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27 फ़रवरी 2019

सरसों का उत्पादन 19 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान-उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में सरसों की बुवाई में हुई बढ़ोतरी से उत्पादन 18.88 फीसदी बढ़कर 85 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल देश में 71.50 लाख टन का उत्पादन ही हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी सीजन में प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में सरसों का उत्पादन बढ़कर 33.75 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 25 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। उत्तर प्रदेश में चालू रबी में सरसों का उत्पादन 14.90 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में केवल 12.50 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।
अन्य राज्यों में उत्पादन बढ़ने का अनुमान
अन्य राज्यों में पंजाब और हरियाणा में सरसों का उत्पादन 8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्य में 7.75 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था। मध्य प्रदेश में सरसों का उत्पादन पिछले साल के 8.25 लाख टन से बढ़कर 10.15 लाख टन होने का अनुमान है। गुजरात और पश्चिम बंगाल में चालू रबी में सरसों का उत्पादन क्रमश: 3.45 और 5.50 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमश: 3.50 और 4.50 लाख टन का उत्पादन हुआ था। अन्य राज्यों में सरसों का उत्पादन चालू रबी में बढ़कर 9 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल अन्य राज्यों में 8.50 लाख टन का उत्पादन ही हुआ था।
बुवाई में हुई बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की बुवाई बढ़कर 69.36 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 67.05 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में सरसों की बुवाई बढ़कर 24.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 20.88 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।............  आर एस राणा

पूर्वोत्तर राज्यों में पीएम-किसान योजना का लाभ पट्टे पर खेती करने वाले किसानों को देने की तैयारी

आर एस राणा
नई दिल्ली। पूर्वोत्तर राज्यों में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को लागू करने के लिए पट्टे पर खेती कर रहे किसानों का आंकड़ा तैयार करने को कहा गया है। पूर्वोतर राज्यों में जमीनों पर किसानों का मालिकाना हक नहीं होने के कारण इन राज्यों में पीएम-किसान योजना को लागू करने में दिक्कत आ रही थी, इसलिए केंद्र सरकार ने नियमों में छूट देने का ऐलान किया है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों में किसानों का मालिकाना हक नहीं होने के कारण पीएम-किसान योजना को लागू करने में आ परेशानी को दूर करने के लिए पट्टे पर खेती करने वाले किसानों का आंकड़ा तैयार करने के लिए राज्य सरकारों को कहा गया है। उन्होंने बताया कि इन राज्यों में जमीन के वितरण का काम सामुदायिक समितियां करती हैं।
पात्र किसानों को सामुदायिक समिति के प्रमुख के देना होगा हलफनामा
उन्होंने बताया कि सभी राज्यों में सामुदायिक समितियों के साथ मिलकर किसानों का आंकड़ा तैयार करने को कहा गया है। इन राज्यों के आदिवासी किसानों के नाम भी अभी तक पीएम-किसान योजना के पात्र व्यक्तियों की सूची में दर्ज नहीं हो पाए हैं। आदिवासी किसानों के लिए भी केंद्र सरकार कोई रास्ता निकालेगी। पट्टे पर खेती कर रहे किसानों के लिए केंद्र सरकार ने नियमों में छूट दी है। पात्र किसानों को सामुदायिक समितियों के प्रमुखों के साथ पट्टे वाली जमीन का हलफनामा देना होगा, उसके आधार पर ही उसके खाते में राशि जमा की जायेगी।
कुछके राज्यों में आ रही है अड़चन
उन्होंने बताया कि मणिपुर के साथ ही अन्य राज्यों में इसे लागू करने की प्रक्रिया तेज तो कर दी है, लेकिन कुछ राज्यों में इसमें अड़चन भी आ रही है। सभी राज्यों को पात्र किसानों का ब्यौरा जल्द देने को कहा गया है, साथ ही ब्यौरा मिलने के बाद इन सभी किसानों का जमीनी स्तर पर भी सत्यापन भी किया जा रहा है, ताकि समय पर उनको पीएम-योजना सम्मान निधि की राशि मिल सके।
एक करोड़ से ज्यादा किसानों को मिल चुकी है पहली किस्त
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को प्रधानमंत्री ने 24 फरवरी को लांच किया था, तथा देशभर के एक करोड़ से ज्यादा किसानों को पहली किस्त मिल चुकी है। इस योजना से देश के 12 करोड़ से अधिक लघू एवं सीमांत किसानों जिसके पास पांच एकड़ तक खेती की जमीन है, को सालाना 6,000 रुपये देने की योजना है।
बजट में की थी घोषणा
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 2019-20 के अंतरिम बजट में छोटे और सीमान्त किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की घोषणा की थी। इस योजना का लाभ पांच एकड़ तक जोत वाले किसानों को मिलेगा। योजना के तहत 6,000 रुपये छोटे किसानों के खातों में तीन किस्तों 2,000-2,000 रुपये डाले जाएंग..............  आर एस राणा

केस्टर सीड का उत्पादन 20 फीसदी घटने का अनुमान-उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2018-19 में केस्टर सीड के उत्पादन में 20 फीसदी की गिरावट आकर कुल उत्पादन 11.26 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 14.16 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू फसल सीजन में केस्टर सीड की बुवाई में 6.64 फीसदी की कमी आकर कुल बुवाई 7.69 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी, जबकि पिछले साल 8.21 लाख हेक्टेयर में केस्टर सीड की बुवाई थी। बुवाई में कमी आने के साथ प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में मानूसनी बारिश सामान्य से कम होने के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में भी कमी आई है। गुजरात में चालू सीजन में केस्टर सीड का उत्पादन घटकर 9.34 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 12 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
अन्य राज्यों में उत्पादन घटने का अनुमान
एसईए के अनुसार अन्य राज्यों राजस्थान में चालू फसल सीजन में केस्टर सीड का उत्पादन 1.47 लाख टी ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 1.66 लाख टन का उत्पादन हुआ था। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में केस्टर सीड का उत्पादन घटकर 0.23 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 0.27 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
केस्टर तेल के निर्यात में आई कमी
चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान केस्टर तेल का निर्यात 4,011.92 करोड़ रुपये मूल्य का 4,31,238 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 4,89,256 टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान केस्टर तेल का कुल निर्यात 6,345.24 करोड़ रुपये का 6,51,326 टन का हुआ था।
भाव में आगे बनेगी और तेजी
उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक 50 से 55 हजार बोरी की हो रही है तथा यार्ड में भाव 1,030 से 1,040 रुपये प्रति 20 किलो चल रहे है। व्यापारियों के अनुसार केस्टर सीड की दैनिक आवकों का दबाव अप्रैल तक बना रह सकता है, उसके बाद आवक कम हो जायेगी। जिससे आगे इसकी कीमतों में और तेजी आने का अनुमान है। केस्टर तेल के निर्यात सौदे 1,075 से 1,080 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं।...... आर एस राणा

महाराष्ट्र के धान किसानों को 500 रुपये बोनस मिलेगा-मुख्यमंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के किसानों को धान पर 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने की घोषणा की है। राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने सकोली तालुका में एक जनसभा को संबोधित करते हुए इसका ऐलान किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले साल राज्य सरकार ने खरीफ की प्रमुख फसल धान पर 200 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दिया था। उन्होनें कहा कि पिछली सरकारें केवल चुनाव के समय बोनस की धोषणा करती थी जबकि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले साल राज्य के किसानों को धान पर 200 रुपये प्रति क्विंटल का बोनसा दिया था, जबकि किसानों की धान पर बोनस बढ़ाने की मांग को देखते हुए इसे बढ़ाकर 500 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
केंद्र सरकार ने विपणन सीजन 2018-19 के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी। केंद्र सरकार ने सामान्य किस्म के धान का एमएसपी 1,750 रुपये और ग्रेड ए किस्म के धान का एमएसपी 1,770 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था।
खरीफ सीजन में सामान्य से कम बारिश होने के कारण महाराष्ट्र के कई जिलों में सूखे जैसे हालाता होने के कारण राज्य के किसानों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। कम बारिश होने के कारण चालू रबी में राज्य में फसलों की बुवाई में भी कमी आई है।...........  आर एस राणा

चालू रबी में मोटे अनाजों के साथ ही दलहन की बुवाई में आई कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में बारिश कम होने से चालू रबी में मोटे अनाजों के साथ ही दलहन की बुवाई में कमी आई है। मोटे अनाजों की बुवाई में 14.56 फीसदी और दलहन की बुवाई में 5.35 फीसदी की कमी आई है। रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई पिछले साल से थोड़ी कम हुई है जबकि तिलहन में सरसों की बुवाई बढ़ी है। रबी फसलों की बुवाई अब लगभग पूरी हो चुकी है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई चालू रबी में 299.68 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 300.12 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी। चालू रबी में दालों की बुवाई 5.35 फीसदी घटकर 157.67 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 166.58 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
चना की बुवाई 10.21 फीसदी घटी
रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई 10.21 फीसदी घटकर 96.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 107.57 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मसूर की बुवाई चालू रबी में घटकर 16.93 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 9.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले इस समय इनकी बुवाई क्रमश: 17.25 और 10.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मटर की बुवाई जरुर चालू रबी में बढ़कर 10.45 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 9.38 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंग की बुवाई भी चालू रबी में 4.51 फीसदी घटकर 8.55 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।
मोटे अनाजों की बुवाई 14.56 फीसदी कम
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में घटकर 48.79 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 57.11 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। ज्वार की बुवाई चालू रबी में 18.99 फीसदी घटकर 25.16 लाख हेक्टेयर में और मक्का की बुवाई 9.99 फीसदी घटकर 15.56 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई क्रमश: 31.95 और 17.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से जौ की बुवाई 4.95 कम होकर 7.25 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है।
तिलहन में सरसों की बुवाई ज्यादा
रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई पिछले साल के 67.06 लाख हेक्टेयर से 3.44 फीसदी बढ़कर 69.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। मूंगफली की बुवाई 23.30 फीसदी घटकर 4.81 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की बुवाई में 34.53 फीसदी की गिरावट आकर 1.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। अलसी की बुवाई भी 13.48 फीसदी घटकर 3.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।
धान की रोपाई बढ़ी
धान की रोपाई चालू रबी में 14.39 फीसदी बढ़कर 49.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 43.20 लाख हेक्टेयर में रोपाई ही हो पाई थी।..........  आर एस राणा

