आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपना दूसरा बजट 2020-21 पेश करते समय यह ऐलान किया कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है लेकिन किसान संगठनों का मानना है कि सरकार ने बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की। वित्त मंत्री ने आम बजट में किसानों की भलाई के लिए वादे तो बहुत किए हैं, लेकिन इसके मुकाबले आवंटन किया केवल 2.83 लाख करोड़ का जोकि पर्याप्त नहीं है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए कहा किसरकार ने फल और सब्जी जैसे जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिये किसान रेल का प्रस्ताव किया है। इसके तहत इन उत्पादों को रेफ्रिजरेटेड डिब्बों में ले जाने की सुविधा होगी। विशेष किसान रेलगाड़ियां सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) माडल के तहत चलाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य पर काम कर रही है। किसानों की आय कृषि के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन के साथ ही नई-नई प्रौद्योगिकी के माध्यम से बढ़ाई जाएगी।
इस बार किसानों के लिए पूरा बजट ही "जीरो" है
देशभर के 250 से ज्यादा किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के संयोजक वीएम सिंह ने आउटलुक को बताया कि पिछली बार बजट में किसानों के लिए "जीरो बजट" खेती थी, इस बार किसानों के लिए पूरा बजट ही "जीरो" है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद थी कि सरकार बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठायेगी, लेकिन बजट में ऐसा कुछ नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि 50 फीसदी से ज्यादा आबादी गांव में रहती है। केंद्र सरकार अगर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत का डेढ़ गुना, यानि सी2 के आधार पर तय करती है तो किसानों को एक एकड़ पर करीब 10 हजार रुपये की अतिरिक्त आय होगी। किसान इस राशि का खर्च करेगा, तो इकोनॉमी अपने आप ही बूस्ट हो जायेगी।
यह बजट किसानों को और कर्जवान बनायेगा
उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में घोषणा की है कि 15 लाख करोड़ रुपये का ऋण मिलगा, इस देश का किसान पहले ही कर्ज के बोझ तले दबाव हुआ है, उनकी जमीन बैंकों के पास गिरवी रखी है। उपर से कृषि कर्ज को और बढ़ा दिया, जबकि हम सरकार से शुरू ही मांग करते आ रहे हैं कि देशभर के किसान को संपूर्ण कर्ज माफी चाहिए। सरकार ने फसलों की खरीद की इस बजट में कोई गारंटी नहीं दी। सरकार ने कहा कि 11 हजार करोड़ किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिला, इससे किसानों के बजाए बीमा कंपनियों को फायदा मिला है।
बजट में किसानों के लिए दावों के अलावा कुछ नहीं
स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता और पूर्व लोकसभा सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि सरकार ने बजट में किसानों के लिए बातें तो बहुत की है, लेकिन किसानों की दशा सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों के साथ ही कपास उद्योग हो या फिर डेयरी सेक्टर के लिए कुछ नहीं किया। सरकार ने घोषणा है कि 20 लाख किसानों को सोलर पंप दिए जायेंगे, जबकि देशभर में 14.50 करोड़ किसान हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए नए बाजार या फिर उत्पादक क्षेत्रों में प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। किसानों के लिए की गई घोषणाओं के मद्देनजर, कृषि में कुल आवंटन बहुत कम किया गया है।
बजट में गांव, गरीब और किसान के कल्याण से कोई वास्ता नहीं
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के लिए बजट निराशाजनक है। वित्त मंत्री ने जो सोलह सूत्रीय कार्यक्रम घोषित किया है उससे देश के 10 फीसदी किसान भी कवर नहीं हो रहे। इस बजट में गांव, गरीब और किसान के कल्याण से कोई वास्ता नहीं है जिस तरह का गोलमोल बजट पेश किया गया है उसका विश्लेषण करना भी बड़ा कठिन कार्य है। जिस संकट के दौर से कृषि क्षेत्र गुजर रहा है उसके लिए 16,000 छोटे-बड़े कार्यक्रम भी चलाये जाए तो कम है। किसानों की मुख्य मांग लाभकारी मूल्य और खरीद की गारंटी का बजट में कोई जिक्र तक नहीं किया गया
किसानों के लिए बेहद निराशाजनक बजट
