आर एस राणा
नई दिल्ली। देश से चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का कुल निर्यात 50 लाख टन से भी कम रहने का अनुमान है पेराई सीजन के पहले आठ महीनों में केवल 42 लाख टन चीनी का ही निर्यात हो पाया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय चीनी को ब्राजील से कड़ी शिकस्त मिल रही है, ऐसे में अगले चार महीनों में आठ लाख टन निर्यात की संभावना कम है। केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन के लिए 60 लाख टन चीनी के निर्यात का लक्ष्य तय किया था।
कोरोना वायरस के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के बाद ब्राजील ने गन्ने की एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया है, जिस कारण ब्राजील से चीनी के निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जानकार बताते हैं कि एक तरफ कच्चे तेल की मांग घटने से एथनॉल की मांग कम हो गई, वहीं चीनी का दाम बढ़ने से एथनॉल के बजाय चीनी बनाने में लाभ ज्यादा होने लगा। यही कारण है कि ब्राजील ने एथनॉल के बजाए चीनी के उत्पादन पर जोर दिया।
ब्राजील की करीब 100 लाख टन चीनी वैश्विक बाजार में आ चुकी है
उद्योग संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने बताया, ब्राजील की चीनी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आने के बाद भारत से निर्यात सौदों में पहले की तुलना में कमी आई है इसलिए चालू सीजन में देश से चीनी करा निर्यात 50 लाख टन से कम ही रहने की आशंका है। उन्होंने बताया कि ब्राजील की करीब 100 लाख टन चीनी वैश्विक बाजार में आ चुकी है। भारत सरकार ने चालू पेराई सीजन 2019-20 में चीनी मिलों को एमएईक्यू यानी अधिकतम स्वीकार्य निर्यात परिमाण के तहत 60 लाख टन तक चीनी निर्यात की अनुमति दी हुई है जिस पर केंद्र सरकार चीनी मिलों को प्रति टन 10,448 रुपये की दर से निर्यात सब्सिडी दे रही है। नाइकनवरे ने बताया कि न सिर्फ निर्यात कम होने की उम्मीद है, बल्कि कोरोना वायरस के कारण अप्रैल और मई में घरेलू खपत भी कम होने से चालू सीजन में पूर्व अनुमान से करीब 20 लाख टन कम रह सकती है।
कोरोना वायरस के कारण बड़ी कंपनियों की मांग पिछले दो महीनों में सामान्य से कम रही
उन्होंने कहा कि आइस्क्रीम और शीतल पेय कंपनियों की चीनी में गर्मी में मांग बढ़ती है है वह इस साल कोरोना वायरस के कारण नहीं बढ़ी। वैसे भी चीनी की कुल खपत में 60 फीसदी हिस्सेदारी बड़ी कंपनियों की ही होती है। उन्होंने कहा कि होटल, रेस्तरां, मॉल, कैंटीन आदि लॉकडाउन के दौरान बंद होने से आइस्क्रीम और शीतल पेय कंपनियों की मांग सामान्य से काफी कम रही। हालांकि होटल, रेस्तरां व कैंटीन अब कई जगहों पर खुल जायेंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि गरमी की मांग तो निकल ही चुकी है। हालांकि आगे चीनी की मांग में सुधार आयेगा, जिससे कीमतें भी बढ़ेगी लेकिन घरेलू खपत फिर भी 240 लाख टन से ज्यादा होने की उम्मीद नहीं है।
चीनी की सालाना घरेलू खपत 240 लाख टन होने का अनुमान
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने भी पिछले दिनों जारी एक बयान में कहा कि, चालू सीजन 2019-20 में चीनी की घरेलू खपत 240 लाख टन और निर्यात करीब 50 लाख टन रह सकता है। चालू सीजन में चीनी का उत्पादन 270 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पेराई सीजन के आरंभ पहली अक्टूबर 2019 को पिछले साल का बकाया 145 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक भी बचा हुआ था। ऐसे में आगामी पेराई सीजन के आरंभ में बकाया स्टॉक 125 लाख टन के आसपास बचने का अनुमान है।......... आर एस राणा
