कुल पेज दृश्य

27 जून 2020

अगले 24 घंटों में उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश के कई​ हिस्सों में बारिश का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। भातरीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान उत्तराखंड, हरियाणा के कुछ हिस्सों, दक्षिणी गुजरात और मध्य प्रदेश के पश्चिमी भागों में हल्की बारिश के साथ कहीं-कहीं मध्यम वर्षा होने का अनुमान है।
आईएमडी के अनुसार पहली जून से 27 जून के दौरान देश भर में सामान्य से 22 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है जिसका असर खरीफ फसलों की बुआई पर भी पड़ा है। चालू खरीफ में फसलों की बुआई में तेजी देखी जा रही है। मौसम विभाग के अनुसार 27 जून तक पूरे देश में औसतन 143.3 मिलीमीटर बारिश होती है जबकि चालू सीजन में 174.6 मिलीमीटर बारिश हुई है। इस दौरान मध्य भारत में सामान्य से 40 फीसदी ज्यादा ज्यादा बारिश हुई है। मध्य भारत के राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा एवं विदर्भ के अलावा छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है। देशभर के 36 सब डिवीजनों में से पांच में जून महीने में अत्याधिक बारिश हुई है, जबकि आठ में अधिक और 19 में सामान्य बारिश दर्ज की गई। हालांकि चार सब डिवीजनों में इस दौरान सामान्य से कम बारिश हुई है।
पंजाब से हरियाणा और उत्तर प्रदेश होते हुए बिहार तक एक ट्रफ बनी हुई है
मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार पंजाब से हरियाणा और उत्तर प्रदेश होते हुए बिहार तक एक ट्रफ बनी हुई है। मध्य पाकिस्तान और इससे सटे भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। बिहार से छत्तीसगढ़ होते हुए विदर्भ तक एक ट्रफ बनी हुई है। केरल के तटों के पास अरब सागर के दक्षिण-पूर्वी भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दिखाई दे रहा है। केरल के तटों से कर्नाटक के तटों तक एक ट्रफ भी बना हुआ है।
असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और केरल में मध्यम से भारी बारिश की संभावना
अगले 24 घंटों के दौरान असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और केरल में मध्यम से भारी बारिश की संभावना है। इन भागों में कहीं-कहीं मूसलाधार वर्षा भी हो सकती है। बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम, उत्तर प्रदेश के मध्य और पूर्वी भागों, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ के मराठवाड़ा, तटीय कर्नाटक और लक्षद्वीप में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी बारिश संभव है। झारखंड, ओडिशा, रायलसीमा, आंतरिक कर्नाटक, तेलंगाना, तटीय आंध्र प्रदेश और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश संभव है। हरियाणा, दक्षिणी गुजरात, तमिलनाडु, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है।
पिछले 24 घंटों में असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश देखी गई
बीते 24 घंटों के दौरान असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में मूसलाधार बारिश दर्ज की गई। शिलोंग में 168 मिमी, पासीघाट में 159 मिमी, असम के मजबत में 91 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई। मध्य प्रदेश, केरल, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, विदर्भ, मराठवाड़ा और उत्तरी कोंकण गोवा क्षेत्र में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी वर्षा हुई। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली और एनसीआर के कुछ हिस्सों, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान, छत्तीसगढ़, तटीय आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तटीय कर्नाटक के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई। दक्षिणी गुजरात और जम्मू-कश्मीर में कहीं-कहीं पर हल्की बारिश हुई।..... आर एस राणा

अच्छे मानसून से दलहन, तिलहन के साथ कपास की बुआई ज्यादा, 104 फीसदी की भारी बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में प्री मानसून के साथ ही जून महीने में हुई अच्छी मानसूनी बारिश से खरीफ फसलों की बुआई में 104.25 फीसदी की भारी बढ़ोतरी हुई है। दलहन के साथ तिलहन, कपास और मोटे अनाजों की बुआई ज्यादा हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में खरीफ फसलों की बुआई बढ़कर 315.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 154.53 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो पाई थी।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार पहली जून से 26 जून के दौरान देश भर में सामान्य से 22 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान पूरे देश में औसतन 135.6 मिलीमीटर बारिश होती है जबकि चालू सीजन में 165.1 मिलीमीटर बारिश हुई है। इस दौरान मध्य भारत में सामान्य से 44 फीसदी ज्यादा ज्यादा बारिश हुई है। मध्य भारत के राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा एवं विदर्भ के अलावा छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा में सामान्य से ज्यादा बारिश दर्ज की गई है।
दलहन के साथ ही धान की रोपाई भी ज्यादा
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई 37.71 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि की 27.93 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम है। दालों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 19.40 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 6.03 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई 9.87 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 2.75 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 5.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 1.83 लाख हेक्टेयर, 90 हजार और 2.06 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों की बुआई भी 1.46 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.23 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
मक्का, बाजरा के साथ ज्वार की बुआई बढ़ी
मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 47.96 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 24.48 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। मक्का की बुआई बढ़कर चालू सीजन में 31.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 15.74 लाख हेक्टेयर में ही मक्का की बुआई हो पाई थी। बाजरा की बुआई बढ़कर 11.51 लाख हेक्टेयर में, ज्वार की 2.83 लाख हेक्टेयर में और रागी की 1.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 5.35 लाख हेक्टेयर, 1.13 लाख हेक्टेयर और 1.21 लाख हेक्टेयर में हुई थी।
सोयाबीन, मूंगफली और कपास की बुआई ज्यादा
खरीफ तिलहन की बुआई चालू सीजन में बढ़कर 83.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 13.32 लाख हेक्टेयर में ही इनकी बुआई हो पाई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई बढ़कर 63.26 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 2.66 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में अनुकूल मौसम से इसकी बुआई में बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह से मूंगफली की बुआई बढ़कर 18.45 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 9.81 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। कपास की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 71.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 27.08 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 49.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की इसी अवधि के 49.03 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।..........  आर एस राणा

25 जून 2020

मानसून ने उत्तर भारत के कई राज्यों में दी दस्तक, अगले दो दिनों में तेज बारिश का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार मानसून उत्तर भारत के राज्यों राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पंजाब में पहुंच गया है तथा अगले दो दिनों तक इन राज्यों में तेज बारिश होने का अनुमान है। मौसम विभाग के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में आज मानसून की पहली बारिश हुई। दक्षिण-पश्चिम मानसून दो दिन पहले ही पहुंच गया है। मौसम विभाग ने इस साल की शुरुआत में मानसून के 27 जून को दिल्ली पहुंचने का पूर्वानुमान लगाया था। 2019 में मानसून 29 जून को राजधानी में आया था।
मौसम विभाग के क्षेत्रीय पूर्वानुमान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि दक्षिण पश्चिम मानसून ने पश्चिम राजस्थान, पूर्वी राजस्थान, हरियाणा के पूर्वी हिस्सों के साथ दिल्ली, समूचे उत्तर प्रदेश, पंजाब के अधिकांश हिस्सों और हरियाणा के कुछ हिस्सों में दस्तक दे दी है। इसके बाद अगले कुछ दिन तक ठीक-ठाक बारिश होने का अनुमान है। दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश के पूर्वानुमान के चलते मौसम विभाग की ओर से अगले 2 दिन तक ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। शुक्रवार को भी दिल्ली-एनसीआर में बारिश का पूर्वानुमान है।
उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश और इससे सटे भागों पर बना हुआ है एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र
मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश और इससे सटे भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। उत्तर-पश्चिमी राजस्थान से बिहार तक एक ट्रफ पहले की तरह बनी हुई है। पाकिस्तान के मध्य भागों पर हवाओं में एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है। एक अन्य चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र मध्य पाकिस्तान और इससे सटे भागों पर विकसित हो गया है। बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों पर भी एक सर्कुलेशन बना हुआ है। साथ ही एक अन्य चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र कर्नाटक के तटों के पास बना हुआ है। अरब सागर के पश्चिमी-मध्य भागों पर भी एक सर्कुलेशन दिखाई दे रहा है। दक्षिणी गुजरात और इससे सटे भागों पर भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।
उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश में अगले 24 घंटों में बारिश होने का अनुमान
अगले 24 घंटों के दौरान बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान के कुछ हिस्सों में गरज-चमक के साथ भारी बारिश होने या तेज़ बौछारें पड़ने की संभावना है। झारखंड, रायलसीमा, दक्षिणी-तटीय आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, पंजाब और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। छत्तीसगढ़ के शेष भागों, गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और कोंकण गोवा में हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान है। उत्तराखंड, हरियाणा के कुछ हिस्सों, दक्षिणी गुजरात और मध्य प्रदेश के पश्चिमी भागों में हल्की बारिश के साथ कहीं-कहीं मध्यम वर्षा हो सकती है।
पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा में हुई तेज बारिश
बीते 24 घंटों के दौरान हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा और लक्षद्वीप में अधिकांश स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश दर्ज की गई। तमिलनाडु, केरल, दक्षिणी तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा और दक्षिण-पूर्व राजस्थान में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश देखने को मिली। पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के कुछ भागों, उत्तरी पंजाब, पूर्वी राजस्थान के बाकी भागों, बिहार, शेष पूर्वोत्तर भारत और दक्षिणी ओडिशा में कहीं-कहीं पर हल्की से मध्यम बारिश हुई। गुजरात, दक्षिणी कोंकण गोवा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह पर कुछ भागों में हल्की बारिश हुई।.............  आर एस राणा

गन्ना पेराई सीजन 2020-21 में 305 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान - उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने होने वाले गन्ना पेराई सीजन 2020-21 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में चीनी का उत्पादन 305 लाख टन होने का अनुमान है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन 2019-20 में 22 जून तक 270.25 लाख टन का उत्पादन हो चुका है तथा सितंबर अंत तक कुल 272 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है।
इस्मा के अनुसार सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन आगामी पेराई सीजन में 123.06 लाख टन होने का अनुमान है जोकि चालू पेराई सीजन के 126.45 लाख टन से कम रहेगा। महाराष्ट्र में पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 101.34 लाख टन होने का अनुमान है जोकि चालू पेराई सीजन के 61.61 लाख टन से 39.73 लाख टन ज्यादा है। चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र में सूखे और बाढ़ से गन्ने की फसल को भारी नुकसान हुआ था, जिस कारण चीनी उत्पादन में कमी आई थी।
कर्नाटक में चीनी का उत्पादन अनुमान ज्यादा, तमिलनाडु में कम
कर्नाटक में आगामी पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 43.13 लाख टन होने का अनुमान है जोकि चालू पेराई सीजन के 34.20 लाख टन से ज्यादा है। हालांकि तमिलनाडु में चीनी का उत्पादन अगले पेराई सीजन में घटकर 7.51 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन में राज्य में 7.80 लाख टन का उत्पादन हुआ है। गुजरात में चीनी का उत्पादन चालू पेराई सीजन के 9.32 लाख टन से बढ़कर आगामी पेराई सीजन में 10.81 लाख टन होने का अनुमान है। अन्य राज्यों में चीनी का उत्पादन पहली अक्टूबर 2020 से शुरू होने वाले पेराई सीजन में 34.28 लाख टन होने का अनुमान है जोकि चालू पेराई सीजन के 32.86 लाख टन से ज्यादा है।
चालू पेराई सीजन में 52 लाख टन के निर्यात का अनुमान
इस्मा के अनुसार पहली अक्टूबर 2020 को शुरू होने वाले पेराई सीजन के समय चीनी का बकाया स्टॉक 115 लाख टन बचने का अनुमान है जोकि पहली अक्टूबर 2019 के 145 लाख टन से कम है। चालू पेराई सीजन में करीब 52 लाख टन चीनी का निर्यात होने का अनुमान है, तथा घरेलू खपत सालाना 250 लाख टन की रही है। केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन के लिए 60 लाख टन चीनी का निर्यात का कोटा तय रखा है, तथा निर्यात पर मिलों को सरकार 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दे रही है। मार्च में कोरोना वायरस के कारण देशभर में हुए लॉकडाउन के कारण चीनी की घरेलू मांग कम हो गई थी, लेकिन मई के बाद से चीनी की मांग में सुधार आया है।.............  आर एस राणा

बासमती चावल में निर्यात मांग अच्छी, कीमतों में और आयेगा सुधार

आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस जैसी महामारी के समय में भी बासमती चावल की निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है, जिससे घरेलू बाजार में इसकी मौजूदा कीमतों में और सुधार आने का अनुमान है। उत्पादक मंडियों में बासमती चावल सेला का भाव 5,600 से 5,650 रुपये और डीपी बासमती चावल सेला का भाव 6,200 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल है।
चावल की निर्यातक फर्म केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार मित्तल ने आउटलुक को बताया कि सऊदी अरब, यमन, अमेरिका और यूरोपीय देशों की आयात मांग बासमती चावल में बराबर बनी हुई है। कोरोना वायरस महामारी के समय भी इन देशों की आयात मांग अच्छी रही है जिस कारण घरेलू बाजार में चावल और धान की कीमतों में सुधार आया है। उन्होंने बताया कि पूसा बासमती चावल सेला का भाव विश्व बाजार में 950 से 975 डॉलर प्रति टन है। रुपये के मुकाबले डॉलर में मजबूती आने से भी निर्यात पड़ते बराबर लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत से बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक ईरान है, लेकिन ईरान में भारतीय निर्यातकों का पैसा अभी भी फंसा हुआ है, इसलिए निर्यातक ईरान को सीधे निर्यात नहीं कर रहे हैं।
नई फसल अक्टूबर, नवंबर में आयेगी, इसलिए मांग बढ़ने पर और तेजी की उम्मीद
कैथल स्थित खुरानियां एग्रो के प्रबंधक रामनिवास ने बताया कि बासमती चावल में निर्यात मांग अच्छी होने के कारण ही धान और चावल की कीमतों में 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। कैथल मंडी में पूसा 1,121 बासमती धान का भाव गुरूवार को 3,200 से 3,250 रुपये और सेला चावल का 5,600 से 5,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। उन्होंने बताया कि डीपी धान का भाव बढ़कर मंडी में 2,650 से 2,700 रुपये और इसके सेला चावल का भाव 6,200 से 6,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। बासमती धान की नई फसल अक्टूबर, नवंबर में आयेगी, इसलिए मांग बढ़ने पर इनकी मौजूदा कीमतों में और भी तेजी आने का अनुमान है।
वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 11 महीनों में बासमती चावल के निर्यात में हल्की कमी
एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 38.36 लाख टन का हुआ है जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 38.55 लाख टन से थोड़ा कम है। मूल्य के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात वित्त वर्ष 2019-20 के अप्रैल से फरवरी के दौरान 27,427 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष में 28,604 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात वित्त वर्ष 2019-20 के पहले 11 महीनों में घटकर 46.56 लाख टन का ही हुआ, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष में इसका निर्यात 68.25 लाख टन का हुआ था।.............. आर एस राणा

