आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार गम और सीड में निर्यात मांग कम होने के बावजूद भी लॉकडाउन के दौरान करीब 15 फीसदी की तेजी आई थी, लेकिन चालू सीजन में अच्छे मानसून से बुआई ज्यादा होने का अनुमान है। इसलिए तेजी टिक नहीं पाई।
24 मार्च को लॉकडाउन लगते ही 3,190 रुपये का निचला स्तर छूने के बाद ग्वार सीड वायदा में करीब 15 फीसदी की तेजी आई। वहीं ग्वार गम का भाव भी 4,710 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर से सुधरकर करीब 4 महीने का ऊपरी स्तर छू चुका है। हालांकि अब ऊपरी स्तर से कुछ दबाव भी दिखने लगा है। ऐसे में राजस्थान और हरियाणा के कारोबारियों ने इसमें भारी सट्टेबाजी की आशंका जताई है। जिस अवधि में ग्वार वायदा की कीमतों में तेजी देखी गई है, उसी अवधि में इसके वॉल्यूम में भारी गिरावट दर्ज हुई है। एनसीडीईएक्स पर फरवरी के मुकाबले ग्वार गम का औसत दैनिक कारोबार जहां 55 फसीदी गिर चुका है। वहीं ग्वार सीड वायदा के एवरेज डेली टर्नओवर में 60 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज हुई है।
हरियाणा की जयभारत गम एंड केमिकल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मार्च के बाद से ही ग्वार गम का निर्यात लगभगब रुक सा गया है, जबकि इस दौरान भाव में तेजी बन गई। दूध की मांग में कमी और कीमतों में गिरावट से चूरी-कोरमा की मांग भी कमजोर बनी हुई है। आमतौर पशुचारे के तौर पर इनकी डिमांड बनी रहती थी, लेकिन कोरोना की मार चौतरफा पड़ी है।
ग्वार गम उत्पादों का निर्यात कम
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल से फरवरी के दौरान देश से 3,43,476 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हो सका है। जो एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले करीब 25 फीसदी कम है। एक साल पहले इस अवधि में 4,34,021 टन ग्वार गम का निर्यात हुआ था।
ग्वार सीड की बुआई में आयेगी तेजी
जानकारों के मुताबिक फरवरी से अमेरिका में कोरोना के मामले आने शुरु हो गए थे, लिहाजा उसके बाद मार्च में मुश्किल से 5-10 फीसदी ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हो सका। वहीं मार्च के अंतिम हफ्ते से भारत समेत तमाम खरीदार देशों में भी लॉकडाउन लग गया। ऐसे में अप्रैल और मई के दौरान ग्वार गम का निर्यात न के बराबर हुआ। राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में प्री-मानसून की बारिश अच्छी हुई है जिस कारण ग्वार सीड की बुआई में तेजी आई है। वैसे भी मक्का और बाजरा के दाम नीचे बने हुए हैं, जिस कारण ग्वार सीड की बुआई बढ़ने का अनुमान है। ............ आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार गम और सीड में निर्यात मांग कम होने के बावजूद भी लॉकडाउन के दौरान करीब 15 फीसदी की तेजी आई थी, लेकिन चालू सीजन में अच्छे मानसून से बुआई ज्यादा होने का अनुमान है। इसलिए तेजी टिक नहीं पाई।
24 मार्च को लॉकडाउन लगते ही 3,190 रुपये का निचला स्तर छूने के बाद ग्वार सीड वायदा में करीब 15 फीसदी की तेजी आई। वहीं ग्वार गम का भाव भी 4,710 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर से सुधरकर करीब 4 महीने का ऊपरी स्तर छू चुका है। हालांकि अब ऊपरी स्तर से कुछ दबाव भी दिखने लगा है। ऐसे में राजस्थान और हरियाणा के कारोबारियों ने इसमें भारी सट्टेबाजी की आशंका जताई है। जिस अवधि में ग्वार वायदा की कीमतों में तेजी देखी गई है, उसी अवधि में इसके वॉल्यूम में भारी गिरावट दर्ज हुई है। एनसीडीईएक्स पर फरवरी के मुकाबले ग्वार गम का औसत दैनिक कारोबार जहां 55 फसीदी गिर चुका है। वहीं ग्वार सीड वायदा के एवरेज डेली टर्नओवर में 60 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज हुई है।
हरियाणा की जयभारत गम एंड केमिकल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मार्च के बाद से ही ग्वार गम का निर्यात लगभगब रुक सा गया है, जबकि इस दौरान भाव में तेजी बन गई। दूध की मांग में कमी और कीमतों में गिरावट से चूरी-कोरमा की मांग भी कमजोर बनी हुई है। आमतौर पशुचारे के तौर पर इनकी डिमांड बनी रहती थी, लेकिन कोरोना की मार चौतरफा पड़ी है।
ग्वार गम उत्पादों का निर्यात कम
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल से फरवरी के दौरान देश से 3,43,476 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हो सका है। जो एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले करीब 25 फीसदी कम है। एक साल पहले इस अवधि में 4,34,021 टन ग्वार गम का निर्यात हुआ था।
ग्वार सीड की बुआई में आयेगी तेजी
जानकारों के मुताबिक फरवरी से अमेरिका में कोरोना के मामले आने शुरु हो गए थे, लिहाजा उसके बाद मार्च में मुश्किल से 5-10 फीसदी ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हो सका। वहीं मार्च के अंतिम हफ्ते से भारत समेत तमाम खरीदार देशों में भी लॉकडाउन लग गया। ऐसे में अप्रैल और मई के दौरान ग्वार गम का निर्यात न के बराबर हुआ। राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में प्री-मानसून की बारिश अच्छी हुई है जिस कारण ग्वार सीड की बुआई में तेजी आई है। वैसे भी मक्का और बाजरा के दाम नीचे बने हुए हैं, जिस कारण ग्वार सीड की बुआई बढ़ने का अनुमान है। ............ आर एस राणा
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