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22 दिसंबर 2021

ऐलनाबाद मंडी बोली भाव, Sawai Madhopur Mandi Bhav

 दिनांक =22/12/2021
नरमा = 8350/8500/8670
कपास =6300/7000
ग्वार =4900/5625
सरसो =6100/6400
चना =4500/4600
कनक =1950/2000
बाजरी =1700/1830
जो=2000
तारा मीरा =5700
मुग =4500/ 5200/5800
तील काला =11000/12000
मूंगफली = 4000/4400

 

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Sawai Madhopur Mandi Bhav
दिनांक 22-Dec-2021 को भाव प्रकाशित किये गए

फसलें    न्यूतम भाव    अधिकतम भाव
अनाज
बाजरा    -- 1450    -- 1860
मक्का    -- 1410    -- 1650
तिल्ली (तिल)   -- 8650   --  9925
सोयाबीन    -- 4500   -- 5955
गेहू    -- 1700    -- 1935

कृषि उपज मंडी समिति श्री करणपुर, विजयनगर मण्डी के भाव

 कृषि उपज मंडी समिति श्री करणपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 22-12-2021 को कृषि उपज का भाव निम्न है


गुवार
उच्चतम 5800/- प्रति क्विं.
न्यूनतम 5600/- प्रति क्विं.

मुंग
उच्चतम 5300/- प्रति क्विं.
 न्यूनतम 5100/- प्रति क्विं.

सरसो
उच्चतम 6371/- प्रति क्विं.
 न्यूनतम 6200/- प्रति क्विं.


नरमा
उच्चतम 8679/- प्रति क्विं.
न्यूनतम 8500/- प्रति क्विं.

 

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 श्री विजयनगर मण्डी के भाव🌾
सरसो 6460
मूंग-6199
नरमा  8663
ग्वार 5895
गेहूं 2050
कपास 699

श्रीमाधोपुर, गोलूवाला मण्डी आवक व भाव अपडेट

 ग्वार आवक   - नया  285 क्विंटल भाव 5250 - 5700
 बाजरा नया 1300 कट्टे भाव 1580 - 1780
मूंगफली आज की आवक 7000 बोरी   आज मूंगफली भाव   4000 से 7700

 

मन्डी-गोलूवाला

 22-12-21(बुधवार)
नरमा-8100-8916-8900/- 1700-कि.
सरसों-6300-6601/- 50-कि.
ग्वार-5401-6025/- 125-कि.
गेहूँ-1950/-
चना-4300-4400/-
मूंग-4800-5861/-
तिल-Nill/-
खल बिनोला-3050-3120/- 0.98kg

बर्मा में लेमन अरहर और उड़द की कीमतों में मंदा, घरेलू बाजार में गिरावट जारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा अरहर, उड़द और मूंग के मात्रात्मक मुक्त आयात की समय सीमा बढ़ाने से घरेलू बाजार के साथ ही बर्मा में भी दलहन की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। बर्मा के स्थानीय बाजार में आज उड़द और अरहर की कीमतों में 30 से 40 डॉलर प्रति टन की बड़ी गिरावट देखी गई, जिससे घरेलू बाजार में भी इनकी कीमतों में 50 से 250 रुपये प्रति क्विंटल का क्वालिटीनुसार मंदा आया।

बर्मा में उड़द एफएक्यू और एसक्यू के दाम आज 30 से 35 डॉलर घटकर भाव क्रमश 790 डॉलर ओर 885 डॉलर प्रति टन रह गए। इसी तरह से लेमन अरहर और लिंके के भाव में 40-40 डॉलर की गिरावट आकर भाव क्रमश: 700 और लिंके के भी 700 डॉलर प्रति टन रह गए। हालांकि मूंग पेड़ीसेवा और पकाकों के दाम क्रमश: 875 डॉलर और 980 डॉलर प्रति टन पर स्थिर बने रहे।

व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों में मौसम साफ होने के कारण जहां महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में नई देसी अरहर की दैनिक आवक बढ़ने लगी है, वहीं सूखे माल आने से भी कीमतों पर दबाव है। नई अरहर के दाम उत्पादक मंडियों में पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 6,300 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे बने हुए हैं। साथ ही अफ्रीकी देशों से लगातार अरहर का आयात हो रहा है, तथा अफ्रीकी अरहर की क्वालिटी काफी हल्की होने के कारण इसके दाम नीचे बने हुए हैं। उधर आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में नई उड़द की आवक मध्य जनवरी तक बढ़ेगी, तथा आयातित उड़द का चेन्नई में बकाया स्टॉक ज्यादा है। इसलिए उड़द की कीमतों पर भी दबाव बना हुआ है।  

दाल मिलों की मांग कमजोर होने से बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में मुंबई में 100 रुपये का मंदा आकर भाव 5,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में अरुषा और मटावारा अरहर के भाव 50-50 रुपये घटकर क्रमश: 5,100-5,150 रुपये और 5,000 से 5,100 प्रति क्विंटल रह गए। मलावी अरहर के दाम भी 50 रुपये घटकर 4,600 से 4,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान की अरहर के भाव भी 50 रुपये घटकर 6,000 से 6,050 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गए। तंजानिया की गजरी अरहर के दाम भी 50 रुपये घटकर 5,150 से 5,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की मांग घटने एवं स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ने से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 6,600 रुपये और 6,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर होने के कारण मिलों की खरीद कम हो गई।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 200 से 250 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,650 से 6,700 रुपये और 7,200 से 7,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। आयातित उड़द की आवक बराबर बनी हुई है, साथ ही नकदी की कमी से उड़द दाल में उठाव भी कमजोर है।

आस्ट्रेलिया की मसूर के दाम मुंबई में वैसल में 100 रुपये घटकर 6,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। नेफेड लगातार मसूर की बिकवाली कर रही है, जबकि मसूर दाल में ग्राहकी सामान्य के मुकाबले कमजोर है।

नीचे दाम पर मिलों की हाजिर मांग सुधरने से दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 7,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि इस दौरान कनाडा की मसूर के दाम 7,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने से मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव में 50-75 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 4,600 से 4,700 रुपये और 5,000 से 5,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान में काबुली चना की नई फसल आ रही है, लेकिन काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

इसी तरह से तंजानिया के चना के दाम मुंबई में 75 रुपये नरम होकर 4,600-4,625 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

21 दिसंबर 2021

haryana or rajasthan mandi paddy rate 21 dec. 21

Palwal mandi paddy rate haryana

1718 3400 Hath .

1121 3600 hath..

Aarival 2000 bori...

 

Pillu Khera Mandi
 arrival 5000 bags
1121 hand--3780 &
1718 hand--3660 &
Basmati hand--3560


Bundi Mandi Rajesthan

 1121 -- 3100 to 3439 per quintal
1718  -- 2900 to 3231
1509 2850 to 3151
Suganda 2460 to 2760
Dp 2500 to 2600
Awake 50000   Bag

MUMBAI Pulses RATE & Mandi hansi paddy (Haryana)

 MUMBAI Pulses RATE

▪️NEW LEMON 5850(-50)
▪️NEW SUDAN 6000/50(-100)
▪️ ARUSHA 5150/5250(-50)
▪️MATWARA 5100(-50)
▪️WHITE MOJMBIQ GAJRI 5300(-50)
▪️GAJRI 5200/5300(-50)
▪️MALAWI 4600/4700(-50)

    URAD

▪️FAQ 6750(+0)


Mandi hansi paddy (Haryana)
1121=3761
1718=3631
Sabnam= 2850
1509=3150
Arrival=5000 bag

 बर्मा की अरहर एवं उड़द के साथ मसूर की कीमतों में गिरावट जारी, चना में हल्का सुधार

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण बर्मा की अरहर एवं उड़द के साथ कनाडा एवं मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, जबकि चना की कीमतों में हल्का सुधार आया।

व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में अरहर की दैनिक आवक बढ़ने से कीमतों पर दबाव देखा गया। वैसे भी उत्पादक राज्यों में मौसम साफ है, इसलिए आगामी दिनों में नई फसल की आवकों में और भी बढ़ोतरी होगी। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में जनवरी में नई उड़द की आवक भी बढ़ेगी, जबकि इस समय आयातित उड़द बराबर आ रही है।

खपत का सीजन होने के बावजूद भी दालों में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है, साथ ही बाजार में इस तरह की अटकलें चल रही हैं कि केंद्र सरकार अरहर और उड़द के आयात की समय सीमा को मार्च अंत तक बढ़ा सकती है। वैसे भी केंद्र सरकार दलहन की कीमतों की हर सप्ताह निगरानी कर रही है। यही कारण है मिलें केवल जरुरत के हिसाब से दालों की खरीद कर रही हैं।  

मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में लेमन अरहर की कीमतों में 100 रुपये का मंदा आकर भाव 5,925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस अरुषा अरहर की कीमतों में 75 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,250 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

मिलों की मांग कमजोर बनी रहने दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 100-150 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,850 रुपये और 7,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 6,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने कारण दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 75-75 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,100 रुपये और 7,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। नेफेड आयातकों से खरीदी हुई मसूर की बिकवाली कर रही है, जबकि मसूर दाल में ग्राहकी कमजोर है इससे कीमतों पर दबाव है। वैसे भी केंद्र सरकार ने रूस से मसूर के आयात को 30 जून 2022 तक बढ़ा दिया है।

मिलों की मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के दाम मुंद्रा और हजिरा बंरगाह पर 25-25 रुपये कम होकर भाव क्रमश: 6,875 से 6,900 रुपये और 6,925-6,950 प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में चना की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर राजस्थान चना के दाम 5,075 से 5,100 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

केंद्र द्वारा सोया तेल एवं सोयाबीन वायदा पर रोक से सरसों में 400 रुपये का मंदा

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा सोयाबीन, सोया तेल के साथ ही सात एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार पर एक साल के लिए रोक लगा देने से सरसों की कीमतें हाजिर बाजार में 400 रुपये प्रति क्विंटल तक घट गई। सरसों तेल कीमतों में 30 से 50 रुपये प्रति 10 किलो की गिरावट दर्ज की गई। सलोनी आगरा में जीएसटी पेड सरसों की कीमतें घटकर 8,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गई। सलोनी कोटा में कंडीशन के दाम घटकर 7,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गई।

इसका असर मलेशिया में पॉम तेल के साथ ही शिकागों में इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग में सोयाबीन और तेल कीमतों पर देखा गया। शिकागों में इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग में सोयाबीन में 3.88 की गिरावट बन गई थी, हालांकि बाद में बाजार संभल गया, तथा दाम स्थिर हो गए। सोया तेल में 1.1 का मंदा आया। मलेशिया में पॉम तेल के मार्च वायदा अनुबंध में 101 रिगिंट की गिरावट आकर भाव 4,307 रिगिंट रह गए। केंद्र सरकार ने सरसों के वायदा अनुबंधों पर पहले से ही रोक लगी रखी है लेकिन सोयाबीन सहित दूसरे तिलहन-तेलों के वायदा अनुबंधों में नए सौदे रोके जाने से हाजिर बाजार में सरसों में भी बिकवाली बढ़ गई।

व्यापारियोें के अनुसार चालू सीजन में सरसों का बंपर उत्पादन होने का अनुमान है, जबकि केंद्र सरकार द्वारा सख्ती करने से स्टॉकिस्टों की बिकवाली बढ़ गई। मिलें इस समय सरसों की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही हैं, जिससे कीमतों पर दबाव पहले ही बना हुआ था। हालांकि आगामी दिनों में घरेलू बाजार में खाद्य तेलों एवं तिलहन की कीमतों में तेजी, मंदी विदेशी बाजार के भाव पर निर्भर करेगी।

कांडला पोर्ट पर दिसंबर डिलीवरी पाम तेल के भाव घटकर 1,310 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि सोया तेल डिगम के दिसंबर डिलीवरी के भाव घटकर 1,386 डॉलर प्रति टन के स्तर पर आ गए। भारतीय रुपये में कांडला बंदरगाह पर क्रूड पाम तेल के दाम घटकर 1,089 रुपये और सोया तेल डिगम के भाव घटकर 1,145 रुपये प्रति दस किलो के स्तर पर आ गए।

घरेलू वायदा कारोबार में सरकारी रोक लगने से सभी तिलहन-तेलों के अनुबंधों में जोरदार गिरावट दर्ज की गई। सरसों के वायदा अनुबंधों में भी गिरावट दर्ज की गई, हालांकि सरसों वायदा में नए सौदों पर पहले से ही रोक है। आज से सोयाबीन और सोया तेल सहित कई खाद्य वस्तुओं के वायदा कारोबार पर रोक लग गई है। इनमें नए सौदे नहीं हो सकेंगे और नए कांट्रेक्ट भी लांच नहीं होंगे। सोयाबीन में चार फीसदी से भी ज्यादा गिरावट है। सोया तेल रिफाइंड भी नुकसान में कारोबार कर रहे हैं।

देशभर की मंडियों में आज में सरसों की दैनिक आवक बढ़कर 2 लाख बोरी की हुई। कुल आवकों में राजस्थान में 85 हजार बोरी, मध्य प्रदेश में 20 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश में 35 हजार बोरी, पंजाब और हरियाणा में 10 हजार बोरी, गुजरात में 10 हजार बोरी और अन्य राज्यों में 40 हजार बोरियों की आवक हुई।

20 दिसंबर 2021

विदेश में आई मंदी से अरहर एवं उड़द में मंदा, चना में सुधार

नई दिल्ली। बर्मा में लेमन अरहर के साथ ही उड़द की कीमतों में आई से घरेलू बाजार में भी दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रही, जिससे इनकी कीमतों में मंदा आया। व्यापारियों के अनुसार बर्मा में लेमन अरहर की कीमतों में 25 डॉलर की गिरावट आकर भाव 710 डॉलर प्रति टन रह गए। इसी तरह से बर्मा में उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में आज 30-30 डॉलर की गिरावट आकर भाव क्रमश: 780 डॉलर और 830 डॉलर प्रति टन रह गए।

खपत का सीजन होने के बावजूद भी दालों में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर बनी हुई है, साथ ही बाजार में इस तरह की अटकलें चल रही हैं कि केंद्र सरकार अरहर और उड़द के आयात की समय सीमा को मार्च अंत तक बढ़ा सकती है। वैसे भी केंद्र सरकार दलहन की कीमतों की हर सप्ताह निगरानी कर रही है। यही कारण है मिलें केवल जरुरत के हिसाब से दालों की खरीद कर रही हैं।  

मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में लेमन अरहर की कीमतों में 100 रुपये का मंदा आकर भाव 5,925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस अरुषा अरहर की कीमतों में 75 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,250 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

मिलों की मांग कमजोर बनी रहने दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 100-150 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,850 रुपये और 7,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के भाव में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 6,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने कारण दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 75-75 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,100 रुपये और 7,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। नेफेड आयातकों से खरीदी हुई मसूर की बिकवाली कर रही है, जबकि मसूर दाल में ग्राहकी कमजोर है इससे कीमतों पर दबाव है। वैसे भी केंद्र सरकार ने रूस से मसूर के आयात को 30 जून 2022 तक बढ़ा दिया है।

मिलों की मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के दाम मुंद्रा और हजिरा बंरगाह पर 25-25 रुपये कम होकर भाव क्रमश: 6,875 से 6,900 रुपये और 6,925-6,950 प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में चना की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर राजस्थान चना के दाम 5,075 से 5,100 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 6.23 फीसदी बढ़कर 77 लाख टन के पार

नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2021-22 के पहले ढ़ाई महीनें पहली अक्टूबर 2021 से 15 दिसंबर 2021 तक चीनी का उत्पादन 6.23 फीसदी बढ़कर 77.91 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस दौरान केवल 73.34 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में 479 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 460 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र में 15 दिसंबर 2021 तक 31.92 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 29.96 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में 186 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 173 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी।

उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में मिलों में देर सेे गन्ने की पेराई आरंभ हुई थी, जिस कारण राज्य में 15 दिसंबर तक 117 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है, जबकि पिछले सीजन की समान अवधि में 118 मिलों ने पेराई आरंभ कर दी थी। राज्य में 15 दिसंबर 2021 तक 19.83 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि के 22.60 लाख टन से कम है।

कर्नाटक में 15 दिसंबर 21 तक 18.41 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 16.65 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में चालू पेराई सीजन में 69 मिलों ने गन्ने की पेराई चल रही है।

गुजरात में चालू पेराई सीजन में 15 दिसंबर 2021 तक 15 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है, तथा 2.30 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य की मिलों ने 2.40 लाख टन चीनी का उत्पादन कर दिया था।

देश के अन्य राज्यों उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में 15 दिसंबर 2021 तक 81 चीनी मिलों में 4.85 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 4.36 लाख टन से ज्यादा है।

चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 37 लाख टन चीनी के निर्यात सौदों हो चुकी है, तथा इनमें से ज्यादातर निर्यात सौदो रॉ-शुगर 20-21 सेंट प्रति पाउंड के भाव थी, उस समय हुए थे, लेकिन पिछले दिनों विश्व बाजार में रॉ-शुगर के कीमतें घटकर 19 सेंट प्रति पाउंड रह गई थी, जिससे निर्यात सौदोें में कमी आई। हाल ही में रॉ-शुगर के दाम विश्व बाजार में 19.50 सेंट प्रति पाउंड चल रहे हैं, लेकिन इन भाव में भी निर्यात में पैरिटी नहीं लग रही है।

18 दिसंबर 2021

विदेशी बाजार में आई गिरावट से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में मंदा

नई दिल्ली। विदेशी बाजार में कीमतों में आई गिरावट के कारण घरेलू बाजार में गुरूवार को चीनी के दाम 20 से 100 रुपये प्रति क्विंटल तक घट गए। दिल्ली में चीनी के दाम 100 रुपये घटकर एमग्रेड के 3,720 से 3,820 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि बरेली में इसके दाम घटकर 3,680 से 3,780 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मुंबई के कोलापुर में चीनी की कीतमें 20 रुपये कम होकर एम ग्रेड की 3,270 से 3,330 रुपये प्रति क्विंटल रह गई।

ब्राजील की मुद्रा रियल और क्रूड ऑयल की कीमतों में आई गिरावट के कारण विश्व बाजार में चीनी के भाव में मंदा आया। आईसीई मार्च वायदा में रॉ शुगर के दाम 0.36 सेंट यानी 1.8 फीसदी गिरकर 19.29 सेंट प्रति पाउंड रह गए। मार्च वायदा अनुबंध में व्हाइट शुगर के दाम भी 7.7 डॉलर यानी 1.5 फीसदी गिरकर 503.20 डॉलर प्रति टन रह गए। डॉलर के मुकाबले ब्राजीलियन करेंसी रियल गिरकर पौने दो महीने के निचले स्तर पर आने से चीनी की कीमतों पर दबाव देखा गया।

व्यापारियों के अनुसार चीनी के उत्पादन का पीक सीजन चल रहा है, तथा अभी तक उत्पादन पिछले साल की तुलना में ज्यादा हुआ है। कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन की चिंता से विदेश से भी चीनी की की कीमतों मंदा आने से घरेलू बाजार से नए निर्यात सौदों में कमी आयेगी। इसलिए घरेलू बाजार में भी चीनी की कीमतों पर दबाव बढ़ गया, जिस कारण मिलों ने चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव में कटौती कर दी।

जानकारों के अनुसार विश्व बाजार में वर्तमान परिस्थितियों में चीनी की कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है, जिस कारण घरेलू बाजार में भी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। वैसे भी चीनी उत्पादन का सीजन जनवरी तक बराबर बना रहेगा।

दाल मिलों की मांग से अरहर की कीमतों में तेजी जारी, अन्य दालों में मंदा

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बनी रहने से गुरूवार को लगातार दूसरे दिन अरहर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि अन्य दालों में गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों की मंडियों में नई अरहर की आवक सामान्य की तुलना में कम हो रही है, क्योंकि पिछले दिनों उत्पादक क्षेत्रों में बेमौसम बारिश से नई फसल की कटाई में देरी हो रही है। साथ ही नए मालों में नमी की मात्रा भी ज्यादा है। अत: प्रतिकूल मौसम से अरहर की फसल को नुकसान होने के डर से भाव में हल्का सुधार बन सकता है। जानकारों के अनुसार नई अरहर की आवकों का दबाव जनवरी में बनेगा।

कर्नाटक की यागगिर मंडी में नई अरहर का व्यापार आज 5,600 से 5,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। व्यापारियों के अनुसार नए मालों में 15 से 16 फीसदी की नरमी आ रही है। माना जा रहा है कि मौसम साफ रहा तो आगे नई अरहर की दैनिक आवक बढ़ेगी, जबकि इसके भाव पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी से नीचे बने हुए हैं। उधर अफ्रीकी देशों से अरहर का आयात अभी बना रहेगा, इसलिए इसकी मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार तो बन सकता है लेकिन बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

मिलों की मांग बनी रहने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,375 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में मुंबई में 25 रुपये की तेजी आकर दाम 6,000 से 6,025 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दूसरी और अरुषा और मटावारा अरहर के भाव क्रमश: 5,250-5,350 रुपये और 5,250 से 5,300 प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मलावी अरहर के दाम भी 4,750 से 4,850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान की अरहर के भाव भी 6,100 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। तंजानिया की गजरी अरहर के दाम 5,250 से 5,350 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

मिलों की मांग कमजोर बनी रहने दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 25-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,025 रुपये और 7,650 से 7,675 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 25-25 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 6,850 रुपये और 6,750 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

हालांकि, नकदी की कमी और उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर होने के कारण इसके भाव में बड़ी तेजी की उम्मीद तो नहीं है, लेकिन फसल को नुकसान की चिंता से हल्का सुधार और भी बन सकता है।

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मंडियों में नई उड़द की आवक शुरू हो गई है तथा आंध्रप्रदेश में नई उड़द की आवक चालू महीने के अंत या फिर जनवरी में शुरू होने की संभावना है।

दिल्ली में मसूर की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 7,350 से 7,375 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

कनाडा की मसूर के दाम मुंद्रा और हजिरा बंरगाह पर 25-25 रुपये कम होकर भाव क्रमश: 6,950 से 6,975 रुपये और 7,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

तंजानिया के चना के दाम मुंबई में 25 रुपये नरम होकर 4,675-4,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली में चना की कीमतों में 25 रुपये की मंदी आकर राजस्थानी चना के दाम 5,075 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 4,975 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मूंग की कीमतों में 100 रुपये का मंदा आकर राजस्थानी मूंग के दाम 4,500 से 6,100 रुपये और बेस्ट क्वालिटी के 6,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

नेफेड ने 15 दिसंबर, 2021 को राजस्थान में रबी-2020 के चना की बिक्री 4,851 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की।

एफसीआई ने महाराष्ट्र में 2,000 टन देसी चना 4,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बेचा।

नवंबर अंत तक 77.76 लाख गांठ कॉटन की आवक, निर्यात 7 लाख गांठ - सीएआई

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2021 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में नवंबर अंत तक घरेलू मंडियों में 77.76 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की आवक हुई हैं, जबकि इस दौरान 7 लाख गांठ निर्यात की शिपमेंट हो चुकी है।  
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया, सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन 2021-22 के दौरान देश में कॉटन का उत्पादन 360.13 लाख गांठ होने का अनुमान है, जोकि पिछले साल के 353 लाख गांठ से ज्यादा है।

सएआई के अनुसार चालू सीजन के आरंभ में कॉटन का 75 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 77.76 लाख गांठ की आवक हो चुकी हैं तथा इस दौरान 2 लाख गांठ के आयात को मिलाकर नवंबर अंत में 154.76 लाख गांठ कॉटन की उपलब्धता बैठी है। इसमें से 55.83 लाख गांठ कॉटन की खपत हो चुकी है, जबकि 7 लाख गांठ की शिपमेंट हो चुकी है। अत: मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक 56 लाख गांठ का है, जबकि कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन, एमसीएक्स, एमएनसी, जिनर्स एवं ट्रेडर्स तथा निर्यातकों के पास 35.93 लाख गांठ का स्टॉक है।

सएआई के अनुसार चालू सीजन में 360.13 लाख गांठ के उत्पादन और 75 लाख गांठ बकाया तथा 10 लाख गांठ आयात को मिलाकर घरेलू बाजार में कॉटन की कुल उपलब्धता करीब 445.13 लाख गांठ की बैठेगी, जबकि खपत 335 लाख गांठ की होने का अनुमान है। इसके अलावा 48 लाख गांठ कॉटन का निर्यात होने की उम्मीद है। ऐसे में चालू सीजन के अंत में 62.13 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचेगा।

नवंबर में डीओसी का निर्यात 51 फीसदी घटा, चालू वित्त वर्ष के पहले 8 महीनों में 18 फीसदी कम

नई दिल्ली। नवंबर महीने में डीओसी के निर्यात में 51 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 162,442 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल नवंबर में इनका निर्यात 332,336 टन का हुआ था। घरेलू बाजार में डीओसी की कीमतें तेज हैं, जबकि विश्व बाजार में दाम कम है। इसलिए डीओसी के निर्यात में कमी आई है।

साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान डीओसी का निर्यात 18 फीसदी घटकर 1,596,131 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,951,558 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में सरसों, राइसब्रान और केस्टर डीओसी के निर्यात में कमी आई है, जबकि सोया डीओसी का निर्यात बढ़ा है। नवंबर में सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 42,951 टन का हो गया, जबकि अक्टूबर में इसका निर्यात 14,538 टन का ही हुआ था। नवंबर में सरसों डीओसी का निर्यात घटकर 42,383 टन का रह गया, जबकि अक्टूबर में इसका निर्यात 52,875 टन का हुआ था। इसी तरह से नवंबर में राइसब्रान  डीओसी का निर्यात घटकर 48,232 टन का रह गया, जबकि अक्टूबर में इसका निर्यात 55,970 टन का हुआ था।  

भारतीय बदंरगाह पर अक्टूबर की तुलना में नवंबर में सोया डीओसी की कीमतें तेज हुई हैं। नवंबर में सोया डीओसी के दाम भारतीय बंदरगाह पर पहुंच 675 डॉलर प्रति टन हो गई, जबकि अक्टूबर में इसके दाम 612 डॉलर प्रति टन थे। सरसों डीओसी के दाम नवंबर में भारतीय बंदरगाह पर 300 डॉलर प्रति टन रह गई, जबकि अक्टूबर में इसके दाम 301 डॉलर प्रति टन थे। केस्टर डीओसी के दाम भी भातरीय बदरगाह पर अक्टूबर के 157 डॉलर से घटकर नवंबर में 149 डॉलर प्रति टन रह गए।

रबी फसलों की बुआई 2.39 फीसदी बढ़कर 558 लाख हेक्टेयर के पार, गेहूं की पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में फसलों की कुल बुआई तो 2.39 फीसदी बढ़कर 558 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच गई हैं, लेकिन रबी की प्रमुख फसल गेहूं के साथ ही मोटे अनाजों की बुआई पिछे चल रही है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में 17 दिसंबर 2021 तक रबी फसलों की बुआई 2.39 फीसदी बढ़कर 558.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 545.04 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में घटकर 277.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 280.15 लाख हेक्टेयर से कम है।

मंत्रालय के अनुसार तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 91.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 75.22 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 84.23 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 68.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लवर की बुआई 93 हजार हेक्टेयर में, मूंगफली की 3.25 लाख हेक्टेयर में और सफ्लावर की 64 हजार हेक्टेयर के अलावा केस्टर सीड की बुआई 2.20 लाख हेक्टेयर में हुई है। पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 76 हजार हेक्टेयर, 3.12 लाख हेक्टेयर, 49 हजार हेक्टेयर और 2.27 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

दालों की बुआई चालू रबी में थोड़ी घटकर 137.19 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अविध इनकी बुआई 137.26 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 97.99 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 96.60 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मसूर की बुआई चालू रबी में 15.73 लाख हजार हेक्टेयर में, मटर की 8.87 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 4.25 हेक्टेयर में हुई है। पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 14.90 लाख हेक्टेयर में, 9.34 लाख हेक्टेयर में और 4.47 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मूंग की बुआई चालू रबी में 96 हजार हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी की समान अवधि में इसकी बुआई 1.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी में 39.54 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 40.97 लाख हेक्टेयर से कम है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई चालू रबी में 21.73 लाख हेक्टेयर में और मक्का की 11.22 लाख हेक्टेयर में तथा जौ की बुआई 6.14 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 24.13 लाख हेक्टेयर में, 10.25 लाख हेक्टेयर में और 6.06 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

धान की रोपाई चालू रबी में 11.92 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी रोपाई 11.44 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