पुलवामा आंतकी हमले के बाद पाकिस्तान को एग्री उत्पादों का निर्यात प्रभावित

आर एस राणा
नई दिल्ली। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से भारतीय निर्यातक पाकिस्तान को एग्री उत्पादों के नए निर्यात सौदे नहीं कर रहे हैं। मौजूदा माहौल में कोई भी निर्यातक जोखिम मोल नहीं लेना चाहता। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान पाकिस्तान ने भारत से 2,845 करोड़ रुपये मूल्य के 2,49,104 टन एग्री उत्पादों का आयात किया है।
पंजाब के फिरोजपुर केंट स्थित भगवती लेक्टो वेजिटेरियन एक्सपोर्ट प्रावईवेट लिमिटड के समीर मित्तल ने आउटलुक को बताया कि पुलावामा में हुए आंतकी हमले के बाद से एग्री उत्पादों का निर्यात पाकिस्तान को नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले हो चुके सौदों की शिपमेंट भी रुोक दी गई है, क्योंकि वर्तमान हालात में कोई भी निर्यातक पैमेंट का जोखिम नहीं लेना चाहता है।
एमएफएन का दर्जा छीनने के बाद से हुआ आयात बंद
गुजरात के जूनागढ़ में स्थित बदानी कारपोरेशन के कमलेश बदानी ने बताया कि भारत से पाकिस्तान को किए जाने वाले एग्री उत्पादों में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मूंगफली दाना, दलहन तथा फल एवं सब्जियों की है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (एमएफएन) का दर्जा छीन लेने के बाद से वहां से आयात बंद हो गया है। खारी बावली के ड्राईफ्रूट विक्रेता ने बताया कि पुलवामा अटैक के बाद से पाकिस्तान से ड्राईफ्रट में छुहारे आदि का आयात बंद हो गया है।
पेमेंट का जोखिम नहीं लेन चाहते निर्यातक
एपीडा के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान के साथ इस समय अनिश्चित्ता का माहौल बना हुआ है इसलिए निर्यातक पैमेंट या फिर कंसाइनमेंट का जोखिम क्यों लेना चाहेगा? इसलिए जब तक हालात सामान्य नहीं होंगे, तब तक पाकिस्तान को भारत से एग्री उत्पादों के निर्यात सौदे प्रभावित ही रहेगा। एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में पाकिस्तान ने भारत से 2,960.47 करोड़ रुपये मूल्य के 2,99,101 टन एग्री उत्पादों का आयात किया था।
कुल आयात में कॉटन उत्पादों की हिस्सेदारी ज्यादा
पाकिस्तान ने भारत से चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान 1,961.86 करोड करोड़ रुपये के कॉटन उत्पादों का, 130 करोड़ रुपये के मोटे अनाजों का, 52.71 करोड़ रुपये मूल्य की दालों का, 40.60 करोड़ रुपये के डेयरी उत्पादों का, 46.29 करोड़ रुपये मीट का तथा 31.20 करोड़ रुपये ताजे फलों का और 30.54 करोड़ रुपये के मूंगफली दाने का आयात किया है।............. आर एस राणा

ठंड के लंबे सीजन से गेहूं और तिलहन की फसलों का उत्पादन बढ़ेगा-कृषि आयुक्त

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू सीजन में सर्दी का मौसम लंबा होने से रबी की प्रमुख फसल गेहूं के साथ ही तिलहन की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है। कृषि आयुक्त एस के मल्होत्रा ने कहा कि चालू रबी में गेहूं का उत्पादन बढ़कर 10 करोड़ टन से ज्यादा होने का अनुमान है।
गेहूं का रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
गुरूवार को भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) में आयोजित मिंट फार्मिंग सम्मेलन के दौरान एस के मल्होत्रा ने संवाददाताओं से कहा कि चालू महीने में हुई उत्पादक राज्यों में बारिश से गेहूं की फसल को फायदा हुआ है, मौसम में ठंड होने से गेहूं की प्रति हेक्टेयर उत्पादता में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि प्रमुख उतपादक राज्यों से मिली सूचना के आधार पर रबी फसल सीजन 2018-19 में गेहूं का उत्पादन बढ़कर 10 करोड़ टन से ज्यादा होने का अनुमान है जबकि पिछले रबी सीजन में 9.97 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था।
खाद्य तेलों के आयात बिल में कटौती का लक्ष्य
उन्होंने कहा कि चालू रबी में दालों का उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर 250 लाख टन के करीब ही होने का अनुमान है। हालांकि तिलहन का उत्पादन चालू रबी सीजन में बढ़कर 320 से 330 लाख टन होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि दालों में देश लगभग आत्मनिर्भर हो गया है और अब सरकार का ध्यान खाद्य तेलों के आयात में बिल में कटौती करने के लिए तिलहन उत्पादन बढ़ाने पर जोर है। देश में खाद्य तेलों का सालाना आयात करीब 70,000 करोड़ रुपये का होता है।
रबी फसलों की बुवाई में आई कम
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई 298.47 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 299.84 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम है। चालू रबी में फसलों की कुल बुवाई 25.77 लाख हेक्टेयर घटकर 617.83 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 643.60 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।.......  आर एस राणा

पुलवामा अटैक के बाद पाकिस्तान को हो रहे कपास के निर्यात सौदे रुके

आर एस राणा
नई दिल्ली। पुलवामा अटैक का असर भारत से पाकिस्तान को हो रहे कपास के निर्यात सौदों पर भी असर पड़ा है। वर्तमान में भारतीय निर्यातक कपास के नए निर्यात सौदे नहीं कर रहे हैं।
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से भारतीय निर्यातकों ने पाकिस्तान को कपास के निर्यात सौदे रोक दिए हैं। उन्होंने बताया कि जब तक स्थिति साफ नहीं होती, तब तक निर्यात सौदे रुके रहने की आशंका है। मौजूदा माहौल में कोई भी निर्यातक निर्यात करने का जोखिम नहीं लेना चाहेगा। उन्होंने बताया कि चालू फसल सीजन में अभी तक पाकिस्तान ने करीब 6 से 7 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास के आयात सौदे किए हैं जबकि पिछले साल 14 से 15 लाख गांठ कपास का आयात किया किया था।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के अनुसार पाकिस्तान में कपास का उत्पादन काफी कम हुआ है, जिस कारण पाकिस्तान को कपास की जरुरत है। इसलिए पाकिस्तान, भारत से कपास के हो रहे आयात पर शुल्क नहीं लगायेगा।
कुल निर्यात कम होने की आशंका
उन्होंने बताया कि चालू फसल सीजन में पहली अक्टूबर 2018 से अभी तक करीब 30 लाख गांठ कपास कुल निर्यात सौदे हुए हैं जबकि पिछले साल इस समय तक लगभग 35 लाख गांठ का निर्यात हुआ था। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में कपास का कुल निर्यात करीब 55 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में 69 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। सीएआई ने चालू सीजन में 27 लाख गांठ के आयात का अनुमान लगाया है।
चालू सीजन में आवक 53.64 लाख गांठ हुई है कम
सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन 2018-19 में कपास का उत्पादन घटकर 330 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 365 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। चालू फसल सीजन में पहली अक्टूबर 2018 से 19 अक्टूबर 2019 तक 190 लाख गांठ कपास की आवक हुई है जबकि पिछले सीजन की समान अवधि में 243.64 लाख गांठ की हुई थी। अत: चालू सीजन में 53.64 लाख गांठ की आवक कम हुई है।
विश्व बाजार में उपलब्धता कम
कॉटन के निर्यात संजीव गर्ग ने बताया कि विश्व बाजार में कपास की कुल उपलब्धता करीब 80 गांठ कम है, इसके बावजूद भी विश्व बाजार में कपास की कीमतों में गिरावट आई है। न्यूयार्क में मई महीने के वायदा अनुबंध में कपास का भाव 72.16 सेंट प्रति पाउंड रह गया है जबकि घरेलू बाजार में अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की पास का भाव 42,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) है। अत: मौजूदा भाव में निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। चालू सीजन में घरेलू बाजार में कपास की उपलब्धता कम है, ऐसे में अप्रैल में कपास की कीमतों में तेजी बनने की संभावना है।........  आर एस राणा

चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 7.73 फीसदी ज्यादा

17 फ़रवरी 2019

रबी फसलों की बुवाई 25 लाख हेक्टेयर घटी, खाद्यान्न उत्पादन में कमी की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में फसलों की बुवाई 25.77 लाख हेक्टेयर घटकर 617.83 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जिससे खाद्यान्न के उत्पादन में भी कमी आने की आशंका है। रबी में दलहन के साथ ही मोटे अनाज और धान की रोपाई में कमी आई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार मोटे अनाजों की बुवाई में 14.60 फीसदी, दलहन की बुवाई में 5.91 फीसदी और धान की रोपाई में 14.33 फीसदी की कमी आई है। महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और ओडिशा तथा बिहार के साथ ही कई अन्य राज्यों के कई जिलों में खरीफ में बारिश सामान्य से कम हुई थी जिससे सूखे जैसे हालात बनने के कारण बुवाई पर असर पड़ा है। 
मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई चालू रबी में 298.47 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 299.84 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी। चालू रबी में दालों की बुवाई 5.91 फीसदी घटकर 156.30 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 166.11 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
चना की बुवाई 10 फीसदी से ज्यादा घटी
रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई 10.21 फीसदी घटकर 96.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 107.57 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मसूर की बुवाई चालू रबी में घटकर 16.93 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 9.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले इस समय इनकी बुवाई क्रमश: 17.25 और 9.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मटर की बुवाई जरुर चालू रबी में बढ़कर 10.44 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 9.38 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मूंग की बुवाई भी चालू रबी में 13.42 फीसदी घटकर 7.63 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। 
मोटे अनाजों की बुवाई 14.60 फीसदी कम
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में घटकर 48.69 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 57.02 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। ज्वार की बुवाई चालू रबी में 19.05 फीसदी घटकर 25.14 लाख हेक्टेयर में और मक्का की बुवाई 9.99 फीसदी घटकर 15.49 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। इसी तरह से जौ की बुवाई 4.49 कम होकर 7.25 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है।
तिलहन में सरसों की बुवाई ज्यादा
रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई पिछले साल के 67.06 लाख हेक्टेयर से 3.44 फीसदी बढ़कर 69.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। मूंगफली की बुवाई 23.30 फीसदी घटकर 4.81 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की बुवाई में 34.53 फीसदी की गिरावट 1.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। अलसी की बुवाई भी 13.48 फीसदी घटकर 3.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।
धान की रोपाई 14.33 फीसदी घटी
धान की रोपाई चालू रबी में 14.33 फीसदी घटकर 33.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 39.64 लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी थी.......  आर एस राणा

कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने के लिए जोन-कलस्टर चिह्नि : प्रभु

आर एस राणा
नई दिल्ली। केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने नई कृषि निर्यात नीति के तहत जोन और क्लस्टर चिह्नित किये हैं जिससे देश से कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिल सकेगा।
केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कहा कि ये जोन और क्लस्टर बंदरगाहों और हवाई अड्डों तक आसान पहुंच को ध्यान में रखते हुए चिह्नित किए गये हैं। उन्होंने कहा कि नई कृषि निर्यात नीति वाणिज्य, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालयों ने मिलकर संयुक्त रुप से बनाई है। 
किसान को होगा फायदा
सुरेश प्रभु ने बताया कि वाणिज्य मंत्रालय किसानों और निर्यातकों की सहायता से राज्यों में ऐसे केंद्रों की श्रंखला स्थापित करेगा, जिससे किसान और निर्यातक अपने उत्पादों की उस अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रांडिग और बिक्री आसानी से कर सकेंगे जहां उनके उत्पादों की मांग ज्यादा है।
भारत चावल का प्रमुख निर्यातक देश
कृषि उत्पादों में भारत चावल के साथ ही मसालों के साथ चाय और काफी का बड़े पैमाने पर निर्यात करता है। वित्त वर्ष 2017-18 में भारत ने बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से 26,870 करोड़ रुपये का 40.56 लाख टन का निर्यात किया था। इसके अलावा गैर-बासमती चावल का वित्त वर्ष 2017-18 में 22,967 करोड़ रुपये का 86.48 लाख टन का निर्यात किया था। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से 21,203 करोड़ रुपये का और गैर-बासमती चावल का निर्यात 15,529 करोड़ रुपये का हो चुका है।......  आर एस राणा

केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव बढ़ाकर 31 रुपये तय किए

आर एस राणा
नई दिल्ली। गन्ना किसानों के बढ़ते बकाया से परेशान केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव (एमएसपी) में 2 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 31 रुपये तय कर दिया है। पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर से सितंबर) पहली अक्टूबर 2018 से 13 फरवरी 2019 तक किसानों का चीनी मिलों पर बकाया बढ़कर 20,167 करोड़ रुपये पहुंच गया।
खाद्य मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार चीनी का न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलो कर दिया है जिससे चीनी मिलों को उचित राशि मिलेगी। अत: गन्ना किसानों को प्राथमिकता के आधार पर भुगतान किया जा सकेगा। 
चीनी की कीमतों में आया सुधार
मंत्रालय के अनुसार बकाया में सबसे ज्यादा राशि उत्तर प्रदेश के किसानों की 7,339 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र के किसानों की 4,799 रुपये और कर्नाटक के किसानों का बकाया बढ़कर 3,900 रुपये पहुंच गया है। चीनी कारोबारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि शुक्रवार को दिल्ली में चीनी के भाव 3,425 से 3,450 रुपये और उत्तर प्रदेश में एक्स-फैक्ट्री भाव 3,200 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। महाराष्ट्र में चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव 3,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। चीनी की कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। माना जा रहा है कि मौजूदा कीमतों में 50 से 100 रुपये की और भी तेजी बन सकती है।
पहले चार महीनों में चीनी उत्पादन ज्यादा
पहली अक्टूबर 2018 से 31 जनवरी 2019 तक चीनी का उत्पादन 8.15 फीसदी बढ़कर 185.19 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 171.23 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का कुल उत्पादन घटकर 307 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में 325 लाख टन का उत्पादन हुआ था।......  आर एस राणा

एमएसपी से उंचे भाव पर धान की खरीद का खर्च छत्तीसगढ़ सरकार वहन करेगी-केंद्र

आर एस राणा
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार द्वारा धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ज्यादा दाम पर करने से राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। केंद्र सरकार ने राज्य को पत्र लिख कर सूचित किया है कि एमएसपी और खरीद के भाव के अंतर का बोझ राज्य सरकार को स्वयं वहन करना होगा।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने राज्य सरकार को सूचित कर दिया है कि समर्थन मूल्य और खरीद भाव के अंतर की भरपाई स्वयं राज्य सरकार को करनी होगी। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) छत्तीसगढ़ से 24 लाख टन चावल की खरीद करेगी, इसके अलावा 24 लाख टन चावल और खरीदा जायेगा। अत: एफसीआई राज्य से 48 लाख टन चावल की खरीद करेगी। इसके लिए राज्य सरकार को धान के एमएसपी 1,750 रुपये प्रति क्विंटल के आधार पर भुगतान किया जायेगा। चूंकि चालू खरीफ में राज्य सरकार ने किसानों से धान की खरीद 2,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर की है अत: 750 रुपये प्रति क्विंटल के अंतर की भरपाई स्वयं राज्य सरकार को वहन करनी होगी।
राज्य से 40.80 लाख टन चावल की हो चुकी है खरीद
एफसीआई के अनुसार चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में छत्तीसगढ़ से 11 फरवरी 2019 तक 40.80 लाख टन चावल की खरीद हो चुकी है जबकि पिछले साल कुल खरीद 32.55 लाख टन की ही हुई थी। चालू खरीफ विपणन सीजन के लिए राज्य सरकार ने एमएसपी पर 55 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य तय किया है। सूत्रों के अनुसार धान का खरीद मूल्य ज्यादा होने के कारण पड़ोसी राज्यों तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और ओडिशा के किसान भी छत्तीसगढ़ की मंडियों में धान बेच रहे हैं।
एमएसपी से ज्यादा है राज्य का खरीद मूल्य
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए कॉमन ग्रेड धान का एमएसपी 1,750 और ग्रेड-ए धान का एमएसपी 1,770 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि राज्य सरकार ने किसानों से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर खरीद की है।............  आर एस राणा

खाद्य तेलों के आयात में बढ़ोतरी से तिलहन की कीमतों पर बनेगा दबाव

आंध्रप्रदेश के किसानों को नायडू सरकार देगी 4,000 रुपये सालाना

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के बाद अब आंध्रप्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों को सालाना 4,000 रुपये वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। राज्य के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इसको मंजूरी दी गई।
राज्य सरकार ने किसानों के लिए 'अन्नादता सुखीभावा' योजना को मंजूरी है, जिसके तहत राज्य के किसानों को सालाना 4,000 रुपये दिए जायेंगे। यह राशि केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली सालाना 6,000 रुपये से अलग होगी। केंद्र सरकार ने अंतरिम बजट में किसानों को सालाना 6,000 रुपये की राशि तीन किस्तों में देने की घोषणा की थी।
राज्य के 54 लाख किसानों को होगा फायदा
राज्य के कृषि मंत्री एस चंद्रमोहन रेड्डी के अनुसार इससे राज्य के किसानों को लाभ होगा, तथा इस योजना के दायरे में राज्य के 54 लाख किसान आयेंगे। मंत्री ने कहा कि फरवरी के अंत तक किसानों के बैंक खातों में पैसा जमा कर दिया जाएगा। इसमें केंद्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले 2,000 रुपये भी शामिल होंगे।
केंद्र भी मार्च से पहले करेगा पहली किस्त जारी
केंद्र सरकार भी मार्च से पहले किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत पहली किस्त के 2,000 रुपये जारी करेगी। इसके लिए राज्य सरकारें किसानों के डाटा जुटा रही हैं। केंद्र सरकार ने पीएम-किसान योजना में पांच एकड़ की जोत वाले किसानों को शामिल किया है। इसके तहत लघु और सीमांत किसान को हर साल 6,000 रुपये दिए जाएंगे ताकि किसानों की आमदनी बढ़ सके। यह राशि तीन किस्तों में 2-2 हजार रुपये मिलेंगे तथा यह राशि सीधे किसान के खाते में जमा की जायेगी।......, आर एस राणा

चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलो करने की तैयारी

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन (अक्टूबर से सितंबर) के पहले चार महीनों में ही गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये को पार को कर गया है। ऐसे में चीनी मिलों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव (एमएसपी) को 29 से बढ़ाकर 31 रुपये प्रति किलो करने की तैयारी कर रही है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव को बढ़ाने पर सचिवों के समूह की आज बैठक हुई थी, जिसमें एमएसपी को 29 रुपये से बढ़ाकर 31 रुपये करने पर एक राय बनी है। उन्होंने बताया कि इस मामले पर पीएमओ में पहले ही चर्चा हो चुकी है। अत: खाद्य मंत्रालय के प्रस्ताव पर जल्दी ही मोहर लग सकती है।
एसएसपी में 2 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी का प्रस्ताव
केंद्र सरकार ने जून 2018 में चीनी का न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये प्रति किलो तय किया था। उन्होंने बताया कि न्यूनतम बिक्री भाव में 2 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी करने से चीनी मिलों को राहत मिलेगी, जिससे गन्ना किसानों के बकया भुगतान में भी सुधार आने का अनुमान है। चीनी कारोबारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि मंगलवार को दिल्ली में चीनी के भाव 3,325 से 3,350 रुपये और उत्तर प्रदेश में एक्स-फैक्ट्री भाव 3,100 से 3,125 रुपये प्रति क्विंटल रहे। महाराष्ट्र में चीनी के एक्स-फैक्ट्री भाव 2,900 रुपये प्रति क्विंटल है। बिक्री भाव में बढ़ोतरी करने से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी बनने की संभावना है।
पहले चार महीनों में ही बकाया बढ़कर 20 हजार करोड़
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन के पहले चार महीनों पहली अक्टूबर 2018 से 31 जनवरी 2019 तक गन्ना किसानों का बकाया बढ़कर चीनी मिलों पर करीब 20 हजार करोड़ रुपये पहुंच गया है। बकाया भुगतान नहीं होने से गन्ना के प्रमुख उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश के साथ ही महाराष्ट्र में गन्ना किसानों में रोष बढ़ रहा है।
विश्व बाजार में चीनी के भाव कम
सूत्रों के अनुसार चालू पेराई सीजन में अभी तक 14 से 15 लाख टन चीनी का ही निर्यात हुआ है जबकि केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन के लिए 50 लाख टन का कोटा तय कर रखा है। चीनी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उद्योग से जुड़े पदाधिकारियों ने कई देशों का दौरा किया था। सूत्रों ने बताया कि मलेशिया ने भारत से 44,000 टन चीनी के आयात के सौदे किए हैं, तथा इनडोनेशिया से भी आयात आर्डर मिलने की उम्मीद है। विश्व बाजार में व्हाईट चीनी के भाव 380 से 385 डॉलर प्रति टन हैं, जबकि घरेलू बाजार में दाम उंचे हैं। जिस कारण निर्यात सीमित मात्रा में ही हो रहा है।
चीनी का कुल उत्पादन कम होने का अनुमान
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 307 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में 325 लाख टन का उत्पादन हुआ था। पहली अक्टूबर 2018 से 31 जनवरी 2019 तक चीनी का उत्पादन 8.15 फीसदी बढ़कर 185.19 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 171.23 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।.... आर एस राणा

10 फ़रवरी 2019

केंद्र सरकार चार लाख टन मक्का आयात को दे सकती है मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में मक्का की कीमतों में आई तेजी रोकने के लिए केंद्र सरकार चार लाख टन मक्का के आयात को मंजूरी दे सकती है। पोल्ट्री फीड निर्माताओं के साथ ही स्टार्च मिलों की मांग को देखते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने इसका प्रस्ताव तैयार किया है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार उद्योग की मांग को देखते हुए चार लाख टन मक्का आयात की मंजूरी का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में मक्का की कीमतों में महीनेभर में ही करीब 18 से 20 फीसदी की तेजी आ चुकी है। 
दिल्ली के नया बाजार के मक्का कारोबारी राजेश गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में मक्का के भाव बढ़कर 2,200 से 2,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं, महीने भर में ही कीमतों में करीब 400 से 450 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। मध्य प्रदेश की मंडियों में मक्का के भाव 2,000 से 2,050 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि रबी सीजन की मक्का की आवक अप्रैल में बनेगी तथा रबी में मक्का का सबसे ज्यादा उत्पादन बिहार में होता है जबकि अन्य उत्पादक राज्य तमिलनाडु, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश हैं।
खरीफ में उत्पादन अनुमान था ज्यादा
कृषि मंत्रालय ने पहले आरंभिक अनुमान में खरीफ सीजन 2018-19 में 214.7 लाख टन मक्का के उत्पादन का अनुमान जारी किया था जोकि इसके पिछले साल खरीफ सीजन के उत्पादन 202.4 लाख टन से ज्यादा है। खरीफ में मक्का का उत्पादन मुख्यत: महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में ज्यादा होता है जबकि चालू खरीफ में महाराष्ट्र के साथ ही कर्नाटक के कई जिलों में सूखे जैसे हालात होने के कारण मक्का के उत्पादन में कमी आई है।
रबी में मक्का की बुवाई घटी
चालू रबी सीजन में मक्का की बुवाई 9.78 फीसदी घटकर 14.88 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 16.50 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। बिहार में चालू रबी में मक्का की बुवाई 4.58 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 4.66 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी। अन्य राज्यों में तमिनाडु में 2.05 लाख हेक्टेयर में, महाराष्ट्र में 1.16 लाख हेक्टेयर में तथा आंध्रप्रदेश में 1.46 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है।
होली तक रहेगी तेजी
मक्का में पोल्ट्री फीड निर्माताओं के साथ ही, स्टार्च मिलों की मांग अच्छी बनी हुई है तथा होली तक मांग बनी रहने का अनुमान है। इसलिए मौजूदा भाव में 50 से 100 रुपये की ओर तेजी बन सकती है। होली के बाद पोल्ट्री की मांग कमजोर हो जायेगी, तथा आगे मार्च के आखिर तथा अप्रैल में रबी मक्का की आवक बन जायेगी। उसके बाद ही भाव में गिरावट आने का अनुमान है।................  आर एस राणा

किसान सम्मान निधि का नया पोर्टल, 26 फरवरी से देखे सकेंगे लाभार्थी किसान नाम

किसानों को आर्थिक मदद देने के लिए मोदी सरकार ने बजट में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का ऐलान किया था. इसके तहत हर किसानों को सालाना 6000 रुपए की आर्थिक मदद सीधे उनके खाते में डाली जाएगी. किसानों को पैसा तीन किस्त में दिया जाना है. पहली किश्त मार्च में दी जाएगी. लेकिन, इस योजना का फायदा किन किसानों को मिलेगा, इसके लिए सरकार ने एक पोर्टल बनाया है. इस पर उन किसानों का नाम डाला जाएगा, जिन तक यह आर्थिक मदद पहुंचेगी. सरकार ने इस पोर्टल को लॉन्च कर दिया है. 

http://pmkisan.nic.in इस पोर्टल पर किसान योजना से जुड़े सभी नियम दिए गए हैं. पोर्टल में यह भी जानकारी दी गई है कि किस राज्य के किसान इस किसान योजना के दायरे में आएंगे और कौन नहीं. सरकार की इस योजान को अमली जामा पहनाने के लिए कई एजेंसियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है.

26 से दिखाई देंगे किसानों के नाम

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के मुताबिक, किसानों को सालाना तीन किस्त में 2000-2000 रुपए दिए जाएंगे. पहली किस्त मार्च में किसानों के खातों में डाली जाएगी. इसके  लिए सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि वह किसानों की सूची पोर्टल में डाल दें. पोर्टल में किसानों के नाम डालने की अंतिम तारीख 25 फरवरी  है.  26 फरवरी से पोर्टल में किसान अपना नाम देख सकेंगे. इसके अलावा उन्हें इस बात की भी जानकारी मिल सकेगी कि उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा या नहीं. 

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के मुताबिक, किसानों को सालाना तीन किस्त में 2000-2000 रुपए दिए जाएंगे. पहली किस्त मार्च में किसानों के खातों में डाली जाएगी. इसके  लिए सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि वह किसानों की सूची पोर्टल में डाल दें. पोर्टल में किसानों के नाम डालने की अंतिम तारीख 25 फरवरी  है.  26 फरवरी से पोर्टल में किसान अपना नाम देख सकेंगे. इसके अलावा उन्हें इस बात की भी जानकारी मिल सकेगी कि उन्हें इस योजना का लाभ मिलेगा या नहीं.  
28 फरवरी से ट्रांसफर किए जाएंगे पैसे

पोर्टल पर किसानों के नाम की सूची डलने के बाद पैसे ट्रांसफर करने की प्रक्रिया शुरू होगी. हालांकि, रकम ट्रांसफर करने की अंतिम तारीख 31 मार्च है. लेकिन, सरकारी अधिकारियों का कहना है कि वह इस प्रक्रिया को 28 फरवरी से शुरू कर देंगे. इसका फायदा यह होगा कि चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले आचार संहिता का उल्लंघन नहीं होगा. आपको बता दें, चुनाव आयोग ऐलान कर चुका है कि आगमी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान मार्च के पहले सप्ताह में हो सकता है.

