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17 फ़रवरी 2020

विश्व बाजार में दाम बढ़ने से मई तक चीनी में निर्यात मांग अच्छी रहने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आए सुधार से अगले तीन महीनों तक निर्यात मांग अच्छी बनी रहने का अनुमान है। तीन महीने बाद ब्राजील में नई चीनी का उत्पादन शुरू हो जायेगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को कड़ी चुनौती मिलेगी। कीमतों में आई हालिया तेजी के बाद ब्राजील के लिए चीनी का उत्पादन एथेनॉल से कहीं ज्यादा लाभकारी साबित होगा और वह चीनी बनाने पर ज्यादा जोर देगा।
दुनियाभर में इस समय भारत के पास ही चीनी का बकाया स्टॉक है और वैश्विक मांग के मुकाबले आपूर्ति कम होने से चीनी के दाम में इस समय तेजी बनी हुई है, जिससे भारतीय मिलों के लिए चीनी निर्यात करना आसान हो गया है। मगर, ब्राजील और आस्ट्रेलिया में चीनी उत्पादन का नया सीजन शुरू होने के बाद वैश्विक बाजार में चीनी की सप्लाई में इजाफा होने से भारत के सामने प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी।
भारत सरकार ने चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 60 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा तय किया है तथा चीनी मिलों को केंद्र सरकार 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दे रही है। जानकारों के अनुसार चीनी मिलों के लिए चालू सीजन में तय निर्यात कोटा पूरा करने के लिए आगामी तीन से चार महीने महत्वपूर्ण होगें, क्योंकि इसके बाद ब्राजील की चीनी विश्व बाजार में आ जायेगी।
विश्व बाजार में चीनी के दाम बढ़े हैं, जबकि तेल की कीमतों में गिरावट आई है
इंडियन शुगर एग्जिम कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईएसईसी) के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ अधीर झा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम में आई हालिया तेजी के बाद ब्राजील आगामी सीजन में एथेनॉल के बजाय चीनी का उत्पादन ज्यादा कर सकता है, क्योंकि चीनी का उत्पादन उसके लिए ज्यादा लाभकारी साबित हो सकता है। ब्राजील दो साल पहले तक दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक था, लेकिन चीनी के दाम में गिरावट आने के बाद वह चीनी के बजाय एथेनॉल का उत्पादन ज्यादा करने लगा। बीते दो साल से भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। झा ने बताया कि हाल में चीनी का दाम बढ़े है, जबकि तेल की कीमतों में गिरावट आई है। ऐसे में ब्राजील नए सीजन में एथेनॉल के बजाय चीनी का उत्पादन ज्यादा कर सकता है। उन्होंने कहा कि ब्राजील के पास इस समय निर्यात करने के लिए चीनी नहीं है, इसलिए भारत के लिए यह अच्छा मौका है कि दुनिया के अन्य देशों की नई चीनी बाजार में आने से पहले ज्यादा से ज्यादा मात्रा में निर्यात करे।
विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आया सुधार
चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 30 लाख टन से ज्यादा चीनी निर्यात के सौदे हो चुके हैं। नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड के प्रबंधन निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि उम्मीद है कि भारत 60 लाख टन चीनी निर्यात के लक्ष्य को हासिल कर लेगा क्योंकि इस समय भारत के पास ही चीनी का बकाया स्टॉक ज्यादा है और निर्यात मांग लगातार बनी हुई है। हाल ही में इंटरनेशनल शुगर ऑगेर्नाइजेशन (आईएसओ) के कार्यकारी निदेशक जोस ऑरिव ने भी दुनिया के चीनी आयातक देशों से भारत से चीनी खरीदने आग्रह करते हुए कहा कि भारत में चीनी काफी मात्रा में उपलब्ध है। इस पर नाइकनवरे ने कहा कि यह सही वक्त पर सही बयान है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी का दाम 2017 के बाद के सबसे ऊंचे स्तर पर है। रॉ-शुगर का दाम 15 सेंट प्रति पौंड के ऊपर पहुंच गया है, जबकि व्हाईट चीनी का भाव गत सप्ताह 456.60 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया था।
चालू पेराई सीजन में 260 लाख टन उत्पादन का अनुमान
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार, देश में इस साल चीनी का उत्पादन 260 लाख टन होने का अनुमान है। वहीं, पिछले साल का बचा हुआ स्टॉक करीब 145 लाख टन है। इस प्रकार कुल उपलब्धता 405 लाख टन की बैठेगी, जबकि चीनी की सालाना खपत करीब 260 लाख टन की होती है। ऐसे में चालू सीजन में देश से 60 लाख टन चीनी निर्यात होता है तो भी चालू पेराई सीजन के अंत में करीब 85 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचेगा।........... आर एस राणा

