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29 सितंबर 2021

नीचे भाव मिलों की मांग से दिल्ली में बर्मा उड़द के भाव तेज, अन्य दालों के स्थिर

नई दिल्ली। नीचे दाम पर दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की उड़द की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि अन्य दालों के दाम स्थिर बने रहे।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम 25-75 रुपये तेज होकर क्रमश: 8,325 रुपये और 8,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव में भी 50 रुपये की तेजी आकर भाव 7,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। प्रमुख उत्पादक राज्यों में लगातार हुई बारिश और कीटों के हमले से कई क्षेत्रों में उड़द की फसल को 50 से 60 फीसदी तक नुकसान हुआ है जबकि मंडियों में जो नई उड़द आ रही है उसमें नमी भी 20 से 25 फीसदी की है। इसलिए अच्छी किस्म की उड़द में मांग बनी रहने की उम्मीद है।

दाल मिलों की सीमित खरीद के कारण दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव क्रमश: 6,550 रुपये और 6,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतें क्रमश: 7,700 रुपये और 7,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। उधर, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में भाव तेज हैं। इसलिए घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों में ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है।  

28 सितंबर 2021

दिल्ली में मसूर की कीमतों में गिरावट जारी, अरहर के भाव में सुधार, उड़द के दाम स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने के कारण मंगलवार को दिल्ली के नया बाजार में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में गिरावट आई जबकि आयातित अरहर के भाव तेज हुए। इस दौरान उड़द की कीमतें स्थिर बनी रही।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में 50-50 रुपये की तेजी आकर भाव 6,550 रुपये और 6,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 75-75 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,700 रुपये और 7,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

उधर, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में भाव तेज हैं। इसलिए घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों में ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है।  

कनाडा में मसूर का उत्पादन 1.802 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 2.868 मिलियन टन से कम है। अमेरिका में मसूर का उत्पादन पिछले साल के 336,000 टन से घटकर 231,000 टन ही होने की उम्मीद है।

दाल मिलों की सीमित मांग के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम क्रमश: 8,300 रुपये और 8,325 से 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव भी 7,200 से 7,225 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीफ उड़द की कटाई जोरों पर है, जबकि बारिश से नई फसल को नुकसान हुआ है। मौसम विभाग ने आगे और बारिश होने की भविष्यवाणी की है। ऐसे में उत्पादक राज्यों में ज्यादा बारिश हुई तो फिर नुकसान और बढ़ेगी, इसलिए बढ़िया मालों की मांग आगे बढ़ने की उम्मीद है।

केंद्र ने तेलंगाना से एमएसपी पर 60,760 टन सोयाबीन की खरीद को दी मंजूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर चालू खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के दौरान तेलंगाना से 60,760 टन सोयाबीन की खरीद को मंजूरी दी है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन 2021-22 में तेलंगाना के किसानों से पीएसएस स्कीम के तहत सोयाबीन की खरीद की जायेगी, तथा सोयाबीन की एमएसपी पर खरीद नेफेड राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ मिलकर करेगी।

मूूंग बेचने के लिए किसानों को राज्य सरकार के पोटर्ल पर पंजीकरण कराना होगा।

केंद्र ने हरियाणा से एमएसपी पर 15,835 टन मूंग की खरीद को दी मंजूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर चालू खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के दौरान हरियाणा से 15,835 टन मूंग की खरीद को मंजूरी दी है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन 2021-22 में हरियाणा के किसानों से पीएसएस स्कीम के तहत मूंग की खरीद की जायेगी, तथा मूंग की एमएसपी पर खरीद नेफेड राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ मिलकर करेगी।

मूूंग बेचने के लिए किसानों को राज्य सरकार के पोटर्ल पर पंजीकरण कराना होगा।

केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन के लिए मूंग का एमएसपी 7,275 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर दिल्ली में नरम, अन्य दालों के दाम स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण सोमवार को दिल्ली के नया बाजार में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में गिरावट आई जबकि अन्य दालों के दाम स्थिर बने रहे।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 25-25 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,775 रुपये और 7,575 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि नेफेड निजी आयाताकों से आयातित मसूर की खरीद कर रही है। उधर, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में भाव तेज हैं। इसलिए घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों में ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है।

दाल मिलों की सीमित खरीद के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम क्रमश: 8,300 रुपये और 8,325 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव में भी 7,225 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में उड़द की कटाई चल रही है, जबकि इन राज्यों में पिछले सप्ताह लगातार बारिश हुई। मौसम विभाग के अनुसार कई राज्यों में बारिश अक्टूबर में भी जारी रह सकती है। इसका असर उड़द की उत्पादकता के साथ ही क्वालिटी पर पड़ेगा। अत: मंडियों में दागी मालों की आवक ज्यादा हो रही है, ऐसे में बढ़िया मालों में मिलों की बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि उड़द की कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है, क्योंकि उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर है जबकि आगे मौसम साफ होने पर खरीफ की उड़द की आवक बढ़ेगी, साथ ही विदेशों से लगातार आयात बना रहेगा। वैसे भी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ उत्पादक क्षेत्रों में मौसम साफ है। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप को देखते हुए भी व्यापारी ज्यादा जोखिम मोल नहीं लेंगे।

दालों की थोक एवं खुदरा मांग सामान्य की तुलना में कमजोर ही बनी हुई है। व्यापारियों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान दालों की मांग कमजोर ही बनी रहने की उम्मीद है।

दाल मिलों की सीमित खरीद से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव क्रमश: 6,500 रुपये और 6,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। हाजिर कारोबार में अफ्रीका लाईन की सस्ती अरहर के साथ ही विदेश से आयात बढ़ने की संभावना से कीमतों पर दबाव आया है।

24 सितंबर 2021

दिल्ली में उड़द और मसूर की कीमतें तेज, काबुली चना मंदा, अरहर के भाव स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में उड़द के साथ ही मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई जबकि काबुली चना की कीमतों में गिरावट आई। इस दौरान अरहर की कीमतें स्थिर बनी रही।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम 100-100 रुपये तेज होकर क्रमश: 8,225 रुपये और 8,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव में भी 75 रुपये की तेजी आकर भाव 7,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात में उड़द की कटाई चल रही है, जबकि इन राज्यों में लगातार बारिश हो रही है, जिससे उड़द की उत्पादकता के साथ ही क्वालिटी को नुकससान हुआ है। अत: मंडियों में दागी मालों की आवक ज्यादा हो रही है, ऐसे में बढ़िया मालों में मिलों की बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि उड़द की कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है, क्योंकि उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर है जबकि आगे मौसम साफ होने पर खरीफ की उड़द की आवक बढ़ेगी, साथ ही विदेशों से लगातार आयात बना रहेगा।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा की मसूर की कीमतों में 100—150 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,750 रुपये और 7,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। नेफेड ने दिल्ली और कोलकाता से आयातित मसूर की 500-500 टन की खरीद क्रमश: 7,650 रुपये और 7,600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की।

महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश लाईन के काबुली चना में मिलों की मांग कमजोर होने के कारण 100 से 200 रुपये की गिरावट दर्ज की गई। जबकि इंदौर लाईन के काबुली चने के दाम स्थिर बने रहे। काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण विदेश से काबुली चना के आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव क्रमश: 6,500 से 6,525 रुपये और 6,600 रुपये प्रति क्विंटल स्थिर बने रहे। हाजिर कारोबार में अफ्रीका लाईन की सस्ती अरहर के साथ ही विदेश से आयात बढ़ने की संभावना से कीमतें स्थिर बनी रही।

पीएसएस स्कीम के तहत केंद्र ने उड़द और मूंग की खरीद को दी मंजूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चालू खरीफ सीजन 2021-22 के दौरान दक्षिण भारत के राज्यों तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक से पीएसएस के तहत उड़द और मूंग की खरीद को मंजूरी दी है।

कृषि मंत्रालय ने आंध्रप्रदेश से पीएसएस स्कीम के तहत 1,315 टन मूंग और 5,930 टन उड़द की खरीद को मंजूरी दे दी है। इसी तरह से तमिलनाडु से चालू खरीफ विपणन में न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर 3,367 टन मूंग और 4,000 टन उड़द की खरीद को कृषि मंत्रालय ने मंजूरी दी। कर्नाटक से चालू खरीफ विपणन सीजन में एमएसपी पर 30,000 टन मूंग और 10,000 टन उड़द की खरीद की जायेगी। तेलंगाना से चालू खरीफ में 4,632 टन मूंग की खरीद एमएसपी पर पीएसएस स्कीम के तहत की जायेगी।

