आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आए सुधार से अगले तीन महीनों तक निर्यात मांग अच्छी बनी रहने का अनुमान है। तीन महीने बाद ब्राजील में नई चीनी का उत्पादन शुरू हो जायेगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को कड़ी चुनौती मिलेगी। कीमतों में आई हालिया तेजी के बाद ब्राजील के लिए चीनी का उत्पादन एथेनॉल से कहीं ज्यादा लाभकारी साबित होगा और वह चीनी बनाने पर ज्यादा जोर देगा।
दुनियाभर में इस समय भारत के पास ही चीनी का बकाया स्टॉक है और वैश्विक मांग के मुकाबले आपूर्ति कम होने से चीनी के दाम में इस समय तेजी बनी हुई है, जिससे भारतीय मिलों के लिए चीनी निर्यात करना आसान हो गया है। मगर, ब्राजील और आस्ट्रेलिया में चीनी उत्पादन का नया सीजन शुरू होने के बाद वैश्विक बाजार में चीनी की सप्लाई में इजाफा होने से भारत के सामने प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी।
भारत सरकार ने चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 60 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा तय किया है तथा चीनी मिलों को केंद्र सरकार 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दे रही है। जानकारों के अनुसार चीनी मिलों के लिए चालू सीजन में तय निर्यात कोटा पूरा करने के लिए आगामी तीन से चार महीने महत्वपूर्ण होगें, क्योंकि इसके बाद ब्राजील की चीनी विश्व बाजार में आ जायेगी।
विश्व बाजार में चीनी के दाम बढ़े हैं, जबकि तेल की कीमतों में गिरावट आई है
इंडियन शुगर एग्जिम कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईएसईसी) के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ अधीर झा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम में आई हालिया तेजी के बाद ब्राजील आगामी सीजन में एथेनॉल के बजाय चीनी का उत्पादन ज्यादा कर सकता है, क्योंकि चीनी का उत्पादन उसके लिए ज्यादा लाभकारी साबित हो सकता है। ब्राजील दो साल पहले तक दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक था, लेकिन चीनी के दाम में गिरावट आने के बाद वह चीनी के बजाय एथेनॉल का उत्पादन ज्यादा करने लगा। बीते दो साल से भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। झा ने बताया कि हाल में चीनी का दाम बढ़े है, जबकि तेल की कीमतों में गिरावट आई है। ऐसे में ब्राजील नए सीजन में एथेनॉल के बजाय चीनी का उत्पादन ज्यादा कर सकता है। उन्होंने कहा कि ब्राजील के पास इस समय निर्यात करने के लिए चीनी नहीं है, इसलिए भारत के लिए यह अच्छा मौका है कि दुनिया के अन्य देशों की नई चीनी बाजार में आने से पहले ज्यादा से ज्यादा मात्रा में निर्यात करे।
विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आया सुधार
चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 30 लाख टन से ज्यादा चीनी निर्यात के सौदे हो चुके हैं। नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड के प्रबंधन निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि उम्मीद है कि भारत 60 लाख टन चीनी निर्यात के लक्ष्य को हासिल कर लेगा क्योंकि इस समय भारत के पास ही चीनी का बकाया स्टॉक ज्यादा है और निर्यात मांग लगातार बनी हुई है। हाल ही में इंटरनेशनल शुगर ऑगेर्नाइजेशन (आईएसओ) के कार्यकारी निदेशक जोस ऑरिव ने भी दुनिया के चीनी आयातक देशों से भारत से चीनी खरीदने आग्रह करते हुए कहा कि भारत में चीनी काफी मात्रा में उपलब्ध है। इस पर नाइकनवरे ने कहा कि यह सही वक्त पर सही बयान है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी का दाम 2017 के बाद के सबसे ऊंचे स्तर पर है। रॉ-शुगर का दाम 15 सेंट प्रति पौंड के ऊपर पहुंच गया है, जबकि व्हाईट चीनी का भाव गत सप्ताह 456.60 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया था।
चालू पेराई सीजन में 260 लाख टन उत्पादन का अनुमान
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार, देश में इस साल चीनी का उत्पादन 260 लाख टन होने का अनुमान है। वहीं, पिछले साल का बचा हुआ स्टॉक करीब 145 लाख टन है। इस प्रकार कुल उपलब्धता 405 लाख टन की बैठेगी, जबकि चीनी की सालाना खपत करीब 260 लाख टन की होती है। ऐसे में चालू सीजन में देश से 60 लाख टन चीनी निर्यात होता है तो भी चालू पेराई सीजन के अंत में करीब 85 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचेगा।........... आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आए सुधार से अगले तीन महीनों तक निर्यात मांग अच्छी बनी रहने का अनुमान है। तीन महीने बाद ब्राजील में नई चीनी का उत्पादन शुरू हो जायेगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को कड़ी चुनौती मिलेगी। कीमतों में आई हालिया तेजी के बाद ब्राजील के लिए चीनी का उत्पादन एथेनॉल से कहीं ज्यादा लाभकारी साबित होगा और वह चीनी बनाने पर ज्यादा जोर देगा।