24 जून 2020

उत्तर प्रदेश में इस साल 50 लाख टन गुड़ का उत्पादन - कारोबारी संगठन

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश ने इस साल चीनी के उत्पादन का जहां नया रिकॉर्ड बनाया है, वहीं गुड़ का उत्पादन भी राज्य में उम्मीद से ज्यादा हुआ है। कारोबारी संगठन का अनुमान है कि पूरे उत्तर प्रदेश में इस साल गुड़ का उत्पादन करीब 50 लाख टन है, जो औसत सालाना उत्पादन 45 लाख टन से 11 फीसदी ज्यादा है।
गुड़ का उत्पादन कुटीर एवं लघु उद्योग के अंतर्गत आता है और इस साल कोरोना काल में भी गुड़ का उत्पादन चालू था और खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल अच्छी होने के कारण गन्ने की आमद 15 जून तक बनी रही, जिस कारण उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।
गुड़ की दैनिक आवक अभी भी 400 से 500 कट्टों की
फेडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स के प्रेसीडेंट अरुण खंडेलवाल ने बताया कि कोरोना काल में गुड़ का उत्पादन निर्बाध रूप से चल रहा था और गन्ने की आपूर्ति कोल्हू में निरंतर हो रही थी। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर इलाके में इस समय भी कुछ युनिट में उत्पादन चल रहा है और रोजाना करीब 400-500 कट्टों (एक कट्टे में 40 किलो) की आवक है। चीनी उद्योग संगठनों के अनुसार, लॉकडाउन के कारण गुड़ व खांडसारी यूनिट जल्दी बंद होने के कारण चीनी मिलों में गन्ने की आवक बढ़ जाने से इस साल उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। लेकिन खंडेलवाल का कहना है कि इस साल राज्य में गन्ने की बंफर फसल थी और रिकवरी भी अच्छी आई है, इसलिए चीनी ही नहीं, गुड़ का उत्पादन भी विगत कई वर्षो से ज्यादा है। चीनी मिलों का संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) द्वारा दो जून को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार चालू पेराई सीजन 2019-20 (सितंबर-अक्टूबर) में 31 मई तक उत्तर प्रदेश में 125.46 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ जोकि राज्य में रिकॉर्ड है।
चालू सीजन में मांग भी अच्छी रही है गुड़ में
देश में सबसे ज्यादा गुड़ का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है, लेकिन रिकॉर्ड उत्पादन के आंकड़ों के बारे में पूछे जाने पर खंडेलवाल ने बताया कि 1990 से पहले बमुश्किल से 30-35 फीसदी गन्ने का इस्तेमाल चीनी मिलों में होता था, जबकि अब 65 फीसदी गन्ना मिलों को जाता है। उन्होंने बताया कि पश्मिी उत्तप्रदेश में इस साल करीब 30 लाख टन गुड़ का उत्पादन होने का अनुमान है। कोरोना काल में उत्पादन में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ गुड़ का कारोबार लाभकारी भी रहा है। कारोबारी सूत्र बताते हैं कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान जब शराब की दुकानें बंद हो गई थीं, उस समय गुड़ की मांग बढ़ गई थी, जिससे गुड़ के अच्छे दाम मिले।
गुड़ में मांग बनी रहने का अनुमान
कारोबारियों से मिली जानकारी के अनुसार, मुजफ्फरनगर स्थित कोल्ड स्टोरेज में इस समय तकरीबन 11.50 लाख कट्टे गुड़ का स्टॉक है, इसके अलावा प्रदेश में अन्य जगहों पर स्थित कोल्ड स्टोरेज में गुड़ का स्टॉक है। मुजफ्फरनगर देश में गुड़ का सबसे बड़ा बाजार है जहां से इस समय रोजाना 4,000 कट्टे गुड़ देश के विभिन्न हिस्सों में जाता है। कारोबारियों ने बताया कि इस समय बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात में यहां से गुड़ जा रहा है। बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गुड़ पाउडर का भाव 1,400-1,425 रुपये प्रति 40 किलो, चाकू का भाव 1,300-1,440 रुपये प्रति 40 किलो, पेड़ी व लड्डू का भाव 1,400-1,450 रुपये प्रति 40 किलो और गुड़ खुरपा का भाव 1,280-1,330 रुपये प्रति 40 किलो चल रहा है। खंडेलवाल ने बताया कि महाराष्ट्र के पुणे में अगला सीजन शुरू होने से पहले जून में ही गुड़ की फैक्टरी शुरू हो जाती है, लेकिन इस साल मजदूरों की कमी की वजह से शुरू नहीं हुई, इसलिए आने वाले दिनों में गुड़ के दाम में मजबूती रह सकती है। ........... आर एस राणा

स्टॉकिस्टों ने बढ़ाये थे ग्वार गम और सीड के दाम, निर्यात मांग बनी हुई है कमजोर

आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार गम और सीड में निर्यात मांग कम होने के बावजूद भी लॉकडाउन के दौरान करीब 15 फीसदी की तेजी आई थी, लेकिन ​चालू सीजन में अच्छे मानसून से बुआई ज्यादा होने का अनुमान है। इसलिए तेजी टिक नहीं पाई।
24 मार्च को लॉकडाउन लगते ही 3,190 रुपये का निचला स्तर छूने के बाद ग्वार सीड वायदा में करीब 15 फीसदी की तेजी आई। वहीं ग्वार गम का भाव भी 4,710 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर से सुधरकर करीब 4 महीने का ऊपरी स्तर छू चुका है। हालांकि अब ऊपरी स्तर से कुछ दबाव भी दिखने लगा है। ऐसे में राजस्थान और हरियाणा के कारोबारियों ने इसमें भारी सट्टेबाजी की आशंका जताई है। जिस अवधि में ग्वार वायदा की कीमतों में तेजी देखी गई है, उसी अवधि में इसके वॉल्यूम में भारी गिरावट दर्ज हुई है। एनसीडीईएक्स पर फरवरी के मुकाबले ग्वार गम का औसत दैनिक कारोबार जहां 55 फसीदी गिर चुका है। वहीं ग्वार सीड वायदा के एवरेज डेली टर्नओवर में 60 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज हुई है।
हरियाणा की जयभारत गम एंड केमिकल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मार्च के बाद से ही ग्वार गम का निर्यात लगभगब रुक सा गया है, जबकि इस दौरान भाव में तेजी बन गई। दूध की मांग में कमी और कीमतों में गिरावट से चूरी-कोरमा की मांग भी कमजोर बनी हुई है। आमतौर पशुचारे के तौर पर इनकी डिमांड बनी रहती थी, लेकिन कोरोना की मार चौतरफा पड़ी है।
ग्वार गम उत्पादों का निर्यात कम
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल से फरवरी के दौरान देश से 3,43,476 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हो सका है। जो एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले करीब 25 फीसदी कम है। एक साल पहले इस अवधि में 4,34,021 टन ग्वार गम का निर्यात हुआ था।
ग्वार सीड की बुआई में आयेगी तेजी
जानकारों के मुताबिक फरवरी से अमेरिका में कोरोना के मामले आने शुरु हो गए थे, लिहाजा उसके बाद मार्च में मुश्किल से 5-10 फीसदी ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हो सका। वहीं मार्च के अंतिम हफ्ते से भारत समेत तमाम खरीदार देशों में भी लॉकडाउन लग गया। ऐसे में अप्रैल और मई के दौरान ग्वार गम का निर्यात न के बराबर हुआ। राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में प्री-मानसून की बारिश अच्छी हुई है जिस कारण ग्वार सीड की बुआई में तेजी आई है। वैसे भी मक्का और बाजरा के दाम नीचे बने हुए हैं, जिस कारण ग्वार सीड की बुआई बढ़ने का अनुमान है। ............ आर एस राणा

आईएमडी ने मानसून का पूर्व उत्तरी राज्यों के लिए 'ऑरेंज' अलर्ट जारी, पहाड़ी राज्यों में तेज बारिश का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी समेत कुछ और उत्तरी राज्यों के लिए नारंगी अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग ने अनुमान जाहिर किया है कि 48 घंटे में मानसून इस क्षेत्र से टकराएगा।
आईएमडी ने अपने दैनिक बुलेटिन में कहा कि अगले 48 घंटों के दौरान उत्तर प्रदेश के बचे हुए हिस्सों, पूरे पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पंजाब और राजस्थान में मानसून के लिए स्थितियां अनुकूल हैं। आईएमडी ने अगले दो दिनों में सामान्य तौर पर बादल छाए रहने और मध्यम बारिश होने की भविष्यवाणी की है। दिल्ली में अधिकतम तापमान 36 डिग्री और न्यूनतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहेगा। वहीं दिन में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, उप-हिमालयी जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिम राजस्थान, मध्य प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा होगी।
मानसून लगातार दूसरे दिन आगे बढ़ा, गुजरात को पार करते हुए दक्षिणी राजस्थान में दी दस्तक
दक्षिण-पश्चिम मानसून 2020 आज लगातार दूसरे दिन आगे बढ़ा और पश्चिम में गुजरात को पार करते हुए दक्षिणी राजस्थान के कुछ भागों में दस्तक दे दी। मध्य भारत में मध्य प्रदेश में लगभग सभी क्षेत्रों को कवर कर लिया है। उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में मानसून का आगमन हो चुका है। मानसून में सबसे ज्यादा प्रगति उत्तर में देखने को मिली है। मानसून जहां कल उत्तराखंड के कुछ भागों में पहुंचा था वहीं आज बढ़ते हुए उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, लद्दाख, जम्मू कश्मीर, गिलगित बालटिस्तान, मुजफ्फराबाद और हरियाणा के उत्तरी भाग में पहुंच गया और पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों पर भी इस ने दस्तक दे दी है। मानसून की उत्तरी सीमा 24 जून को आगे बढ़ते हुए राजस्थान में जैसलमर, पाली, सवाई माधोपुर, उत्तर प्रदेश में मैनपुरी और बिजनौर तथा पंजाब में पठानकोट पर पहुँच गई है। यहाँ उल्लेखनीय है कि मानसून के आगमन का मतलब यह नहीं है कि लगातार झमाझम बारिश होती रहे। 
उत्तर भारत में प्री-मानसून की बारिश
मानसून के आगे बढ़ने के साथ ही उत्तर भारत के मौसम में भी बदलाव दिखाई देने लगा है। उत्तर भारत के राज्यों में हालांकि बदलाव 19 जून से ही आ गया था और मौसम ने करवट लेते हुए कुछ हिस्सों में प्री-मानसून वर्षा दी थी। प्री-मानसून वर्षा की यह गतिविधियां रुक-रुक कर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली-एनसीआर, राजस्थान के कुछ भागों और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में देखने को मिल रही थीं। अब मानसून के आगे बढ़ने के साथ उत्तर भारत के भागों में बारिश में और बढ़ोतरी होने की संभावना है। इस समय उत्तर-पश्चिमी राजस्थान से लेकर बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भागों तक एक ट्रफ बनी है और पाकिस्तान पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र सक्रिय हो गया है। देश के अन्य भागों पर भी कई मौसम सिस्टम बने हुए हैं जिससे बंगाल की खाड़ी से व्यापक रूप से आर्द्र हवाएँ उत्तर भारत के राज्यों में पहुंचने लगी हैं।
अगले 48 घंटों के दौरान उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर में तेज बारिश का अनुमान
हालांकि उत्तर भारत के राज्यों में मानसून की जोरदार एंट्री नहीं हुई है, और ना ही लगातार कई दिनों तक यह बारिश देने वाला है। लेकिन उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर के दक्षिणी भागों में अगले 24 घंटों के दौरान मूसलाधार वर्षा होने की संभावना है। इस दौरान पंजाब और हरियाणा के तराई क्षेत्रों में भी तेज बारिश हो सकती है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में भी तराई क्षेत्रों में भारी वर्षा की संभावना है।
दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा और पूरे राजस्थान को मानसून का अभी इंतजार
इस दौरान दिल्ली-एनसीआर और आगरा, मथुरा समेत उत्तर प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी हिस्सों, दक्षिणी हरियाणा, दक्षिणी पंजाब और उत्तरी राजस्थान में मानसून का बहुत व्यापक असर देखने को नहीं मिलेगा। दिल्ली-एनसीआर समेत पंजाब के सभी भागों और हरियाणा के दक्षिणी क्षेत्रों और राजस्थान के अधिकांश हिस्सों में मानसून का पहुंचना अभी बाकी है, लेकिन अगले कुछ दिनों तक इन भागों में व्यापक वर्षा होने की संभावना नहीं है। उत्तर भारत के भागों में कल यानि 25 जून को बारिश बढ़ेगी, लेकिन बारिश की तीव्रता बहुत अधिक नहीं होगी। अनुमान यह है कि पहाड़ी इलाकों में कई जगहों पर तथा मैदानी भागों में पंजाब से लेकर हरियाणा, दिल्ली और चंडीगढ़ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कई जगहों पर हल्की से मध्यम बौछारें गिर सकती हैं। इस दौरान कुछ स्थानों पर भारी बारिश का भी अनुमान है। 26 जून से एक बार फिर से उत्तर भारत में बारिश में कमी आ जाएगी। उसके बाद अगले दो-तीन दिनों का इंतज़ार करना पड़ेगा झमाझम मानसून बारिश के लिए।.......... आर एस राणा

सरकार ने पांच लाख मक्का आयात को दी मंजूरी, किसान समर्थन मूल्य से 750 रुपये तक नीचे बेचने पर मजबूर