कोरोना वायरस से कपास की कीमतों में 5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट, किसानों को नुकसान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीन में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस का असर घरेलू बाजार में कपास की कीमतों पर पड़ रहा है। चीन की आयात मांग कम होने के कारण विश्व बाजार में महीने भर में कपास की कीमतों में 5.38 फीसदी का मंदा आ चुका है, जिससे घरेलू मंडियों में इसकी कीमतों में 200 से 300 रुपये का मंदा आकर भाव 5,000 से 5,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, ऐसे में पहले ही समर्थन मूल्य से नीचे कपास बेच रहे किसानों की मुश्किल और बढ़ गई है।
अहमदाबाद के कपास निर्यातक नरेश राठी ने बताया कि चीन में कोरोना वायरस के कारण चीन की आयात मांग कम हुई है, जिसका असर घरेलू बाजार में कपास की कीमतों पर पड़ रहा है। न्यूयार्क कॉटन के मार्च महीने के वायदा में कपास के भाव 20 जनवरी को 71.25 सेंट प्रति पाउंड थे जोकि 14 फरवरी को घटकर 67.41 सेंट प्रति पाउंड रह गए। उन्होंने बताया कि चीन ने अमेरिका के साथ ही भारत से कुछ आयात सौदों को रद्द भी किया है। अहमदाबाद में शंकर—6 किस्म की कपास का भाव घटकर 39,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रह गया, जबकि जनवरी महीने के अंत में इसका भाव 40,800 रुपये प्रति कैंडी था।
किसान समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर बेच रहे हैं कपास
पंजाब की अबोहर मंडी के कपास कारोबारी संजीव गुप्ता ने बताया कि मंडी में कपास के भाव 5,000 से 5,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि जनवरी के अंत में इसके भाव 5,200 से 5,300 रुपये प्रति क्विंटल थे। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में कपास की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हुई है, लेकिन ग्राहकी कमजोर होने से भाव में भी नरमी आई है। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए मीडियम स्टेपल कपास का समर्थन मूल्य 5,250 रुपये और लॉन्ग स्टेपल 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
सीसीआई 62 लाख गांठ कपास की कर चुकी है समर्थन मूल्य पर खरीद
कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार निगम अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 62 लाख गांठ कपास (एक गांठ-170 किलो) की खरीद कर चुका है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में कुल खरीद करीब 100 लाख गांठ होने का अनुमान है। निगम ने फसल सीजन 2018-19 में 10.7 लाख गांठ कपास की खरीद की थी, जिसमें से करीब 9 लाख गांठ की बिक्री की जा चुकी है।
कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू फसल सीजन में कपास का उत्पादन बढ़कर 354.50 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल केवल 312 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। चालू फसल सीजन में 31 जनवरी तक उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक 192.89 लाख गांठ की हो चुकी है। कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सीएबी) ने फसल सीजन 2019-20 में देश में कपास का उत्पादन 360 लाख गांठ होने का अनुमान जारी किया है जबकि कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार कपास का उत्पादन 322.67 लाख गांठ होने का अनुमान है।........... आर एस राणा

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया बढ़कर 6,700 करोड़ के पार

आर एस राणा
नई दिल्ली। उतर प्रदेश में जैसे-जैसे गन्ने का पेराई सीजन आगे बढ़ रहा है, उसी के साथ गन्ना किसानों के बकाया में भी बढ़ोतरी हो रही है। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 में 14 फरवरी 2020 तक राज्य की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया बढ़कर 6,718 करोड़ रुपये हो गया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में आए सुधार से चीनीका निर्यात भी बढ़ा है, लेकिन इसका फायदा भी गन्ना किसानों को नहीं मिल रहा है।
उत्तर प्रदेश गन्ना आयुक्त कार्यालय के अनुसार चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में पहली अक्टूबर 2019 से 14 फरवरी 2020 तक राज्य की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया बढ़कर 6,718.98 करोड़ रुपये हो गया है जबकि राज्य की चीनी मिलों ने पेराई सीजन 2018-19 का 628.10 करोड़ रुपये का भुगतान भी अभी तक नहीं किया है। चालू पेराई सीजन में बकाया भुगतान में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी राज्य की प्राइवेट चीनी मिलों पर बढ़कर 6,044.64 करोड़ रुपये, सहकारी चीनी मिलों पर 519.05 करोड़ रुपये और निगम की चीनी मिलों पर 155.29 करोड़ रुपये हो चुका है। चालू पेराई सीजन में राज्य में 119 चीनी मिलों में पेराई चल रही है, जबकि पिछले साल 117 चीनी मिलों में पेराई चल रही है।
राज्य में चीनी का उत्पादन ज्यादा
चालू पेराई सीजन में राज्य में चीनी का उत्पादन बढ़कर 65.58 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक 63.24 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में गन्ने में औसतन रिकवरी 10.97 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले पेराई सीजन में औसतन रिकवरी 11.14 फीसदी की आई थी। राज्य की चीनी मिलें चालू पेराई सीजन में 14 फरवरी तक 5,997.68 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई कर चुकी हैं।
चालू पेराई सीजन में 30 लाख टन से ज्यादा हो चुके हैं निर्यात के सौदे
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन में 30 लाख टन से ज्यादा चीनी के निर्यात सौदे हो चुके हैं तथा विश्व बाजार में कीमतों में आए सुधार से निर्यात 50 से 55 लाख टन होने का अनुमान है। केंद्र सरकार ने चालू पेराई सीजन में 60 लाख टन चीनी के निर्यात का लक्ष्य तय किया हुआ है तथा केंद्र सरकार चीनी के निर्यात पर मिलों को 104.48 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी दे रही है। उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 260 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में 330 लाख टन का उत्पादन हुआ था।....   आर एस राणा

मटर की कीमतों में आई तेजी, अगले महीने आयेगी नई फसल

आर एस राणा
नई दिल्ली। आयातित मटर पर जयपुर हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई 6 मार्च तक टलने और मार्केट में सप्लाई किल्लत की आशंका से विदेशी मटर की कीमतों में तेजी आई है। मुंबई और मुंदड़ा बंदरगाह पर कनाडा और यूक्रेन की सफेद मटर की कीमतों में 450-550 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है।
मटर आयात पर रोक के खिलाफ जयपुर हाईकोर्ट में मामला लंबित होने से भारतीय बंदरगाहों पर भारी मात्रा में माल अटका पड़ा है। सुनवाई छह मार्च तक टल गई है, जबकि मार्च के अंत तक नई मटर की आवक भी शुरू हो जायेगी, इसलिए मटर की कीमतों में हल्की तेजी और बने तो फिर स्टॉक हल्का करना चाहिए।
मुंबई और मुंदड़ा की तरह कोलकोता में भी कनाडा की सफेद मटर का दाम 6,100 रुपये और रूस-यूक्रेन की मटर का दाम 5,900-6,000 रुपय प्रति क्विंटल बोला गया, व्यापारियों के अनुसार उंचे भाव में मिलों की मांग नहीं आ रही है, जिस कारण तेजी लंबी नहीं टिकेगी। सूत्रों के अनुसार कोलकाता में लगभग 15,000 टन कनाडा की और रूस-यूक्रेन का करीब 1,500-2,000 टन सफेद मटर का स्टॉक मौजूद है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मटर की बुआई 9.64 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 10.45 लाख हेक्टेयर से कम है। मध्य प्रदेश में मटर की बुआई 2.57 और उत्तर प्रदेश में 4.63 लाख हेक्टेयर में बुआई है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमश: 3.69 और 4.57 लाख हेक्टेयर में हुई थी।.......  आर एस राणा