चालू रबी में सरसों का उत्पादन 100-110 लाख टन होने का अनुमान - उद्योग

नई दिल्ली। बुआई में हुई बढ़ोतरी से चालू रबी सीजन 2021-22 में देश में सरसों का उत्पादन बढ़कर 100 से 110 लाख टन होने का अनुमान है। खाद्य तेल उद्योग की शीर्ष संस्था दी सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ ऑयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (कुईट) के अनुसार पिछले साल देश में 85 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था।

कुईट के अध्यक्ष बाबूलाल डाटा के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान सहित सभी राज्यों में इस साल सरसों की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, साथ ही अभी तक मौसम भी फसल के अनुकूल बना हुआ है। इसलिए हमारा अनुमान है कि 2021-22 सीजन में सरसों का उत्पादन बढ़कर 100-110 लाख टन हो सकता है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में सरसों की कीमतें काफी तेज रही, जिस कारण किसानों ने सरसों की बुआई को प्राथमिकता दी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की बुआई बढ़कर 81.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 65.97 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

विदेशी बाजार में आई मंदी से घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर जयुपर में कंडीशन की सरसों के दाम घटकर 8,075 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सरसों तेल की कीमतों में भी 10 रुपये प्रति 10 किलो का मंदा आया। जानकारों के अनुसार मौसम अनुकूल रहा तो सरसों की मौजूदा कीमतों में अब बड़ी तेजी के आसार नहीं है, क्योंकि मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं।

मलेशिया में पॉम तेल की कीमतों में लगातार दूसरे दिन गिरावट का रुख बना रहा। फरवरी महीने के वायदा अनुबंध में 77 रिगिंट की गिरावट आकर भाव 4,715 रिगिंट प्रति टन रह गए। उधर शिकागों में इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में सोयाबीन में जहां 3.5 का मंदा आया, वहीं सोया तेल मेें 0.54 की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है। हालांकि नीचे दाम पर मांग निकलने से सोयामील में सुधार देखा गया। दक्षिणी अमेरिका में बेहतर फसल की संभावना से भी इसकी कीमतों पर दबाव रहा। ब्राजील में 96 फीसदी बुवाई पूरी हो चुकी है। लेकिन दक्षिणी ब्राजील में सूखे के मौसम ने अंकुरण धीमा कर दिया है जिससे फसल को नुकसान की आशंका भी है।

सदर्न पेनिंसुला पाम ऑयल मिलर्स एसोसिएशन का अनुमान है कि 1-10 दिसंबर के बीच पाम तेल का उत्पादन पिछले माह की समान अवधि के मुकाबले 2.8 फीसदी गिर गया। नवंबर के दौरान भारत का खाद्य तेलों का आयात अक्टूबर के मुकाबले 11 फीसदी बढ़ा है। यूरोप और एशिया में कोविड प्रतिबंधों के चलते मांग प्रभावित होने की आशंका से क्रूड ऑयल गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है।

कांडला बंदरगाह पर दिसंबर डिलीवरी पाम तेल के भाव 1,380 डॉलर से घटकर 1,370 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि सोया तेल डिगम दिसंबर डिलीवरी के भाव 1,409 डॉलर से बढ़कर 1,419 डॉलर प्रति टन हो गए। भारतीय रुपये में कांडला बंदरगाह पर क्रूड पाम तेल के भाव 1,106 रुपये और सोया तेल डिगम के 1,165 रुपये प्रति दस किलो रहे, जबकि बीते कारोबारी सत्र में बंदगाह पर क्रूड पाम तेल के दाम 1,116 रुपये और सोया तेल डिगम के 1,165 रुपये प्रति दस किलो थे।

पूरे देश की मंडियों में सरसों की आवक करीब दो लाख बोरियों की हुई। कुल आवकों में राजस्थान में 85 हजार बोरी, मध्य प्रदेश में 20 हजार बोरी, उत्तर प्रदेश में 35 हजार बोरी, पंजाब और हरियाण में 10 हजार बोरी, गुजरात में 10 हजार बोरी अन्य राज्यों में 40 हजार बोरियों की आवक हुई।

मिलों की खरीद में आई तेजी से कॉटन के भाव बढ़े, अच्छी क्वालिटी की आवक कमजोर

नई दिल्ली। स्पिनिंग मिलों की मांग बढ़ने के कारण गुरूवार को कॉटन की कीमतों में 300 से 500 रुपये प्रति कैंडी, एक कैंडी-356 किलो की तेजी दर्ज की गई। व्यापारियों के अनुसार नीचे दाम पर मिलों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग बराबर बनी हुई है, इसलिए इसके भाव में आगे और भी सुधार आने का अनुमान है।

पंजाब में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 6,650 से 6,670 रुपये प्रति मन हो गए। हरियाणा में रुई के हाजिर डिलीवरी के भाव बढ़कर 6,470 से 6,500 रुपये प्रति मन हो गए। ऊपरी राजस्थान में हाजिर डिलीवरी कॉटन के दाम बढ़कर 6,550 से 6,650 रुपये प्रति मन हो गए।

गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की मंडियों में मिलों की मांग बनी रहने के कारण सुबह की तुलना में शाम को कॉटन की कीमतें 300 रुपये प्रति कैंडी तेज हो गई। गुजरात में 29एमएम आरडी 75 किस्म की कॉटन में मिलों की मांग से दाम बढ़कर 66,400 से 66,800 रुपये प्रति कैंडी हो गए। मध्य प्रदेश में 29/29प्लस एमएम आरडी 75 किस्म की कॉटन के भाव 65,400 से 65,800 रुपये प्रति कैंडी हो गए। महारष्ट्र के नागपुर लाईन की मंडियों में 29/29 प्लस एमएम आरडी 75 किस्म की कॉटन के भाव 65,500 से 65,900 रुपये प्रति कैंडी हो गए। 30एमएम आरडी75 किस्म की कॉटन के भाव बढ़कर 66,700 रुपये प्रति कैंडी हो गए।

देशभर की मंडियों में चालू सीजन में अभी तक कपास की कुल आवक 82 से 85 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो की ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 108 से 110 लाख गांठ से कम है। जानकारों के अनुसार दैनिक आवक कम होने के कारण मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, जबकि यार्न की कीमतों में घरेलू बाजार में हाल ही में सुधार आया है। इसलिए आगे कॉटन में मिलों की खरीद और बढ़ेगी, जिससे मौजूदा कीमतों में और भी तेजी आने का अनुमान है।

जानकारों के अनुसार कपास के उत्पादक राज्यों में सितंबर अंत और अक्टूबर के आरंभ में हुई बेमौसम बारिश और पिंक बालवर्म से कॉटन की फसल को कई राज्यों में नुकसान हुआ है, साथ ही कई राज्यों में फसल की क्वालिटी भी प्रभावित होने से कॉटन के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है। उधर स्पिनिंग मिलों, सीसीआई और महाराष्ट्र फेडरेशन के पास भी कॉटन का बकाया स्टॉक भी पिछले साल की तुलना में कम है, जबकि चालू सीजन में कपास की कीमतें उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी से तेज बनी हुई हैं। इसलिए सरकारी एजेंसियों को एमएसपी पर कपास मिलेगी भी नहीं। अत: कॉटन में मंदा मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए।

विश्व स्तर पर कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, तथा चीन की आयात मांग अमेरिका से आगे और बढ़ने की उम्मीद है। इसलिए विश्व बाजार में भी दाम तेज बने रहने के आसार हैं। विदेशी बाजार में बुधवार को कॉटन की कीमतों में लगातार दूसरे दिन गिरावट दर्ज की गई। आईसीई कॉटन के मार्च वायदा अनुबंध में 11 प्वाइंट की गिरावट आकर भाव 105.79 सेंट पर बंद हुए। इसी तरह से मई वायदा अनुबंध में 18 प्वांइट की गिरावट आकर भाव 104.37 सेंट रह गए। हालांकि इलेक्ट्रानिक ट्रेडिंग में कॉटन के कीमतें तेज हो गई, साथ ही नायबॉट में भी इसके भाव बढ़ गए।

नीचे दाम पर मिलों की मांग से लेमन अरहर में सुधार, अन्य दालों में मिलाजुला रुख

नई दिल्ली। नीचे दाम पर मिलों की मांग में आये सुधार से बुधवार को जहां लेमन अरहर की कीमतों में सुधार आया, वहीं अन्य दालों की कीमतों में मिलाजुला रुख देखा गया। व्यापारियों के अनुसार दालों में थोक के साथ ही खुदरा में ग्राहकी कमजोर है जबकि उत्पादक नेफेड लगतार पुराने स्टॉक की बिकवाली कर रही हैं। इसलिए दालों की कीमतों में बड़ी तेजी के आसार नहीं है।


जानकारों के अनुसार उत्पादक मंडियों में नई अरहर की आवक सामान्य की तुलना में कम हो रही है, क्योंकि पिछले दिनों उत्पादक क्षेत्रों में बेमौसम बारिश से नई फसल की कटाई में देरी हुई है। साथ ही नए मालों में नमी की मात्रा भी ज्यादा आ रही है। कर्नाटक और महाराष्ट्र के बाद आंध्रप्रदेश में नई अरहर की आवक तो शुरू हो गई है, लेकिन नए मालों की क्वालिटी हल्की है। ऐसे में अच्छी क्वालिटी की अरहर की मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार तो और भी बन सकता है लेकिन बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। मौसम अनुकूल रहा तो नई अरहर की दैनिक आवकों का दबाव जनवरी के प्रथम पखवाड़े में बनने के आसार हैं।

विदेश से लगातार आयात होने के बावजूद भी नीचे दाम पर मिलों की मांग बढ़ने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 250 रुपये की तेजी आकर भाव 6,325 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में मुंबई में 75 रुपये की तेजी आकर भाव 6,025 से 6,050 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

अरुषा और मटावारा अरहर के भाव मुंबई में क्रमश: 5,250-5,350 रुपये और 5,250 से 5,300 प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मलावी अरहर के दाम भी 4,750 से 4,850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान की अरहर के भाव भी 6,100 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। तंजानिया की गजरी अरहर के दाम 5,250 से 5,350 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

चेन्नई में दाम घटने के साथ ही मिलों की मांग कमजोर बनी रहने दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 25-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,025 रुपये और 7,650 से 7,675 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि, आंध्रप्रदेश में उड़द की फसल को नुकसान की चिंता से इसकी कीमतों में बड़ी गिरावट की संभावना कम है।

मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू के दाम 6,825 से 6,850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

चेन्नई में एफएक्यू उड़द हाजिर डिलीवरी के भाव 6,700 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए, जबकि एसक्यू हाजिर डिलीवरी में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 7,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने कारण दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 50-75 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,450 रुपये और 7,225 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मिलों की मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के दाम मुंद्रा और हजिरा बंदरगाह पर 25-25 रुपये कम होकर भाव क्रमश: 6,950 से 6,975 रुपये और 7,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दिल्ली के लारेंस रोड पर राजस्थानी चना के भाव 5,100 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

राजस्थान लाईन की मूंग के दाम दिल्ली में 50 रुपये घटकर एवरेज क्वालिटी के 4,500 से 6,200 रुपये और बेस्ट क्वालिटी के 6,700 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। 

03 दिसंबर 2021

चालू रबी मेंं तिलहन की बुआई 29 फीसदी बढ़ी, कुल बुआई 438 लाख हेक्टेयर के पार

नई दिल्ली। चालू सीजन में 3 दिसंबर 2021 तक रबी फसलों की बुआई 6.65 फीसदी बढ़कर 438.51 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 413.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार तिलहनी फसलों की बुआई मेें चालू रबी में 29.22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि रबी दलहन की बुआई भी पिछले साल की तुलना में आगे चल रही है। गेहूं की बुआई में पहले की तेजी आई है।  

मंत्रालय के अनुसार तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 83.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 64.73 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 77.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 59.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लवर की बुआई 75 हजार हेक्टेयर में, मूंगफली की 2.70 लाख हेक्टेयर में और सफ्लावर की 59 हजार हेक्टेयर के अलावा केस्टर सीड की बुआई 1.62 लाख हेक्टेयर में हुई है।

रबी दालों की बुआई चालू रबी में थोड़ी बढ़कर 113.98 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अविध इनकी बुआई 113.48 लाख हेक्टेयर में हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 81.43 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 80.01 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मसूर की बुआई चालू रबी में 13.03 लाख हजार हेक्टेयर में, मटर की 7.92 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 3.22 हेक्टेयर में हुई है। पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 12.48 लाख हेक्टेयर में, 8.05 लाख हेक्टेयर में और 3.50 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मूंग की बुआई चालू रबी में 64 हजार हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी की समान अवधि में इसकी बुआई 85 हजार हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी में 30.49 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 32.11 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई चालू रबी में 19.95 लाख हेक्टेयर में और मक्का की 6.17 लाख हेक्टेयर में तथा जौ की बुआई 4.96 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 20.91 लाख हेक्टेयर में, 6.33 लाख हेक्टेयर में और 4.46 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में 200.66 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 193.42 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

धान की रोपाई चालू रबी में 9.74 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी रोपाई 9.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

अरहर, मसूर, चना और काबुली चना के दाम मुंबई में तेज

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण शुक्रवार को मुंबई में अरहर, मसूर, चना और काबुली चना की कीमतों में सुधार आया।

दाल मिलों की सीमित मांग के कारण बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में मुंबई में 50 रुपये तेज होकर 5,875 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। अफ्रीका की अरहर के दाम 100 रुपये तेज होकर 6,000 से 6,050 रुपये और मोजांबिक की अरहर के भाव 25 रुपये तेज होकर 5,200 से 5,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

अरहर की कीमतों में आगे और भी सुधार आने की संभावना है क्योंकि उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश से अरहर की नई फसल की कटाई में देरी होने की आशंका है, साथ ही मौसम विभाग ने आगे अभी मौसम और खराब होने की भविष्यवाणी जारी की हुई है।

जानकारों के अनुसार चालू सीजन में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में अरहर की फसल को 20 से 40 फीसदी तक नुकसान होने की संभावना है। महाराष्ट्र में अरहर की फसल को 10 से 15 फीसदी तक नुकसान होने की आशंका है। अत: चालू सीजन में अरहर के कुल उत्पादन अनुमान में 20 फीसदी की कमी आने की आशंका है।

सरकारी एजेंसियों द्वारा अरहर की खरीद निविदा की माध्यम से की जा रही है, जिससे कीमतों में सुधार आने के आसार हैं।