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों को मक्का समर्थन मूल्य से 650 से 750 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है, इसके बावजूद भी केंद्र सरकार ने पांच लाख टन मक्का रियायती दरों पर आयात करने की अनुमति उद्योग को दे दी। उत्पादक मंडियों में रबी के साथ ही साठी मक्का की आवक बनी हुई है, जबकि सितंबर में खरीफ की नई फसल की आवक बनेगी, जिससे कीमतों में तेजी की उम्मीद भी नहीं है।
केंद्र सरकारी द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के तहत 15 फीसदी पोल्ट्री और स्टार्च मिलों को पांच लाख टन मक्का के आयात की अनुमति दी गई है। वैसे मक्का के आयात पर 60 फीसदी का आयात शुल्क है। मक्का कारोबारी राजेश गुप्ता ने बताया कि बिहार की मंडियों में मक्का के भाव 1,100 से 1,150 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि उत्तर प्रदेश की मंडियों में भाव 1,150 से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल हैं। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए मक्का का न्यूनतम समर्थन मूूल्य (एमएसपी) 1,850 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। उन्होंने बताया कि इस समय बिहार में रबी मक्का की आवक हो रही है जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में साठी मक्का आ रही है। सितंबर में खरीफ मक्का की नई फसल आयेगी, तथा खरीफ में मक्का का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है इसलिए कीमतों में तेजी की संभावना भी नहीं है।
विश्व बाजार में कीमतें उंची, आयात की संभावना नहीं
यूएस ग्रेन काउंसिल में भारतीय प्रतिनिधि अमित सचदेव ने बताया कि टैरिफ रेट कोटा के आधार पर 15 फीसदी की रियायती दरों पर पांच लाख टन मक्का के आयात की अनुमति सरकार की एक सामान्य प्रक्रिया है। इस समय घरेलू बाजार में मक्का के दाम काफी नीचे बने हुए हैं, तथा आगे नई फसल की आवक बनेगी इसलिए मक्का आयात के पड़ते ही नहीं लगेंगे। उन्होंने बताया कि यूक्रेन में मक्का के भाव 180 से 182 डॉलर प्रति टन है, जोकि भारतीय बंदरगाह पहुंच 210 से 212 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) होंगे। इन भाव में कोई आयात करेगा ही नहीं।
मांग में आई कमी के कारण पंजाब और हरियाणा में हजारों पोल्ट्री फार्म
मक्का कारोबारी कमलेश जैन ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण चीकन और अंडे की मांग में आई कमी के कारण पंजाब और हरियाणा में हजारों पोल्ट्री फार्म बंद हो गए हैं, जबकि जो चल भी रहे हैं उनमें उत्पादन 25 से 30 फीसदी का ही हो रहा है। इसी का असर मक्का की मांग पर भी पड़ा है। पंजाब एवं हरियाणा पहुंच मक्का के सौदे 1,350 से 1,400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं जबकि जुलाई 2019 में 2,100 से 2,150 रुपये प्रति क्विंटल का भाव था। केंद्र सरकार ने पिछले साल भी पांच लाख टन मक्का के आयात की अनुमति दी थी, उस समय घरेलू बाजार में भाव उंचे थे, जिस कारण करीब तीन लाख टन मक्का का आयात हुआ था।
मक्का की शुरूआती बुआई बढ़ी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में मक्का की शुरुआती बुआई बढ़कर 10.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 5.25 लाख हेक्टेयर में ही मक्का की बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 74.68 लाख हेक्टेयर में मक्का की बुआई होती है। मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में मक्का का उत्पादन 289.8 लाख टन होने का अनुमान है।......... आर एस राणा

गेहूं की रिकार्ड 385.56 लाख टन की खरीद, उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 9 फीसदी से भी कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर रिकार्ड खरीद 385.56 लाख टन की हो चुकी है लेकिन इसमें सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी मात्र 8.64 फीसदी की है जोकि तय लक्ष्य से तो कम है ही, पिछले साल हुई कुल खरीद से भी 3.69 लाख टन पिछे है।
उत्तर प्रदेश से चालू रबी विपणन में अभी तक केवल 33.31 लाख टन गेहूं की खरीद ही एमएसपी पर हो पाई है जबकि खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन का तय किया गया है। पिछले रबी सीजन में भी राज्य से 55 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन खरीद हुई थी केवल 37 लाख टन की ही। राज्य में गेहूं की सरकारी खरीद 30 जून तक चलेगी है, लेकिन जिस गति से खरीद हो रही है, उस देखते हुए खरीद तय लक्ष्य से कम ही रहेगी। चालू रबी में उत्तर प्रदेश में गेहूं के उत्पादन का अनुमान 363 लाख टन का है। खरीद कम होने के कारण ही राज्य की उत्पादक मंडियों में गेहूं 1,800 से 1,850 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है जबकि चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए केंद्र सरकार ने एमएसपी 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
मध्य प्रदेश और राजस्थान से खरीद तय लक्ष्य से ज्यादा
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी में 385.56 लाख टन गेहूं की रिकार्ड खरीद हो चुकी है तथा खरीद का लक्ष्य 407 लाख टन का तय किया गया है। पिछले रबी में कुल खरीद 341.32 लाख टन की हुई थी। चालू रबी में मध्य प्रदेश से 129.35 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि राज्य से खरीद का लक्ष्य केवल 100 लाख टन का था। इसी तरह से राजस्थान से खरीद का लक्ष्य 17 लाख टन का था जबकि अभी तक 20.73 लाख टन गेहूं खरीद गया है। पंजाब से चालू रबी में 127.12 लाख टन और हरियाणा से 73.98 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। इन राज्यों से गेहूं की खरीद का लक्ष्य क्रमश: 135 एवं 95 लाख टन का तय था।
उत्पादन अनुमान ज्यादा
अन्य राज्यों में गुजरात से 50 हजार टन, उत्तराखंड से 38 हजार टन, चंडीगढ़ से 11 हजार टन तथा बिहार से पांच हजार और हिमाचल प्रदेश से तीन हजार टन गेहूं की खरीद हुई है। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 10.36 करोड़ टन से अधिक है।.......... आर एस राणा

20 जून 2020

शुरूआती तीन समाप्त में सामान्य से 30 फीसदी अधिक हुई मानसूनी बारिश, मध्य भारत में सबसे ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का अब तक प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। शुरुआती तीन हफ्तों में पहली जून से 20 जून के बीच देश में सामान्य से 30 फीसदी से अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। उत्तर-पश्चिम भारत जहां एक सप्ताह पहले तक काफी आगे था अब यहां बारिश महज़ एक फीसदी अधिक रह गई है। मानसून अभी तक देश के उत्तर पश्चिमी भागों में नहीं पहुंचा है। हालांकि रुक-रुक कर प्री-मानसून कीब वर्षा हो रही है। देश के मध्य भागों में अब तक मानसून ने अच्छी बारिश दी है। यहाँ सामान्य से लगभग 80 फीसदी अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। मध्य भारत में विदर्भ और ओडिशा को छोड़कर बाकी सभी भागों में सामान्य से ज़्यादा बारिश देखने को मिली है।

मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में अब तक सामान्य से 8 फीसदी अधिक वर्षा हुई है। पूर्वोत्तर भारत में नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में बारिश कम हुई है जबकि असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। पूर्वोत्तर राज्य भारत के सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्र हैं। दक्षिणी प्रायद्वीप में भी 14 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है। लेकिन तमिलनाडु और लक्षद्वीप दक्षिण भारत के कम वर्षा वाले क्षेत्र हैं।
मध्य भारत के अधिकांश राज्यों में समय से पहले पहुंचा मानसून
दक्षिण-पश्चिम मानसून 2020 की अब तक की प्रगति बहुत अच्छी रही है। मानसून समय से पहले गुजरात पहुंचा। समय से पहले इसने मध्य प्रदेश में दस्तक दी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी समय से एक सप्ताह पूर्व ही इसका आगमन हो गया। मानसून की उत्तरी सीमा 16 जून को कांडला, अहमदाबाद, इंदौर, रायसेन, खजुराहो, फ़तेहपुर और बहराइच तक पहुँच गई थी। पिछले 5 दिनों से यानि 20 जून तक इसमें प्रगति नहीं हुई। 20 जून को भी मानसून की उत्तरी रेखा इन्हीं स्थानों पर टिकी रही है।
अब स्थितियाँ मानसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल हैं
अब स्थितियाँ मानसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल बन रही हैं। स्काइमेट का आंकलन है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश पर बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र आगे बढ़ेगा, यही सिस्टम मानसून को फिर से आगे बढ़ाएगा। जल्द ही मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ और हिस्सों में मानसून दस्तक दे सकता है। साथ-साथ उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भी मानसून दस्तक दे सकता है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 जून या 25 जून तक उत्तर भारत में देगा दस्तक
अगले दो-तीन दिनों में मानसून के आगे बढ़ने के साथ-साथ उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में बारिश की गतिविधियां भी बढ़ेंगी। इस समय मध्य पाकिस्तान से पूर्वी भारत तक एक ट्रफ बनी हुई है। इससे पूर्वी हवाएँ बंगाल की खाड़ी से आने लगी हैं। इन हवाओं के कारण ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान कुछ स्थानाओं पर बारिश हुई है। हमारा अनुमान है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 जून या 25 जून तक उत्तर भारत में जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में पहुँच जाएगा। इससे पहले अगले 48 घंटों के दौरान राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तरी मध्य के कुछ हिस्सों में गरज और धूल भरी आंधी के साथ प्री-मानसून वर्षा हो सकती है। इसके बाद मानसून का आगमन इन भागों में हो जाएगा और झमाझम बारिश देखने को मिलेगी।............. आर एस राणा

मक्का किसानों की मुश्किलें, समर्थन मूल्य से 750 रुपये नीचे भाव पर बेचने को मजबूर

आर एस राणा
नई दिल्ली। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 700 से 750 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर मक्का बेचने को मजबूर किसानों की मुकिश्लें कम नहीं हो रही हैं। मक्का की दैनिक आवक आगे उत्पादक त्र मंडियों में और बढ़ेगी, जबकि पोल्ट्री उद्योग की मांग सामान्य के मुकाबले 25 से 30 फीसदी ही आ रही है। ऐसे में खरीफ सीजन में भी मक्का की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है।
मक्का कारोबारी राजेश गुप्ता ने बताया कि बिहार की मंडियों में मक्का के भाव 1,100 से 1,150 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि चालू खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए केंद्र सरकार ने मक्का का दाम 1,850 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कारण पोल्ट्री उत्पादों की मांग में भारी कमी आई है, जिस कारण पोल्ट्री फीड निर्माताओं की मक्का में मांग घटी गई है। उन्होंने बताया कि इस समय सामान्य के मुकाबले मक्का में 25 से 30 फीसदी का ही व्यापार हो रहा है। उन्होंने बतायाा कि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में साठी मक्का की आवक हो रही है, जबकि आगे खरीफ मक्का की आवक बढ़ेगी, इसलिए मक्का की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है।
सितंबर में खरीफ सीजन की मक्का आयेगी मंडियों में
दिल्ली के लारेंस रोड के मक्का कारोबारी कमलेश जैन ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण चीकन और अंडे की मांग में भारी कमी आई है, जिससे पंजाब और हरियाणा के हजारों छोटे पोल्ट्री फार्म या तो बंद हो गए हैं, या फिर नाममात्र का ही उत्पादन कर पा रहे हैं। इसका सीधा असर मक्का की मांग पर पड़ा है। दिल्ली में मक्का के भाव 1,300 से 1,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। उन्होंने बताया कि खरीफ सीजन में सितंबर में उत्तर प्रदेश में नई फसल की आवक बनेगी, उसके बाद राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तेलंगाना तथा तमिलनाडु एवं आंध्रप्रदेश की नई फसल आयेगी।
जनवरी से अभी तक 650 से 700 रुपये का आ चुका है मंदा
तेलंगाना की निजामाबाद मंडी के मक्का कारोबारी पूनमचंद गुप्ता ने बताया कि मक्का में स्टार्च मिलों के साथ ही पोल्ट्री उद्योग की मांग भी कमजोर है जबकि सितंबर में खरीफ मक्का की आवक बनेगी। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में मानसूनी बारिश सामान्य होने का अनुमान है इसलिए मक्का का उत्पादन भी बढ़ेगा। अत: आगे मक्का की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। उन्होंने बताया कि जनवरी से अभी तक मक्का की कीमतों में 650 से 700 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आ चुका है। निजामाबद मंडी में जनवरी में मक्का के भाव 1,950 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल थे, जबकि इस समय भाव 1,300 से 1,350 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
मक्का की शुरूआती बुआई बढ़ी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में मक्का की शुरूआती बुआई बढ़कर 10.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 5.25 लाख हेक्टेयर में ही मक्का की बुआई हो पाई थी। खरीफ सीजन में सामान्यत: 74.68 लाख हेक्टेयर में मक्का की बुआई होती है। मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में मक्का का उत्पादन 289.8 लाख टन होने का अनुमान है।...... आर एस राणा

कपास, तिलहन के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई में आई तेजी, 39 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में प्री मानसून के साथ ही चालू महीने में हुई अच्छी बारिश से खरीफ फसलों की बुआई में 39.38 फीसदी की तेजी आई है। कपास के साथ ही तिलहन और मोटे अनाजों की बुआई में इस दौरान ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में खरीफ फसलों की बुआई बढ़कर 131.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 94.23 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई हो पाई थी। गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 48.63 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की इसी अवधि के 48.01 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार पहली जून से 19 जून के दौरान देशभर में सामान्य से 30 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान पूरे देश में औसतन 88.4 मिलीमीटर बारिश होती है जबकि चालू सीजन में 114.7 मिलीमीटर बारिश हुई है। इस दौरान मध्य भारत में सामान्य से 79 फीसदी ज्यादा और दक्षिण भारत के राज्यों में औसत से 14 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। मध्य भारत के राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा एवं विदर्भ के अलावा छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा में सामान्य से ज्यारा बारिश दर्ज की गई है।
धान की रोपाई में कमी, दलहन की शुरूआती बुआई बढ़ी
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई 10.05 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि 10.28 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम है। दालों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 4.58 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 2.22 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दालों में अरहर की बुआई 1.25 लाख हेक्टेयर में, उड़द की 65 हजार हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 1.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 47 हजार, 44 हजार और 31 हजार हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों की बुआई भी 1.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।
मोटे अनाजों में मक्का और बाजरा की बुआई ज्यादा
मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 19.16 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई केवल 7.83 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। बाजरा की बुआई बढ़कर 5.92 लाख हेक्टेयर में, ज्वार की 1.20 लाख हेक्टेयर में और रागी की एक लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 66 हजार हेक्टेयर, 25 हजार हेक्टेयर और 1.02 हेक्टेयर में हुई थी। मक्का की बुआई बढ़कर चालू सीजन में 10.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 5.25 लाख हेक्टेयर में ही मक्का की बुआई हो पाई थी।
मूंगफली के साथ ही कपास की बुआई बढ़ी
खरीफ तिलहन की बुआई चालू सीजन में बढ़कर 14.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.63 लाख हेक्टेयर में ही इनकी बुआई हो पाई थी। मूंगफली की बुआई बढ़कर 10.12 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 0.62 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई 3.52 लाख हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 23 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। कपास की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 28.77 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 18.18 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।............ आर एस राणा

18 जून 2020

एफसीआई ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से गेहूं की खरीद के आंकड़ों में की कटौती

आर एस राणा
नई दिल्ली। जैसे-जैसे तारिख आगे बढ़ती है वैसे-वैसे गेहूं खरीद की मात्रा में भी बढ़ोतरी होनी चाहिए, लेकिन भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के द्वारा राज्यवार दिए जा रहे आंकड़ों में इसके उल्ट हुआ है। निगम ने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से खरीदे जा रहे गेहूं के 17 जून 2020 को जो आंकड़े जारी किए थे, 18 जून को उनमें कमी कर दी। कमी भी एक या दो टन की नहीं बल्कि 10 लाख टन से ज्यादा की।
एफसीआई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 18 जून 2020 तक मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद 129.28 लाख टन की ही हुई है जबकि उत्तर प्रदेश से इस दौरान 31.89 लाख टन गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा गया है जबकि एक दिन पहले 17 जून को निगम ने इन राज्यों से खरीद क्रमश: 131.27 लाख टन और 40.14 लाख टन के आंकड़े जारी किए थे।
चालू रबी में समर्थन मूल्य पर 382.85 लाख टन की हो चुकी है रिकार्ड खरीद
एफसीआई के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में समर्थन मूल्य पर 382.85 लाख टन गेहूं की रिकार्ड खरीद 18 जून 2020 तक हो चुकी है जबकि पिछले रबी सीजन में 341.32 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 407 लाख टन का तय किया था तथा कोरोना वायरस के कारण पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से खरीद 15 अप्रैल से और हरियाणा से 20 अप्रैल से शुरू हो पाई थी। पंजाब और हरियाणा से खरीद बंद हो चुकी है जबकि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से अभी खरीद चल रही है।
उत्तर प्रदेश से गेहूं की सरकारी खरीद तय लक्ष्य से कम रहने की आशंका
निगम के अनुसार चालू रबी में मध्य प्रदेश से 129.28 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि राज्य से खरीद का लक्ष्य केवल 100 लाख टन का था। इसी तरह से राजस्थान से खरीद का लक्ष्य 17 लाख टन का था जबकि अभी तक 19.58 लाख टन से ज्यादा गेहूं खरीद गया है। पंजाब से चालू रबी में 127.12 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जबकि खरीद का लक्ष्य 135 लाख टन का था। इसी तरह से हरियाणा से 73.98 लाख टन गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है जबकि खरीद का लक्ष्य 95 लाख टन का था। उत्तर प्रदेश से अभी तक समर्थन मूल्य पर केवल 31.89 लाख गेहूं की खरीद ही हो पाई है जबकि राज्य से खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन का तय किया गया है। पिछले साल भी खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन का ही था, जबकि खरीद हो पाई थी केवल 37 लाख टन की। मौजूदा खरीद की गति को देखते हुए कुल खरीद तय लक्ष्य से कम रहने की आशंका है।.............. आर एस राणा

विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती, फिर भी कीमतों में तेजी की उम्मीद नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस समय सबसे सस्ती भारतीय कपास है, इसके बावजूद भी घरेलू बाजार में इसकी मौजूदा कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास के भाव गुरूवार को 33,200 से 33,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहे।
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नरेश राठी ने बताया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण अप्रैल और मई में कपास की घरेलू खपत में काफी कमी आई है, जबकि चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है। इसीलिए घरेलू बाजार में कपास की उपलब्धता ज्यादा है, जबकि मांग कम आ रही है जिससे कीमतों में अभी तेजी की संभावना नहीं है। उन्होंने बताया कि विश्व बाजार में भारतीय कपास का भाव 55-56 सेंट प्रति पाउंड है, जबकि न्यूयार्क कॉटन वायदा में भाव करीब 61 सेंट प्रति पाउंड हैं। अहमदाबाद में 17 फरवरी 2020 को कपास का भाव 39,200 से 39,500 रुपये प्रति कैंडी था जबकि गुरूवार को भाव घटकर 33,200 से 33,500 रुपये प्रति कैंडी रह गए। उन्होंने बताया कि कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) चालू फसल सीजन में करीब 98 लाख गांठ कपास की खरीद कर चुकी है जबकि सितंबर में उत्तर भारत के राज्यों में नई फसल की आवक शुरू हो जायेगी। इसलिए सीसीआई की बिकवाली भी आगे बढ़ेगी।
चालू सीजन में निर्यात बढ़कर 47 गांठ होने का अनुमान
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू सीजन में कपास का उत्पादन 330 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलोग्राम) होने का अनुमान है। सीएआई के अध्यक्ष अतुल गणत्रा के अनुसार घरेलू बाजार में कपास के दाम नीचे हैं जबकि रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती से विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है। इसलिए चालू सीजन में कुल निर्यात बढ़कर 47 गांठ होने का अनुमान है जबकि आरंभ में 42 लाख गांठ के निर्यात का अनुमान लगाया था। उन्होंने बताया कि पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू सीजन में मई अंत तक 37.10 लाख गांठ की शिपमेंट हो चुकी हैं तथा 30 सितंबर 2020 तक 9.90 लाख गांठ का और निर्यात होने का अनुमान है।
चालू सीजन में कपास का उत्पादन पिछले साल से 18 लाख गांठ ज्यादा होने का अनुमान
सीएआई के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में 85 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 76.50 लाख गांठ, मध्य प्रदेश में 16 लाख गांठ, तेलंगाना में 51 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 14 लाख गांठ, कर्नाटक में 18.50 लाख गांठ, तमिलनाडु में पांच और ओडिशा में चार लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 59 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है। अन्य राज्यों के एक लाख गांठ को मिलाकर चालू सीजन में 330 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले साल केवल 312 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था।
चालू सीजन के अंत में कपास का बकाया स्टॉक ज्यादा बचेगा
सीएआई के अनुसार चालू सीजन में मई 2020 के अंत तक 13 लाख गांठ कपास का आयात हो चुका है जबकि कुल आयात 15 लाख गांठ का होने का अनुमान है। पिछले फसल सीजन में 32 लाख गांठ का आयात हुआ था। उत्पादक मंडियों में 30 मई तक 307.65 लाख गांठ की आवक हो चुकी है। चालू सीजन के अंत तक 30 सितंबर 2020 को कपास का बकाया स्टॉक 50 लाख गांठ बचने का अनुमान है जोकि 30 सितंबर 2019 के 32 लाख गांठ से ज्यादा है।...........  आर एस राणा

उत्तर प्रदेश से गेहूं खरीद के आंकड़ों में मतभेद, 8.47 लाख टन का एफसीआई एवं राज्य सरकार में अंतर

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य सरकार के खरीद आंकड़ों में 8.47 लाख टन का अंतर है। एफसीआई के अनुसार राज्य से 17 जून 2020 तक 40.14 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि राज्य सरकार के अनुसार खरीद केवल 31.67 लाख टन की ही हुई है।
उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं रसद विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी में राज्य से 17 जून 2020 तक 31.67 लाख टन गेहूं की खरीद एमएसपी पर हुई है। राज्य के 5.94 लाख किसानों से इस दौरान गेहूं खरीदा गया है। उन्होंने बताया कि सोशल डिस्टेंस के नियमों को देखते हुए राज्य में 5,955 केद्रों के माध्यम से गेहूं की खरीद की जा रही है। राज्य में गेहूं की खरीद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और नेफेेड के साथ ही 10 एजेंसियां कर रही हैं। राज्य सरकार ने गेहूं की खरीद की समय सीमा को 15 जून से बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में कुल खरीद तय लक्ष्य से कम रहने की आशंका
चालू रबी सीजन में राज्य में 363 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान है तथा रबी विपणन सीजन 2020-21 में खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन का तय किया गया है। पिछले साल भी खरीद का लक्ष्य तो 55 लाख टन का ही था, लेकिन खरीद हो पाई थी केवल 37 लाख टन की ही। मौजूदा खरीद की गति को देखते हुए चालू रबी विपणन सीजन में भी खरीद तय लक्ष्य से कम रहने की आशंका है। एफसीआई के अनुसार पंजाब और हरियाणा से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद बंद हो चुकी है लेकिन मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से अभी भी खरीद चल रही है।
चालू रबी में 382.05 लाख टन गेहूं की हो चुकी है खरीद, एमपी की हिस्सेदारी 34 फीसदी से ज्यादा
एफसीआई के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चालू रबी में 382.05 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि पिछले सीजन में कुल खरीद 341.32 लाख टन की हुई थी। चालू रबी में मध्य प्रदेश से 131.27 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि राज्य से खरीद का लक्ष्य केवल 100 लाख टन का था। इसी तरह से राजस्थान से खरीद का लक्ष्य 17 लाख टन का था जबकि अभी तक 18.50 लाख टन से ज्यादा गेहूं खरीद गया है। पंजाब से चालू रबी में 127.12 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जबकि खरीद का लक्ष्य 135 लाख टन का था। इसी तरह से हरियाणा से 73.98 लाख टन गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है जबकि खरीद का लक्ष्य 95 लाख टन का था।
गेहूं का रिकार्ड उत्पादन अनुमान
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 10.36 करोड़ टन से अधिक है। चालू रबी में गेहूं का समर्थन मूल्य 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि पिछले रबी सीजन में 1,840 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद हुई थी।.............. आर एस राणा

15 जून 2020

कई राज्यों में हुई अच्छी बारिश से, खरीफ फसलों की शुरूआती बुआई 13 फीसदी से ज्यादा बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में मानसून से पहले की बारिश के साथ ही जून में हुई अच्छी वर्षा से खरीफ फसलों की शुरूआती बुआई 13.23 फीसदी बढ़कर 92.56 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 81.74 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार मानसून के आगमन के पहले दो सप्ताह के भीतर देशभर में बारिश सामान्य से 31 फीसदी ज्यादा हुई है। इस दौरान पूरे देश में 75.8 मिलीमीटर बारिश हुई है, जबकि इस दौरान औसतन 57.8 मिलीमीटर बारिश ही होती है। मध्य भारत के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में हुई अच्छी बारिश से खरीफ फसलों की बुआई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार गन्ने की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 48.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की इसी अवधि के 47.40 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।
धान के साथ ही दलहन की शुरूआती बुआई आगे
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई 5.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 4.84 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। दालों की बुआई भी चालू खरीफ में बढ़कर 2.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 1.58 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। दालों में अरहर की बुआई 46 हजार हेक्टेयर में, उड़द की 34 हजार हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 69 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। अन्य दालों की बुआई भी 78 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है।
मोटे अनाजों में मक्का और बाजरा की बुआई ज्यादा
मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 7.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 5.49 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी। बाजरा की बुआई बढ़कर 1.72 लाख हेक्टेयर में, ज्वार की 84 हजार हेक्टेयर में और रागी की 80 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। मक्का की बुआई बढ़कर 3.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 3.63 लाख हेक्टेयर में ही मक्का की बुआई हो पाई थी।
मूंगफली के साथ ही कपास की बुआई बढ़ी
खरीफ तिलहन की बुआई चालू सीजन में बढ़कर 4.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.04 लाख हेक्टेयर में ही इनकी बुआई हो पाई थी। मूंगफली की बुआई बढ़कर 3.54 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 0.25 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई 23 हजार हेक्टेयर में और सनफ्लावर की 22 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है। कपास की बुआई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 18.91 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 15.32 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।..............  आर एस राणा

इस बार भी उत्तर प्रदेश से गेहूं की खरीद तय लक्ष्य से कम रहने की आशंका, उत्पादन के 8.50 फीसदी पर ही पहुंची

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में जहां मध्य प्रदेश और राजस्थान से गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद तय लक्ष्य से ज्यादा हो चुकी है वहीं सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य से खरीद तय लक्ष्य के 56.10 फीसदी तक ही पहुंच पाई है जोकि राज्य में गेहूं के 363 लाख टन उत्पादन का केवल 8.50 फीसदी ही है। राज्य में 30 जून तक गेहूं की एमएसपी पर खरीद होनी है, ऐसे में इस बार भी खरीद तय लक्ष्य 55 लाख टन से कम ही रहने की आशंका है।
उत्तर प्रदेश से चालू रबी विपणन में अभी तक केवल 30.85 लाख टन गेहूं की खरीद ही एमएसपी पर हो पाई है जबकि खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन का तय किया गया है। पिछले रबी सीजन में भी राज्य से 55 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन खरीद हुई थी केवल 37 लाख टन की ही। राज्य सरकार ने कोरोना वायरस के कारण चालू रबी सीजन में खरीद 30 जून तक करने का निर्णय किया है, लेकिन जिस गति से खरीद हो रही है, उस देखते हुए खरीद तय लक्ष्य से कम ही रहेगी।
उत्तर प्रदेश में 30 जून तक होगी गेहूं की सरकारी खरीद
उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं रसद विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी में राज्य से 30.85 लाख टन गेहूं की खरीद एमएसपी पर हो चुकी है उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से चालू रबी में राज्य की मंडियों से गेहूं की खरीद पहली अप्रैल के बजाए 15 अप्रैल से शुरू हुई थी, इसलिए राज्य सरकार ने खरीद की समय सीमा को 15 जून से बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दिया है। उन्होंने बताया कि अभी तक राज्य के 5.81 लाख टन किसानों से गेहूं की खरीद हुई है तथा सोशल डिस्टेंस के नियमों को देखते हुए राज्य में 5,955 केद्रों के माध्यम से खरीद की जा रही है। राज्य में गेहूं की खरीद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और नेफेेड के साथ ही 10 एजेंसियां खरीद कर रही हैं।
चालू रबी में 376.57 लाख टन गेहूं की हो चुकी है खरीद, पिछले साल से ज्यादा
भारतीय खाद्य निगम के अनुसार चालू रबी में 376.57 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जबकि चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 407 लाख टन का तय किया गया है। पिछले रबी में कुल खरीद 341.32 लाख टन की हुई थी। चालू रबी में मध्य प्रदेश से 127.48 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि राज्य से खरीद का लक्ष्य केवल 100 लाख टन का था। इसी तरह से राजस्थान से खरीद का लक्ष्य 17 लाख टन का था जबकि अभी तक 17.69 लाख टन गेहूं खरीद गया है। पंजाब से चालू रबी में 127.12 लाख टन और हरियाणा से 73.98 लाख टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है।
गेहूं का 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 10.36 करोड़ टन से अधिक है। चालू रबी में गेहूं का समर्थन मूल्य 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि पिछले रबी सीजन में 1,840 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद हुई थी।.............. आर एस राणा

13 जून 2020

अगले 48 घंटों में मानसून बिहार, दक्षिण गुजरात और दक्षिण मध्यप्रदेश तक पहुंचेगा - आईएमडी