समर्थन मूल्य से 800 रुपये तक नीचे भाव पर अरहर बेचने को मजबूर हैं किसान

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य लेकर चल रही है लेकिन अरहर किसान अपनी फसल मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 700-800 रुपये नीचे भाव पर बेचने को मजबूर हैं। हालांकि उपभोक्ताओं को अरहर दाल अभी भी 80 से 100 रुपये प्रति किलो के दाम पर ही खरीदनी पड़ रही है।
कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी के दलहन कारोबारी चंद्रशेखर एस नादर ने बताया कि मंडी में अरहर के भाव 5,000 से 5,100 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए अरहर का समर्थन मूल्य 5,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। उन्होंने बताया कि आयातित अरहर सस्ती है, जिस कारण घरेलू मंडियों में कीमतें नीचे बनी हुई हैं। गुलबर्गा मंडी में अरहर की दैनिक आवक 10 से 12 हजार क्विंटल की हो रही है। मुंबई के दलहन आयातक सुरेश उपाध्याय ने बतया कि म्यांमार से आयातित अरहर के भाव मुंबई में 4,900 से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार शुक्रवार को बंगलुरु में अरहर दाल का भाव 96 रुपये, हैदराबाद में 85 रुपये, सोलन में 93 रुपये, मंडी में 100 रुपये और भटिंडा में 86 रुपये प्रति किलो रहे।
सीमित मात्रा में ही खरीद रही है नेफेड
नेफेड तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात तथा आंध्रप्रदेश की मंडियों से अरहर की समर्थन मूल्य पर खरीद तो कर रही है लेकिन खरीद नाममात्र की ही रही है। नेफेड के अनुसार 13 फरवरी तक इन राज्यों से 46,274 टन अरहर की खरीद ही की गई है। सूत्रों के अनुसार चालू सीजन में समर्थन मूल्य पर 5,45,573 टन अरहर खरीद करने का लक्ष्य तय किया है जिसमें से कनार्टक से 1,82,875 टन की खरीद की योजना है जबकि कर्नाटक से 13 फरवरी तक केवल 10,113 टन की खरीद ही हुई है।
चालू वित्त वर्ष के लिए 5.75 लाख टन अरहर का आयात कोटा
केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 5.75 लाख टन अरहर (चार लाख टन दाल मिलों के माध्यम से और 1.75 लाख टन सरकारी सत्र पर) आयात की अनुमति दी हुई है, जिसमें से दाल मिलें अपने कोटे का आयात पहले ही कर चुकी हैं तथा सरकार सत्र पर भी करीब डेढ़ लाख टन अरहर का आयात हो चुका है। केंद्र सरकार ने अफ्रीकी देश मोजाम्बिक से अरहर के आयात का अनुबंध किया हुआ है।
चालू खरीफ में उत्पादन में कमी आने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 में अरहर का उत्पादन घटकर 35.4 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 35.9 लाख टन का उत्पादन हुआ था। फसल सीजन 2017-18 में देश में रिकार्ड 42.9 लाख टन अरहर का उत्पादन हुआ था।..........  आर एस राणा

जनवरी में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 6 फीसदी घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा रिफाइंड तेलों के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में शामिल करने से अखाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में जनवरी में 6.2 फीसदी की गिरावट आकर कुल आयात 11,95,812 टन का ही हुआ है।
साल्वेंट एक्ट्रैक्ट्रर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार केंद्र सरकार रिफाइंड तेलों के आयात को 8 जनवरी को प्रतिबंधित श्रेणी में शामिल किया था। उसके बाद से विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने नेपाल ने 88,000 टन आरबीडी पामोलीन के आयात के लिए लाइसेंस जारी किए हैं। यह लाइसेंस शून्य शुल्क पर साफ्टा एग्रीमेंट के तहत जारी किए गए हैं।
पहली तिमाही में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 4.7 फीसदी घटा
एसईए के अनुसार जनवरी में अखाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात घटकर 11,95,812 टन का हुआ है जबकि पिछले साल जनवरी में इनका आयात 12,75,259 टन का हुआ था। जनवरी 2020 में हुए कुल आयात में खाद्य तेलों की हिस्सेदारी 11,57,123 टन की है। चालू तेल वर्ष नवंबर-19 से अक्टूबर-20 के पहली तिमाही नवंबर से जनवरी के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 4.7 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 34,51,313 टन का हुआ है जबकि पिछलेे तेल वर्ष की पहली तिमाही में 36,20,316 टन का हुआ था। चालू तेल वर्ष की पहली तिमाही में खाद्य तेलों का आयात 33,60,927 टन का और अखाद्य तेलों का आयात 90,386 टन का हुआ है।
क्रुड पाम तेल की कीमतों में जनवरी में आई तेजी
जनवरी में आयातित आरबीडी पामोलीन की कीमतें घटकर भारतीय बंदरगाह पर 748 डॉलर प्रति टन रह गई जबकि दिसंबर 2019 में इसका भाव 755 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान क्रुड पाम तेल का भाव बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 762 डॉलर प्रति टन हो गया जबकि पिछले महीने इसका भाव 736 डॉलर प्रति टन था। क्रुड सोयाबीन तेल के भाव जनवरी में भारतीय बंदरगाह पर 828 डॉलर प्रति टन रह गए, जबकि दिसंबर में इसके भाव 839 डॉलर प्रति टन थे।........... आर एस राणा