कनाडा की मसूर के भाव  मुंबई, हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर तथा साथ ही आट्रेलियाई मसूर के दाम वैसल और कंटेनर में 50-100 रुपये प्रति क्विंटल तेज हो गए। कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 50 रुपये बढ़कर 7,250 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। जबकि आस्ट्रेलिया की मसूर के दाम 7,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मुंद्रा बंदरगाह पर कनाडा की मसूर के दाल 50 रुपये बढ़कर 7,150 रुपये, हजीरा में 100 रुपये तेज होकर 7,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

तंजानिया के चना के दाम मुंबई में 50 रुपये तेज होकर 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

स्थानीय मिलों की मांग सुधरने से मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 5,100 से 5,250 रुपये और 4,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूडान में काबुली चना की नई फसल आ रही है, लेकिन काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

उड़द एफएक्यू के दाम मुंबई में 6,950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में चना के दाम 75 रुपये बढ़कर राजस्थानी चना के 5,225 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के दाम 5,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

02 दिसंबर 2021

विदेश आई नरमी से घरेलू बाजार में उड़द सस्ती, अरहर में भी मंदा, मसूर में सुधार

नई दिल्ली। विदेशी बाजार में उड़द की कीमतों में आई गिरावट का असर घरेलू बाजार में दालों की कीमतों पर देखा गया। हाजिर बाजार में उड़द एवं अरहर के दाम गुरूवार को कमजोर हो गए, जबकि मसूर की कीमतों में सुधार देखा गया।

स्थानीय एवं निर्यातकों की मांग कमजोर होने गुरूवार को बर्मा के दाल बाजार में उड़द एसक्यू और एफएक्यू की कीमतों में 15 से 25 डॉलर प्रति टन की गिरावट आकर भाव क्रमश: 985 डॉलर और 875 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ रह गए। इस दौरान लेमन अरहर के दाम 760 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर बने रहे।

घरेलू बाजार में उड़द के साथ ही लेमन अरहर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई, हालांकि उत्पादक राज्यों में मौसम खराब बना हुआ है, तथा महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश की कई क्षेत्रों में पिछले दो, तीन दिनों से बारिश भी हुई है। पिछले 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश और राजस्थान के साथ ही उत्तर प्रदेश आदि में भी मौसम खराब है। अत: उत्पादक राज्यों में बारिश हुई तो फिर अरहर और उड़द की फसल को नुकसान होगा, जिससे इनकी कीमतों में आगे फिर सुधार आने के आसार हैं।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान पुरानी लेमन अरहर के दाम 6,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दाल मिलों की मांग घटने से बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में मुंबई में 75 रुपये घटकर 5,825 से 5,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। तंजानिया लाईन की अरुषा अरहर के भाव भी 50 रुपये घटकर 5,050-5,075 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ गए। मोजाम्बिक लाईन की अरहर के भाव 25 रुपये कम होकर 5,200-5,225 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

अरहर की कीमतों में सुधार आने की संभावना है क्योंकि उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश से अरहर की नई फसल की कटाई में देरी होने की आशंका है, साथ ही मौसम विभाग ने आगे अभी मौसम और खराब होने की भविष्यवाणी जारी की हुई है। जानकारों के अनुसार चालू सीजन में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में अरहर की फसल को 20 से 40 फीसदी तक नुकसान होने की संभावना है। महाराष्ट्र में अरहर की फसल को 10 से 15 फीसदी तक नुकसान होने की आशंका है। अत: चालू सीजन में अरहर के कुल उत्पादन अनुमान में 20 फीसदी की कमी आने की आशंका है। वैसे भी सरकारी एजेंसियों द्वारा अरहर की खरीद निविदा की माध्यम से की जा रही है, जिससे कीमतों में सुधार आने के आसार हैं।

हालांकि व्यापारियों के अनुसार चालू महीने में अफ्रीका से अरहर के करीब तीन वैसल आ रहे हैं, तथा अफ्रीकी अरहर की कीमतें नीचे होने के कारण कीमतों पर दबाव बना है।

मुंबई में उड़द एफएक्यू के दाम 6,925 से 6,950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।

चेन्नई में दाम घटने के कारण हाजिर मांग कम होने से दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 25-75 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,125 रुपये और 7,825 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग में आये सुधार से दिल्ली में कनाडा की मसूर की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 7,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि मध्य प्रदेश की मसूर के दाम 7,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

नीचे दाम पर मिलों की मांग से कनाडा की मसूर के भाव हजीरा और मुंद्रा बंदरगाह पर 25-25 रुपये तेज होकर क्रमश: 7,100 से 7,125 रुपये और 7,050 से 7,075 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

नवंबर अंत तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 47 लाख टन के पार, 35 लाख टन के निर्यात सौदे

नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2021-22 के पहले दो महीनों पहली अक्टूबर 2021 से 30 नवंबर 2021 तक चीनी का उत्पादन 9.73 फीसदी बढ़कर 47.21 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस दौरान केवल 43.02 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में 416 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 409 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी।

चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 35 लाख टन चीनी के निर्यात सौदों हो चुकी है, जोकि रॉ-शुगर के करीब 20-21 सेंट प्रति पाउंड की दर से हुए थे, हालांकि हाल ही में विश्व बाजार में रॉ-शुगर के दाम 20 सेंट प्रति पाउंड से घटकर 18.6 सेंट प्रति पाउंड पर आ गए हैं, जिससे भारतीय निर्यातक नए निर्यात सौदे नहीं कर रहे हैं।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र में 30 नवंबर 2021 तक 20.34 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 15.79 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में 172 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 158 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी।

उत्तर प्रदेश में 30 नवंबर तक 101 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है, जबकि पिछले सीजन की समान अवधि में 111 मिलों ने पेराई आरंभ कर दी थी। राज्य में 30 नवंबर 2021 तक 10.39 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि के 12.65 लाख टन से कम है।

कर्नाटक में 30 नवंबर 21 तक 12.76 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 11.11 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में चालू पेराई सीजन में 66 मिलों ने गन्ने की पेराई आरंभ कर दी है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 63 मिलों ने ही पेराई आरंभ की थी।

गुजरात में चालू पेराई सीजन में 30 नवंबर 2021 तक 15 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है, तथा 1.66 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जबकि पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य की इतनी ही चीनी मिलों ने 1.65 लाख टन चीनी का उत्पादन कर दिया था।

देश के अन्य राज्यों उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में 30 नवंबर 2021 तक 2.06 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है तथा इन राज्यों में 62 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है। पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इन राज्यों में 1.82 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।

01 दिसंबर 2021

अरहर की कीमतों में मिलाजुला रुख, अन्य दालों की कीमतों पर दबाव

नई दिल्ली। अरहर के उत्पादक राज्यों कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र के कई क्षेत्रों में आज हुई बारिश से अरहर की नई फसल की आवकों में देरी की आशंका है, जिससे हाजिर बाजार में इसके भाव में सुधार आने का अनुमान है। घरेलू मंडियों में आज अरहर की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा, जहां दिल्ली में लेमन अरहर नई के भाव में सुधार आया, वहीं मुंबई में अरहर के साथ ही उड़द की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। दिल्ली के नया बाजार में भी उड़द और मसूर में नरमी देखी गई।

भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार तमिलनाडु, दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश और कर्नाटक तथा मध्य महाराष्ट्र और गुजरात में हल्की बारिश दर्ज की गई। आईएमडी के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक तथा महाराष्ट्र और गुजरात के अलावा मध्य प्रदेश के भी कई क्षेत्रों में हल्की बारिश होने का अनुमान है। अरहर के उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश से जहां नई फसल की आवकों में देरी होगी, वहीं ज्यादा बारिश हुई तो फिर फसल को नुकसान की भी आशंका है।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 6,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। जबकि इस दौरान पुरानी लेमन अरहर के दाम 6,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मुंबई में लेमन अरहर के भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,900 से 5,925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अफ्रीका की अरहर के दाम भी 25 रुपये घटकर 6,000 से 6,025 रुपये, अरुषा अरहर के भाव भी 25 रुपये कम होकर 5,100 से 5,125 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मोजांबिक की अरहर के दाम 5,200 से 5,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

सूत्रों के अनुसार, 28,135 टन मोज़ाम्बिक की अरहर लेकर आने वाला पोत के 6 दिसंबर, 2021 को मुंबई बंदरगाह पर पहुंचने की उम्मीद है। एक पोत जोकि 17,700 टन मोज़ाम्बिक की अरहर लेकर मुंबई बंदरगाह पर पहुंच गया है।

चेन्नई में दाम घटने के साथ ही मिलों की हाजिर मांग घटने से दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,150 रुपये और 7,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू के दाम 75 रुपये घटकर 6,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने से दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,300 रुपये और 7,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 7,200 से 7,250 रुपये और आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव भी 7,200 से 7,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। कनाडा की मसूर के दाम हजिरा बंदरगाह पर 7,000 से 7,050 रुपये और मुंद्रा बदरगाह पर 7,100 से 7,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में चना की कीमतों में 25 से 50 रुपये की तेजी आकर मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,025 रुपये और राजस्थानी चना के दाम 5,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

विदेशी बाजार में आई मंदी से घरेलू बाजार में चीनी के दाम स्थिर, अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं

नई दिल्ली। कोरोना के नए वेरिएंट से विश्व बाजार में बुधवार को चीनी की कीमतों पर दबाव देखा गया, जबकि दिसंबर के लिए तय अनुमान से कोटा कम जारी होने के बावजूद भी दाम लगभग स्थिर बने रहे। दिल्ली में एम ग्रेड चीनी के भाव 3,820 से 3,950 रुपये और बरेली में 3,800 से 3,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। जानकारों के अनुसार चीनी की कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

कोरोना के नए वैरिएंट के चलते एथनॉल की मांग प्रभावित होने की आशंका से विश्व बाजार में चीनी की कीमतों पर दबाव देखा गया। बीते कारोबारी सत्र में ग्लोबल मार्केट में आईसीई मार्च रॉ शुगर वायदा 3.2 फीसदी गिरकर 18.60 सेंट प्रति पाउंड पर आ गया जबकि मार्च का व्हाइट शुगर का वायदा 2.4 फीसदी गिरकर 485.60 डॉलर प्रति टन रह गया। क्रूड ऑयल में 5 फीसदी की गिरावट आने के बाद, कीमतें तीन माह के निचले स्तर पर आ गई, जिस कारण चीनी क भाव पर दबाव बढ़ गया।

व्यापारियों के अनुसार दिसंबर के लिए चीनी का कोटा अनुमान से कम जारी होने के कारण आज कीमतों में सुधार आने की उम्मीद थी, लेकिन मांग कमजोर रहने के कारण देश के अधिकतर राज्यों में भाव स्थिर बने रहे। उत्तर प्रदेश की कुछ मिलों ने एक्स फैक्ट्री रेट जरुर 10 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाए लेकिन अधिकतर राज्यों की मिलों ने एक्स फैक्ट्री भावों को स्थिर ही बनाए रखा। मुंबई में एम ग्रेड चीनी में हल्की नरमी और एस ग्रेड में तेजी देखने को मिली। गौरतलब है कि सरकार ने दिसंबर के लिए 21.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है जो पिछले दिसंबर 2020 के कोटे के बराबर है और नवंबर 2021 के 22.5 लाख टन कोटे से कम है। सरकार ने नवंबर के कोटे की बची हुई चीनी बेचने की भी अनुमति मिलों को नहीं दी है।

उधर, महाराष्ट्र सहित पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र के बाजारों में भी चीनी के भाव आज स्थिर ही बने रहे। इन राज्यों की चीनी मिलों ने भी एक्स फैक्ट्री भाव में कोई बदलाव नहीं किया। व्यापारियों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीतमों में आई गिरावट से घरेलू बाजार में इसके भाव पर दबाव आया क्योंकि, भाव में आई गिरावट से निर्यात में कमी आने की आशंका है।

30 नवंबर 2021

दिसंबर के लिए 21.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिसंबर के लिए घरेलू बाजार में बिक्री के लिए 21.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है। सरकार ने इस महीने के बचे कोटे की बिक्री के लिए भी कोई मोहलत नहीं दी है। व्यापारियों के अनुसार दिसंबर के लिए कोटा तय अनुमान से कम आया है, जबकि खपत का सीजन बना हुआ है। इसलिए मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार तो बन सकता है लेकिन बड़ी तेजी के आसार नहीं है।

केंद्रीय खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने दिसंबर के लिए 21.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है जो पिछले साल दिसंबर के कोटे के बराबर है। कारोबारियों को उम्मीद थी कि कोटा कम से कम 22 या 22.5 लाख टन का आयेगा। सरकार ने नवंबर 2021 के लिए कोटा 22.5 लाख टन का कोटा जारी किया था। नवंबर में अक्टूबर के कोटे की बची चीनी बेचने की भी अनुमति दी गई थी, इसलिए नवंबर में चीनी की कुल उपलब्धता ज्यादा थी। जानकरों के अनुसार नवंबर के कोटे की भी करीब 2.5 से 3 लाख टन चीनी मिलों के पास बगैर बिकी हुई बची है।

29 नवंबर 2021

आयातित मसूर और चना मुंबई में नरम, अरहर के भाव में सुधार, दिल्ली में दालें नरम

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण सोमवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में मसूर के साथ ही चना की कीमतों में गिरावट आई जबकि अरहर की कीमतों में सुधार आया। दिल्ली में मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से चना, मूंग और मसूर में गिरावट दर्ज की गई।

तंजानिया लाईन की अरुषा और मटवारा अरहर की कीमतों में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 5,150 से 5,2000 रुपये और 5,050- से 5,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।  मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव भी 50 रुपये तेज होकर 5,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मलावी अरहर की कीमतें भी 50 रुपये तेज होकर 4,650 से 4,750 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। सूडान की अरहर के भाव 6,050-6,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। दाल मिलों की सीमित मांग से बर्मा की लेमन अरहर के भाव 6,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

अरहर की कीमतों में सुधार आने की संभावना है क्योंकि नीचे दाम पर स्टॉकिस्टों की बिकवाली नहीं आ रही है। उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश से अरहर की नई फसल की कटाई में देरी होने की आशंका है, साथ ही मौसम विभाग ने आगे अभी मौसम और खराब होने की भविष्यवाणी जारी की हुई है।

जानकारों के अनुसार चालू सीजन में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में अरहर की फसल को 20 से 40 फीसदी तक नुकसान होने की संभावना है। महाराष्ट्र में अरहर की फसल को 10 से 15 फीसदी तक नुकसान होने की आशंका है। अत: चालू सीजन में अरहर के कुल उत्पादन अनुमान में 20 फीसदी की कमी आने की आशंका है।

