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27 सितंबर 2023

दिल्ली एवं हरियाणा पूसा 1,509 किस्म के सेला बासमती चावल के भाव इस प्रकार रहे

दिल्ली एवं हरियाणा पूसा 1,509 किस्म के सेला बासमती चावल के भाव इस प्रकार रहे  

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NORMAL BROKARAGE PER 


NEW 1509 SELA 6800/6850 FOR

PUNJAB 2/3 CITY'S

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NEW 1509 SELA 6800 FOR

KUTAIL HARYANANEW 1509 SELA 6700/6800 FOR

TARAORI HARYANA

QUALITY WISE RATES

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NEW 1509 SELA 6750/6800+ FOR

QUALITY WISE RATES

DELHI POSITION

दिल्ली में चना, गेहूं एवं मूंग के भाव इस प्रकार रहे

 दिल्ली (DELHI) व्यापार (VYAPAR) 

चना (CHANA) एमपी नया(MP NEW)-6500+0

राजस्थान नया(RAJ.NEW)-6500+0

मसूर (MASUR) (2/50 kG)-6675/6700+0

मूंग(MUNG) 

राजस्थान (RAJ.) लाइन (LINE)-8700+25

मोठ(MOTH) (राजस्थान RAJ.) नया (NEW)-7150+50

गेंहू(WHEAT) एमपी&यूपी&राज. (MP&UP& RAJ.)-2590/2600+0

यूएई को गैर बासमती चावल निर्यात करने की मंजूरी

नई दिल्ली केंद्र सरकार ने एनसीईएल के माध्यम से 75,000 टन ग़ैर बासमती चावल के निर्यात की मंजूरी दी है।


केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को जारी अधिसूचना के अनुसार यूएई को एनसीईएल गैर बासमती सफेद चावल का 75,000 टन का निर्यात करेगा। 

केंद्र सरकार ने अरहर और उड़द पर स्टॉक लिमिट को 31 दिसंबर तक बढ़ाया

नई दिल्ली। दलहन की बढ़ी कीमतों को काबू करने के लिए केंद्र सरकार ने अरहर एवं उड़द पर स्टॉक लिमिट की अवधि को 31 दिसंबर 2023 तक बढ़ा दिया है, साथ ही स्टॉक लिमिट की मात्रा में भी कटौती की गई है।


केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार अरहर और उड़द पर आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत मौजूदा स्टॉक सीमा की समय अवधि को 30 अक्टूबर, 2023 से बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2023 तक कर दिया गया है, साथ ही स्टॉक लिमिट की मात्रा में भी कटौती की गई है।

मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी अधिसूचना के अनुसार, थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के पास स्टॉक की सीमा को 200 टन से घटाकर 50 टन कर दिया गया है, इसके साथ ही मिलर के लिए स्टॉक सीमा को पहले के 3 महीने के उत्पादन या वार्षिक क्षमता के 25 फीसदी को भी घटाकर 1 महीने के उत्पादन या वार्षिक क्षमता का 10 फीसदी जो भी अधिक हो, कर दिया है।

केंद्र सरकार ने स्टॉक सीमा में संशोधन और समय अवधि में बढ़ोतरी जमाखोरी को रोकने और बाजार में पर्याप्त मात्रा में अरहर और उड़द की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही उपभोक्ताओं के लिए अरहर और उड़द दाल को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाया है।

केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 दिसंबर, 2023 तक अरहर और उड़द पर स्टॉक सीमा निर्धारित की गई है। प्रत्येक दाल पर व्यक्तिगत रूप से लागू स्टॉक सीमा थोक विक्रेताओं के लिए 50 टन होगी, जबकि खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 टन तथा बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए प्रत्येक खुदरा दुकान पर 5 टन और डिपो पर 50 टन की समय सीमा तय की गई है। इसके अलावा मिल मालिकों के लिए 1 महीने के उत्पादन या वार्षिक क्षमता का 10 फीसदी जो भी अधिक हो, कर दिया है।

आयातकों को सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 30 दिनों से अधिक आयातित स्टॉक नहीं रखना है। इसके साथ ही उपभोक्ता मामले विभाग के पोर्टल (https://fcainfoweb.nic.in/psp) पर स्टॉक की जानी देनी होगी और यदि उनके पास स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक है, तो अधिसूचना जारी होने के 30 दिनों के भीतर ही इसे निर्धारित स्टॉक सीमा में लाना होगा।

इससे पहले सरकार ने जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकने और उपभोक्ताओं को सस्ती दालें उपलब्ध कराने के लिए 2 जनवरी, 2023 को अरहर और उड़द पर स्टॉक सीमा की अधिसूचना जारी की थी। उपभोक्ता मामले विभाग पोर्टल के माध्यम से अरहर और उड़द के स्टॉक की स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है, साथ ही राज्य सरकार के साथ साप्ताहिक आधार पर समीक्षा भी की जा रही है।

22 सितंबर 2023

साप्ताहिक आधार पर चीनी के स्टॉक की जानकारी देनी होगी - केंद्र सरकार

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीनी की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रोसेसरों द्वारा साप्ताहिक आधार पर चीनी स्टॉक के स्टॉक की जानकारी देना अनिवार्य कर दिया है।


दिल्ली में चीनी के थोक भाव गुरुवार को 4,050 से 4,100 रुपये प्रति क्विंटल रहे, जबकि उत्तर प्रदेश में चीनी की एक्स फैक्ट्री कीमत 3,800 से 3,875 रुपये प्रति क्विंटल रही। व्यापारियों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा चीनी के स्टॉक की जानकारी मांगे जाने से हाजिर बाजार में कीमतों पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।

त्योहारी सीजन में चीनी की कीमतों में काबू करने के लिए केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा गुरुवार जारी अधिसूचना के अनुसार व्यापारियों/थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं एवं बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं तथा प्रोसेसरों द्वारा साप्ताहिक आधार पर चीनी के स्टॉक की जानकारी देनी होगी।

जानकारों के अनुसार चालू सीजन में अगस्त में बारिश की भारी कमी से महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के साथ ही कई अन्य राज्यों में भी गन्ने की फसल प्रभावित हुई है, जिस कारण इन राज्यों में चीनी के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 15 सितंबर तक गन्ने की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 59.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 55.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

महाराष्ट्र में दलहन एवं मूंगफली की बुआई घटी, मानसूनी बारिश 9 फीसदी कम

नई दिल्ली। चालू मानसूनी सीजन में बारिश सामान्य से कम होने के कारण महाराष्ट्र में खरीफ सीजन की प्रमुख फसल दलहन के साथ ही मूंगफली की बुआई में कमी आई है।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 21 सितंबर तक महाराष्ट्र में सामान्य के मुकाबले 9 फीसदी बारिश कम हुई है। इस दौरान राज्य में 861.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि सामान्यत: 946 मिलीमीटर बारिश होती है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार दालों की बुआई चालू खरीफ में 18 सितंबर तक घटकर 16.09 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक बुआई 18.83 लाख हेक्टेयर में हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर राज्य में 11.10 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 11.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से मूंग की बुआई चालू खरीफ में 1.80 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.66 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.69 लाख हेक्टेयर में और 3.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में घटकर 1.43 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 1.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। हालांकि सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 50.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के 49.08 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू सीजन में 52.26 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल के 50.98 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

राज्य में कपास की बुआई 42.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई इतने ही लाख हेक्टेयर में हुई हुई थी।

मक्का की बुआई चालू खरीफ में 9.15 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 8.80 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। हालांकि धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 15.28 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय 15.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। ज्वार की बुआई चालू सीजन में घटकर 1.11 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 1.42 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन कुल फसलों की बुआई 140.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 142.99 लाख हेक्टेयर से कम है।

चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में बासमती चावल का निर्यात बढ़ा, गैर बासमती का घटा

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 6.93 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 16.09 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 15.06 लाख टन का हुआ था।


केंद्र सरकार ने अगस्त में बासमती चावल के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 1,200 डॉलर प्रति टन तय किया था। जानकारों के अनुसार ऐसे में आगामी महीनों में इसके निर्यात में कमी आने की आशंका है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान गैर बासमती चावल का निर्यात 7.87 फीसदी घटकर 53.58 लाख टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 58.16 लाख टन का हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में नए धान की दैनिक आवक लगातार बढ़ रही है, हालांकि मिलों की खरीद बनी रहने से चालू सप्ताह में पूसा 1,509 किस्म के सेला एवं स्टीम चावल के दाम 200 रुपये प्रति क्विंटल तेज हुए हैं। दिल्ली में पूसा 1,509 किस्म के बासमती सेला चावल का भाव 7,300 से 7,500 रुपये और इसके सेला चावल के भाव बढ़कर 6,500 से 6,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

उत्तर भारत के राज्यों की मंडियों में नए धान की आवक बढ़कर तीन लाख बोरियों से ज्यादा की हो रही है तथा मौसम अनुकूल रहा तो आगामी दिनों में दैनिक आवक और बढ़ेगी। जानकारों के अनुसार पिछले साल किसानों ने धान के उंचे दाम देखे थे, इसलिए चालू सीजन में नीचे दाम पर किसानों की बिकवाली कम आयेगी। इसलिए अभी मौजूदा कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं है। वैसे भी चालू सीजन में पंजाब एवं हरियाणा में बाढ़ से धान की फसल को नुकसान हुआ था, साथ ही अगस्त में बारिश की भारी कमी का असर भी फसल पर पड़ने का डर है।

हरियाणा की करनाल मंडी में मंगलवार को धान की आवक 12,000 बोरियों की हुई तथा पूसा 1,509 किस्म के धान का भाव 3475 रुपये प्रति क्विंटल रहे। नए मालों में नमी 22 से 28 फीसदी की आ रही है। कैथल मंडी पूसा 1,509 किस्म के नए धान के भाव 3550 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

गढ़मुक्तेश्वर मंडी में पूसा 1,509 किस्म के धान के भाव 2,800 से 3,551 रुपये और आरएच 10 किस्म के नए धान के दाम 2,300 से 2,451 रुपये तथा ताज क्वालिटी के धान के दाम 2,000 से 2,500 रुपये तथा शरबती किस्म के धान के दाम 2,000 से 2,300 रुपये और सुगंधा किस्म के धान के 2,500 से 2,800 रुपये प्रति क्विंटल रहे। 

चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में डीओसी का निर्यात 28 फीसदी बढ़ा - एसईए

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान डीओसी का निर्यात 28 फीसदी बढ़कर 1,945,553 टन का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 की समान अवधि में इनका निर्यात केवल 1,521,675 टन का ही हुआ था।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अगस्त में डीओसी का निर्यात 26 फीसदी बढ़कर 354,205 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अगस्त में इसका निर्यात केवल 281,693 टन का ही हुआ था।

चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त में सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 481,315 टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में केवल 107,620 टन का हुआ था। इसी तरह से सरसों डीओसी का निर्यात अप्रैल से अगस्त के दौरान बढ़कर 1,155,282 टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 1,077,644 टन का हुआ था। हालांकि राइस ब्रान डीओसी का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में घटकर 151,614 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 204,403 टन का हुआ था।

चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान कैस्टर डीओसी का निर्यात बढ़कर 146,690 टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 129,395 टन का हुआ था।

भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी का भाव अगस्त 23 में घटकर औसतन 547 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि अगस्त 2022 में इसका दाम 670 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान सरसों डीओसी का भाव अगस्त 23 में भारतीय बंदरगाह पर 295 डॉलर प्रति टन था, जबकि पिछले साल जुलाई 22 में भी इसका भाव 295 डॉलर प्रति टन ही था। कैस्टर डीओसी का दाम अगस्त 23 में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 123 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि अगस्त 22 में इसका दाम 164 डॉलर प्रति टन था।  

एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान दक्षिण कोरिया को डीओसी के निर्यात में 15.51 फीसदी की कमी आई है जबकि इस दौरान वियतनाम, थाईलैंड और बांग्लादेश तथा ताइवान को निर्यात में बढ़ोतरी हुई है।

