आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का अब तक प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। शुरुआती तीन हफ्तों में पहली जून से 20 जून के बीच देश में सामान्य से 30 फीसदी से अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। उत्तर-पश्चिम भारत जहां एक सप्ताह पहले तक काफी आगे था अब यहां बारिश महज़ एक फीसदी अधिक रह गई है। मानसून अभी तक देश के उत्तर पश्चिमी भागों में नहीं पहुंचा है। हालांकि रुक-रुक कर प्री-मानसून कीब वर्षा हो रही है। देश के मध्य भागों में अब तक मानसून ने अच्छी बारिश दी है। यहाँ सामान्य से लगभग 80 फीसदी अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। मध्य भारत में विदर्भ और ओडिशा को छोड़कर बाकी सभी भागों में सामान्य से ज़्यादा बारिश देखने को मिली है।
मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में अब तक सामान्य से 8 फीसदी अधिक वर्षा हुई है। पूर्वोत्तर भारत में नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में बारिश कम हुई है जबकि असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। पूर्वोत्तर राज्य भारत के सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्र हैं। दक्षिणी प्रायद्वीप में भी 14 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है। लेकिन तमिलनाडु और लक्षद्वीप दक्षिण भारत के कम वर्षा वाले क्षेत्र हैं।
मध्य भारत के अधिकांश राज्यों में समय से पहले पहुंचा मानसून
दक्षिण-पश्चिम मानसून 2020 की अब तक की प्रगति बहुत अच्छी रही है। मानसून समय से पहले गुजरात पहुंचा। समय से पहले इसने मध्य प्रदेश में दस्तक दी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी समय से एक सप्ताह पूर्व ही इसका आगमन हो गया। मानसून की उत्तरी सीमा 16 जून को कांडला, अहमदाबाद, इंदौर, रायसेन, खजुराहो, फ़तेहपुर और बहराइच तक पहुँच गई थी। पिछले 5 दिनों से यानि 20 जून तक इसमें प्रगति नहीं हुई। 20 जून को भी मानसून की उत्तरी रेखा इन्हीं स्थानों पर टिकी रही है।
अब स्थितियाँ मानसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल हैं
अब स्थितियाँ मानसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल बन रही हैं। स्काइमेट का आंकलन है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश पर बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र आगे बढ़ेगा, यही सिस्टम मानसून को फिर से आगे बढ़ाएगा। जल्द ही मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ और हिस्सों में मानसून दस्तक दे सकता है। साथ-साथ उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भी मानसून दस्तक दे सकता है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 जून या 25 जून तक उत्तर भारत में देगा दस्तक
अगले दो-तीन दिनों में मानसून के आगे बढ़ने के साथ-साथ उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में बारिश की गतिविधियां भी बढ़ेंगी। इस समय मध्य पाकिस्तान से पूर्वी भारत तक एक ट्रफ बनी हुई है। इससे पूर्वी हवाएँ बंगाल की खाड़ी से आने लगी हैं। इन हवाओं के कारण ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान कुछ स्थानाओं पर बारिश हुई है। हमारा अनुमान है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 जून या 25 जून तक उत्तर भारत में जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में पहुँच जाएगा। इससे पहले अगले 48 घंटों के दौरान राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तरी मध्य के कुछ हिस्सों में गरज और धूल भरी आंधी के साथ प्री-मानसून वर्षा हो सकती है। इसके बाद मानसून का आगमन इन भागों में हो जाएगा और झमाझम बारिश देखने को मिलेगी।............. आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून का अब तक प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। शुरुआती तीन हफ्तों में पहली जून से 20 जून के बीच देश में सामान्य से 30 फीसदी से अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। उत्तर-पश्चिम भारत जहां एक सप्ताह पहले तक काफी आगे था अब यहां बारिश महज़ एक फीसदी अधिक रह गई है। मानसून अभी तक देश के उत्तर पश्चिमी भागों में नहीं पहुंचा है। हालांकि रुक-रुक कर प्री-मानसून कीब वर्षा हो रही है। देश के मध्य भागों में अब तक मानसून ने अच्छी बारिश दी है। यहाँ सामान्य से लगभग 80 फीसदी अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। मध्य भारत में विदर्भ और ओडिशा को छोड़कर बाकी सभी भागों में सामान्य से ज़्यादा बारिश देखने को मिली है।
मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में अब तक सामान्य से 8 फीसदी अधिक वर्षा हुई है। पूर्वोत्तर भारत में नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में बारिश कम हुई है जबकि असम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा दर्ज की गई है। पूर्वोत्तर राज्य भारत के सबसे अधिक वर्षा वाले क्षेत्र हैं। दक्षिणी प्रायद्वीप में भी 14 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई है। लेकिन तमिलनाडु और लक्षद्वीप दक्षिण भारत के कम वर्षा वाले क्षेत्र हैं।
मध्य भारत के अधिकांश राज्यों में समय से पहले पहुंचा मानसून
दक्षिण-पश्चिम मानसून 2020 की अब तक की प्रगति बहुत अच्छी रही है। मानसून समय से पहले गुजरात पहुंचा। समय से पहले इसने मध्य प्रदेश में दस्तक दी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी समय से एक सप्ताह पूर्व ही इसका आगमन हो गया। मानसून की उत्तरी सीमा 16 जून को कांडला, अहमदाबाद, इंदौर, रायसेन, खजुराहो, फ़तेहपुर और बहराइच तक पहुँच गई थी। पिछले 5 दिनों से यानि 20 जून तक इसमें प्रगति नहीं हुई। 20 जून को भी मानसून की उत्तरी रेखा इन्हीं स्थानों पर टिकी रही है।
अब स्थितियाँ मानसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल हैं
अब स्थितियाँ मानसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल बन रही हैं। स्काइमेट का आंकलन है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश पर बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र आगे बढ़ेगा, यही सिस्टम मानसून को फिर से आगे बढ़ाएगा। जल्द ही मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ और हिस्सों में मानसून दस्तक दे सकता है। साथ-साथ उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भी मानसून दस्तक दे सकता है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 जून या 25 जून तक उत्तर भारत में देगा दस्तक
अगले दो-तीन दिनों में मानसून के आगे बढ़ने के साथ-साथ उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में बारिश की गतिविधियां भी बढ़ेंगी। इस समय मध्य पाकिस्तान से पूर्वी भारत तक एक ट्रफ बनी हुई है। इससे पूर्वी हवाएँ बंगाल की खाड़ी से आने लगी हैं। इन हवाओं के कारण ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों के दौरान कुछ स्थानाओं पर बारिश हुई है। हमारा अनुमान है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून 24 जून या 25 जून तक उत्तर भारत में जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अधिकांश हिस्सों में पहुँच जाएगा। इससे पहले अगले 48 घंटों के दौरान राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली और उत्तरी मध्य के कुछ हिस्सों में गरज और धूल भरी आंधी के साथ प्री-मानसून वर्षा हो सकती है। इसके बाद मानसून का आगमन इन भागों में हो जाएगा और झमाझम बारिश देखने को मिलेगी।............. आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें