसा रहता है इसलिए पर फसल की स्थिति निर्भर करेगी।

खरीफ अरहर के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक के अधिकांश क्षेत्रों में मौसम साफ है, जोकि आने वाली फसल के लिए फायदेमंद है। हालांकि उत्पादक मंडियों में देसी अरहर में मंदा आया है, लेकिन अच्छी क्वालिटी में बिकवाली कमजोर है। नई फसल दिसंबर से पहले नहीं आयेगी, इसलिए अरहर की कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार कम है।

महाराष्ट्र के साथ ही कर्नाटक में नई खरीफ की मूंग की आवक शुरू हो गई है, हालांकि इसके बड़े उत्पादक राज्य राजस्थान की कोटा आदि लाईन में भारी बारिश हुई है। जानकारों के अनुसार मौसम साफ रहा तो आगामी दिनों में मूंग की नई फसल की आवक बढ़ेगी, इसलिए इसके भाव में अभी बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।  

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव में 50 रुपये की गिरावट आकर दाम 7350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव में भी 50 रुपये की गिरावट आकर दाम 7200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

हालांकि मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर के भाव 50 रुपये तेज होकर 7300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। जानकारों के अनुसार मुंबई में लेमन अरहर का बकाया स्टॉक कम है, जिस कारण बिकवाली कमजोर होने से भाव बढ़ गए।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम स्थिर बने रहे। तंजानिया की अरुषा अरहर के भाव 5950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 5850 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई। सूडान की अरहर के दाम 7900 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बने रहे। मलावी से आयातित अरहर के दाम 5200 से 5300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू के भाव के भाव में 75 रुपये की गिरावट आकर भाव 8400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान उड़द एफएक्यू के भाव 7,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

आंध्रप्रदेश लाईन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 7800 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्व दर पर ही हुआ।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव 7,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

चेन्नई में नीचे दाम पर बिकवाली कम आने से उड़द एसक्यू हाजिर डिलीवरी के भाव 25 रुपये तेज होकर 8,050 रुपये और सितंबर डिलीवरी के भाव 8,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25 से 100 रुपये कमजोर होकर भाव क्रमशः 6625 रुपये और 6,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

कनाडा की मसूर के दाम मुंद्रा और हजिरा बंदरगाह पर 25-25 रुपये कमजोर होकर भाव क्रमशः 6250 रुपये और 6275 से 6300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि इस दौरान कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 6600 रुपये एवं आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव भी कंटेनर में 6700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में चना की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर राजस्थानी चना के दाम 4950 से 4975 रुपये एवं मध्य प्रदेश के चना के भाव 4,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

इंदौर में बेस्ट क्वालिटी की मूंग के बिल्टी भाव 6,500 रुपये एवं पुरानी मूंग के 5,800 से 6,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

कपास की बुआई 6.66 फीसदी बढ़कर 124 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 19 अगस्त तक देशभर के राज्यों में कपास की बुआई 6.66 फीसदी बढ़कर 124.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 116.51 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

उत्तर भारत के राज्यों पंजाब और हरियाणा में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर क्रमशः 2.48 और 6.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमशः 2.54 और 6.88 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

राजस्थान में जरूर चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 6.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.29 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गुजरात में चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 25.37 लाख हेक्टेयर में और महाराष्ट्र में 41.95 लाख हेक्टेयर मेें हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 22.49 और 39.26 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर 5.99 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 6 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना में कपास की बुआई घटकर 19.54 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई 20.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

आंध्र प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 5.59 लाख हेक्टेयर में, कर्नाटक में 7.75 लाख हेक्टेयर में और तमिलनाडु में 0.17 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 4.20 लाख हेक्टेयर में, 6.10 लाख हेक्टेयर में और 0.09 हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

चालू खरीफ में ओडिशा में कपास की बुआई 2.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.95 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

20 अगस्त 2022

कई राज्यों में बारिश सामान्य से कम होने का असर दलहन एवं तिलहन की बुआई पर

नई दिल्ली। चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 19 अगस्त तक देशभर में सामान्य से 8 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, लेकिन देशभर की 36 सब डिवीजनों में से जहां 7 में बारिश की कमी से सूखे जैसे हालात है, वहीं तीन में बहुत ज्यादा और 11 सब डिवीजनों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई हैं। अतः देशभर की केवल 15 सब डिवीजनों में सामान्य बारिश हुई है। जिसका असर खरीफ फसलों की बुआई पर भी पड़ा है।

चालू खरीफ सीजन में दलहन के साथ ही तिलहनी फसलों की बुआई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार 19 अगस्त 2022 तक खरीफ सीजन 2022 के दौरान दलहनी फसलों की बुआई 5.34 फीसदी घटकर 125.57 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 132,65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर 43.38 लाख हेक्टेयर में और उड़द की बुआई 35.21 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 46.74 लाख हेक्टेयर में और 37.10 लाख हेक्टयेर में हो चुकी थी।

इसी तरह से मूंग की बुआई चालू खरीफ में घटकर 32.40 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक इसकी बुआई 33.96 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों की बुआई भी घटकर 14.37 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 14.40 लाख हेक्टेयर से कम है।

तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में घटकर 184.42 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 185.85 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम है।

तिलहन में मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में घटकर 44.32 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 47.95 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 119.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 119.04 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है।

सनफ्लावर की बुआई चालू खरीफ में 1.84 लाख हेक्टेयर में, शीशम सीड की 12.24 लाख हेक्टेयर में और केस्टर की 6.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 1.43 लाख हेक्टेयर में, 12.38 लाख हेक्टेयर में और 4.65 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

PR14 WHITE SELA Rice

 HARYANA LINE SE  PR14 WHITE SELA Rice   RATE-3900 FOR  DELHI KE KAM HUYE
AROUND 200 TON KE
BIG EXPORTER

18 अगस्त 2022

दालों में ग्राहकी कमजोर होने से दलहन मंदी, केंद्र की नीतियों के कारण मांग घटी

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने के कारण बुधवार को अरहर, उड़द के साथ ही मूंग और मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि चना के दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार दालों में खुदरा के साथ ही थोक में मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है, साथ ही सरकारी हस्तक्षेप के कारण भी मिलर्स सीमित मात्रा में ही खरीद कर रहे हैं। इसलिए इनके भाव में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रह सकती है।

व्यापारियों के अनुसार जिस तरह से पिछले दिनों डॉलर के मुकाबले बर्मा की मुद्रा कमजोर हुई थी, उसे देखते हुए आगामी दिनों में बर्मा से अरहर और उड़द के आयात पड़ते लगने की उम्मीद है। अगले महीने से अफ्रीकी देशों से भी अरहर के आयात सौदे शुरू होने का अनुमान है। हालांकि चालू खरीफ में अरहर की बुआई में कमी आई है, साथ ही उत्पादक मंडियों में अच्छी क्वालिटी में अरहर का बकाया स्टॉक कम है। नई फसल की आवक दिसंबर से पहले नहीं बनेगी, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में सूखे से फसल को नुकसान की आशंका है। इसलिए अरहर की मौजूदा कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार कम है।

उड़द एसक्यू की कीमतों में पिछले पंद्रह दिनों में करीब 11 फीसदी की गिरावट आ चुकी है, उड़द एसक्यू के भाव चेन्नई में जुलाई अंत में 8,900 रुपये प्रति क्विंटल थे, जोकि घटकर 7,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। महाराष्ट्र की मंडियों में नई उड़द की छिटपुट आवक शुरू हो गई है, तथा मौसम साफ रहा तो सितंबर में इसकी दैनिक आवक बढ़ेगी। उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है इसलिए इसके भाव में अब बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

चेन्नई पहुंच 25 अगस्त से 25 सितंबर की डिलीवर के बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव आज क्रमशः 855 डॉलर और 990 डॉलर प्रति टन पर स्थिर बने रहे। लेमन अरहर के भाव इस दौरान 920 डॉलर प्रति टन बोले गए।

मसूर और मूंग में स्थानीय मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से भाव में नरम हुए हैं। जानकारों के अनुसार मूंग की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में मौसम अनुकूल रहा तो चालू महीने के अंत तक बढ़ेगी, जबकि इसकी न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद नहीं के बराबर हो रही है। इसलिए मूंग की कीमतों पर दबाव बना रहेगा। आयातित मसूर आने से देसी मसूर में भी दाल मिलों की ग्राहकी कमजोर होने से भाव नरम हुए है।

चना के दाम रुक गए हैं, लेकिन व्यापारी इसके भाव में ज्यादा मंदे में नहीं है। आगामी दिनों में खपत का सीजन होने के कारण चना दाल और बेसन में मांग बनी रहेगी, इसलिए आगे इसके भाव में हल्का सुधार बनने की उम्मीद है।  

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव में 150 रुपये की गिरावट आकर दाम 7400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव में भी 150 रुपये का मंदा आकर दाम 7250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम कमजोर हो गए। तंजानिया की अरुषा अरहर के भाव 50 रुपये कमजोर होकर दाम 6000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें भी 50 रुपये कमजोर होकर 5950 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। सूडान की अरहर के दाम 50 रुपये घटकर 7900 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गए। मलावी से आयातित अरहर के दाम भी 50 रुपये कमजोर होकर 5250 से 5350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

हालांकि मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर के भाव 7400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव के भाव में 125 से 150 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7325 रुपये तथा 8325 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