चालू फसल सीजन के पहले 11 महीनों में सोया डीओसी निर्यात 182 फीसदी बढ़ा - सोपा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 22 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2022-23 के पहले 11 महीनों अक्टूबर 22 से अगस्त 23 के दौरान देश से सोया डीओसी का निर्यात 182.22 फीसदी बढ़कर 17.47 लाख टन का हो चुका है, जबकि इसके पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 6.19 लाख टन का ही हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया, सोपा के अनुसार पहली अक्टूबर 22 से अगस्त 23 के दौरान डीओसी का उत्पादन 80.32 लाख टन का हुआ है, जोकि इसके पिछले साल की समान अवधि के 61.46 लाख टन से ज्यादा है। इस दौरान 7.55 लाख टन सोया डीओसी की घरेलू खपत फूड में और 56.25 लाख टन की फीड में हुई है। इस दौरान 17.47 लाख टन का निर्यात हुआ है, जबकि 0.06 लाख टन का आयात हुआ है। अत: मिलों के पास पहली सितंबर को 1.58 लाख टन सोया डीओसी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.58 लाख टन से कम है।

सोपा के अनुसार पहली अक्टूबर 22 से शुरू हुए फसल सीजन में अगस्त अंत तक देशभर की मंडियों में 112 लाख टन सोयाबीन की आवक हो चुकी है, जिसमें से 100 लाख टन की क्रॉसिंग हो चुकी है। पिछले साल की समान अवधि में जहां सोयाबीन की आवक 88 लाख टन की हुई थी, वहीं इस दौरान क्रेसिंग 77 लाख टन की हुई थी। चालू सीजन में अगस्त अंत तक 3.90 लाख टन सोयाबीन की सीधी खपत हो चुकी है, जबकि इस दौरान 0.20 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: पहली सितंबर को किसानों, व्यापारियों एवं मिलर्स के पास 38.70 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 32.17 लाख टन से ज्यादा है।

उद्योग के अनुसार फसल सीजन 2022-23 में देश में सोयाबीन का उत्पादन 124.11 लाख टन का हुआ था, जबकि नई फसल की आवकों के समय 25.15 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: चालू सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता 149.26 लाख टन की बैठी थी, जोकि इसके पिछले साल के 120.72 लाख टन से ज्यादा है।

15 सितंबर 2023

दाल मिलों की खरीद घटने से अरहर एवं चना कमजोर, उड़द में मिलाजुला रुख तथा मसूर तेज

नई दिल्ली। दाल मिलों की मांग कमजोर बनी रहने के कारण घरेलू बाजार में गुरुवार को अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के साथ चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि इस दौरान आयातित मसूर के दाम तेज हुए। मूंग की कीमतें लगभग स्थिर हो गई। लेमन अरहर तथा उड़द में मिलाजुला रुख देखा गया।


चेन्नई में बर्मा की उड़द एसक्यू और एफएक्यू के दाम स्थिर बने रहे। उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव सितंबर एवं अक्टूबर शिपमेंट के फसल सीजन 2023 के क्रमश: 980 डॉलर और 1,075 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे।

राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक की लगभग सभी मंडियों में नई उड़द की आवक शुरू हो गई है, तथा इस समय जो माल आ रहे हैं, उनकी क्वालिटी अच्छी है। मौसम अनुकूल रहा तो आने वाले दिनों में इसकी दैनिक आवक बढ़ेगी। हालांकि मौसम विभाग ने कई उत्पादक क्षेत्रों में आगे बारिश होने की भविष्यवाणी की हुई है। ऐसे में इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक उत्पादक राज्यों में आगामी दिनों में मानसून कैसा रहता है, इस पर भी निर्भर करेगी। नई फसल की आवकों को देखते हुए इसकी कीमतों पर दबाव बढ़ा है, लेकिन आयातक नीचे दाम पर बिकवाली नहीं कर रहे। वैसे भी त्योहारी सीजन के कारण उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग अभी बनी रहेगी। बर्मा में पुरानी उड़द का बकाया स्टॉक कम है।

दाल मिलों की मांग कमजोर होने से अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतों में मंदा आया जबकि लेमन में मिलाजुला रुख रहा। घरेलू मंडियों में देसी अरहर का बकाया स्टॉक कम है जबकि नई अरहर की आवक दिसंबर में बनेगी। चालू खरीफ में अरहर की बुआई भी पिछले साल की तुलना में कम हुई है। खपत का सीजन होने के कारण अरहर दाल में मांग बनी रहने का अनुमान। स्टॉक लिमिट लगी होने के कारण दाल मिलों के पास भी तय मात्रा में ही अरहर का स्टॉक बचा हुआ है। ऐसे में इसकी मौजूदा कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार कम है। केंद्र सरकार हर सप्ताह कीमतों की समीक्षा कर रही है, इसलिए मिलर्स भी जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं।

देसी के साथ ही आयातित मसूर के दाम तेज हुए हैं। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण मसूर दाल में बिहार, बंगाल एवं असम की मांग बनी रहेगी, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मंडियों में देसी मसूर की आवक काफी कम हो गई है। किसानों के पास बकाया स्टॉक सीमि मात्रा में ही बचा हुआ है, जबकि स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आ रही है। ऐसे में इसकी कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार नहीं है। हालांकि कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया से आयातित मसूर की आवक हो रही है तथा बंदरगाह पर स्टॉक भी है।

दाल मिलों की खरीद कमजोर होने से आज की कीमतों में बड़ी गिरावट आई है। नेफेड ने पिछले सप्ताह 6,300 रुपये प्रति क्विंटल से ऊपर के दाम पर चना की निविदा पास की थी, जबकि नवीनतम निविदा 6,202 रुपये प्रति क्विंटल की पास की है, जिससे कीमतों पर दबाव तो है लेकिन उत्पादक राज्यों में चना का बकाया स्टॉक पिछले साल की तुलना में काफी कम बचा हुआ है। उधर चना की नई फसल फरवरी, मार्च में ही आयेगी। त्योहारी सीजन के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग अभी बनी रहेगी। ऐसे में इसकी कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक नेफेड की निविदा के दाम पर निर्भर करेगी।

