कुल पेज दृश्य

24 जून 2020

उत्तर प्रदेश में इस साल 50 लाख टन गुड़ का उत्पादन - कारोबारी संगठन

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश ने इस साल चीनी के उत्पादन का जहां नया रिकॉर्ड बनाया है, वहीं गुड़ का उत्पादन भी राज्य में उम्मीद से ज्यादा हुआ है। कारोबारी संगठन का अनुमान है कि पूरे उत्तर प्रदेश में इस साल गुड़ का उत्पादन करीब 50 लाख टन है, जो औसत सालाना उत्पादन 45 लाख टन से 11 फीसदी ज्यादा है।
गुड़ का उत्पादन कुटीर एवं लघु उद्योग के अंतर्गत आता है और इस साल कोरोना काल में भी गुड़ का उत्पादन चालू था और खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल अच्छी होने के कारण गन्ने की आमद 15 जून तक बनी रही, जिस कारण उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।
गुड़ की दैनिक आवक अभी भी 400 से 500 कट्टों की
फेडरेशन ऑफ गुड़ ट्रेडर्स के प्रेसीडेंट अरुण खंडेलवाल ने बताया कि कोरोना काल में गुड़ का उत्पादन निर्बाध रूप से चल रहा था और गन्ने की आपूर्ति कोल्हू में निरंतर हो रही थी। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर इलाके में इस समय भी कुछ युनिट में उत्पादन चल रहा है और रोजाना करीब 400-500 कट्टों (एक कट्टे में 40 किलो) की आवक है। चीनी उद्योग संगठनों के अनुसार, लॉकडाउन के कारण गुड़ व खांडसारी यूनिट जल्दी बंद होने के कारण चीनी मिलों में गन्ने की आवक बढ़ जाने से इस साल उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। लेकिन खंडेलवाल का कहना है कि इस साल राज्य में गन्ने की बंफर फसल थी और रिकवरी भी अच्छी आई है, इसलिए चीनी ही नहीं, गुड़ का उत्पादन भी विगत कई वर्षो से ज्यादा है। चीनी मिलों का संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) द्वारा दो जून को जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार चालू पेराई सीजन 2019-20 (सितंबर-अक्टूबर) में 31 मई तक उत्तर प्रदेश में 125.46 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ जोकि राज्य में रिकॉर्ड है।
चालू सीजन में मांग भी अच्छी रही है गुड़ में
देश में सबसे ज्यादा गुड़ का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है, लेकिन रिकॉर्ड उत्पादन के आंकड़ों के बारे में पूछे जाने पर खंडेलवाल ने बताया कि 1990 से पहले बमुश्किल से 30-35 फीसदी गन्ने का इस्तेमाल चीनी मिलों में होता था, जबकि अब 65 फीसदी गन्ना मिलों को जाता है। उन्होंने बताया कि पश्मिी उत्तप्रदेश में इस साल करीब 30 लाख टन गुड़ का उत्पादन होने का अनुमान है। कोरोना काल में उत्पादन में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ गुड़ का कारोबार लाभकारी भी रहा है। कारोबारी सूत्र बताते हैं कि देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान जब शराब की दुकानें बंद हो गई थीं, उस समय गुड़ की मांग बढ़ गई थी, जिससे गुड़ के अच्छे दाम मिले।
गुड़ में मांग बनी रहने का अनुमान
कारोबारियों से मिली जानकारी के अनुसार, मुजफ्फरनगर स्थित कोल्ड स्टोरेज में इस समय तकरीबन 11.50 लाख कट्टे गुड़ का स्टॉक है, इसके अलावा प्रदेश में अन्य जगहों पर स्थित कोल्ड स्टोरेज में गुड़ का स्टॉक है। मुजफ्फरनगर देश में गुड़ का सबसे बड़ा बाजार है जहां से इस समय रोजाना 4,000 कट्टे गुड़ देश के विभिन्न हिस्सों में जाता है। कारोबारियों ने बताया कि इस समय बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान और गुजरात में यहां से गुड़ जा रहा है। बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गुड़ पाउडर का भाव 1,400-1,425 रुपये प्रति 40 किलो, चाकू का भाव 1,300-1,440 रुपये प्रति 40 किलो, पेड़ी व लड्डू का भाव 1,400-1,450 रुपये प्रति 40 किलो और गुड़ खुरपा का भाव 1,280-1,330 रुपये प्रति 40 किलो चल रहा है। खंडेलवाल ने बताया कि महाराष्ट्र के पुणे में अगला सीजन शुरू होने से पहले जून में ही गुड़ की फैक्टरी शुरू हो जाती है, लेकिन इस साल मजदूरों की कमी की वजह से शुरू नहीं हुई, इसलिए आने वाले दिनों में गुड़ के दाम में मजबूती रह सकती है। ........... आर एस राणा

कोई टिप्पणी नहीं: