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16 मई 2024

विश्व बाजार में भाव कमजोर होने से गुजरात में दो दिनों में कॉटन 850 रुपये टूटी

नई दिल्ली। विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में आई मंदी से घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर बनी हुई है तथा पिछले दो दिनों में गुजरात में कॉटन की कीमतों में जहां 850 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आया है, वहीं इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतें 75 रुपये प्रति मन तक कमजोर हुई।


गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव बुधवार को 550 रुपये कमजोर होकर 56,400 से 56,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। इसकी कीमतों में मंगलवार को भी 400 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आया था।

इस दौरान पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 75 रुपये नरम होकर 5675 से 5700 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 75 घटकर 5585 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 75 रुपये नरम होकर 5375 से 5800 रुपये प्रति मन बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 31,400 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

विश्व बाजार में मंगलवार को कॉटन की कीमतें कमजोर होकर दो सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गई थी। अनुकूल मौसम के साथ ही कपास की बुआई में बढ़ोतरी से कीमतों पर दबाव देखा गया। हालांकि आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में बुधवार को शाम के सत्र में सुधार आया।

व्यापारियों के अनुसार स्पिनिंग मिलों की मांग घटने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम लगातार दूसरे दिन भी कमजोर हो गए। व्यापारियों के अनुसार शाम के सत्र में आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में सुधार आया, लेकिन सुबह के सत्र में दाम कमजोर खुले थे। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिल कॉटन की खरीद केवल जरुरत के हिसाब से ही कर रही हैं। देशभर की बड़ी स्पिनिंग मिलों के पास सवा से डेढ़ महीने की खपत का कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, जबकि छोटी मिलों के पास केवल 20 से 25 दिनों की खपत की कॉटन ही है। सूती धागे में मांग स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है। हालांकि आगामी दिनों में स्पिनिंग मिलों को कॉटन की खरीद करनी होगी। सीसीआई के कॉटन के बिक्री दाम हाजिर बाजार के भाव की तुलना में ऊंचे हैं। उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में आगामी दिनों में कमी आने का अनुमान है। इस सब के बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी विश्व बाजार के दाम पर ही निर्भर करेगी।

उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में 30 अप्रैल 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 281.96 लाख गांठ की हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी आवक 224.17 लाख गांठ की ही हुई थी। हालांकि सीएआई ने चालू सीजन में कॉटन के उत्पादन का अनुमान 309.07 लाख गांठ के पूर्व स्तर पर ही रखा है, जबकि इसके पिछले साल उत्पादन 318.90 लाख गांठ का हुआ था। अत: चालू सीजन में कॉटन का उत्पादन अनुमान कम होने के बावजूद भी 30 अप्रैल 2024 तक कॉटन की आवकों में 25.77 फीसदी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई हैं। ऐसे में व्यापारियों का मानना है कि उद्योग अगली बैठक में उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी कर सकता है।

चालू तेल वर्ष की पहली छमाही में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 12 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। चालू तेल वर्ष 2023-24 के पहले छह महीनों नवंबर 23 से अप्रैल 24 के दौरान देश में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 12 फीसदी घटकर 7,148,643 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 8,110,381 टन का हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अप्रैल में खाद्वय एवं अखाद्य तेलों का आयात 26 फीसदी बढ़कर 1,318,528 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अप्रैल में इनका आयात 1,050,189 टन का हुआ था। अप्रैल 2024 के दौरान खाद्वय तेलों का आयात 1,304,409 टन का एवं अखाद्य तेलों का आयात 14,119 टन का हुआ है।

विश्व बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में पिछले एक महीने में गिरावट का रुख रहा, जिससे अप्रैल के दौरान आयात को बढ़ावा मिला। आरबीडी पामोलिन और सीपीओ की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में इस दौरान लगभग 100 डॉलर प्रति टन की गिरावट आई, जबकि सोया तेल की कीमतों में 40 डॉलर प्रति टन और सूरजमुखी तेल की कीमत में 15 डॉलर प्रति टन की गिरावट आई।