1 दिसंबर 2018 से लागू है योजना

दरअसल, सरकार ने इस योजना को 1 दिसंबर 2018 से ही लागू किए जाने का ऐलान किया है, इसलिए इसकी पहली किस्त 31 मार्च 2019 से पहले तक पहुंचानी होगी. गौरतलब है कि मोदी सरकार ने 1 फरवरी को पेश बजट में पीएम-किसान योजना का ऐलान किया था. इस योजना के तहत देशभर के करीब 12 करोड़ छोटे एवं सीमांत किसान परिवारों को चार-चार महीनों की तीन किस्तों में 6 हजार रुपए सालाना सहायता राशि दी जाएगी. इसका लाभ उन्हीं किसानों को दिया जाएगा जिनके पास 2 हेक्टेयर यानी 5 एकड़ खेती योग्य जमीन है.

आयकर दाता और दस हजार पेंशन पाने वाले किसानों को नहीं मिलेगा पीएम किसान योजना का लाभ

आर एस राणा
नई दिल्ली। आयकर दाता के साथ सेवारत और सेवानिव्रृत कर्मचारियों, मौजूदा या पूर्व सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के साथ ही मासिक 10 हजार रुपये पेंशन पाने वाले किसान को बजट में घोषित छोटे और सीमांत किसानों के लिए 6,000 रुपये की आय समर्थन योजना का लाभ नहीं मिलेगा।  
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 2019-20 के अंतरिम बजट में छोटे और सीमांत किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना की घोषणा की थी। इस योजना का लाभ पांच एकड़ तक जोत वाले किसानों को मिलेगा। योजना के तहत 6,000 रुपये छोटे किसानों के खातों में तीन किस्तों में डाले जाएंगे। सरकार के अनुमान के अनुसार इस योजना से देश के 12 करोड़ किसान परिवार लाभान्वित होने का अनुमान है।
पांच एकड़ खेती वाले किसानों को मिलेगा लाभ
सरकार ने इस 75,000 करोड़ रुपये की योजना के दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा है कि पेशेवर निकायों के पास पंजीकृत चिकित्सकों, इंजीनियरों, वकीलों, चार्टर्ड अकाउंटेंट और वास्तुकारों तथा उनके परिवार के लोग भी इस योजना का लाभ उठाने के पात्र नहीं होंगे। दिशानिर्देशों में छोटे और सीमान्त किसानों को ऐसे किसान परिवार के रूप में परिभाषित किया गया है जिनमें पति, पत्नी और नाबालिग बच्चों के पास संबंधित राज्य या संघ शासित प्रदेश के भूमि रिकॉर्ड के अनुसार सामूहिक रूप से खेती योग्य भूमि पांच एकड़ अथवा इससे कम हो। 
31 मार्च से पहले जारी होगी पहली किस्त
इस योजना के तहत सरकार पहली किस्त 31 मार्च 2019 से पहले जारी करेगी। पहली किस्त प्राप्त करने के लिए आधार नंबर जरूरी नहीं है, लेकिन दूसरी किस्त से यह अनिवार्य होगा। संस्थागत भूमि मालिकों को भी लाभार्थियों की सूची में शामिल नहीं किया गया है। यदि किसी किसान परिवार के एक या अधिक सदस्य किसी संस्थागत पद पर पूर्व में या वर्तमान में कार्यरत, मौजूदा या पूर्व मंत्री, राज्य मंत्री, लोकसभा-राज्यसभा, विधानसभा या विधान परिषद के पूर्व या मौजूदा सदस्य, नगर निगमों के पूर्व या मौजूदा मेयर और जिला पंचायतों के मौजूदा या पूर्व चेयरपर्सन हैं तो उनको भी इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
दस हजार रुपये पेंशन पाने नहीं होंगे हकदार
केंद्र और राज्य सरकारों के मौजूदा या सेवानिवृत्त कर्मचारियों के अलावा स्थानीय निकायों के नियमित कर्मचारियों (इसमें मल्टी टास्किंग कर्मचारी-श्रेणी 4-समूह डी के कर्मचारी शामिल नहीं हैं) को भी इस योजना का फायदा नहीं मिल सकेगा। ऐसे सभी सेवानिवृत्त कर्मचारी या पेंशनभोगी जिनकी मासिक पेंशन 10,000 रुपये या उससे अधिक है, को भी इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इसमें भी मल्टी टास्किंग कर्मचारी-श्रेणी 4-समूह डी के कर्मचारी शामिल नहीं हैं। साथ ही, इस योजना का लाभ उन किसानों को भी नहीं मिलेगा जिन्होंने पिछले वित्त वर्ष में आयकर दिया है।
सभी राज्यों से मांगा सहयोग
कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री किसान योजना के त्वरित कार्यान्वयन के लिए सहयोग मांगा है। सभी मुख्यमंत्रियों को अलग से लिखे पत्र में कहा कि आप इस बात से सहमत होंगे कि राज्य स्तर से लेकर ग्रामीण स्तर तक प्रशासनिक मशीनरी की प्रतिबद्ध भागीदारी इस योजना के समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए अत्यंत आवश्यक है। मंत्री ने राज्यों से इस योजना के त्वरित कार्यान्वयन के लिए समर्थन प्रदान करने का अनुरोध किया ताकि पात्र छोटे और सीमांत परिवारों को त्वरित लाभ हस्तांतरित किया जा सके। ......... आर एस राणा

कपास के उत्पादन अनुमान में उद्योग ने फिर की पांच लाख गांठ की कटौती

आर एस राणा
नई दिल्ली। कपास के उत्पादन अनुमान में उद्योग ने एक बार फिर पांच लाख गांठ की कटौती कर दी है। उद्योग के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में कपास का उत्पादन 330 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलोग्राम) ही होने का अनुमान है। इससे पहले जनवरी में जारी अनुमान में भी 5.25 लाख गांठ की कमी थी। पिछले साल 365 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था।
तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में घटाया उत्पादन
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के अनुसार तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में कपास की तीसरी और चौथी पिकिंग नहीं होने से उत्पादन अनुमान में कमी आई है। इससे पहले के उत्पादन अनुमान में तेलंगाना में 2.50 लाख गांठ, आंधप्रदेश में 50 हजार गांठ और कर्नाटक में 2 लाख गांठ की कमी आने का अनुमान है। 
सबसे बड़े राज्य गुजरात में कम रहेगा उत्पादन
सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन 2018-19 में तेलंगाना में 45 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 16 लाख गांठ, कर्नाटक में 15 लाख गांठ तथा तमिलनाडु में पांच लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान है। गुजरात में चालू सीजन में कपास का उत्पादन 83.50 लाख गांठ कपास उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले साल गुजरात में 101.80 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। महाराष्ट्र में चालू सीजन में 77 लाख गांठ और मध्य प्रदेश में 24.25 लाख गांठ का उत्पादन होने का अनुमान है। इसके अलावा उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 60 लाख गांठ तथा ओडिशा और अन्य राज्यों में 4.25 लाख गांठ उत्पादन होने का अनुमान है।
आयात बढ़ने और निर्यात घटने का अनुमान
पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू सीजन में 31 जनवरी तक उत्पादक मंडियों में 170.32 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है तथा 5.48 लाख गांठ का आयात हो चुका है। चालू सीजन में 31 जनवरी तक 24 लाख गांठ कपास का निर्यात हो चुका है। उद्योग के अनुसार चालू सीजन में कपास का कुल आयात बढ़कर 27 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 15 लाख गांठ का ही आयात हुआ था। चालू फसल सीजन में कपास का निर्यात 50 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 69 लाख गांठ का निर्यात हुआ था।
आगे भाव बढ़ने का अनुमान
इस समय उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक अच्छी रहेगी, जबकि जानकारों का मानना है कि चालू सीजन में कपास के उत्पादन अनुमान में आगे उद्योग फिर कम कर सकत है। अत: आगे जैसे ही दैनिक आवक कम होगा, कपास के भाव में तेजी आने का अनुमान है।.............  आर एस राणा

