आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत के साथ राजनायिक तनातनी के बाद मलेशिया अब रिश्ते सुधारने की कवायद में जुटा है। इसके तहत उसने भारत से एक लाख टन चावल आयात के सौदे किए है। सूत्रों का दावा है कि वह आगे भी भारत से चावल खरीदेगा तथा कुल आयात करीब दो लाख टन का कर सकता है।
सूत्रों के मुताबिक मलेशिया के लिए इस साल की यह पहला एक्सपोर्ट डील है, जो पिछले 5 साल में भारत से वहां होने वाले सालाना औसतन निर्यात का दोगुना है। कोरोना वायरस से उपजे हालात की वजह से म्यांमार, वियतनाम और कंबोडिया जैसे भारत के प्रतिद्वंद्वी चावल निर्यातक देश इसके निर्यात पर अस्थाई तौर पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। कारोबारियों का मानना है कि मलेशिया की खरीद से भारत को अपना अतिरिक्त स्टॉक कम करने में मदद मिलेगी।
राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीवी कृष्णराव के मुताबिक काफी समय बाद मलेशिया भारत से चावल की भारी खरीद कर रहा है। निर्यातकों का दावा है कि मौजूदा माहौल में इस साल भारत से मलेशिया करीब 200,000 टन चावल खरीद सकता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 सालों में मलेशिया औसत रुप से हर साल भारत से करीब 53,000 टन ही चावल खरीदता रहा है जबकि पिछले साल मलेशिया ने भारत से 86,292 टन चावल का आयात किया था।
सूत्रों के मुताबिक फिलहाल मलेशिया को भारत 390-400 डॉलर प्रति टन के भाव चावल ऑफर कर रहा है। जबकि बाकि देशों के लिए भाव 450 डॉलर प्रति टन है। इस तरह से भारत बेहद सस्ते भाव पर मलेशिया को चावल उपलब्ध करा रहा है। इस साल जनवरी में भारत ने दुनिया के दूसरे सबसे बड़े पाम तेल उत्पादक देश मलेशिया से रिफाइंड पॉम तेल के आयात को प्रतिबंधित की श्रेणी में शामिल किया था। भारत मलेशियाई पाम तेल का सबसे बड़ा खरीदार रहा है। माना जा रहा है कि भारत ने नए नागरिकता कानून की मलेशियाई प्रधानमंत्री द्वारा आलोचना किए जाने कि विरोध स्वरूप ये कठोर कदम उठाया था। भारत की इस नाराजगी भरे कदम के बाद मलेशिया से भारत से एग्री उत्पादों के आयात को बढ़ावा दे रहा है। चावल से पहले मलेशिया ने भारत से चीनी के आयात सौदे भी किए हैं।............ आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत के साथ राजनायिक तनातनी के बाद मलेशिया अब रिश्ते सुधारने की कवायद में जुटा है। इसके तहत उसने भारत से एक लाख टन चावल आयात के सौदे किए है। सूत्रों का दावा है कि वह आगे भी भारत से चावल खरीदेगा तथा कुल आयात करीब दो लाख टन का कर सकता है।
सूत्रों के मुताबिक मलेशिया के लिए इस साल की यह पहला एक्सपोर्ट डील है, जो पिछले 5 साल में भारत से वहां होने वाले सालाना औसतन निर्यात का दोगुना है। कोरोना वायरस से उपजे हालात की वजह से म्यांमार, वियतनाम और कंबोडिया जैसे भारत के प्रतिद्वंद्वी चावल निर्यातक देश इसके निर्यात पर अस्थाई तौर पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। कारोबारियों का मानना है कि मलेशिया की खरीद से भारत को अपना अतिरिक्त स्टॉक कम करने में मदद मिलेगी।
राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीवी कृष्णराव के मुताबिक काफी समय बाद मलेशिया भारत से चावल की भारी खरीद कर रहा है। निर्यातकों का दावा है कि मौजूदा माहौल में इस साल भारत से मलेशिया करीब 200,000 टन चावल खरीद सकता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 5 सालों में मलेशिया औसत रुप से हर साल भारत से करीब 53,000 टन ही चावल खरीदता रहा है जबकि पिछले साल मलेशिया ने भारत से 86,292 टन चावल का आयात किया था।
सूत्रों के मुताबिक फिलहाल मलेशिया को भारत 390-400 डॉलर प्रति टन के भाव चावल ऑफर कर रहा है। जबकि बाकि देशों के लिए भाव 450 डॉलर प्रति टन है। इस तरह से भारत बेहद सस्ते भाव पर मलेशिया को चावल उपलब्ध करा रहा है। इस साल जनवरी में भारत ने दुनिया के दूसरे सबसे बड़े पाम तेल उत्पादक देश मलेशिया से रिफाइंड पॉम तेल के आयात को प्रतिबंधित की श्रेणी में शामिल किया था। भारत मलेशियाई पाम तेल का सबसे बड़ा खरीदार रहा है। माना जा रहा है कि भारत ने नए नागरिकता कानून की मलेशियाई प्रधानमंत्री द्वारा आलोचना किए जाने कि विरोध स्वरूप ये कठोर कदम उठाया था। भारत की इस नाराजगी भरे कदम के बाद मलेशिया से भारत से एग्री उत्पादों के आयात को बढ़ावा दे रहा है। चावल से पहले मलेशिया ने भारत से चीनी के आयात सौदे भी किए हैं।............ आर एस राणा
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