6 से 8 मई 2024 के दौरान दुबई में आयोजित ग्लोबोइल इंटरनेशनल में दोराब मिस्त्री ने सस्ते बायोडीजल विकल्पों के कारण शिकागो में सोया तेल वायदा के लिए चल रही चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि यूएस सोया तेल विश्व स्तर पर सबसे महंगा खाद्वय तेल बन गया। साथ ही कैनोला की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। सनफ्लावर तेल की कीमतें निचले स्तर पर पहुंचने के बाद कीमतें स्थिर होती नजर आ रही हैं। आगामी दिनों में खाद्वय तेलों की कीमतें उत्तरी अमेरिका में मौसम का बदलाव, पाम उत्पादन की स्थिति के साथ ही बायोडीजल में मांग कैसी रहती है इस पर निर्भर करेंगी। हालांकि वायदा में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। दोराब मिस्त्री ने भविष्यवाणी की है कि मई एवं जून 2024 के दौरान बीएमडी पर पाम तेल वायदा 3700 से 4300 रिगिंट प्रति टन के बीच व्यापार करेगा।

चालू तेल वर्ष तेल 2023-24 के पहले छह महीनों नवंबर 23 से अप्रैल 24 के दौरान आरबीडी पामोलिन का आयात 8 फीसदी कम होकर 1,010,835 टन का हुआ है, जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इसका आयात 1,101,347 टन का हुआ था। इस दौरान क्रूड तेल के आयात में 12 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 6,058,806 का हुआ जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इसका आयात 6,900,689 टन का हुआ था।  

मार्च के मुकाबले अप्रैल में आयातित खाद्वय तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। अप्रैल में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलिन का भाव घटकर 972 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि मार्च में इसका दाम 988 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रूड पाम तेल का दाम अप्रैल में घटकर 999 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि मार्च में इसका भाव 1,018 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सोयाबीन तेल का भाव अप्रैल में घटकर भारतीय बंदरगाह पर 989 डॉलर प्रति टन का रह गया, जबकि मार्च में इसका भाव 995 डॉलर प्रति टन था। क्रूड सनफ्लावर तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर मार्च के 964 डॉलर से बढ़कर अप्रैल में 970 डॉलर प्रति टन हो गया।

तेल मिलों की मांग से बिनौला तेज, कपास खली एवं कॉटन वॉश में मिलाजुला रुख

नई दिल्ली। तेल मिलों की खरीद बढ़ने से सोमवार को घरेलू बाजार में बिनौला की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि इस दौरान कपास खली के साथ ही कॉटन वॉश की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा।


तेल मिलों मांग बढ़ने से बिनौले के भाव उत्तर भारत के राज्यों में तेज हो गए। हरियाणा में बिनौले के भाव 200 रुपये तेज होकर दाम 2450 से 2950 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान श्रीगंगानगर लाइन में बिनौला के भाव 100 रुपये तेज होकर दाम 2450 से 2900 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। बिनौला के दाम पंजाब में 50 रुपये तेज होकर 2400 से 2700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। महाराष्ट्र के जालना में बिनौला की कीमतें तेज होकर 3,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।

व्यापारियों के अनुसार विश्व बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में तेजी आई है, जिस कारण घरेलू बाजार में तेल मिलों की खरीद बिनौला में बढ़ी है। चालू सीजन में कॉटन का उत्पादन अनुमान कम है तथा भाव पहले ही काफी नीचे आ चुके थे। ऐसे में इसकी कीमतों में स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से हल्की नरमी तो आ सकती है लेकिन भविष्य तेजी का ही है।

विश्व बाजार में खाद्वय तेलों में तेजी का रुख रहा, इसके बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन वॉश की कीमतें स्थिर बनी रही। धुले में कॉटन वॉश के दाम 920 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। इस दौरान जालना में कॉटन वॉश के भाव 905 रुपये प्रति 10 किलो बोले गए। गुजरात डिलीवरी कॉटन वॉश की कीमतें 940 से 945 रुपये प्रति दस किलो के स्तर पर स्थिर हो गई।

जानकारों के अनुसार चीन के खाद्वय तेल बाजार तेज होने से विश्व बाजार में इनके दाम तेज हुए हैं, हालांकि मलेशिया से निर्यात में कमी आई है, साथ ही वहां बकाया स्टॉक बढ़ रहा है। उधर ब्राजील में भी सोयाबीन की फसल को प्रतिकूल मौसम से पहले की तुलना में कम नुकसान की आशंका है। ऐसे में घरेलू बाजार में खाद्वय तेलों की कीमतों में नरमी आ सकती है, जिसका असर कॉटन वॉश की कीमतों पर पड़ेगा।