आंध्रप्रदेश लाईन की नई उड़द का दिल्ली के लिए व्यापार 200 रुपये कमजोर होकर 7800 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर हुआ।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 7150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में उड़द एसक्यू के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 7,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गए, जबकि एसक्यू के हाजिर डिलीवरी के दाम 50 रुपये घटकर 7,950 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतें 25 रुपये कमजोर होकर भाव 7000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि इस दौरान कनाडा की मसूर के दाम 6600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से कोलकाता और मुंबई बंदरगाह पर करीब 50 हजार टन आयातित मसूर आई है।

कनाडा की मसूर के दाम मुद्रा और हजिरा बंदरगाह पर क्रमशः 6300 रुपये और 6350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 6600 रुपये एवं ऑस्ट्रेलियाई मसूर के भाव भी कंटेनर में
6700 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में राजस्थानी चना के दाम 4975 से 5000 रुपये एवं मध्य प्रदेश के चना के भाव 4925 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मध्य पदेश की मूंग के दाम दिल्ली में लगातार दूसरे दिन 50 रुपये कमजोर होकर भाव 6700 से 6900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान कानपुर लाइन की छोटी मूंग के भाव 50 घटकर 6,500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

जुलाई में डीओसी का निर्यात 19 फीसदी बढ़ा - उद्योग

नई दिल्ली। जुलाई महीने में डीओसी के निर्यात में 19 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 227,247 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल जुलाई में इसका निर्यात केवल 191,663 टन का ही हुआ था।

खाद्यान्न उत्पादन रिकार्ड 31.57 करोड़ टन होने का अनुमान

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2021-22 में देश में खाद्यान्न का उत्पादन 1.60 फीसदी बढ़कर 31.57 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले फसल सीजन के दौरान 31.07 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था।

कृषि मंत्रालय के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2021-22 के दौरान गेहूं का उत्पादन घटकर 10.68 करोड़ टन ही होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 10.95 करोड़ टन का हुआ था।

चावल का उत्पादन चालू फसल सीजन में खरीफ और रबी सीजन को मिलाकर 13.02 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले फसल सीजन के दौरान इसका उत्पादन 12.43 करोड़ टन का हुआ था।

मोटे अनाजों में ज्वार का उत्पादन 42.3 लाख टन, मक्का का 336.2 लाख टन और बाजरा का उत्पादन 96.2 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि फसल सीजन 2020-21 के दौरान इनका उत्पादन क्रमशः 48.1 लाख टन, 316.5 लाख टन और 108.6 लाख टन का हुआ था।

जौ का उत्पादन चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार 13.6 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 16.6 लाख टन का हुआ था।  

चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2021-22 के दौरान दालोें का उत्पादन बढ़कर 276.9 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले सीजन में इनका उत्पादन 254.6 लाख टन का ही हुआ था। दलहन की प्रमुख फसल चना का उत्पादन 137.5 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 119.1 लाख टन से ज्यादा है।

अरहर का उत्पादन फसल सीजन 2021-22 के दौरान 43.4 लाख टन होेने का अनुमान है, जबकि पिछले साल 43.2 लाख टन का उत्पादन हुआ था। उड़द का उत्पादन 28.4 लाख टन और मूंग का 31.5 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले फसल सीजन के दौरान इनका उत्पादन क्रमशः 22.3 लाख टन और 30.9 लाख टन का ही हुआ था। मसूर का उत्पादन फसल सीजन 2021-22 के दौरान घटकर 12.8 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 14.9 लाख टन से कम है।

तिलहनी फसलों का उत्पादन 376.96 लाख टन होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 359.46 लाख टन से ज्यादा है। तिलहन की प्रमुख फसल सरसों का उत्पादन 117.46 लाख टन और सोयाबीन का उत्पादन 129.95 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि फसल सीजन 2020-21 के दौरान इनका उत्पादन क्रमशः 102.10 लाख टन और 126.10 लाख टन का हुआ था।

चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार मूंगफली का उत्पादन खरीफ और रबी सीजन को मिलाकर 101.06 लाख टन का हुआ है, जोकि इसके पिछले सीजन के 102.44 लाख टन से थोड़ा कम है। केस्टर सीड का उत्पादन घटकर 16.11 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले फसल सीजन में इसका उत्पादन 16.47 लाख टन का हुआ था।

कपास का उत्पादन घटकर 312.03 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है, जबकि इसके पिछले सीजन में 352.48 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।

राजस्थान में खरीफ फसलों की बुआई 16 फीसदी से ज्यादा बढ़ी

नई दिल्ली। अच्छी मानसूनी बारिश से चालू खरीफ में 16 अगस्त तक राजस्थान में खरीफ फसलों की बुआई तय लक्ष्य की 98.39 फीसदी पूरी हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 16.47 फीसदी ज्यादा है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में राज्य में 164.17 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई का लक्ष्य तय किया हुआ है, जबकि 16 अगस्त तक राज्य में 161.52 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 138.68 लाख हेक्टेयर में ही फसलों की बुआई हो पाई थी।

चालू खरीफ में राज्य में मोटे अनाजों की बुआई 63.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि इनकी बुआई का लक्ष्य 61.67 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। अतः बुआई तय लक्ष्य से ज्यादा क्षेत्रफल में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 53.22 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

राज्य में धान की रोपाई 2.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि तय लक्ष्य 2.10 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इसी तरह से ज्वार की बुआई 6.79 लाख हेक्टेयर में बाजरा की 45.19 लाख हेक्टेयर में और मक्का की 9.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। राज्य सरकार ने चालू खरीफ में इनकी बुआई का लक्ष्य क्रमशः 6.10 लाख हेक्टेयर, 44 लाख हेक्टेयर और 9.40 लाख हेक्टेयर तय किया हुआ है।

दालों की बुआई चालू खरीफ में राज्य में बढ़कर 33.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 33.59 लाख हेक्टयेर में ही हो पाई थी। हालांकि दालों की बुआई का लक्ष्य चालू खरीफ में 40.85 लाख हेक्टेयर का तय किया हुआ है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुआई चालू खरीफ में थोड़ी घटकर 20.44 लाख हेक्टयेर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 20.49 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी है। अन्य दालों में मोठ की 9.42 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 3.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 23.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 21.82 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई 7.90 लाख हेक्टेयर में और सोयाबीन की 11.51 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 7.70 लाख हेक्टेयर और 10.62 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

ग्वार सीड की बुआई चालू खरीफ में राज्य में 30.14 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि इसकी बुआई का लक्ष्य 25 लाख हेक्टेयर है। पिछले साल राज्य में इस समय तक केवल 19.69 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

कपास की बुआई राज्य में चालू सीजन में बढ़कर 6.52 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई केवल 6.28 लाख हेक्टयेर में ही हो पाई थी। 

प्रतिकल मौसम से धान की रोपाई चालू खरीफ में 12 फीसदी से ज्यादा से पिछड़ी

नई दिल्ली। प्रतिकूल मौसम के कारण चालू खरीफ सीजन में धान की रोपाई 12.40 फीसदी पिछड़ कर 12 अगस्त तक देशभर में 309.79 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 353.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 13 अगस्त तक देशभर में सामान्य की तुलना में आठ फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, लेकिन अगर सब डिवीजनों के आधार पर देखें तो देशभर के 17 फीसदी हिस्से में बारिश सामान्य की तुलना में कम हुई है, जिसका असर धान की रोपाई पर पड़ा है।

प्रमुख उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बारिश की कमी के कारण धान की रोपाई तो कम हुई है, साथ ही रोपाई हो चुकी फसल को भी नुकसान का डर है। पहली से 13 अगस्त के दौरान जहां पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश सामान्य की तुलना में 43 फीसदी कम हुई है, वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस दौरान 40 फीसदी बारिश सामान्य से कम दर्ज की गई।

बिहार में चालू मानसूनी सीजन में बारिश सामान्य की तुलना में 39 फीसदी कम, झारखंड में 40 फीसदी तो पश्चिम बंगाल में 38 फीसदी कम हुई है। इस का असर धान की रोपाई पर भी पड़ा है।

उत्तर प्रदेश में चालू खरीफ में 12 अगस्त धान की रोपाई 56.03 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 59.40 लाख हेक्टेयर से कम है। इस दौरान पश्चिमी बंगाल में धान की रोपाई केवल 24.30 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 35.53 लाख हेक्टेयर से कम है।

बिहार में चालू खरीफ में 12 अगस्त तक धान की रोपाई केवल 26.27 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 30.27 लाख हेक्टेयर से कम है। झारखंड में चालू खरीफ में धान की रोपाई घटकर केवल 3.88 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक राज्य में 15.25 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

इसके अलावा अन्य धान उत्पादक राज्यों आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्य प्रदेश, ओडिशा और तेलंगाना में भी धान की रोपाई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है, जिसका असर चालू खरीफ में धान उत्पादन पर पड़ने की आशंका है।

जानकारों के अनुसार अगर आने वाले दिनों में धान के रोपाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी नहीं होती है तो देश में सामान्यतः 2.71 टन प्रति हेक्टेयर की औसत चावल उत्पादकता के आधार पर चालू खरीफ सीजन में चावल का उत्पादन करीब 110 लाख टन घटने की आशंका है।

कपास की बुआई 5.97 फीसदी बढ़कर 123 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 12 अगस्त तक देशभर के राज्यों में कपास की बुआई 5.97 फीसदी बढ़कर 123.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 116.14 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