कीटनाशकों की मनमानी कीमत वसूलने पर लगेगी रोक, कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 को मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 के मसौदे को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी जिसमें कीटनाशक का सुरक्षित एवं प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
बैठक के बाद केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि कैबिनेट ने ये फैसला लिया है कि अगले संसद सत्र में इस बिल को पेश किया जाएगा। इस बिल के तहत यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसान को कीटनाशक खरीदते समय ये पूरी जानकारी मिले की वह कीटनाशक कैसा है, उसका क्या नुकसान है और क्या फायदा है। कीटनाशक के बारे में सारी जानकारी उसे बेचने वाला विक्रेता देगा और कंपनियां ये सुनिश्चत करेंगी। नए बिल में गलत तरीके से पेस्टिसाइड बिक्री करने पर सजा का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि कृषि रसायनों की कीमतें सस्ती रहें और ये किसानों को आसानी से उपलब्ध भी हो सकें।
इसका उद्देश्य किसानों को सुरक्षित एवं प्रभावी कीटनाशक उपलब्ध कराना
जावड़ेकर ने कहा कि यह मोदी सरकार की किसानों के कल्याण के लिए एक और पहल है। इसका उद्देश्य किसानों को सुरक्षित एवं प्रभावी कीटनाशक उपलब्ध कराना है जो फसलों की दृष्टि से सुरक्षित एवं प्रभावी हो। विधेयक में किसानों को नकली और अनधिकृत कीटनाशक से बचाने के उपाय किये गये हैं। विधेयक के मुताबिक अगर कोई मिलावटी कीटनाशक और बिना पंजीकरण वाला कीटनाशक बेचता है तब उस पर जुर्माना लगाया जा सकता है और आपराधिक मामला भी चलाया जा सकता है। जावड़ेकर ने संवाददातओं को बताया कि 2008 में कीटनाशक प्रबंधन विधेयक आया था लेकिन वह संसद से पारित नहीं हो सका। उस विधेयक को वापस लेकर और स्थायी समिति की सिफारिशों एवं अन्य सुझावों पर विचार करने के बाद नए रूप में कीटनाशक प्रबंधन विधेयक 2020 लाने जा रहे हैं।
आर्गेनिक कीटनाशक के उपयोग को प्रोत्साहित करने पर जोर
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कीटनाशकों के बारे में किसानों को सभी प्रकार की जानकारी मिले जिसमें उसके उपयोग, उससे जुड़े खतरे आदि के बारे में इस विधेयक में प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि इसमें आर्गेनिक कीटनाशक के उपयोग को प्रोत्साहित करने की बात भी कही गई है। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि गलत कीटनाशक के कारण खेती का या व्यक्ति को कोई नुकसान होता है, तब इसमें मुआवजे की भी व्यवस्था की गई है। जावड़ेकर ने कहा कि कीटनाशकों का विज्ञापन कैसे किय जाए, इस संबंध में मानक बनाने की भी विधेयक में प्रावधान किया गया है।............  आर एस राणा

चीन से आयात सौदे नहीं होने के कारण राजमा के बढ़ सकते हैं दाम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीन से राजमा के आयात सौदे नहीं होे रहे हैं जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में सुधार आने का अनुमान है। व्यापारियों के अनुसार कोरोना वायरस के कारण चीन से राजमा के निर्यात सौदे बंद से हो गए हैं, जबकि करीब 300 कंटनेर भी बंदरगाह पर रुक गए हैं, जिसमें से करीब 24 से 30 कंटेनर भारत आने थे।
चीन से राजमा का निर्यात रुकने से विश्व बाजार में राजमा की कीमतें बढ़कर 960 से 1,100 डॉलर प्रति टन हो गई हैं, तथा इनकी कीमतों में करीब 7 से 8 फीसदी का सुधार आ चुका है। जानकारों के अनुसार नई शिपमेंट चालू महीने के अंत में ही शुरू होने की संभावना है, जिस कारण घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में सुधार बन सकता है।
हालांकि म्यांमार में राजमा की नई फसल की आवक शुरू हो गई है, तथा म्यांमार में राजमा का भाव 960 डॉलर प्रति टन है। सूत्रों के अनुसार म्यांमार से नई शिपमेंट के आने में समय लगेगा, जिस कारण घरेलू बाजार में कीमतों में सुधार बन सकता है। मुंबई में चीन से आयातित राजमा का भाव 7,800 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल है।......  आर एस राणा

सीसीआई समर्थन मूल्य पर खरीद चुकी है 58 लाख गांठ, खरीद 100 लाख गांठ होने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में कॉटन कार्पोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई समर्थन मूल्य पर 58 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की खरीद कर चुकी है जबकि उत्पादन अनुमान ज्यादा होने के कारण सीसीआई की कुल खरीद 100 लाख गांठ होने का अनुमान है।
सीसीआई के अनुसार निगम ने कुल आवक का 27 फीसदी माल खरीदा है, जबकि बाकि यार्न मिलों ने खरीद की है। सीसीआई के अनुसार समर्थन मूल्य से नीचे भाव में निगम कपास की बिक्री नहीं करेगी, ऐसे में आगे उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक कम होने के बाद कपास की कीमतों में सुधार आने का अनुमान है। माना जा रहा है कि कोरोना वायरस पर रोकथाम के बाद विश्व बाजार में कपास में चीन की मांग भी निकलेगी, इसलिए आगे इसकी कीमतों में सुधार बन सकता है। व्यापारियों के अनुसार मध्य मार्च तक कपास की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में बनी रहने का अनुमान  है।........  आर एस राणा