उड़द और मूंग की खरीद नेफेड राज्य सरकार की एजेंसियों के साथ करेंगी, तथा किसानों को उड़द और मूंग बेचने के लिए राज्य सरकारों के पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा। केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के लिए मूंग का एमएसपी 7,225 रुपये उड़द का एमएसपी 6,300 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

चालू खरीफ सीजन में उड़द के साथ ही मूंग की आवक हो रही है, लेकिन उत्पादक राज्यों में लगातार हो रही बारिश से इन फसलों की उत्पादकता के साथ ही क्वालिटी को भी नुकसान है। हालांकि नुकसान का सही आंकलन मौसम साफ होने के बाद ही लगेगा।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम 100-100 रुपये तेज होकर क्रमश: 8,225 रुपये और 8,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव में भी 75 रुपये की तेजी आकर भाव 7,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

21 सितंबर 2021

चालू खरीफ में खाद्यान्न का 15.05 करोड़ टन रिकार्ड उत्पादन अनुमान, तिलहन उत्पादन घटेगा

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन 2021-22 में देश में खाद्यान्न का रिकार्ड 15.05 करोड़ टन का उत्पादन होने का अनुमान है हाांकि इस दौरान तिलहन के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है।

कृषि मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान का उत्पादन 107.04 मिलियन टन होने का अनुमान है, जोकि एक रिकार्ड है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस मौके पर कहा कि किसानों की अथक मेहनत, वैज्ञानिकों की कुशलता व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की किसान हितैषी नीतियों से देश में खाद्यान्न की बंपर पैदावार हो रही है।

मंत्रालय के अनुसार दालों का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में 94.5 लाख टन होने का अनुमान है, जिसमें अरहर का उत्पादन 44.3 लाख टन होने का अनुमान कृषि मंत्रालय ने जारी किया है। इसके अलावा मक्का का उत्पादन 212.4 लाख टन होने का अनुमान है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2021-22 के खरीफ सीजन में तिलहनी फसलों का उत्पादन 10.04 फीसदी घटकर 233.89 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि पिछले खरीफ सीजन के दौरान इनका उत्पादन 260 लाख टन का हुआ था।

खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में घटकर 127.20 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि पिछले खरीफ सीजन के 128.97 लाख टन से कम है। जानकारों के अनुसार जून से जुलाई के दौरान उत्पादक राज्यों बारिश सामान्य से कम होने के साथ ही सितंबर में बारिश ज्यादा हुई है, जिस कारण इसका उत्पादन अनुमान मंत्रालय के अनुमान से कम रहने की आशंका है। मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ सीजन 2021-22 के दौरान मूंगफली का उत्पादन घटकर 82.54 लाख टन ही होने का अनुमान है, जोकि इसके पिछले साल के 85.56 लाख टन से कम है। इसी तरह से केस्टर सीड का उत्पादन चालू खरीफ में घटकर 15.98 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 16.51 लाख टन का हुआ था। तिल का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में घटकर 6.72 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 8.11 लाख टन का हुआ था।

कपास का उत्पादन चालू खरीफ में 362.2 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो होने का अनुमान है।

दिल्ली में मिलों की मांग घटने से अरहर और मसूर मंदी, उड़द स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण मंगलवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर के साथ ही मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। त्यौहारी सीजन शुरू होने से पहले दालों की थोक एवं खुदरा मांग सामान्य की तुलना में कमजोर ही बनी हुई है। व्यापारियों के अनुसार पितृ पक्ष के दौरान दालों की मांग कमजोर ही बनी रहने की उम्मीद है लेकिन उसके बाद आगे दालों की मांग में सुधार आयेगा।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,600 रुपये और 6,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हाजिर कारोबार में अफ्रीका लाईन की सस्ती अरहर के साथ ही विदेश से आयात बढ़ने की संभावना से कीमतों पर दबाव आया है।

दिल्ली में मध्य प्रदेश और कनाडा लाईन की मसूर की कीमतें 50-75 रुपये घटकर भाव क्रमश: 7,800 रुपये और 7,575 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। पिछले दिनों सरकार ने मसूर के आयात शुल्क में कमी की थी, अत: मिलर्स की मांग ​बढ़े भाव में कमजोर हुई, जबकि इसमें बिकवाली भी पहले की तुलना में बढ़ी है। हालांकि, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में भाव तेज हैं। इसलिए घरेलू बाजार में भी कीमतों में बड़ी गिरावट की उम्मीद नहीं है।

बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम क्रमश: 8,200 रुपये और 8,225 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव भी 7,200-7,175 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। अधिकांश राज्यों में खरीफ उड़द की कटाई चल रही है, जबकि कई राज्यों में बारिश हो रही है, तथा मौसम विभाग ने और बारिश का अंदेशा जताया है, जिससे उड़द की फसल की क्वालिटी प्रभावित होने का डर है। इससे नए मालों में नमी की मात्रा भी ज्यादा आ रही है अत: अच्छी क्वालिटी की उड़द में मिलों की मांग बढ़ने की उम्मीद है।

18 सितंबर 2021

खरीफ फसलों की बुआई 1,105 लाख हेक्टेयर के पार, दलहन की बढ़ी, तिलहन की पिछड़ी

नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में देशभर में खरीफ फसलों की बुआई 1,105 लाख हेक्टेयर को पार कर चुकी है तथा खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई के साथ ही दालों की बुआई में बढ़ोतरी हुई है लेकिन तिलहन की बुआई पिछले साल की तुलना में पिछे चल रही है।

कृषि मंत्रालय द्वारा 17 सितंबर 2021 को जारी आंकड़ों के अनुसार खरीफ फसलों की बुआई 0.83 फीसदी पिछड़कर केवल 1,105.19 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 1,114.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 414.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 413.34 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 140.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 137.89 लाख हेक्टेयर ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 50.02 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 48.18 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में उड़द की बुआई 39.43 और मूंग की 35.25 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 38.65 और 35.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 15.45 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 15.12 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 174.70 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 178.83 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 63.40 लाख हेक्टेयर में, ज्वार की 14.65 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 68.67 और 15.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में 81.52 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 80.24 लाख हेक्टेयर से बढ़ी है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 193.95 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 196.45 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम है। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई 121.77 लाख हेक्टेयर में और मूंगफली की 49.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 121.20 और 50.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य तिलहन में शीसम सीड की बुआई 13.31 लाख हेक्टेयर में और केस्टर की 6.96 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 13.99 और 7.34 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 119.66 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 126.97 लाख हेक्टयेर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 54.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई केवल 54.08 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

अगस्त में डीओसी निर्यात 4 फीसदी घटा, चालू वित्त वर्ष के पांच महीनों में 8 फीसदी बढ़ा

नई दिल्ली। अगस्त में डीओसी के निर्यात में चार फीसदी की कमी आई है, लेकिन चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान इसके निर्यात में 8 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अगस्त के दौरान डीओसी का निर्यात 4 फीसदी घटकर 164,831 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अगस्त में इसका निर्यात 171,515 टन का हुआ था। चालू वित्त वर्ष 2021-22 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान डीओसी का निर्यात 8 फीसदी बढ़कर 1,091,664 टन का हुआ है, जबकि वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,013,178 टन का हुआ था।

पोल्ट्री फीड ब्रीडर्स एसोसिएशन की मांग को मानते हुए भारत सरकार ने जीएम सोया डीओसी के आयात की अनुमति दी थी, जिसके आयात की अवधि को केंद्र सरकार ने हाल ही में बढ़ाकर 31 जनवरी 2022 तक कर दिया है।

घरेलू बाजार में सोयाबीन की कीमतों में आई तेजी के कारण सोया डीओसी के भाव जुलाई की तुलना में अगस्त में तेज हुए। अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी के भाव बढ़कर 1,133 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि जुलाई में इसके भाव 950 डॉलर प्रति टन थे। इस दौरान सरसों डीओसी के भाव जुलाई के 319 डॉलर प्रति टन से घटकर अगस्त में 315 डॉलर प्रति टन रह गए।

उत्तर प्रदेश में गन्ने के एसएपी में 25 रुपये की बढ़ोतरी संभव, चार साल से भाव थे स्थिर