खपत राज्यों की मांग आने के कारण कपास खली की कीमतें स्थिर से तेज हुई। सेलु में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली की कीमतें तेज होकर 2,980 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। इस दौरान भोकर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के दाम 2,930 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। शाहपुर में रेगुलर क्वालिटी की कपास खली के दाम तेज होकर भाव 3,020 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गए।

कपास खली का स्टॉक कम है, तथा तेल मिलों को मौजूदा कीमतों में पड़ते नहीं लग रहे। इसलिए इसकी कीमतों में आगे और भी सुधार बन सकता है।

चालू सीजन में अप्रैल अंत तक कॉटन का निर्यात 79.16 फीसदी बढ़ा - सीएआई

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में 30 अप्रैल 2024 तक कॉटन के निर्यात में 79.16 फीसदी की  भारी बढ़ोतरी होकर कुल शिपमेंट 20.50 लाख गांठ, एक गांठ 170 किलोग्राम की हो चुकी है।


जानकारों के अनुसार विश्व बाजार में भारतीय रुई सस्ती होने के कारण मार्च तक निर्यात सौदों में बढ़ोतरी हुई थी, हालांकि महीने भर से आईसीई कॉटन वायदा की कीमतों में गिरावट आई है, जिस कारण निर्यात सौदों में पहले की तुलना में कमी आई है।

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन में 22 लाख गांठ कॉटन के निर्यात का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 15.50 लाख गांठ से 6.50 लाख गांठ ज्यादा है।

सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन में कॉटन का आयात 20.40 लाख गांठ होने का अनुमान है, जोकि पिछले फसल सीजन की तुलना में 7.90 लाख गांठ ज्यादा है। पिछले साल कॉटन का आयात 12.50 लाख गांठ का ही हुआ था। 30 अप्रैल 2024 तक पांच लाख गांठ कॉटन भारतीय बंदरगाह पर पहुंच चुकी है, जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में सात लाख गांठ कॉटन का आयात हो चुका था।

उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में 30 अप्रैल 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन  की आवक 281.96 लाख गांठ की हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी आवक 224.17 लाख गांठ की ही हुई थी। हालांकि सीएआई ने चालू सीजन में कॉटन के उत्पादन का अनुमान 309.07 लाख गांठ के पूर्व स्तर पर ही रखा है, जबकि इसके पिछले साल उत्पादन 318.90 लाख गांठ का हुआ था। अत: चालू सीजन में कॉटन का उत्पादन अनुमान कम होने के बावजूद भी 30 अप्रैल 2024 तक कॉटन की आवकों में 25.77 फीसदी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई हैं।  

30 अप्रैल 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 101.86 लाख गांठ का बचा हुआ है, जिसमें से 40.50 लाख गांठ स्पिनिंग मिलों के पास है जोकि करीब 45 दिनों की खपत के अनुरूप है। इसके अलावा 61.36 लाख गांठ कॉटन का स्टॉक सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन और एमएनसी के अलावा एमसीएक्स, व्यापारियों तथा जिनर्स के पास है।  

उद्योग ने पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2023-24 में कॉटन के उत्पादन अनुमान को 309.70 लाख गांठ के पूर्व अनुमान पर बरकरार रखा है जबकि फसल सीजन 2022-23 में देशभर में 318.90 लाख गांठ कॉटन का उत्पादन हुआ था।

सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2023 को कॉटन का बकाया स्टॉक 28.90 लाख गांठ का बचा हुआ था, जबकि 309.70 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है। चालू सीजन में करीब 20.40 लाख गांठ कॉटन का आयात होने की उम्मीद है। ऐसे में कुल उपलब्धता 359 लाख गांठ की बैठेगी। चालू फसल सीजन में कॉटन की कुल घरेलू खपत 317 लाख गांठ होने का अनुमान है।