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार अगले 48 घंटों में मानसून और आगे बढ़ेगा और छत्तीसगढ़ के बाकी हिस्सों, बिहार, दक्षिण गुजरात और दक्षिण मध्यप्रदेश में पहुंच जायेगा। आईएमडी के उप निदेशक आनंद शर्मा ने बताया कि मानूसन अच्छी स्थिति में है और महाराष्ट्र के ज्यादातर हिस्सों में आ चुका है। कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़ के काफी हिस्सों में मानसून पहुंच चुका है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून ने रफ्तार पकड़ ली है। महाराष्ट्र में दस्तक देने के बाद मानसून पश्चिम बंगाल पहुंच गया है। अब जल्दी ही मानसून के बिहार पहुंचने की उम्मीद है। दिल्ली-एनसीआर में हल्की बारिश तो होने का अनुमान है लेकिन आने वाले 4-5 दिनों में कोई ज्यादा राहत नहीं है, मानसून आने में अभी वक्त लगेगा।
निम्न दबाव का क्षेत्र आगे बढ़ते हुए पूर्वी मध्य प्रदेश तथा इससे सटे छत्तीसगढ़ में पहुंचा
मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार निम्न दबाव का क्षेत्र आगे बढ़ते हुए पूर्वी मध्य प्रदेश तथा इससे सटे छत्तीसगढ़ तक पहुँच गया है। उत्तरी कोंकण गोवा क्षेत्र पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हो गया है। एक अन्य चक्रवाती सिस्टम दक्षिणी हरियाणा के ऊपर हवाओं में बना हुआ है। दक्षिणी हरियाणा पर बने चक्रवाती क्षेत्र से मध्य प्रदेश पर निम्न दबाव के क्षेत्र तक एक ट्रफ रेखा बनी हुई है।
पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के हिस्सों में बारिश होने का अनुमान
अगले 24 घंटों के दौरान पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, ओडिशा के कुछ हिस्सों, छत्तीसगढ़, दक्षिण-पूर्वी मध्य प्रदेश, तटीय कर्नाटक, कोंकण गोवा और गुजरात क्षेत्र में हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने के आसार हैं। पूर्वोत्तर भारत, केरल, आंतरिक कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, आंतरिक महाराष्ट्र, शेष मध्य प्रदेश, राजस्थान के कुछ हिस्सों, जम्मू-कश्मीर, मुज़फ़्फ़राबाद, गिलगित-बाल्टिस्तान और उत्तराखंड में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है।
पिछले 24 घंटों में महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुई सबसे ज्यादा बारिश
बीते 24 घंटों के दौरान कोंकण व गोवा में मध्यम से भारी बारिश हुई। कुछ हिस्सों में अति भारी बारिश रिकॉर्ड की गई। पिछले 24 घंटों के दौरान देश के कई इलाकों में भारी वर्षा रिकॉर्ड की गई। इस दौरान देश में सबसे ज़्यादा बारिश महाराष्ट्र के रत्नागिरी में हुई। बारिश का आंकड़ा 167 मिमी रहा। तटीय कर्नाटक, केरल, मराठवाड़ा, विदर्भ, दक्षिणी छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और असम के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मूसलाधार वर्षा हुई। पूर्वोत्तर भारत के बाकी हिस्सों, पूर्वी बिहार, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश, गुजरात के पूर्वी क्षेत्रों, दक्षिणी राजस्थान, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप और तटीय आंध्र प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश हुई। आंतरिक कर्नाटक, हरियाणा, उत्तराखंड, पंजाब और जम्मू व कश्मीर में हल्की बारिश हुई।................  आर एस राणा

महंगी मजदूरी के साथ ही महंगे डीजल ने तोड़ी धान किसानों की कमर, सात दिन में डीजल 4 रुपये बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 53 रुपये प्रति क्विंटल की मामूली बढ़ोतरी ही की है जबकि दोगुनी मजूदरी के साथ ही डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से धान रोपाई की लागत ही 18 से 20 फीसदी तक बढ़ गई है। पिछले सात दिनों से डीजल की कीमतों में करीब चार रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है जिससे खेत की जुताई से लेकर सिंचाई तक का खर्च बढ़ गया है।
कोरोना वायरस महामारी के कारण प्रवासी मजदूरों के पलायन से परेशान धान किसानों की रही सही उम्मीद महंगे डीजल ने तोड़ दी है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की रोपाई तो शुरू हो गई है, लेकिन प्रावासी मजूदरों के गांव चले जाने से धान की रोपाई के दोगुने दाम देने पड़ रहे हैं। हरियाणा में गोहाना के गांव पूठी निवासी किसान राजेश कुमार ने बताया कि उसने पांच एकड़ में धान की फसल लगाने के लिए पौध तैयार की हुई है लेकिन रोपाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैैं। उन्होंने बताया कि पिछले साल 2,800 से 3,000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से धान की रोपाई करवाई थी, लेकिन इस बार स्थानीय मजदूर 4,500 से 5,000 रुपये प्रति एकड़ मांग रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रवासी मजदूर अपने गांव चले गए हैं, जबकि स्थानीय मजदूर ज्यादा पैसे मांग रहे हैं।
पंजाब के लुधियाना के धान किसान धर्मेंद्र गिल ने बताया कि 10 जून से धान की रोपाई शुरू हो गई है लेकिन प्रवासी मजदूर अपने गांव चले गए हैं, जबकि स्थानीय मजूदर धान रोपाई के पिछले साल की तुलना में दोगुने दाम मांग रहे हैं। पिछले साल धान की रोपाई 2,200 से 2,500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से कराई थी, जबकि इस बार मजदूर 4,800 से 5,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से रोपाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले सात दिनों से डीजल की कीमतों में करीब 4 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है, जिस कारण खेत की जुताई से लेकर सिंचाई तक का खर्च 10 से 12 फीसदी बढ़ तक गया है। उन्होंने बताया कि छह जून को डीजल का भाव 63.71 रुपये प्रति लीटर था, जोकि शनिवार को बढ़कर 67.28 रुपये प्रति लीटर हो गया।
भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि धान की लागत महंगी मजदूरी के साथ ही महंगे डीजल से बढ़ गई है, लेकिन सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में मामूली 53 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। इससे किसानों की लागत तो बढ़ गई है, लेकिन आय में कमी आयेगी। उन्होंने बताया कि हरियाणा में बिना किसी सर्वे के राज्य सरकार ने 19 ब्लॉक में धान नहीं लगाने का आदेश दे दिया था तथा प्रोत्साहन राशि 7,000 रुपये देने की बात कही थी। बाद में विरोध होने से इस फैसले का वापिस लेना पड़ा।
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए खरीफ की प्रमुख फसल धान के एमएसपी में 53 रुपये प्रति क्विंटलकी बढ़ोतरी कर भाव कोमन वेरायटी का 1,868 रुपये और ग्रेड ए वेरायटी का 1,888 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि पिछले साल खरीफ सीजन में धान के एमएसपी में 65 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर भाव कोमन वेरायटी का 1,815 रुपये और ग्रेड ए वेरायटी का 1,835 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था।......... आर एस राणा

राजस्थान में मानसून पूर्व की बारिश 130 फीसदी, खरीफ फसलों की शुरूआती बुआई बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार राजस्थान में अभी तक मानसून पूर्व की बारिश 130 फीसदी हुई है जिससे खरीफ फसलों की शुरूआती बुआई में बढ़ोतरी होती हुई है। राज्य में औसतन 21 मिलीमीटर मानसून पूर्व की बारिश होती है, लेकिन इस साल यह 48.2 मिलीमीटर तक हुई है।
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू सीजन में राज्य में खरीफ फसलों की बुआई बढ़कर 10.25 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 4.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 5.19 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 3.79 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुआई हो पाई थी। राज्य में कपास की बुआई का लक्ष्य 6.20 लाख हेक्टेयर का है।
मूंगफली, ग्वार सीड और बाजरा की शुरूआती बुआई बढ़ी
अन्य फसलों में मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में 2.07 लाख हेक्टेयर में और ग्वार सीड की 1.09 लाख हेक्टेयर में और हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 49 हजार और 43,500 हेक्टेयर में ही हुई थी। बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 1.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई शुरू ही नहीं हो पाई थी।
अप्रैल और मई में औसत से अधिक बारिश हुई
मार्च में राजस्थान में मानसून पूर्व की बारिश सामान्यत: 4.1 मिमी होती है जबकि इस साल 20.2 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो सामान्य मानसून पूर्व की बारिश का 394 फीसदी है। अप्रैल में राज्य में 4.3 मिमी बारिश मानसून पूर्व की होती है जोकि इस साल पांच मिमी बारिश हुई, जो औसत मॉनसून पूर्व की बारिश से 16 फीसदी अधिक है। अप्रैल और मई में औसत से अधिक बारिश हुई, जिसके कारण तापमान सामान्य से कम रहा। मौसम विभाग के अनुसार राज्य में पश्चिमी विक्षोभ बहुत कम अंतराल पर लगातार सक्रिय होता रहा, जिसके कारण राज्य में मानसून पूर्व की बारिश की मात्रा इस साल अधिक रही।............. आर एस राणा

किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए चीनी मिलों को राहत देने की तैयारी

आर एस राणा
नई दिल्ली। गन्ना किसानों के बढ़ते बकाया भुगतान को देखते हुए केंद्र सरकार जल्द ही चीनी उद्योग के लिए राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है। राहत पैकेज के तहत बफर स्टॉक पर सब्सिडी के साथ ही निर्यात पर सब्सिडी देने के अलावा चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में 200 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी संभव है।
पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है। केंद्रीय खाद्य व उपभोक्ता मामले मंत्री रामविलास पासवान ने हाल ही में मंत्रालय के अधिकारियों के साथ गन्ना बकाया की स्थिति की समीक्षा के समय खाद्य सचिव को निर्देश दिया कि वे बकाया को कैसे कम किया जाये इस पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। सूत्रों के अनुसार रिपोर्ट में गन्ने के बकाया को कम करने के लिए एमएसपी में 200 रुपये की बढ़ोतरी करने के साथ ही बफर स्टॉक और निर्यात पर सब्सिडी जारी रखने की बात कही गई है। साथ ही इसमें सॉफ्ट लोन को एक साल और बढ़ाने का प्रस्ताव भी है।
चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में 200 रुपये की बढ़ोतरी संभव
इस समय केंद्र सरकार ने चीनी का एमएसपी 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है इसमें अगर 200 रुपये की बढ़ोतरी की जा जाती है तो चीनी का न्यूनतम बिक्री भाव 3,300 रुपये प्रति क्विंटल हो जायेगा, मतलब एमएसपी से नीचे चीनी की बिक्री नहीं होगी जिससे चीनी मिलों को फायदा होगा। नीति आयोग द्वारा गठित टास्कफोर्स ने भी एमएसपी में 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की सिफारिश की थी।
मिलों को सॉफ्ट लोन के साथ ही निर्यात और बफर स्टॉक पर सब्सिडी देने का प्रस्ताव
चीनी मिलों के लिए सॉफ्ट लोन को एक साल और बढ़ाने का प्रस्ताव है। सूत्रों के अनुसार सॉफ्ट लोन के तहत 7 फीसदी के सस्ते ब्याज पर कर्ज चीनी मिलों को मिलता है। इसके साथ ही चीनी निर्यात पर सब्सिडी को भी एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। चीनी के निर्यात पर चालू पेराई सीजन 2019-20 के लिए केंद्र सरकार 10,448 रुपये प्रति टन की दर से चीनी मिलों को सब्सिडी दे रही है, इसके तहत 60 लाख टन चीनी के निर्यात का कोटा तय कर रखा है, जिसमें से अभी तक 48 लाख टन चीनी के निर्यात सौदे और 43 लाख टन की शिपमेंट हो चुकी है जबकि इसके पिछले पेराई सीजन में केवल 37 लाख टन चीनी का ही निर्यात हुआ था। चीनी के बफर स्टॉक पर सब्सिडी देने का भी प्रस्ताव है। बफर स्टॉक की चीनी पर 13.5 फीसदी सब्सिडी केंद्र सरकार दे रही है तथा 40 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक की मात्रा तय कर रखी है।
चालू पेराई सीजन में चीनी उत्पादन में आई कमी
पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 के पहले आठ महीने, 31 मई 2020 तक चीनी के उत्पादन में 18.11 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान कुल 268.21 लाख टन का ही उत्पादन हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 327.53 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। चालू पेराई सीजन के अंत तक कुल 270 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है।............... आर एस राणा

खाद्य तेलों के आयात शुल्क में 5 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती है केंद्र सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार खाद्य तेलों के आयात शुल्क में 5 फीसदी की बढ़ोतरी करने पर विचार कर रही है। सरकार खाने के तेलों के आयात पर निर्भरता कम करने के साथ ही तिलहन के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना चाहती है। खाद्य तेलों में अभी भी हमें अपनी जरुरत का 60 फीसदी से ज्यादा आयात करना पड़ता है।
वर्तमान में क्रूड पाम तेल के आयात पर 37.5 फीसदी और रिफाइंड तेलों के आयात पर 45 फीसदी आयात शुल्क है। क्रूड सोयाबीन तेल, क्रूड सूरजमुखी और सरसों के तेल पर आयात शुल्क 35 फीसदी है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार घरेलू तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी विकास पर अनुसंधान निरंतर चल रहा है। सरकार ने अगले पांच साल में देश में तिलहनों का उत्पादन मौजूदा तकरीबन 300 लाख टन से बढ़ाकर 480 लाख टन तक करने का लक्ष्य रखा है। इस प्रकार पांच साल में तिलहनों का उत्पादन 180 लाख टन बढ़ाया जाएगा, जिसका खाका सरकार ने तैयार कर लिया है।
कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन से मई में आयात में आई कमी
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने घरेलू तिलहनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए आयातित खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क बढ़ाने के साथ ही राष्ट्रीय तिलहन मिशन लांच करने के लिए भी सरकार को पत्र लिखा है। कोरोना वायरस के कारण मई में देश में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 40 फीसदी घटकर 7,07,478 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल मई में 11,80,789 टन का आयात हुआ था। एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-19 से मई-20 के सात महीनों में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 18 फीसदी घटकर 68,89,662 टन का ही हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 83,84,616 टन का हुआ था।
तेल वर्ष 2016-17 में रिकार्ड 150.77 लाख टन का हुआ था खाद्य एवं अखाद्य तलों का आयात
एसईए के अनुसार तेल वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-18 से नवंबर-19) के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात बढ़कर 149.13 लाख टन का हुआ, जोकि इसके पिछले साल के 145.16 लाख टन से ज्यादा है। देश में तेल वर्ष 2016-17 में रिकार्ड 150.77 लाख टन खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात हुआ था। कृषि मंत्रालय के तीसर आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में 335.01 लाख टन तिलहन का उत्पादन होने का अनुमान है जोकि इसके पिछले साल के 315.22 लाख टन से ज्यादा है। तिलहन की प्रमुख फसलों में सोयाबीन, मूंगफली और सरसों है।.........   आर एस राणा

उत्तर प्रदेश में गेहूं की खरीद तय लक्ष्य के 50 फीसदी पर ही पहुंची, सरकार ने 30 जून तक बढ़ाई समय सीमा