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार गन्ना किसानों को नाराज नहीं करना चाहती, इसलिए पहली अक्टूबर 2021 से शुरू होने वाले चालू पेराई सीजन 2021-22 के लिए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य, यानी एसएपी में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की तैयारी है। मालूम हो कि राज्य में पिछले चार साल से गन्ने का एसएपी में बढ़ोतरी नहीं गई है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने चार साल पहले गन्ने के एसएपी में 10 रुपये की बढ़ोत्तरी की थी लेकिन उसके बाद गन्ना दाम परामर्श कमेटी ने भी राज्य में गन्ने का एसएपी 400 रुपये प्रति क्विंटल करने का सुझाव दिया था लेकिन राज्य सरकार ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था। राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए अब राज्य सरकार इसमें 25 रुपये की बढ़कर पेराई सीजन 2021-22 के लिए गन्ने का एसएपी 350 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की तैयारी कर रही है। हालांकि यह भाव पंजाब और हरियाणा के एसएपी से कम होगा।  

मालूम होकि केंद्र सरकार ने अक्टूबर, 2021 से शुरू होने वाले अगले सीजन के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी (एफआरपी) मूल्य पांच रुपये बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

सूत्रों के अनुसार गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग ने गन्ना मूल्य निर्धारण की जरूरी कानूनी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं तथा इस प्रस्ताव को कैबिनेट में पेश करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हरी झंडी मिलने का इंतजार है। इसके साथ ही गन्ना मूल्य बढ़ाने का औपचारिक ऐलान किया जाएगा। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर संभव है कि सीएम योगी खुद किसानों के किसी बड़े कार्यक्रम में गन्ना मूल्य की घोषणा करें।

केंद्र सरकार गन्ने का एफआरपी तय करती है जबकि उत्तर भारत के राज्य  अपने यहां की मिलों के लिए एसएपी करते हैं जो आमतौर पर एफआरपी से ज्यादा होता है। उस राज्य की मिलों को एसएपी की दर से गन्ने का भुगतान किसानों को करना होता है।

पिछले पेराई सीजन में भी उत्तर प्रदेश की मिलें किसानों से गन्ना खरीदकर पर्ची जारी करती रहीं थी, जिस पर राज्य सरकार द्वारा घोषित मूल्य दिए जाने का उल्लेख होता था। गन्ना पेराई सीजन समाप्ति पर यानी फरवरी 2021 में पिछली दर से ही राज्य सरकार ने किसानों को गन्ना मूल्य दिए जाने का आदेश दिया था। पिछले साल गन्ने की अगैती फसल का एसएपी 325 रुपये और सामान्य गन्ने का एसएपी 315 रुपये प्रति क्विंटल था।

अगले साल उत्तर प्रदेश में राज्य विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जबकि किसान तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले साल से ही आंदोलन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में गन्ने की ज्यादा खेती होती है। इसलिए आंदोलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान, खास तौर पर गन्ना किसान भी बड़ी संख्या में शामिल है।

17 सितंबर 2021

मुंबई में आयातित अरहर एवं काबुली चना में गिरावट, उड़द एवं मसूर स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण शुक्रवार को मुंबई में आयातित अरहर के साथ ही काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि उड़द के साथ ही मसूर के दाम इस दौरान स्थिर बने रहे।

व्यापारियों के अनुसार त्यौहारी सीजन से पहले दालों में थोक के साथ ही खुदरा में मांग कमजोर ही बनी रही, लेकिन आगे मांग में सुधार आने का अनुमान है। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मुंबई में अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक की अरहर के भाव 50-50 रुपये घटकर क्रमश: 6,200-6,300 रुपये और 6,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान की अरहर के भाव भी 50 घटकर 6,600 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। हालांकि इस दौरान बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी की कीमतें क्रमश: 6,500 रुपये और 6,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। जानकारों के अनुसार हाजिर बाजार में अफ्रीका की सस्ती अरहर की उपलब्धता के साथ ही आगे आने वाली नीचे भाव की अरहर से कीमतों पर दबाव देखा गया।

स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने के कारण मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 5,100 रुपये और 5,600 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सूडान में नए काबुली की आवक हो रही है, लेकिन काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

तंजानिया के चना में दाल मिल की सीमित मांग से भाव 5,125-5,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। आगे के व्यापार में, तंजानिया चना के भाव सितंबर, अक्टूबर शिपमेंट के लिए 5,400 रुपये और अक्टूबर, नवंबर शिपमेंट के लिए 5,450 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतें क्रमशः 7,125 रुपये और 7,025 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। हालांकि खरीफ उड़द की कटाई चल रही है, जबकि कई राज्यों में हाल ही में ज्यादा बारिश हुई है, तथा मौसम विभाग ने कई राज्यों में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे खरीफ उड़द की फसल दागी होने का डर है। अत: अच्छी क्वालिटी की उड़द में मिलों की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे इसके भाव में और सुधार आ सकता है। हालांकि व्यापारी उड़द की कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है, क्योंकि आगे खरीफ उड़द की दैनिक आवक तो बढ़ेगी ही, साथ ही आयातित माल भी ज्यादा मात्रा में आयेंगे। सरकारी हस्तक्षेप के डर से व्यापारी उड़द में बड़ा जोखिम भी नहीं लेना चाहते।

कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा, हजीरा, कांडला और मुंबई बंदरगाह के साथ ही आस्टेलियाई मसूर के भाव मुंबई और कोलाकता में स्थिर बने रहे। उधर, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिससे विश्व बाजार में मसूर के दाम तेज बने हुए है। इसलिए घरेलू बाजार में भी ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है।

16 सितंबर 2021

पंद्रह मई 2021 से पहले आयात की गई दलहन को रिलिज नहीं करेगी सरकार

नई दिल्ली। पंद्रह मई 2021 से पहले आयात की गई दलहन, जोकि एसईजेड विभाग में रखी हुई है, उनको सरकार रिलीज नहीं करेगी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार 15 मई 2021 से पहले आयात की गई दालों को फिलहाल रिलीज नहीं किया जायेगा। सूत्रों के अनुसार आयातकों ने केंद्र सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कहा था।

केंद्र सरकार ने कुछ दलहनों को प्रतिबंध से मुक्त श्रेणी में किया है, लेकिन कुछ आयातकों ने जिस समय प्रतिबंध लगा हुआ था, उसी समय आयात कर माल को सेज में रख लिया था। इसी माल को रिलीज करने से केंद्र सरकार ने फिलहाल मना कर दिया है।

इसके साथ ही केंद्र सरकार ने आयात की दलहनों को दो सप्ताह के अंदर निर्यात करने के लिए ​कहां है।

मुंबई में बर्मा उड़द तेज, अन्य दालों के दाम स्थिर, खरीफ उड़द की फसल प्रभावित होने का डर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा दालों की कीमतों को काबू में रखने के लिए नीतियों में लगातार बदलाव करने के कारण दाल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से ही साबूत मालों की खरीद कर रही है। हालांकि आगे खपत का सीजन है, इसलिए दालों की मांग में तो सुधार आयेगा, जिससे मौजूदा कीमतों में हल्का सुधार भी बन सकता है लेकिन बड़ी तेजी मानकर व्यापार नहीं करना चाहिए। क्योंकि केंद्र सरकार लगातार दालों की कीमतोें निगरानी कर रही है।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से गुरूवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित उड़द की कीमतों में तेजी दर्ज की गई, जबकि अन्य दालों के दाम स्थिर बने रहे। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 25-25 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 7,100 रुपये और 7,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। व्यापारियों के अनुसार खरीफ की नई फसल की आवक बढ़ने के साथ ही आयात बढ़ने की संभावना से भाव में नरमी दर्ज की गई।

प्रमुख उत्पादक राज्यों में खरीफ उड़द की कटाई चल रही है, जबकि कई राज्यों में हाल ही में ज्यादा बारिश हुई है, तथा आगे और बारिश होने की भविष्यवाणी है, जिससे खरीफ उड़द की फसल प्रभावित होने का डर है। अत: अच्छी क्वालिटी की उड़द में मिलों की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे इसके भाव में सुधार आ सकता है। हालांकि उड़द की कीमतों में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है, क्योंकि आगे खरीफ उड़द की दैनिक आवक तो बढ़ेगी ही, साथ ही आयातित माल भी ज्यादा मात्रा में आयेंगे। सरकारी हस्तक्षेप के डर से व्यापारी उड़द में बड़ा जोखिम भी नहीं लेना चाहते।

वैसे भी केंद्र सरकार ने अरहर और उड़द के आयात की अंतिम तिथि 31 जनवरी 2022 तक बढ़ा दी है। आयातित दालों की बिलिंग तिथि 31 दिसंबर 2021 तक ही होनी चाहिए तथा आयात की अनुमति 31 जनवरी, 2022 तक रहेगी।

स्थानीय मिलों की हाजिर मांग सीमित होने के कारण मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव क्रमश: 5,150 रुपये और 5,600 से 5,900 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान में नए काबुली की आवक हो रही है, लेकिन काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं। तंजानिया के चना के भाव मुंबई में मिलों की खरीद सीमित होने से 5,150-5,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। आगे के व्यापार में, तंजानिया चना के भाव सितंबर, अक्टूबर शिपमेंट के लिए 5,450 रुपये और अक्टूबर, नवंबर शिपमेंट के लिए 5,550 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।


कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा, हजीरा, कांडला और मुंबई बंदरगाह के साथ ही आस्टेलियाई मसूर के भाव मुंबई में स्थिर बने रहे। व्यापारी मसूर में जरुरत के हिसाब से खरीद कर रहे हैं। हालांकि, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिससे विश्व बाजार में मसूर के दाम तेज बने हुए है। इसलिए घरेलू बाजार में भी ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है।

दाल मिलों की हाजिर मांग सीमित बनी रहने के कारण मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी की कीमतें क्रमश: 6,500 रुपये और 6,400 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रह। इसी तरह से मोजाम्बिक अरहर के साथ ही अरुषा की अरहर की कीमतें क्रमश: 6,250 रुपये और 6,250 से 6,350 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई। सूडान की अरहर के भाव भी 6,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

 

15 सितंबर 2021

दिल्ली में महाराष्ट्र से नई राजमा की आवक शुरू, आयातित अरहर और उड़द तेज

नई दिल्ली। महाराष्ट्र की पुणे एवं सतारा लाईन के नए राजमा की आवक दिल्ली में हुई तथा इनका व्यापार क्रमश: 13,200 रुपये और 15,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ। मद्रास की चित्रा और अनक्लीनड और सोरटैक्स का बकाया स्टॉक दिल्ली में नहीं है, जबकि मद्रास की अनक्लीनड शर्मिली छोटी का भाव 10,500 रुपये और क्लीनड का 12,800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बना रहा।

घटे भाव में दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में बर्मा की उड़द और अरहर के साथ ही मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। व्योपारियों के अनुसार त्यौहारी सीजन शुरू होने से पहले दालों की थोक एवं खुदरा मांग में बढ़ोतरी दर्ज की गई, तथा खपत का सीजन होने के कारण आगे दालों की मांग और बढ़ने का अनुमान है।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर पुरानी और नई के भाव में 75—100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,700 से 6,725 रुपये और 6,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई से मिलें मजबूत संकेत से दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम 75—75 रुपये तेज होकर भाव क्रमश: 8,200 रुपये और 8,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इसी तरह उड़द एफएक्यू के भाव में भी 50 रुपये की तेजी आकर भाव 7,150 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। कई राज्यों में ज्यादा बारिश हुई है, जिससे खरीफ उड़द की फसल की क्वालिटी प्रभावित होने का डर है। इससे नए मालों में नमी ज्यादा आ रही है अत: अच्छी क्वालिटी की उड़द में मिलों की मांग बढ़ने की उम्मीद है, जिससे इसके भाव आगे बढ़ सकते हैं। मध्य प्रदेश के दमोह, सागर, विदिशा, गंजबसौदा, टीकमगढ़, छत्तरपुर और अशोकनगर मंडियों में नई उड़द की आवक चालू हो गई थी, लेकिन बारिश के कारण आवक तो प्रभावित होगी ही, साथ ही क्वालिटी भी डेमेज होने का डर है।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 25 रुपये की तेजी आकर भाव 7,925 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालां​कि विदेश से आवक बनी रहने के कारण कनाडा की मसूर के दाम 7,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। उधर कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में भाव तेज हैं। इसलिए घरेलू बाजार में भी कीमतों में और भी सुधार आने की उम्मीद है।

अगस्त में खाद्य तेलों का आयात 23 फीसदी घटा - एसईए

नई दिल्ली। अगस्त में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 23 फीसदी की गिरावट आकर कुल आयात 1,053,810 टन का ही हुआ है, जबकि पिछले साल अगस्त में इनका आयात 1,370,457 टन का हुआ था।

साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अगस्त में खाद्य तेलों का आयात 1,016,370 टन का हुआ, जबकि अखाद्य तेलों का आयात इस दौरान 37,440 टन का हुआ। पिछले साल अगस्त में खाद्य तेलों का आयात 1,308,405 टन का हुआ था, जबकि अखाद्य तेलों का आयात 62,052 टन का हुआ था।

एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष 2020-21 के पहले दस महीनों नवंबर-20 से अगस्त-21 के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 4 फीसदी घटकर 10,708,446 टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 11,195,890 टन का हुआ था। अगस्त में आयात तेलों में खाद्य तेलों की हिस्सेदारी 10,386,517 टन की रही, जबकि इस दौरान 321,929 अखाद्य तेलों का आयात हुआ। पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में जहां खाद्य तेलों का आयात 10,906,259 टन का हुआ था, वहीं अखाद्य तेलों का आयात इस दौरान 289,631 का हुआ था।

केंद्र सरकार ने 10 सितंबर, 2021, को सीपीओ, आरबीडी पामोलिन, आरबीडी पाम ऑयल, क्रूड और रिफाइंड सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के आयात पर शुल्क को 5.5 फीसदी कर दिया था, लेकिन मलेशिया में पॉम तेल के दाम तेज होने के कारण घरेलू बाजार में इनकी कीमतों में मंदा नहीं आया।

भारतीय बंदरगार पर आरबीडी पॉमोलीन का भाव अगस्त में बढ़कर औसतन 1,196 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि ​जुलाई में इसका भाव 1,190 डॉलर प्रति टन था। हालांकि इस दौरान क्रुड पॉम तेल का भाव जुलाई के 1,230 डॉलर से घटकर 1,217 डॉलर प्रति टन रह गया। क्रुड सोयाबीन तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर अगस्त में घटकर 1,362 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि जुलाई में इसका औसत भाव 1,374 डॉलर प्रति टन था।

14 सितंबर 2021

अमेरिका में चने का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 29 फीसदी घटने का अनुमान

नई दिल्ली। यूएसडीए द्वारा जारी उत्पादन अनुमान के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में चने का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 29 कम होकर 137,600 टन ही होने का अनुमान है।

केंद्र सरकार ने अरहर और उड़द के मुक्त आयात की अवधि जनवरी 22 तक बढ़ाई

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने अरहर और उड़द के मुक्त आयात की अविध को दो महीने के लिए बढ़ा दिया है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार अरहर और उड़द का मुक्त आयात 31 जनवरी 2022 तक किया जा सकेगा, तथा बिलिंग की तिथि 31 दिसंबर 2021 या उससे पहले की होनी चाहिए।

मालूम हो कि इससे पहले केंद्र सरकार ने आयातित दालों की सभी खेपों को 30 नवंबर 2021 को या उससे पहले, भारतीय बंदरगाह पर पहुंचने के साथ ही आयात के मालों की बिलिंग तिथि 31 अक्टूबर 2021 या उससे पहले की होनी की अनुमति दी हुई थी।

आईपीजीए ने दालों के आयात की अवधि बढ़ाने फैसले का स्वागत किया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा अरहर और उड़द के आयात की समय सीमा बढ़ाने का इंडिया पल्स एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) ने स्वागत किया है। केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार अरहर और उड़द का मुक्त आयात 31 जनवरी 2022 तक किया जा सकेगा, तथा बिलिंग की तिथि 31 दिसंबर 2021 या उससे पहले की होनी चाहिए।