रबी फसलों की बुवाई 22.78 लाख हेक्टेयर घटने से खाद्यान्न उत्पादन में कमी की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में रबी फसलों की बुवाई घटने से किसानों को आर्थिक घाटा नुकसान हुआ है, साथ ही खाद्यान्न के उत्पादन में कमी आयेगी जिसका असर कीमतों पर भी पड़ने की आशंका है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में फसलों की बुवाई 22.78 लाख हेक्टेयर घटकर 603.71 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 629.18 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, ओडिशा और बिहार के साथ ही कई अन्य राज्यों के कई जिलों में बारिश कम होने से सूखे जैसे हालात बनने के कारण चालू रबी में मोटे अनाजों की बुवाई 13.65 फीसदी, दलहन की 5.74 फीसदी और धान की रोपाई में 18.70 फीसदी की कमी आई है। रबी फसलों की कुल बुवाई 4.05 फीसदी घटी है जिस कारण चालू फसल सीजन 2018-19 में खाद्यान्न उत्पादन फसल सीजन 2017-18 के रिकार्ड 28.48 करोड़ टन से कम होने की आशंका है।
किसानों को होगा आर्थिक नुकसान
पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन ने आउटलुक को बताया सूखे के कारण जो किसान फसलों को बुवाई ही नहीं कर पाये, उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि मोटे अनाजों के साथ ही तिलहन उत्पादन ज्यादा प्रभावित होगा, जिससे इनके भाव में बढ़ोतरी का अनुमान है। उत्पादन में कमी की आशंका से मक्का के दाम पहले ही 10 से 12 फीसदी तक बढ़ चुके हैं।
दलहन का बकाया स्टॉक ज्यादा
सिराज हुसैन ने बताया कि गेहूं और धान का उत्पादन सिंचित क्षेत्रों में होता है, इसलिए इनका उत्पादन ज्यादा प्रभावित नहीं होगा। दालों की बुवाई में कमी जरुर आई है लेकिन केंद्रीय पूल में दालों का बकया स्टॉक ज्यादा है। इसलिए दालों की कीमतें भी ज्यादा प्रभावित होने की संभावना नहीं है।
मौसम अनुकूल रहा तो बढ़ेगा गेहूं उत्पादन
भारतीय गेहूं एवं जौ संस्थान करनाल के निदेशक डाॅ. जीपी सिंह ने बताया कि गेहूं की बुवाई पिछले साल से थोड़ी कम जरुर हुई है, लेकिन अभी तक मौसम फसल के अनुकूल रहा है। कटाई तक मौसम अनुकूल रहा तो फिर गेहूं का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा ही होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि अभी तक कहीं भी गेहूं की फसल में पीला रतुआ या अन्य किसी बीमारी के समाचार नहीं है। चालू रबी में गेहूं की बुवाई 297.24 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 299.34 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
मोटे अनाजों की बुवाई ज्यादा प्रभावित
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में घटकर 47.92 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 55.50 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। ज्वार की बुवाई चालू रबी में 18.39 फीसदी घटकर 25.05 लाख हेक्टेयर में और मक्का की बुवाई 9.78 फीसदी घटकर 14.88 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। इसी तरह से जौ की बुवाई 2.28 कम होकर 7.24 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है।
तिलहन में सरसों की बुवाई बढ़ी, मूंगफली की घटी
रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई जरुर पिछले साल के 66.98 लाख हेक्टेयर से 3.20 फीसदी बढ़कर 69.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। अन्य तिलहनों मूंगफली की बुवाई 22.66 फीसदी घटकर 4.64 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की बुवाई में 34.68 फीसदी की गिरावट 1.12 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। अलसी की बुवाई भी 14.36 फीसदी घटकर 3.44 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।
दलहनी फसलों की बुवाई 5.74 फीसदी कम
चालू रबी में दालों की बुवाई घटकर 153.35 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 162.70 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई 10.02 फीसदी घटकर 96.35 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।
धान की रोपाई कम
धान की रोपाई चालू रबी में 25.36 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 31.19 लाख हेक्टेयर में रोपाई हो चुकी थी। ...........आर एस राणा

चीनी उद्योग के संकट के हल के लिए कार्यबल का गठन-पासवान

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग की समस्याओं का दीर्घकालिक समाधान खोजने के लिए एक कार्यबल का गठन किया है। केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री रामविलास पासवान ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता में एक कार्यबल का गठित किया है।
उन्होंने बताया कि गन्ना किसानों के साथ ही चीनी उद्योग के लिए दीर्घकालिक समाधान के दिसंबर 2018 में इसका गठन किया गया था। उन्होंने कहा कि यह कार्यबल गन्ना किसानों को फसलों के विविधीकरण के साथ ही अन्य उपायो पर सुझाव देगा। इसके अलावा चीनी उद्योग की समस्याएं सुलझाने पर भी रिपोर्ट देगा। 
उन्होंने बताया कि पिछले दो सालों से देश में चीनी का उत्पादन खपत से ज्यादा हो रहा है, जिस कारण घरेलू बाजार में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव लागत से भी नीचे आ गए हैं। इसी कारण गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया भी बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि किसानों के बकाया भुगतान के लिए केंद्र सरकार ने नियमित रुप से हस्तक्षेप भी किया है।
इस के तहत चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य तय करने के साथ ही चीनी निर्यात की अनुमति देना भी है। इसके अलावा गन्ने के रस से सीधे एथनॉल बनाने के लिए उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को सस्ता कर्ज भी दिया जा रहा है।
पेराई सीजन 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में चीनी का रिकार्ड 325 लाख टन का उत्पादन हुआ था, जबकि चालू पेराई सीजन में भी 31 जनवरी तक चीनी का उत्पादन 8.15 फीसदी बढ़कर 185.19 लाख टन का हो चुका है।............  आर एस राणा

चालू पेराई सीजन में जनवरी अंत तक चीनी का उत्पादन 8.15 फीसदी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के पहले चार महीनों में चीनी का उत्पादन 8.15 फीसदी बढ़कर 185.19 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 171.23 लाख टन का उत्पादन ही हुआ था।
इंडियन शुगर मिल्स एशोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई पहले आरंभ कर दी थी जिस कारण अभी तक उत्पादन पिछले साल से ज्यादा हुआ है लेकिन कुल उत्पादन पिछले साल के 325 लाख टन से 5 से 6 फीसदी घटने की आशंका है। इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का कुल उत्पादन घटकर 307 लाख टन ही होने का अनुमान है।
महाराष्ट्र में 70 लाख टन से ज्यादा हो चुका है उत्पादन
प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 31 जनवरी तक चीनी का उत्पादन 12.07 फीसदी बढ़कर 70.70 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक राज्य में 63.08 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हुआ था। इस्मा के अनुसार राज्य में चीनी का कुल उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है। 
उत्तर प्रदेश में गन्ने में रिकवरी की दर ज्यादा
उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 53.36 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि के 53.98 लाख टन से थोड़ा कम है। चालू पेराई सीजन में राज्य में गन्ने में रिकवरी की दर पिछले साल की तुलना में औसतन 0.81 फीसदी ज्यादा आई है।
कर्नाटक में 24.71 फीसदी बढ़ा चीनी उत्पादन
कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 31 जनवरी तक चीनी का उत्पादन 24.71 फीसदी बढ़कर 33.40 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 26.78 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। अन्य राज्यों तमिलनाडु में 3.10 लाख टन, गुजरात में 6.50 लाख टन, आंध्रप्रदेश में 3.70 लाख टन, बिहार में 4.08 लाख टन, उत्तराखंड 1.75 लाख टन, पंजाब में 2.90 लाख टन तथा हरियाणा में भी 2.90 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।
घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता ज्यादा है, जबकि चीनी मिलों पर बकाया भुगतान का दबाव है। इसलिए चीनी की कीमतों में हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग पर बढ़ते बकाया के स्थाई समाधान के लिए नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद की अध्यक्षता में एक सीमित का गठन किया है। जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद ही सरकार चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव बढ़ाने या फिर अन्य रियायत देने पर विचार करेगी।...... आर एस राणा

04 फ़रवरी 2019

अप्रैल से दिसंबर के दौरान बासमती एवं गैर बासमती चावल का निर्यात घटा, आगे बढ़ने की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाड़ी देशों के साथ ही अफ्रीकन देशों की आयात मांग घटने से चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान बासमती चावल चावल के निर्यात में जहां 1.71 फीसदी की कमी आई है, वहीं गैर बासमती चावल का निर्यात 14 फीसदी घटा है। ईरान का भुगतान का मामला लगभग सुलझ गया है, इसलिए आगे निर्यात सौदों में बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
एपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों अप्रैल से से दिसंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात घटकर 28.61 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में 29.11 लाख टन का निर्यात हुआ था। उन्होंने बताया कि अप्रैल से दिसंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात मात्रा के हिसाब से तो कम हुआ है, लेकिन मूल्य के हिसाब से बढ़ा है। उन्होंने बताया कि फरवरी-मार्च में निर्यात में तेजी आने का अनुमान है, हालांकि कुल निर्यात पिछले साल के 40.56 लाख टन से कम रहने की आशंका है।
मूल्य के हिसाब से निर्यात ज्यादा
चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान मूल्य के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात 21,203 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 18,794 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था।
गैर बासमती चावल का निर्यात 14 फीसदी घटा
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान गैर-बासमती चावल के निर्यात में 14 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 56 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 65.15 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर के दौरान 15,529 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 17,291 करोड़ रुपये का हुआ था। 
ईरान की आयात मांग बढ़ने की उम्मीद
चावल की निर्यातक फर्म केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार मित्तल ने आउटलुक को बताया कि बासमती चावल के निर्यात में कमी का प्रमुख कारण पेस्टसाईड की वजह से यूरोपीय यूनियन की मांग कम होने के साथ ही खाड़ी देशों की आयात मांग में भी कमी आई है। उन्होनें बताया कि ईरान से पैमेंट का मामला लगभग सुलझ गया है, इसलिए आगामी दिनों में ईरान की आयात मांग बढ़ेगी। विश्व बाजार में पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव 1,070 से 1,075 डॉलर प्रति टन है।
धान की आवक घटी
हरियाणा की कैथल मंडी के धान कारोबारी रामनिवास खुरानिया ने बताया कि मंडी में बासमती धान की दैनिक आवक घटकर 2,000 से 3,000 क्विंटल की ही रह गई है। मंडी में पूसा 1,121 बासमती धान का भाव 3,500 से 3,550 रुपये और सेला चावल का भाव 6,750 से 6,800 रुपये प्रति क्विंटल है। .... आर एस राणा

अंतरिम बजट 2019 के बारे क्या कहना है किसान नेताओं का?

