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25 नवंबर 2018

गुजरात : सूखे से गुजरात के किसान संकट में, रबी फसलों की बुवाई 42 फीसदी पिछड़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। राज्य में मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने के कारण किसानों को संकट का सामना करना पड़ रहा है। बारिश की कमी से खरीफ फसलों की पैदावार तो प्रभावित हुई ही, किसान रबी फसलों की बुवाई भी नहीं कर पा रहे हैं। चालू रबी में फसलों की बुवाई 42.43 फीसदी पिछड़ कर औसतन 25 फीसदी क्षेत्रफल में ही हुई है। जलाशयों में पानी का स्तर भी औसत से काफी कम है इसलिए आगे किसानों की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं।
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार मानसूनी सीजन में राज्य में सामान्य से 24 फीसदी कम बारिश हुई थी, जिसका असर खरीफ फसलों की पैदावार के साथ ही रबी फसलों की बुवाई पर पड़ रहा है। राज्य में 19 नवंबर तक रबी फसलों की बुवाई सामान्य के केवल 25 फीसदी क्षेत्रफल में ही हो पाई है। सबसे ज्यादा असर गेहूं और मोटे अनाजों की बुवाई पर पड़ा।
जलाशयों में पानी दस साल के औसत से भी कम
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार 16 नवंबर 2018 को पश्चिमी क्षेत्र के गुजरात तथा महाराष्ट्र के 27 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर कुल भंडारण क्षमता का 51 फीसदी ही रह गया है जोकि पिछले दस साल के औसत अनुमान 64 फीसदी से भी कम है। पिछले साल की समान अवधि में पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों में कुल भंडारण क्षमता का 67 फीसदी पानी था।
रबी की कुल बुवाई सामान्य की 25 फीसदी
चालू रबी में राज्य में 7,88,500 हेक्टेयर में ही फसलों की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 13,69,700 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। गेहूं की बुवाई औसत की केवल 7 फीसदी यानि की 65,800 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3,03,900 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी में गेहूं की बुवाई सामान्यत 9,84,400 हेक्टेयर में होती है।
मोटे अनाजों की औसतन 10 फीसदी ही हुई है बुवाई
इसी तरह मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में 19 नवंबर तक औसत की केवल 10 फीसदी 1,14,600 हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3,76,900 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों की औसतन बुवाई रबी सीजन में 11,38,600 हेक्टेयर में होती है। 
दलहन की बुवाई में आई भारी गिरावट
दालों की बुवाई चालू रबी सीजन में राज्य में 77,000 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1,79,900 हेक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई 65,900 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 1,71,900 हेक्टेयर में चना की बुवाई हो चुकी थी।
तिलहन की बुवाई भी घटी
तिलहन की बुवाई राज्य में अभी तक केवल 1,57,800 हेक्टैयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 1,99,300 हेक्टेयर में हो चुकी थी। ..................  आर एस राणा

धान की समर्थन मूल्य पर खरीद 242 लाख टन के पार, पंजाब की हिस्सेदारी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बढ़कर 242.04 लाख टन की हो चुकी है। अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 160.58 लाख टन और हरियाणा से 57.90 लाख टन है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार अन्य राज्यों में तेलंगाना से 13.86 लाख टन, छत्तीसगढ़ से 3.69 लाख टन, उत्तराखंड से 2.35 लाख टन, तमिलनाडु से 1.55 लाख टन धान की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है। केरल से चालू खरीफ में 71 हजार टन, उत्तर प्रदेश से 62 हजार टन, महाराष्ट्र से 27 हजार टन, ओडिशा से 24 हजार टन, चंडीगढ़ से 19 हजार तथा गुजरात से 3 हजार टन धान की खरीद समर्थन मूल्य पर हो चुकी है।
एफसीआई के अनुसार चावल के रुप में चालू खरीफ विपणन सीजन में खरीद 162.22 लाख टन की हो चुकी है। इसमें पंजाब से 107.59 लाख टन और हरियाणा से 38.79 लाख टन चावल खरीदा गया है।
खरीद का लक्ष्य पिछले साल से कम
चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में चावल की खरीद का लक्ष्य केंद्र सरकार ने 369.75 लाख टन का रखा है जोकि पिछले खरीफ विपणन सीजन 2017-18 में हुई 381.85 लाख टन खरीद से कम है।
एमएसपी में 180 से 200 रुपये बढ़ाया था
खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए केंद्र सरकार ने सामान्य किस्म के धान के एमएसपी में 200 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,750 रुपये और ग्रेड ए धान के एमएसपी में 200 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,770 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
उत्पादन बढ़ने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन 2018-19 में चावल का उत्पादन बढ़कर 992.4 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सीजन में 975 लाख टन का उत्पादन हुआ था।......आर एस राणा

बकाया भुगतान और एसएपी तय नहीं, उपर से पर्चियां नहीं मिलने से गन्ना किसान संकट में

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का पिछले पेराई सीजन का बकाया अभी भी चीनी मिलों पर बचा हुआ है जबकि चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए राज्य सरकार ने अभी तक गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) भी तय नहीं किया है। गेहूं की बुवाई के लिए किसानों को खेत खाली करने हैं लेकिन मिलों द्वारा पर्याप्त मात्रा में पर्चियां नहीं दी जा रही है जिससे गन्ना किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
समय से खेत खाली नहीं हुए तो, नहीं कर पायेंगे गेहूं की बुवाई
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खरड़ गांव निवासी किसान मनोज मलिक ने बताया कि 15 बीघे में अगेती प्रजाति का गन्ना काटकर गेहूं की बुवाई करनी है, लेकिन भैसाना शुगर मिल ने अभी तक केवल दो पर्चियां ही जारी की है। नवंबर महीना समाप्त होने वाला है, ऐसे में लगता है नहीं कि समय पर खेत खाली हो पायेगा और गेहूं की बुवाई हो जायेगी। उन्होंने बताया कि अभी तक राज्य सरकार ने गन्ने का एसएपी ही तय नहीं किया है, अत: भाव को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मलिक ने बताया कि पिछले पेराई सीजन का भी चीनी मिल ने जनवरी तक का ही भुगतान किया है, जिससे आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है।
गन्ने की खरीद और पेराई का कार्य की रफ्तार धीमी
वेव शुगर मिल के सामने ट्रेक्टर में गन्ना लेकर खड़े अमरोहा जिले के देहरा चक गांव के किसान जोगिंद्र आर्य ने बताया कि मिल के बाहर गन्ने लेकर खड़ी गाड़ियों की दो किलोमिटर लंबी लाईन लगी हुई है, जबकि मिले के अंदर जो गाड़िया खड़ी है वह अलग हैं। उन्होंने बताया कि पर्जी जारी होने के 72 घंटे के अंदर मिल में गन्ने की तुलाई हो जानी चाहिए, लेकिन लंबी लाईन को देखते हुए उन्हें नहीं लगता कि वह समय पर अंदर पहुंच पायेगा।
उन्होंने बताया कि 6 एकड़ में गन्ना लगा रखा है जिसमें से दो एकड़ में गेहूं की बुवाई करनी है लेकिन शुगर मिल ने अभी तक केवल दो पर्चियां ही जारी की है। मिल में गन्ने की खरीद और पेराई का कार्य बहुत ही धीमी गति से चल रहा है। उन्होंने बताया कि पहले चीनी मिल चालू होने का इंतजार करना पड़ा और अब पर्ची का इंतजार करना पड़ रहा है। बीते पेराई सीजन का भुगतान नहीं होने से गेहूं की बुवाई के लिए बीज और खाद खरीदने के लिए पैसे का इंतजाम करना भी मुश्किल हो रहा है।
बीते पेराई सीजन में एसएपी 10 रुपये बढ़ाया था
उत्तर प्रदेश में बीते पेराई सीजन 2017-18 के लिए राज्य सरकार ने गन्ने की अगैती प्रजाति के लिए एसएपी 325 रुपये और सामान्य प्रजाति के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था तथा पिछले साल एसएपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई थी।
किसानों का चीनी मिलों पर अभी भी 6,804 करोड़ रुपये है बकाया
गन्ना पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) शुरू हुए करीब दो महीने होने वाले है लेकिन अभी भी गन्ना किसानों का उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर पेराई सीजन 2017-18 का बकाया 6,804 करोड़ रुपया बचा हुआ है।
चीनी उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान
उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू पेराई सीजन में राज्य में 125 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले पेराई सीजन के 120.49 लाख टन से ज्यादा है। यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 में उत्तर प्रदेश में 20 नवंबर तक चीनी का उत्पदन 16.70 फीसदी घटकर 3.84 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 4.61 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।....  आर एस राणा

गैर-बासमती चावल के निर्यात पर अगले चार महीने तक 5 फीसदी इनसेंटिव देगी सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में गैर-बासमती चावल के निर्यात में आई गिरावट को देखते हुए केंद्र सरकार ने निर्यात पर निर्यातकों को 5 फीसदी एनसेंटिव देने का फैसला किया है। गैर-बासमती चावल के निर्यात पर निर्यातकों को अगले चार महीने मार्च 2019 तक इनसेंटिव का लाभ मिलेगा।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिूसचना के अनुसार गैर-बासमती चावल के निर्यात पर निर्यातकों को 26 नवंबर 2018 से 25 मार्च 2019 तक पांच फीसदी का इनसेंटिव दिया जायेगा। इससे गैर-बासमती चावल के निर्यात में तेजी आने का अनुमान है।
पहली छमाही में निर्यात 13.13 फीसदी घटा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले छह महीनों अप्रैल से सितंबर के दौरान गैर-बासमती चावल के निर्यात में 13.13 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 37.23 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इसका निर्यात 42.86 लाख टन का हुआ था।
बंगलादेश ने किया है सबसे ज्यादा आयात
मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात 10,426 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 22,236 करोड़ रुपये का हुआ था। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में गैर-बासमती चावल का सबसे ज्यादा आयात बंगलादेश, सेनेगल, नेपाल और बहरीन और इंडोनेशिया ने किया है।
पिछले वित्त वर्ष में बढ़ा था निर्यात
एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान गैर बासमती चावल का निर्यात 86,48,488 टन का 22,967.82 करोड़ रुपये का हुआ था जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 के 16,929.88 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
घरेलू बाजार में भाव में आयेगा सुधार
खुरानिया एग्रो के प्रबंधक रामनिवास ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा इनसेंटिव घोषित करने से घरेलू बाजार में गैर-बासमती चावल की कीमतों में तो सुधार आयेगा ही, साथ ही निर्यातकों को भी इसका फायदा मिलेगा, तथा निर्यात सौदों में तेजी आयेगी।
उत्पादन बढ़ने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन 2018-19 में चावल का उत्पादन बढ़कर 992.4 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सीजन में 975 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था। ...............  आर एस राणा

बकाया भुगतान और एसएपी तय नहीं, उपर से पर्चियां नहीं मिलने से गन्ना किसान संकट में

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का पिछले पेराई सीजन का बकाया अभी भी चीनी मिलों पर बचा हुआ है जबकि चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए राज्य सरकार ने अभी तक गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) भी तय नहीं किया है। गेहूं की बुवाई के लिए किसानों को खेत खाली करने हैं लेकिन मिलों द्वारा पर्याप्त मात्रा में पर्चियां नहीं दी जा रही है जिससे गन्ना किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है।
समय से खेत खाली नहीं हुए तो, नहीं कर पायेंगे गेहूं की बुवाई
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के खरड़ गांव निवासी किसान मनोज मलिक ने बताया कि 15 बीघे में अगेती प्रजाति का गन्ना काटकर गेहूं की बुवाई करनी है, लेकिन भैसाना शुगर मिल ने अभी तक केवल दो पर्चियां ही जारी की है। नवंबर महीना समाप्त होने वाला है, ऐसे में लगता है नहीं कि समय पर खेत खाली हो पायेगा और गेहूं की बुवाई हो जायेगी। उन्होंने बताया कि अभी तक राज्य सरकार ने गन्ने का एसएपी ही तय नहीं किया है, अत: भाव को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मलिक ने बताया कि पिछले पेराई सीजन का भी चीनी मिल ने जनवरी तक का ही भुगतान किया है, जिससे आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है।
गन्ने की खरीद और पेराई का कार्य की रफ्तार धीमी
वेव शुगर मिल के सामने ट्रेक्टर में गन्ना लेकर खड़े अमरोहा जिले के देहरा चक गांव के किसान जोगिंद्र आर्य ने बताया कि मिल के बाहर गन्ने लेकर खड़ी गाड़ियों की दो किलोमिटर लंबी लाईन लगी हुई है, जबकि मिले के अंदर जो गाड़िया खड़ी है वह अलग हैं। उन्होंने बताया कि पर्जी जारी होने के 72 घंटे के अंदर मिल में गन्ने की तुलाई हो जानी चाहिए, लेकिन लंबी लाईन को देखते हुए उन्हें नहीं लगता कि वह समय पर अंदर पहुंच पायेगा।
उन्होंने बताया कि 6 एकड़ में गन्ना लगा रखा है जिसमें से दो एकड़ में गेहूं की बुवाई करनी है लेकिन शुगर मिल ने अभी तक केवल दो पर्चियां ही जारी की है। मिल में गन्ने की खरीद और पेराई का कार्य बहुत ही धीमी गति से चल रहा है। उन्होंने बताया कि पहले चीनी मिल चालू होने का इंतजार करना पड़ा और अब पर्ची का इंतजार करना पड़ रहा है। बीते पेराई सीजन का भुगतान नहीं होने से गेहूं की बुवाई के लिए बीज और खाद खरीदने के लिए पैसे का इंतजाम करना भी मुश्किल हो रहा है।
बीते पेराई सीजन में एसएपी 10 रुपये बढ़ाया था
उत्तर प्रदेश में बीते पेराई सीजन 2017-18 के लिए राज्य सरकार ने गन्ने की अगैती प्रजाति के लिए एसएपी 325 रुपये और सामान्य प्रजाति के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था तथा पिछले साल एसएपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई थी।
किसानों का चीनी मिलों पर अभी भी 6,804 करोड़ रुपये है बकाया
गन्ना पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) शुरू हुए करीब दो महीने होने वाले है लेकिन अभी भी गन्ना किसानों का उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर पेराई सीजन 2017-18 का बकाया 6,804 करोड़ रुपया बचा हुआ है।
चीनी उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान
उत्तर प्रदेश के गन्ना विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू पेराई सीजन में राज्य में 125 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले पेराई सीजन के 120.49 लाख टन से ज्यादा है। यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 में उत्तर प्रदेश में 20 नवंबर तक चीनी का उत्पदन 16.70 फीसदी घटकर 3.84 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 4.61 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।.............  आर एस राणा

रबी फसलों की बुवाई 7.31 फीसदी घटी, मोटे अनाजों के साथ दलहन की बुवाई ज्यादा प्रभावित

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने के कारण सूखे जैसे हालात बनने से किसानों को रबी फसलों की बुवाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। चालू रबी में मोटे अनाजों के साथ दलहन की बुवाई क्रमश: 31.16 फीसदी और 10.44 फीसदी पिछड़ रही है जबकि कुल फसलों की बुवाई भी 7.31 फीसदी घटकर अभी तक केवल 288.91 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन में 288.91 लाख हेक्टेयर में ही फसलों की बुवाई ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 311.69 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी थी। रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई चालू सीजन में जरुर थोड़ी बढ़कर 111.96 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 110.69 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुवाई हो पाई थी।
चना, मसूर और मटर की बुवाई भी पिछड़ी
रबी दलहन की बुवाई चालू सीजन में 10.44 फीसदी घटकर अभी तक केवल 88.67 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 99.01 लाख हेक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई घटकर 62.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 71.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मसूर की बुवाई 10.22 लाख हेक्टेयर में और मटर की 5.77 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई क्रमश: 11.24 और 6.24 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
मोटे अनाजों की बुवाई 31.16 फीसदी पिछे
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में 31.16 फीसदी पिछे चल रही है तथा अभी तक इनकी बुवाई केवल 24.19 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 35.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई 15.97 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 25.09 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मक्का की बुवाई पिछले साल के 6 लाख हेक्टेयर से घटकर 4.84 लाख हेक्टेयर में हुई है। जौ की बुवाई भी चालू रबी में घटकर 3.16 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 3.57 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी।
सरसों की बुवाई में हुई बढ़ोतरी
रबी तिलहन की बुवाई चालू रबी में थोड़ी घटकर 57.34 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 57.29 लाख हेक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई जरुर बढ़कर 52.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 51.37 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई पिछले साल के 2.19 लाख हेक्टेयर से घटकर चालू रबी में 1.66 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है। अलसी की बुवाई भी पिछले साल के 1.87 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.59 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।
धान की रोपाई पिछले से कम
धान की रोपाई चालू रबी में 29.43 फीसदी पिछड़ कर 6.75 लाख हेक्टेयर में ही पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 9.57 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।........... आर एस राणा

राजस्थान : रबी फसलों की बुवाई 5.3 फीसदी पिछड़ी, चना और सरसों की बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। राज्य के कई जिलों में मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने का असर फसलों की बुवाई पर पड़ रहा है। चालू रबी में राजस्थान में रबी फसलों की बुवाई 5.3 फीसदी पिछड़ कर अभी तक 47.81 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 50.49 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। हालांकि चना और सरसों की बुवाई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार 20 नवंबर तक राज्य में चना की बुवाई बढ़कर 11.11 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 10.92 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुवाई हो पाई थी। राज्य में चना की बुवाई का लक्ष्य 15 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है। इसी तरह से सरसों की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 21.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 18.69 लाख हेक्टेयर में ही सरसों की बुवाई हो पाई थी। राज्य के कृषि निदेशालय ने सरसों की बुवाई का लक्ष्य 26 लाख हेक्टेयर का तय किया है।
गेहूं और जौ की बुवाई पिछड़ी
गेहूं की बुवाई चालू रबी में राज्य में घटकर केवल 8.33 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 10.58 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी थी। गेहूं की बुवाई का लक्ष्य 32 लाख हेक्टेयर का है। जौ की बुवाई भी राज्य में घटकर अभी तक 1.13 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 1.48 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। जौ की बुवाई का लक्ष्य 3 लाख हेक्टेयर का तय किया गया है।
दलहन और तिलहन की कुल बुवाई ज्यादा
रबी दलहन और दलहन की कुल बुवाई चालू सीजन में राज्य में क्रमश: 11.33 और 21.36 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई क्रमश: 11.21 और 19.33 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।.......  आर एस राणा

उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 16.70 फीसदी घटा, 88 मिलों में पेराई आरंभ

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 में उत्तर प्रदेश में 20 नवंबर तक चीनी का उत्पदन 16.70 फीसदी घटकर 3.84 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 4.61 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के अनुसार चालू पेराई सीजन में 20 नवंबर तक 388.89 लाख क्विंटल गन्ने के पेराई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 498.90 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी। चालू पेराई सीजन में अभी तक गन्ने में रिकवरी की दर 9.88 फीसदी की आई है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक रिकवरी की दर 9.25 फीसदी की आई थी।
पिछले पेराई सीजन का 6,804 करोड़ रुपये अभी भी बकाया
चालू पेराई सीजन में राज्य की 88 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है, तथा कुल 121 चीनी मिलों में पेराई होगी। 
राज्य की चीनी मिलों पर किसानों का पिछले पेराई सीजन 2017-18 का बकाया 6,804 करोड़ रुपया अभी भी बचा हुआ है।
यूपी में चीनी उत्पादन बढ़ने का अनुमान
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन 2018-19 में देश में चीनी का उत्पादन 320 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में 325 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू पेराई सीजन में राज्य में 125 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले पेराई सीजन के 120.45 लाख टन से ज्यादा है।...... आर एस राणा

देशभर में 238 चीनी मिलों में पेराई आरंभ, 11.63 लाख टन हो चुका है चीनी उत्पादन

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) में 15 नवंबर तक देशभर में 238 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा 11.63 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। 
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2018 से 15 नवंबर तक 11.63 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 13.73 लाख टन से कम है। देशभर में चालू पेराई सीजन में 238 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 349 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो गई थी।
उत्तर प्रदेश में 71 चीनी मिलों में पेराई शुरू
इस्मा के अनुसार प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चालू पेराई में मिलों द्वारा देर से पेराई आरंभ करने के लिए 15 नवंबर तक 1.76 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में 5.67 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। राज्य में 71 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 78 मिलों में पेराई शुरू हो चुकी थी।
महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन ज्यादा, कर्नाटक में कम
महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 6.38 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 3.26 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हुआ था। कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 1.85 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक राज्य में 3.71 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
गुजरात में 14 मिलों में पेराई आरंभ
गुजरात में चालू पेराई सीजन में 14 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा राज्य में 15 नवंबर तक 1.05 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, पिछले साल समय तक राज्य में 80 हजार टन ही चीनी का उत्पादन हुआ था। तमिलनाडु में 4 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो चुकी है तथा 60 हजार टन चीनी का उत्पादन 15 नवंबर तक हो चुका है।...........   आर एस राणा

बारिश की कमी से पश्चिमी क्षेत्र के जलशायों में पानी कम, रबी फसलों की बुवाई पिछड़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसूनी बारिश कम होने के कारण गुजरात और महाराष्ट्र के कई जिलों में सूखे जैसे हालात बनने से किसानों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों को फसलों की बुवाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है, जिस कारण फसलों की बुवाई पिछड़ रही है। जलाशयों में भी पानी का स्तर सामान्य से काफी नीचे आ गया है जिस कारण आगामी दिनों में किसानों की परेशानी और बढ़ने वाली है।
खरीफ सीजन में मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने के कारण पश्चिमी क्षेत्र के राज्यों गुजरात और महाराष्ट्र के जलाशयों में पानी का स्तर औसत से नीचे आ गया है, जिस कारण चालू रबी में दलहन के साथ ही अन्य रबी फसलों की बुवाई में भारी कमी आई है।
जलाशयों में पानी औसत से काफी कम
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार 16 नवंबर 2018 को पश्चिमी क्षेत्र के गुजरात तथा महाराष्ट्र के 27 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर कुल भंडारण क्षमता का 51 फीसदी ही रह गया है जोकि पिछले दस साल के औसत अनुमान 64 फीसदी से भी कम है। पिछले साल की समान अवधि में पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों में कुल भंडारण क्षमता का 67 फीसदी पानी था।
गुजरात में रबी फसलों की बुवाई में भारी कमी
गुजरात कृषि निदेशालय के अनुसार राज्य में चालू रबी में फसलों की बुवाई 12 नवंबर तक केवल 14 फीसदी क्षेत्रफल में ही हो पाई है। अभी तक राज्य में 4,50,100 हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 8,50,500 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। राज्य में रबी में औसतन 31,35,700 हेक्टेयर में फसलों की बुवाई होती है। राज्य में मोटे अनाजों मक्का और ज्वार की बुवाई घटकर चालू रबी में अभी तक केवल 55,600 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1,13,700 हेक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी।
गेहूं के साथ तिलहन की बुवाई भी पिछे
गेहूं की बुवाई गुजरात में चालू रबी में अभी तक केवल 23,100 हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1,10,000 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से तिलहन की बुवाई राज्य में चालू रबी में 1,06,200 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 1,92,800 हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। सब्जियों के साथ ही मसालों की बुवाई भी चालू रबी में पिछड़ रही है।
महाराष्ट्र में चना की बुवाई में भारी कमी
महाराष्ट्र में चालू रबी में चना की बुवाई अभी तक केवल 5.43 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 10.37 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। दलहन की कुल बुवाई चालू रबी में राज्य में 5.62 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 10.61 लाख हेक्टेयर में दालों की बुवाई हुई थी।
मोटे अनाजों की बुवाई आधी
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में महाराष्ट्र में अभी तक केवल 5.11 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 13.02 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।...............आर एस राणा

18 नवंबर 2018

उत्‍तर प्रदेश: ट्रैक्‍टर पर धान लादकर विधानभवन जा रहे किसानों को प्रशासन ने रोका, खरीद का आश्वासन

आर एस राणा
नई दिल्ली। राज्य के बाराबंकी में धान की समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने से नाराज किसानों को प्रशासन ने रोक लिया है तथा तुरंत खरीद करने को भी राजी हो गया हैं। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के बैनर तले करीब 250 से 300 ट्रेक्टर ट्रालियों में धान लादकर किसान विधानभवन के घेराव को निकले थे।
भाकियू के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता राकेश टिकैत ने बताया कि बाराबंकी के डीएम और एसएसपी ने तुरंत धान की समर्थन मूल्य पर खरीद का आश्वासन दिया है, लेकिन हमारी मांग है कि पूरे प्रदेश में खरीद शुरू की जाये। इसलिए हमने राज्य सरकार को एक घंटे का समय दिया है, अगर खरीद शुरू नहीं की गई तो फिर हम विधानसभा का घेराव करेंगे।
बाराबंकी में खरीद तुरंत शुरू करने 
उन्होंने बताया कि डीएम ने बाराबंकी के सभी खरीद केंद्रों को तुरंत चालू करने का आश्वासन दिया है, तथा एक लाख रुपये तक की खरीद के लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराना होगा। 
उन्होंने बताया कि प्रदेश में धान की खरीद नहीं होने के कारण किसानों को गेहूं की बुवाई समेत अगली फसल के लिए समय पर पैसे नहीं मिल पा रहे है। चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए केंद्र सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,750 और 1,770 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि सरकारी खरीद के अभाव में किसान व्यापारियों का औने-पौने दाम पर धान बेचने को मजबूर हैं।
प्रदेश सरकार ने चालू खरीफ में 50 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा हुआ है जबकि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार 16 नवंबर तक राज्य से केवल 40 हजार टन धान की एमएसपी पर खरीद ही हुई है। सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने धान की खरीद के लिए 638 खरीद केंद्र भी खोले हुए हैं, लेकिन अधिकतर खरीद केंद्रों पर खरीद नहीं हो रही है। ..............  आर एस राणा

जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में बारिश तथा बर्फबारी की संभावना, दक्षिणी राज्यों में होगी बारिश

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान उत्तर भारत के जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में बारिश और बर्फबारी की संभावना है। उधर दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल, दक्षिण कर्नाटक और आंध्र प्रदेश तथा पूर्वोत्तर के कई राज्यों में बारिश होने का अनुमान है।
आईएमडी के मुताबिक, अरब सागर में लो प्रेशर की वजह से तेज आंधी-तूफान केरल के तटीय इलाकों को अपनी चपेट में ले सकता है। इधर बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवात गाजा के तमिलनाडु के तट से टकराने के बाद केरल की आेर बढ़ने से यहां खतरा हो गया है। वहीं हिंद महासागर की आेर से भी भारत के दक्षिण प्रायद्वीपीय तटीय इलाके में हालात बिगड़ सकते हैं। इन हालातों में तमिलनाडु आैर केरल में आंधी-तूफान के साथ बारिश की आशंका है। इससे पहले तमिलनाडु में चक्रवात गाजा की वजह से जानमाल का काफी नुकसान हुआ है।
प्रायद्वीप और हिंद महासागर पर चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र 
मौसम विभाग के अनुसार प्रायद्वीप और हिंद महासागर पर एक और चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र अगले 24 घंटों के दौरान निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो सकता है। असम और आसपास के इलाकों में एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।
हिमालय के पश्चिम में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस 
मौसम विभाग के पूर्वाअनुमान के अनुसार हिमालय के पश्चिम में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की वजह से जम्मू-कश्मीर आैर हिमाचल में बर्फबारी या बारिश हो सकती है। इसका असर हिमालय से लगे मैदानी इलाकों पर भी पड़ेगा। इन राज्यों में भी कहीं-कहीं बारिश हो सकती है आैर ठंडी हवाएं चल सकती हैं।
केरल, पश्चिम तमिलनाडु और लक्षद्वीप द्वीप में हुई तेज बारिश
बीते 24 घंटों के दौरान केरल, पश्चिम तमिलनाडु और लक्षद्वीप द्वीप पर भारी बारिश हुई। इसके अलावा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश देखी गई। उधर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश और असम के कुछ  हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई।.......... आर एस राणा

नए आलू की आवक बढ़ने से घटने लगे भाव, किसानों को हो रहा है नुकसान

आर एस राणा
नई दिल्ली। पंजाब और हिमाचल से नए आलू की आवक बढ़ने से कीमतों में गिरावट आने लगी है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में पिछले दस दिनों में ही आलू की कीमतों में 1,000 से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है जिस कारण किसानों को घाटा उठाना पड़ रहा है।
आजादपुर मंडी की पोटेटो ऐंड अनियन मर्चेंट एसोसिएशन (पोमा) के महासचिव राजेंद्र शर्मा ने बताया कि पंजाब और हिमाचल प्रदेश से नए आलू की आवक बढ़ी है, साथ ही उत्तर प्रदेश से पुराने आलू की आवक भी ज्यादा हो रही है। इसीलिए कीमतों में गिरावट आई है। नए आलू का भाव घटकर शनिवार को 600 से 800 रुपये प्रति 50 किलो रह गया जबकि 8 नवंबर को इसका भाव 1,200 से 1,400 रुपये प्रति 50 किलो था। इसी तरह से उत्तर प्रदेश के पुराने आलू का भाव घटकर 300 से 600 रुपये प्रति 50 किलो रह गया। इसके भाव में भी 200 से 300 रुपये प्रति 50 किलो की गिरावट आ चुकी है।
मेरठ जिले के बहचौला गांव के आलू किसान अम्बूज शर्मा ने बताया कि उनके पास पुराना आलू कोल्ड स्टोर में रखा हुआ है जिसके भाव घटकर 4 से 5 रुपये प्रति किलो रह गए हैं, इन भाव में कोल्ड स्टोर का खर्च भी नहीं निकल रहा है। उन्होंने बताया कि नए आलू की आवक दिसंबर-जनवरी में बनेगी, जबकि भाव में पहले ही मंदा आना शुरू हो गया है।
हरियाणा और उत्तर प्रदेश से आगे बढ़ेगी आवक
राजेंद्र शर्मा ने बताया कि पंजाब के होशियारपुर और हिमाचल के उना से नया आलूु आ रहा है जबकि आगे जालंधर और लुधियाना से आवक बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि दिसंबर में हरियाणा से आवक शुरू हो जायेगी, उसके बाद उत्तर प्रदेश के आलू की आवक बनेगी। दिल्ली में इस समय आलू की दैनिक आवक करीब 100 ट्रक की हो रही है, इसमें 35 से 40 ट्रक नए आलू के आ रहे हैं।
आलू का उत्पादन बढ़ने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में आलू का उत्पादन बढ़कर 493,44,000 टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 486,05,000 टन का ही हुआ था।
वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़ा निर्यात
राष्ट्रीय बागवानी एवं अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान 3,07,409 टन आलू का निर्यात हुआ है जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में कुल निर्यात 2,55,725 टन का ही हुआ था।...........  आर एस राणा

रबी फसलों की बुवाई 16 फीसदी पिछे, मोटे अनाज और दलहन की बुवाई ज्यादा प्रभावित

आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसूनी बारिश देश के कई राज्यों में सामान्य से कम होने का असर चालू रबी सीजन की बुवाई पर देखा जा रहा है। रबी फसलों की बुवाई चालू सीजन में 15.95 फीसदी पिछड़ रही है जबकि मोटे अनाज की बुवाई 45.28 फीसदी और दलहन की बुवाई 18.02 फीसदी पिछे चल रही है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में अभी तक देशभर में 191.12 लाख हेक्टेयर में ही रबी फसलों की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 227.41 लाख हेक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई चालू सीजन में 51.63 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 54.28 लाख हेक्टेयर में ही इसकी बुवाई हो पाई थी।
दलहन की बुवाई में आई कमी
रबी दलहन की बुवाई चालू सीजन में 18.02 फीसदी घटकर अभी तक केवल 69.95 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 85.32 लाख हेक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई घटकर 50.23 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 64 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मसूर की बुवाई 6.81 लाख हेक्टेयर में और मटर की 4.09 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई क्रमश: 8.58 और 4.65 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
मोटे अनाजों की बुवाई 45.28 फीसदी पिछे
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में 45.28 फीसदी पिछे चल रही है तथा अभी तक इनकी बुवाई केवल 16.27 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 29.74 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई 11.03 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 22.61 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मक्का की बुवाई पिछले साल के 4.30 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.40 लाख हेक्टेयर में हुई है।
तिलहन की बुवाई भी पिछड़ी
रबी तिलहन की बुवाई भी चालू सीजन में 5.34 फीसदी पिछे चल रही है तथा अभी तक देशभर में इनकी बुवाई केवल 46.85 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 49.50 लाख हेक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई घटकर 43.34 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 44.46 लाख हेक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी। मूंगफली की बुवाई भी पिछले साल के 1.95 लाख हेक्टेयर से घटकर चालू रबी में 1.36 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है। अलसी की बुवाई भी पिछले साल के 1.47 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.25 लाख हेक्टेयर में ही हुई है।.............  आर एस राणा

सरकार डीओसी के निर्यात पर इनसेंटिव करेगी दोगुना, तिलहन किसानों को राहत देने की तैयारी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार तिलहनों की कीमतों में सुधार लाने के लिए डीओसी के निर्यात पर इनसेंटिव को 5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी करने की तैयारी कर रही है। सरकार का मकसद डीओसी के निर्यात को बढ़ावा देना है, जिसका असर तिलहन की कीमतों पर भी पड़ेगा।
सूत्रों के अनुसार केद्र सरकार सरसों, राइसब्रान, मूंगफली और केस्टर डीओसी के निर्यात पर इनसेंटिव को बढ़ाकर 10 फीसदी करेगी, जबकि वर्तमान में इनके निर्यात पर निर्यातकों को 5 फीसदी इनसेंटिव मिल रहा है। सोया डीओसी के निर्यात पर इनेंसटिव पहले ही 10 फीसदी है। डीओसी के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए इनसेंटिव को बढ़ाया जायेगा, जिससे घरेलू बाजार में तिलहन की कीमतों में सुधार आने का अनुमान है।
सरसों के साथ केस्टर और मूंगफली डीओसी का निर्यात बढ़ने की उम्मीद 
सोयाबीन प्रोससेर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (सोपा) के उपाध्यक्ष नरेश गोयनका ने बताया कि इनसेंटिव में बढ़ोतरी से सरसों के साथ ही मूंगफली और केस्टर डीओसी के निर्यातकों को फायदा होगा। उन्होंने बताया कि सरसों डीओसी के निर्यात में चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान अच्छी बढ़ोतरी हुई है, इनसेंटिव बढ़ाने पर इसका निर्यात आगे और बढ़ेगा। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान सरसों डीओसी का निर्यात 6,80,216 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इसका निर्यात 3,23,358 टन का ही हुआ था।
अक्टूबर में डीओसी निर्यात में आई भारी गिरावट
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अक्टूबर में डीओसी के निर्यात में 58 फीसदी की भारी गिरावट आकर कुल निर्यात 84,183 टन का ही हुआ था जबकि पिछले साल अक्टूबर में 2,00,158 टन डीओसी का निर्यात हुआ था।
चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल से अक्टूबर के दौरान डीओसी का निर्यात 6.5 फीसदी फीसदी बढ़कर 15,82,589 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इनका निर्यात 14,86,036 टन का ही हुआ है। .............  आर एस राणा

अक्टूबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 8 फीसदी बढ़ा, तेल वर्ष 2017-18 में घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में अक्टूबर में 8 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 12,56,433 टन का हुआ है जबकि पिछले साल अक्टूबर में इनका आयात 11,67,397 टन का ही हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार तेल वर्ष 2017-18 (नवंबर-17 से अक्टूबर-18) के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 2.68 फीसदी घटकर 150.2 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 154.4 लाख टन का आयात हुआ था। तेल वर्ष 2017-18 के दौरान हुए कुल आयात में खाद्य तेलों की हिस्सेदारी 145,16,532 टन की है, जबकि 5,09,748 टन अखाद्य तेलों का आयात हुआ है। खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में पिछले साल में 27 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
विश्व बाजार में भाव घटने से आयात हुआ सस्ता
एसईए के अनुसार विश्व बाजार में कीमतों में आई गिरावट से आयातित खाद्य तेलों के भाव में मंदा आया है। आरबीडी पॉमोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर अक्टूबर 2018 में घटकर 568 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि पिछले साल अक्टूबर में इसका भाव 716 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव इस दौरान पिछले साल के 717 डॉलर प्रति टन से घटकर 529 डॉलर प्रति टन रह गए। ...........  आर एस राणा

दलहन आयात 67 फीसदी घटा, उत्पादक मंडियों में भाव एमएसपी से नीचे

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सख्ती से पहली छमाही में दालों के आयात में 67 फीसदी की भारी कमी आई है, हालांकि उत्पादक दालों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 1,000 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे ही बने हुए हैं।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल से सितंबर के दौरान दालों का आयात घटकर 10.73 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में 32.96 लाख टन दालों का आयात हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में 3,097 करोड़ रुपये मूल्य की दालों का आयात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 11,893 करोड़ रुपये मूल्य की दालों का आयात हुआ था।
मंडियों में समर्थन मूल्य से भाव नीचे
दलहन कारोबारी चंद्रशेखर एस नादर ने बताया की गुलबर्गा मंडी में गुरूवार को उड़द के भाव 4,200 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए उड़द का एमएसपी 5,600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। इसी तरह से मंडी में अरहर भी 4,000 से 4,400 रुपये तथा मूंग 5,500 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है।
नेफेड लगातार दालों की बिक्री कर रही है, तथा नेफेड के पास दालों का बकाया स्टॉक ज्यादा है इसलिए जब तक नेफेड की बिकवाली बंद नहीं होगी, दालों की कीमतों में बड़ी तेजी की संभावना नहीं हैं। चालू खरीफ में अरहर और उड़द की पैदावार में कमी आने की आशंका है।
दलहन निर्यात में हुई बढ़ोतरी
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान 1,71,656 टन दालों का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में 74,406 टन दालों का निर्यात हुआ था। मूल्य के हिसाब से दालों का निर्यात चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 1,054 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में केवल 724 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था।
दलहन आयात पर सख्ती
केंद्र सरकार ने मटर के आयात पर एक लाख टन की मात्रा तय कर रखी है, तथा तय मात्रा का आयात पहले ही हो चुकी है। इसलिए मटर का आयात वर्तमान में नहीं हो रहा है जबकि देश में दालों के कुल आयात में मटर की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा की होती है। वित्त वर्ष 2017-18 में दालों का कुल आयात 56.1 लाख टन का हुआ था, जिसमें मटर की हिस्सेदारी 28.70 लाख टन की थी। इसी तरह से अरहर के आयात की 2 लाख टन की और मूंग तथा उड़द के आयात की दिसंबर आखिर तक 1.50 लाख टन की मात्रा तय कर रखी है। चना और और मसूर के आयात पर क्रमश: 50 और 30 फीसदी का आयात शुल्क लगा रखा है।
दलहन का रिकार्ड उत्पादन
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दालों का रिकार्ड 252.3 लाख टन का उत्पादन हुआ है जोकि इसके पिछले साल के 231.3 लाख टन से ज्यादा है।......  आर एस राणा

महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश की 184 चीनी मिलों में गन्ने की पेराई आरंभ

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) में प्रमुख तीन गन्ना उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 184 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है। इनमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 100 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ की है, जबकि उत्तर प्रदेश में 49 और कनार्टक में 35 चीनी मिलों में पेराई शुरू हो गई है।
उद्योग के अनुसार गन्ने के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों में 184 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है, तथा चालू सप्ताह में और करीब 90 से 100 मिलों में पेराई आरंभ हो जायेगी। अक्टूबर में महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों ने करीब 1.5 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था जबकि उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में अभी तक 81,200 टन चीनी का उत्पादन हुआ है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 3,53,100 टन से कम है।
यूपी सरकार ने अभी एसएसपी नहीं किया है घोषित
उत्तर प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में 49 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है, इनमें 42 प्राइवेट चीनी मिलें हैं, जबकि 7 सहकारी चीनी मिलों ने पेराई आरंभ की है। उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन के लिए अभी तक राज्य सरकार ने राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) तय नहीं किया है जबकि पिछले पेराई सीजन में 26 अक्टूबर 2017 को गन्ने का एसएपी घोषित कर दिया गया था।
उत्तर प्रदेश में अभी रिकवरी आ रही है कम
उत्तर प्रदेश में पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में रिकवरी की दर 8.87 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले साल 9.07 फीसदी की थी, हालांकि आगे रिकवरी की दर में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में राज्य में 125 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है जोकि पिछले साल के 120.49 लाख टन से ज्यादा है।
चीनी उत्पादन का 320 लाख टन का अनुमान
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन 2018-19 में चीनी का उत्पादन 320 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है जोकि बीते पेराई सीजन के 325 लाख टन से कम है। ....... आर एस राणा

खाद्य सब्सिडी में 4,398 करोड़ रुपये की होगी बढ़ोतरी, ओएमएसएस के तहत 50 लाख टन गेहूं बेचने का लक्ष्य

आर एस राणा
नई दिल्ली। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी से वर्ष 2018-19 में खाद्य सब्सिडी में 4,398 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होकर कुल सब्सिडी 1,26,470 करोड़ रुपये हो जायेगी। चालू सीजन में मार्च 2019 तक भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई)  50 लाख टन गेहूं खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बेचेगी।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार खाद्य सब्सिडी वर्ष 2017-18 में 1,22,072 करोड़ रुपये थी। गेहूं और धान के एमएसपी में की गई बढ़ोतरी से वर्ष 2018-19 में खाद्य सब्सिडी 1,26,470 करोड़ रुपये हो जायेगी।
गेहूं और चावल की इकनॉमिक लागत बढ़ी
उन्होंने बताया कि रबी विपणन सीजन 2018-19 में एमएसपी पर खरीदे गए गेहूं की इकनॉमिक लागत बढ़कर 2,445.62 रुपये प्रति क्विंटल हो गई जबकि पिछले रबी में गेहूं की इकनॉमिक लागत 2,396.34 रुपये प्रति क्विंटल थी। इसी तरह से चावल की इकनॉमिक लागत पिछले साल के 3,294.03 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 3,310.28 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।
अक्टूबर के आखिर तक 23.8 लाख टन की हो चुकी है बिक्री
उन्होंने बताया कि मार्च 2019 तक ओएमएसएस के तहत 50 लाख टन गेहूं की बिक्री का लक्ष्य है तथा अक्टूबर के आखिर तक 23.8 लाख टन गेहूं की बिक्री हो चुकी है। अक्टूबर से दिसंबर तक गेहूं का बिक्री भाव 1,925 रुपये प्रति क्विंटल एक्स लुधियाना तय किया हुआ है जबकि जनवरी से मार्च के दौरान 1,950 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचा जायेगा। गेहूं की बिक्री मध्य प्रदेश, पंजाब और हरियाणा से ई-निविदा के माध्यम से की जा रही है। उन्होंने बताया कि दिसंबर से फरवरी तक गेहूं की मांग बढ़ने की संभावना है, इसलिए आगे बिक्री बढ़ाई जायेगी।
साउथ की मिलें मध्य प्रदेश और हरियाणा से कर रही हैं खरीद 
बेंगलुरु स्थित प्रवीन कॉमर्शिलय कंपनी के प्रबंधक नवीन गुप्ता ने बताया कि दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें मध्य प्रदेश और हरियाणा से खरीद कर रही हैं। बेंगलुरु पहुंच मध्य प्रदेश गेहूं का भाव 2,290 से 2,300 रुपये और हरियाणा से खरीदा गया गेहूं 2,310 से 2,315 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच पड़ रहा है। बेंगलुरु में लोकल एफसीआई का गेहूं मिलों को 2,330 रुपये प्रति क्विंटल पड़ रहा है इसलिए यहां से खरीद नहीं की जा रही है। उन्होंने बताया कि 30 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण गेहूं का आयात नहीं हो रहा है, इसलिए फ्लोर मिलों को एफसीआई से खरीद करनी पड़ रही है।
केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक ज्यादा
पहली अक्टूबर 2018 को केंद्रीय पूल में 356.25 लाख टन गेहूं का स्टॉक बचा हुआ है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 258.66 लाख टन से ज्यादा है। चावल का स्टॉक भी केंद्रीय पूल में पहली अक्टूबर 2018 को 186.34 लाख टन का है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 163.07 लाख टन से ज्यादा है। खाद्यान्न का कुल स्टॉक पहली अक्टूबर 2018 को केंद्रीय पूल में 542.59 लाख टन का है।..........   आर एस राणा

पहली छमाही में केस्टर तेल का निर्यात 16.53 फीसदी घटा, सीड के उत्पादन में कमी की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में केस्टर तेल के निर्यात में 16.53 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 2,78,425 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इसका निर्यात 3,33,590 टन का हुआ था।
मूल्य के हिसाब से 25 फीसदी से ज्यादा गिरावट
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल से तिसंबर के दौरान मूल्य के हिसाब से केस्टर तेल के निर्यात में 25.41 फीसदी की गिरावट आकर कुल 2,502.22 करोड़ रुपये मूल्य का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3,354.64 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान कुल 6,39,390 टन केस्टर तेल का निर्यात 6,237.96 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था।
घरेलू बाजार में केस्टर सीड के भाव तेज
केस्टर तेल की निर्यातक फर्म ओसवाल एग्री इम्पैक्स के मैनेजिंग डायरेक्टर कुशल राज पारिख ने बताया कि केस्टर तेल का सबसे बड़ा आयातक देश चीन है तथा चालू वित्त वर्ष में चीन की आयात मांग कम रही है। उन्होंने कहा कि चालू सीजन में गुजरात के पाटन, मेहसाणा के साथ ही सौराष्ट्र और कच्छ में बारिश सामान्य से काफी कम हुई है जिस कारण केस्टर सीड की पैदावार कम होने की आशंका है, इसीलिए घरेलू बाजार में केस्टर सीड की कीमतों में महीनेभर में 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव 5,800 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
उन्होंने बताया कि केस्टर सीड की पैदावार राज्य सरकार के अनुमान से भी कम होने की आशंका है, इसलिए भाव में मंदे की उम्मीद नहीं है। महीनेभर में भाव 1,000 रुपये से ज्यादा बढ़ चुके हैं, इसलिए एक बार भाव रुक सकते हैं, लेकिन भविष्य तेजी का ही है। 
केस्टर तेल का निर्यात 8 से 10 फीसदी घटने की आशंका
उन्होंने बताया कि विश्व बाजार में केस्टर तेल के निर्यात सौदे 1,750 से 1,760 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं, लेकिन निर्यात मांग काफी कमजोर है। घरेलू बाजार में कीमतों में आई तेजी का असर भी निर्यात सौदों पर पड़ेगा, अत: चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात में 8 से 10 फीसदी की कमी आने की आशंका है।
केस्टर सीड के उत्पादन अनुमान में कमी 
गुजरात के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में केस्टर सीड का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 3.11 लाख टन कम होकर 11.73 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 14.84 लाख टन का उत्पादन हुआ था। केस्टर सीड की नई फसल की आवक जनवरी में बनेगी, तथा फरवरी में आवक बढ़ेगी।.....  आर एस राणा

गुजरात : कई जिलों में सूखे जैसे हालात से रबी फसलों की बुवाई 47 फीसदी पिछे

आर एस राणा
नई दिल्ली। गुजरात के कई जिलों में मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने के कारण किसानों को भारी नुकसान होने की आशंका है। खेतों में नमी की मात्रा कम होने के कारण किसान फसलों की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं, यही कारण है कि राज्य में रबी फसलों की बुवाई पिछले साल की तुलना में 47.07 फीसदी पिछे चल रही है। दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों के अलावा मसालें एवं सब्जियों की बुवाई में भी कमी आई है।
मानसूनी बारिश सामान्य से 24 फीसदी कम हुई 
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार मानसूनी सीजन में राज्य में सामान्य से 24 फीसदी कम बारिश हुई थी, जिसका असर रबी फसलों की बुवाई पर पड़ रहा है। राज्य में अभी तक केवल 4.51 लाख हेक्टेयर में ही रबी फसलों की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 8.50 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। राज्य में औसतन रबी फसलों की बुवाई 31.35 लाख हेक्टेयर में होती है।
गेहूं की बुवाई औसत की केवल 2 फीसदी
गेहूं की बुवाई चालू रबी में राज्य में अभी तक केवल 23,100 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.10 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। राज्य में गेहूं की बुवाई सामान्यत: 9.84 लाख हेक्टेयर में होती है, अत: अभी तक औसत बुवाई की केवल 2 फीसदी ही हुई है।
मक्का की बुवाई घटी, ज्वार की बढ़ी
इसी तरह मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में राज्य में अभी तक केवल 57,100 हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.62 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की बुवाई पिछले साल के 37,100 हेक्टेयर से घटकर अभी तक केवल 18,100 हेक्टेयर में ही हो पाई है। हालांकि ज्वार की बुवाई जरुर पिछले साल की तुलना में आगे चल रही है।
दलहन में चना की बुवाई घटी
दालों की बुवाई चालू रबी सीजन में राज्य में 55,600 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.13 लाख हेक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई 45,400 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 1.10 लाख हेक्टेयर में चना की बुवाई हो चुकी थी।
तिलहन की बुवाई पिछे
तिलहन की बुवाई राज्य में अभी तक केवल 1.06 लाख हेक्टैयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 1.92 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
मसालों के साथ सब्जियों की बुवाई कम
मसालों में जीरा और धनिया की बुवाई चालू रबी में घटकर क्रमश: 18,400 और 700 हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई क्रमश: 59,400 और 7,600 हेक्टेयर में हो चुकी थी। प्याज और आलू की बुवाई भी घटकर 3,400 और 3,200 हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई क्रमश: 4,800 और 11,000 हेक्टेयर में हो चुकी थी।..... आर एस राणा

उत्तर प्रदेश : दो दर्जन से ज्यादा चीनी मिलों में पेराई आरंभ, एसएपी तय नहीं होने से किसान असमंजस में