इसके अलावा, सरकारी एजेंसियों द्वारा निविदा के माध्यम से खरीद करने से अरहर की कीमतों में सुधार आने का अनुमान है।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के भाव मुंबई, मुंद्रा और हजिरा बंदरगाह के साथ ही आस्ट्रेलियाई मसूर की कीमतें मुंबई में कंटेनर में 50 रुपये प्रति क्विंटल नरम हो गई।

दिल्ली में मसूर के दाम 25 रुपये घटकर 7,600 से 7,625 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मुंबई में तंजानिया के चना में दाल मिल की हाजिर मांग कमजोर होने से भाव में 25 रुपये की गिरावट  आकर भाव 4,775 से 4,875 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। नेफेड लगातार अपने स्टॉक से चना की बिकवाली कर रही है।

दिल्ली में चना की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर राजस्थानी चना के दाम 5,150 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,050 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

राजस्थान लाईन की मूंग के दाम दिल्ली में घटकर 4,500 से 6,100 रुपये और बेस्ट क्वालिटी के भाव 6,600 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मिलों द्वारा एक्स फैक्ट्री भाव बढ़ने से चीनी हाजिर में तेज

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में चीनी द्वारा एक्स मिल भाव बढ़ाने से सोमवार को दिल्ली और उत्तर प्रदेश सहित उत्तरी भारत में चीनी के थोक भाव तेज हो गए। उत्तर भारत की तेजी के कारण दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों के बाजारों में चीनी में मजबूती देखी गई। इन क्षेत्रों की मिलों ने भी फैक्ट्री रेट 10 रुपये बढ़ा दिए। जानकारों का कहना है कि अगले महीने का कोटा कम आने की संभावना से भी चीनी में भाव बढ़े हैं।

उत्तर प्रदेश की कई मिलों ने एक्स फैक्ट्री भाव में बढ़ोतरी की है। इसके बाद थोक बाजारों में व्यापारियों और स्टॉकिस्टों ने भी चीनी के भाव बढ़ाने शुरू कर दिए। पिछले हफ्ते राज्य की मिलों ने एक्स फैक्ट्री भाव बढ़ाने पर ज्यादातर व्यापारियों ने दाम नहीं बढ़ाये थे, लेकिन आज थोक बाजारों में चीनी के दाम 100 से 140 रुपये क्विंटल तक तेज हो गए। व्यापारियों के अनुसार मिलों ने एक्स फैक्ट्री भाव पिछले दो कार्यदिवसों में 40-50 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ाए हैं। इसके अलावा ट्रकों की कमी होने के कारण भाड़े भी बढ़ गए हैं जिससे थोक बाजारों में आज तेजी दर्ज की गई।

26 नवंबर 2021

रबी फसलों की बुआई 346 लाख हेक्टेयर के पार, तिलहन की 27.34 फीसदी ज्यादा

नई दिल्ली। चालू सीजन में 26 नवंबर 2021 तक रबी फसलों की बुआई 7.26 फीसदी बढ़कर 346.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 322.70 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार तिलहनी फसलों की बुआई मेें चालू रबी में 27.34 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि रबी दलहन की बुआई 3.73 फीसदी आगे चल रही है। रबी फसलों की बुआई में तेजी आने लगी है।

मंत्रालय के अनुसार तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 76.60 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 60.15 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 71.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 55.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लवर की बुआई 69 हजार हेक्टेयर में, मूंगफली की 2.14 लाख हेक्टेयर में और सफ्लावर की 43 हजार हेक्टेयर के अलावा केस्टर सीड की बुआई 1.19 लाख हेक्टेयर में हुई है।

रबी दालों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 97.53 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अविध इनकी बुआई 94.02 लाख हेक्टेयर में हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में बढ़कर 70.01 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 65.21 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मसूर की बुआई चालू रबी में 10.94 लाख हजार हेक्टेयर में, मटर की 7.18 लाख हेक्टेयर में और उड़द की 2.41 हेक्टेयर में हुई है। पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 11.07 लाख हेक्टेयर में, 7.23 लाख हेक्टेयर में और 2.35 लाख हेक्टेयर में हुई थी।

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी में 25.87 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 26.80 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई चालू रबी में 17.15 लाख हेक्टेयर में और मक्का की 4.49 लाख हेक्टेयर में तथा जौ की बुआई 3.92 लाख हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 18.34 लाख हेक्टेयर में, 4.52 लाख हेक्टेयर में और 3.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में 138.35 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 133.84 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

धान की रोपाई चालू रबी में 7.78 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी रोपाई 7.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

25 नवंबर 2021

बर्मा की अरहर और मसूर की कीमतों में गिरावट, मूंग और चना में आया सुधार

नई दिल्ली। बढ़े भाव में दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर के साथ ही मसूर की कीमतों में गिरावट आई जबकि मूंग के साथ ही चना की कीमतों में तेजी आई। मुंबई में अरहर और उड़द की कीमतों में भी नरमी आई, जबकि मसूर के दाम स्थिर बने रहे।

व्यापारियों के अनुसार अरहर की कीमतों में पिछले चार, पांच दिनों से लगातार तेजी बनी हुई थी, अत: बढ़े भाव में मिलों की मांग तो कमजोर हुई है, लेकिन दक्षिण भारत के राज्यों में मौसम अभी भी खराब बना हुआ है। ऐसे में आगे अरहर की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक उत्पादक राज्यों में मौसम कैसा रहता है, इस पर भी निर्भर करेगी।

अन्य बाजारों में कीमतों में आई नरमी से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई और पुरानी की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,350 से 6,375 रुपये और 6,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।  

मुंबई में लेमन अरहर के दाम 50 रुपये घटकर 5,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान अफ्रीका की अरहर के दाम 25 रुपये कम होकर 6,075 से 6,100 प्रति क्विंटल रह गए। अरुषा एवं मोजांबिक की अरहर के दाम इस दौरान क्रमश: 5,100 से 5,150 रुपये एवं 5,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

सूत्रों के अनुसार कीमतेंं तेज होने के कारण तमिलनाडु राज्य सरकार ने 60,000 टन अरहर दाल खरीदने की निविदा को रद्द कर दिया है, जिससे अरहर की कीमतों पर दबाव बना है।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में कनाडा की मसूर के दाम 25 रुपये घटकर 7,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मध्य प्रदेश की मसूर के दाम इस दौरान 7,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मुंबई में कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 7,250 से 7,300 रुपये और आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव कंटेनर में 7,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। कनाडा की मसूर मुंद्रा बंदरगाह के साथ ही हजीरा बंदरगाह पर क्रमश: 7,150 रुपये और 7,200 रुपये प्रति क्विंटल के पूर्वस्तर पर टिकी रही।

कानपुर में देसी मसूर के दाम 25 रुपये घटकर 7,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

इंदौर मंडी मेंं देसी मसूर की कीमतों में 50 रुपये का मंदा आकर भाव 7,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।  

हालांकि नेफेड निजी आयातकों से आयातित मसूर की खरीद के लिए सक्रिय है, हालांकि व्यापारियों को डर है कि नेफेड आगे इसकी बिकवाली भाव घटाकर कर सकती है, इसलिए व्यापार सीमित मात्रा में ही कर रहे हैं।

चना की कीमतों में दिल्ली में 25 रुपये की तेजी आकर राजस्थानी चना के भाव 5,250 से 5,275 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मध्य प्रदेश के चना के भाव भी बढ़कर 5,150 से 5,175 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

मटर के दाम कानपूर मंडी में 50 रुपये तेज होकर 5,850 से 6,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

अच्छी क्वालिटी की मूंग के दाम दिल्ली में तेज होकर 6,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि हल्की क्वालिटी की मूंग के दाम 4,500 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दाल मिलों की कमजोर मांग से मुंबई में एफएक्यू उड़द के दाम 25 रुपये घटकर 6,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

बर्मा में लेमन अरहर और उड़द नरम, खराब मौसम से घरेलू बाजार में अरहर में तेजी जारी

नई दिल्ली। बर्मा में स्थानीय एवं निर्यात मांग कमजोर होने के कारण बुधवार को लेमन अरहर के साथ ही उड़द की कीमतों में पांच-पांच डॉलर प्रति टन की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन घरेलू बाजार में उत्पादक राज्यों में खराब मौसम बना रहने से अरहर की कीमतों में तेजी जारी रही, जबकि उड़द के दाम चेन्नई में तेज हुए तथा अन्य मंडियों में स्थिर हो गए।

मसूर में बढ़े भाव में मांग कम होने से हल्की नरमी आई, जबकि नेफेड ने निजी आयातकों के करीब 3,750 टन आयातित मसूर की खरीद की। चना में बिकवाली कम आने से दाल स्थिर बने रहे, लेकिन मूंग की कीमतों में गिरावट देखने को मिली।

बर्मा में लेमन अरहर के दाम आज 5 डॉलर घटकर भाव 765 डॉलर प्रति टन, सीएंडएफ रह गए। इसी तरह से उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में पांच-पांच डॉलर की गिरावट आकर भाव क्रमश: 885 डॉलर और 995 डॉलर प्रति टन रह गए। जानकारों के अनुसार बर्मा में आगामी दिनों में नई लेमन अरहर की आवक बढ़ेगी, इसलिए मौजूदा कीमतों में तेजी की उम्मीद नहीं है। वैसे भी अगले महीने घरेलू मंडियों में देसी अरहर की आवक शुरू हो जायेगी, इसलिए बर्मा से भारतीय आयातकों की मांग भी कमजोर रहेगी।

भारतयी मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान, तमिलनाडु, तटीय ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, दक्षिण मध्य महाराष्ट्र और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में कई जगहांं पर हल्की से मध्यम बारिश हुई। अगले 24 घंटों के दौरान, तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश और दक्षिण मध्य महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। अरहर के उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश से जहां नई फसल की आवकों में देरी होगी, वहीं क्वालिटी भी प्रभावित होने का डर है। कर्नाटक के कुछ क्षेत्रों में पहले ही फसल को नुकसान होने के समाचार है। ऐसे में घरेलू बाजार में आगे अरहर की कीमतों में तेजी, मंदी काफी हद तक मौसम पर भी निर्भर करेगी।

अन्य बाजारों में भाव में आये सुधार के साथ ही नीचे दाम पर दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान पुरानी लेमन अरहर के दाम 6,200 से 6,225 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

नीचे दाम पर मिलों की मांग बढ़ने से बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में मुंबई में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 6,000 से 6,025 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। तंजानिया लाईन की अरुषा अरहर के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,200-5,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दूसरी और, मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 5,050-5,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मलावी अरहर के दाम 4,650 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सूडान की अरहर के भाव भी 6,050-6,100 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। दूसरी ओर, मटवारा अरहर की कीमतें 5,050 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

स्थानीय मिलों की मांग सुधरने से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 25-25 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 6,900 से 6,925 रुपये और 6,800 से 6,825 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई में उड़द एसक्यू हाजिर डिलीवरी के दाम 25 रुपये तेज होकर 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि उड़द एफएक्यू दिसंबर डिलीवरी के भाव भी 25 रुपये बढ़कर 6,950 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। बर्मा उड़द एसक्यू जनवरी और दिसंबर डिलीवरी के भाव क्रमश: 7,725 रुपये और 7,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मुंबई में कनाडा की मसूर के दाम कंटेनर में 7,250 से 7,300 रुपये एवं आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव कंटेनर में 7,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मुुंद्रा और हजिरा बंदरगाह पर मसूर के भाव क्रमश: 7,150 रुपये और 7,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

नेफेड ने दिल्ली से निजी आयातों से 2,500 टन मसूर की खरीद 7,540 रुपये प्रति क्विंटल एवं बिहार से 1,200 टन मसूर की खरीद 7,537 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की।

दिल्ली में मसूर के दाम 50 रुपये घटकर 7,625 से 7,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

लारेंस रोड़ पर राजस्थानी चना के दाम 5,250 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के भाव 5,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

राजस्थान लाईन की मूंग के दाम दिल्ली में 100 रुपये घटकर 4,500 से 6,200 रुपये और बढ़िया क्वालिटी के भाव 6,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

उधर मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में बढ़िया क्वालिटी की मूंग के दाम 100 रुपये तेज होकर 7,000 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, जबकि हल्की क्वालिटी के भाव 6,000 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मार्च 2022 तक जारी रहेगी पीएमजीकेएवाई योजना, फ्री आवंटन से गेहूं की मांग खुले बाजार से घटेगी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के जरिए गरीबों को मुफ्त राशन के वितरण की अविध को 30 नवंबर 2021 से बढ़ाकर 31 मार्च 2022 कर दिया है। हालांकि देश की अर्थव्यवस्था में आये सुधार और ओएमएसएस पॉलिसी के तहत अनाज का आवंटन होने के कारण पिछले दिनों ही केंद्रीय खाद्य सचिव ने इस योजना को नवंबर के बाद   बढ़ाने से मना कर दिया था, लेकिन कई राज्यों में चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस योजना को चार महीने बढ़ाने का फैसला लिया है।

सूत्रों के अनुसार पीएमजीकेएवाई योजना से गेहूं की कीमतों पर असर पड़ेगा, क्योंकि फ्री में आवंटन होने से खुले बाजार से गेहूं की मांग कम हो जायेगी। दिल्ली में गेहूं के भाव 2145 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार गेहूं की दैनिक आवक सामान्य की तुलना में कमजोर है, लेकिन मिलों की मांग भी कम देखी गई। दिल्ली में आज लारेंस रोड पर आवक 5,000 बोरियों की हुई।

पीएमजीकेएवाई योजना 30 नवंबर 2021 को समाप्‍त हो रही थी, लेकिन सरकार के इस फैसले से उन 80 करोड़ परिवारों को अगले चार महीने तक इस योजना का और लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक में पीएमजीकेएवाई योजना को मार्च 2022 तक विस्‍तार देने का फैसला लिया गया। इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्‍यों को यह विकल्‍प दिया था कि वे चाहें तो इस योजना को संबंधित राज्‍य में विस्‍तार दे सकते हैं। ऐसी स्थिति में इस पर आने वाला खर्च भी संबंधित राज्‍यों को ही वहन करना था, लेकिन अब केंद्र ने खुद इस योजना की अवधि को अगले चार माह के लिए और बढ़ाने की घोषणा की है। इस योजना के तहत पात्र परिवारों को 5 किलो चावल या गेहूं एवं 1 किलो दाल के साथ 1 लीटर तेल, नमक एवं चीनी प्रदान की जाती है।