मूंग की कीमतें स्थिर हो गई। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में मूंग की दैनिक आवकों में हाल ही में बढ़ोतरी हुई है, तथा चालू महीने के अंत तक मौसम अनुकूल रहा तो आवक और बढ़ेगी। ऐसे में इसकी कीमतों में हल्की तो नरमी तो आ सकती है, लेकिन अभी बड़ी गिरावट के आसार कम है। खपत का सीजन होने के कारण मूंग दाल की मांग अभी बनी रहेगी। जानकारों के अनुसार आगामी दिनों में मूंग के उत्पादक राज्यों में मानसून कैसा रहता है, इस पर भी तेजी, मंदी निर्भर करेगी।

चेन्नई में उड़द एसक्यू के दाम शाम के सत्र में 250 रुपये कमजोर होकर दाम 9200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव शाम के सत्र में 50 रुपये तेज होकर दाम 8400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

सोलापुर में देसी उड़द के दाम घटकर 8,000 से 9,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के दाम 11,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मुंबई में लेमन अरहर के दाम 50 रुपये बढ़कर भाव 11,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतें कमजोर हुई। सूडान से आयातित अरहर के दाम 100 रुपये घटकर 11,500 से 11,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मलावी से आयातित अरहर के भाव 300 रुपये कमजोर होकर 8500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दाल मिलों की मांग बढ़ने से दिल्ली में देसी मसूर के भाव 50 रुपये तेज होकर दाम 6775 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 25 रुपये तेज होकर 6125 से 6150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 25 रुपये बढ़कर 6225 से 6250 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 50 रुपये तेज होकर 6600 से 6650 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 50 रुपये बढ़कर 6500 से 6550 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

दिल्ली में राजस्थान लाइन के चना के दाम लगातार दूसरे दिन 125 रुपये कमजोर होकर भाव 6350 से 6375 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 150 रुपये घटकर 6350 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में राजस्थान लाइन की मूंग के भाव 8550 से 8600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान जयपुर मंडी में मूंग के बिल्टी भाव 50 रुपये तेज होकर 7500 से 8600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। जलगांव में पुराना समर के दाम घटकर 8700 से 9200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

चीनी का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में मौजूद

नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्वय सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि चीनी का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में मौजूद है, तथा चालू सीजन में गन्ने के उत्पादन में कमी नहीं आयेगी। त्योहारी सीजन में चीनी की कीमतों पर सरकार की नजर है तथा चीनी का 85 लाख टन का स्टॉक मौजूद है, जोकि अगले 3.5 महीने की खपत के लिए पर्याप्त है।


केंद्रीय खाद्वय सचिव ने कहा कि अफवाहों के कारण चावल की कीमतें 100 रुपये तेज हुई, जबकि चालू खरीफ में धान की पैदावार ज्यादा होगी।

केंद्र सरकार ने गेहूं पर स्टॉक लिमिट को 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन किया। केंद्र सरकार जमाखोरों के लिए खिलाफ कार्यवाही कर रही है।

केंद्र ने गेहूं की स्टॉक सीमा को घटाकर 2,000 टन किया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गेहूं पर स्टॉक लिमिट को 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन कर दिया है।


केंद्रीय खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि सरकार ने व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं पर स्टॉक सीमा को 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन कर दिया है।

संजीव चोपड़ा ने कहां कि देश में गेहूं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन मुझे लगता है कि कुछ तत्व हैं जो गेहूं की कीमतों में कृत्रिम तेजी लाने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहां कि व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं को अपने स्टॉक को कम करने और संशोधित सीमा में लाने के लिए 12 अक्टूबर तक का समय मिलेगा।

चोपड़ा ने कहां कि यह निर्णय नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड, एनसीडीईएक्स पर गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए लिया जा रहा है।

तीन महीने पहले 12 जून को केंद्र सरकार ने गेहूं के व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं पर मार्च 2024 तक 3,000 टन की स्टॉक सीमा लगाई थी।

गेहूं के दाम लारेंस रोड गुरुवार को तेज होकर 2,565 रुपये प्रति क्विंटल हो जबकि इसकी दैनिक आवक 6,500 बोरियों की हुई।  

चालू तेल वर्ष के पहले 10 महीनों में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 24 फीसदी बढ़ा - उद्योग

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2022-23 (नवंबर-22 से अक्टूबर-23) की पहले 10 महीनों नवंबर-22 एवं अगस्त-23 में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात इसके पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 24 फीसदी बढ़कर 14,121,076 टन का हुआ है। जबकि पिछले साल नवंबर से अगस्त के दौरान इनका आयात  11,376,226 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अगस्त में देश में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 33 फीसदी बढ़कर 1,866,123 टन हो गया है, जबकि पिछले साल अगस्त-22 में इनका आयात 1,401,233 टन का ही हुआ था। अगस्त के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,852,115 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 14,008 टन का हुआ है।

चालू तेल वर्ष की पहले दस महीनों में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात बढ़कर 141.21 लाख टन को देखते हुए, अक्टूबर 23 में समाप्त होने वाले चालू तेल वर्ष के दौरान इसका कुल आयात बढ़कर 160 से 165 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। इससे पहले देश में खाद्वय तेलों का रिकॉर्ड आयात 2016-17 में 151 लाख टन का हुआ था।

देशभर में अगस्त में मानसूनी बारिश की भारी कमी से किसानों, व्यापारी और उद्योग जगत में चिंता पैदा हो गई है। हालांकि, पिछले एक सप्ताह से, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में बारिश हुई है, जिससे फसल को फायदा होगा। अगस्त में गुजरात में बारिश की कमी के कारण मूंगफली की पैदावार में कमी का आने की आशंका बनी हुई है।

एसईए के अनुसार घरेलू बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतें कमजोर बनी रही, हालांकि अगस्त में क्रूड पाम तेल का आयात 8.24 लाख टन का हुआ, जो कि जुलाई के आयात 8.41 लाख टन थोड़ा कम है। अगस्त में आरबीडी पामोलीन तेल का आयात पिछले महीने के 2.17 लाख टन से बढ़कर 2.83 लाख टन का हो गया।

अगस्त 2023 के दौरान पाम उत्पादों का कुल आयात बढ़कर 11.28 लाख टन का हुआ है, जबकि जुलाई 2023 में 10.86 लाख टन का हुआ था। अगस्त में सोयाबीन तेल का आयात पिछले महीने के 3.42 लाख टन से बढ़कर 3.58 लाख टन का हो गया। सूरजमुखी तेल का आयात बढ़कर अगस्त में 3.66 लाख टन हो गया, जबकि इसके पिछले महीने में 3.27 लाख टन का आयात हुआ था।