आईपीजीए के वाइस चेयरमैन बिमल कोठारी ने कहा कि आईपीजीए 31 दिसंबर, 2021 तक ओजीएल के तहत अरहर, उड़द और मूंग के आयात की समय सीमा बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करता है। चालू मानसूनी सीजन के पहले तीन महीनों जून से जुलाई के दौरान कई राज्यों में बारिश सामान्य की तुलना में कम हुई थी, जबकि सितंबर में बारिश ज्यादा हो रही है जिससे अरहर, उड़द और मूंग की फसल प्रभावित होने से इनके उत्पादन अनुमान में भारी कमी आने की आशंका है। भारत सरकार ने इस पर शीघ्र संज्ञान लेते हुए आयात की अवधि को बढ़ाकर एक सक्रिय कदम उठाया है, जिससे त्यौहारी सीजन में इन दालों का आयात एवं घरेलू फसल आने से पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। इससे त्योहारी सीजन के दौरान दालों की कीमतों को स्थिर रखने में भी मदद मिलेगी।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार अरहर और उड़द का मुक्त आयात 31 जनवरी 2022 तक किया जा सकेगा, तथा बिलिंग की तिथि 31 दिसंबर 2021 या उससे पहले की होनी चाहिए। मालूम हो कि इससे पहले केंद्र सरकार ने आयातित दालों की सभी खेपों को 30 नवंबर 2021 को या उससे पहले, भारतीय बंदरगाह पर पहुंचने के साथ ही आयात के मालों की बिलिंग तिथि 31 अक्टूबर 2021 या उससे पहले की तय कर रखी थी।

पूर्वी अफ्रीका में अरहर की कटाई अगस्त अंत तक होती है और शिपमेंट सितंबर के महीने में शुरू होती है। साथ ही कंटेनरों की कमी के कारण आया​त माल आने में भी समय लग रहा है। ऐसे में आयात अविध बढ़ाने से आयातक समय पर माल ला सकेंगे।

13 सितंबर 2021

मिलों की कमजोर मांग से मुंबई में अरहर, उड़द और काबुली चना मंदा, मुंद्रा में मसूर तेज

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण सोमवार को मुंबई में अरहर, उड़द के साथ ही सूडान के काबुली चना की कीमतों में गिरावट आई, जबकि कनाडा की मसूर के भाव मंद्रा बंदरगाह पर तेज हो गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मुंबई में बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,450 रुपये और 6,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से मोजाम्बिक अरहर के साथ ही अरुषा की अरहर की कीमतें 25 से 50 रुपये घटकर क्रमश: 6,300-6,400 रुपये और 6,275 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। सूडान की अरहर के भाव भी 50 घटकर 6,750 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने के कारण मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमशः 7,100 रुपये और 7,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। व्यापारियों के अनुसार खरीफ की नई फसल की आवक के साथ ही आयात बढ़ने की संभावना से भाव में नरमी दर्ज की गई। हालांकि, मध्य प्रदेश के साथ ही कई अन्य राज्यों में बारिश ज्यादा हुई, जिससे खरीफ उड़द की फसल प्रभावित होने का डर है। अत: अच्छी क्वालिटी की उड़द की कीमतों में ज्यादा मंदा आने की उम्मीद नहीं है।

स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण मुंबई में सूडान के काबुली चना के भाव में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,550 से 5,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। रुस के काबुली चना के भाव इस दौरान 5,100 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। सूडान में नए काबुली की आवक हो रही है, लेकिन काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

तंजानिया के चना के भाव मुंबई में 5,100 से 5,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। आगे के व्यापार में, तंजानिया चना के भाव सितंबर, अक्टूबर शिपमेंट के लिए 5,400 रुपये और अक्टूबर, नवंबर शिपमेंट के लिए 5,450 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा बंदरगाह पर 25 रुपये बढ़कर 7,400 से 7,475 रुपये प्रति क्विंटल हो गई, नीचे दाम पर हाजिर मिलों की मांग बढ़ने से भाव में सुधार आया है। व्यापारियों के विश्व बाजार में उत्पादन अनुमान कम होने से मसूर की कीमतों में आगे और सुधार आने की उम्मीद है। हजिरा बंदगाह पर कनाडा के मसूर के भाव 7,450 से 7,527 रुपये और मुंबई में आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव 7,650 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

चालू खरीफ में खाद्यान्न उत्पादन 15 करोड़ टन से अधिक होने का अनुमान

नई दिल्ली। देश में अच्छी होने के कारण चालू खरीफ सीजन 2021-22 (जुलाई-जून) में खाद्यान्न उत्पादन 15 करोड़ टन से अधिक से अधिक होने का अनुमान है।

दक्षिण पश्चिम मानसून के आगमन के साथ जून में खरीफ की प्रमुख फसल धान के साथ ही अन्य खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो जाती है। यह इस माह के अंत तक समाप्त हो जाएगी। वहीं, देश के कुछ राज्यों में खरीफ फसलों की कटाई आरंभ हो गई है तथा अक्टूबर में कटाई में तेजी आयेगी।

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस साल अभी तक अच्छी बारिश हुई है। चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार, पिछले साल कुल खरीफ में खाद्यान्न उत्पादन 14 करोड़ 95 लाख 60 हजार टन हुआ था। चूंकि इस साल दलहन और धान के रकबे में बढ़ोतरी होने की संभावना है, इसलिए खाद्यान्न उत्पादन निश्चित रूप से पिछले खरीफ सीजन की तुलना में अधिक होने का अनुमान है।

कृषि मंत्रालय चालू खरीफ में खाद्यान्न उत्पादन 15 करोड़ टन से अधिक होने की उम्मीद कर रहा है, जो खरीफ सीजन 2020-21 के 14 करोड़ 95 लाख टन से अधिक है। सूत्रों के अनुसार चालू खरीफ सीजन के लिए खाद्यान्न उत्पादन का पहला अनुमान 15 सितंबर के आसपास जारी किया जाएगा।

पिछले साल के मुकाबले अब तक की बुवाई का रकबा 10 लाख हेक्टेयर कम होने के बावजूद खरीफ खाद्यान्न उत्पादन अधिक होने का अनुमान है, क्योंकि मंत्रालय को सितंबर अंत तक बुवाई के रकबे का अंतर कम होने की उम्मीद है।

चालू खरीफ में 10 सितंबर तक खरीफ फसलों का कुल बुआई रकबा 1,096.70 लाख हेक्टेयर तक हो गया है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में 1,106.57 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। धान और दलहन के खेती के रकबे में मामूली वृद्धि हुई है, जबकि मोटे अनाज, कपास और मूंगफली जैसी फसलों के क्षेत्र में गिरावट आई है।

हालांकि, बुवाई के रकबे में अंतर कम हो रहा है क्योंकि कुछ हिस्सों में बुवाई इस महीने के अंत तक खत्म हो जाएगी।

केंद्र सरकार ने राज्यों को खरीफ फसलों की खरीद के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा है क्योंकि कुछ राज्यों में इन फसलों की आवक शुरू हो गई है। कर्नाटक में दलहन की फसल की आवक शुरू हो गई है और राज्य सरकार को लगभग 40,000 टन की खरीद की अनुमति दे दी गई है।

08 सितंबर 2021

हरियाणा में धान की सरकारी खरीद 25 सितंबर से शुरू होगी

नई दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम, एफसीआई हरियाणा के अनुसार राजय में धान की खरीद 25 सितंबर से शुरू होकर 15 नवंबर तक चलेगी। धान खरीद के लिए करीब 200 खरीद केन्द्र बनाए गए हैं।

केंद्र सरकार ने धान खरीद के लिए खरीफ विपणन सीजन 2021-22 के लिए कामन धान का 1940 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड ए धान के लिए 1960 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित किया है।

दाल मिलों की मांग कमजोर होने से दिल्ली में अरहर और मसूर नरम, उड़द स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर के साथ ही मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 6,850 रुपये और 6,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। विदेशी आपूर्ति बनी रहने के साथ ही अरहर दाल में थोक के साथ ही खुदरा में ग्राहकी कमजोर बनी रही। हालांकि स्टॉकिस्ट घटे भाव में बिकवाली नहीं कर रहे हैं।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,750 रुपये और 7,950 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में भाव तेज हैं। इसलिए घरेलू बाजार में भी कीमतों में आगे सुधार बनने की उम्मीद है।

उधर नेफेड ने निजी आयातकों से 15,000 टन आयातित मसूर खरीदने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए है। आयातित मसूर की कीमतें 7,000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं होनी चाहिए। माना जा रहा है कि मौजूदा कीमतों पर नेफेड को निविदा मिलनी मुश्किल है।

दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम क्रमश: 8,300 रुपये और 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। उड़द दाल में ग्राहकी कमजोर है, साथ ही उत्पादक मंडियों में नई खरीफ फसल की आवक बढ़ने के साथ ही विदेशों से आयात माल भी बराबर आ रहे हैं।

केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 40 रुपये बढ़ाकर 2015 रुपये प्रति क्विंटल तय किया