दिल्‍ली, ओडिशा सहित कई केंद्र शासित प्रदेशों और राज्‍यों की तरफ से इस संबंध में केंद्र सरकार से मांग की गई थी। दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ-साथ ओडिशा के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक ने भी केंद्र सरकार से योजना को विस्‍तार देने का अनुरोध किया था। दिल्‍ली सरकार ने बाद में इस योजना को मई 2022 तक बढ़ाने की घोषणा की थी। वहीं, उत्‍तर प्रदेश में मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने पहले ही इस योजना की अवधि को मार्च 2022 तक के लिए बढ़ाने की घोषणा की है। यूपी सरकार के इस फैसले को राज्‍य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए बेहद अहम बताया गया।

अब केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को विस्‍तार देने को भी कई राज्‍यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए रणनीतिक फैसला बताया जा रहा है।

पीएमजीकेएवाई योजना की शुरुआत साल 2020 में हुई थी, जब देश कोविड-19 महामारी के भीषण चपेट में था और लॉकडाउन के कारण लाखों परिवारों को काम-धंधे से हाथ धोना पड़ा था। इसके तहत गरीब परिवारों को 5 किलो राशन नि:शुल्‍क प्रदान किया जाता रहा है। इसके लाभार्थियों की संख्‍या लगभग 80 करोड़ बताई जाती है। अर्थव्यवस्था के धीरे-धीरे पटरी पर लौटने के संकेत के बीच इस मुफ्त राशन योजना को 30 नवंबर 2021 तक ही जारी रखने की बातें सामने आई थी, लेकिन अब सरकार ने इसे मार्च 2022 तक बढ़ाने का फैसला लिया है।

24 नवंबर 2021

बर्मा की लेमन एवं अरुषा अरहर के साथ ही उड़द के भाव मुंबई में तेज, मसूर स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बनी रहने के कारण बुधवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में बर्मा की लेमन एवं अरुषा अरहर के साथ ही उड़द के भाव में तेजी आई।

नीचे दाम पर मिलों की मांग बढ़ने से बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में मुंबई में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 6,000 से 6,025 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

तंजानिया लाईन की अरुषा अरहर के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,200-5,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दूसरी और, मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 5,050-5,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मलावी अरहर के दाम 4,650 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। सूडान की अरहर के भाव भी 6,050-6,100 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। दूसरी ओर, मटवारा अरहर की कीमतें 5,050 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

व्यापारियों के अनुसार अरहर में बिकवाली का दबाव रुक सकता है, तथा नीचे भाव में मांग निकलने से हल्का सुधार और भी बन सकता है। अरहर के उत्पादक क्षेत्रों में पिछले 5-6 दिनों से बारिश के कारण नई अरहर की फसल की कटाई में देरी होने की आशंका है। मौसम विभाग ने अगले सप्ताह और बारिश होने का अनुमान जारी किया है, जिससे क्वालिटी प्रभावित होने का डर है।

कर्नाटक के कई जिलों में बारिश के कारण अरहर की फसल प्रभावित हुई है, हालांकि, कालाबुरागी जिले में बारिश नहीं हुई, लेकिन वहां फसल बुरी तरह प्रभावित हुई क्योंकि अत्यधिक कोहरे की स्थिति अरहर की फसल को नुकसान पहुंचा रही है।

इसके अलावा, सरकारी एजेंसियां निविदा के माध्यम से अरहर की खरीद कर रही है, जिससे भाव में तेजी को बल मिल रहा है।

दालों में थोक साथ ही खुदरा मांग में सुधार आने का अनुमान है, क्योंकि ब्याह, शादियों का सीजन होने के कारण मांग में बढ़ोतरी के आसार हैं।

स्थानीय मिलों की मांग सुधरने से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 25-25 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 6,900 से 6,925 रुपये और 6,800 से 6,825 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

मिलों की सीमित खरीद से कनाडा की मसूर के भाव मुंबई, हजिरा और मुंद्रा बंदरगाह पर, साथ ही आस्ट्रेलियाई मसूर के दाम मुंबई में स्थिर बने रहे।

22 नवंबर 2021

आयातित अरहर और मसूर के भाव मुंबई में बढ़े, चना के नरम, उड़द और काबुली चना स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग सुधरने के कारण सोमवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित अरहर और मसूर की कीमतों में सुधार आया, जबकि चना की कीमतों में नरमी आई।

नीचे दाम पर मिलों की मांग बढ़ने से बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में मुंबई में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 5,950 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। तंजानिया लाईन की अरुषा अरहर के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,100-5,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव भी 50 रुपये तेज होकर 5,050-5,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मलावी अरहर के दाम 50 रुपये बढ़कर 4,650 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूडान की अरहर के दाम भी 100 रुपये तेज होकर 6,050-6,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दूसरी ओर, मटवारा अरहर की कीमतें 5,050 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

व्यापारियों के अनुसार अरहर में बिकवाली का दबाव रुक सकता है, तथा नीचे भाव में मांग निकलने से हल्का सुधार और भी बन सकता है। अरहर के उत्पादक क्षेत्रों में पिछले 4-5 दिनों से बारिश के कारण नई अरहर की फसल की कटाई में देरी होने की आशंका है साथ ही क्वालिटी भी प्रभावित होने का डर है। साथ ही, तमिलनाडु नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा निविदा के माध्यम से खरीदी हुई अरहर दाल को मंजूरी दे दी है।

दालों में थोक साथ ही खुदरा मांग में सुधार आने का अनुमान है, क्योंकि ब्याह, शादियों का सीजन होने के कारण मांग में बढ़ोतरी के आसार हैं।

मध्य प्रदेश सरकार ने बाढ़ पीड़ित परिवारों को 25 किलो चावल, 1 किलो अरहर दाल, 1 लीटर तेल, 1 किलो आलू और प्याज देने का फैसला किया है।

मोजाम्बिक से 24,310.821 टन मोज़ाम्बिक अरहर और 520.04 मलावी अरहर लेकर आए पोत ने 22 नवंबर तक मुंबई बंदरगाह पर 22,782 टन माल की अनलोडिंग कर दी है।

एक शिपिंग एजेंसी के अनुसार, एक वैसल जोकि 16,000 टन मोज़ाम्बिक अरहर लेकर आ रहा है, इसके 27 नवंबर, 2021 को मुंबई बंदरगाह पर पहुंचने की उम्मीद है।

नीचे दाम पर मिलों की मांग सुधरने से कनाडा की मसूर के भाव मुंबई, हजिरा और मुंद्रा बंदरगाह पर, साथ ही आस्ट्रेलियाई मसूर के दाम मुंबई में केंटनर और वैसल में 25-50 रुपये प्रति क्विंटल तेज होकर हो गए।

नेफेड ने निजी आयातकों से आयातित मसूर की खरीद के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं।

तंजानिया के चना में दाल मिल की हाजिर मांग घटने से भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 4,700 से 4,825 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

स्थानीय मिलों की सीमित मांग से मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव क्रमश: 4,750 से 4,850 रुपये और 5,100 से 5,250 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान में काबुली चना की नई फसल आ रही है, लेकिन काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

स्थानीय मिलों की सीमित खरीद से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतें क्रमशः 6,800 से 6,825 रुपये और 6,700 से 6,725 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

19 नवंबर 2021

बर्मा की उड़द के दाम दिल्ली में बढ़े, कनाडा की मसूर नरम

नई दिल्ली। नीचे दाम पर दाल मिलों की हाजिर मांग सुधरने के कारण गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की उड़द की कीमतों में सुधार आया, जबकि मसूर के भाव में गिरावट दर्ज की गई।

चेन्नई में दाम बढ़ने के साथ ही नीचे दाम पर मिलों की मांग बढ़ने से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू और एसक्यू की कीमतों में 25 से 50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,125 रुपये और 7,725 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

उत्तर प्रदेश लाईन की नई उड़द की कीमत 6,800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव दिल्ली में क्वालिटीनुसार 6,000-7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

हालांकि, आयातित उड़द की तुलना में घरेलू नई उड़द में व्यापारिक गतिविधियां कमजोर थी।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में कनाडा की मसूर की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस दौरान मध्य प्रदेश की मसूर के दाम 7,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। मसूर दाल में उठाव कमजोर होने के कारण मिलों की मांग कमजोर देखी गई।

दाल मिलों की सीमित खरीद से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव क्रमश: 6,200-6,225 रुपये और 6,050 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

व्यापारियों के अनुसार हाजिर बाजार में अफ्रीका की सस्ती अरहर की उपलब्धता ज्यादा है साथ ही नियमित आवक बनी हुई है। अफ्रीका की अरहर की क्वालिटी हल्की है, जिस कारण हाजिर बाजार में अरहर की कीमतों पर दबाव है।

17 नवंबर 2021

चालू पेराई सीजन में 15 नवंबर तक चीनी का उत्पादन 24 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2021-2 के पहले डेढ़ महीनें पहली अक्टूबर 2021 से 15 नवंबर 2021 तक चीनी का उत्पादन 24.25 फीसदी बढ़कर 20.90 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस दौरान केवल 16.82 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में 308 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 289 मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में महाराष्ट्र में 15 नवंबर 2021 तक 8.91 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 6 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में 134 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 120 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई थी।

उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में अक्टूबर के तीसरे सप्ताह में हुई बारिश से मिलों में देर से पेराई आरंभ शुरू हो पाई। राज्य में 15 नवंबर तक 74 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है, जबकि पिछले सीजन की समान अवधि में 76 मिलों ने पेराई आरंभ कर दी थी। राज्य में 15 नवंबर 2021 तक 2.88 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि के 4 लाख टन से कम है।

कर्नाटक में 15 नवंबर 21 तक 7.62 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 5.66 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में चालू पेराई सीजन में 63 मिलों ने गन्ने की पेराई आरंभ कर दी है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 60 मिलों ने ही पेराई आरंभ की थी।

गुजरात में चालू पेराई सीजन में 15 नवंबर 2021 तक 14 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है, तथा 75 हजार टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, जबकि पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य की 14 मिलों ने 80 हजार टन चीनी का उत्पादन कर दिया था।

देश के अन्य राज्यों उत्तराखंड, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में 15 नवंबर 2021 तक 74,000 टन चीनी का उत्पादन हो चुका है तथा इन राज्यों में 23 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है।

चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 25 लाख टन चीनी के निर्यात सौदों हो चुकी है, जिनमें से अक्टूबर में करीब 2.70 लाख टन की शिपमेंट भी हो चुकी है जोकि पिछले पेराई सीजन की समान अविध के 1.96 लाख टन से ज्यादा है। नवंबर में निर्यात के लिए दो लाख टन चीनी पाइपलाइन में है।

16 नवंबर 2021

अक्टूबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 16 फीसदी घटा-एसईए

नई दिल्ली। अक्टूबर में जहां खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 16 फीसदी की कमी आई है, वहीं चालू तेल वर्ष नवंबर-20 से अक्टूबर-21 के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का कुल आयात पिछले तेल वर्ष के लगभग बराबर ही हुआ है।

साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अक्टूबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात घटकर 1,060,549 टन का हुआ है, जबकि ​​पिछले साल अक्टूबर में इनका आयात 1,266,784 टन का हुआ है। चालू तेल वर्ष के अक्टूबर में खाद्य तेलों का आयात 1,046,264 टन का और अखाद्य तेलों का आयात 14,285 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में खाद्य तेलों का आयात 1,224,945 टन का और अखाद्य तेलों का आयात 41,839 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-20 से अक्टूबर-21 के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का कुल आयात 13,531,333 टन का हुआ है जबकि तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 13,524,618 टन का हुआ था। चालू तेल वर्ष में जहां खाद्य तेलों का आयात 13,131,511 टन का हुआ है, वहीं अखाद्य तेलों का आयात 399,822 टन का हुआ था। पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में खाद्य तेलों का आयात 13,175,446 टन का और अखाद्य तेलों का आयात 349,172 टन का हुआ था।

सितंबर के मुकबाले अक्टूबर में आयातित खाद्य तेलों के दाम भारतीय बंदरगाह पर तेज हुए हैं। आरबीडी पॉमोलीन के भाव अक्टूबर में भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 1,349 डॉलर प्रति टन हो गए, जब​कि सितंबर में इसके भाव 1,222 डॉलर प्रति टन थे। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल के भाव अक्टूबर में भारतीय बंदरगाह पर बढ़कर 1,369 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि सितंबर में इसके भाव 1,240 डॉलर प्रति टन थे। क्रुड सोयाबीन तेल के भाव सितंबर के 1,372 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अक्टूबर में 1,453 डॉलर प्रति टन हो गए।

15 नवंबर 2021

सोयाबीन का उत्पादन अनुमान 118.89 लाख टन होने का अनुमान - सोपा

नई दिल्ली। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आफ इंडिया, सोपा के अनुसार पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2021-22 में देश में देश में सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर 118.89 लाख टन होने का अनुमान है, हालांकि अक्टूबर में उत्पादक मंडियों में इसकी दैनिक आवक घटकर 15 लाख टन ही होने का अनुमान है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन में सोयाबीन का उत्पादन 118.89 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल केवल 104.55 लाख टन का उत्पादन हुआ था। हालांकि अक्टूबर में उत्पादक मंडियों में सोयाबीन की दैनिक आवक घटकर केवल 15 लाख टन की ही हुई हैं, जबकि पिछले साल अक्टूबर में 18 लाख टन की हुई थी। सोपा के अनुसार चालू सीजन में सोयाबीन की कुल उपलब्धता पिछले साल के 115.19 लाख टन से बढ़कर 123.72 लाख टन होने का अनुमान है।

सोपा की मासिक सप्लाई-डिमांड के अनुसार अक्टूबर से शुरू हुए नए सीजन में पिछले स्टॉक 1.83 लाख टन था, जो पिछले साल के 5.16 लाख टन से कम है। नए सीजन में 1.83 लाख टन पिछले स्टॉक, 118.89 लाख टन उत्पादन और 3 लाख टन आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता 123.72 लाख टन सोयाबीन बैठेगी। पिछले सीजन में 5.16 लाख टन बकाया स्टॉक, 104.55 लाख टन उत्पादन और 5.48 लाख टन आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता 115.19 लाख टन सोयाबीन बैठी थी। बुवाई में 12 लाख टन सोयाबीन जाने से इस साल 111.72 लाख टन सोयाबीन क्रशिंग के लिए उपलब्ध होगी। इसमें से 15 लाख टन की अक्टूबर में सप्लाई हुई, जबकि अक्टूबर में क्रशिंग 6 लाख टन की हुई।