10 फ़रवरी 2020

कपास का 20 लाख गांठ का हो चुका है निर्यात, 192 लाख गांठ की हुई आवक

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू फसल सीजन 2019-20 में अभी तक 20 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास की निर्यात शिपमेंट हो चुकी है जबकि इस दौरान 10 लाख गांठ का आयात भी हो चुका है। कपास का उत्पादन अनुमान चालू सीजन में 13.62 फीसदी बढ़कर 354.50 लाख गांठ होने का अनुमान है तथा जनवरी अंत तक 192.89 लाख गांठ की आवक भी हो चुकी है।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू फसल सीजन में 31 जनवरी तक 20 लाख गांठ का निर्यात हो चुका है जबकि चालू सीजन में कुल निर्यात 42 लाख गांठ होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के लगभग बराबर है। सीएआई के अनुसार कपास का आयात चालू सीजन में 31 जनवरी तक 10 लाख गांठ का हो चुका है तथा कुल आयात 25 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 32 लाख गांठ का आयात हुआ था।
गुजरात, महाराष्ट्र में उत्पादन अनुमान ज्यादा
सीएआई के अनुसार चालू सीजन में गुजरात में कपास का उत्पादन 96 लाख गांठ, महाराष्ट्र में 85 लाख गांठ और मध्य प्रदेश में 16 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में क्रमश: 88 लाख गांठ, 70 लाख गांठ और 22.63 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। तेलंगाना में चालू सीजन में 51 लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 15 लाख गांठ, कर्नाटक में 20.50 लाख गांठ और तमिलनाडु में पांच लाख गांठ उत्पादन का अनुमान है। उत्तर प्रदेश के राज्यों पंजाब में चालू सीजन में 10 लाख गांठ, हरियाणा में 26 लाख गांठ और राजस्थान में 25 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।
मंडियों में 192.89 लाख गांठ कपास की हो चुकी है आवक
सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन में कपास का उत्पादन बढ़कर 354.50 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल केवल 312 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। चालू फसल सीजन में 31 जनवरी तक उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक 192.89 लाख गांठ की हो चुकी है। सीएआई के अनुसार चालू फसल सीजन के आरंभ में 32 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, जबकि 354.50 लाख गांठ के उत्पादन अनुमान के साथ ही 25 लाख गांठ आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता 411.50 लाख गांठ की बैठेगी। कपास की घरेलू सालाना खपत 331 लाख गांठ की रहने का अनुमान है।.........  आर एस राणा

भारत को पाम तेल निर्यात की अड़चन दूर होने के इंतजार में मलेशिया

आर एस राणा
नई दिल्ली। मलेशिया को उम्मीद है कि भारत को पाम तेल बेचने की राह में आई अड़चन को वह जल्द ही दूर कर लेगा, क्योंकि मलेशियन पाम काउंसिल ने मंगलवार को एक मंत्री के हवाले से कहा है कि भारत द्वारा मलेशिया से पाम तेल की खरीद पर रोक अस्थाई है।
भारत के घरेलू मसलों पर मलेशिया की टिप्पणी से दोनों देशों के बीच आई तल्खी के बाद भारत ने मलेशिया से पाम तेल आयात करना बंद कर दिया है, जिससे मलेशिया के तेल निर्यात पर काफी असर पड़ने की संभावना है। खाद्य तेल उद्योग सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (‌एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बीवी मेहता ने के अनुसार भारत मलेशिया से पाम तेल का प्रमुख खरीददार है, जो सालाना 30-40 लाख टन पाम तेल मलेशिया से खरीदता रहा है, लेकिन इस समय भारत ने मलेशिया से पाम तेल खरीदना बंद कर दिया है। मलेशिया की चिंता इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण उसकी खरीददारी पर भी असर पड़ा है।
पाम तेल का मलेशिया की जीडीपी में 3.8 फीसदी हिस्सा
पाम तेल का मलेशिया की जीडीपी में 3.8 फीसदी और लगभग 77 हजार करोड़ रुपये की हिस्सेदारी है। यह मलेशिया के कृषि उत्पादों में सबसे अग्रणी उत्पाद है। मलेशियन पाम काउंसिल के मुताबिक, भारत की खरीददारी पर रोक अस्थाई है और दोनों देश मिलकर जल्द ही इसका समाधान कर लेंगे। यह बात मलेशिया के उद्योग मंत्री टेरेसा कोक के बयान का जिक्र करते हुए कही गई है। पिछले साल कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के मसले को लेकर मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर बिन मोहम्मद ने भारत विरोधी बयान दिया था। इसके बाद भारत में नागरिकता संशोधन कानून यानी सीएए को लेकर भी मलेशिया ने तल्ख टिप्पणी की थी।
भारत ने हाल ही में रिफाइंड तेलों के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में डाला
डॉ. बीवी मेहता ने कहा कि भारत पाम तेल का आयात मलेशिया से कहीं ज्यादा इंडोनेशिया से करता है, इसलिए भारत को मलेशिया से पाम तेल आयात बंद होने से कोई परेशानी नहीं है। अगर भारत सरकार तेल आयात की अनुमति देती भी है तो भारत सिर्फ क्रूड पाम तेल का आयात करना चाहेगा, आरबीडी पाम तेल की आवश्यकता नहीं है। भारत सरकार ने मलेशिया और इंडोनेशिया से रिफाइंड पाम तेल आयात को प्रतिबंधित श्रेणा में शामिल किया है और इसके आयात के लिए सरकार ने अभी तक किसी को लाइसेंस भी जारी नहीं किया है। वहीं, क्रूड पाम तेल की खरीददारी भी इस समय मलेशिया से नहीं हो रही है। जिस कारण मलेशिया की चिंता बढ़ गई है।.... आर एस राणा