उत्तर भारत के राज्यों पंजाब और हरियाणा में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर क्रमशः 2.48 और 6.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमशः 2.54 और 6.88 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

राजस्थान में जरूर चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 6.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.02 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गुजरात में चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 25.28 लाख हेक्टेयर में और महाराष्ट्र में 41.90 लाख हेक्टेयर मेें हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 22.40 और 38.93 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर 5.99 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 6 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना में कपास की बुआई घटकर 19.26 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई 20.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

आंध्र प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 5.14 लाख हेक्टेयर में, कर्नाटक में 7.54 लाख हेक्टेयर में और तमिलनाडु में 0.12 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 4.75 लाख हेक्टेयर में, 5.91 लाख हेक्टेयर में और 0.06 हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

चालू खरीफ में ओडिशा में कपास की बुआई 2.10 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.92 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

चालू खरीफ में धान, दलहन के साथ ही तिलहन की बुआई घटी, मोटे अनाज एवं कपास की बढ़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 12 अगस्त तक देशभर में जहां धान दलहन और तिलहन की बुआई में कमी आई है, वहीं मोटे अनाजों की बुआई में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ सीजन में घटकर केवल 309.79 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 353.62 लाख हेक्टयेर से कम है।

चालू खरीफ में दालों की बुआई 4.02 फीसदी घटकर केवल 122.11 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 127.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर 42 लाख हेक्टयेर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई 47.55 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से उड़द की बुआई चालू खरीफ में कम होकर 34.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 35.82 लाख हेक्टेयर से कम है। मूंग की बुआई चालू खरीफ में पिछले साल की समान अवधि के 31.89 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम होकर 31.78 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।

अन्य दालों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 13.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 11.55 लाख हेक्टेयर से कम है।

चालू खरीफ सीजन में 12 अगस्त तक जहां मोटे अनाजों में बाजरा और मक्का की बुआई में बढ़ोतरी हुई है, वहीं ज्वार की बुआई पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है। मोटे अनाजों की कुल बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 166.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 161.33 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार बाजरा की बुआई बढ़कर 67.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 59.02 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इस दौरान मक्का की बुआई बढ़कर 78.64 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल इस समय तक 78.27 लाख हेक्टेयर में बुआई से थोड़ी ज्यादा है।

ज्वार की बुआई चालू खरीफ में 12.91 लाख हेक्टेयर में और रागी की 3.44 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 13.26 लाख हेक्टेयर और 6.11 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में घटकर 180.43 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 181.83 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम है।

तिलहन में मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में घटकर 42.87 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 47.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 118.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 117.93 लाख हेक्टयेर से ज्यादा है।

सनफ्लवर की बुआई चालू खरीफ में 1.78 लाख हेक्टेयर में, शीसम सीड की 11.95 लाख हेक्टेयर में और केस्टर की 4.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 1.41 लाख हेक्टेयर में, 11.88 लाख हेक्टेयर में और 2.81 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 123.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई केवल 116.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

जुलाई में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 24 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। जुलाई में खाद्वय तेलों के साथ ही अखाद्वय तेलों का आयात 24 फीसदी बढ़कर 1,214,353 टन का हो गया, जबकि पिछले साल जुलाई में इनका आयात केवल 980,624 टन का ही हुआ था।

सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर -21 से जुलाई-22 के 9 महीनों के दौरान खाद्वय तेलों के साथ ही अखाद्वय तेलों का आयात 3.3 फीसदी बढ़कर 9,974,993 टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 9,654,636 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार घरेलू बाजार में पिछले दो महीनों में खाद्वय तेलों की कीमतों में गिरावट आई है। आरबीडी पामोलिन की थोक कीतमों में इस दौरान जहां 25,000 रुपये प्रति टन से अधिक की कमी आई, वहीं रिफाइंड सोयाबीन तेल के दाम 24,000 रुपये प्रति टन और सूरजमुखी तेल के भाव 20,000 रुपये प्रति टन की गिरावट आई।

इंडोनेशिया सरकार द्वारा बढ़ती इन्वेंट्री को कम करने के लिए उठाये जा रहे कदमों से विश्व बाजार के साथ ही घरेलू बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में गिरावट आई है। इंडोनेशियाई ने क्रूड पाम तेल पर निर्यात कर को 680 डॉलर प्रति टन के संदर्भ मूल्य पर लागू किया, जबकि इससे पहले यह 750 डॉलर प्रति टन था।