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 30 से ज्यादा चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई तो आरंभ कर दी है, लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) भी तय नहीं किया है जिस कारण किसानों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। पिछले पेराई सीजन का भी राज्य की चीनी मिलों पर 7,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया बचा हुआ है।
एसएपी तय नहीं होने से किसान परेशान
बिजनौर जिले की चांदपुर तहसील के गांव कर्णपूर गामड़ी के किसान कैलाश लांबा ने बताया कि उन्होंने सात एकड़ में गन्ना लगा रखा है, तथा चांदपुर चीनी मिल ने पिछले पेराई सीजन का भी अभी तक पूरा भुगतान नहीं किया है। उन्होंने बताया कि अभी तक केवल मार्च तक का भुगतान किया गया है, तथा राज्य सरकार ने अभी तक एसएपी भी घोषित नहीं किया है। इससे साफ है कि राज्य सरकार भी चीनी मिलों के साथ है। 
हापुड़ जिले के असोदा गांव के किसान मुकुल त्यागी ने बताया कि सिंभावली चीनी मिल ने पेराई तो आरंभ कर दी है, लेकिन राज्य सरकार ने चालू पेराई सीजन के लिए अभी तक गन्ने का एसएपी ही तय नहीं किया है, जिस कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
चालू सप्ताह में एसएपी की हो सकती है घोषणा
राज्य के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में करीब 30 चीनी मिलों ने पेराई आरंभ कर दी है तथा चालू सप्ताह में दर्जनभर से ज्यादा मिलों में और पेराई आरंभ हो जायेगी। उन्होंने बताया कि पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए गन्ने का एसएपी चालू सप्ताह में घोषित किए जाने की उम्मीद है। पिछले साल राज्य में 26 अक्टूबर 2017 को गन्ने का एसएपी घोषित किया गया था। 
बीते पेराई सीजन में एसएपी 10 रुपये बढ़ा था
उन्होंने बताया कि बीते पेराई सीजन के लिए राज्य सरकार ने गन्ने की अगैती प्रजाति के लिए एसएपी 325 रुपये और सामान्य प्रजाति के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था तथा पिछले साल एसएपी में 10 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई थी।
पिछले साल 119 चीनी मिलों में हुई थी पेराई
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के अनुसार पेराई सीजन 2017-18 का दो अक्टूबर 2018 तक राज्य की चीनी मिलों पर किसानों का 7,160 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है। पिछले पेराई सीजन में राज्य में 119 चीनी मिलों में पेराई हुई थी तथा 120.49 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
चीनी उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान
चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के अधिकारी के अनुसार चालू सीजन में राज्य में गन्ने की फसल पिछले साल से ज्यादा है, इसलिए चीनी का उत्पादन भी बढ़कर 125 लाख टन होने का अनुमान है।.....  आर एस राणा

धान की सरकारी खरीद 196 लाख टन के पार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 196.88 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है जबकि उत्पादक मंडियों में 209.60 लाख टन धान की आवक हुई है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 129.50 लाख टन और हरियाणा की 56.41 लाख टन की है। अन्य राज्यों में तेलंगाना से 7.61 लाख टन, चंडीगढ़ से 18,669 टन, गुजरात से 1,533 टन, जम्मू-कश्मीर से 2,156 टन, केरल से 48,460 टन, महाराष्ट्र से 1,364 टन, तमिलनाडु से 1.29 लाख टन और उत्तर प्रदेश से 22,443 टन तथा उत्तराखंड से 1.10 लाख टन धान की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है।
एफसीआई के अनुसार चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में चावल की खरीद का लक्ष्य 370 लाख टन का तय किया हुआ है जबकि पिछले खरीफ विपणन सीजन में 381.85 लाख टन चावल की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई थी। ...........  आर एस राणा

11 नवंबर 2018

किसानों की मांगों को लेकर 12 नवंबर को मुंबई में जुटेंगे विपक्षी दल-एआईकेएस

आर एस राणा
नई दिल्ली। संपूर्ण कर्ज माफी, सूखे से हुए नुकसान की भरपाई और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करवाने इत्यादि मांगों को लेकर महाराष्ट्र के किसान 12 नवंबर को मुंबई में आगे की रणनीति तय करेंगे। आॅल इंडिया किसान सभा के बैनर तले होने वाली इस बैठक में भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों को छोड़ अन्य सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया गया है।
एआईकेएस के महासचिव अजीत नवाले ने आउटलुक को बताया कि भाजपा सरकार किसान विरोधी है इसलिए राज्य के किसानों की लगातार अनदेखी की जा रही है। उन्होंने बताया कि ऑल इंडिया किसान सभा के नेतृत्व में मार्च 2018 में नासिक से मुंबई तक हजारों किसानों ने मार्च किया था, जिसके बाद राज्य सरकार ने अगले छह महीनों में सभी मांगें माने जाने का लिखित में आश्वासन दिया था, लेकिन उनमें से केवल 40 फीसदी मांगे ही अभी तक मानी गई हैं, बाकि 60 फीसदी मांगे नहीं मानी गई।
उन्होंने बताया कि हमारी प्रमुख मांगों में संपूर्ण कर्जमाफी, किसानों को मासिक पेंशन और आदिवासियों को वन जमीन का अधिकार देने के साथ ही स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करवाना है।
उन्होंने बताया कि किसानों के हक के लिए हमने सभी विपक्षी दलों को इस बैठक में बुलाया है, ताकि किसानों से जुड़े मुद्दों पर वह अपनी नीति रख सके। उसके बाद आगे की रणनीति तय की जायेगी। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी तो फिर मार्च 2018 जैसा आंदोलन फिर दोहराया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि 12 नवंबर को होने वाली बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी, महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण के अलावा राकांपा के नेता धनंजय मुंडे सहित कई अन्य नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है।.............  आर एस राणा

धान की सरकारी खरीद 179 लाख टन के पार, कुल खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद 179.04 लाख टन की हो चुकी है तथा कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब की 115.12 लाख टन की है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार हरियाणा से 55.55 लाख टन धान की सरकारी खरीद हो चुकी है तथा अन्य राज्यों में तेलंगाना से 5.32 लाख टन, तमिलनाडु से 1.26 लाख टन, उत्तराखंड से 1.11 लाख टन की हुई है। केरल से चालू खरीफ में 33 हजार टन, उत्तर प्रदेश से 14 हजार टन, चंडीगढ़ से 19 हजार टन तथा जम्मू-कश्मीर से 2 हजार टन धान की एमएसपी पर खरीद हुई है।
खरीद का लक्ष्य पिछले साल से कम
केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में समर्थन मूल्य पर 370 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि पिछले खरीफ सीजन में एमएसपी पर 381.84 लाख टन चावल की खरीद की गई थी।
एमएसपी में की गई बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए धान के एमएसपी में 180-200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर कॉमन ग्रेड धान का समर्थन मूल्य 1,750 रुपये और ए-ग्रेड का 1,770 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।............  आर एस राणा

कई राज्यों में बारिश की कमी का असर फसलों की बुवाई पर, चालू रबी में 20 फीसदी पिछे

आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसूनी सीजन में देश के कई राज्यों में सामान्य से कम बारिश होने का असर रबी फसलों की बुवाई पर भी देखा जा रहा है। चालू रबी सीजन में फसलों की बुवाई 19.87 पिछे चल रही है। दलहन, तिलहन के साथ ही मोटे अनाजों की बुवाई पिछड़ी है, हालांकि गेहूं की बुवाई जरुर आगे चल रही है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में अभी तक देशभर में 110.71 लाख हैक्टेयर में ही रबी फसलों की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 138.16 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर चालू रबी सीजन में 15.19 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 12.65 लाख हैक्टेयर में ही इसकी बुवाई हो पाई थी।
चना, मसूर और मटर की बुवाई पिछड़ी
रबी दलहन की बुवाई चालू सीजन में घटकर अभी तक केवल 39.05 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 54.34 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई घटकर 27.14 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 40.46 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मसूर की बुवाई 3.11 लाख हैक्टेयर में और मटर की 2.49 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई क्रमश: 5.28 और 3.35 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
ज्वार की बुवाई पिछे, मक्का की आगे
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में 37.56 फीसदी पिछे चल रही है तथा अभी तक इनकी बुवाई केवल 14.14 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 22.65 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई 10.80 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 19.34 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मक्का की बुवाई जरुर पिछले साल के 2.05 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 2.47 लाख हैक्टेयर में हुई है।
सरसों के साथ मूंगफली की बुवाई घटी
रबी तिलहन की बुवाई भी चालू सीजन में 9.21 फीसदी पिछे चल रही है तथा अभी तक देशभर में इनकी बुवाई केवल 37.09 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 40.86 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई घटकर 34.70 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 37.05 लाख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी। मूंगफली की बुवाई भी पिछले साल के 1.62 लाख हैक्टेयर से घटकर चालू रबी में 1.11 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है। .............  आर एस राणा

दिसंबर में बासमती चावल के निर्यात में तेजी आने का अनुमान, पहली छमाही में 2.4 फीसदी घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 2.4 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 20.82 लाख टन का ही हुआ है। दिसंबर के बासमती चावल के निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है तथा चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात 40 लाख टन के लगभग ही होने का अनुमान है।
बासमती चावल का निर्यात मात्रा में घटा, मूल्य के हिसाब से बढ़ा
एपिडा के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 की पहली छमाही में बासमती चावल का निर्यात मात्रा के हिसाब से तो घटा है, लेकिन मूल्य के हिसाब से बढ़ा है। अप्रैल से सितंबर के दौरान 20.82 लाख टन बासमती चावल का ही निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में 21.34 लाख टन का निर्यात हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में बासमती चावल का निर्यात 15,331 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इसका निर्यात 13,706 करोड़ रुपये का ही हुआ था।
गैर-बासमती चावल का निर्यात घटा
उन्होंने बताया कि गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले छह महीनों अप्रैल से सितंबर के दौरान 37.23 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इसका निर्यात 42.86 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 10,426 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 11,236 करोड़ रुपये का हुआ था।
दिसंबर में निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान
चावल की निर्यातक फर्म केआरबीएल लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार मित्तल ने बताया कि इस समय ईरान, साउदी अरब के साथ ही अन्य खाड़ी देशो की आयात मांग बासमती चावल में कम है लेकिन दिसंबर से निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि पूसा बासमती चावल 1,121 सेला का भाव विश्व बाजार में 1,100 डॉलर प्रति टन है लेकिन निर्यात सौदे अभी काफी कम हो रहे हैं।
बीते वित्त वर्ष में 40.51 लाख टन बासमती चावल का हुआ निर्यात
उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2018-19 में बासमती चावल का कुल निर्यात 40 लाख टन होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2017-18 में 40.15 लाख टन बासमती चावल का निर्यात 26,841.19 करोड़ रुपये का हुआ था।
पूसा 1,121 और डीपी धान की हो रही आवक ज्यादा
हरियाणा की कैथल मंडी के चावल कारोबारी रामनिवास खुरानिया ने बताया कि शुक्रवार को मंडी में बासमती धान की दैनिक आवक 35 से 40 हजार बोरी की हुई तथा कुल आवक में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पूसा बासमती 1,121 और डीपी धान की हो रही है। मंडी में पूसा बासमती 1,121 धान का भाव 3,600 से 3,650 रुपये और कंबाइन से कटे धान का भाव 3,200 से 3,300 रुपये प्रति क्विंटल रहा। कंबाइन से कटे धान में नमी की मात्रा ज्यादा आ रही हैै। मंडी में पूसा बासमती 1,121 चावल सेला का भाव 7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
चालू महीने के आखिर तक उत्पादक मंडियों में पूसा 1,121 और डीपी धान की आवक कम हो जायेगी, तथा बासमती चावल के निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है। अत: आगे बासमती धान और चावल की कीमतों में तेजी ही आने का अनुमान है।............  आर एस राणा

भारत चीन को रॉ-शुगर का निर्यात करेगा, 20 लाख टन निर्यात का लक्ष्य

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत चीन को कच्ची चीनी (रॉ-शुगर) का निर्यात करेगा। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारतीय चीनी उद्योग और चीन की सार्वजनिक कंपनी कॉफको के बीच 15,000 टन रॉ-शुगर के निर्यात अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए हैं तथा चीन को करीब 20 लाख टन चीनी के निर्यात की योजना है।
मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार भारत से चीन को रॉ-शुगर का निर्यात अगले साल से शुरू हो जायेगा। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) और चीन के सार्वजनिक उपक्रम कॉफकों के बीच इस बाबत अनुबंध हुआ है। इससे घरेलू बाजार में चीनी के बंपर स्टॉक को खपाने में मदद मिलने की संभावना है।
बीते पेराई सीजन 2017-18 में देश में रिकार्ड 325 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, जबकि पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान उद्योग ने 320 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान जारी किया है। अत: पिछले दो सालों से चीनी के बंपर उत्पादन के कारण ही घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता ज्यादा होने के कारण घरेलू बाजार में दाम भी कम हो गए थे, जिस कारण चीनी मिलों को किसानों के बकाया भुगतान में भी देरी हुई, तथा अभी भी उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया बचा हुआ है।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार गैर-बासमती चावल के बाद रॉ-शुगर दूसरा ऐसा उत्पाद है जो चीन, भारत से आयात करेगा। चीन के साथ भारत के 60 अरब अमरीकी डालर के व्यापार घाटे को कम करने के लिए यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वर्ष 2017-18 में चीन को होने वाला भारत का निर्यात 33 अरब अमेरिकी डॉलर का था, जबकि चीन से आयात 76.2 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ था।
भारत सरकार चीनी निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चीन और इंडोनेशिया समेत कई अन्य देशों के साथ बातचीत कर रही है।
भारतीय चीनी उच्च गुणवत्ता की
मंत्रालय के अनुसार भारतीय चीनी उच्च गुणवत्ता की है। गन्ना कटाई से लेकर पेराई तक के काम में न्यूनतम समय लगने के कारण भारतीय चीनी डेक्सट्रान मुक्त है इसलिए भारत चीन के लिए भारी मात्रा में उच्च गुणवत्ता वाली चीनी के नियमित और भरोसेमंद निर्यातक बनने की स्थिति में है।....... आर एस राणा