जुलाई के मुकाबले अगस्त में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव बढ़कर 894 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 917 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का भाव अगस्त में घटकर 924 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जुलाई में इसका भाव 945 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान क्रूड सोयाबीन तेल का भाव जुलाई के 1,086 डॉलर से घटकर अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर 1056 डॉलर प्रति टन रह गया। हालांकि क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव जुलाई के 1,000 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अगस्त में 1,005 डॉलर प्रति टन हो गया। 

मानसूनी बारिश की कमी से महाराष्ट्र में दलहन के साथ मूंगफली की बुआई घटी

नई दिल्ली। चालू मानसूनी सीजन में अगस्त में बारिश सामान्य से कम होने के कारण महाराष्ट्र में चालू खरीफ सीजन में दलहन के साथ ही मूंगफली बुआई में कमी आई है।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 11 सितंबर तक महाराष्ट्र में सामान्य के मुकाबले 9 फीसदी बारिश कम हुई है। इस दौरान राज्य में 817.3 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि सामान्यत: 900 मिलीमीटर बारिश होती है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार दालों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 16.15 लाख हेक्टयेर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक बुआई 18.72 लाख हेक्टेयर में हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर राज्य में 11.15 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 11.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से मूंग की बुआई चालू खरीफ में 1.81 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.56 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.70 लाख हेक्टेयर में और 3.52 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में घटकर 1.43 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 1.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। हालांकि सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 50.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के 48.96 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू सीजन में 52.31 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल के 50.85 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

राज्य में कपास की बुआई 42.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 42.27 लाख हेक्टेयर में हुई हुई थी।

मक्का की बुआई चालू खरीफ में 9.11 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 8.77 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। हालांकि धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 15.28 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय 15.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में चालू खरीफ सीजन कुल फसलों की बुआई 141.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 142.65 लाख हेक्टेयर से कम है।

12 सितंबर 2023

ग्राहकी सीमित बनी रहने से अरहर एवं उड़द में मिलाजुला रुख, चना तथा मसूर में सुधार

नई दिल्ली। ग्राहकी सीमित बनी रहने के कारण घरेलू बाजार में सोमवार को उड़द तथा अरहर की कीमतों में मिलाजुला रुख बना रहा जबकि देसी मसूर एवं चना तथा की कीमतों में सुधार आया, जबकि इस दौरान मूंग के दाम इस दौरान स्थिर बने रहे।

चेन्नई में बर्मा की उड़द एसक्यू और एफएक्यू के दाम स्थिर बने रहे। उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव अगस्त एवं सितंबर शिपमेंट के फसल सीजन 2023 के क्रमश: 980 डॉलर और 1,075 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे।

बर्मा से आयातित उड़द की कीमतें चेन्नई में स्थिर बनी रही, जबकि घरेलू बाजार में इसके भाव में मिलाजुला रुख बना रहा। जानकारों के अनुसार त्योहारी सीजन के कारण उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग अभी बनी रहेगी, जबकि बर्मा में पुरानी उड़द का बकाया स्टॉक कम है, साथ ही बर्मा से उड़द के आयात पड़ते अभी भी महंगे हैं। इसलिए इसकी कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार कम है। व्यापारियों के अनुसार हाल ही में उड़द के उत्पादक क्षेत्रों में बारिश हुई है, इससे पछेती फसल को तो फायदा होगा, लेकिन जो फसल पक कर तैयार है, उसकी आवक प्रभावित हो सकती है। गुजरात में 300 से 400 बोरी नई उड़द की आवक हुई तथा भाव 9000 से 9125 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

दाल मिलों की खरीद सीमित बनी रहने से अरहर की कीमतों में भी मिलाजुला रुख रहा। जानकारों के अनुसार लेमन अरहर का बकाया स्टॉक कम है, जबकि इसके आयात पड़ते महंगे हैं। पिछले साल सितंबर में अफ्रीका से 92 हजार टन अरहर का आयात हुआ था, लेकिन चालू सितंबर में आयात कम रहने की आशंका है। केंद्र सरकार की सख्ती के साथ ही स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से हाल ही में अरहर की कीमतों में गिरावट तो आई है, लेकिन हाजिर बाजार में जहां देसी अरहर का स्टॉक भी कम है। आयातक भी दाम घटाकर बेचना नहीं चाहते। इसलिए हाजिर बाजार में अभी इसकी कीमतों में बड़ी गिरावट के आसार नहीं है। घरेलू बाजार में देसी अरहर की आवक दिसंबर में बनेगी। वैसे भी खपत का सीजन होने के कारण अरहर दाल में मांग बनी रहने का अनुमान। स्टॉक लिमिट लगी होने के कारण दाल मिलों के पास भी तय मात्रा में ही अरहर का स्टॉक बचा हुआ है जबकि घरेलू मंडियों में देसी अरहर की आवक पहले की तुलना में कम हो गई है।

देसी मसूर की कीमतों में सुधार, जबकि आयातित के दाम स्थिर बने रहे। केंद्र सरकार द्वारा स्टॉक की जानकारी मांगे जाने से हाल ही में मसूर के दाम कमजोर हुए थे, लेकिन व्यापारी ज्यादा मंदे में नहीं है। खपत का सीजन होने के कारण मसूर दाल में बिहार, बंगाल एवं असम की मांग बनी रहेगी, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मंडियों में देसी मसूर की आवक काफी कम हो गई है। किसानों के पास बकाया स्टॉक कम है, जबकि स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम आ रही है। हालांकि कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया से आयातित मसूर की आवक हो रही है तथा बंदरगाह पर स्टॉक भी है।

नीचे दाम पर दाल मिलों की खरीद से चना की कीमतों में सुधार आया है। जानकारों के अनुसार नेफेड द्वारा चना की बिक्री बढ़ाने की संभावना से इसकी कीमतों पर पिछले सप्ताह दबाव बना था, लेकिन नेफेड अभी भी उंचे दाम पर ही चना की निविदा बेच रही है। इसलिए इसकी कीमतों में ज्यादा मंदा नहीं आयेगा। उत्पादक राज्यों में चना का बकाया स्टॉक पिछले साल की तुलना में काफी कम बचा हुआ है जबकि चना की नई फसल फरवरी, मार्च में ही आयेगी। त्योहारी सीजन के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग अभी बनी रहेगी।