चीनी के उत्पादन में पहले चार महीनों में आई 24 फीसदी की गिरावट, महाराष्ट्र में उत्पादन आधा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी के बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश, बाढ़ और सूखे से गन्ने की फसल को हुए भारी नुकसान के कारण देशभर में चालू पेराई सीजन 2019-20 के पहले चार महीनों में उत्पादन 23.96 फीसदी घटकर 141.12 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में 185.59 लाख टन का उत्पादन हो चुका था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (‌इस्मा) के अनुसार इस समय देशभर में 446 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इस समय 520 मिलों में पेराई चल रही थी। महाराष्ट्र में केवल 146 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही थी, जबकि इनमें से भी तीन चीनी मिलों में गन्ना नहीं होने के कारण पेराई बंद हो चुकी है। महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन चालू पेराई सीजन में 31 जनवरी तक 34.64 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक राज्य में 70.99 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था।
उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन ज्यादा, कर्नाटक में कम
उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2019 से 31 जनवरी 2020 तक चीनी का उत्पादन 54.96 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 52.86 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। कर्नाटक में चालू पेराई सीजन में 31 जनवरी 2020 तक चीनी का उत्पादन 27.94 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय तक 33.76 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। राज्य में केवल 63 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इस समय 66 मिलों में पेराई चल रही थी।
तमिलनाडु और गुजरात में भी उत्पादन घटा
तमिलनाडु में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 2.05 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 2.86 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। गुजरात में चालू पेराई सीजन में 31 जनवरी 2020 तक 4.87 लाख टन चीनी का ही हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 6.66 लाख टन से कम है। अन्य राज्यों आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में 2.34 लाख टन, बिहार में 4.21 लाख टन, उत्तराखंड में 1.94 लाख टन, पंजाब में 3 लाख टन, हरियाणा में 2.80 लाख टन और माध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में 2.26 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।
चीनी का उत्पादन 70 लाख टन कम होने का अनुमान
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 260 लाख टन ही होने का अनुमान है जोकि पेराई सीजन के मुकाबले 70 लाख टन कम है। पिछले पेराई सीजन 2018-19 में करीब 330 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। पिछले पेराई सीजन में चीनी की खपत करीब 255 लाख टन की हुई थी, जबकि चालू पेराई सीजन में सालाना खपत बढ़कर 260 लाख टन की होने का अनुमान है।............ आर एस राणा

01 फ़रवरी 2020

बजट: किसानों के लिए क्या हैं 16 सूत्रीय फॉर्मूला, जानिये

 आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लोकसभा में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का दूसरा बजट पेश कर रही हैं। आम बजट 2020-21 पेश करते हुए वित्त मंत्री ने किसानों की बेहतरी के लिए 16 बिंदुओं की कार्य योजना की घोषणा की।
वित्त मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार में किसानों के लिए बड़ी योजनाओं को लागू किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत करोड़ों किसानों को फायदा पहुंचाया गया है। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना है। उन्होंने कहा कि किसानों की बेहतरी के लिए 16 बिंदुओं की कार्य योजना तैयार की गई है।

-पशुपालन और मछली पालन पर ध्यान देने की जरूरत

-अन्नदाता को ऊर्जा दाता बनायेंगे

-जहां पर खेती नहीं हो सकती वहां पर सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट लगाया जाएगा

-फर्टीलाइजर के सही और सीमित उपयोग पर जोर दिया जाएगा

-केमिकल फर्टीलाइजर के कम उपयोग पर जोर

-खराब होने वाले पदार्थों को बचाने के रेफ्रिजरेटर स्टोरेज बनाए जाएंगे

-जीरो बजट नेचूरल फार्मिंग को शामिल किया जाएगा

-ऑनलाइन आर्गेनिक प्रोडक्ट मार्केट तैयार किए जायेंगे

-खुरपका और मुंहपका, ब्रुसोलिस बीमारी पर रोक

-मॉर्डन एग्रीकल्चर लैंड एक्ट को राज्य सरकारों द्वारा लागू करवाना

-100 जिलों में पानी की व्यवस्था के लिए बड़ी योजना चलाई जाएगी, ताकि किसानों को पानी की दिक्कत ना आए

-पीएम कुसूम स्कीम के जरिए किसानों के पंप को सोलर पंप से जोड़ा जाएगा। इसमें 20 लाख किसानों को योजना से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा 15 लाख किसानों के ग्रिड पंप को भी सोलर से जोड़ा जाएगा।

-तटीय क्षेत्रों में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सागर मित्र योजना

-देश में मौजूद वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज को नाबार्ड अपने अधीन करेगा और उसे नये तरीके से बनायेगा। देश में और वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज बनाये जाएंगे इसके लिए पीपीपी मॉडल अपनाया जायेगा।

-महिला किसानों के लिए धन्य लक्ष्मी योजना की घोषणा। इसके तहत बीज से जुड़ी योजनाओं को महिलाओं को जोड़ा जायेगा।

-जल्दी खराब होने वाली चीजें जैसे दूध, मांस और मछलियों के लिए रेल जलाई जायेगी।.........
 आर एस राणा

गेहूं की बुआई 12 फीसदी से ज्यादा बढ़ी, रबी फसलों का रकबा 9 फीसदी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। अनुकूल मौसम से चालू रबी सीजन में गेहूं की बुआई 12.32 फीसदी बढ़कर रिकार्ड 336.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि रबी फसलों का कुल रकबा 9.52 फीसदी बढ़कर 662.13 लाख हेक्टेयर हो चुका है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार गेहूं, दलहन और मोटे अनाजों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है जबकि तिलहनों की बुआई पिछले साल के लगभग बराबर ही है। रबी फसलों का कुल बुआई रकबा बढ़कर 662.13 लाख हेक्टेयर हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 604.52 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। गेहूं की बुआई बढ़कर 336.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 299.30 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। सामान्यत: गेहूं की बुआई 305.58 लाख हेक्टेयर में ही होती है।
रबी दलहन की बुआई ज्यादा, चना के रकबा में भारी बढ़ोतरी
दालों की बुआई चालू रबी में बढ़कर 161.17 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 151.78 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई पिछले साल के 96.19 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 107.21 लाख हेक्टयेर में हो चुकी है। मसूर की बुआई 16.07 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 16.91 लाख हेक्टेयर से कम है। मटर की बुआई 9.64 लाख हेक्टेयर में, उड़द की बुआई 7.63 लाख हेक्टेयर में और मूंग की बुआई 6.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई क्रमश: 10.46 लाख हेक्टेयर, 7.53 लाख हेक्टेयर और 6.10 लाख हेक्टयेर में ही हुई थी।
ज्वार के साथ मक्का और जौ की बुआई में हुई बढ़ोतरी
मोटे अनाजों की बुआई बढ़कर चालू रबी सीजन में 55.69 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुआई 47.77 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई बढ़कर 30.22 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 25.03 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मक्का की बुआई 16.98 लाख हेक्टेयर और जौ की बुआई 7.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 14.78 और 7.20 लाख हेक्टेयर में हुई थी।
तिलहनों की बुआई पिछले साल के लगभग बराबर
रबी तिलहन की बुआई 80.29 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 80.36 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई 69.51 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 69.76 लाख हेक्टेयर में हुई थी। मूंगफली की बुआई 4.76 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 4.59 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। अलसी की बुआई 3.46 लाख हेक्टेयर और सनफ्लावर की बुआई 1.04 लाख हेक्टेयर में हुई है। धान की रोपाई चालू रबी में बढ़कर 28.80 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई केवल 25.31 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।..........  आर एस राणा