नई दिल्ली। देश से चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी का कुल निर्यात 50 लाख टन से भी कम रहने का अनुमान है पेराई सीजन के पहले आठ महीनों में केवल 42 लाख टन चीनी का ही निर्यात हो पाया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय चीनी को ब्राजील से कड़ी शिकस्त मिल रही है, ऐसे में अगले चार महीनों में आठ लाख टन निर्यात की संभावना कम है। केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन के लिए 60 लाख टन चीनी के निर्यात का लक्ष्य तय किया था।
कोरोना वायरस के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट के बाद ब्राजील ने गन्ने की एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया है, जिस कारण ब्राजील से चीनी के निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जानकार बताते हैं कि एक तरफ कच्चे तेल की मांग घटने से एथनॉल की मांग कम हो गई, वहीं चीनी का दाम बढ़ने से एथनॉल के बजाय चीनी बनाने में लाभ ज्यादा होने लगा। यही कारण है कि ब्राजील ने एथनॉल के बजाए चीनी के उत्पादन पर जोर दिया।
ब्राजील की करीब 100 लाख टन चीनी वैश्विक बाजार में आ चुकी है
उद्योग संगठन नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज (एनएफसीएसएफ) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने बताया, ब्राजील की चीनी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आने के बाद भारत से निर्यात सौदों में पहले की तुलना में कमी आई है इसलिए चालू सीजन में देश से चीनी करा निर्यात 50 लाख टन से कम ही रहने की आशंका है। उन्होंने बताया कि ब्राजील की करीब 100 लाख टन चीनी वैश्विक बाजार में आ चुकी है। भारत सरकार ने चालू पेराई सीजन 2019-20 में चीनी मिलों को एमएईक्यू यानी अधिकतम स्वीकार्य निर्यात परिमाण के तहत 60 लाख टन तक चीनी निर्यात की अनुमति दी हुई है जिस पर केंद्र सरकार चीनी मिलों को प्रति टन 10,448 रुपये की दर से निर्यात सब्सिडी दे रही है। नाइकनवरे ने बताया कि न सिर्फ निर्यात कम होने की उम्मीद है, बल्कि कोरोना वायरस के कारण अप्रैल और मई में घरेलू खपत भी कम होने से चालू सीजन में पूर्व अनुमान से करीब 20 लाख टन कम रह सकती है।
कोरोना वायरस के कारण बड़ी कंपनियों की मांग पिछले दो महीनों में सामान्य से कम रही
उन्होंने कहा कि आइस्क्रीम और शीतल पेय कंपनियों की चीनी में गर्मी में मांग बढ़ती है है वह इस साल कोरोना वायरस के कारण नहीं बढ़ी। वैसे भी चीनी की कुल खपत में 60 फीसदी हिस्सेदारी बड़ी कंपनियों की ही होती है। उन्होंने कहा कि होटल, रेस्तरां, मॉल, कैंटीन आदि लॉकडाउन के दौरान बंद होने से आइस्क्रीम और शीतल पेय कंपनियों की मांग सामान्य से काफी कम रही। हालांकि होटल, रेस्तरां व कैंटीन अब कई जगहों पर खुल जायेंगे, लेकिन उन्होंने कहा कि गरमी की मांग तो निकल ही चुकी है। हालांकि आगे चीनी की मांग में सुधार आयेगा, जिससे कीमतें भी बढ़ेगी लेकिन घरेलू खपत फिर भी 240 लाख टन से ज्यादा होने की उम्मीद नहीं है।
चीनी की सालाना घरेलू खपत 240 लाख टन होने का अनुमान
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने भी पिछले दिनों जारी एक बयान में कहा कि, चालू सीजन 2019-20 में चीनी की घरेलू खपत 240 लाख टन और निर्यात करीब 50 लाख टन रह सकता है। चालू सीजन में चीनी का उत्पादन 270 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पेराई सीजन के आरंभ पहली अक्टूबर 2019 को पिछले साल का बकाया 145 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक भी बचा हुआ था। ऐसे में आगामी पेराई सीजन के आरंभ में बकाया स्टॉक 125 लाख टन के आसपास बचने का अनुमान है।......... आर एस राणा
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