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22 अप्रैल 2024

समर सीजन में फसलों की कुल बुआई 8.18 फीसदी बढ़ी - कृषि मंत्रालय

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाज की बुआई 8.18 फीसदी बढ़कर 64.47 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले समर सीजन में इनकी बुआई केवल 59.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 19 अप्रैल 24 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 8.71 फीसदी बढ़कर 29.80 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 27.41 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 13.35 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 12.24 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 10.36 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 9.42 लाख हेक्टेयर और 2.54 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू समर सीजन में 11.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 10.52 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 6.33 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 4.61 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 5.82 और 4.36 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।  

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 9.88 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.42 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 4.58 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 4.74 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 33,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.43 लाख हेक्टेयर में, 4.46 लाख हेक्टेयर में तथा 29,000 हेक्टेयर में ही हुई थी।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू समर सीजन में पहली मार्च 24 से 18 अप्रैल 2024 के दौरान देशभर में बारिश सामान्य की तुलना में 9 फीसदी कम हुई है। 

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश से डीओसी का रिकॉर्ड निर्यात - एसईए

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2023-24 के अप्रैल से मार्च के दौरान डीओसी का रिकार्ड 48.85 लाख टन का निर्यात हुआ है, जबकि इससे पहले वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान 43.81 लाख का निर्यात हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के अप्रैल से मार्च के दौरान डीओसी का मात्रा के हिसाब से 4,885,437 टन का एवं मूल्य के हिसाब से 15,370 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान देश से मात्रा के हिसाब से 4,336,287 टन एवं मूल्य के हिसाब से 11,400 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। अत: वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान मात्रा के हिसाब से डीओसी के निर्यात में 13 फीसदी एवं मूल्य के हिसाब से 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

एसईए के अनुसार मार्च 2024 में डीओसी का निर्यात 13 फीसदी घटकर 395,382 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल मार्च में इनका निर्यात 575,958 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान सोया डीओसी का कुल निर्यात बढ़कर 21.33 लाख टन का हुआ है, जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 10.22 लाख टन से ज्यादा है। क्योंकि भारतीय सोया डीओसी अंतरराष्ट्रीय बाजार में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी थी। हालांकि, वर्तमान में 15 अप्रैल, 2024 तक भारतीय सोया डीओसी का एक्स कांडला भाव 490 डॉलर प्रति टन पर है, जबकि अर्जेंटीना की सोया डीओसी का दाम सीआईएफ रॉटरडैम 417 डॉलर प्रति टन है। अत: भारतीय सोया डीओसी को अर्जेंटीना से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है जिसका असर आने वाले महीनों में इसकी निर्यात मात्रा पर पड़ने की आशंका है।

वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान देश से सरसों डीओसी का निर्यात 22.13 लाख टन का हुआ है जोकि वित्त वित्त वर्ष 2022-23 के 22.97 लाख टन के मुकाबले थोड़ा कम है। देश में पिछले तीन साल से सरसों डीओसी का उत्पादन लगातार बढ़ा है। हालांकि सरसों डीओसी के उत्पादन में आने वाले महीनों में पेराई में असमानता के कारण कमी आने की संभावना है। वैसे भी विश्व बाजार में सोया डीओसी से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण सरसों डीओसी के निर्यात सौदों में हाल ही में कमी दर्ज की गई।

भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी का भाव मार्च में औसतन 491 डॉलर प्रति टन है, जबकि फरवरी में इसका औसत दाम 506 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से सरसों डीओसी का दाम घटकर मार्च में भारतीय बंदरगाह पर 285 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि फरवरी में इसका भाव 311 डॉलर प्रति टन था। कैस्टर डीओसी का दाम भारतीय बंदरगाह पर मार्च में बढ़कर 80 डॉलर प्रति टन हो गया, जबकि फरवरी में इसके दाम 78 डॉलर प्रति टन थे।

गुजरात में चालू समर सीजन में फसलों की कुल बुआई में आई कमी

नई दिल्ली। गुजरात में चालू समर सीजन में फसलों की कुल बुआई 0.03 फीसदी पिछड़कर 15 अप्रैल 2024 तक केवल 11.36 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 11.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार राज्य में धान की रोपाई चालू समर सीजन में 15 अप्रैल तक 95,043 हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 79,235 हेक्टेयर की तुलना में बढ़ी है।

राज्य में बाजरा की बुआई बढ़कर चालू समर में अभी तक 3.15 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 3.13 लाख हेक्टेयर में इसकी बुआई हुई थी। मक्का की बुआई राज्य में घटकर 7,082 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 7,257 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दलहनी फसलों में मूंग की बुआई चालू समर सीजन में 45,592 हेक्टेयर में एवं उड़द की 21,485 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 46,435 हेक्टेयर में और 20,086 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राज्य में तिलहन फसलों में मूंगफली की बुआई 59,887 हेक्टेयर में तथा शीशम की 1.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले समर सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 53,725 हेक्टेयर में और 1.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