बजट : परिवहन, भंडारण, कृषि ऋण और सिंचाई सुविधाओं से किसानों की आय बढ़ाने पर जोर

आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आम बजट पेश करते हुए खेती किसानी को बढ़ावा देने के लिए परिवहन, भंडारण के साथ ही कृषि ऋण और सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने पर जोर दिया।
अपना दूसरा बजट पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि रेलवे जल्द खराब होने वाले सामान के परिवहन को शीत आपूर्ति श्रृंखला के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) माडल के तहत किसान रेल चलायेगा। दूध, मांस, मछली समेत खराब होने वाले खाद्य पदार्थों को इस किसान रेल योजना में शामिल किया जाएगा। साथ ही नागर विमानन मंत्रालय कृषि उत्पादों के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों तक परिवहन के लिए कृषि उड़ान भी शुरू करेगा। अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण ने कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 15 लाख करोड़ रुपये की कृषि ऋण देने का लक्ष्य रखा है। इसके तहत पीएम किसान के सभी पात्र लाभार्तियों को केसीसी स्कीम में शामिल किया जाएगा।
किसानों की बंजर जमीनों पर सौर इकाइयां लगाने की योजना
सरकार क्लस्टर आधार पर एक जिले में एक बागवानी फसल को प्रोत्साहन देगी। वित्तमंत्री ने कहा कि जिन किसानों के पास बंजर जमीनें हैं, उन्हें सौर बिजली इकाइयां लगाने और अधिशेष बिजली सौर ग्रिड को बेचने में मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि कृषि बाजार को उदार तथा प्रतिस्पर्धी बनाने, कृषि आधारित गतिविधियों को सहायता उपलब्ध कराने और सतत फसल प्रतिरुप व प्रौद्योगिकी की जरूरत है। पीएम कुसुम स्कीम में किसानों को सोलर पंप दिये जायेंगे, इसके तहत देशभर में 20 लाख किसानों को सोलर पंप मुहैया कराए जाएंगे। साथ ही 100 सूखाग्रस्त जिलों के विकास पर काम किया जायेगा।
सरकार ने किसानों के लिए किया 16 सूत्रीय फॉर्मूले का ऐलान
निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार की ओर से कृषि विकास योजना को लागू किया गया है, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत करोड़ों किसानों को फायदा पहुंचाया गया। सरकार का लक्ष्य किसानों की आय दोगुना करना है। किसानों के लिए बड़ा ऐलान करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा कि हमारी सरकार किसानों के लिए 16 सूत्रीय फॉर्मूले का ऐलान करती है, जो किसानों को फायदा पहुंचाएगा। कृषि भूमि पट्टा आदर्श अधिनियम-2016, कृषि उपज और पशुधन मंडी आदर्श अधिनियम-2017, कृषि उपज एवं पशुधन अनुबंध खेती, सेवाएं संवर्धन एवं सुगमीकरण आदर्श अधिनियम-2018 लागू करने वाले राज्यों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
खाद्यान्न की भंडारण क्षमता में बढ़ोतरी पर जोर
देश में खाद्यान्न के भंडारण में बढ़ोतरी के लिए आम बजट में मौजूद वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज को नाबार्ड अपने अधिकार में लेगा और नए तरीके से इसे डेवलप किया जाएगा। देश में और भी वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएंगे। इसके लिए पीपीपी मॉडल अपनाया जाएगा। सरकार पंचायत स्तर पर किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज बनाएगी।

खेती किसानी के लिए आम बजट में मुख्य घोषणा :

-मॉर्डन एग्रीकल्चर लैंड एक्ट को राज्य सरकारों द्वारा लागू करवाना।

-100 जिलों में पानी की व्यवस्था के लिए बड़ी योजना चलाई जाएगी, ताकि किसानों को पानी की दिक्कत ना आए।

-पीएम कुसुम स्कीम के जरिए किसानों के पंप को सोलर पंप से जोड़ा जाएगा। इसमें 20 लाख किसानों को योजना से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा 15 लाख किसानों के ग्रिड पंप को भी सोलर से जोड़ा जाएगा।

-फर्टिलाइजर का बैलेंस इस्तेमाल करना, ताकि किसानों को फसल में फर्टिलाइजर के इस्तेमाल की जानकारी को बढ़ाया जा सके।

-देश में मौजूद वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज को नबार्ड अपने अंडर में लेगा और नए तरीके से इसे डेवलेप किया जाएगा। देश में और भी वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज बनाए जाएंगे। इसके लिए पीपीपी मॉडल अपनाया जाएगा। जिन किसानों के पास बंजर जमीन है, उस पर उन्हें सौर बिजली इकाइयां लगाने और अधिशेष बिजली सौर ग्रिड को बेचने में मदद की जाएगी

-महिला किसानों के लिए धन्य लक्ष्मी योजना, जिसके तहत बीज से जुड़ी योजनाओं में महिलाओं को मुख्य रूप से जोड़ा जाएगा।