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चालू रबी सीजन में गेहूं का उत्पादन बढ़कर 363 लाख टन होने का अनुमान है, लेकिन सरकारी खरीद तय लक्ष्य 55 लाख टन के 50 फीसदी तक ही पहुंच पाई है, जोकि पिछले साल हुई कुल खरीद से भी करीब 9.40 लाख टन कम है। राज्य सरकार ने खरीद की समय सीमा को बढ़ाकर 30 जून कर दिया है, लेकिन जिस गति से खरीद हो रही है उससे तय लक्ष्य तक पहुंच पाना मुश्किल लग रहा है।
उत्तर प्रदेश के खाद्य एवं रसद विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी में राज्य से 27.60 लाख टन गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर हो चुकी है जबकि चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन का तय किया गया है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से चालू रबी में राज्य की मंडियों से गेहूं की खरीद पहली अप्रैल के बजाए 15 अप्रैल से शुरू हुई थी, इसलिए राज्य सरकार ने खरीद की समय सीमा को बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दिया है जबकि पहले खरीद 15 जून तक की जानी थी। उन्होंने बताया कि अभी तक राज्य के 5.23 लाख टन किसानों से गेहूं की खरीद हुई है।
7 जून तक 372.21 लाख टन गेहूं खरीदा जा चुका है
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने सोमवार को एक ट्वीट के जरिए बताया कि रबी सीजन 2020-21 के लिए तय खरीद लक्ष्य के तहत किसानों से गेहूं और चावल की खरीद का काम जारी है। उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम ने 7 जून तक 372.21 लाख टन गेहूं और 106.34 लाख टन धान की खरीद कर ली है। चालू रबी में गेहूं की खरीद का 407 लाख टन का लक्ष्य तय किया गया है जबकि पिछले रबी में कुल खरीद 341.32 लाख टन की हुई थी।
खरीद में पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा की हिस्सेदारी ज्यादा
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी में गेहूं की खरीद में सबसे ज्यादा भागीदारी पंजाब की 127.12 लाख टन, मध्य प्रदेश की 126.71 लाख टन, हरियाणा की 73.98 लाख टन की है। राजस्थान से समर्थन मूल्य पर 16.03 लाख टन और उत्तराखंड से 35 हजार टन, गुजरात से 33 हजार टन, चंडीगढ़ से 11 हजार टन, बिहार से चार हजार और हिमाचल प्रदेश से तीन हजार टन गेहूं खरीदा गया है। पंजाब से चालू रबी में 135 लाख टन, हरियाणा में 95 लाख टन, मध्य प्रदेश में 100 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 55 लाख टन और राजस्थान में 17 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य तय किया गया था।
गेहूं का उत्पादन अनुमान ज्यादा
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 10.36 करोड़ टन से अधिक है। चालू रबी में गेहूं का समर्थन मूल्य 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि पिछले रबी सीजन में 1,840 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद हुई थी।.................  आर एस राणा

चीनी का निर्यात 50 लाख टन भी मुश्किल, ब्राजील से मिल रही है शिकस्त

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश से चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का कुल निर्यात 50 लाख टन से भी कम रहने का अनुमान है पेराई सीजन के पहले आठ महीनों में केवल 42 लाख टन चीनी का ही निर्यात हो पाया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय चीनी को ब्राजील से कड़ी शिकस्त मिल रही है, ऐसे में अगले चार महीनों में आठ लाख टन निर्यात की संभावना कम है। केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन के लिए 60 लाख टन चीनी के निर्यात का लक्ष्य तय किया था।
कोरोना वायरस के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के बाद ब्राजील ने गन्ने की एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया है, जिस कारण ब्राजील से चीनी के निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जानकार बताते हैं कि एक तरफ कच्चे तेल की मांग घटने से एथनॉल की मांग कम हो गई, वहीं चीनी का दाम बढ़ने से एथनॉल के बजाय चीनी बनाने में लाभ ज्यादा होने लगा। यही कारण है कि ब्राजील ने एथनॉल के बजाए चीनी के उत्पादन पर जोर दिया।
ब्राजील की करीब 100 लाख टन चीनी वैश्विक बाजार में आ चुकी है
उद्योग संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने बताया, ब्राजील की चीनी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आने के बाद भारत से निर्यात सौदों में पहले की तुलना में कमी आई है इसलिए चालू सीजन में देश से चीनी करा निर्यात 50 लाख टन से कम ही रहने की आशंका है। उन्होंने बताया कि ब्राजील की करीब 100 लाख टन चीनी वैश्विक बाजार में आ चुकी है। भारत सरकार ने चालू पेराई सीजन 2019-20 में चीनी मिलों को एमएईक्यू यानी अधिकतम स्वीकार्य निर्यात परिमाण के तहत 60 लाख टन तक चीनी निर्यात की अनुमति दी हुई है जिस पर केंद्र सरकार चीनी मिलों को प्रति टन 10,448 रुपये की दर से निर्यात सब्सिडी दे रही है। नाइकनवरे ने बताया कि न सिर्फ निर्यात कम होने की उम्मीद है, बल्कि कोरोना वायरस के कारण अप्रैल और मई में घरेलू खपत भी कम होने से चालू सीजन में पूर्व अनुमान से करीब 20 लाख टन कम रह सकती है।
कोरोना वायरस के कारण बड़ी कंपनियों की मांग पिछले दो महीनों में सामान्य से कम रही
उन्होंने कहा कि आइस्क्रीम और शीतल पेय कंपनियों की चीनी में गर्मी में मांग बढ़ती है है वह इस साल कोरोना वायरस के कारण नहीं बढ़ी। वैसे भी चीनी की कुल खपत में 60 फीसदी हिस्सेदारी बड़ी कंपनियों की ही होती है। उन्होंने कहा कि होटल, रेस्तरां, मॉल, कैंटीन आदि लॉकडाउन के दौरान बंद होने से आइस्क्रीम और शीतल पेय कंपनियों की मांग सामान्य से काफी कम रही। हालांकि होटल, रेस्तरां व कैंटीन अब कई जगहों पर खुल जायेंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि गरमी की मांग तो निकल ही चुकी है। हालांकि आगे चीनी की मांग में सुधार आयेगा, जिससे कीमतें भी बढ़ेगी लेकिन घरेलू खपत फिर भी 240 लाख टन से ज्यादा होने की उम्मीद नहीं है।
चीनी की सालाना घरेलू खपत 240 लाख टन होने का अनुमान
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने भी पिछले दिनों जारी एक बयान में कहा कि, चालू सीजन 2019-20 में चीनी की घरेलू खपत 240 लाख टन और निर्यात करीब 50 लाख टन रह सकता है। चालू सीजन में चीनी का उत्पादन 270 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पेराई सीजन के आरंभ पहली अक्टूबर 2019 को पिछले साल का बकाया 145 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक भी बचा हुआ था। ऐसे में आगामी पेराई सीजन के आरंभ में बकाया स्टॉक 125 लाख टन के आसपास बचने का अनुमान है।......... आर एस राणा

06 जून 2020

चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य में 200 रुपये की बढ़ोतरी संभव, कीमतों में आयेगा सुधार

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में 200 रुपये प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी कर सकती है जिससे घरेलू बाजार चीनी की कीमतों में सुधार आने का अनुमान है। वैसे भी होटल, रेस्तरा और कैंटीन को खोलने की अनुमति मिल चुकी है जिससे आगे चीनी की खपत भी बढ़ेगी।
इस समय केंद्र सरकार ने चीनी का एमएसपी 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है इसमें अगर 200 रुपये की बढ़ोतरी की जा जाती है तो चीनी का न्यूनतम बिक्री भाव 3,300 रुपये प्रति क्विंटल हो जायेगा, मतलब एमएसपी से नीचे चीनी की बिक्री नहीं होगी। इसलिए आगामी दिनों में चीनी की कीमतों में सुधार आने का अनुमान है। नीति आयोग द्वारा गठित टास्कफोर्स ने भी एमएसपी में दो रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी की सिफारिश की है।
चीनी का एमएसपी गन्ने के एफआरपी के अनुसार होता है तय
कारोबारी बताते हैं कि चीनी मिलें बहरहाल एमएसएपी बढ़ने का इंतजार कर रही हैं। बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, देश की राजधानी दिल्ली में बीते 15 दिनों में चीनी की थोक कीमतों में 150 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है। दिल्ली में इस समय चीनी का थोक दाम 3,400-3,500 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि खुदरा भाव 3,800-4,200 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है। वहीं, उत्तर प्रदेश की निजी चीनी मिलों का एक्स-मिल रेट एम-30 सिंगल फिल्टर चीनी का 3,200-3,300 रुपये, जबकि सरकारी मिलों की चीनी का एक्स-मिल रेट 3,150-3,170 रुपये प्रति क्विंटल है। सूत्रों के अनुसार चीनी का एमएसपी गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य यानी एफआरपी के अनुसार तय होता है। इसलिए कृषि लागत और मूल्य आयोग यानी सीएसीपी द्वारा गन्ने के एफआरपी में वृद्धि को अगर सरकार मंजूरी देती है तो एमएसपी में भी वृद्धि तय है।
तेजी की संभावना के कारण मिलें कम कर रही है बिकवाली
दिल्ली के चीनी कारोबारी सुशील कुमार ने बताया कि यही कारण है कि चीनी मिलें अभी एमएसपी में वृद्धि का इंतजार कर रही है और चालू महीने का कोटा जल्द निकालने में दिलचस्पी नहीं ले रही है। चालू महीने में चीनी मिलों को बिक्री के लिए सरकार ने 18.5 लाख टन का कोटा तय किया हुआ है। उधर, अगले सप्ताह से होटल, रेस्तरा और कैंटीन को खोलने की इजाजत मिल चुकी है जिससे चीनी की मांग में थोड़ी वृद्धि होने की उम्मीद की जा रही है, जिससे कीमतों में भी हल्की तेजी रह सकती है। हाल ही, चीनी मिलों के संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन यानी इस्मा द्वारा जारी उत्पादन अनुमान के अनुसार देश में इस साल चीनी का उत्पादन 270 लाख टन हो सकता है।............ आर एस राणा

मई में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 40 फीसदी की कमी आई

आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण विश्वभर में चल रहे लॉकउाडन का असर खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात पर भी पड़ा है। मई महीने में देश में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 40 फीसदी घटकर 7,07,478 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल मई में 11,80,789 टन का आयात हुआ था।
सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार लॉकडाउन के कारण होटल, रेस्त्रा, केंटीन आदि बंद होने के साथ ही सार्वजनिक समारोहों का आयोजन नहीं होने से पिछले दो महीनों अप्रैल और मई में खाद्य एवं अखाद्य तेलों की मांग में भी कमी आई है, साथ ही आयात भी कम हुआ है। एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-19 से मई-20 के पहले सात महीनों में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 18 फीसदी घटकर 68,89,662 टन का ही हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 83,84,616 टन का हुआ था।
आरबीडी पॉमोलीन के आयात में पिछले वर्ष की तुलना में 96 फीसदी घटा
एसईए के अनुसार मई में आरबीडी पॉमोलीन के आयात में पिछले वर्ष की तुलना में 96 फीसदी घटा है। मई 2020 में आरबीडी पॉमोलीन का आयात केवल 16,250 टन का हुआ है जबकि पिछले साल मई में इसका आयात 3,71,060 टन का हुआ था। सीपीओ एवं सीपीकेओ का आयात मई 2020 में 17 फीसदी घटकर 3,70,756 टन का हुआ है जबकि पिछले साल मई में 4,47,089 टन का आयात हुआ था। सोयाबीन तेल के आयात में भी मई में कमी दर्ज की गई, लेकिन सनफ्लावर तेल के आयात में इस दौरान दो फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ....... आर एस राणा

गेहूं की सरकारी खरीद 366 लाख टन के पार, उत्तर प्रदेश में तय लक्ष्य के 54 फीसदी पर ही पहुंची

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2020-21 में 3 जून तक गेहूं की खरीद 366.32 लाख टन पर पहुंच गई है, जोकि पिछले साल हुई कुल खरीद 341.32 लाख टन से 6.82 फीसदी ज्यादा है। मध्य प्रदेश में जहां खरीद तय लक्ष्य से ज्यादा हो चुकी है वहीं सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश से तय किए लक्ष्य की 54 फीसदी ही हो पाई है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 407 लाख टन का तय किया गया है। केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने गुरूवार को एक ट्वीट के जरिए बताया कि रबी सीजन 2020-21 के लिए तय खरीद लक्ष्य के तहत किसानों से गेहूं और चावल की खरीद का काम जारी है। उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम ने 3 जून तक 366.32 लाख टन गेहूं की खरीद कर ली है तथा सभी खरीद केंद्रों पर कोविड-19 संक्रमण से सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।
खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब, मध्य प्रदेश और हरियाणा की
एफसीआई के अनुसार अभी तक हुई खरीद में पंजाब से सबसे ज्यादा 127.68 लाख टन, मध्य प्रदेश में करीब 124.60 लाख टन और हरियाणा में 73.36 लाख टन, उत्तर प्रदेश से 25.33 लाख टन और राजस्थान से 14.53 लाख गेहूं की सरकारी खरीद हुई है। पिछले रबी सीजन में पंजाब से 129.12 लाख टन, हरियाणा से 93.20 लाख टन, मध्य प्रदेश से 67.25 लाख टन और उत्तर प्रदेश से 37 लाख टन तथा राजस्थान से 14.11 लाख टन गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा गया था।
गेहूं का रिकार्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान
पंजाब से इस साल 135 लाख टन, हरियाणा में 95 लाख टन, मध्य प्रदेश में 100 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 55 लाख टन और राजस्थान में 17 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद का लक्ष्य रखा गया है। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड 10.71 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 10.36 करोड़ टन से अधिक है। चालू रबी में गेहूं का समर्थन मूल्य 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जबकि पिछले रबी सीजन में 1,840 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद हुई थी।..... आर एस राणा

कैबिनेट ने आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव को दी मंजूरी, बहुत जरुरी होने पर ही लगेगी स्टॉक लिमिट

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव को मंजूरी दे दी गई, यानी 65 साल से चला आ रहा यह अधिनियम अब बदला जाएगा। किसान अपनी मर्जी से कहीं भी अपनी जिंस बेच सकेगा तथा आवश्यक वस्तुओं खाद्य तेल, दलहन, आलू और प्याज तथा चीनी आदि पर बहुत जरुरी होने पर ही स्टॉक लिमिट लगाई जायेगी।
कैबिनेट ने कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 को भी अनुमति दे दी। यह अध्यादेश कृषि उपज में बाधा मुक्त व्यापार सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही सरकार ने मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश पर किसानों का (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अधिनियम, 2020 को भी अनुमति दी। इससे  प्रोसेसर, एग्रीगेटर, थोक व्यापारी, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ जुड़ने के लिए किसानों को सशक्त बनाया जा सकेगा।
केवल अतिआवश्यक परिस्थितियों में ही स्टॉक लिमिट लगाई जायेगी
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव से किसान और व्यापारियों को कृषि उपज बेचने और खरीदने की छूट मिलेगी। उन्होंने बताया कि आवश्यक वस्तुओं अनाज, खाद्य तेल, दलहन, चीनी तथा आलू एवं प्याज आदि पर स्टॉक लिमिट को समाप्त कर दिया गया है, केवल अतिआवश्यक परिस्थितियों में ही स्टॉक लिमिट लगाई जायेगी। उन्होंने कहा कि यह फैसला कृषि क्षेत्र में बदलाव करते हुए देश के किसानों की मदद करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा। तोमर ने कहा कि कैबिनेट ने कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020 को भी अनुमति दे दी। यह अध्यादेश कृषि उपज में बाधा मुक्त व्यापार सुनिश्चित करेगा। इसके साथ ही सरकार ने मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अध्यादेश पर किसानों का (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अधिनियम, 2020 को भी अनुमति दी। इससे  प्रोसेसर, एग्रीगेटर, थोक व्यापारी, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ जुड़ने के लिए किसानों को सशक्त बनाया जा सके।
?किसानों के लिए एक देश एक बाजार होगा
केद्रीय मंत्री, प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हमने आवश्यक वस्तु अधिनियम में किसानों के अनुकूल संशोधन किए हैं। किसानों के हितों को देखते हुए आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव को मंजूरी दी है। अब किसान सीधे अपनी फसलें बेच सकेंगे तथा देश में किसानों के लिए एक देश एक बाजार होगा। उन्होंने कहा कि किसानों की यह मांग 50 सालों से थी जो आज पूरी हो गई। उन्होंने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि अब किसानों को अपना उत्पाद ज्यादा दाम देने वालों को बेचने की आजादी मिल गई है। कोई निर्यातक प्रोसेसर है, तो उसको कृषि उपज दोनों के आपसी समझौते के तहत बेचने की सुविधा मिली है, जिससे सप्लाई चेन खड़ी होगी। भारत में पहली बार ऐसा किया गया है।.............  आर एस राणा

मसूर पर आयात शुल्क 20 फीसदी घटा, मोजांबिक से दो लाख टन दलहन आयात को मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में अरहर, चना, मसूर और मूंग के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे या फिर इसके बराबर चल रहे हैं। इसके बावजूद केंद्र सरकार ने मसूर के आयात शुल्क में 20 फीसदी कटौती कर दी है। साथ ही मोजांबिक से डेढ़ लाख टन अरहर और 50 हजार टन मूंग और मटर आयात को मंजूरी दे दी है। इससे घरेलू बाजार में मसूर और अरहर की मौजूदा कीमतें और घटने के आसार बन गए हैं।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार गैर अमेरिकी मसूर के आयात पर शुल्क 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है। अमेरिकी मसूर पर भी आयात शुल्क घटाकर 30 फीसदी किया गया है। विदेशी व्यापार महानिदेशालय द्वारा पहली जून 2020 को जारी अधिसूचना के अनुसार मोजांबिक से दो लाख टन दालों का आयात दोनों देशों की सरकारों के बीच हुए समझौते के तहत होगा।
आयात शुल्क में कटौती से मसूर की कीमतों में मंदा आने का अनुमान
मुंबई के एक दलहन कारोबारी ने बताया कि मसूर का आयात कनाडा और आस्ट्रेलिया से ही हो रहा है। कनाडा की मसूर के भाव कांडला बंदरगाह पर 5,400 रुपये और आस्ट्रेलिया की मसूर के भाव 5,500 रुपये प्रति क्विंटल हैं, जबकि मध्य प्रदेश की मंडियों में छोटी मसूर के भाव 4,900 से 5,000 रुपये और उत्तर प्रदेश की मंडियों में 4,800 से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए मसूर का एमएसपी 4,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
वित्त वर्ष 2019-20 में 6.50 लाख टन मसूर का आयात हुआ था, जबकि चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले महीने अप्रैल में 40,000 टन का आयात हुआ है। लॉकडाउन के कारण अप्रैल में आयात कम रहा। उन्होंने बताया कि सरकार ने आयात शुल्क में कटौती कर दी है, तथा कनाडा में मसूर की नई फसल जुलाई के अंत में आएगी, ऐसे में आगे मसूर का आयात बढ़ने से घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में मंदा आने की आशंका है।
म्यांमार से अरहर का आयात सस्ता
कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी के दलहन कारोबारी चंद्रशेखर एस नादर ने बताया कि मोजांबिक से डेढ़ लाख टन अरहर और 50 हजार टन मूंग और मटर के आयात को जो मंजूरी दी गई है, वह चार लाख टन अरहर आयात, जिसे सरकार ने पहले मंजूरी दी थी, उससे अगल है। अत: चालू वित्त वर्ष में कुल 5.50 लाख टन अरहर का आयात होगा। म्यांमार से आयातित अरहर के भाव मुंबई बदंरगाह पर 4,800 से 4,900 रुपये प्रति क्विंटल हैं जबकि महाराष्ट्र की मंडियों में अरहर 4,800 से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए अरहर का एमएसपी 5,800 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि हाल में आगामी खरीफ सीजन 2020-21 के लिए सरकार ने समर्थन मूल्य 6,000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
चना और मूंग के भाव उत्पादक मंडियों में समर्थन मूल्य से नीचे
केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए चार लाख टन अरहर, डेढ़ लाख टन मूंग, डेढ़ लाख टन उड़द तथा डेढ़ लाख टन मटर को मिलाकर कुल 7 लाख टन दलहन आयात को मंजूरी दी थी। बाद में उड़द के आयात कोटे की मात्रा को डेढ़ लाख टन से बढ़ाकर चार लाख टन कर दिया था। चना पर आयात शुल्क इस समय 50 फीसदी है। उत्पादक मंडियों में चना के भाव 3,800 से 4,000 रुपये और मूंग के 5,900 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं। चना का समर्थन मूल्य 4,875 रुपये और मूंग का 7,050 रुपये प्रति क्विंटल है। मंडियों में चना और मूंग समर्थन मूल्य से 1,000 से 1,275 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे बिक रही है। नेफेड ने एमएसपी पर अभी तक 11.13 लाख टन चना और 5.12 लाख टन अरहर की खरीद की है। मूंग और मसूर की खरीद भी समर्थन मूल्य पर हो रही है, लेकिन सीमित मात्रा में।
दलहन के उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2019-20 में 230.1 लाख टन दालों का उत्पादन होने का अनुमान है, जो पिछले फसल सीजन में 220.8 लाख टन था। फसल सीजन 2017-18 में देश में दालों का रिकार्ड 254.2 लाख टन का उत्पादन हुआ था जबकि देश में दालों की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन की ही होती है।............   आर एस राणा

बागवानी फसलों का उत्पादन 3.13 फीसदी बढ़ने का अनुमान, सब्जियों के साथ फलों की पैदावार ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान किसानों को भले ही टमाटर के साथ प्याज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा, इसके बावजूद भी देश में बागवानी फसलों की बुवाई और उत्पादन में बढ़ोतरी हो रही है। दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में बागवानी फसलों का उत्पादन 3.13 फीसदी बढ़कर 32.04 करोड़ टन होने का अनुमान है जोकि खाद्यान्न उत्पादन अनुमान से भी ज्यादा है।
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में बागवानी फसलों की बुवाई 2.56 करोड़ हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल 2018-19 के 2.54 करोड़ हेक्टेयर से ज्यादा है। अत: बुवाई में हुई बढ़ोतरी से बागवानी फसलों का उत्पादन भी बढ़कर 32.04 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 31.07 करोड़ टन का ही उत्पादन हुआ था। बागवानी फसलों में सब्जियों के साथ ही फलों का उत्पादन चालू सीजन में ज्यादा होने का अनुमान है।
प्याज का उत्पादन अनुमान ज्यादा, आलू का कम
मंत्रालय के अनुसार प्याज का उत्पादन चालू फसल सीजन 2019-20 में 17 फीसदी बढ़कर 267.4 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 228.2 लाख टन का हुआ था। हालाकि इस दौरान आलू के उत्पादन में कमी आने का अनुमान है। आलू का उत्पादन चालू फसल सीजन में घटकर 513 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल देश में 519.47 लाख टन आलू का उत्पादन हुआ था। आलू की बुआई में तो बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसल को नुकसान हुआ था।
टमाटर का उत्पादन 8.2 फीसदी ज्यादा
मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार टमाटर का उत्पादन 8.2 फीसदी बढ़कर 205.7 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल देश में 190.1 लाख टन टमाटर का ही उत्पादन हुआ था। मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2019-20 के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फलों का उत्पादन बढ़कर 990.7 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 979.7 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। दिल्ली की आजादपुर फल एवं सब्जी मंडी में दो जून को प्याज का भाव 2.50 से 9 रुपये प्रति किलो तथा टमाटर का भाव 1.25 से 4.75 रुपये प्रति किलो रहा। आलू का भाव मंडी में 6 से 22 रुपये प्रति किलो रहा।............... आर एस राणा

मई अंत तक चीनी उत्पादन में आई 18 फीसदी की गिरावट, 270 लाख टन का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 के पहले आठ महीने, 31 मई 2020 तक चीनी के उत्पादन में 18.11 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान कुल 268.21 लाख टन का ही उत्पादन हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 327.53 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। चालू पेराई सीजन के अंत तक कुल 270 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में 18 चीनी मिलों में पेराई अभी चल रही है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 10 मिलों में ही पेराई चल रही थी। इस्मा ने गन्ना पेराई सीजन के आरंभ में 265 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान लगाया था, लेकिन उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन के कारण गुड़ और खांडसारी यूनिट के जल्दी बंद होने से चीनी मिलों को गन्ना ज्यादा मिला, जिस कारण चीनी के उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी हुई। चालू पेराई सीजन के अंत तक चीनी का उत्पादन 270 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल की तुलना में करीब 60 लाख टन कम रहेगा।
उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन ज्यादा, महाराष्ट्र में कम
इस्मा के अनुसार उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में मई के अंत तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 125.46 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में केवल 117.81 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। अत: उत्तर प्रदेश में चीनी के उत्पादन में अभी तक पिछले साल की तुलना में 7.65 लाख टन की बढ़ोतरी हो चुकी है। राज्य की 119 चीनी मिलों में से 105 में पेराई बंद हो चुकी है तथा इस समय 14 मिलें में ही पेराई चल रही है। महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में अभी तक केवल 60.98 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जोकि पिछले पेराई सीजन की तुलना में 46.2 कम है। पिछले पेराई सीजन में इस समय तक 107.20 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। बाढ़ और सूखे से महाराष्ट्र में गन्ने की फसल को भारी नुकसान हुआ था।
कर्नाटक और तमिलनाडु में भी घटा चीनी का उत्पादन
कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 31 मई तक चीनी का उत्पादन घटकर 33.82 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में 43.25 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। कर्नाटक में मिलों में पेराई 30 अप्रैल 2020 को बंद हो गई थी, लेकिन इस समय कुछ मिलों में पेराई का स्पेशल सीजन चल रहा है। तमिलनाडु में चीनी का उत्पादन चालू पेराई सीजन में 5.78 लाख टन का ही हुआ है जोकि पिछले साल के 7.22 लाख टन से कम है।
अन्य राज्यों में चीनी का उत्पादन 32.75 लाख टन
अन्य राज्यों में गुजरात, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, बिहार, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा तथा राजस्थान को मिलाकर 31 मई तक 42.17 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। उत्तर भारत की चीनी मिलें मई में आवंटित किए गए कोटे की चीनी की बिक्री कर चुकी है लेकिन पश्चिम और दक्षिण भारत की मिलें लॉकडाउन के कारण सीमित मात्रा में ही कोटे की चीनी बेच पाई है, इसलिए केंद्र सरकार ने मई के कोटे की चीनी की बिक्री जून में करने की अनुमति दे दी है। उद्योग के अनुसार लॉकडाउन खुल गया है, जिससे मिठाई की दूकान, होटल आदि खुले गए हैं, जिससे चालू महीने में चीनी की मांग में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। पेराई सीजन के अंत में चीनी का बकाया स्टॉक 115 लाख टन बचने का अनुमान है जबकि आरंभ में 95 से 100 टन बकाया बचने की उम्मीद थी।............ आर एस राणा

मानसून ने दी केरल में दस्तक, इस साल 102 फीसदी सामान्य बारिश का अनुमान - मौसम विभाग

आर एस राणा
नई दिल्ली। दक्षिण-पश्चिम मानसून के केरल में दस्तक देने के साथ ही चार महीने चलने वाला बारिश का मौसम शुरू हो गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून ने केरल में दस्तक दे दी है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के उप-महानिदेशक आनंद कुमार शर्मा के अनुसार मानसून का आगमन आज केरल में हो गया है तथा आईएमडी ने पहले ही एक जून को मानसून केरल पहुंचने का पूर्वानुमान जारी कर दिया था।
मौसम विभाग के अनुसार इस साल सामान्य बारिश होगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम राजीवन ने बताया कि अच्छे मानसून के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो रही हैं। इसलिए जून से सितंबर तक होने वाली बारिश 102 फीसदी तक होगी। नॉर्थ ईस्ट इंडिया में काफी समय से बारिश थोड़ी कम हो रही है, इस साल भी मात्र 96 फीसदी बारिश होने का अनुमान है। इस साल 102 फीसदी सामान्य बारिश का अनुमान है, इसमें चार फीसदी कमी, या ज्यादा हो सकती है। क्षेत्रवार, दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश उत्तर पश्चिम भारत में दीर्घावधि औसत के 107 फीसदी, मध्य भारत में 103 फीसदी, दक्षिणी प्रायद्वीप में 102 फीसदी तथा पूर्वोत्तर भारत में 96 फीसदी बारिश होने की संभावना है। इसमें आठ फीसदी कम या ज्यादा हो सकती है।
पहले आईएमडी ने 5 जून को मानसून आने की भविष्यवाणी की थी, लेकिन बाद में इसमें बदलाव कर दिया
इस सप्ताह की शुरुआत में मौसम विभाग ने कहा था कि मानसून पहली जून को केरल में पहुंच जायेगा, जबकि इससे पहले आईएमडी ने 5 जून को मानसून आने की भविष्यवाणी की थी, लेकिन बाद में इसमें बदलाव कर दिया। वर्ष 2019 में, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 8 जून को केरल में दस्तक दी थी। मौसम विभाग ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून आज, 1 जून 2020 को केरल पहुंच गया है। अरब सागर के ऊपर चक्रवात के बनने से केरल में मानसून की शुरुआत के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव माधवन राजीवन ने 15 अप्रैल को अपने पूर्वानुमान में कहा था कि इस वर्ष मानसून की बारिश सामान्य रूप से लंबी अवधि के औसत से 100 फीसदी सामान्य होने की संभावना है। इसमें 5 फीसदी कम या फिर ज्यादा हो सकता है।
बादल और तेज हवाओं में लगातार बढ़ोतरी हो रही है जोकि मानसून के अनुकूल है
मौसम विभाग के अनुसार केरल में कई स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा हुई है तथा बादल और तेज हवाओं में भी लगातार वृद्धि हुई है जोकि मानसून के अनुकूल है। राज्य के मौसम विभाग ने भारी वर्षा की चेतावनी जारी की है। इसमें कहा गया है कि तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, एर्नाकुलम, त्रिशूर, कोझीकोड, मलप्पुरम, कासरगोड और कन्नूर में बारिश के साथ-साथ 40 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा चलने की संभावना है। देश में जून से सितंबर तक मानसून के मौसम में 75 फीसदी वर्षा होती है।
25-30 जून के बीच राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब को कवर करते हुए 5 जुलाई तक पूरे में पहुंचेगा
समूचे देश के लिए वर्ष 2020 के दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून – सितम्बर) की वर्षा सामान्य (दीर्घावधि औसत के 96 से 104 फीसदी) होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार पहली जून को मौसम केरल, लक्षदीप और अंडमान पहुंच गया है जबकि एक से पांच जून तक तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश में पहुंचेगा। 5 जून से 10 जून के बीच मानसून मध्य महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल पहुंच जायेगा तथा 10 से 15 जून तक पूरे महाराष्ट्र के साथ ही ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के निचले इलाकों तथा झारखंड, आधे बिहार को कवर करेगा। इसके बाद 15 से 20 जून तक गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पूर्वी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक पहुंच जायेगा जबकि 20 से 25 जून तक पूरे गुजरात के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर में मानसून का आगमन होगा। 25 से 30 जून के बीच राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब को कवर करते हुए 30 जून से 5 जुलाई तक पूरे देश में पहुंच जायेगा।
खेती किसानी के लिए मानसून काफी अहम
जून से सितंबर तक चलने वाले इस दक्षिण-पश्चिम मानसून पर खरीफ की फसलों के उत्पादन की स्थिति काफी हद तक निर्भर करती है, इसलिए खेती किसानी के लिए मानसून काफी अहम है। प्री मानसून की बारिश से कई राज्यों में खरीफ फसलों की बुआई आरंभ हो गई है, लेकिन मानसूनी बारिश शुरू होने के बाद ही खरीफ फसलों धान, ज्वार, बाजरा, सोयाबीन, मूंगफली आदि की बुआई में तेजी आने का अनुमान है। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने 30 मई को मानसून आने की घोषणा की थी लेकिन आईएमडी ने इससे इनकार करते हुए कहा था कि इस तरह की घोषणा के लिए अभी स्थितियां बनी नहीं हैं..........  आर एस राणा