चालू फसल सीजन के अंत में 30 सितंबर 2024 को कॉटन का बकाया स्टॉक 20 लाख गांठ बचने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले साल की समान अवधि के 28.90 लाख गांठ की तुलना में कम है।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में कपास का उत्पादन 323.11 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है।

चालू फसल सीजन के पहले सात महीनों में सोया डीओसी का निर्यात 8.78 फीसदी बढ़ा - सोपा

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले सात महीनों अक्टूबर से अप्रैल के दौरान सोया डीओसी के निर्यात में 8.78 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 15.23 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 14 लाख टन का ही हुआ था।


सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले सात महीनों अक्टूबर से अप्रैल के दौरान 60.76 लाख टन सोया डीओसी का उत्पादन हुआ है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 60.26 लाख टन की तुलना में ज्यादा है। नए सीजन के आरंभ में 1.17 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 0.24 लाख टन का आयात हुआ है। इस दौरान 4.95 लाख टन सोया डीओसी की खपत फूड में एवं 40 लाख टन की फीड में हुई है। अत: मिलों के पास पहली मई 2024 को 1.99 लाख टन सोया डीओसी का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.98 लाख टन से थोड़ा ज्यादा है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले सात महीनों अक्टूबर से अप्रैल के दौरान देशभर की मंडियों में 82 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जोकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि के 84 लाख टन से कम है। इस दौरान 77 लाख टन सोयाबीन की क्रॉसिंग हो चुकी है जबकि 3.10 लाख टन की सीधी खपत एवं 0.04 लाख टन का निर्यात हुआ है। अत: प्लांटों, स्टॉकिस्टों तथा किसानों के पास पहली मई 2024 को 55.41 लाख टन सोयाबीन का स्टॉक बचा हुआ था, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 61.04 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन 2023-24 के दौरान देश में 118.74 लाख टन सोयाबीन के उत्पादन का अनुमान है, जबकि नई फसल की आवकों के समय 24.07 लाख टन का बकाया स्टॉक था। अत: चालू फसल सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता 142.81 लाख टन की बैठेगी, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 149.26 लाख टन की तुलना में कम है।

10 मई 2024

सीसीआई ने कॉटन के बिक्री भाव 500 रुपये बढ़ाए, निगम के पास 26.30 लाख गांठ का स्टॉक

नई दिल्ली। विश्व बाजार में 8 मई को कॉटन की कीमतों में तीन अंकों की तेजी आई थी, अत: कॉटन कॉर्पोरेशन इंडिया, सीसीआई ने गुरुवार को कॉटन की नीलामी कीमतों में 500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी 356 किलो) तक की बढ़ोतरी की। निगम के पास 8 मई को 26.30 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ है।


सूत्रों के अनुसार सीसीआई ने 8 मई को 10,684 गांठ (एक गांठ 170 किलो) कॉटन की बिक्री की थी, तथा चालू सीजन में सरकारी एजेंसी अभी तक 6.65 गांठ कॉटन की बिक्री कर चुकी है। अत: निगम के पास 8 मई को 26.30 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ है। पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू सीजन में निगम ने 32.95 लाख गांठ कॉटन की खरीद की थी तथा कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश की है।

व्यापारियों के अनुसार 8 मई को कॉटन के दाम तेज होकर बंद हुए थे, लेकिन गुरुवार को शाम के सत्र में आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में इसकी कीमतों में तीन अंकों की गिरावट दर्ज की गई। ऐसे में घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। जानकारों के अनुसार देशभर की अधिकांश छोटी स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, जबकि खपत का सीजन होने के कारण आगामी दिनों में सूती धागे में मांग बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए स्पिनिंग मिलों को कॉटन की खरीद करनी होगी। सीसीआई के कॉटन के बिक्री भाव हाजिर बाजार के भाव की तुलना में ऊंचे हैं तथा उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में आगामी दिनों में कमी आने का अनुमान है। इसके बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी विश्व बाजार के दाम पर ही ज्यादा निर्भर करेगी।

स्पिनिंग मिलों की मांग सुधरने के कारण गुरुवार को दोपहर बाद गुजरात में कॉटन की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि उत्तर भारत के राज्यों में इसके दाम स्थिर हो गए।

गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 50 रुपये तेज होकर 57,300 से 57,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो हो गए।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 5750 से 5800 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5725 से 5750 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 5450 से 5925 रुपये प्रति मन बोले गए। खैरथल लाइन में कॉटन के दाम 57,400 से 57,600 रुपये कैंडी, एक कैंडी-356 किलो बोले गए।

देशभर की मंडियों में कपास की आवक 35,600 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।

घरेलू वायदा बाजार एमसीएक्स के साथ ही एनसीडीएक्स पर आज शाम को कॉटन की कीमतों में शाम को नरमी का रुख रहा। उधर आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में शाम के सत्र में गिरावट दर्ज की गई।

उत्पादन अनुमान ज्यादा होने से कैस्टर सीड की कीमतों पर रहेगा दबाव

नई दिल्ली। चालू सीजन में कैस्टर सीड का उत्पादन अनुमान 11 फीसदी ज्यादा है, तथा लोकसभा चुनाव की वोटिंग होने के बाद गुजरात की मंडियों में कैस्टर सीड की दैनिक आवकों में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि कैस्टर तेल के निर्यात में फरवरी में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन उत्पादन अनुमान ज्यादा होने से कीमतों पर दबाव बना रहने की उम्मीद है।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार फसल सीजन 2022-23 में देश में कैस्टर सीड का उत्पादन 18.81 लाख टन  होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले साल के 16.94 लाख टन की तुलना में 11 फीसदी ज्यादा है।

गुजरात की मंडियों में बुधवार में कैस्टर सीड की आवक 1,85,000 बोरियों की हुई तथा इसके भाव 1,075 से 1,095 रुपये प्रति 20 किलो पर स्थिर हो गए। गोंडल में कैस्टर सीड के भाव 1,060से 1,086 रुपये और जूनागढ़ में 1,040 से 1,085 रुपये तथा जामनगर मंडी में 1,030 से 1,085 रुपये प्रति 20 किलो रहे।

राजकोट में कमर्शियल कैस्टर तेल के दाम 1,125 रुपये और एफएसजी के दाम 1,135 रुपये प्रति 10 किलो पर स्थिर हो गए। जानकारों के अनुसार चालू सीजन में कैस्टर सीड का उत्पादन अनुमान ज्यादा है तथा आगामी दिनों आवकों में और बढ़ोतरी, इसलिए मौजूदा कीमतों में मंदा ही आने का अनुमान है।

एसईए के अनुसार फरवरी में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 56,561 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल फरवरी में इसका निर्यात केवल 47,340 टन का ही हुआ था। चालू साल के पहले दो महीनों जनवरी एवं फरवरी में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 107,508 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल के पहले दो महीनों में निर्यात 98,861 टन का ही हुआ था।

एसईए के अनुसार मूल्य के हिसाब से वर्ष 2024 के पहले 2 महीनों जनवरी एवं फरवरी में कैस्टर तेल का निर्यात घटकर 1,321.71 करोड़ रुपये का ही हुआ है, जबकि पिछले वर्ष 2023 की समान अवधि में मूल्य के हिसाब से निर्यात 1,458.66 करोड़ रुपये का हुआ था।

07 मई 2024

समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद 211 लाख टन के पार, विश्व में सबसे सस्ता गेहूं यूक्रेन एवं रसिया का

नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 में प्रमुख उत्पादक राज्यों से 211.33 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर हो चुकी है। अभी तक कुल सरकारी खरीद में पंजाब और हरियाणा का योगदान सबसे ज्यादा है।


केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार पंजाब से चालू रबी में 97.81 लाख टन, हरियाणा से 62.77 लाख टन, उत्तर प्रदेश से 6.41 लाख टन और मध्य प्रदेश से 39.10 लाख टन गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है।

राजस्थान से चालू रबी में 5.12 लाख टन, हिमाचल से 1707.45 टन, उत्तराखंड से 101.35 टन तथा बिहार से 7,419.56 टन गेहूं की खरीद एमएसपी पर हुई है।

व्यापारियों के अनुसार पिछले साल गेहूं के दाम उंचे रहे थे, जिस कारण चालू सीजन में स्टॉकिस्टों के साथ ही मिलर्स की खरीद में तेजी आई है। कई राज्यों में किसानों ने भी गेहूं रोक लिया है। इसलिए मध्य प्रदेश से चालू रबी में गेहूं की खरीद पिछड़ रही है। जानकारों का मानना है कि गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद 270 से 280 लाख टन तक ही होने का अनुमान है।