उत्तर प्रदेश के किसान आदि चौधरी ने कहा कि किसानों के लिए बेहद निराशाजनक बजट है, किसान को आज जरूरत है कि उसे कर्ज से मुक्ति मिले और फसल के दाम की गांरटी का प्रावधान किया जाए। साथ ही मनरेगा को खेती से जोड़ने और किसानों के लिए न्यूनतम आय की दिशा में कदम उठाये जायें। देश में किसानों की आत्महत्याएं रुकें, इसके लिए सरकार गम्भीर नहीं है।........... आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपना दूसरा बजट 2020-21 पेश करते समय यह ऐलान किया कि भारत अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुकी है लेकिन किसान संगठनों का मानना है कि सरकार ने बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की। वित्त मंत्री ने आम बजट में किसानों की भलाई के लिए वादे तो बहुत किए हैं, लेकिन इसके मुकाबले आवंटन किया केवल 2.83 लाख करोड़ का जोकि पर्याप्त नहीं है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए कहा किसरकार ने फल और सब्जी जैसे जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिये किसान रेल का प्रस्ताव किया है। इसके तहत इन उत्पादों को रेफ्रिजरेटेड डिब्बों में ले जाने की सुविधा होगी। विशेष किसान रेलगाड़ियां सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) माडल के तहत चलाने का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य पर काम कर रही है। किसानों की आय कृषि के अलावा पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन के साथ ही नई-नई प्रौद्योगिकी के माध्यम से बढ़ाई जाएगी।
इस बार किसानों के लिए पूरा बजट ही "जीरो" है
देशभर के 250 से ज्यादा किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के संयोजक वीएम सिंह ने आउटलुक को बताया कि पिछली बार बजट में किसानों के लिए "जीरो बजट" खेती थी, इस बार किसानों के लिए पूरा बजट ही "जीरो" है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद थी कि सरकार बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठायेगी, लेकिन बजट में ऐसा कुछ नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि 50 फीसदी से ज्यादा आबादी गांव में रहती है। केंद्र सरकार अगर फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत का डेढ़ गुना, यानि सी2 के आधार पर तय करती है तो किसानों को एक एकड़ पर करीब 10 हजार रुपये की अतिरिक्त आय होगी। किसान इस राशि का खर्च करेगा, तो इकोनॉमी अपने आप ही बूस्ट हो जायेगी।
यह बजट किसानों को और कर्जवान बनायेगा
उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में घोषणा की है कि 15 लाख करोड़ रुपये का ऋण मिलगा, इस देश का किसान पहले ही कर्ज के बोझ तले दबाव हुआ है, उनकी जमीन बैंकों के पास गिरवी रखी है। उपर से कृषि कर्ज को और बढ़ा दिया, जबकि हम सरकार से शुरू ही मांग करते आ रहे हैं कि देशभर के किसान को संपूर्ण कर्ज माफी चाहिए। सरकार ने फसलों की खरीद की इस बजट में कोई गारंटी नहीं दी। सरकार ने कहा कि 11 हजार करोड़ किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ मिला, इससे किसानों के बजाए बीमा कंपनियों को फायदा मिला है।
बजट में किसानों के लिए दावों के अलावा कुछ नहीं
स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता और पूर्व लोकसभा सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि सरकार ने बजट में किसानों के लिए बातें तो बहुत की है, लेकिन किसानों की दशा सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि चीनी मिलों के साथ ही कपास उद्योग हो या फिर डेयरी सेक्टर के लिए कुछ नहीं किया। सरकार ने घोषणा है कि 20 लाख किसानों को सोलर पंप दिए जायेंगे, जबकि देशभर में 14.50 करोड़ किसान हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए नए बाजार या फिर उत्पादक क्षेत्रों में प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। किसानों के लिए की गई घोषणाओं के मद्देनजर, कृषि में कुल आवंटन बहुत कम किया गया है।
बजट में गांव, गरीब और किसान के कल्याण से कोई वास्ता नहीं
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों के लिए बजट निराशाजनक है। वित्त मंत्री ने जो सोलह सूत्रीय कार्यक्रम घोषित किया है उससे देश के 10 फीसदी किसान भी कवर नहीं हो रहे। इस बजट में गांव, गरीब और किसान के कल्याण से कोई वास्ता नहीं है जिस तरह का गोलमोल बजट पेश किया गया है उसका विश्लेषण करना भी बड़ा कठिन कार्य है। जिस संकट के दौर से कृषि क्षेत्र गुजर रहा है उसके लिए 16,000 छोटे-बड़े कार्यक्रम भी चलाये जाए तो कम है। किसानों की मुख्य मांग लाभकारी मूल्य और खरीद की गारंटी का बजट में कोई जिक्र तक नहीं किया गया
किसानों के लिए बेहद निराशाजनक बजट
उत्तर प्रदेश के किसान आदि चौधरी ने कहा कि किसानों के लिए बेहद निराशाजनक बजट है, किसान को आज जरूरत है कि उसे कर्ज से मुक्ति मिले और फसल के दाम की गांरटी का प्रावधान किया जाए। साथ ही मनरेगा को खेती से जोड़ने और किसानों के लिए न्यूनतम आय की दिशा में कदम उठाये जायें। देश में किसानों की आत्महत्याएं रुकें, इसके लिए सरकार गम्भीर नहीं है।........... आर एस राणा
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