केंद्र सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में मात्र 2.9 फीसदी की बढ़ोतरी की, पिछले साल से भी कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2020-21 के लिए खरीफ की प्रमुख फसल धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में मात्र 53 रुपये प्रति क्विंटल, यानि 2.9 फीसदी की बढ़ोतरी कर भाव कोमन वेरायटी का 1,868 रुपये और ग्रेड ए वेरायटी का 1,888 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। धान के एमएसपी में बढ़ोतरी पिछले साल की तुलन में कम की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सोमवार को आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी (सीसीईए) की बैठक में खरीफ फसलों के एमएसपी में 2.1 फीसदी से 12.7 फीसदी की बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया गया। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश पर धान की लागत का 50 फीसदी मुनाफा निर्धारित कर इसका एमएसपी तय किया गया है।
पिछले साल धान का समर्थन मूल्य 65 रुपये बढ़ाया था
केंद्र सरकार ने पिछले साल खरीफ सीजन में धान के एमएसपी में 3.7 फीसदी यानि 65 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर भाव कोमन वेरायटी का 1,815 रुपये और ग्रेड ए वेरायटी का 1,835 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर के एमएसपी में 200 रुपये यानि 3.7 फीसदी की बढ़ोतरी कर भाव 6,000 रुपये, मूंग के एमएसपी में 146 रुपये, 2.1 फीसदी की बढ़ोतरी कर भाव 7,196 रुपये और उड़द के एमएसपी में 300 रुपये यानि 5.3 फीसदी की बढ़ोतरी कर भाव 6,000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।
सोयाबीन और मूंगफली के एमएसपी में क्रमश: 170 और 185 रुपये की बढ़ोतरी
खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन के एमएसपी में 170 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,880 रुपये और मूंगफली के एमएसपी में 185 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,275 रुपये, सनफ्लॉवर सीड के एमएसपी में 235 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,885 रुपये और शीशम सीड के समर्थन मूल्य में 370 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 6,855 रुपये तथा नाइजर सीड के समर्थन मूल्य में सबसे ज्यादा 755 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 6,695 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। तिलहन का उत्पादन खपत से कम होने के कारण हमें हर साल करीब 140 से 150 लाख टन खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है।
बाजरा के समर्थन मूल्य में 150 रुपये और मक्का में 90 रुपये बढ़ाये
मोटे अनाजों में बाजरा के समर्थन मूल्य में 150 रुपये की बढ़ोतरी कर 2,150 रुपये, मक्का के एमएसपी में 90 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,850 रुपये और रागी के समर्थन मूल्य में 145 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,295 रुपये तथा ज्वार के समर्थन मूल्य में 70 रुपये की बढ़ोतरी कर हाईब्रिड का एमएसपी 2,620 रुपये और मालदंडी ज्वार का 2,640 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। इसके अलावा मीडियम स्टेपल कपास के समर्थन मूल्य में 260 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर भाव 5,515 रुपये और लोंग स्टेपल कपास के एमएसपी में 275 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,825 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले साल कपास के समर्थन मूल्य में 105 और 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर भाव मीडियम स्टेपल का भाव 5,255 रुपये और लोंग स्टेपल का 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था।..........  आर एस राणा

चना, अरहर और मक्का किसानों को नहीं मिल रहा समर्थन मूल्य, सरकारी खरीद नाममात्र की

आर एस राणा
नई दिल्ली। मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत दलहन और तिलहन की खरीद सीमित मात्रा में होने के कारण किसानों को चना, अरहर, मक्का और सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 300 से 1,075 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे भाव पर बेचनी पड़ रही है। केंद्र सरकार पीएसएस के तहत दलहन और तिलहन की खरीद कुल उत्पादन का 25 फीसदी तक करती है। नेफेड अरहर, चना और सरसों की खरीद कर भी रही है, लेकिन कुल उत्पादन के मुकाबले खरीद नाममात्र की ही हो रही है। इस कारण किसानों को मजबूरन अपनी उपज समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर बेचनी पड़ी रही है।
नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पीएसएस के तहत उत्पादक राज्यों की मंडियों से 9.03 लाख टन चना, 5.05 लाख टन अरहर और 6.32 लाख टन सरसों की खरीद हुई है। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस को देखते हुए, रबी फसलों के लिए पीएसएस के तहत दैनिक खरीद की सीमा 25 क्विंटल से बढ़ाकर 40 क्विंटल प्रतिदिन कर दी गई है। चना की खरीद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से की जा रही है जबकि अरहर की खरीद तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात और ओडिशा से की गई है। सरसों की खरीद राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हरियाणा से की गई है। मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में किसानों से पीएसएस योजना के तहत चना, मसूर और सरसों की खरीद की समय सीमा को 30 मई से बढ़ाकर 10 जून करने का फैसला लिया है।
पीएसएस योजना के तहत तय मात्रा 25 फीसदी के मुकाबले खरीद कम
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में चना की पैदावार 109 लाख टन होने का अनुमान है जबकि अभी तक खरीद हुई है केवल 9.03 लाख टन की, यानि कुल उत्पादन का केवल 8.29 फीसदी। इसी तरह अरहर के उत्पादन का अनुमान 35.5 लाख टन का है जबकि खरीद हुई है केवल 5.05 लाख टन की जो कुल उत्पादन का केवल 13.47 फीसदी ही है। सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद हुई है 6.32 लाख टन की जबकि उत्पादन अनुमान है 87.03 लाख टन का। कुल उत्पादन की केवल 7.27 फीसदी सरसों की खरीद ही अभी तक हो पाई है। मक्का की समर्थन मूल्य पर खरीद हो नहीं हो रही है जबकि मक्का के उत्पादन का अनुमान चालू रबी सीजन में 88 लाख टन का है।
उत्पादक मंडियों में चना, सरसों, अरहर और मक्का के दाम एमएसपी से नीचे
कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी के अरहर कारोबारी चंद्रशेखर एस नादर ने बताया कि मंडी में अरहर का भाव 4,900 से 5,100 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए अरहर का समर्थन मूल्य 5,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। राजस्थान की कोटा मंडी के दलहन व्यापारी भानू जैन ने बताया मंडी में चना के भाव 3,800 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि केंद्र सरकार ने चना का समर्थन मूल्य 4,875 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। सरसों के भाव उत्पाद मंडियों में 4,000 से 4,150 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि सरसों का समर्थन मूल्य 4,425 रुपये प्रति क्विंटल है। मक्का का समर्थन मूल्य 1,760 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि बिहार की मंडियों में मक्का के भाव 1,100 से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।..... आर एस राणा

चालू पेराई सीजन में गन्ना किसानों का बकाया बढ़कर 17,134 करोड़ रुपये पर पहुंचा - केंद्र सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू गन्ना पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर से सितंबर) में गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया बढ़कर 17,134 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार गन्ना के बकाया की राशि की गणना केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाने वाले उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के आधार पर की जाती है। गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत, गन्ना खरीदने के 14 दिनों के अंदर चीनी मिलों को किसानों को भुगतान करना होता है, अगर इस अवधि में चीनी मिलें भुगतान नहीं कर पाती है तो उन्हें बकाया पर 15 फीसदी सालाना की दर से ब्याज का भी भुगतान करना होगा।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के अनुसार चालू पेराई सीजन 2019-20 में 28 मई तक चीनी मिलों ने 64,261 करोड़ रुपये का गन्ना किसानों से खरीदा है जिसमें से भुगतान केवल 47,127 करोड़ रुपये का ही किया है। अत: चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 17,134 करोड़ रुपये है। पेराई सीजन 2018—19 की समान अवधि में गन्ने का बकाया 18,140 करोड़ रुपये था।
केंद्र सरकार बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए कई उपाय कर रही है - केंद्रीय खाद्य सचिव
केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं। उन्होंने बताया कि पेराई सीजन 2017-18 एवं 2019-19 में चीनी का उत्पादन ज्यादा होने के कारण चीनी की कीमतों में आई कमी के कारण गन्ना के बकाया में बढ़ोतरी हुई। उन्होंने बताया कि इथेनॉल उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के लिए बैंकों ने करीब 18,600 करोड़ रुपये के सॉफ्ट लोन को मंजूरी दी है, जिससे 362 चीनी मिलों को डिस्टलरीज में बदला जा रहा है, जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा लगभग 4,080 करोड़ रुपये का ब्याज वहन किया जा रहा है।
सरकार 40 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक के रख-रखाव की लागत कर रही है वहन
उन्होंने बताया कि सरकार 40 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक के रख-रखाव के लिए 1,674 करोड़ रुपये की लागत वहन कर रही है। इसके अलावा सरकार 60 लाख टन चीनी के निर्यात पर चीनी मिलों को 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सहायता दे रही है, जिस पर लगभग 6,268 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि चालू पेराई सीजन में निर्यात के लिए तय कोटे 60 लाख टन में से करीब 36 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है तथा आने वाले महीनों में और 24 लाख टन का निर्यात चीनी मिलें करने की कोशिश कर रही हैं।.... आर एस राणा

प्रवासियों के लिए आवंटित अनाज में राज्यों की दिलचस्पी कम, पीएमजीकेएवाई के तहत 80 फीसदी खाद्यान्न का उठाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण देशभर में चल रहे लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को भूखे पेट पलायन को मजबूर होना पड़ा। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों को खाना देने के लिए मई-जून के लिए खाद्यान्न का आवंटन तो किया, इसमें इस खाद्यान्न के उठाव में राज्यों की दिलचस्पी कम रही। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत कुल आवंटित अनाज एवं दालों का उठाव राज्य क्रमश: 79.81 और 57.49 फीसदी कर चुके हैं लेकिन प्रवासियों के लिए खाद्यान्न के कुल आवंटन का केवल 25.75 फीसदी अनाज ही राज्यों ने अभी तक उठाया है।
उभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रवासियों मजदूरों के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज योजना के तहत केंद्र सरकार राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों को मई और जून के लिए आठ लाख टन खाद्यान्न (2.44 लाख टन गेहूं और 5.56 लाख टन चावल) का आवंटन कर चुकी है जिसमें से 27 मई तक राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने केवल 2.06 लाख टन खाद्यान्न ही उठाया है। अत: इस योजना के तहत कुल आवंटन का मात्र 25.75 फीसदी अनाज ही राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक उठाया है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत, मई-जून के दौरान प्रत्येक प्रवासी मजदूर को प्रति माह पांच किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त में वितरित किया जाना है। इस योजना के तहत केवल तीन राज्यों एवं केंद्र प्रदेशों अंडमान एवं निकोबार, आंध्रप्रदेश एवं लक्षद्वीप ने ही पूरे दो महीनों के लिए आवंटन का उठाव किया है।
राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने पीएमजीकेएवाई योजना के तहत 95.80 लाख टन खाद्यान्न उठाया
उन्होंने बताया कि पीएमजीकेएवाई योजना के तहत केंद्र सरकार ने अप्रैल, मई और जून 2020 के लिए राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को 120.04 लाख टन खाद्यान्न (15.65 लाख टन गेहूं और 104.4 लाख टन चावल) का आवंटन किया है। इसमें से 27 मई तक, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने 95.80 लाख टन खाद्यान्न (15.6 लाख टन गेहूं और 83.38 लाख टन चावल) का उठाव किया है। उन्होंने बताया कि पीएमजीकेएवाई योजना के तहत राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश कुल आवंटन का 79.81 फीसदी अनाज उठा चुके है। पीएमजीकेएवाई योजना के तहत अप्रैल, मई और जून की अवधि में प्रति माह, प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त में वितरित किया जा रहा है।
राज्यों को 5.88 लाख टन दालों का हो चुका है आवंटन, 3.88 लाख टन उठा चुके हैं राज्य
उन्होनें बताया कि पीएमजीकेएवाई योजना के तहत राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लगभग 20 करोड़ परिवारों को तीन महीनें तक एक किलो दाल प्रति परिवार, प्रति महीना फ्री में आवंटित की जा रही हैं इसके तहत 24 मई तक केंद्र सरकार 5.88 लाख टन दालों का आवंटन कर चुकी है, तथा 4.44 लाख टन दालें राज्यों को भेजी भी जा चुकी है, जिसमें से राज्य सरकारों ने 3.38 लाख टन का उठाव किया है। पीएमजीएवाई के तहत देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लाभार्थी परिवार को हर महीने पांच किलो गेहूं या चावल और प्रत्येक राशन कार्ड पर एक किलो दाल मुफ्त अप्रैल से जून तक देने का प्रावधान किया है
एनजीओ व स्वयंसेवी संस्थाओं को 886 टन गेहूं एवं 7,778 टन चावल का आवंटन किया गया
भारतीय खाद्य निगम के अनुसार राहत केन्द्र एवं लंगर चला रहे एनजीओ व स्वयंसेवी संस्थाओं को लॉकडाउन की अवधि के दौरान अब तक 21 रुपये प्रति किलो की दर से 886 टन गेहूं व 22 रुपये प्रति किलो की दर से 7,778 टन चावल दिया गया है। एफसीआई के अनुसार पश्चिम बंगाल सरकार ने बगैर ई-नीलामी के खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत 11,800 टन चावल देने का अनुरोध किया है, लेकिन ओडिशा सरकार द्वारा अभी तक खाद्यान्न की कोई जरुरत नहीं बताई गई है।...  आर एस राणा