दाल मिलों की सीमित खरीद से मूंग की कीमतें स्थिर बनी रही। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में मूंग की दैनिक आवकों में हाल ही में सुधार आया है, तथा चालू महीने के अंत तक मौसम अनुकूल रहा तो आवक और बढ़ेगी। ऐसे में इसकी कीमतों में हल्की तो नरमी तो आ सकती है। हालांकि खपत का सीजन होने के कारण मूंग दाल की मांग अभी बनी रहेगी। इसलिए इसकी कीमतों में अभी बड़ी गिरावट की संभावना कम है।

चेन्नई में उड़द एसक्यू के दाम शाम के सत्र में 50 रुपये तेज होकर भाव 9450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, इस दौरान एफएक्यू के भाव 100 रुपये तेज होकर दाम 8375 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में उड़द एफएक्यू के भाव 75 बढ़कर 8775 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि उड़द एसक्यू के दाम 9400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव 25 रुपये कमजोर होकर दाम 8450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में लेमन अरहर के दाम 50 रुपये तेज होकर दाम 11,550 से 11,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में लेमन अरहर के दाम 50 रुपये कमजोर होकर भाव 11,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में लेमन अरहर के दाम 50 रुपये बढ़कर भाव 11,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर की कीमतें स्थिर बने रहे। सूडान से आयातित अरहर के दाम 11,800 से 11,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान मलावी से आयातित अरहर के भाव 9000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दाल मिलों की मांग बढ़ने से दिल्ली में देसी मसूर के भाव बढ़कर 6700 से 6725 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 6050 से 6100 रुपये प्रति क्विंटल स्थिर हो गए। इस दौरान हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 6200 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। कनाडा की मसूर की कीमतें वैसल में 6200 से 6300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 6450 से 6500 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

दिल्ली में राजस्थान लाइन के चना के दाम 25 रुपये तेज होकर भाव 6500 से 6525 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 25 रुपये बढ़कर 6500 से 6525 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दिल्ली में राजस्थान लाइन की मूंग के भाव 8850 से 8900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान जयपुर मंडी में मूंग के बिल्टी भाव 7500 से 8550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। 

गुजरात में कपास, सोयाबीन, कैस्टर एवं धान के साथ बाजरा की बुआई सामान्य से ज्यादा

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में गुजरात में कपास के साथ ही सोयाबीन, कैस्टर सीड एवं धान तथा बाजरा की बुआई सामान्य क्षेत्रफल से ज्यादा हुई है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 11 सितंबर तक राज्य में खरीफ फसलों की कुल बुआई बढ़कर 84.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि सामान्य क्षेत्रफल 85.97 लाख हेक्टेयर का करीब 98.71 फीसदी है। पिछले साल राज्य में इस समय तक 84.16 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हुई थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में पहली जून से 11 सितंबर के दौरान सामान्य से 8 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। हालांकि राज्य में अगस्त में बारिश सामान्य से कम हुई है। पहली जून से 11 सितंबर तक राज्य में 700.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जोकि सामान्य 647 मिलीमीटर से ज्यादा है।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 26.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 25.48 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। सामान्य: राज्य में कपास की बुआई 23.60 लाख हेक्टेयर में होती है।

सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 2.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.21 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इस दौरान कैस्टर सीड की बुआई 6.86 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 58,044 हेक्टेयर में, ग्वार सीड की 1,03,218 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 6.52 लाख हेक्टेयर में, 72,121 हेक्टेयर में और 1,03,724 हेक्टेयर में हुई थी।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 8.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि सामान्य 8.41 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। पिछले साल इस समय तक राज्य में धान की रोपाई 8.67 लाख हेक्टेयर में हुई थी। इसी तरह से बाजरा की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 1.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.84 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। सामान्य राज्य में बाजरा की बुआई 1.77 लाख हेक्टेयर में होती है।    

मोटे अनाजों में मक्का की बुआई 2.82 लाख हेक्टेयर में और ज्वार की 19,673 हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 2.87 लाख हेक्टेयर और 18,150 हेक्टेयर में हुई थी।

मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में घटकर 16.35 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के इसकी बुआई 17.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य में मूंगफली की बुआई करीब 18.94 लाख हेक्टेयर में होती है।

दलहनी फसलों में अरहर की बुआई चालू खरीफ सीजन में 2.09 लाख हेक्टेयर में, मूंग की 64,614 हेक्टेयर में और उड़द की 79,265 हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 2.33 लाख हेक्टेयर में 79,850 हेक्टेयर में और 96,758 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

09 सितंबर 2023

चालू खरीफ में कपास की बुआई 1.48 फीसदी घटी

नई दिल्ली। अगस्त में देश के कई राज्यों में मानसूनी बारिश सामान्य से कम हुई है, जिस कारण कपास की बुआई चालू खरीफ में पिछले साल की तुलना में 1.48 फीसदी कम हुई है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 8 सितंबर तक कपास की बुआई 124.99 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 126.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 8 सितंबर तक देशभर में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश हुई है।

उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में चालू खरीफ में कपास की बुआई 16.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 15.81 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गुजरात में चालू खरीफ में कपास की बुआई 26.79 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 25.45 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 6.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.25 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

महाराष्ट्र में चालू खरीफ में कपास की बुआई 42.28 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 42.29 लाख हेक्टेयर से कम है।

आंध्रप्रदेश में चालू खरीफ में कपास की बुआई 5.63 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.06 लाख हेक्टेयर से कम है। तेलंगाना में चालू खरीफ में कपास की बुआई 18.22 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान 20.06 लाख हेक्टेयर हो चुकी थी।

कर्नाटक में चालू खरीफ में कपास की बुआई 6.63 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.15 लाख हेक्टेयर से कम है।

ओडिशा में चालू खरीफ में कपास की बुआई 2.34 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.15 लाख हेक्टेयर से अधिक है।

