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30 जून 2023

सीमित कारोबार के कारण अरहर एवं उड़द में मिलाजुला रुख, मूंग की कीमतें तेज

नई दिल्ली। त्योहार के कारण कई राज्यों की मंडियां बंद होने के कारण घरेलू बाजार में गुरुवार को सीमित कारोबार के बीच अधिकांश दलहन की कीमतों में मिलाजुला रुख देखा गया। जानकारों के अनुसार बाजार में नकदी की किल्लत


व्यापारियों के अनुसार घरेलू बाजार में उड़द में मिलाजुला रुख रहा, जहां मुंबई में इसके दाम स्थिर बने जबकि दिल्ली में इसके भाव कमजोर हुए। हालांकि आयातकों के पास ऊंचे दाम की उड़द का स्टॉक है, इसलिए बिकवाली तो कम हुई है, लेकिन घरेलू बाजार में दाल मिलें भी केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है, साथ ही हाल ही में उड़द के उत्पादक राज्यों में मानसून ने रफ्तार पकड़ी है। उत्पादक मंडियों में समर उड़द की आवक भी बराबर बनी हुई है। इसलिए उड़द भाव में आगे नरमी ही आने का अनुमान है। वैसे भी बर्मा में उड़द का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में है।
 
बर्मा की लेमन अरहर के दाम स्थिर बने रहे, जबकि देसी अरहर की कीमतों में हल्की तेजी दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार अरहर दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है, जिस कारण दाल मिलें जरुरत के हिसाब से खरीद कर रही हैं। अगले महीने अफ्रीकी देशों से अरहर के आयात में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। अरहर के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में मानसून सक्रिय होने से चालू खरीफ में अरहर की बुआई बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में अरहर में स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली बनी रहने से मौजूदा कीमतों में बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

दाल मिलों की सीमित मांग से दिल्ली में देसी मसूर के दाम स्थिर बने रहे, लेकिन बंदरगाह पर आयातित मसूर की कीमतें नरम हुई। व्यापारियों के अनुसार मसूर दाल में खपत राज्यों की ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है, इसलिए दाल मिलें जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही है। अत: मसूर भाव में अभी बड़ी तेजी, मंदी के आसार नहीं है। बंदरगाह पर ऑस्ट्रेलिया से आयातित मसूर का बकाया स्टॉक ज्यादा है, साथ ही आयातित मसूर की क्वालिटी हल्की है। हालांकि आगामी दिनों में आगामी दिनों में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की मंडियों में मसूर की आवक कम हो जायेगी।  

दिल्ली में चना की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। जानकारों के अनुसार आगामी दिनों में नेफेड केंद्रीय पूल से चना की बिक्री शुरू करेगी, इसलिए मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रही हैं। वैसे भी चना दाल एवं बेसन में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है, जिस कारण दाल मिलों की मांग अभी सीमित ही बनी रहने के आसार हैं। वैसे भी केंद्रीय पूल में चना का बकाया स्टॉक भी ज्यादा है इसलिए स्टॉकिस्ट भी चना की खरीद नहीं कर रहे हैं।

मूंग की कीमतें दिल्ली में तेज हुई हैं, जबकि उत्पादक मंडियों में स्थिर बनी हुई है। मूंग के उत्पादक राज्यों में मौसम खराब है, इसलिए मूंग की आवक प्रभावित हुई है। ऐसे में इसकी कीमतों में अभी सीमित तेजी, मंदी बनी रह सकती है। जानकारों के अनुसार उत्पादक राज्यों में मौसम साफ होने के बाद नई फसल की आवक बढ़ेगी, तथा चालू समर सीजन में मसूर का उत्पादन अनुमान ज्यादा है, तथा मूंग दाल में ग्राहकी कमजोर होने से दाल मिलें भी सीमित मात्रा में खरीद कर रही हैं। इसलिए इसके भाव में अभी बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के दाम 7,975 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में उड़द एसक्यू के दाम 50 रुपये कमजोर होकर भाव 8,850 से 8,875 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान एफएक्यू की कीमतें 25 रुपये घटकर 8,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गई।

मुंबई में लेमन अरहर के दाम 9,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