ग्वार सीड की बुआई राज्य में 1,576 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 2,884 हेक्टेयर में हो चुकी थी।

चालू सीजन में सीसीआई 5.13 लाख गांठ कॉटन की कर चुकी है बिक्री, भाव में मंदा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 में सीसीआई अभी तक उत्पादक राज्यों में 5.13 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की बिक्री कर चुकी है तथा निगम ने 11 अप्रैल को 1,000 गांठ कॉटन की बिक्री की थी। स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर होने से शुक्रवार को घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में मंदा आया।


सूत्रों के अनुसार कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया, सीसीआई ने पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में अभी तक 32.84 लाख गांठ कॉटन की खरीद की है, जिसमें से निगम अभी तक 5.13 लाख गांठ की बिक्री कर चुकी है। अत: निगम के पास 11 अप्रैल 2024 को 27.71 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक बचा हुआ है।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने के कारण शुक्रवार को गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतों में मंदा आया।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 600 रुपये घटकर 59,300 से 59,600 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो पर रह गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5850 से 5875 रुपये प्रति मन बोले गए।
हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव घटकर 5750 से 5850 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव नरम होकर 5450 से 6050 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के दाम 58,300 से 58,500 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 47,400 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को गिरावट का रुख रहा। आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में शाम के सत्र में मंदा आया।

स्पिनिंग मिलों की मांग कमजोर होने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतें नरम हुई। व्यापारियों के अनुसार हाल ही में आईसीई में कॉटन की कीमतों में मंदा आया है जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों पर दबाव बना हुआ है। देशभर की अधिकांश छोटी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, जबकि खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में सूती धागे में मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए मिलों को चालू महीने में कॉटन की खरीद करनी होगी। उधर सीसीआई कॉटन की बिक्री हाजिर बाजार के भाव की तुलना में ऊंचे दाम पर कर रही है। उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में आगामी दिनों में कमी आने का अनुमान है। अत: घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी विश्व बाजार के दाम पर ही निर्भर करेगी।

सीसीआई के अनुसार 1 अप्रैल 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 261.06 लाख गांठ की हो चुकी है।

इस साल मानसूनी बारिश सामान्य से ज्यादा होने की संभावना - आईएमडी

नई दिल्ली। पहली जून 2024 से शुरू होने वाले मानसूनी सीजन में पूरे देश में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने पूर्वानुमान में सोमवार को बताया कि बारिश सामान्य से अधिक दीर्घकालिक औसत (एलपीए) का 106 फीसदी होने की अनुमान है।


आईएमडी के अनुसार उत्तर-पश्चिम, पूर्व और पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। आईएमडी के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पूरे देश में 2024 दक्षिण-पश्चिम मानसून के तहत पहली जून 2024 से 30 सितंबर 2024 के बीच मानसून सीजनल रेनफॉल लॉन्ग टर्म एवरेज (एलपीए) का 106 फीसदी होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अगर सीजनल रेनफॉल के दीर्घावधि औसत की 96 फीसदी से 104 फीसदी के बीच बारिश होती है तो वो सामान्य होती है।

उन्होंने बताया कि 106 फीसदी बारिश सामान्य से अधिक की श्रेणी में आती है और अगर दीर्घावधि औसत की 105 फीसदी से 110 फीसदी के बीच बारिश होती है तो इसे सामान्य से अधिक माना जाता है। उन्होंने बताया कि अच्छे मानसून से संबंधित ला नीना की स्थिति अगस्त-सितंबर तक सक्रिय होने की संभावना है।

मृत्युंजय महापात्र ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 1951-2023 के बीच के आंकड़ों के आधार पर, भारत में मानसून के मौसम में नौ मौकों पर सामान्य से अधिक बारिश हुई, जब ला नीना के बाद अल नीनो की घटना हुई है। मौसम विभाग की मानें तो इस बार अल नीनो के कमजोर पड़ने के बाद मानसून सीजन में ला-नीना का प्रभाव बढ़ेगा। इसका असर ये होगा कि देश में सामान्य से अधिक बारिश होगी।

आईएमडी के अनुसार इस बार अधिकांश इलाकों में सामान्य बारिश होगी, लेकिन उत्तर पश्चिमी राज्यों में इससे उलट हो सकता है। मौसम विभाग ने कहा कि गुजरात, राजस्थान, पंजाब, ओडिशा, बंगाल और जम्मू-कश्मीर के साथ पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की जा सकती है।

वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों में बासमती चावल का निर्यात 14 फीसदी से ज्यादा बढ़ा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सख्ती के बावजूद भी वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 14.12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि इस दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 37.36 फीसदी की भारी गिरावट आई है।


केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 14.11 फीसदी बढ़कर 46.79 लाख टन का हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात केवल 41 लाख टन का ही हुआ था।

गैर बासमती चावल के निर्यात में वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान 37.36 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 100.81 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 160.96 लाख टन का हुआ था।

फरवरी 2024 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 5.75 लाख टन का हुआ है, जबकि पिछले साल फरवरी 2023 में इसका निर्यात केवल 4.45 लाख टन का ही हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात फरवरी 2024 में घटकर केवल 9.55 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी 2023 में इसका निर्यात 15.31 लाख टन का हुआ था।

केंद्र सरकार ने 25 अगस्त 2023 को आदेश दिया था कि केवल 1,200 डॉलर प्रति टन या उससे अधिक मूल्य वाले बासमती चावल के निर्यात अनुबंधों को ही पंजीकृत किया जायेगा। इसके विरोध में उत्तर भारत के निर्यातकों के साथ ही चावल मिलों ने हड़ताल कर दी थी, साथ ही मंडियों में किसानों से धान की खरीद भी बंद कर दी थी। अत: 28 अक्टूबर 23 को एक्सपोर्ट प्रमोशन संस्था एपिडा को भेजे एक पत्र में केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि बासमती चावल के निर्यात के लिए कॉन्ट्रैक्ट के रजिस्ट्रेशन के लिए मूल्य सीमा को 1,200 डॉलर प्रति टन से संशोधित कर 950 डॉलर प्रति टन करने का निर्णय लिया था।

केंद्र सरकार ने 20 जुलाई 23 को गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी, इसके अलावा साल सितंबर 2022 में ब्रोकन चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगाया था। हालांकि गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद कई देशों ने भारत सरकार से इस पर पुनर्विचार करने और निर्यात पर प्रतिबंध न लगाने की मांग की थी। अत: सरकार ने समय, समय पर कई देशों के अनुरोध को मानते हुए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात की मंजूरी दी है। इसके बावजूद भी गैर बासमती चावल के निर्यात में भारी कमी आई है।

जानकारों के अनुसार लाल सागर के संकट का असर चावल के निर्यात पर भी पड़ा है तथा इससे घरेलू बाजार से चावल की निर्यात शिपमेंट में आई कमी के कारण बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में पिछले डेढ़ से दो महीनों में मंदा आया है।

गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर खरीद शुरू होने के कारण हरियाणा की मंडियों में धान की आवक नहीं हो रही जबकि पंजाब की अमृतसर मंडी में शनिवार को पूसा 1,121 किस्म के धान के भाव 4,400 से 4,525 रुपये और 1,718 किस्म के धान के भाव 4,300 से 4,400 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली के नया बाजार में शनिवार को पूसा 1,121 स्टीम चावल का भाव नरम होकर 8,800 से 9,000 रुपये और इसका सेला चावल का 7,800 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। इस दौरान पूसा 1,509 किस्म के स्टीम चावल का दाम 7,700 से 7,900 रुपये और इसके सेला चावल का 6,800 से 7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहा। व्यापारियों के अनुसार मौजूदा कीमतों राइस मिलों को पड़ते नहीं लग रहे, ऐसे में बासमती चावल की कीमतों में ज्यादा मंदे के आसार नहीं है।

12 अप्रैल 2024

पहली छमाही में सोया डीओसी का निर्यात 14 फीसदी से ज्यादा बढ़ा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 की पहली छमाही अक्टूबर से फरवरी के दौरान सोया डीओसी के निर्यात में 14.24 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 13.47 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 11.79 लाख टन का ही हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले छह महीनों अक्टूबर से मार्च के दौरान 53.26 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 52.28 लाख टन की तुलना में बढ़ा है। नए सीजन के आरंभ में 1.17 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 0.17 लाख टन का आयात हुआ है। इस दौरान 4.35 लाख टन सोया डीओसी की खपत फूड में एवं 35 लाख टन की फीड हुई है। अत: मिलों के पास पहली अप्रैल 2024 को 1.80 लाख टन सोया डीओसी का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.01 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले छह महीनों अक्टूबर से मार्च के दौरान देशभर की मंडियों में 77 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के बराबर है। इस दौरान 67.50 लाख टन सोयाबीन की क्रॉसिंग हो चुकी है जबकि 2.50 लाख टन की सीधी खपत एवं 0.04 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों, स्टॉकिस्टों तथा किसानों के पास पहली अप्रैल 2024 को 64.83 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 70.22 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 118.74 लाख टन सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि नई फसल की आवकों के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक था। अत: चालू फसल सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठेगी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 149.26 लाख टन की तुलना में कम है।