नई दिल्ली। केंद्र सरकार गेहूं के बजाए सरसों और मसूर के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर देना चाहती है, इसलिए केंद्र सरकार ने आगामी रबी विपणन सीजन 2022-23 के लिए जहां गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी में सिर्फ 40 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है, वहीं सरसों और मसूर के एमएसपी में क्रमश: 400-400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में केंद्र सरकार ने गेहूं के एमएसपी में 40 रुपये की बढ़ोतरी कर रबी विपणन सीजन 2022-23 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। इसी तरह से जौ का एमएसपी 35 रुपये बढ़ाकर 1,635 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। रबी विपणन सीजन 2021-22 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,975 रुपये और जौ का 1,600 रुपये प्रति क्विंटल था।

मसूर के एमएसपी में 400 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,500 रुपये प्रति किवंटल तय किया है, जबकि चना के एमएसपी में 130 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,230 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। रबी विपणन सीजन 2021-22 के लिए मसूर का एमएसपी 5,100 रुपये और चना का भी 5,100 रुपये प्रति क्विंटल था।

सरसों के एमएसपी में केंद्र सरकार ने 400 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,050 रुपये और सनफ्लवर के एमएसपी में 114 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,441 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। सरसों का एमएसपी रबी विपणन सीजन 2021-22 के लिए 4,650 रुपये और सनफ्लावर का 5,327 रुपये प्रति क्विंटल था।

07 सितंबर 2021

मिलों की मांग घटने से मुंबई में अरहर, मसूर, चना और काबुली चना नरम, उड़द स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़े भाव में कमजोर होने के कारण मंगलवार को मुंबई में आयातित अरहर, मसूर, चना और काबुली चना की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि उड़द के दाम स्थिर बने रहे।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से मुंबई में अरुषा अरहर की कीमतों में 50 रुपये की गिरावट आकर भाव 6,500-6,525 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह से मोजाम्बिक और सूडान की अरहर के भाव भी 50-50 रुपये घटकर भाव क्रमश: 6,400-6,425 रुपये और 6,825 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। दूसरी ओर, बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी की कीमतें  क्रमश: 6,600 रुपये और 6,500 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

तंजानिया लाईन की अरुषा अरहर के सितंबर की शिपमेंट के भाव 6,450 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। मटवारा अरहर सितंबर की शिपमेंट के भाव 6,250-6,275 रुपये प्रति क्विंटल रहे। मोज़ाम्बिक और मलावी की लाल अरहर बोल्ड क्वालिटी के भाव सितंबर शिपमेंट, या अक्टूबर डिलीवरी के भाव 5,575 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।

केंद्र सरकार ने सोमवार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए म्यांमार से 1 लाख टन अरहर और मलावी से 50,000 टन अरहर के आयात की अधिसूचना जारी कर दी है।

बढ़े भाव में दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा की मसूर के भाव मुंबई, मुंद्रा, कांडला और हजीरा बंदरगाह के साथ ही आस्ट्रेलियाई मसूर के भाव मुंबई में 25-100 रुपये प्रति क्विंटल नरम हो गए।

केंद्र सरकार ने रुस से छह महीने की अवधि के लिए मसूर के आयात की अनुमति दी है।

कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन अनुमान घटने की आशंका के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में मसूर के दाम तेज बने हुए हैं।

कनाडा में मसूर का उत्पादन वर्ष 2021 के लिए 31 फीसदी और पांच साल के औसत उत्पादन से 25 फीसदी कम होने का अनुमान है।

ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसोर्स इकोनॉमिक्स एंड साइंसेज, की फसल रिपोर्ट सितंबर 2021 के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में मसूर का उत्पादन वर्ष 2021-22 के दौरान 0.79 फीसदी बढ़कर 6.39 लाख टन होने का अनुमान है।

सूत्रों के अनुसार रुस में फसल सीजन 2021-22 में मसूर का उत्पादन 1.25 लाख टन होने का अनुमान है, इसके दाने छोटे होते हैं, साथ क्वालिटी भी हल्की होती है। जानकारों के अनुसार रुस से आयात में छूट दिए जाने से बाजार ज्यादा प्रभावित नहीं होगा।

स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण मुंबई में सूडान और रुस के काबुली चना के भाव 50-50 रुपये घटकर क्रमश: 5,650-6,050 रुपये और 5,250 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उधर सूडान में नए काबुली की आवक हो रही है, लेकिन काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

इसी तरह तंजानिया चना के भाव में मुंबई में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,225 से 5,425 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

नेफेड के साथ ही एफसीआई लगातार केंद्रीय पूल से चना की बिकवाली कर रही है।

आगे के व्यापार में, तंजानिया चना की कीमत सितंबर शिपमेंट के लिए भाव 5,475-5,500 रुपये और अक्टूबर शिपमेंट के लिए 5,600 रुपये प्रति क्विंटल रही।

बढ़े भाव में सीमित मांग के कारण मुंबई में बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतें क्रमशः 7,175 रुपये और 7,075 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही।

05 सितंबर 2021

उड़द की कीमतों में सुधार, तेजी-मंदी सितंबर की मानसूनी बारिश पर निर्भर

नई दिल्ली। उड़द की कीमतों में चालू सप्ताह में 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज की गई, तथा दिल्ली में एफएक्यू उड़द के भाव बढ़कर 7,300 से 7,325 रुपये और एसक्यू के भाव 8,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

उत्पादक राज्यों में खरीफ उड़द की कटाई शुरू हो चुकी है, लेकिन कई राज्यों में आगामी दिनों में मौसम विभाग ने तेज बारिश होने की भविष्यवाणी जारी की है। ऐसे में उड़द की तेजी, मंदी काफी हद तक सितंबर महीने में होने वाली मानसूनी बारिश पर निर्भर करेगी।

मौसम विभाग, के अनुसार अगले सप्ताह में महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में तेजी बारिश होने की संभावना है, अत: ज्यादा बारिश हुई तो नई फसल की कटाई प्रभावित होगी, साथ ही क्वालिटी पर भी असर पड़ने का डर है। पिछले दिनों महाराष्ट्र में तेज बारिश से उड़द की फसल की कटाई प्रभावित हुई थी। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों में मौसम साफ रहा तो फिर अगले दस से पंद्रह दिनों में नई उड़द की आवक बढ़ जायेगी, जिससे मौजूदा कीमतों में मंदा आने का अनुमान है।

आगामी दिनों में बर्मा से उड़द का आयात बढ़ेगी, क्योंकि आयातित सौदे अच्छी मात्रा में हो चुके हैं, साथ ही आयातित उड़द के दाम भी चालू सप्ताह में तेज हुए हैं।  

चालू खरीफ में उड़द की बुआई 37.93 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल के 37.84 लाख हेक्टेयर से थोड़ा ज्यादा ही है।  

03 सितंबर 2021

खरीफ फसलों की बुआई 1081 लाख हेक्टेयर के पार, एक फीसदी से ज्यादा पिछड़ी

नई दिल्ली। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2 सितंबर 2021 तक खरीफ फसलों की बुआई 1.14 फीसदी पिछड़कर केवल 1081.50 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 1094.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

कपास की बुआई चालू खरीफ में घटकर 118.13 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इसकी बुआई 126.45 लाख हेक्टयेर में हो चुकी थी।

धान की रोपाई चालू खरीफ में बढ़कर 401.15 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 400.54 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

दलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 136.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई केवल 135.26 लाख हेक्टेयर ही हुई थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 49.49 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई 47.45 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य दालों में उड़द की बुआई 37.94 और मूंग की 37.94 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 37.85 और 34.92 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों की बुआई भी बढ़कर चालू खरीफ में 14.82 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 14.49 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

मोटे अनाजों की बुआई चालू खरीफ में घटकर 172.72 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई 176.72 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुआई चालू खरीफ में 63.32 लाख हेक्टेयर में, ज्वार की 14.75 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले खरीफ की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 68.61 और 14.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। मक्का की बुआई चालू खरीफ में 80.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 79.42 लाख हेक्टेयर से बढ़ी है।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू खरीफ में 190.94 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि के 194.14 लाख हेक्टेयर के मुकाबले कम है। तिलहनी फसलों में सोयाबीन की बुआई 121.59 लाख हेक्टेयर में और मूंगफली की 48.50 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 120.61 और 50.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य तिलहन में शीसम सीड की बुआई 12.95 लाख हेक्टेयर में और केस्टर की 5.62 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले खरीफ सीजन की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 13.61 और 6.49 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

गन्ने की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 54.70 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले खरीफ में इसकी बुआई केवल 53.96 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी।