मुंबई में अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर के दाम कमजोर हो गए। सूडान से आयातित अरहर के दाम 100 रुपये घटकर 9,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मोजाम्बिक की सफेद अरहर के भाव 100 रुपये घटकर दाम 8250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रह गए। इस दौरान मोजाम्बिक लाइन की गजरी अरहर की कीमतें 8250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। मलावी से आयातित अरहर के भाव 8000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दाल मिलों की सीमित खरीद से मध्य प्रदेश की मसूर के दाम दिल्ली में 6000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

हजिरा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के भाव 25 रुपये कमजोर होकर दाम 5,625 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाम 25 रुपये घटकर 5,525 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें वैसल में 50 रुपये घटकर 5,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। कनाडा की मसूर की कीमतें कंटेनर में 5,850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गई। ऑस्ट्रेलिया की मसूर की कीमतें कंटेनर में 5,900 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्व स्तर पर स्थिर बनी रही

दिल्ली में राजस्थान के चना के भाव 5,075 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे, इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,075 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

राजस्थान लाईन की मूंग की कीमतें दिल्ली में 75 रुपये तेज होकर भाव 7,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान जलगांव में देसी मूंग के भाव 7600 से 8600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इंदौर में बोल्ड क्वालिटी की मूंग के दाम 7800 से 8300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

तेल मिलों की सीमित खरीद से सरसों के दाम स्थिर, दैनिक आवकों में कमी

नई दिल्ली। तेल मिलों की सीमित खरीद से घरेलू बाजार में गुरुवार को सरसों की कीमतों में लगातार पांच दिनों से चली आ रही तेजी रुक गई, तथा इसके दाम स्थिर हो गए। जयपुर में कंडीशन की सरसों के भाव 5,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। इस दौरान सरसों की दैनिक आवक घटकर चार लाख बोरियों पर स्थिर हो गई।  


व्यापारियों के अनुसार त्योहार के कारण व्यापारिक गतिविधियां कमजोर रही। उधर शिकागो में सोया तेल की कीमतें तेज ही बनी रही। हालांकि घरेलू बाजार में मिलाजुला रुख रहा, जहा सरसों के दाम स्थिर बने रहे, वहीं सरसों तेल की कीमतें नरम हुई। हालांकि ब्रांडेड तेल मिलों ने सरसों की खरीद कीमतों में आज 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की।

आगरा में कंडीशन की सरसों के भाव 5,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, तथा चालू सप्ताह में इसके दाम 200 रुपये प्रति क्विंटल तक तेज हो गए

रबी सीजन में नेफेड ने न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर 9,19,542 टन सरसों की खरीद की थी।  

व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों की मंडियों में आज सरसों की दैनिक आवकों में कमी आई है, लेकिन चालू सीजन में सरसों का उत्पादन अनुमान ज्यादा है, इसलिए किसानों के साथ ही व्यापारियों के पास सरसों का बकाया स्टॉक ज्यादा है। हालांकि सरसों एवं इसके तेल की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक आयातित खाद्वय तेलों के दाम पर भी निर्भर करेगी।

अमेरिका के सोयाबीन के उत्पादक राज्यों में मौसम बेहतर हुआ है, साथ ही कनाडाई कैनोला के रकबे में वृद्धि से आपूर्ति बढ़ रही है। इसके विपरीत, अमेरिका में बायोडीजल फीडस्टॉक के रूप में सोया तेल की कमजोर मांग और चीन और यूरोप में सोया तेल की खपत में कमी, जो रेपसीड और सूरजमुखी तेल के बाजार में हिस्सेदारी खो रही है, ने भी विश्व बाजार में मांग को कम किया है। अत: आगामी दिनों में सोया तेल की कीमतों में नरमी आने का अनुमान है।

शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड पर सोया तेल की कीमतें 0.52 फीसदी तेज हो गई।

जयपुर में सरसों तेल कच्ची घानी एवं एक्सपेलर की कीमतें गुरुवार को छह दिनों की तेजी के बाद 6-6 रुपये कमजोर होकर भाव क्रमश: 1,022 रुपये और 1,012 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। इस दौरान सरसों खल के दाम पांच रुपये तेज होकर 2595 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

देशभर की मंडियों में सरसों की दैनिक आवक गुरुवार को घटकर चार लाख बोरियों की हुई, जबकि इसके पिछले कारोबारी दिवस में आवक पांच लाख बोरियों की हुई थी। कुल आवकों में से प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की मंडियों में दो लाख बोरी, मध्य प्रदेश की मंडियों में 40 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश की मंडियों में 50 हजार बोरी, पंजाब एवं हरियाणा की मंडियों में 30 हजार बोरी तथा गुजरात में 15 हजार बोरी, एवं अन्य राज्यों की मंडियों में 65 हजार बोरियों की आवक हुई।