दुनियाभर में इस समय भारत के पास ही चीनी का बकाया स्टॉक है और वैश्विक मांग के मुकाबले आपूर्ति कम होने से चीनी के दाम में इस समय तेजी बनी हुई है, जिससे भारतीय मिलों के लिए चीनी निर्यात करना आसान हो गया है। मगर, ब्राजील और आस्ट्रेलिया में चीनी उत्पादन का नया सीजन शुरू होने के बाद वैश्विक बाजार में चीनी की सप्लाई में इजाफा होने से भारत के सामने प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी।
भारत सरकार ने चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 60 लाख टन चीनी निर्यात का कोटा तय किया है तथा चीनी मिलों को केंद्र सरकार 10,448 रुपये प्रति टन की दर से सब्सिडी दे रही है। जानकारों के अनुसार चीनी मिलों के लिए चालू सीजन में तय निर्यात कोटा पूरा करने के लिए आगामी तीन से चार महीने महत्वपूर्ण होगें, क्योंकि इसके बाद ब्राजील की चीनी विश्व बाजार में आ जायेगी।
विश्व बाजार में चीनी के दाम बढ़े हैं, जबकि तेल की कीमतों में गिरावट आई है
इंडियन शुगर एग्जिम कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईएसईसी) के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ अधीर झा ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम में आई हालिया तेजी के बाद ब्राजील आगामी सीजन में एथेनॉल के बजाय चीनी का उत्पादन ज्यादा कर सकता है, क्योंकि चीनी का उत्पादन उसके लिए ज्यादा लाभकारी साबित हो सकता है। ब्राजील दो साल पहले तक दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक था, लेकिन चीनी के दाम में गिरावट आने के बाद वह चीनी के बजाय एथेनॉल का उत्पादन ज्यादा करने लगा। बीते दो साल से भारत दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। झा ने बताया कि हाल में चीनी का दाम बढ़े है, जबकि तेल की कीमतों में गिरावट आई है। ऐसे में ब्राजील नए सीजन में एथेनॉल के बजाय चीनी का उत्पादन ज्यादा कर सकता है। उन्होंने कहा कि ब्राजील के पास इस समय निर्यात करने के लिए चीनी नहीं है, इसलिए भारत के लिए यह अच्छा मौका है कि दुनिया के अन्य देशों की नई चीनी बाजार में आने से पहले ज्यादा से ज्यादा मात्रा में निर्यात करे।
विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में आया सुधार
चालू पेराई सीजन में अभी तक करीब 30 लाख टन से ज्यादा चीनी निर्यात के सौदे हो चुके हैं। नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड के प्रबंधन निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि उम्मीद है कि भारत 60 लाख टन चीनी निर्यात के लक्ष्य को हासिल कर लेगा क्योंकि इस समय भारत के पास ही चीनी का बकाया स्टॉक ज्यादा है और निर्यात मांग लगातार बनी हुई है। हाल ही में इंटरनेशनल शुगर ऑगेर्नाइजेशन (आईएसओ) के कार्यकारी निदेशक जोस ऑरिव ने भी दुनिया के चीनी आयातक देशों से भारत से चीनी खरीदने आग्रह करते हुए कहा कि भारत में चीनी काफी मात्रा में उपलब्ध है। इस पर नाइकनवरे ने कहा कि यह सही वक्त पर सही बयान है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी का दाम 2017 के बाद के सबसे ऊंचे स्तर पर है। रॉ-शुगर का दाम 15 सेंट प्रति पौंड के ऊपर पहुंच गया है, जबकि व्हाईट चीनी का भाव गत सप्ताह 456.60 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया था।
चालू पेराई सीजन में 260 लाख टन उत्पादन का अनुमान
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार, देश में इस साल चीनी का उत्पादन 260 लाख टन होने का अनुमान है। वहीं, पिछले साल का बचा हुआ स्टॉक करीब 145 लाख टन है। इस प्रकार कुल उपलब्धता 405 लाख टन की बैठेगी, जबकि चीनी की सालाना खपत करीब 260 लाख टन की होती है। ऐसे में चालू सीजन में देश से 60 लाख टन चीनी निर्यात होता है तो भी चालू पेराई सीजन के अंत में करीब 85 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचेगा।........... आर एस राणा
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