10 अगस्त 2022

गुजरात में कपास की बुआई बढ़कर तय लक्ष्य से ज्यादा, मूंगफली की कम

नई दिल्ली। चालू सीजन में कपास की कीमतें रिकार्ड स्तर पर पहुंचने के कारण गुजरात के किसानों ने कपास की बुआई ज्यादा की है। राज्य में पहली अगस्त तक इसकी बुआई बढ़कर 25.04 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि तय लक्ष्य 25 लाख हेक्टयेर से भी ज्यादा है। पिछले साल राज्य में इस समय तक केवल 22.22 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हो पाई थी।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार पहली अगस्त तक राज्य में खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल मूंगफली की बुआई 16.72 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.93 लाख हेक्टेयर से कम है। अन्य तिलहन में शीशम सीड, केस्टर एवं सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में क्रमशः 47,063 हेक्टेयर में, 1.47 लाख हेक्टेयर में और 2.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमशः 79,055 हेक्टेयर में, 1.02 लाख हेक्टेयर में और 2.19 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू खरीफ में राज्य में अभी तक केवल 20.78 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 22.96 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।  

दालों की बुआई चालू खरीफ सीजन में पहली अगस्त तक केवल 3.33 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 4.35 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर 1.87 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 2.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। उड़द की बुआई केवल 74,579 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.40 लाख हेक्टयेर में बुआई हो चुकी थी।

धान, ज्वार, मक्का और बाजरा की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 11.44 लाख हेक्टेयर हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 10.72 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। हालांकि धान की रोपाई बढ़कर 6.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.29 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। बाजरा की बुआई राज्य में 1.75 लाख हेक्टेयर में तथा मक्का की बुआई 2.81 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमशः 1.36 लाख हेक्टेयर और 2.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

केंद्र सरकार ने गन्ने का एफआरपी 15 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पहली अक्टूबर 2022 से शुरू होने वाले पेराई सीजन 2022-23 के लिए गन्ने के फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस, एफआरपी में 15 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतर कर भाव 315 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट और कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स, सीसीईए की बैठक में इस पर फैसला लिया गया।

पिछले गन्ना पेराई सीजन 2021-22 के लिए गन्ने का एफआरपी 290 रुपये प्रति क्विंटल था तथा पिछले गन्ना पेराई सीजन में इसमें केवल पांच रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई थी।

चालू खरीफ सीजन में देशभर में गन्ने की बुआई 29 जुलाई तक बढ़कर 54.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 54.42 लाख हेक्टयेर में ही हो पाई थी।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन, इस्मा ने हाल ही में गन्ना पेराई सीजन 2022-23 के  दौरान देश में 355 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान जारी किया था, जोकि चालू पेराई सीजन के उत्पादन अनुमान 360 लाख टन से कम है।

इथेनॉल उत्पादन के लिए अगर गन्ने का उपयोग नहीं होता, तो कुल चीनी उत्पादन पेराई सीजन 2022-23 में 399.97 लाख टन से अधिक होने का अनुमान है।

गन्ना पेराई सीजन 2022-23 में वार्षिक घरेलू मांग लगभग 275 लाख टन होने का अनुमान है, जिसके बाद निर्यात के लिए लगभग 80 लाख टन चीनी बचेगी।

हाजिर में स्टॉक कम होने से कॉटन के भाव तेज, हरियाणा में नई कपास की आवक शुरू

नई दिल्ली। हाजिर में बकाया स्टॉक कम होने के कारण गुरूवार को कॉटन की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। अहमदाबाद में शंकर 6 किस्म की कॉटन के दाम 500 रुपये तेज होकर भाव 93,000 से 93,500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

हरियाणा की होडल और पलवल मंडियों में नई कपास की करीब 100 गांठ, एक गांठ 170 किलो की आवक शुरू हो गई है, तथा मौसम साफ रहा तो चालू महीने के अंत तक आवक बढ़ेगी। इन मंडियों में नई कपास 8,000 से 9,200 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार बिक रही है। चालू महीने के मध्य बाद राजस्थान की अलवर और खैरथल लाइन में भी अगेती कपास की आवक शुरू होने की उम्मीद है।

व्यापारियों के अनुसार घरेलू वायदा कारोबार में भाव तेज होने के साथ ही कॉटन की बैलेंश सीट टाईट होने के कारण जिनर्स की गांठों में बिकवाली कम आ रही है, जिससे कॉटन के भाव तेज बने हुए हैं। हालांकि राज्य की स्पिनिंग मिलें इस समय केवल जरुरत के हिसाब से कॉटन की खरीद कर रही है क्योंकि हाल ही में जिस अनुपात में कॉटन की कीमतें बढ़ी हैं, उसके हिसाब से यार्न के दाम नहीं बढ़ पाये। इसलिए कॉटन की मौजूदा कीमतों में मिलों को पड़ते नहीं लग रहे हैं। उधर स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक पिछले साल की तुलना में कम है तथा प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और मध्य प्रदेश की की मंडियों में नई कपास सितंबर, अक्टूबर में ही आयेगी। इसलिए हाजिर बाजार में में अभी कॉटन की कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं है।