चालू खरीफ में धान की रोपाई की रोपाई ज्यादा, दलहन के साथ तिलहन की कम

नई दिल्ली। अगस्त में मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने के बावजूद भी चालू खरीफ सीजन में धान के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई बढ़ी है, जबकि दलहन के साथ ही तिलहन एवं कपास की बुआई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है।


चालू खरीफ सीजन में 8 सितंबर तक कुल फसलों की बुआई बढ़कर 1088.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1080.02 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में पहली जून से 8 सितंबर के दौरान देशभर में सामान्य से 11 फीसदी कम बारिश हुई है, जबकि जुलाई अंत तक बारिश सामान्य से ज्यादा हुई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में धान की रोपाई 2.69 फीसदी बढ़कर 403.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 392.81 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

दालों की बुआई चालू खरीफ में 8.58 फीसदी पिछड़कर 119.91 लाख हेक्टेयर ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 131.17 लाख हेक्टेयर हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में घटकर 42.92 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 45.61 लाख हेक्टेयर से कम है। इसी तरह से उड़द की बुआई घटकर चालू सीजन में 31.89 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 37.08 लाख हेक्टेयर से कम है।

इस दौरान मूंग की बुआई घटकर 31.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 33.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों की बुआई चालू खरीफ में 13.68 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इनकी बुआई इस समय तक 14.53 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मंत्रालय के अनुसार मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ में बढ़कर 182.21 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 181.24 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। ज्वार की बुआई चालू खरीफ में 14.08 लाख हेक्टेयर में, बाजरा की 70.84 लाख हेक्टेयर में तथा मक्का की 83.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 15.58 लाख हेक्टेयर में, तथा 70.46 लाख हेक्टेयर में एवं 80.97 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

रागी की बुआई चालू खरीफ में घटकर 8.73 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.29 लाख हेक्टेयर से कम है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ सीजन में घटकर 191.49 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 193.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 43.73 लाख हेक्टेयर में, सोयाबीन की 125.40 लाख हेक्टेयर में और शीशम की 11.98 लाख हेक्टेयर में तथा कैस्टर सीड की 9 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 45.30 लाख हेक्टेयर में, 124.06 लाख हेक्टेयर में, 12.97 लाख हेक्टेयर में और 7.94 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 1 सितंबर तक कपास की बुआई 125 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 126.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 59.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 55.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

आंध्रप्रदेश में कपास के साथ ही मूंगफली और धान की रोपाई घटी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में आंध्र प्रदेश में खरीफ की प्रमुख फसल धान के साथ ही मूंगफली और कपास की बुआई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 6 सितंबर तक राज्य में खरीफ फसलों की कुल बुआई घटकर 21.70 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल राज्य में इस समय तक 28.61 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो चुकी थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में पहली जून से 7 सितंबर के दौरान सामान्य से पांच फीसदी कम बारिश हुई है। राज्य में अगस्त में बारिश सामान्य से काफी हुई।

राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 3.80 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय राज्य में 6.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। सामान्य: राज्य में कपास की बुआई 6.18 लाख हेक्टेयर में होती है।

धान की रोपाई चालू खरीफ में घटकर 11.37 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के इसकी बुआई 12.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य में धान की रोपाई करीब 15.52 लाख हेक्टेयर में होती है।

मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में घटकर 2.93 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि के इसकी बुआई 5.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। राज्य में मूंगफली की बुआई करीब 6.44 लाख हेक्टेयर में होती है।

दलहनी फसलों में की बुआई चालू खरीफ सीजन में 1.43 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 2.07 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में घटकर 1.38 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 1.55 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की बुआई चालू खरीफ में 93 हजार हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.09 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

उत्पादक राज्यों में नेफेड 18 सितंबर से सरसों की बिक्री शुरू करेगी

नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के साथ ही गुजरात में 18 सितंबर से नेफेड सरसों की बिक्री शुरू करेगी। सूत्रों के अनुसार सरसों की नीलामी कई पोर्टलों जैसे एग्री बाजार आदि के माध्यम से की जायेगी।


व्यापारियों के अनुसार आगामी दिनों में घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों में तेजी, मंदी नेफेड के बिक्री भाव पर भी निर्भर करेगी।  

नेफेड के सूत्रों के अनुसार निगम ने राजस्थान से 4,85,709.45 टन सरसों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर की थी। इसके अलावा निगम ने हरियाणा से 3,41,758.49 टन एवं मध्य प्रदेश से 1,67,090 अन एवं उत्तर प्रदेश से 32,268 टन तथा गुजरात से 84,336 टन सरसों की खरीद एमएसपी पर की थी।

केंद्र सरकार ने फसल सीजन 2022-23 के लिए सरसों का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था।

सूत्रों के अनुसार नेफेड के पास करीब 14 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक है। उद्योग के अनुसार पहली सितंबर को देशभर में सरसों का बकाया स्टॉक 57.50 टन का बचा हुआ है, जिसमें से किसानों के पास करीब 35.50 लाख टन एवं व्यापारियों, मिलर्स एवं स्टॉकिस्टों के पास करीब 8 लाख टन का है।

अगस्त में सरसों की पेराई 8.50 लाख टन की हुई है, जबकि जुलाई में इसकी पेराई 9 लाख टन की हुई थी। चालू फसल सीजन में मार्च से अगस्त के दौरान 54.50 लाख टन सरसों की पेराई हुई है। चालू फसल सीजन में मार्च से अगस्त के दौरान देशभर की मंडियों में सरसों की कुल आवक 76.50 लाख टन की हुई है।

05 सितंबर 2023

दिल्ली चना में 6600 रुपए प्रति क्विंटल

 दिल्ली चना में 6600 रुपए प्रति क्विंटल 

★दिल्ली (व्यापार)

★DELHI (TRADE)

चना (GRAM)

मध्य प्रदेश (M.P BEST)-6575  +0

राजस्थान  (RAJ)-6575  +0

~~~~

★मसूर (LENTIL)

दिल्ली  (DELHI)

M. P.(2/50KG- 6850  +0

~~~~

★ मूंग (MUNG) 