आर एस राणा
नई दिल्ली। दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र आदि कई राज्यों में हुए किसान आंदोलनों से सरकार के साथ ही विपक्षी दलों के एजेंडे में किसान और खेती ने प्रमुख जगह बनाई। वही तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हार से यह तो तय था कि अंतरिम बजट 2019 में सरकार किसानों के लिए कुछ अलग करेगी। अत: अंतरिम बजट 2019 में सरकार ने किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए सीधी राहत की घोषणा करते हुए पांच एकड़ तक जमीन वाले किसानों को सालाना 6 हजार रुपये देने की घोषणा की है। जानिए इस पर किसान संगठन के नेताओं का क्या कहना है?
सरकार को गणित भी नहीं आता
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी एम सिंह ने कहा कि किसानों के लिए यह बजट मायूसी वाला है। लगता है सरकार को तो गणित भी नहीं आता? सरकार ने बजट कहा कि 2 हेक्टेयर तक की जमीन वाले किसान को सालाना 6,000 रुपये देंगे, तथा इसके दायरे में 12 करोड़ किसान आयेंगे। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के लिए संशोधित अनुमान में 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जबकि 12 करोड़ किसानों के हिसाब से यह राशि 24,000 करोड़ रुपये बैठेगी।
उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने फसलों का एमएसपी सी2 यानि लागत का 50 फीसदी तय करने का वायदा किया था, लेकिन एमएसपी ए2एफएल के आधार पर तय कर दिया। इससे किसानों को प्रति हेक्टेयर करीब 40 हजार रुपये की सालाना आय कम हो गई जबकि सरकार किसानों को 6,000 रुपये सालाना देने की बात कर रही है। यह केवल चुनावी बजट है, यह बात किसान भी अच्छी तरह से जानता है।
सरकार को चुनाव के समय ही याद आती है किसानों की
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता एवं लोक सभा सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि किसानों के लिए बजट बेहद निराशाजनक है। जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने वर्ष 2014 में चुनाव के समय किसानों को कहा था कि एक बार हमें मौका दे, फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत का डेढ़ गुना तय कर देंगे, लेकिन ऐसा किया नहीं।
उसी तरह से अब लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार को किसानों की याद आई है, तथा अंतरिम बजट में जो 6,000 रुपये देने की बात की है वह भी एक झुमला ही है। वैसे भी यह अंतरिम बजट है। अत: आगे नई सरकार बनेगी तो, जरुरी नहीं कि वह इसे जारी रखे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से वित्त मंत्री ने भी माना है कि बाजार भाव और एमएसपी में 1,000 से 1,200 रुपये क्विंटल का अंतर है, उस हिसाब से एक छोटा किसान भी हर साल 20 से 30 क्विंटल एग्री जिंस की बिक्री तो करता ही है, अत: उसे सालाना 20 से 30 हजार रुपये का नुकान तो हुआ ही है। 
ऐसा बजट एक फरवरी नहीं एक अप्रैल को पेश करना था
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) नेता जयंत चौधरी ने कहा कि ऐसा बजट एक फरवरी नहीं एक अप्रैल को पेश करना था। अगर सरकार कुछ भूस्वामी को चंद रुपये देकर सोचती है, कि पल्ला झाड़ लो, सारी सब्सिडी छीन लो, आय दोगनुी हो गई, तो आंख खुल जायेगी। देश का किसान इससे ज्यादा का हकदार है।
सरल भाषा में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 3.33 रुपये
स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान के नाम पर किसानों को प्रति वर्ष 6,000 देने की घोषणा की गई, सरल भाषा में कहा जाए तो अगर 5 लोगों का परिवार है तो, प्रति व्यक्ति 3.33 प्रतिदिन, मोदी जी चाय पर चर्चा कराने में माहिर हैं। कम से कम चाय का तो दाम दे देते। "ऐतिहासिक" पीएम फसल बीमा योजना, जिसका इस बजट में जिक्र तक नहीं। "ऐतिहासिक" पीएम आशा योजना, जिसमें सरकार के पास खरीद के आंकड़ें तक नहीं और अब.."ऐतिहासिक" पीएम किसान सम्मान योजना ..लगता है जल्द ही पीएम खुद इतिहास बनने वाले हैं।.......   आर एस राणा

01 फ़रवरी 2019

प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना का ऐलान, 5 एकड़ तक खेत वाले किसानों को हर साल मिलेंगे 6000 रुपये

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को अंतरिम बजट 2019 पेश करते हुए किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। किसानों की नाराजगी दूर करने और उन्हें आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए किसानों को 6,000 रुपये प्रति वर्ष की दर से मदद करने का ऐलान किया है। यह राशि पांच एकड़ की जोत वाले किसानों को मिलेगी। पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना लागू करेगी । इसमें लघु और सीमांत किसान को हर साल 6,000 रुपये दिए जाएंगे ताकि किसानों की आमदनी बढ़ सके। यह राशि तीन किस्तों में 2-2 हजार रुपये मिलेंगे तथा यह राशि सीधे किसान के खाते में जमा की जायेगी।
12 करोड़ किसान परिवारों को होगा लाभ
उन्होंने कहा कि किसानों को दी जाने वाली इस राशि की फंडिंग केंद्र सरकार 100 फीसदी वहन करेगी। पीयूष गोयल ने कहा कि यह स्कीम एक दिसंबर 2018 से लागू होगी तथा 31 मार्च 2019 तक की अवधि के लिए पहली किस्त का भुगतान इसी वर्ष के दौरान किया जायेगा। इससे देश के 12 करोड़ किसान परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। केंद्र सरकार पर इससे 75 हजार करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान।
वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात दोहराई
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को अंतरिम बजट 2019 पेश करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को मजबूत सरकार दी है। हमने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए 22 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत का डेढ़ गुना तय किया है।
फसली खर्च बढ़कर 11.68 लाख करोड़ रुपये
उन्होंने कहा कि किसानों का फसली खर्च बढ़कर 11.68 लाख करोड़ रुपये हो गया है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड, उत्तम बीज, सिंचाई योजना और नीम कोटेड यूरिया द्वारा खाद की कमी को दूर कर, किसानों की कठिनाइयों को दूर करने का प्रभावी प्रयास हुआ है।
समय पर कर्ज लौटाने पर तीन फीसदी ब्याज माफी
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने तय किया है कि प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होने वाले सभी किसानों को 2 फीसदी ब्याज और समय पर कर्ज लौटाने पर तीन फीसदी अतिरिक्त ब्याज माफी का फायदा मिलेगा। इस तरह उन्हें ब्याज में 5 फीसदी की छूट मिलेगी।
पशुपालन, मछली पालन के लिए ब्याज में दो फीसदी छूट
पीयूष गोयल ने कहा कि दुनिया भर में मत्स्यपालन में भारत की हिस्सेदारी 6.3 फीसदी है। हमने मछली पालन का एक अलग विभाग बनाने का फैसला किया है। पशुपालन और मछली पालन करने वाले किसानों को भी क्रेडिट कार्ड के जरिए लिए जाने वाले कर्ज के ब्याज में दो फीसदी ब्याज की छूट दी जाएगी। इस तरह सभी किसानों को एक जैसा दर्जा मिलेगा।
राष्ट्रीय कामधेनु योजना शुरू होगी
केंद्र सरकार गायों के लिए राष्ट्रीय कामधेनु योजना शुरू करेगी। कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट 2019 पेश करते हुए कहा कि गौमाता के सम्मान में और गौमाता के लिए सरकार कभी पीछे नहीं हटेगी।  राष्ट्रीय गोकुल आयोग बनाया जाएगा और कामधेनु योजना पर 750 करोड़ रुपये खर्च होंगे।......... आर एस राणा

दलहन आयात पर बंदरगाहों से सरकार ने मांगी जानकारी, भाव में सुधार संभव

पीएम-आशा योजना से भी नहीं मिल रहा दलहन किसानों को समर्थन मूल्य
आर एस राणा
नई दिल्ली। विदेश व्यापार महानदिशालय (डीजीएफटी) ने सभी बंदरगाहों को लिखा है कि पत्र भेजा है कि आयातित दालों के बारे में जानकारी दी जाए। माना जा रहा कि आयात पर रोक लगाने पर डीजीएफटी गंभीर है। अत: रोक लगती है तो दालों की कीमतों में 150 से 200 रुपये की तेजी बन सकती है। हालांकि चना में नेफेड की बिक्री बराबर बनी हुई है, इसलिए चना की कीमतों में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है। 
दलहन किसानों को प्रधानमंत्री अन्‍नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। उत्पादक मंडियों में उड़द, मूंग और अरहर के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं। कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी में उड़द बेचने आए किसान राज एस चंद्रशेखर की उड़द 4,800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बिकी, जबकि केंद्र सरकार ने उड़द का एमएसपी 5,600 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखा है। 
पीएम-आशा के तहत खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में दलहन-तिलहन की खरीद का लक्ष्य नेफेड ने 33 लाख टन का तय किया था, जबकि अभी तक खरीद हुई है केवल 14 लाख टन की। अत: तय लक्ष्य के केवल 43 फीसदी ही दलहन और तिलहन की खरीद हुई है जबकि खरीद का सीजन समाप्त होने वाला है। नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू खरीफ में समर्थन मूल्य पर मूंगफली की खरीद 6.28 लाख टन, उड़द की 41.17 लाख टन और मूंग की 2.95 लाख टन की हुई है। इसके अलावा करीब 39,711 टन अरहर और 19,771 टन सोयाबीन खरीदी है।
आयातित दालें सस्ती
मुंबई के दलहन आयातक सुरेश उपाध्याय ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा दलहन आयात पर रोक के बावजूद भी आयात हो रहा है। कई आयातकों ने मद्रास हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है, जिस कारण आयात हो रहा है। उन्होंने बताया कि म्यांमार से आयातित लेमन अरहर का भाव चेन्नई बंदरगाह पर 4,900 रुपये और उड़द एफएक्यू का भाव 4,200 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि अरहर का समर्थन मूल्य 5,675 रुपये और उड़द का 5,600 रुपये प्रति क्विंटल है। 
तय मात्रा से ज्यादा हुआ है आयात
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 13.31 लाख टन दालों का आयात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में 38.40 लाख टन का आयात हुआ था। वित्त वर्ष 2017-18 में कुल आयात 56.01 लाख टन का हुआ था। केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए उड़द और मूंग के आयात की अनुमति 3 लाख टन की दी हुई है जबकि अभी तक उड़द और मूंग का आयात 4 लाख टन से ज्यादा का हो चुका है। इसी तरह से अरहर के आयात का कोटा 2 लाख टन का तय किया हुआ है जबकि आयात 3 लाख टन से ज्यादा का हो चुका है।
रबी में दालों की बुवाई घटी
रबी दलहन की बुवाई चालू सीजन में 6.13 फीसदी घटकर 151.10 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 160.97 लाख हेक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई 9.96 फीसदी घटकर अभी तक केवल 95.99 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 106.55 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन 2018-19 में दालों का उत्पादन घटकर 92.2 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ में 93.4 लाख टन का उत्पादन हुआ था। ......  आर एस राणा