मुंबई में कनाडा की मसूर के साथ ही चना एवं काबुली तेज, अरहर और उड़द स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने  के कारण शुक्रवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित मसूर के साथ ही चना और काबुली चना के दाम तेज रहे जबकि अरहर के साथ उड़द के दाम स्थिर बने रहे।


दालों में त्यौहारी सीजन के कारण थोक के साथ ही खुदरा में मांग अच्छी बनी रह सकती है।

नीचे भाव में दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा, कांडला और हजीरा बंदरगाह पर 25-50 रुपये प्रति क्विंटल तेज हो गए। कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन अनुमान घटने की आशंका के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में मसूर के दाम तेज बने हुए हैं। कनाडा में मसूर का उत्पादन वर्ष 2021 के लिए 31 फीसदी और पांच साल के औसत उत्पादन से 25 फीसदी कम होने का अनुमान है। नेफेड ने निजी आयातकों से 10,000 टन आयातित मसूर की आपूर्ति के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए है। आपूर्ति के लिए आयातित मसूर की कीमतें 6,500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं होनी चाहिए। बोलियां 3 सितंबर, 2021 को खोली जाएंगी तथा मसूर की डिलीवरी 15 सितंबर, 2021 तक पूरी हो जानी चाहिए।

स्थानीय मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव 50-100 रुपये तेज होकर क्रमश: 5,250 रुपये और 5,650 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। उधर सूडान में नए काबुली की आवक हो रही है, लेकिन काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

इसी तरह तंजानिया चना के भाव में मुंबई में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 5,200 से 5,400 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हालांकि नेफेड के साथ ही एफसीआई लगातार केंद्रीय पूल से चना की बिकवाली कर रही है। आगे के व्यापार में, तंजानिया चना की कीमत सितंबर-अक्टूबर शिपमेंट की 5,625 रुपये प्रति क्विंटल रही।

घरेलू दाल मिलों की सीमित मांग से बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतें क्रमशः 7,100 रुपये और 7,000 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। कई राज्यों में खरीफ उड़द की कटाई चल रही है, जबकि हाल ही में हो रही बारिश से फसल प्रभावित होने का डर है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बुवाई के शुरुआती दौर में ही कम बारिश के कारण उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा है।

बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी की कीमत क्रमश: 6,550 रुपये और 6,450 रुपये पर स्थिर बनी रही। अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाईन की अरहर के भाव भी क्रमश: 6,450 रुपये और 6,350 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह सूडान की अरहर के भाव भी 6,750 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

दिल्ली में मिलों की मांग बढ़ने से अरहर और मसूर तेज, उड़द के भाव स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण शुक्रवार को दिल्ली के नया बाजार में अरहर के साथ ही मसूर की कीमतों में तेजी दर्ज की गई जबकि उड़द के दाम स्थिर हो गए।  

हालांकि दालों में खुदरा के साथ ही थोक मांग कमजोर बनी हुई है, लेकिन आगे त्यौहारी सीजन के कारण दालों की मांग में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव में 100-100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 6,950 रुपये और 6,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। विदेशी आपूर्ति बनी रहने के बावजूद भी नीचे दाम पर मिलों की हाजिर मांग अच्छी देखी गई।

दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने से दिल्ली में कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 100-100 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमश: 7,700 रुपये और 7,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में मसूर का उत्पादन कम होने का अनुमान है, जिस कारण विश्व बाजार में भाव तेज हैं। इसलिए घरेलू बाजार में कीमतों में सुधार आया है। कनाडा में मसूर का उत्पादन वर्ष 2021 के दौरान 31 फीसदी और पांच साल के औसत उत्पादन से 25 फीसदी कम होने का अनुमान है। नेफेड ने निजी आयातकों से 10,000 टन आयातित मसूर खरीदने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए है। आपूर्ति के लिए आयातित मसूर की कीमत 6,500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं होनी चाहिए। बोलियां 3 सितंबर, 2021 को खोली जाएंगी तथा मसूर की डिलीवरी 15 सितंबर, 2021 तक पूरी हो जानी चाहिए।
 
दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम क्रमश: 8,150 से 8,150 रुपये और 8,200 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। इसी तरह से उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 7,150 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रहे।

खरीफ उड़द की कई राज्यों में कटाई चल रही है, जबकि इस समय हो रही बारिश से फसल को नुकसान की आशंका है। उधर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उड़द की बुवाई के शुरुआती दौर में कम बारिश के कारण उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा है।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर सितंबर डिलीवरी वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 128 रुपये की तेजी आई। अक्टूबर महीने के वायदा अनुबंध में इसके भाव 57 रुपये प्रति क्विंटल तेज हुए।

02 सितंबर 2021

मुंबई में मिलों की कमजोर मांग से आयातित मसूर मंदी, उड़द के भाव तेज

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर बनी रहने के कारण गुरूवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित मसूर की कीमतों में गिरावट जारी रही, जबकि उड़द की कीमतों में तेजी आई जबकि विदेश में दाम तेज होने से उड़द के भाव बढ़ गए।

विदेशी बाजार में दाम तेज होने से घरेलू दाल मिलों की मांग उड़द में बढ़ गई, जिससे बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी की कीमतों में 150-150 रुपये की तेजी आकर भाव क्रमशः 7,100 रुपये और 7,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। कई राज्यों में खरीफ उड़द की कटाई चल रही है, जबकि हाल ही में हो रही बारिश से फसल प्रभावित होने का डर है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बुवाई के शुरुआती दौर में ही कम बारिश के कारण उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा है।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा, हजीरा, कांडला और मुंबई बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के दाम मुंबई में 25-50 रुपये प्रति क्विंटल नरम हो गए। आयातित मसूर को देखते हुए मिलों की हाजिर मांग कमजोर रही। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने मसूर के आयात शुल्क में कटौती कर दी थी। हालांकि कनाडा में मसूर का उत्पादन वर्ष 2021 के लिए 31 फीसदी और पांच साल के औसत उत्पादन से 25 फीसदी कम होने का अनुमान है। नेफेड ने निजी आयातकों से 10,000 टन आयातित मसूर की आपूर्ति के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए है। आपूर्ति के लिए आयातित मसूर की कीमतें 6,500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं होनी चाहिए। बोलियां 3 सितंबर, 2021 को खोली जाएंगी तथा मसूर की डिलीवरी 15 सितंबर, 2021 तक पूरी हो जानी चाहिए।

आगे के व्यापार में, तंजानिया चना की कीमत सितंबर-अक्टूबर शिपमेंट की 5,300 रुपये प्रति क्विंटल रही।

मोजाम्बिक लाईन के मूंग के भाव वैसल के लिए 6,600 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

स्थानीय मिलों की हाजिर मांग सीमित होने से मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव क्रमश: 5,150 रुपये और 5,550 से 5,850 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं।

इसी तरह तंजानिया चना के भाव में मुंबई 5,100 से 5,300 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी की कीमत क्रमश: 6,550 रुपये और 6,450 रुपये पर स्थिर बनी रही। अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाईन की अरहर की कीमतों में मुंबई में क्रमश: 6,450 रुपये और 6,350 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इसी तरह सूडान की अरहर के भाव भी 6,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

भारतीय आयातकों की मांग से बर्मा में उड़द के भाव लगातार तेज, अरहर में भी सुधार

नई दिल्ली। भारतीय आयातकों की मांग बढ़ने से गुरूवार को बर्मा के दाल बाजार में लगातार दूसरे दिन उड़द एफएक्यू के साथ ही एसक्यू की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।

उड़द एफएक्यू और एसक्यू के कुल 70-80 कंटेनरों का भारतीय आयातकों ने कारोबार किया। भारत के लिए उड़द एफएक्यू और एसक्यू 2021 फसल का कारोबार क्रमशः 810 डॉलर प्रति टन और 950 डॉलर प्रति टन, एफओबी के आधार पर किया।

उड़द की कीमतों में आई तेजी, से बर्मा में अरहर लेमन और लिंकी की कीमतों में सुधार आया। हालांकि भारतीय आयातक अरहर की खरीद नहीं कर रहे, उधर बर्मा के स्टॉकिस्ट भी अरहर का स्टॉक बेचना नहीं चाहते।

बर्मा में 15 दिनों के लिए लॉकडाउन को बढ़ाया हुआ है, जबकि पहले 22 अगस्त तक लॉकडाउन लगा हुआ था। बैंकिंग लेनदेन शुरू हो गया है, तथा बंदरगाह पर लोडिंग आदि का नियमित संचालन हो रहा है।