चालू खरीफ में प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र में कपास की बुआई बढ़ी है, तथा एकाध क्षेत्र को छोड़ दे तो फसल अभी तक अच्छी स्थिति है। हालांकि सितंबर अंत तक उत्पादक राज्यों में मौसम कैसा रहता है, इस पर उत्पादन अनुमान निर्भर करेगा। जानकारों का मानना है कि मौसम अनुकूल रहा तो चालू सीजन में कपास का उत्पादन बढ़कर 400 गांठ से भी ज्यादा होने का अनुमान है।

कपास की बुआई 6.71 फीसदी बढ़कर 121 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में 5 अगस्त तक देशभर के राज्यों में कपास की बुआई 6.71 फीसदी बढ़कर 121.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 113.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

उत्तर भारत के राज्यों पंजाब और हरियाणा में हालांकि समय पर नहरी पानी एवं बिजली आपूर्ति की कमी के कारण कपास की बुआई घटकर क्रमशः 2.48 और 6.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इन राज्यों में क्रमशः 2.54 और 6.88 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

राजस्थान में जरूर चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 6.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी हैए जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5.99 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गुजरात में चालू खरीफ में कपास की बुआई बढ़कर 25.04 लाख हेक्टेयर में और महाराष्ट्र में 41.71 लाख हेक्टेयर मेें हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 22.22 और 38.74 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। जानकारों के अनुसार इन राज्यों में जहां जून में सामान्य की तुलना में कम बारिश हुई थी, वहीं जुलाई में भारी बारिश से कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है, जिससे महाराष्ट्र की नागपुर लाईन में कॉटन को नुकसान की आशंका है।

मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई घटकर 5.00 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 6 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना में कपास की बुआई घटकर 18.38 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इसकी बुआई 20.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

आंध्र प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 4.67 लाख हेक्टेयर में, कर्नाटक में 7.39 लाख हेक्टेयर में और तमिलनाडु में 0.12 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 3.56 लाख हेक्टेयर में, 5.06 लाख हेक्टेयर में और 0.06 हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

चालू खरीफ में ओडिशा में कपास की बुआई 2.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.88 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से अरहर और उड़द में गिरावट

नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग कमजोर होने के साथ ही स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ने से मंगलवार को अरहर के साथ ही उड़द की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि चना के भाव में सुधार आया। मसूर की कीमतों में इस दौरान मिलाजुला रुख बना रहा।


व्यापारियों के अनुसार बढ़ी हुई कीमतों में दालों में ग्राहकी कमजोर जरुर हुई है, लेकिन लेमन अरहर के साथ ही उड़द एफएक्यू और एसक्यू के आयात पड़ते अभी भी महंगे हैं, इसलिए अरहर और उड़द की कीमतों में हल्की नरमी तो आ सकती है, लेकिन अभी बड़ी गिरावट के आसार कम है।

खपत का सीजन होने के कारण चना दाल और बेसन में मांग बनी रहने का अनुमान है, इसलिए अच्छी क्वालिटी के चना के भाव में और भी सुधार आने का अनुमान है। जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में अच्छी क्वालिटी के चना की आवक कम हो रही है। हालांकि नेफेड के पास चना का स्टॉक अच्छा है, तथा आगामी दिनों में नेफेड की बिकवाली शुरू हो सकती है।

देसी मसूर की आवक पहले की तुलना में मंडियों में कम हो रही है, जबकि कनाडा से आयातित मसूर के दाम नीचे बने हुए हैं। इसलिए मसूर की कीमतों में अभी तेजी के आसार नहीं है। मसूर दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है।

मध्य प्रदेश से मूंग की एमएसपी पर खरीद तो शुरू हो गई है, लेकिन तो खरीद कुछेक केंद्रों पर ही शुरू हुई है, दूसरा खरीद भी सीमित मात्रा में हो रही है। उधर पंजाब में मूंग की खरीद सरकार नहीं कर रही है। मौसम अनुकूल रहा तो चालू महीने के अंत तक राजस्थान की मंडियों में नई मूंग की आवक शुरू हो जायेगी। अतः मूंग की कीमतों में बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।

भारतीय मौसम विभाग, पिछले 48 घंटों के दौरान महाराष्ट्र और कर्नाटक के साथ ही गुजरात और पश्चिमी राजस्थान में भारी बारिश हुई है, जिसका असर खरीफ फसलों पर पड़ने का डर है।

सूत्रों के अनुसार बर्मा में लेमन अरहर के दाम 950 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने हुए हैं। 8 अगस्त को इसकी कीमतों में 20 डॉलर प्रति टन की तेजी आई थी,  भारतीय आयातकों ने आठ अगस्त को करीब 100 केंटनर के आयात सौदे किए थे। बर्मा से अरहर और उड़द का वैसल 15 अगस्त को चेन्नई के लिए लोड होने की उम्मीद है।

बर्मा में उड़द के दाम आज पांच से दस डॉलर कमजोर होकर एफएक्यू और एसक्यू के भाव क्रमशः 895 डॉलर और 1,040 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए। हालांकि इन भाव में कोई व्यापार नहीं हुआ। जानकारों के अनुसार बर्मा में डड़द का करीब 3.50 लाख टन का और लेमन अरहर का 1.50 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर के भाव में 100 रुपये की गिरावट आकर दाम 7650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के भाव 50 रुपये घटकर दाम 7550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर में मिलों की मांग कमजोर होने से भाव 100 रुपये कमजोर होकर 7500 से 7550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

इस दौरान अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतों में भी गिरावट आई। तंजानिया की अरुषा अरहर के भाव 50 रुपये कमजोर होकर 6100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 50 रुपये घटकर 6000 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। मलावी अरहर के दाम 50 रुपये घटकर 5450 रुपये और सूडान की अरहर के दाम 100 रुपये घटकर 8000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव में 50-50 रुपये का मंदा आकर भाव क्रमशः 7,650 रुपये और 8,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव 7,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

चेन्नई में उड़द एसक्यू हाजिर डिलीवरी के दाम 150 रुपये कमजोर होकर 8,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 7000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि कनाडा की मसूर के दाम 25 रुपये कमजोर होकर 6675 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

इंदौर में मसूर के बिल्टी भाव 50 रुपये तेज होकर 6,675 से 6,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

इंदौर मंडी में नई मूंग के भाव 6,200 से 6,700 रुपये एवं पुरानी के भाव 5,400 से 6,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।  

दिल्ली में चना की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर राजस्थान लाइन के चना के भाव 5,050 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के दाम 4,975 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चालू खरीफ में धान की रोपाई 12.68 फीसदी पीछे, चावल उत्पादन घटने का अनुमान

नई दिल्ली। मानसूनी सीजन के पहले सवा दो महीने बीतने को हैं, लेकिन अभी देशभर के 17 फीसदी हिस्से में बारिश सामान्य की तुलना में काफी कम हुई है, जिसका असर धान की रोपाई पर पड़ा है। चालू खरीफ में धान की रोपाई 12.68 फीसदी पिछड़कर 274.29 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है। इसका असर चालू खरीफ में चावल के उत्पादन पर पड़ने की आशंका है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 9 अगस्त तक देशभर में सामान्य से 7 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है, लेकिन इस दौरान पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य की तुलना में क्रमशः 44 और 37 फीसदी बारिश कम हुई है। इसी तरह से बिहार में इस दौरान सामान्य से 35 फीसदी कम, झारखंड में 48 फीसदी कम और पश्चिम बंगाल में 46 फीसदी कम बारिश हुई है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार देशभर के राज्यों में 5 अगस्त तक धान की रोपाई केवल 274.29 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 314.13 लाख हेक्टेयर से 12.68 फीसदी कम है।

चालू खरीफ में बिहार में धान की रोपाई घटकर 23.29 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 28.14 लाख हेक्टेयर से कम है। इसी तरह से झारखंड में चालू खरीफ में केवल 3.09 लाख हेक्टेयर में ही धान रोपा गया है जबकि पिछले खरीफ में इस समय तक 12.43 लाख हेक्टेयर में इसकी रोपाई हो चुकी थी।

उत्तर प्रदेश में चालू खरीफ में धान की रोपाई अभी तक केवल 53.17 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 56.99 लाख हेक्टेयर से कम है। पश्चिम बंगाल में चालू खरीफ में पांच अगस्त तक केवल 17.47 लाख हेक्टेयर में ही धान की रोपाई हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 29.75 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

आंध्रप्रदेश में चालू खरीफ में धान की रोपाई 6.66 लाख हेक्टेयर में, असम में 14.40 लाख हेक्टेयर में और छत्तीसगढ़ में 27.54 लाख हेक्टेयर में हुई है। पिछले खरीफ की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 6.53 लाख हेक्टेयर में, 13.76 लाख हेक्टेयर में और 31.64 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

हरियाणा में चालू खरीफ में धान की रोपाई 12.40 लाख हेक्टेयर में और पंजाब में 30.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 12.82 लाख हेक्टेयर में और 30.33 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।

मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में धान की रोपाई 22.65 लाख हेक्टेयर में, महाराष्ट्र में 12.70 लाख हेक्टेयर में और ओडिशा में 16.41 लाख हेक्टेयर में तथा तेलंगाना में 7.32 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इन राज्यों में क्रमशः 26.37 लाख हेक्टेयर में, 10.21 लाख हेक्टेयर में, 19.97 लाख हेक्टेयर में और 10.21 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।