07 नवंबर 2018

डीओसी निर्यात 6.5 फीसदी बढ़ा, चीन और ईरान की आयात मांग आगे बढ़ने की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान डीओसी का निर्यात 6.5 फीसदी बढ़कर 15,82,589 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 14,86,036 टन का ही हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. डी बी मेहता ने बताया कि अक्टूबर में डीओसी के निर्यात में करीब 58 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 84,143 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल अक्टूबर में 2,00,158 टन डीओसी का निर्यात हुआ था। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले सात महीनों में डीओसी के कुल निर्यात में 6.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है तथा इस दौरान सरसों डीओसी का निर्यात बढ़कर लगभग दोगुना हो गया।
चीन और ईरान की आयात मांग बढ़ने का अनुमान
मेहता ने बताया कि अमेरिका और चीन के बीच चले रहे ट्रेड वार से आगामी दिनों में चीन की आयात मांग भारत से बनने की संभावना है, वर्ष 2012 में चीन ने भारत से डीओसी का आयात बंद कर दिया था। उन्होंने बताया कि चीन भारत से करीब 3.5 से 4 लाख टन सरसों डीओसी और एक लाख टन सोया डीओसी का आयात कर सकता है। उन्होंने बताया कि ईरान भी आगामी दिनों में सोया डीओसी का भारत से आयात कर सकता है। अत: आगामी महीनों से भारत से डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
सोया डीओसी के भाव घटे, सरसों डीओसी के बढ़े
एसईए के अनुसार भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी का भाव घटकर अक्टूबर में औसतन 357 डॉलर प्रति टन रहा जबकि पिछले साल अक्टूबर में इसका भाव 375 डॉलर प्रति टन था। हालांकि सरसों डीओसी का भाव चालू वित्त वर्ष के अक्टूबर में बढ़कर 229 डॉलर प्रति टन हो गया जबकि पिछले साल अक्टूबर में इसका भाव 222 डॉलर प्रति टन था। ........ आर एस राणा

तेल कंपनियों ने 287 करोड़ लीटर एथेनॉल के कॉन्ट्रैक्ट किए, अनिवार्य ब्लेंडिंग का 8.7 फीसदी

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू गन्ना पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए तेल कंपनियों ने 287 करोड़ लीटर एथेनॉल के कॉन्ट्रैक्ट किए हैं जोकि अनिवार्य 10 फीसदी ब्लेंडिंग का 8.7 फीसदी हो जायेगा। पिछले पेराई सीजन के 4.5 फीसदी ब्लेंडिंग के दोगुने के करीब है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने बताया कि अनिवार्य 10 फीसदी ब्लेंडिंग के लिए 330 करोड़ लीटर की जरुरत है तथा चीनी मिलों ने 314 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति के लिए निविदा भरी थी, जिसमें से पहली बार में 203 करोड़ लीटर और दूसरी बार में 84 करोड़ लीटर को मिलाकर कुल 287 करोड़ लीटर एथेनॉल की आपूर्ति के कॉन्ट्रैक्ट हो चुके हैं जोकि अनिवार्य ब्लेंडिंग का करीब 8.7 फीसदी हो जायेगा।
बीते पेराई सीजन में 160 करोड़ लीटर के हुए थे कॉन्ट्रैक्ट
उन्होंने बताया कि बीते पेराई सीजन में 160 करोड़ लीटर एथेनॉल के कॉन्ट्रैक्ट किए थे जिसमें से 145 से 150 की सप्लाई हो चुकी है तथा 30 नवंबर 2018 तक बाकि की भी सप्लाई हो जायेगी।
केंद्र सरकार ने 114 प्रस्तवों को दी है मंजूरी
उन्होंने बताया कि एथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए चीनी मिलों ने केंद्र सरकार को 258 प्रस्ताव भेजे थे, इनमें से 114 को मंजूरी मिल चुकी है। कुछ चीनी मिलों ने पहले ही एथेनॉल उत्पादन की क्षमता विकसित करनी शुरू कर दी थी। ऐसे में उम्मीद है कि चालू पेराई सीजन में पांच लाख टन गन्ने के रस से सीधे एथेनॉल का उत्पादन किया जायेगा, तथा आगामी पेराई सीजन 2019-20 में 15 से 20 लाख टन गन्ने से सीधे एथेनॉल का उत्पादन किए जाने की उम्मीद है।
एथेनॉल का उत्पादन बढ़ने के लिए मिलों को सस्ता कर्ज
केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को जून 2018 में 8,500 करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की थी, इसमें 4,440 करोड़ रुपये चीनी मिलों को सस्ते कर्ज के रूप में एथेनॉल क्षमता के विकास के लिए दिए गए थे।
केंद्र ने इथेनॉल के भाव में की थी बढ़ोतरी
सितंबर में आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति (सीसीईए) ने एथेनॉल की कीमतों में भी बढ़ोतरी की थी। इसके तहत सीधे गन्ने के रस से बनने वाले बी-ग्रेड एथेनॉल का भाव 47.13 रुपये से बढ़ाकर 52.43 रुपये प्रति लीटर कर दिया था, हालांकि शीरे से उत्पादित सी-ग्रेड के एथेनॉल का मूल्य 43.70 रुपये से घटाकर 43.46 रुपये प्रति लीटर कर दिया था।............... आर एस राणा

टमाटर, प्याज और आलू की उपलब्धता बढ़ाने की तैयारी, सरकार ने आॅपरेशन ग्रीन्स को दी मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने टमाटर, प्याज और आलू की उपलब्धता बढ़ाने के लिए इनके उत्पादन और प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये के ऑपरेशन ग्रीन्स (हरित अभियान) कार्यक्रम के लिए दिशा निर्देशों को मंजूरी दी दी।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल द्वारा जारी बयान के अनुसार मंत्रालय ने ऑपरेशन ग्रीन्स को परिचालन में लाने की रणनीति को मंजूरी प्रदान कर दी है। सरकार के इस कदम का उद्देश्य इन तीन प्रमुख सब्जियों के मूल्य के उतार-चढ़ाव पर अंकुश लगाना है। टमाटर, प्याज और आलू (टॉप) फसलों की आपूर्ति और कीमतों को स्थिर करने के लिए 500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ केंद्रीय बजट 2018-19 में इस कार्यक्रम की घोषणा की गई थी।
कीमतों को स्थिर करने में मिलेगी मदद
उन्होंने कहा कि प्रमुख सब्जियों की कीमतों में घट बढ़ से परिवारों का बजट बिगड़ जाता है। इस परिजना को सभी अंशधारकों के साथ निरंतर वार्ता के बाद विकसित किया गया है और हमने इन प्रमुख सब्जियों की कीमतों को स्थिर करने तथा पूरे वर्ष लोगों को इनकी सुचार आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए रणनीति तय की है।
प्रमुख सब्जियों का उत्पादन और मूल्य श्रृंखला को बढ़ाया जायेगा
उन्होंने कहा कि सरकार ने इन प्रमुख सब्जियों का उत्पादन बढ़ाने और मूल्य श्रृंखला को बढ़ाने के लिए इस योजना के तहत विशेष उपाय किये हैं और अनुदान सहायता प्रदान की है। किसान उत्पादक संगठनों, कृषि-रसद, प्रसंस्करण सुविधाओं और पेशेवर प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए ऑपरेशन ग्रीन्स कार्यक्रम की घोषणा की गई थी। इस कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्यों में उत्पादक समूहों और उनके एफपीओ को मजबूत करके और उन्हें बाजार से जोड़ने के द्वारा इन फसलों को उगाने वाले किसानों की बिक्री से प्राप्त होने वाली आय में वृद्धि करना शामिल है।
मांग और आपूर्ति को सुनिश्चित करने पर जोर
इस योजना का उद्देश्य कृषि गेट बुनियादी ढांचे, कृषि-रसद और भंडारण क्षमता के निर्माण के बाद फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करना है। इससे प्रसंस्करण क्षमताओं और मूल्यवर्धन करने में मदद मिलेगी। मांग और आपूर्ति तथा इन फसलों की कीमतों के वास्तविक समय के आंकड़ों को इकट्ठा करने एवं एकत्रित करने के लिए एक बाजार खुफिया जानकारी नेटवर्क भी स्थापित किया जाएगा।
लागत के 50 फीसदी के बराबर अनुदान सहायता राशि दी जायेगी
बयान में कहा गया है कि इसमें में सभी क्षेत्रों में पात्र परियोजना लागत के 50 फीसदी के बराबर अनुदान सहायता शामिल होगी, जो प्रति परियोजना अधिकतम 50 करोड़ रुपये तक हो सकती है। हालांकि एफपीओ के मामले में, अनुदान सहायता सभी क्षेत्रों में पात्र परियोजना लागत के 70 फीसदी तक और प्रति परियोजना की लागत अधिकतम 50 करोड़ रुपये तक होगी।..............  आर एस राणा

उद्योग ने की कपास उत्पादन अनुमान में 4.75 लाख गांठ की कटौती

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में कपास का उत्पादन घटकर 343.25 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) ही होने का अनुमान है जोकि उद्योग के आरंभिक अनुमान 348 लाख गांठ से 4.75 लाख गांठ कम है।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुण गणात्रा ने बताया कि चालू सीजन में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और ओडिशा के कई जिलों में सूखे से कपास के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है। अक्टूबर के आरंभ में उद्योग ने चालू खरीफ सीजन में 348 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान जारी किया था जबकि इसके पिछले साल 365 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।
कई राज्यों में सूखे जैसे हालात से उत्पादन में कमी
सीएआई के अनुसार दूसरे आरंभिक अनुमान में गुजरात में 2 लाख गांठ, महाराष्ट्र में एक लाख गांठ और कर्नाटक में भी एक लाख गांठ तथा ओडिशा में 75 हजार गांठ की कमी आने की आशंका है। अत: उत्तर भारत के राज्यों में कपास का उत्पादन 58 लाख गांठ, मध्य भारत के राज्यों में 192 लाख गांठ तथा दक्षिण भारत के राज्यों में 89 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है। इसके अलावा अन्य राज्यों में 4.25 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है।
उत्पादक मंडियों में 26.13 लाख गांठ की हो चुकी है आवक
अक्टूबर में उत्पादक मंडियों में 26.13 लाख गांठ कपास की दैनिक आवक हो चुकी है जबकि अक्टूबर में एक लाख गांठ कपास का आयात हुआ है। पहली अक्टूबर 2018 को शुरू हुए कपास सीजन के आरंभ में 23 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। ...........  आर एस राणा
 
 

यूपी से 18,535 टन धान की ही हुई खरीद, किसान एमएसपी से 30 फीसदी नीचे बेचने पर मजबूर