दाल मिलों की मांग बढ़ने से दिल्ली में उड़द तेज, अन्य दालों की कीमतें रुकी

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग बढ़ने के कारण गुरूवार को दिल्ली के नया बाजार में उड़द की कीमतों में तेजी दर्ज की गई जबकि अन्य दालों के दाम स्थिर बने रहे।

दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम 150-175 रुपये तेज होकर भाव क्रमश: 8,150 से 8,175 रुपये और 8,200 से 8,225 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दूसरी और उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 150 रुपये तेज होकर 7,175 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।

चेन्नई और मुंबई में उड़द के दाम बढ़ने के साथ ही खरीफ उड़द की फसल को कई राज्यों में बेमौसम बारिश से नुकसान होने की आशंका के कारण दाम तेज हुए। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में उड़द की बुवाई के शुरुआती दौर में कम बारिश के कारण उड़द की फसल को नुकसान पहुंचा है।

दाल मिलों की सीमित मांग से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर के भाव क्रमश: 7,600 रुपये और 7,800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

हालांकि कनाडा में मसूर का उत्पादन वर्ष 2021 के दौरान 1979 हजार टन ही होने का अनुमान है जो पिछले साल के 2868 हजार टन से 31 फीसदी और पांच साल के औसत उत्पादन से 25 फीसदी कम होगा। यह नौ साल में सबसे कम उत्पादन होगा।

नेफेड ने निजी आयातकों से 10,000 टन आयातित मसूर खरीदने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए है। आपूर्ति के लिए आयातित मसूर की कीमत 6,500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं होनी चाहिए। बोलियां 3 सितंबर, 2021 को खोली जाएंगी तथा मसूर की डिलीवरी 15 सितंबर, 2021 तक पूरी हो जानी चाहिए।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव क्रमश: 6,825 से 6,850 रुपये और 6,700 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।

01 सितंबर 2021

भारतीय आयातकों की मांग से बर्मा में उड़द एफएक्यू और एसक्यू तेज


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    नई दिल्ली। भारतीय आयातकों की मांग बढ़ने से बुधवार को बर्मा के दाल बाजार में उड़द एफएक्यू के साथ ही एसक्यू की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।

    उड़द एफएक्यू और एसक्यू के कुल 100 कंटेनरों का भारतीय आयातकों ने कारोबार किया। भारत के लिए उड़द एफएक्यू और एसक्यू 2021 फसल का कारोबार क्रमशः 770-780 डॉलर प्रति टन और 900 डॉलर प्रति टन, एफओबी के आधार पर किया।

    इस बीच, भारतीय आयातक अरहर की खरीद नहीं कर रहे, हालांकि बर्मा के स्टॉकिस्ट भी अरहर का स्टॉक बेचना नहीं चाहते।

मुंबई में आयातित मसूर, चना और काबुली नरम, अरहर और उड़द स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण बुधवार को मुंबई में शुरूआती कारोबार में आयातित मसूर के साथ ही चना और काबुली चना की कीमतों में नरमी दर्ज की गई जबकि अरहर के साथ ही उड़द के दाम स्थिर बने रहे।

इसके अलावा, सरकारी नीतियों और हस्तक्षेप के डर के कारण व्यापारी जरुरत के हिसाब से ही व्यापार कर रहे हैं।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण कनाडा की मसूर के भाव मुंद्रा, हजीरा, कांडला और मुंबई बंदरगाह पर तथा आस्ट्रेलियाई मसूर के दाम मुंबई में 50-75 रुपये प्रति क्विंटल नरम हो गए। मसूर में मिलों की हाजिर मांग कमजोर रही। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने मसूर के आयात शुल्क में कटौती कर दी थी। हालांकि कनाडा में मसूर का उत्पादन वर्ष 2021 के लिए 1979 हजार टन ही होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 2868 हजार टन से 31 फीसदी और पांच साल के औसत उत्पादन से 25 फीसदी कम है। यह नौ साल में सबसे कम उत्पादन होगा। नेफेड ने निजी आयातकों से 10,000 टन आयातित मसूर की आपूर्ति के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए है। आपूर्ति के लिए आयातित मसूर की कीमतें 6,500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं होनी चाहिए। बोलियां 3 सितंबर, 2021 को खोली जाएंगी तथा मसूर की डिलीवरी 15 सितंबर, 2021 तक पूरी हो जानी चाहिए।

स्थानीय मिलों की हाजिर मांग कमजोर से मुंबई में रुस और सूडान के काबुली चना के भाव 50—50 रुपये घटकर क्रमश: 5,150 रुपये और 5,550 से 5,850 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि काबुली चना पर 40 फीसदी आयात शुल्क होने के कारण आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं। इसी तरह तंजानिया चना के भाव में मुंबई में 75 रुपये की गिरावट आकर भाव 5,100 से 5,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।

तंजानिया लाईन की अरुषा अरहर के दाम सितंबर शिपमेंट के लिए 6,400 रुपये प्रति क्विंटल और मोजाम्बिक लाईन की गजरी किस्म की अरहर के भाव 6,250 रुपये प्रति क्विंटल हैं।

मोजाम्बिक लाईन के मूंग के भाव जूपिटल वैसल के लिए 6,600 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।

बर्मा की लेमन अरहर नई के साथ ही पुरानी की कीमत क्रमश: 6,550 रुपये और 6,450 रुपये पर स्थिर बनी रही। अरुषा अरहर के साथ ही मोजाम्बिक लाईन की अरहर की कीमतें मुंबई में क्रमश: 6,450 रुपये और 6,350रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बनी रही। इसी तरह सूडान की अरहर के भाव भी 6,750 रुपये प्रति क्विंटल पर टिके रहे।

दाल मिलों की सीमित मांग के कारण बर्मा उड़द एफएक्यू नई और पुरानी के भाव क्रमशः 6,900 रुपये और 6,800 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। कर्नाटक और महाराष्ट्र में नई उड़द की आवक शुरू हो गई है, हालांकि महाराष्ट्र में बारिश से उड़द की आवक प्रभावित होने का डर है।

मिलों की कमजोर मांग से दिल्ली में मसूर नरम, अरहर और उड़द के भाव स्थिर

नई दिल्ली। दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने के कारण बुधवार को दिल्ली के नया बाजार में मसूर की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई जबकि अरहर के साथ ही उड़द की कीमतें​ स्थिर बनी रही।

दाल मिलों की हाजिर मांग कमजोर होने से कनाडा और मध्य प्रदेश की मसूर की कीमतों में 50-50 रुपये की गिरावट आकर भाव क्रमश: 7,600 रुपये और 7,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हालांकि कनाडा में मसूर का उत्पादन वर्ष 2021 के दौरान 1979 हजार टन ही होने का अनुमान है जो पिछले साल के 2868 हजार टन से 31 फीसदी और पांच साल के औसत उत्पादन से 25 फीसदी कम होगा। यह नौ साल में सबसे कम उत्पादन होगा। नेफेड ने निजी आयातकों से 10,000 टन आयातित मसूर खरीदने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए है। आपूर्ति के लिए आयातित मसूर की कीमत 6,500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं होनी चाहिए। बोलियां 3 सितंबर, 2021 को खोली जाएंगी तथा मसूर की डिलीवरी 15 सितंबर, 2021 तक पूरी हो जानी चाहिए।

दिल्ली में बर्मा उड़द एसक्यू पुरानी और नई के दाम क्रमश: 8,000 रुपये और 8,025 से 8,050 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे। दूसरी और उड़द एफएक्यू नई के भाव भी 7,025 से 7,050 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। खरीफ उड़द की फसल की कटाई चल रही है तथा जिन राज्यों में कटाई चल रही है वहां बारिश होने से फसल को नुकसान होने का डर है।

दिल्ली में बर्मा की लेमन अरहर नई और पुरानी के भाव क्रमश: 6,850 से 6,875 रुपये और 6,725 से 6,750 रुपये प्रति क्विंटल स्थिर बने रहे। अरहर दाल में थोक के साथ ही खुदरा में ग्राहकी कमजोर है।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज, एनसीडीईएक्स पर सितंबर वायदा अनुबंध में चना की कीमतों में 154 रुपये की गिरावट आई और अक्टूबर वायदा अनुबंध में 113 रुपये प्रति क्विंटल का मंदा आया।