डीओसी का निर्यात मई में 72 फीसदी बढ़ा - उद्योग

नई दिल्ली। मई-23 में देश से डीओसी का निर्यात 72 फीसदी बढ़कर 436,596 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल मई में इसका निर्यात केवल 254,062 टन का ही हुआ था।


साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले दो महीनों अप्रैल, मई में डीओसी का निर्यात 59 फीसदी बढ़कर 930,044 टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 586,415 टन का ही हुआ था।

एसईए के अनुसार अप्रैल 2022 में सोयाबीन के दाम घरेलू बाजार में 7,640 रुपये प्रति क्विंटल के उच्चतम स्तर पर थे, जोकि घटकर 4,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अत: कीमतों में आई गिरावट से सोयाबीन की पेराई ज्यादा हुई साथ ही सोया डीओसी का निर्यात भाव वाजिब हो गया। 19 जून, 2023 भारतीय सोया डीओसी के दाम एक्स-कांडला 595 डॉलर प्रति टन थे।

भारतीय सोया डीओसी के प्रमुख आयातक देश दक्षिण पूर्व एशिया के हैं, जहां भारत छोटे लॉट में भी आपूर्ति कर सकता है। इसके अलावा, भारतीय सोया डीओसी गैर जीएमओ होने का भी फायदा है और कुछ यूरोपीय देशों और यूएसए द्वारा इसका आयात किया जा रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने के कारण भी निर्यात को बढ़ावा मिला है।

एसईए के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान सरसों डीओसी के निर्यात ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है तथा वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 22,96,943 टन का निर्यात हुआ है। चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों अप्रैल, मई 2023 के दौरान भी निर्यात में बढ़ोतरी जारी रही, तथा इस दौरान निर्यात बढ़कर 480,000 टन का हो चुका है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में केवल 398,000 टन का ही निर्यात हुआ था।

वर्तमान में भारत दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड और अन्य सुदूर पूर्व देशों को 270 डॉलर प्रति टन, एफओबी पर भारतीय सरसों डीओसी का निर्यात सबसे सस्ता है। उधर हैम्बर्ग में सरसों डीओसी का एक्स-मिल भाव 316 डॉलर प्रति टन है।

भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी का भाव मई 23 में घटकर औसतन 570 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि मई 2022 में इसका दाम 720 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से सरसों डीओसी का भाव मई 23 में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 251 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि पिछले साल मई 22 में इसका भाव 306 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से केस्टर डीओसी का दाम मई 23 में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 112 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि मई 22 में इसका दाम 143 डॉलर प्रति टन था।   

गुजरात में चालू खरीफ में कपास एवं मूंगफली के साथ सोयाबीन की बुआई बढ़ी

नई दिल्ली। बारिश सामान्य से ज्यादा होने के कारण चालू खरीफ सीजन में गुजरात में कपास के साथ ही मूंगफली एवं सोयाबीन की बुआई आगे चल रही है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 26 जून तक राज्य में खरीफ फसलों की कुल बुआई बढ़कर 25.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 19.68 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार राज्य में पहली जून से 26 जून के दौरान सामान्य से 74 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान राज्य में 145.2 मिलीमीटर बारिश हुई है, जोकि सामान्य 83.7 मिलीमीटर से ज्यादा है।

मंत्रालय के अनुसार कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 13.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 10.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। सामान्य राज्य में कपास की बुआई 23.60 लाख हेक्टेयर में होती है।

इसी तरह से मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 9.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.87 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। राज्य में मूंगफली की बुआई करीब 18.94 लाख हेक्टेयर में होती है।

सोयाबीन की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 97,309 हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 43,398 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। इस दौरान कैस्टर सीड की 2,725 हेक्टेयर में, शीशम की 4,082 हेक्टेयर में, ग्वार सीड की 2,526 हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 11,000 हेक्टेयर में, मक्का की 2,151 हेक्टेयर और धान की रोपाई 2,877 हेक्टेयर में हो चुकी है। दलहनी फसलों में अरहर की 2,643 हेक्टेयर में, मूंग 3,766 हेक्टेयर में और उड़द की 2,842 हेक्टेयर में हो चुकी है।