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों को फसलों का समर्थन मूल्य देने के बड़े-बड़े वादे तो किए थे, लेकिन राज्य से धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर हो रही खरीद में दावों की पोल खुलने लगी है। पहली अक्टूबर से शुरू हुए खरीद सीजन में 5 नवंबर तक राज्य की मंडियों से एमएसपी पर केवल 18,535 टन धान ही खरीदा गया है।
राज्य में धान का उत्पादन 200 लाख टन के करीब होता है जबकि चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में एमएसपी पर खरीद का लक्ष्य ही 10.44 लाख टन का रखा गया था। अत: सरकारी खरीद के अभाव में किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य से 25 से 30 फीसदी नीचे भाव पर व्यापारियों और राइस मिलरों को बेचने पर मजबूर हैं।
एमएसपी से 270 से 550 रुपये बिक रहा है धान
केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए सामान्य किस्म के धान का एमएसपी 1,750 रुपये और ग्रेड-ए धान का एमएसपी 1,770 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि उत्पादक मंडियों में 1,200 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल धान बिक रहा है।
क्रय केंद्रों पर नमी या फिर अन्य कारण बताकर खरीद से परहेज
पीलीभीत जिले की पूरनपुर तहसील के गांव बेगपुर के किसान गुरुप्रीत सिंह ने बताया कि उन्होंने साढ़े पांच एकड़ में धान की फसल लगाई थी, लेकिन पूरनपुर मंडी में सरकारी खरीद न के बराबर की जा रही है, क्रय अधिकारी फसल में नमी की मात्रा ज्यादा बताकर या अन्य कोई कारण बताकर किसानों से खरीद नहीं कर रहे हैं। इससे परेशान होकर उन्हें अपनी फसल राइस मिलर को 1,200 से 1,400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचनी पड़ी। राइस मिलर एक क्विंटल पर एक किलो धान की कटौती करते है, साथ ही अगर भुगतान तुरंत चाहिए तो फिर एक फीसदी मुद्दत भी काट लेते हैं, नहीं तो भुगतान एक महीने बाद किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस बारे में कई बार पूरनपुर मंडी सचिव को भी अवगत कराया गया, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ।
अधिकारियों के माना खरीद की गति धीमी
पूरनपुर मंडी सचिव सहदेव सिंह ने आउटलुक को बताया कि मंडी से धान की समर्थन मूल्य पर खरीद तो रही है, लेकिन खरीद की गति धीमी है। अभी तक करीब 3,000 से 4,000 टन धान ही समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक मंडी में आ रहे धान में नमी की मात्रा ज्यादा आ रही थी, साथ ही किसानों का रजिस्ट्रशन नहीं होना भी एक कारण है। किसान भी रजिस्ट्रेशन कराने में कम रुचि ले रहे हैं। हालांकि अभी 15 नवंबर तक किसान जरिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। उन्होंने बताया कि पीलीभीत जिले में 96 क्रय केंद्र खोले गए हैं, तथा धान की खरीद का लक्ष्य 30.40 लाख क्विंटल का है। उन्होंने बताया अगर नमी की मात्रा 20 फीसदी से ज्यादा है, तो फिर व्यापारी को उसे ड्रायर से सूखाने में 100 रुपये प्रति क्विंटल का खर्च आता है, इसलिए व्यापारी उसी हिसाब से खरीद करता है।
व्यापारियों और राईस मिलर को बेचना पड़ रहा है धान
राज्य के बरेली जिले की तहसील बहेड़ी के किसान दिलबाग सिंह ने बताया कि पूरी बहेड़ी तहसील में एक ही क्रय केंद्र पर धान की खरीद की जा रही है, वह भी नाममात्र की ही। उन्होंने बताया कि क्रय केंद्र पर धान की खरीद नहीं करने के लिए अधिकारीगण तरह-तरह के बहाने जैसे फसल में काला दाना, हरा दाना या फिर नमी ज्यादा बताकर खरीद के अयोग्य घोषित कर देते है। जिससे परेशान होकर किसान व्यापारियों को या फिर चावल मिलों में 1,300 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल पर धान बेच देता है।
खरीद के बदले नहीं दी जा रही रसीद
उन्होंने बताया कि चावल मिल वाले किसानों को धान की खरीद की रसीद तक नहीं देते हैं, बल्कि कांटे की जो पर्ची होती है उसी के आधार पर पैमेंट कर दी जाती है। उन्होंने बताया कि बहेड़ी तहसील उत्तराखंड के बार्डर पर स्थित है तथा यहा धान की खेती सबसे ज्यादा होती है।
अधिकारियों से मिला केवल आश्वासन
सुल्तानपुर जिले के किसान रामप्रकाश ने बताया कि धान की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए जिले में 19 क्रय केंद्र तो खोले गए हैं लेकिन खरीद नहीं के बराबर की जा रही है। इस बारे में हमने जिलाअधिकारी को भी अवगत कराया था, लेकिन वहां से भी केवल आश्वासन ही मिला।
खरीद का लक्ष्य 10.44 लाख टन
राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू खरीद सीजन में 5 नवंबर 2018 तक राज्य की मंडियों से 18,535 टन टन धान एमएसपी पर खरीदा गया है। उन्होंने बताया कि चालू खरीफ विपणन सीजन में राज्य से धान की खरीद का लक्ष्य 10.44 लाख टन का तय किया गया है।.................   आर एस राणा

04 नवंबर 2018

महाराष्ट्र: मोटे अनाजों के साथ दालों का उत्पादन घटने का अनुमान, तिलहन का बढ़ेगा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने के कारण महाराष्ट्र में खरीफ फसलों में मोटे अनाजों के साथ ही दलहन की पैदावार में कमी आने की आशंका है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार कपास, तिलहन और गन्ने की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है।
मक्का, बाजरा और ज्वार की पैदावार रहेगी कम
राज्य के कृषि निदेशालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार मोटे अनाजों में ज्वार, बाजरा और मक्का की पैदावार में कमी आने का अनुमान है जबकि चावल का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। राज्य में चालू खरीफ में मक्का का उत्पादन घटकर 19.81 लाख टन और बाजरा का 3.93 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 29.63 लाख टन मक्का और 6.14 लाख टन बाजरा का उत्पादन हुआ था। ज्वार का उत्पादन भी चालू खरीफ में पिछले साल के 4.16 लाख टन से घटकर 3.66 लाख टन ही होने का अनुमान है। चावल का उत्पादन राज्य में बढ़कर 31.29 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 26.56 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था।
दलहन का उत्पादन घटने की आशंका
चालू खरीफ में दालों का उत्पादन घटकर राज्य में 13.77 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 14.68 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर का उत्पादन घटकर 10.56 और मूंग का 1.44 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इनका उत्पादन क्रमश: 10.73 और 1.64 लाख टन का हुआ था। उड़द का उत्पादन भी चालू खरीफ में पिछले साल के 1.77 लाख टन से घटकर 1.40 लाख टन ही होने का अनुमान है।
सोयाबीन की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार तिलहन का उत्पादन चालू खरीफ में बढ़कर 46.25 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 41.62 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर 38.88 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 34.33 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। मूंगफली का उत्पादन जरूर पिछले साल के 2.57 लाख टन से घटकर 2.24 लाख टन ही होने का अनुमान है।
कपास और गन्ने की पैदावार ज्यादा
कपास का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 78.31 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 65.51 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था। गन्ने का उत्पादन बढ़कर राज्य में 927.29 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 831.34 करोड़ टन ही गन्ने की पैदावार हुई थी।............  आर एस राणा

देश के 68 फीसदी इलाकों में ही हुई सामान्य बारिश, 31 फीसदी क्षेत्रफल में कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। इस साल दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान देश के केवल 68 फीसदी इलाकों में ही सामान्य बारिश दर्ज की गयी है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार जून से सितंबर के दौरान दक्षिण पश्चिम मानसून की बारिश 804 मिमि दर्ज की गई जोकि सामान्य से नौ फीसदी कम है। इस दौरान के 31 फीसदी क्षेत्रफल में सामान्य से कम बारिश हुई है।
रबी की बुवाई पर भी आंशिक असर
चालू मानसूनी सीजन में देश के कई राज्यों में सामान्य से कम बारिश होने के कारण ही गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और ओडिशा समेत कई राज्य कई जिलों को सुखाग्रस्त घोषित कर चुके हैं जिसका असर खरीफ फसलों पर तो पड़ने की आशंका है ही, साथ ही रबी फसलों की बुवाई पर भी इसका आंशिक असर देखा जा रहा है। चालू रबी में देशभर में अभी तक फसलों की बुवाई 84.91 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 93.01 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
केवल एक क्षेत्र में सामान्य से ज्यादा हुई बारशि
आईएमडी के अनुसार देश के 36 क्षेत्रों में से 23 क्षेत्रों में (देश के कुल क्षेत्रफल का 68 फीसदी) में सामान्य बारिश दर्ज की गई। दक्षिण पश्चिमी मानसून के दौरान सिर्फ एक क्षेत्र में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई। इस क्षेत्र में केरल और पुदुचेरी सहित देश का एक फीसदी क्षेत्रफल ही शामिल है।
देश के 31 फीसदी में सामान्य से कम बारिश
मौसम विभाग के अनुसार देश के 12 क्षेत्रों (देश के कुल क्षेत्रफल का 31 फीसदी) हिस्से में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई। कम बारिश वाले राज्यों में मुख्यत: पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, सौराष्ट्र, कच्छ, गुजरात मराठवाड़ा, रायलसीमा, उत्तर भीतरी कर्नाटक और पश्चिमी राजस्थान शामिल है।
सर्वाधिक बारिश पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में
आईएमडी के अनुसार इस दौरान सर्वाधिक बारिश (1087.5 मिमी) पूर्वी और उत्तर पूर्वी क्षेत्र में हुई, जबकि सबसे कम (603.2 मिमी) बारिश उत्तर पूर्वी क्षेत्र में दर्ज की गई। दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान जून महीने में देशव्यापी स्तर पर सबसे कम बारिश (156.3 मिमी) दर्ज की गयी, जबकि अगस्त और सितंबर के दौरान सर्वाधिक (373.8 मिमी) बारिश हुई। 
अक्टूबर के पहले सप्ताह में मानसून की वापसी हुई थी शुरु
देश के अधिकांश इलाकों से मानसून की वापसी एक से छह अक्तूबर के बीच शुरु हो गई थी। पश्चिम बंगाल और अरब सागर के तटीय इलाकों सहित पूरे देश से मानसून की पूरी तरह से वापसी छह दिन के विलंब के बाद 21 अक्तूबर को हो गई। .............   आर एस राणा

रबी फसलों की कुल बुवाई में आई कमी, गेहूं और सरसों की बुवाई आगे

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में मानसूनी बारिश सामान्य से कम होने का असर रबी फसलों की बुवाई पर भी देखा जा रहा है। चालू रबी में देशभर में अभी तक फसलों की बुवाई 84.91 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 93.01 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
चना की बुवाई पिछड़ी
गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और ओडिशा में मानसूनी सीजन में बारिश से कम हुई थी जिस कारण इन राज्यों के कई जिलों में सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। रबी में दालों की बुवाई अभी तक 32.07 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 35.75 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई 22 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 25.94 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
मसूर और मटर की बुवाई भी कम
मसूर और मटर की बुवाई चालू रबी में घटकर क्रमश: 3.09 और 2.44 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई क्रमश: 4.17 और 2.66 हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
ज्वार की बुवाई में भारी कमी
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में सबसे ज्यादा प्रभावित होकर कुल बुवाई अभी तक केवल 9.61 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 16.52 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई 7.48 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 14.38 लाख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी। मक्का की बुवाई चालू रबी में 1.43 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है।
तिलहन में सरसों की बुवाई आगे
तिलहन की बुवाई चालू रबी में 29.89 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक तिलहन की बुवाई 29.34 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई बढ़कर 27.84 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 26.57 लाख हैक्टेयर में ही इसकी बुवाई हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 96 हजार हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1.16 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
गेहूं की बुवाई बढ़ी
रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 9.13 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.76 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।.............  आर एस राणा

धान की सरकारी खरीद 164 लाख टन के पार, सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब की

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 164.43 लाख टन धान की सरकारी खरीद हो चुकी है। अभी तक कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब की 103.16 लाख टन और हरियाणा की 54.59 लाख टन है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू खरीफ सीजन में 2 नवंबर तक तेलंगाना से 4.12 लाख टन, चंडीगढ़ से 18 हजार टन, जम्मू-कश्मीर से 2 हजार टन, केरल से 31 हजार टन, तमिलनाडु से 1.20 लाख टन और उत्तर प्रदेश से 12 हजार टन धान की समर्थन मूल्य पर खरीद हुई है।
चालू खरीफ विपणन 2018-19 के लिए केंद्र सरकार ने सामान्य किस्म के धान का एमएसपी 1,750 रुपये और ग्रेड-ए धान का एमएसपी 1,770 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। 
एफसीआई के अनुसार चावल ट्रम में चालू खरीफ सीजन में 110.18 लाख टन की खरीद हो चुकी है जिसमें पंजाब से 69.12 लाख टन और हरियाणा से 36.57 लाख टन है। 
कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में चावल का उत्पादन 992.4 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 975 लाख टन का ही हुआ था।

राजस्थान में रबी फसलों की बुवाई आगे, सरसों की बुवाई में भारी बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में राजस्थान में फसलों की बुवाई बढ़कर 17.98 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 14.75 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई बढ़कर 13.37 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जोकि तय लक्ष्य का 48.3 फीसदी है।
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की बुवाई 13.37 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 9.82 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। चालू रबी में राज्य में सरसों की बुवाई का लक्ष्य 26 लाख हैक्टेयर का तय किया गया है।
रबी दलहन की प्रमुख फसल चना का बुवाई बढ़कर राज्य में 3.55 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 3.09 लाख हैक्टेयर में ही चना की बुवाई हुई थी। चालू रबी में राज्य में चना की बुवाई का लक्ष्य 15 लाख हैक्टेयर का तय किया है।
गेहूं और जौ की बुवाई राज्य में अभी शुरूआती चरण में है, तथा आगे इनकी बुवाई में तेजी आने का अनुमान है। गेहूं की बुवाई का लक्ष्य 31.35 और जौ की बुवाई का 3 लाख हैक्टेयर तय किया गया है जबकि चालू रबी में अभी तक इनकी बुवाई केवल 70 हजार हैक्टेयर में ही हुई है। ..... आर एस राणा