नए सीजन में सोयामील का बकाया स्टॉक 2.41 लाख टन रहा जोकि पिछले साल के महज 0.63 लाख टन था। इस सीजन के पहले महीने में 3.30 लाख टन सोयामील का आयात हुआ जथा 4.79 लाख टन का उत्पादन हुआ है। इसमें से 30 हजार टन का निर्यात हुआ है। देश में 5.50 लाख टन सोयामील का फीड के लिए और 75 हजार टन का फूड के लिए इस्तेमाल हुआ है। इसके बाद 3.95 लाख टन सोयामील का स्टॉक बचा हुआ है।

02 नवंबर 2021

दिल्ली में अरहर और काबुली चना के भाव में सुधार, मसूर और राजमा में मंदा

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण मंगलवार को दिल्ली के नया बाजार में आयातित अरहर और काबुली चना की कीमतों में सुधार आया, जबकि मसूर और राजमा की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। चना के दाम स्थिर बने रहे।

लारेंस रोड़ पर राजस्थानी चना के दाम 5,150 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के दाम 5,050 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दाल मिलों की हाजिर मांग सुधरने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान पुरानी अरहर की कीमतें 6,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50—50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,350 रुपये और 7,650 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

मिलों की मांग कमजोर होने के कारण ब्राजील लाईन का राजमा के भाव में 200 रुपये की गिरावट आकर भाव 14,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

​स्थानीय मिलों की मांग में आये सुधार से महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश लाईन के काबुली चना की कीमतों में 250-300 प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई।

30 अक्तूबर 2021

शुरूआती चरण में चालू रबी सीजन में तिलहन की बुआई आगे, दलहन की पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन के जहां तिलहन की बुआई आगे चल रही है, वहीं रबी दलहन की बुआई पिछड़ रही है। हालांकि रबी फसलों की बुआई अभी शुरूआती चरण में है तथा आगे बुआई की गति में तेजी आयेगी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन में 29 अक्टूबर 2021 तक रबी फसलों की बुआई बढ़कर 43.29 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 42.52 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मंत्रालय के अनुसार तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 25.33 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 20.01 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 24.67 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 19.60 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य तिलहनी फसलों में सनफ्लवर की बुआई 43 हजार हेक्टेयर में, मूंगफली की 8 हजार हेक्टेयर में और सफ्लावर की तीन हजार हेक्टेयर के अलावा केस्टर सीड की बुआई सात हजार हेक्टेयर में ही हुई है।

रबी दालों की बुआई चालू रबी में घटकर 9.70 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अविध इनकी बुआई 12.58 लाख हेक्टेयर में हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में शुरूआती चरण में घटकर 7.77 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 9.36 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मसूर की बुआई चालू रबी में 26 हजार हेक्टेयर में, मटर की 38 हजार हेक्टेयर में और उड़द की 28 हजार हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी में 4.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 5.24 लाख हेक्टेयर से कम है।

रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में 34 हजार हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 35 हजार हेक्टेयर से कम है।

धान की रोपाई चालू रबी में 3.71 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी रोपाई 4.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मुंबई में आयातित उड़द एवं चना की कीमतों में नरमी, काबुली चना में सुधार, अरहर और मसूर स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण शनिवार को मुंबई में आयातित उड़द के साथ ही चना की कीमतों में नरमी आई, जबकि काबुली चना के भाव में सुधार आया। अरहर के साथ ही मसूर की कीमतें स्थिर बनी रही।

सरकार के हस्तक्षेप और नीतियों के कारण दलहन बाजार में दबाव है। व्यापारियों के अनुसार मिलर्स, व्यापारी एवं स्टॉकिस्टों के साथ-साथ किसानों की दीपावली से पहले बिकवाली बढ़ने से दालों की कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। दालों की थोक के साथ ही खुदरा मांग सीमित बनी हुई है, हालांकि व्यापारियों के अनुसार त्यौहारी सीजन चल रहा है, इसलिए आगे दालों की मांग में बढ़ोतरी की उम्मीद है।

स्थानीय मिलों की मांग कमजोर होने से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 6,850 रुपये और 6,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसके अलावा, नेफेड मध्य प्रदेश में अपने पुराने स्टॉक की बिकवाली कर रही है। इस बीच, मौसम साफ होने से नई खरीफ उड़द की आवक बढ़ी है, हालांकि नई फसल की क्वालिटी काफी हल्की है, जबकि मिलर्स और व्यापारी अच्छी क्वालिटी की नई उड़द की खरीद कर रहे हैं। दिवाली के त्योहार के लिए नवंबर के पहले सप्ताह के दौरान प्रमुख बाजार बंद रहेंगे, इसलिए घरेलू मंडियों में में आवक कम रहेगी।

स्थानीय मिलों की मांग सुधरने से मुंबई में सूडान और रुस के काबुली चना के भाव में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 5,150 से 5,300 रुपये और 4,750 से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। सूडान में काबुली चना की नई फसल आ रही है, लेकिन काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

तंजानिया के चना में दाल मिल की हाजिर मांग कमजोर होने भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 4,800-4,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि, मध्य प्रदेश में नेफेड के द्वारा खरीदे हुए पुराने वर्ष-2018 और वर्ष-2019 चने का बकाया स्टॉक नगण्य है, जबकि वर्ष-2020 के चना की क्वालिटी हल्की है।

दाल मिलों की सीमित खरीद के कारण कनाडा की मसूर मुंद्रा और हजीरा बंदरगाह पर क्रमश:  7,000 से 7,050 रुपये और 7,050-7,125 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। आस्ट्रेलियाई मसूर के दाम मुंबई में 7,150 से 7,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

मिलों की खरीद कम होने के कारण मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव 6,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से सूडान की अरहर के भाव भी 6,150 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। तंजानिया की मटवारा अरहर की कीमतें 5,400 रुपये और तंजानिया लाईन की अरुषा अरहर के दाम 5,400 से 5,450 रुपये तथा मोजाम्बिक लाईन की गजरी किस्म के दाम 5,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

व्यापारियों के अनुसार हाजिर बाजार में अफ्रीका की सस्ती अरहर की उपलब्धता ज्यादा है साथ्घ ही नियमित आवक बनी हुई है। अफ्रीका की अरहर की क्वालिटी हल्की है, जिस कारण हाजिर बाजार में अरहर की कीमतों पर दबाव है।

29 अक्तूबर 2021

नवंबर के लिए 22.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी, अक्टूबर के बचे कोटे को भी बेचने की होगी अनुमति

नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने नवंबर महीने के लिए 22.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है। इसके साथ ही सरकार ने चीनी मिलों को अक्टूबर महीने के बचने हुए कोटे को भी नवंबर में बेचने की मोहलत मिलों को दे दी है।

सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने अक्टूबर के लिए 24 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था, जिसमें से 1.5-2 लाख टन चीनी बची हुई है। इस तरह से नवंबर के लिए करीब 24-24.5 लाख टन चीनी खुले बाजारों में बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। पिछले साल नवंबर 2020 के लिए केंद्र सरकार ने 22.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था।

जानकारों के अनुसार नवंबर के कोटे के साथ ही अक्टूबर की बची हुई चीनी को मिलाकर कुल उपलब्धता 24 से 24.50 लाख टन की होगी, जिससे कीमतों पर दबाव बना रहा। हालांकि नवंबर में त्यौहारी सीजन के साथ ही ब्याह-शादियों का सीजन शुरू होने से चीनी की खपत तो बढ़ेगी, लेकिन दीपावली के बाद मिलों में पेराई भी आरंभ हो जायेगी।

उत्तर प्रदेश में दीपावली बाद शुरू होगी गन्ने की पेराई, किसान कोल्हुओं को सस्ता गन्ने बेचने को मजबूर

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में गन्ने की पेराई आरंभ होने में हो देरी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। गेहूं की बिजाई के लिए खेत करने वाले किसानों को गन्ना कोल्हुओं को राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) से 80 से 100 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचना पड़ रहा है। आमतौर पर राज्य की चीनी मिलें 15 अक्टूबर के बाद गन्ने की पेराई आरंभ कर देती है, लेकिन चीनी के दाम नीचे होने के साथ ही नकदी की किल्लत के कारण मिलें पेराई देर से आरंभ करना चाहती है।

सूत्रों के अनुसार पिछले महीने गन्ने का मूल्य (एसएपी) 25 रुपये बढ़ाकर 350 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किए जाने के बाद राज्य सरकार मिलों में जल्द पेराई शुरू कराना चाहती थी। राज्य के गन्ना विकास मंत्री सुरेश राणा ने पिछले महीने कहा था कि राज्य की गन्ना मिलें 20 अक्टूबर से पेराई आरंभ कर देंगी। कुछ मिलों ने अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में पेराई शुरू करने की तैयारी भी की थी, लेकिन हाल की बारिश के चलते उन्होंने पेराई दिवाली तक के लिए टाल दी है।

सूत्रों के अनुसार राज्य की चीनी मिलें दीपावली से पहले पेराई शुरू करने की इच्छुक नहीं हैं, क्योंकि चालू महीने में चीनी की कीमतों में सुधार आया था, जिस कारण मिलें पुराना स्टॉक हल्का करना चाहती है। वैसे भी पेराई जल्दी शुरू करने से चीनी मिलों पर किसानों के बकाया भुगतान का दबाव भी बढ़ जाएगा। मालूम हो कि पेराई सीजन 2020-21 का बकाया भी राज्य की चीनी मिलों पर अभी बचा हुआ है।

ब्राजील में उत्पादन घटने की संभावना से विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार आया है, लेकिन हाजिर बाजार में दाम स्थिर बने रहे। आईसीई मार्च रॉ शुगर 0.27 सेंट यानी 1.4 फीसदी बढ़कर 19.26 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गया। दिसंबर व्हाइट शुगर फ्यूचर्स 5.90 डॉलर बढ़कर 511.30 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया। महाराष्ट्र और बंदरगाह के पास वाले राज्यों की मिलें निर्यात के लिए रॉ शुगर 3,050 से 3,100 रुपये और व्हाइट शुगर 3,200 से 3,250 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचन रही है, लेकिन निर्यात सौदे नहीं के बराबर हो रहे हैं।

उत्तर भारत के थोक बाजारों में चीनी की मांग सुस्त होने के दाम स्थिर बने रहे। कमजोर मांग को देखते हुए हुए आगे चीनी की कीमतों में नरमी बनने की उम्मीद है, वैसे भी दीपावली की मांग लगभग पूरी हो चुकी है। उधर दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों के थोक बाजारों में भी मांग कमजोर होने से आज कीमतें स्थिर बनी रही।

चीनी का उत्पादन घटकर 305 लाख टन होने का अनुमान, आरंभिक अनुमान से पांच लाख टन कम - इस्मा

नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2021 से शुरू हुए पेराई सीजन 2021-22 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान देश में चीनी का उत्पादन घटकर 305 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि जुलाई में जारी आरंभिक उत्पादन अनुमान 310 लाख टन से पांच लाख टन कम है। पिछले पेराई सीजन में देश में चीनी का उत्पादन 311.81 लाख टन का हुआ था।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने जुलाई 2021 में चालू पेराई सीजन के लिए 310 लाख टन चीनी उत्पादन का आरंभिक अनुमान जारी किया था, जोकि जून 2021 के अंतिम सप्ताह में किए गए उपग्रह मानचित्रण के पहले सर्वेक्षण पर आधारित था। यह उत्पादन अनुमान 34 लाख टन चीनी के बराबर गन्ने की खपत शीरा उत्पादन में बदलाव होने की संभावना को ध्यान में रखकर दिया गया था। चालू सीजन में देश भर में गन्ने की बुआई बढ़कर 54.37 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल के 52.88 लाख हेक्टेयर की तुलना में तीन फीसदी ज्यादा है।

उत्तर प्रदेश में गन्ने की बुआई तो बढ़कर 23.08 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल के 23.07 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेा में भारी और बेमौसमी वर्षा के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में कमी आने के साथ-साथ गन्ने में रिकवरी की दर घटने की संभावना जताई है। एथनॉल में गन्ना जाने के बाद उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में चीनी का 113.5 लाख टन उत्पादन ही होने का अनुमान है।

महाराष्ट्र में चालू सीजन में गन्ने की बुआई 11 फीसदी बढ़कर 12.78 लाख हेक्टेयर में होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन के 11.48 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। राज्य में दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी वर्षा हुई है। साथ ही राज्य के लगभग सभी जलाशयों में पर्याप्त पानी उपलब्ध है। राज्य में इथेनॉल में गन्ना जाने के बाद महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 122.50 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है।

कर्नाटक में गन्ना की बुआई 5.01 लाख हेक्टेयर से बढ़कर चालू सीजन में 5.11 लाख हेक्टेयर में हुई है। वहां एथनॉल में गन्ना जाने के बाद 49.50 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है। शेष राज्यों में कुल 53.10 लाख टन चीनी का उत्पादन अनुमान है।

अनुमान है कि गन्ने के रस और बी-शीरा को इथेनॉल में बदलने के लिए करीब 34 लाख टन चीनी के बराबर गन्ने की खपत एथेनॉल में होगी, इसीलिए इस्मा ने एथनॉल में बदलाव के बाद देश में चीनी के उत्पादन अनुमान को 310 लाख टन से घटाकर 305 लाख टन कर दिया है।

पहली अक्टूबर 2020 को 107.40 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक था जबकि पेराई सीजन 2020-21 के दौरान लगभग 311.81 लाख टन उत्पादन हुआ था। इसमें से 265.55 लाख टन चीनी की घरेलू खपत हुई, और करीब 70.72 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ। इसके बाद एक अक्टूबर, 2021 को लगभग 82.94 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचने का अनुमान है। इस तरह शुरूआती स्टॉक पिछले सीजन के 107.40 लाख टन से करीब 25 लाख टन कम होकर 82.94 लाख टन ही रह जायेगा।

