नई दिल्ली। विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में आई मंदी से घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर बनी हुई है तथा पिछले दो दिनों में गुजरात में कॉटन की कीमतों में जहां 850 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आया है, वहीं इस दौरान उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन की कीमतें 75 रुपये प्रति मन तक कमजोर हुई।
गुजरात के अहमदाबाद में 29 शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव बुधवार को 550 रुपये कमजोर होकर 56,400 से 56,700 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो रह गए। इसकी कीमतों में मंगलवार को भी 400 रुपये प्रति कैंडी का मंदा आया था।
इस दौरान पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव 75 रुपये नरम होकर 5675 से 5700 रुपये प्रति मन बोले गए। हरियाणा में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 75 घटकर 5585 से 5610 रुपये प्रति मन बोले गए। ऊपरी राजस्थान में रुई के भाव हाजिर डिलीवरी के भाव 75 रुपये नरम होकर 5375 से 5800 रुपये प्रति मन बोले गए।
देशभर की मंडियों में कपास की आवक 31,400 गांठ, एक गांठ-170 किलो की हुई।
विश्व बाजार में मंगलवार को कॉटन की कीमतें कमजोर होकर दो सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गई थी। अनुकूल मौसम के साथ ही कपास की बुआई में बढ़ोतरी से कीमतों पर दबाव देखा गया। हालांकि आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में बुधवार को शाम के सत्र में सुधार आया।
व्यापारियों के अनुसार स्पिनिंग मिलों की मांग घटने से गुजरात के साथ ही उत्तर भारत के राज्यों में कॉटन के दाम लगातार दूसरे दिन भी कमजोर हो गए। व्यापारियों के अनुसार शाम के सत्र में आईसीई के इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में कॉटन की कीमतों में सुधार आया, लेकिन सुबह के सत्र में दाम कमजोर खुले थे। घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिल कॉटन की खरीद केवल जरुरत के हिसाब से ही कर रही हैं। देशभर की बड़ी स्पिनिंग मिलों के पास सवा से डेढ़ महीने की खपत का कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, जबकि छोटी मिलों के पास केवल 20 से 25 दिनों की खपत की कॉटन ही है। सूती धागे में मांग स्थानीय मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है। हालांकि आगामी दिनों में स्पिनिंग मिलों को कॉटन की खरीद करनी होगी। सीसीआई के कॉटन के बिक्री दाम हाजिर बाजार के भाव की तुलना में ऊंचे हैं। उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में आगामी दिनों में कमी आने का अनुमान है। इस सब के बावजूद भी घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी, मंदी विश्व बाजार के दाम पर ही निर्भर करेगी।
उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में 30 अप्रैल 2024 तक देशभर की मंडियों में कॉटन की आवक 281.96 लाख गांठ की हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी आवक 224.17 लाख गांठ की ही हुई थी। हालांकि सीएआई ने चालू सीजन में कॉटन के उत्पादन का अनुमान 309.07 लाख गांठ के पूर्व स्तर पर ही रखा है, जबकि इसके पिछले साल उत्पादन 318.90 लाख गांठ का हुआ था। अत: चालू सीजन में कॉटन का उत्पादन अनुमान कम होने के बावजूद भी 30 अप्रैल 2024 तक कॉटन की आवकों में 25.77 फीसदी ज्यादा की बढ़ोतरी हुई हैं। ऐसे में व्यापारियों का मानना है कि उद्योग अगली बैठक में उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी कर सकता है।
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