-कृषि उड़ान योजना को शुरू किया जाएगा। इंटरनेशनल, नेशनल रूट पर इस योजना को शुरू किया जाएगा।

-दूध, मांस, मछली समेत खराब होने वाली योजनाओं के लिए रेल भी चलाई जाएगी।
    किसानों के अनुसार से एक जिले, एक प्रोडक्ट पर फोकस किया जाएगा।

-जैविक खेती के जरिए ऑनलाइन मार्केट को बढ़ाया जाएगा।

-किसान क्रेडिट कार्ड योजना को 2021 के लिए बढ़ाया जाएगा।

-दूध के प्रोडक्शन को दोगुना करने के लिए सरकार की ओर से योजना चलाई जाएगी।

-मनरेगा के साथ चारागाह को जोड़ा जाएगा।

-ब्लू इकॉनोमी के जरिए मछली पालन को बढ़ावा दिया जाएगा। फिश प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जाएगा।

-किसानों को दी जाने वाली मदद को दीन दयाल योजना के तहत बढ़ाया जाएगा।..........  आर एस राणा

आम बजट के बारे में ​क्या कहना है ​किसान संगठनों का?

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपना दूसरा बजट 2020-21 पेश करते समय यह ऐलान किया कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है लेकिन किसान संगठनों का मानना है कि सरकार ने बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की। वित्त मंत्री ने आम ​बजट में किसानों की भलाई के लिए वादे तो बहुत किए हैं, लेकिन इसके मुकाबले आवंटन किया केवल 2.83 लाख करोड़ का जोकि पर्याप्त नहीं है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए कहा किसरकार ने फल और सब्जी जैसे जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिये किसान रेल का प्रस्ताव किया है। इसके तहत इन उत्पादों को रेफ्रिजरेटेड डिब्बों में ले जाने की सुविधा होगी। विशेष किसान रेलगाड़ियां सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) माडल के तहत चलाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य पर काम कर रही है। किसानों की आय कृषि के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन के साथ ही नई-नई प्रौद्योगिकी के माध्यम से बढ़ाई जाएगी।
इस बार किसानों के लिए पूरा बजट ही "जीरो" है
देशभर के 250 से ज्यादा किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (‌एआईकेएससीसी) के संयोजक वीएम सिंह ने आउटलुक को बताया कि पिछली बार बजट में किसानों के लिए "जीरो बजट" खेती थी, इस बार किसानों के लिए पूरा बजट ही "जीरो" है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद थी कि सरकार बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठायेगी, लेकिन बजट में ऐसा कुछ नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि 50 फीसदी से ज्यादा आबादी गांव में रहती है। केंद्र सरकार अगर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत का डेढ़ गुना, यानि सी2 के आधार पर तय करती है तो ​किसानों को एक एकड़ पर करीब 10 हजार रुपये की अतिरिक्त आय होगी। किसान इस राशि का खर्च करेगा, तो इकोनॉमी अपने आप ही बूस्ट हो जायेगी।
यह ​बजट किसानों को और कर्जवान बनायेगा
उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में घोषणा की है कि 15 लाख करोड़ रुपये का ऋण मिलगा, इस देश का किसान पहले ही कर्ज के बोझ तले दबाव हुआ है, उनकी जमीन बैंकों के पास गिरवी रखी है। उपर से कृषि कर्ज को और बढ़ा दिया, जबकि हम सरकार से शुरू ही मांग करते आ रहे हैं कि देशभर के किसान को संपूर्ण कर्ज माफी चाहिए। सरकार ने फसलों की खरीद की इस बजट में कोई गारंटी नहीं दी। सरकार ने कहा कि 11 हजार करोड़ किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिला, इससे किसानों के बजाए बीमा कंपनियों को फायदा मिला है।
बजट में किसानों के लिए दावों के अलावा कुछ नहीं
स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता और पूर्व लोकसभा सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि सरकार ने बजट में किसानों के लिए बातें तो बहुत की है, लेकिन किसानों की दशा सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं ​उठाया। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों के साथ ही कपास उद्योग हो या फिर डेयरी सेक्टर के लिए कुछ नहीं किया। सरकार ने घोषणा है कि 20 लाख किसानों को सोलर पंप दिए जायेंगे, जबकि देशभर में 14.50 करोड़ किसान हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए नए बाजार या फिर उत्पादक क्षेत्रों में प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के बारे में कुछ नहीं ​कहा गया है।​ किसानों के लिए की गई घोषणाओं के मद्देनजर, कृषि में कुल आवंटन बहुत कम किया गया है।
बजट में गांव, गरीब और किसान के कल्याण से कोई वास्ता नहीं
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के लिए बजट निराशाजनक है। वित्त मंत्री ने जो सोलह सूत्रीय कार्यक्रम घोषित किया है उससे देश के 10 फीसदी किसान भी कवर नहीं हो रहे। इस बजट में गांव, गरीब और किसान के कल्याण से कोई वास्ता नहीं है जिस तरह का गोलमोल बजट पेश किया गया है उसका विश्लेषण करना भी बड़ा कठिन कार्य है। जिस संकट के दौर से कृषि क्षेत्र गुजर रहा है उसके लिए 16,000 छोटे-बड़े कार्यक्रम भी चलाये जाए तो कम है। किसानों की मुख्य मांग लाभकारी मूल्य और खरीद की गारंटी का बजट में कोई जिक्र तक नहीं किया गया
किसानों के लिए बेहद निराशाजनक बजट
उत्तर प्रदेश के किसान आदि चौधरी ने कहा कि किसानों के लिए बेहद निराशाजनक बजट है, किसान को आज जरूरत है कि उसे कर्ज से मुक्ति मिले और फसल के दाम की गांरटी का प्रावधान किया जाए। साथ ही मनरेगा को खेती से जोड़ने और किसानों के लिए न्यूनतम आय की दिशा में कदम उठाये जायें। देश में किसानों की आत्महत्याएं रुकें, इसके लिए सरकार गम्भीर नहीं है।........... आर एस राणा