राजस्थान (RAJ NEW)- 9550/9600

आवक- 22 मोटर 

~~~~~

 मोठ (MOTH)

नया (NEW)-8150/8200

रामगंजमंडी 08 अगस्त 2023



धनिया आवक 4000 बोरी 

मार्केट समान 

 रेन ब्लैक टच 5600/5800

 रेड क्वालिटी 6000/6200

 धनिया बदामी-6200/6600

घनिया- ईगल- 7000/7300

स्कुटर धनिया  7500/7800

रगंदारक्वालिटी-8000/9500

 सोयाबीन 4700/4930

सरसों- 4900/5420

चना - 4600/4911

कलौजी- 13500/15862

उड़द -6000 /7300

 गेहू -2250/2500

  मेथी 6200/7000

अलसी 4700/4900

मंसूर   5200/5700

ईसबगोल 18000/23200

बढ़े दाम पर मिलों की मांग कमजोर होने से अधिकांश दालों में मिलाजुला रुख, मूंग तेज

नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की सक्रियता से घरेलू बाजार में सोमवार को दलहन की कीमतों में मिलाजुला रुख देखा गया। जहां अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर एवं आयातित मसूर के साथ ही चना की कीमतों में गिरावट आई, वहीं देसी मसूर और मूंग के दाम तेज हुए।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 4 सितंबर के दौरान देशभर में सामान्य की तुलना में 11 फीसदी बारिश हुई है। इस दौरान 36 सबडिवीजनों में से 7 में बारिश सामान्य से कम हुई है।

आईएमडी के अनुसार पांच सितंबर को तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ ही  कर्नाटक में कई बारिश होने का अनुमान है। छह और सात सितंबर को मध्य प्रदेश, विदर्भ, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ के अलावा कर्नाटक और तमिलनाडु में बारिश होने का अनुमान है। 8 सितंबर को महाराष्ट्र के अधिकांश क्षेत्रों में बारिश होने का अनुमान है।

चेन्नई में बर्मा की उड़द एफएक्यू और एसक्यू के साथ ही लेमन अरहर के दाम स्थिर बने रहे। उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव अगस्त एवं सितंबर शिपमेंट के फसल सीजन 2023 के क्रमश: 1,010 डॉलर और 1,105 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर हो गए। इस दौरान लेमन अरहर के दाम 1,310 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ के पूर्व स्तर पर स्थिर बने रहे।

आयातित उड़द के दाम स्थिर होने से घरेलू बाजार में उड़द की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। उड़द के उत्पादक राज्यों में पिछले एक, दो दिनों में बारिश हुई है, तथा अगले दो, तीन दिनों में और बारिश होने का अनुमान है। ऐसे में इसकी कीमतों में तेजी, मंदी चालू महीने मौसम कैसा रहता है इस पर भी निर्भर करेगी। जानकारों के अनुसार त्योहारी सीजन के कारण उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग अभी बनी रहेगी, जबकि बर्मा में पुरानी उड़द का बकाया स्टॉक पहले की तुलना में काफी कम हुआ है। बर्मा से उड़द के आयात पड़ते महंगे हैं। ऐसे में उड़द की कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार कम है, हालांकि बढ़ भाव में मुनाफावसूली करनी चाहिए।

लेमन के साथ ही देसी अरहर के दाम तेज, लेकिन अफ्रीकी देशों में आयातित अरहर में गिरावट आई। अरहर के उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक के साथ ही मध्य प्रदेश में अगले दो, तीन दिन अच्छी बारिश होने का अनुमान है। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण अरहर दाल में मांग बराबर बनी हुई है, साथ ही घरेलू बाजार में देसी अरहर का बकाया स्टॉक भी कम है। स्टॉक लिमिट लगी होने के कारण दाल मिलों के पास भी तय मात्रा में ही अरहर का स्टॉक बचा हुआ है जबकि घरेलू मंडियों में देसी अरहर की आवक पहले की तुलना में कम हो गई है। अफ्रीकी देशों से अरहर के आयात में देरी हो रही है इसलिए अरहर की कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार नहीं है।

स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली आयातित मसूर के दाम कमजोर हुए है, लेकिन देसी के दाम दिल्ली में तेज ही बने रहे। मसूर में व्यापारी अभी ज्यादा मंदे में नहीं है। त्योहारी सीजन होने के कारण मसूर दाल में बिहार, बंगाल एवं असम की मांग बनी हुई। वैसे भी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मंडियों में देसी मसूर की आवक काफी कम हो गई है। जानकारों के अनुसार इसके भाव में बढ़ी हुई कीमतों में स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली समय, समय बनेगी। उधर कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया से आयातित मसूर की आवक बराबर बनी रहने का अनुमान है।

स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से दिल्ली में चना के दाम कमजोर हुए हैं। जानकारों के अनुसार नेफेड त्योहारी सीजन में चना की बिक्री बढ़ायेगी। ऐसे में चना की तेजी, मंदी काफी हद तक नेफेड की निविदा के भाव पर तय होगी। हालांकि उत्पादक राज्यों में चना का बकाया स्टॉक पिछले साल की तुलना में काफी कम बचा हुआ है। चना की नई फसल फरवरी, मार्च में ही आयेगी। त्योहारी सीजन के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग अभी बनी रहेगी। इसलिए इसके भाव में बड़ी गिरावट के आसार कम है।

सूत्रों के अनुसार नेफेड ने मध्य प्रदेश में फसल सीजन 2023 का खरीदा हुआ 3.15 लाख टन चना बेचने का फैसला किया है, इसके अलावा अगले दो महीनों में निगम करीब 15 लाख टन चना की बिक्री करेगी। सरकार का मकसद त्योहारी सीजन में कीमतों को काबू में रखना है।

मूंग के दाम तेज बने हुए है। जानकारों के अनुसार उत्पादक राज्य में बारिश की कमी से फसल का उतारा कम आ रहा है। इसलिए मूंग में बिकवाली कम आ रही है। खपत का सीजन होने के कारण मूंग दाल की मांग अभी बनी रहेगी। इसलिए इसकी कीमतें अभी ज्यादा मंदा आने का अनुमान नहीं है। हालांकि बढ़ी हुई कीमतों में स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली आ सकती है। जानकारों के अनुसार मौसम अनुकूल रहा तो आगामी दिनों में नई मूंग की आवक बढ़ेगी।