02 नवंबर 2018

उत्तर प्रदेश में गन्ने के एसएपी में देरी, राज्य में दो मिलों ने की पेराई आरंभ

आर एस राणा
नई दिल्ली। पेराई सीजन आरंभ हुए महीना भर बीत जाने के बावजूद भी देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ने अभी तक गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) तय नहीं किया है जबकि राज्य में दो चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई आरंभ कर दी है।
दीपावली से पहले एसएपी तय होने की उम्मीद
राज्य के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए गन्ने का एसएपी दीपावली से पहले तय होने की उम्मीद हैं। उन्होंने बताया कि इस बारे में एक बैठक हो चुकी है तथा जल्दी ही दूसरी बैठक होगी। उसके बाद एसएपपी तय किए जाने की संभावना है। उन्होंने बताया कि बीते पेराई सीजन में 26 अक्टूबर 2017 को गन्ने का एसएपी जारी कर दिया गया था।
पिछले पेराई सीजन में 10 रुपये की गई थी बढ़ोतरी
बीते पेराई सीजन के लिए राज्य सरकार ने गन्ने की अगैती प्रजाति के लिए एसएपी 325 रुपये और सामान्य प्रजाति के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था तथा पिछले साल एसएपी 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया था।
चीनी का उत्पादन 125 लाख टन होने का अनुमान
उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में गन्ने की बुवाई में हुई बढ़ोतरी से राज्य में चीनी का उत्पादन भी बढ़कर 125 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में राज्य में 120.45 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। सूत्रों के अनुसार राज्य की चीनी मिलों पर अभी भी किसानों का करीब 7,000 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है।
सप्ताहभर में दर्जनभर चीनी मिलों में पेराई होगी आरंभ
उन्होंने बताया कि राज्य की दो चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई आरंभ कर दी है, तथा सप्ताहभर में करीब दर्जनभर चीनी मिलों में पेराई आरंभ हो जायेगी। पिछले पेराई सीजन में राज्य में 119 चीनी मिलों में पेराई हुई थी। राज्य में गन्ने की अगेती फसल पक कर तैयार हो चुकी है तथा चीनी मिलों में पेराई शुरू होने में देरी होती है, तो रबी फसलों की बुवाई के लिए खेत खाली नहीं हो पायेंगे जिससे किसानों को नुकसान होगा।.....  आर एस राणा

राजस्थान : किसान समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर बाजरा और मूंग बेचने को मजबूर

आर एस राणा
नई दिल्ली। सरकारी खरीद सुचारु रूप से नहीं होने के साथ ही सरकारी नियम कड़े होने के कारण किसान को जहां मंडियों में व्यापारियों को मूंग समर्थन मूल्य से 2,000-2,200 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है, वही बाजरा भी एमएपी से 500 से 550 रुपये प्रति क्विंटल कम भाव पर बिक रहा है।
राजस्थान के अजमेर जिले की किशनगढ़ कृषि उपज मंडी में मूंग बेचने आए किसान गोपाल शर्मा ने बताया कि उन्होंने पंजीयन तो करवा दिया था लेकिन अभी तक उनके पास कोई मैसेज नहीं आया है जबकि उसे पैसे ही जरुरत है। इसलिए मंडी में उन्होंने अपनी मूंग 4,700 रुपये प्रति क्विंटल के भाव व्यापारियों को बेची है, जबकि केंद्र सरकार ने मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 6,975 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
अक्टूबर में हुई बेमौसम बारिश से क्वालिटी प्रभावित
मंडी में मूंग बेचने आए एक अन्य किसान राजेंद्र कुमार ने बताया कि चालू महीने के आरंभ में हुई बेमौसम बारिश से मूंग के दाने का रंग काला पड़ गया, जिस कारण पंजाीकरण होने के बावजूद भी उनकी मूंग की क्रय केंद्र पर खरीद नहीं की गई। इसलिए उन्हें मंडी में 4,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचनी पड़ी।
बाजरा की सरकारी खरीद शुरू नहीं
राजस्थान के भरतपुर जिले की कामा मंडी में बाजरा बेचने आए सत्यनारायण ने बताया कि मंडी में बाजरा की सरकारी खरीद नहीं हो रही है जिस कारण बोली पर 1,400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचना पड़ा। केंद्र सरकार ने बाजरा का एमएसपी 1,950 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
खरीद नियम कड़े
सीकर मंडी में मूंग बेचने आए किसान रामचंद्र के अनुसार राज्य सरकार ने खरीद मानक इतने कड़े बनाए हुए हैं, उन्हें पूरा करना मुश्किल है। इसीलिए उन्हें अपनी मूंग क्रय खरीद केंद्र के बजाए मंडी में व्यापारियों को बेचनी पड़ी।
बाजरा का उत्पादन में राज्य उग्रणी
राजस्थान बाजरा उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है। राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार इस बार राज्य में 41.11 लाख हेक्टेयर में बाजरा बोया गया था जिसमें 37.40 लाख टन बाजरा का उत्पादन होने का अनुमान है।.... आर एस राणा

हरियाणा की चीनी मिलें 15 नवंबर के बाद करेंगी पेराई शुरू, एसएपी भी अभी तक तय नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से गन्ने का नया पेराई सीजन तो शुरू हो चुका है लेकिन हरियाण की चीनी मिलें 15 नवंबर के बाद ही गन्ने की पेराई आरंभ करेंगी। राज्य सरकार ने अभी तक चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के लिए गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) भी तय नहीं किया है।
हरियाणा के सहायक गन्ना आयुक्त रविन्द्र हुड्डा ने आउटलुक को बताया कि राज्य की चीनी मिलों में 15 नवंबर के बाद ही पेराई आरंभ होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि राज्य की तीन प्राइवेट चीनी मिलों पर किसानों का अभी भी करीब 70 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है। उम्मीद है कि जल्दी ही बकाया का भुगतान चीनी मिलें किसानों को कर देंगी।
एसएपी मध्य नवंबर तक तय होने का अनुमान
उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन के लिए अभी तक राज्य सरकार ने गन्ने का एसएपी तय नहीं किया है, उम्मीद है 15 नवंबर तक एसएपी भी तय हो जायेगा। उन्होंने बताया कि पिछले पेराई सीजन 2017-18 में राज्य में गन्ने का एसएपी 320 से 330 रुपये प्रति क्विंटल (किस्म अनुसार) था जोकि देश के अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा था।
चीनी उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान
उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन 2018-19 के दौरान राज्य में 8.99 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में राज्य में 8.43 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। उन्होंने बताया कि पिछले पेराई सीजन में गन्ने में औसतन रिकवरी की दर 10.39 फीसदी की आई थी, जबकि चालू पेराई सीजन में औसत रिकवरी की दर 10.40 फीसदी आने का अनुमान है।
उद्योग के उत्पादन अनुमान में की कटौती
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) द्वारा जारी अग्रिम अनुमान के अनुसार हरियाणा में चालू पेराई सीजन 2018-19 में चीनी का उत्पादन घटकर 7.73 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 8.44 लाख टन का उत्पादन हुआ था।.............   आर एस राणा

कपास में निर्यात मांग बढ़ी, दस लाख गांठ के हो चुके हैं निर्यात सौदे

आर एस राणा
नई दिल्ली। कपास में इस समय बंगलादेश के साथ ही अन्य देशों की आयात मांग अच्छी बनी हुई है। पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू सीजन में अभी तक करीब 10 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास के निर्यात सौदे हो चुके हैं। विश्व बाजार में कपास की कुल उपलब्धता कम होने से चालू सीजन में भारत से कपास के निर्यात में बढ़ोतरी होने की संभावना है।
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन आॅफ इंडिया के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि कपास में इस समय निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है, खासकर के बंगलादेश की आयात मांग ज्यादा है। बंगलादेश को दिसंबर के निर्यात सौदे 83 से 84 सेंट प्रति पाउंड की दर से हो रहे है। उन्होंने बताया कि अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव मंगलवार को 46,500 से 47,200 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहा।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के अनुसार चालू सीजन में कपास का उत्पादन 348 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल में 365 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। उन्होंने बताया कि इस समय उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक सवा लाख गांठ से ज्यादा की हो रही है, तथा अभी आवकों का दबाव बना रहेगा। इसलिए घरेलू मंडियों में भाव रुके रह सकते हैं। दैनिक आवकों के दबाव से कपास की मौजूदा कीमतों में 500 से 1,000 प्रति कैंडी की गिरावट तो आ सकता है लेकिन गिरावट आने पर खरीद ही करनी चाहिए क्योंकि भविष्य तेजी का ही है।
उन्होंने बताया कि अमेरिका और आस्ट्रेलिया के साथ ही कई अन्य कई देशों में कपास की पैदावार कम होने का अनुमान है, इसलिए भारत से चालू सीजन में कपास का कुल निर्यात बढ़ सकता है। हालांकि यह चीन की आयात मांग कैसी रहती है, इस पर भी निर्भर करेगा। बीते सीजन भारत से 69 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था।
कॉटन कार्पोरेशन आॅफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार उत्पादक मंडियों में कपास के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से उंचे बने हुए हैं, इसलिए निगम ने अभी खरीद शुरू नहीं की है। उन्होंने बताया कि जैसे ही मंडियों में कपास के भाव एमएसपी से नीचे आयेंगे, हम खरीद शुरू कर देंगे। उन्होंने बताया कि कपास की कार्मिशयल खरीद सीसीआई दीपावली के बाद शुरू करेगी।............ आर एस राणा

महंगे खाद, बीज और डीजल से गेहूं की बुवाई लागत में हुई भारी बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। महंगे खाद, बीज और डीजल से खेती की लागत बढ़ गई है। चालू रबी सीजन में गेहूं किसानों को बुवाई के लिए ही प्रति एकड़ 1,000 से 1,100 रुपये ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं। 
हरियाणा के गोहाना के किसान राजेश कुमार ने बताया कि डीएपी खाद का भाव पिछले साल की तुलना में 220 रुपये बढ़कर 1,400 प्रति बैग (एक बैग-50 किलो) हो गया जबकि गेहूं के बीज का कट्टा 80 रुपये बढ़कर भाव 1,180 रुपये प्रति बैग (एक बैग-40 किलो) हो गया है। इसके अलावा डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से खेत की एक बार की जुताई में ही पिछले साल की तुलना में 100 से 150 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है। गेहूं की बुवाई के लिए कम से कम पांच से छह बार खेत की जुताई करनी पड़ती है।
बुवाई खर्च में ही 1,100 की बढ़ोतरी का अनुमान
उन्होंने बताया कि डीजल महंगा होने से डीजल पंप से सिंचाई की लागत भी 150 से 200 रुपये प्रति एकड़ बढ़ गई है। अत: गेहूं की बुवाई की लागत पिछले साल की तुलना में 1,000 से 1,100 रुपये प्रति एकड़ ज्यादा हो गई है। उन्होंने बताया कि डीजल के भाव बढ़कर 73 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा हो गए हैं, जबकि पिछले साल इन दिनों 59 रुपये प्रति लीटर डीजल मिल रहा था।
डीएपी खाद 220 रुपये महंगी
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर स्थित खाद बीज विक्रेता अग्रवाल एजेंसी के प्रबंधक मुकेश कुमार ने बताया कि डीएपी खाद के बैग का भाव 1,400 रुपये हो गया जबकि पिछले रबी सीजन में इसका भाव 1,180 रुपये प्रति बैग था। इस दौरान गेहूं के बीज का भाव 1,040 से 1,080 रुपये से बढ़कर 1,140 से 1,180 रुपये प्रति बैग (एक बैग-40 किलो) हो गया। यूरिया खाद का भाव तो 299 रुपये प्रति बैग ही है, लेकिन इसका वजन 50 किलो से घटाकर 45 किलो कर दिया है।
गेहूं की खेती पर कुल खर्च 25-30 फीसदी बढ़ेगा
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के गांव खरड़ के किसान सुरेंद्र कुमार मलिक ने बताया कि गेहूं की बुवाई से पहले खेत की चार से छह बार जुताई करनी पड़ती है जबकि सालभर में डीजल के दाम 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुके हैं। इसीलिए जुताई, बुवाई और सिंचाई का खर्च ज्यादा बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि गेहूं की बुवाई के बाद करीब चार से पांच बार सिंचाई करनी पड़ती है, इसके अलावा कीटनाशकों के दाम भी बढ़ गए हैं। डीजल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी से कंबाइन से कटाई, थ्रेसिंग और मंडी ले जाने का खर्च भी बढ़ जायेगा, अत: चालू रबी में गेहूं की फसल पर कुल खर्च पिछले साल से 25 से 30 फीसदी प्रति एकड़ के हिसाब से ज्यादा आयेगा।
समर्थन मूल्य में मामूली बढ़ोतरी कम
उन्होंने बताया कि गेहूं की खेती में आने वाले कुल खर्च के मुकाबले समर्थन मूल्य में मामूली बढ़ोतरी की गई है। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में केवल 105 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,840 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।......  आर एस राणा