सूत्रों के अनुसार महंगाई को लेकर केंद्र सरकार सख्त है, तथा गेहूं की खरीद अगर 300 लाख टन से कम हुई तो फिर सरकार गेहूं के आयात की अनुमति दे सकती है। इस समय सबसे सस्ता गेहूं यूक्रेन एवं रसिया का है। यूक्रेन में गेहूं के दाम 200 डॉलर प्रति टन है, जबकि परिवहन लागत एवं अन्य खर्च जोड़ दिए जाए तो इसकी कीमतें भारतीय बंदरगाह पर पहुंच करीब 280 से 285 डॉलर प्रति टन बैठेगी। यूक्रेन में नए गेहूं की आवक जून एवं जुलाई में बनेगी।

रसिया में गेहूं का भाव 210 से 212 डॉलर प्रति टन तथा इसमें परिवहन लागत एवं अन्य खर्च मिलाकर इसका भाव भारतीय बंदरगाह पर 290 से 295 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ होगा। रसिया में भी नया गेहूं जून एवं जुलाई में आयेगा।

आस्ट्रेलिया में गेहूं के दाम 238 से 240 डॉलर प्रति टन है, तथा इसमें परिवहन लागत एवं अन्य खर्च मिलाकर इसका भाव भारतीय बंदरगाह पर 280 से 285 डॉलर प्रति टन सीएडंएफ होगा। हालांकि ऑस्ट्रेलिया में नए गेहूं की आवक नवंबर एवं दिसंबर में बनेगी।

पंजाब से चालू रबी में गेहूं की खरीद का लक्ष्य 130 लाख टन तथा हरियाणा और मध्य प्रदेश से क्रमश: 80-80 लाख टन का तय किया हुआ है।

केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 के लिए गेहूं का एमएसपी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। राजस्थान एवं मध्य प्रदेश की राज्य सरकार गेहूं की खरीद पर 125 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस किसानों को दें रही। अत: राजस्थान एवं मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद 2,400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रही है।

चालू रबी में भारतीय खाद्वय निगम, एफसीआई ने 372.9 लाख टन गेहूं की एमएसपी पर खरीद का लक्ष्य तय किया है। रबी विपणन सीजन 2023-24 में गेहूं की सरकारी खरीद 260.71 लाख टन की हुई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में देश में गेहूं का उत्पादन 11.20 करोड़ टन होने का अनुमान है।

गेहूं के दाम लारेंस रोड पर शनिवार को 2,470 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। 

04 मई 2024

चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन की बुआई ज्यादा

नई दिल्ली। चालू समर सीजन में धान के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाज की बुआई 7.20 फीसदी बढ़कर 72.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले समर सीजन में इनकी बुआई केवल 67.87 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।


कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू समर सीजन में 3 मई 24 तक देशभर के राज्यों में धान की रोपाई 9.98 फीसदी बढ़कर 30.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई केवल 27.55 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

दलहनी फसलों की बुआई चालू समर में बढ़कर 20.20 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि  पिछले साल की समान अवधि के 19.43 लाख हेक्टेयर में तुलना में बढ़ी है। इस दौरान मूंग की बुआई 16.76 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 3.19 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 15.89 लाख हेक्टेयर और 3.24 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू समर सीजन में 12.08 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 11.05 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। मोटे अनाजों में मक्का की 6.84 लाख हेक्टेयर में तथा बाजरा की 4.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 6.21 और 4.45 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। ज्वार की बुआई 45 हजार हेक्टेयर में तथा रागी की 13 हजार हेक्टेयर में हुई है।

चालू समर सीजन में तिलहनी फसलों की बुआई बढ़कर 10.19 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.83 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली की बुआई 4.70 लाख हेक्टेयर में, शीशम की 4.89 लाख हेक्टेयर में तथा सनफ्लावर की 34,000 हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 4.63 लाख हेक्टेयर में, 4.61 लाख हेक्टेयर में तथा 32,000 हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों की बुआई 25 हजार हेक्टेयर में हो चुकी है।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार चालू समर सीजन में पहली मार्च से 3 अप्रैल तक देशभर में बारिश सामान्य की तुलना में 15 फीसदी कम हुई है।

विश्व में कैस्टर तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए वर्ल्ड कैस्टर सस्टेनेबिलिटी फोरम का गठन

नई दिल्ली। विश्व में कैस्टर तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए देश में वर्ल्ड कैस्टर सस्टेनेबिलिटी फोरम (डब्ल्यूसीएसएफ) का गठन किया है। इसके गठन के साथ ही इसमें करीब 25,000 किसान भी संगठन से जुड़ गए हैं।


देश जोकि विश्व स्तर पर कैस्टर तेल की आपूर्ति के लिए प्रमुख रूप से जाना जाता है। देश में सालाना करीब 20 लाख टन कैस्टर सीड का उत्पादन होता है तथा विश्व की कैस्टर तेल की 90 फीसदी से अधिक मांग को पूरा करता है। डब्ल्यूसीएसएफ की इस पहल का उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रदर्शन में सुधार करते हुए कैस्टर सीड एवं इसके तेल के उत्पादन को बढ़ाना है।

खाद्वय तेल उद्योग और व्यापार के प्रमुख संगठन, सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने नवीकरणीय संसाधनों की ओर वैश्विक बदलाव और स्थिरता पर बढ़ते जोर के कारण डब्ल्यूसीएसएफ का गठन किया गया है। इस पहल का उद्देश्य आर्थिक आत्मनिर्भरता और छोटे किसानों को संरक्षण प्रदान करना है।

कैस्टर उद्योग के प्रमुख खिलाड़ी अडानी विल्मर लिमिटेड, जयंत एग्रो ऑर्गेनिक्स लिमिटेड, गोकुल ओवरसीज, गोकुल एग्रो रिसोर्सेज लिमिटेड, रॉयल कैस्टर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, एन के प्रोटीन्स प्राइवेट लिमिटेड, कैस्टर गिरनार इंडस्ट्रीज प्राइवेट के साथ ही व्यापारी एवं अन्य प्रतिनिधियों को शामिल किया गया हैं। संपूर्ण कैस्टर परिवार डब्ल्यूसीएसएफ में शामिल होने के लिए 1 मई, 2024 को अहमदाबाद में एकत्रित हुआ। कैस्टर तेल के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खरीदारों ने भी डब्ल्यूसीएसएफ में शामिल होकर टिकाऊ कैस्टर तेल को बढ़ावा देने में अपनी रुचि व्यक्त की है।

कुल मिलाकर जो भारतीय कंपनियां अधिनियम के अनुरूप डब्ल्यूसीएसएफ में शामिल हुई है, वह बेहतर ब्रांड प्रतिष्ठा, प्रतिस्पर्धात्मक लाभ, लागत में कमी, पूंजी तक पहुंच, नियामक अनुपालन, जोखिम प्रबंधन और दीर्घकालिक मूल्य निर्माण का अनुभव कर सकेगी।
 
इससे पहले 30 अप्रैल को गोकुल ओवरसीज, सिद्धपुर के नेतृत्व में करीब 30 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) टिकाऊ कैस्टर की खेती को बढ़ावा देने के लिए डब्ल्यूसीएसएफ के साथ सहयोग करने पर सहमत हुए थे। अत: संगठन से शुरुआत में ही करीब 25,000 किसान जुड़ गए हैं।
 
डब्ल्यूसीएसएफ का गठन कैस्टर क्षेत्र में सहयोग और परिवर्तन के एक नए युग का प्रतीक है। इसका लक्ष्य उद्योग मानदंडों को फिर से परिभाषित करना, सार्थक बदलाव लाना और एक ऐसा भविष्य बनाना है जहां कैस्टर का उत्पादन प्रकृति और समाज के साथ सद्भाव में पनपे। यह संभवत देश का पहला संगठन है जो कि पर्यावरणीय जिम्मेदारी, सामाजिक जवाबदेही और आर्थिक व्यवहार्यता पर जोर देते हुए कैस्टर आपूर्ति श्रृंखला में उत्कृष्टता का अग्रणी मॉडल बनने की आकांक्षा रखता है।