मिलों की मांग से दिल्ली में अरहर एवं मसूर में सुधार, उड़द की कीमतों में मंदा

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर ही कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई जबकि उड़द की कीमतों में गिरावट आई।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण लगातार दूसरे दिन दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 6,350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इस दौरान पुरानी अरहर की कीमतें 6,200 रुपये प्रति क्विंटल पर ​स्थिर बने रहे, लेकिन इन भाव में बिकवाली कमजोर रही। हालांकि, हाजिर बाजार में अफ्रीका की अरहर सस्ती है, साथ ही उसकी क्वालिटी भी काफी हल्की है, जबकि आगे आयातित अरहर की आवक भी बढ़ेगी, इसलिए इसकी कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

दाल मिलों की हाजिर कमजोर होने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतें 50 से 75 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,975 रुपये और 7,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव दिल्ली में क्वालिटीनुसार 6,000-7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

इस बीच, मौसम साफ होने से नई खरीफ उड़द की आवक बढ़ी है, हालांकि नई फसल की क्वालिटी काफी हल्की है, जबकि मिलर्स और व्यापारी अच्छी क्वालिटी की नई उड़द की खरीद कर रहे हैं। दिवाली के त्योहार के लिए नवंबर के पहले सप्ताह के दौरान प्रमुख बाजार बंद रहेंगे, इसलिए घरेलू मंडियों में दलहन की आवक कम रहेगी।

दाल मिलों की हाजिर मांग सुधरने से लगातार दूसरे दिन दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25—100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,325 रुपये और 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

28 अक्तूबर 2021

मिलों की मांग से दिल्ली में चना, अरहर, उड़द एवं मसूर के दाम बढ़े

नई दिल्ली। नीचे दाम पर दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की अरहर, उड़द एफक्यू के साथ ही कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर और चना की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।

व्यापारियों के अनुसार दालों की खुदरा और थोक मांग में नीचे भाव मेें मांग निकलने से सुधार आया है, आगे त्यौहारी सीजन है इसलिए इनकी मांग में आगे और भी हल्का सुधार आने का अनुमान है।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई के भाव में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 6,300 से 6,325 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से पुरानी अरहर की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर भाव 6,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि, हाजिर बाजार में अफ्रीका की अरहर सस्ती है, साथ ही उसकी क्वालिटी भी काफी हल्की है, जबकि आगे आयातित अरहर की आवक भी बढ़ेगी, इसलिए इसकी कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।

दाल मिलों की हाजिर बढ़ने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एफएक्यू की कीमतें 50 रुपये बढ़कर 7,025 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। उड़द एसक्यू के भाव इस दौरान 7,825 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव दिल्ली में क्वालिटीनुसार 6,000-7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

दाल मिलों की हाजिर मांग सुधरने से दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,300 रुपये और 7,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चना की कीमतों में 100 रुपये की तेजी आकर लारेंस रोड़ पर राजस्थानी चना के दाम 5,200 से 5,225 रुपये और मध्य प्रदेश के चना के दाम 5,125 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

22 अक्तूबर 2021

मुंबई में दाल मिलों की कमजोर मांग से अरहर, उड़द, चना और काबुली चना मंदा, मसूर के दाम स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर कमजोर होने के कारण शुक्रवार को मुंबई में आयातित अरहर, उड़द के साथ ही चना और काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि मसूर की कीमतें स्थिर बनी रही। व्यापारियों के अनुसार दालों की थोक के साथ ही खुदरा मांग त्यौहारी सीजन के बावजूद भी सामान्य के मुकबाले कमजोर देखी गई। साथ ही केंद्र सरकार द्वारा लगातार दालों की कीमतों की निगरानी के कारण भी मिलर्स केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं।

मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,100-6,125 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 50 रुपये होकर दाम 5,400 रुपये प्रति क्विंटल और अरुषा अरहर की भाव भी 50 रुपये घटकर 5,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान की अरहर के भाव भी 100 रुपये घटकर 6,250 से 6,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मटवारा किस्म की अरहर के भाव 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।
 

स्थानीय मिलों की मांग कमजोर बनी रहने से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7,075 रुपये और 6,975 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। व्यापारियों के अनुसार उड़द दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है हालांकि कई राज्यों में हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान हुआ है। नेफेड मध्य प्रदेश में अपने पुराने स्टॉक की बिकवाली कर रही है।

स्थानीय मिलों की मांग घटने से मुंबई में सूडान के काबुली चना के भाव में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,150 से 5,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि इस दौरान रुस के काबुली चना के दाम 4,750 से 4,950 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

इसी तरह से तंजानिया के चना में दाल मिल की हाजिर मांग कमजोर होने भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 4,800-4,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।


दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा और हजीरा बंदरगाह पर क्रमश: 7,075 से 7,150 रुपये और 7,150 से 7,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से कनाडा की मसूर के दाम मुंबई में 7,350 रुपये और आस्ट्रेलिया की मसूर के भाव 7,400 से 7,425 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे।

चालू रबी सीजन में सरसों की बुआई बढ़ी, चना की घटी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में जहां सरसों की बुआई शुरूआती चरण में बढ़ी है, वहीं चना के साथ ही अन्य दालों की बुआई पिछे चल रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में फसलों की बुआई 21.37 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 20.37 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

कृषि मंत्रालय के अनुसार सरसों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 14.48 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 11.31​ लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। सनफ्लवर, मूंगफली और सफ्लावर आदि की बुआई शुरूआती चरण में है।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में शुरूआती चरण में घटकर 2.32 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 3.88 लाख हेक्टेयर में हुई थी। दालों की कुल बुआई चालू रबी में 3.04 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 4.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मसूर की बुआई 13 हजार हेक्टेयर में, मटर की 20 हजार हेक्टेयर में और उड़द की 6 हजार हेक्टेयर में हुई है।

मोटे अनाजों की बुआई चालू रबी में 1.59 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.17 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

21 अक्तूबर 2021

मुंबई में अरहर, मसूर, चना और काबुली चना के भाव घटे, उड़द के स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर कमजोर होने के कारण बुधवार को मुंबई में आयातित अरहर, मसूर के साथ ही चना और काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि उड़द के दाम स्थिर बने रहे। 

 मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,200-6,225 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दूसरी और मिलों की सीमित मांग से मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 50 रुपये होकर दाम 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल और अरुषा अरहर की भाव भी 50 रुपये घटकर 5,450 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान की अरहर के भाव भी 50 रुपये घटकर 6,400 से 6,450 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। मटवारा किस्म की अरहर के भाव 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

व्यापारियों के अनुसार हाजिर बाजार में अफ्रीका की सस्ती अरहर की उपलब्धता के साथ ही आगे आने वाली नीचे भाव की अरहर से कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। अफ्रीका की अरहर की क्वालिटी हल्की है, तथा नमी की मात्रा भी ज्यादा है।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा और हजीरा बंदरगाह पर 50-50 रुपये कमजोर होकर क्रमश: 7,075 से 7,150 रुपये और 7,150 से 7,200 रुपये प्रति क्विंटल कमजोर रह गए। हालांकि, घरेलू बाजार में मसूर के स्टॉक में कमी के साथ ही आयातित मसूर की उपलब्धता भी कम होने एवं विश्व बाजार में दाम तेज होने के कारण आगे मसूर की कीमतों में सुधार बन सकता है। वैसे भी घरेलू बाजार में मसूर की नई फसल की आवक मार्च, अप्रैल मेें ही बनेगी।

तंजानिया के चना में दाल मिल की हाजिर मांग कमजोर होने भाव में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 4,800-4,975 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि, नेफेड के साथ ही भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई लगातार केंद्रीय पूल से चना की बिकवाली कर रही हैं। उधर, मध्य प्रदेश में नेफेड के द्वारा खरीदे हुए पुराने वर्ष-2018 और वर्ष-2019 चने का बकाया स्टॉक नगण्य है, जबकि वर्ष-2020 के चना की क्वालिटी हल्की है।

स्थानीय मिलों की मांग घटने से मुंबई में सूडान और रुस के काबुली चना के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 5,200 से 5,300 रुपये और 4,750 से 4,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

स्थानीय मिलों की सीमित खरीद से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतें क्रमशः 7,125 रुपये और 7,025 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। व्यापारियों के अनुसार उड़द दाल में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर है जबकि कई राज्यों में हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान हुआ है। अत: हल्के मालों की आवक ज्यादा होने से अभी कीमतों पर दबाव बना रहेगा।

19 अक्तूबर 2021

विदेश के साथ ही घरेलू बाजार में दाल की कीमतें नरम, अभी तेजी की उम्मीद नहीं

नई दिल्ली। विदेशी बाजार के साथ ही घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में गिरावट आई है। स्थानीय एवं निर्यातकों की मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को बर्मा में उड़द एफएक्यू और एसक्यू की कीमतों में पांच-पांच डॉलर की गिरावट आकर भाव क्रमश: 905 डॉलर और 1,050 डॉलर प्रति टन, सीएंडएफ रह गए। इस दौरान लेमन और लिंकी की कीमतें क्रमश: 800-800 डॉलर प्रति टन, सीएंडएफ पर स्थिर बनी रही।

व्यापारियों के अनुसार त्यौहारी सीजन के बावजूद भी घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में नरमी दर्ज की गई। मिलर्स इस समय केवल जरुरत के हिसाब से ही दालों की खरीद कर रहे हैं, जबकि अफ्रीका से आयातित अरहर की क्वालिटी काफी हल्की है। साथ ही घरेलू बाजार में अरहर दाल में मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है। उत्पादक मंडियों में खरीफ उड़द की जो आवक हो रही है, उसकी क्वालिटी काफी हल्की है, तथा इसमें दागी एवं नमी युक्त माल ज्यादा आने के कारण कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है। जानकारों के अनुसार अरहर और उड़द की कीमतों में घरेलू बाजार में सीमित तेजी, मंदी ही बनी रहने का अनुमान है। मसूर की कीमतों में हल्की नरमी आई है लेकिन व्यापारी इसमें ज्यादा मंदे में नहीं है, क्योंकि विदेश में भाव तेज होने के कारण आयात पड़ते महंगे हैं।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ पुरानी के भाव में 50 से 100 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,600 रुपये और 6,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

उधर, मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,250-6,275 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दूसरी और मिलों की सीमित मांग से मटवारा किस्म की अरहर के भाव 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 5,450 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल और अरुषा अरहर की भाव 5,500 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान की अरहर के भाव 6,450 से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 8,125 रुपये और 8,150 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि उड़द एफएक्यू के भाव में इस दौरान 25 रुपये की तेजी आकर भाव 7,225 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। महाराष्ट्र लाईन की नई उड़द के भाव दिल्ली में क्वालिटीनुसार 6,000-7,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

स्थानीय मिलों की सीमित मांग से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी के  भाव क्रमशः 7,075 रुपये और 6,975 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। व्यापारियों के अनुसार उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर है लेकिन कई राज्यों में हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान हुआ है।

दाल मिलों की हाजिर मांग घटने से दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,750 रुपये और 7,550 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के भाव मुंबई, मुंद्रा और हजीरा बंदरगाह के साथ ही आस्ट्रेलियाई मसूर के दाम मुंबई में 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल कमजोर हो गए।

मुंबई में तंजानिया के चना में दाल मिल की सीमित मांग से भाव 4,850-5,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। हालांकि, नेफेड के साथ ही भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई लगातार केंद्रीय पूल से चना की बिकवाली कर रही हैं।

मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव क्रमश: 4,800 से 5,000 रुपये और 5,250 से 5,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

18 अक्तूबर 2021

बर्मा और सूडान की अरहर मुंबई में तेज, कनाडा की मसूर के भाव हजिरा बंदरगाह पर बढ़े

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर बढ़ने के कारण सोमवार को मुंबई में बर्मा और सूडान की अरहर के भाव तेज हो गए, जबकि कनाडा की मसूर की कीमतों में हजिरा बंदगाहर पर सुधार आया।

दालों की थोक के साथ ही खुदरा मांग सीमित मात्रा में ही बनी हुई है। हालांकि त्यौहारी सीजन के कारण आगे इनकी मांग में सुधार आने का अनुमान है।

मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह से सूडान की अरहर के भाव भी 50 रुपये बढ़कर 6,450 से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दूसरे और मिलों की सीमित मांग से मटवारा किस्म की अरहर के भाव 5,400 से 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से मोजाम्बिक लाईन की गजरी अरहर के भाव 5,400 रुपये प्रति क्विंटल और अरुषा अरहर की भाव 5,500 से 5,550 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

जानकारों के अनुसार मिलर्स बर्मा की अरहर के साथ ही देसी अरहर की खरीद, अफ्रीका की अरहर की तुलना में ज्यादा कर रहे हैं। हाजिर बाजार में अफ्रीका की सस्ती अरहर की उपलब्धता के साथ ही आगे आने वाली नीचे भाव की अरहर से कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। अफ्रीका की अरहर की क्वालिटी हल्की है, तथा नमी की मात्रा भी ज्यादा है।

अफ्रीका से 6,853.704 टन मलावी अरहर और 25,385.307 टन मोज़ाम्बिक अरहर लेकर आए वेसल से 18 अक्टूबर तक 19,089 टन माल को मुंबई बंदरगाह पर डिस्चार्ज कर दिया है।

एक वेसल जोकि 1,953.900 टन मोज़ाम्बिक मूंग और 27,617.625 टन मोज़ाम्बिक अरहर लेकर आया हुआ है, इस वैसल से मुंबई बंदरगाह पर 18 अक्टूबर 6,480 टन माल को मुंबई बंदरगाह पर डिस्चार्ज कर दिया है।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा की मसूर के भाव हजीरा बंदरगाह पर 25 रुपये प्रति क्विंटल तेज होकर भाव 7,300-7,375 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि सूत्रों के अनुसार, नेफेड आयातकों से लगातार मसूर की खरीद हाजिर बाजार से कर रही है लेकिन व्यापारियों को डर है कि कहीं नेफेड आगे खरीद हुई मसूर को नीचे दाम पर न बेच दे।

मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतें क्रमशः 7,075 रुपये और 6,975 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। व्यापारियों के अनुसार उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर है हालांकि कई राज्यों में हुई बारिश से खरीफ उड़द की फसल को नुकसान हुआ है जिस कारण क्वालिटी काफी हल्की आ रही है।

तंजानिया के चना में दाल मिल की सीमित मांग से भाव 4,800-5,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। नेफेड के साथ ही भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई लगातार केंद्रीय पूल से चना की बिकवाली कर रही हैं।

स्थानीय मिलों की सीमित मांग से मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव क्रमश: 4,800 से 5,000 रुपये और 5,250 से 5,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। काबुली चना के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।