बागवानी फसलों का उत्पादन 3.7 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों को भले ही आलू, प्याज और लहसुन का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है, इसके बावजूद भी देश में बागवानी फसलों की बुवाई और उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में बागवानी फसलों का उत्पादन 3.7 फीसदी बढ़कर 31.46 करोड़ टन होने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में बागवानी फसलों की बुवाई 2.58 करोड़ हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल 2017-18 के 2.54 करोड़ हेक्टेयर से ज्यादा है। अत: बुवाई में हुई बढ़ोतरी से बागवानी फसलों का उत्पादन भी बढ़कर 31.46 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 31.17 करोड़ टन का ही उत्पादन हुआ था। बागवानी फसलों का उत्पादन पिछले पांच साल के औसतन उत्पादन से 10 फीसदी ज्यादा है। 
प्याज और आलू का उत्पादन बढ़ने का अनुमान
मंत्रालय के अनुसार प्याज का उत्पादन चालू फसल सीजन 2018-19 में 1.5 फीसदी बढ़कर 2.36 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 2.32 करोड़ टन का हुआ था। इसी तरह से आलू का उत्पादन भी चालू फसल सीजन में 6 फीसदी बढ़कर 5.28 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल देश में 5.13 करोड़ टन आलू का उत्पादन हुआ था।
टमाटर का उत्पादन 2 फीसदी ज्यादा
मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार टमाटर का उत्पादन 2 फीसदी बढ़कर 2.05 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल देश में 1.97 करोड़ टन टमाटर का ही उत्पादन हुआ था। ....... आर एस राणा

राजस्थान में गेहूं का उत्पादन 6.78 फीसदी घटने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन 2018-19 में राजस्थान में जहां गेहूं का उत्पादन 6.78 फीसदी घटने का अनुमान है। राज्य के कृषि निदेशालय द्वारा जारी अग्रिम अनुमान के चालू रबी में गेहूं का उत्पादन घटकर 104,47,590 टन ही होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 112,08,087 लाख टन से कम है। राज्य में चना, सरसों और जौ का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है।
चना उत्पादन में में भारी बढ़ोतरी की उम्मीद
कृषि निदेशालय के अनुसार चना का उत्पादन पिछले साल के 16,70,265 टन से बढ़कर चालू रबी में 21,63,888 लाख टन होने का अनुमान है। हालांकि राज्य में चना की बुवाई चालू रबी में घटकर 15.02 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल चना की बुवाई 15.72 लाख हेक्टेयर में हुई थी। अन्य दालों में मसूर का उत्पादन 25,634 टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 33,854 टन का उत्पादन हुआ था।
सरसों का उत्पादन होगा ज्यादा
रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों का उत्पादन राजस्थान में चालू रबी में बढ़कर 35.88 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में इसका उत्पादन 34.01 लाख टन का उत्पादन हुआ था। सरसों की बुवाई चालू रबी में 23.79 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल राज्य में इसकी बुवाई 21.83 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।
जौ की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान
आरंभिक अनुमान के अनुसार जौ का उत्पादन चालू रबी में राज्य में 9,21,357 टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 9,08,604 टन का ही हुआ था। जौ की बुवाई चालू रबी में राजस्थान में 3.16 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल राज्य में 2.74 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुवाई हुई थी।
मक्का उत्पादन अनुमान ज्यादा
रबी की अन्य फसलों में मक्का का उत्पादन बढ़कर 90,140 टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 54,309 टन से ज्यादा है। राज्य में केस्टर सीड का उत्पादन 39,887 टन, तारामिरा का 63,002 टन और अलसी का उत्पादन 3,331 टन होने का अनुमान है। ....  आर एस राणा

छह सूखा प्रभावित राज्यों के लिए केंद्र ने 7,214 करोड़ रुपये सहायता राशि को दी मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में सामान्य से कम बारिश के साथ बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदओं प्रभावित छह राज्यों और एक केंद्र शासित राज्य में हालात से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने 7,214.03 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को मंजूरी दी है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आज यहां हुई उच्च स्तरीय बैठक में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के साथ ही पुडुचेरी के किसानों को इस सहायता राशि का लाभ मिलेगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने सरकार के इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने सूखा प्रभावित आंध्रप्रदेश और गुजरात में खरीफ 2018-19 सत्र के लिए क्रमश: 900.40 करोड़ रुपये और 127.60 करोड़ रुपये की सहायता राशि को मंजूरी दी है। उन्होंने बताया कि सूखा प्रभावित कर्नाटक और महाराष्ट्र के लिए खरीफ 2018-19 सत्र के लिए क्रमश: 949.49 करोड़ रुपये और 4,714.28 करोड़ रुपये की सहायता राशि को मंजूरी दी है।
बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित हिमाचल प्रदेश के लिए 317.44 करोड़ रुपये और बाढ़ प्रभावित राज्य उत्तर प्रदेश के लिए 191.73 करोड़ रुपये तथा चक्रवात प्रभावित पुडुचेरी के लिए 13.09 करोड़ रुपये मंजूर किए गए।
महाराष्ट्र ने केंद्र से मांग थे 7,900 करोड़ रुपये
महाराष्ट्र में राज्य सरकार ने 151 तहसीलों के 268 मंडल के 923 गांवों को सूखा प्रभावित घोषित किया हुआ है। राज्य ने केंद्र सरकार को 7,900 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था। साथ ही केंद्र सरकार की मदद घोषित होने से पहले राज्य सरकार स्वयं 2,900 करोड़ रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की थी।
और भी कई राज्यों ने घोषित कर रखा है सूखा
पिछले महीने केंद्र सरकार के अधिकारियों की टीमों ने सूखा प्रभावित राज्यों का दौरा किया था, और उसके बाद ही यह माना जा रहा था कि केंद्र सरकार जल्द ही सूखा प्रभावित राज्यों में किसानों के लिए राहत पैकेज का ऐलान करेगी। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार आंध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के अलावा राजस्थान, झारखंड और ओडिशा ने भी कई जिलों में सूखा घोषित किया हुआ है।.......  आर एस राणा

दलहन आयात पर रोक लगने की संभावना, गुजरात हाईकोर्ट ने रोक को सही माना

आर एस राणा
नई दिल्ली। गुजरात हाईकोर्ट ने दलहन आयात पर रोक के विदेशी व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के फैसले को सही ठहराया है। इसका असर मद्रास हाईकोर्ट द्वारा कुछ दलहन आयतकों को आयात करने के छूट देने के फैसले पर भी पड़ सकता है। माना जा रहा है कि मद्रास हाईकोर्ट का आदेश भी निरस्त हो जायेगा। जिससे दालों के आयात पर रोक लग सकती है।
सूत्रों के अनुसार गुजरात हाईकोर्ट ने फैसला दिया है, कि डीजीएफटी द्वारा दलहन आयात पर लगी रोक उचित है, अत: माना जा रहा है कि इससे मद्रास हाईकोर्ट की ओर से कुछ आयातकों को दाल के आयात पर रोक पर मिला स्टे आर्डर पर भी निरस्त हो जायेगा। अत: चेन्नई बंदरगाह के रास्ते हो रहे दलहन आयात पर रोक लग जायेगी।
केंद्र सरकार द्वारा दलहन आयात पर रोक लगाने के बावजूद भी मद्रास हाईकोर्ट से स्टे मिलने के बाद से लगातार उड़द, मूंग और मसूर आदि का सस्ता आयात हो रहा है जिस कारण घरेलू बाजार में दालों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं। दिल्ली में मंगलवार को अरहर के भाव 5,050 रुपये, उड़द के 4,400 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल रहे। मूंग के भाव दिल्ली में 5,000 से 6,000 रुपये और चना के भाव 4,200 से 4,300 रुपये प्रति क्विंटल रहे। व्यापारियों के अनुसार अगर चेन्नई के रास्ते हो रहा दलहन आयात बंद हो गया तो, फिर दालों के मौजूदा भाव में 150 से 200 रुपये की और तेजी बन सकती है। ....... आर एस राणा