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21 अप्रैल 2018

खराब मौसम ने बढ़ाई किसानों की चिंता, उत्तर भारत में आॅंधी-बारिश की आशंका

गन्ना किसानों ​के रिकार्ड बकाया भुगतान के हल हेतु मंत्री समूह का गठन

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी मिलों पर किसानों के रिकार्ड बकाया भुगतान का हल निकालने के लिए केंद्र सरकार ने मंत्री समूह का गठन किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर चार मंत्रियों का समूह इस पर फैसला लेगा। सूत्रों के अनुसार मंत्री समूह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में होने वाली केबिनेट की बैठक में इस बारे में सलाह देगा, उसी के आधार पर फैसला लिया जायेगा। 
चालू पेराई सीजन में मध्य अप्रैल तक ही गन्ना किसानों के बकाया की राशि रिकार्ड 18,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुकी है तथा अभी भी 227 चीनी मिलों में पेराई चल रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि पेराई सीजन के अंत तक बकाया की राशि बढ़कर 20,000 करोड़ के पार पहुंच जायेगी।

नितिन गड़करी की अध्यक्षता में गठित मंत्री समूह की बैठक सोमावार को होना प्रस्तावित है तथा मंत्री समूह में शामिल अन्य मंत्रियों में रामविलास पासवान, राधा मोहन सिंह और धर्मेन्द्र प्रधान है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2017 से 15 अप्रैल तक चीनी का रिकार्ड उत्पादन 299.80 लाख टन का हो चुका है तथा उत्पादक राज्यों में अभी 227 चीनी मिलों में पेराई चल रही है। ऐसे में उद्योग को मानना है कि चीनी का उत्पादन बढ़कर 310 से 315 लाख टन हो जायेगा।
केंद्र सरकार चीनी मिलों को राहत देती है, तो घरेलू बाजार में चीनी के भाव में हल्का सुधार बन सकता है लेकिन ज्यादा तेजी की संभावना इसलिए नहीं है, क्योंकि घरेलू बाजार में चीनी का बंपर स्टॉक है तथा विश्व बाजार में भाव काफी नीचे है, जिस कारण निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। शुक्रवार को दिल्ली में चीनी का भाव 3,050 से 3,125 रुपये प्रति क्विंटल रहा।..............   आर एस राणा

19 अप्रैल 2018

चीनी का उत्पादन 300 लाख टन के करीब, मिलों पर किसानों का बकाया 18 हजार करोड़

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू गन्ना पेराई सीजन 2017-18 में पहली अक्टूबर 2017 से 15 अप्रैल 2018 तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 299.80 लाख टन का हो चुका है, जबकि चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि भी बढ़कर 18,000 करोड़ रुपये हो गई है। तय समय पर भुगतान नहीं मिलने से गन्ना किसानों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में 15 अप्रैल तक 104.98 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। राज्य में 187 चीनी मिलों में गन्ना की पेराई आरंभ हुई थी, जिनमें से 50 चीनी मिलों में अब भी पेराई चल रही है। उधर उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में चीनी का रिकार्ड 104.8 लाख टन का उत्पादन हो चुका है, तथा राज्य की 100 से ज्यादा चीनी मिलों में अभी भी पेराई चल रही है। कर्नाटका में चालू पेराई सीजन में 15 अप्रैल तक 36.3 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है, हालांकि इस समय राज्य में केवल एक ही चीनी मिल में पेराई चल रही है।
227 चीनी मिलों में चल रही है अभी भी पेराई
इस्मा के मुताबिक 15 अप्रैल तक चीनी का उत्पादन सालाना खपत से भी 50 लाख टन ज्यादा का हो चुका है जबकि प्रमुख उत्पादक राज्यों में 227 चीनी मिलों में पेराई अभी भी चल रही है, अत: चीनी के स्टॉक में आगे और बढ़ोतरी होगी।
उत्पादन लागत की तुलना में 8 रुपये किलो नीचे है एक्स फैक्ट्री भाव
इस्मा के अनुसार बंपर उत्पादन होने के कारण चीनी की कीमतों में लगातार गिरावट बनी हुई है तथा पिछले 4 से 5 महीने में ही इसके भाव में करीब 9 रुपये प्रति किलो की गिरावट आ चुकी है। चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर उत्पादन लागत की तुलना में करीब 8 रुपये प्रति किलो नीचे आ गए हैं जिस कारण चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि बढ़ रही है। चालू पेराई सीजन में अभी तक बकाया राशि बढ़कर 18,000 करोड़ रुपये हो चुकी है तथा माना जा रहा है कि चालू गन्ना पेराई सीजन के आखिर तक यह 20,000 करोड़ रुपये हो जायेगी।
विश्व बाजार में कीमतें कम
चीनी कारोबारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि विश्व बाजार में चीनी के भाव नीचे बने हुए हैं, इसलिए हमारे यहां से निर्यात नहीं हो रहा है। केंद्र सरकार ने 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी हुई है, लेकिन निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि चीनी मिलों के पास चीनी का बंपर स्टॉक जमा है जबकि ग्राहकी काफी कमजोर है इसीलिए भाव में तेजी नहीं आ पा रही है। .....  आर एस राणा

गेहूं की सकारी खरीद बढ़कर 107 लाख टन के पार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में 107.48 लाख टन गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई है जोकि पिछले साल की तुलना में पिछड़ी है। पिछले साल इस समय तक 119.08 लाख टन गेहूं की एमएसपी पर खरीद हो चुकी थी। प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा के साथ मध्य प्रदेश से सरकारी खरीद पिछले साल से पीछे चल रही है जबकि उत्तर प्रदेश और राजस्थान से खरीद बढ़ी है।
पंजाब से चालू रबी में गेहूं की खरीद कम होकर 24.63 लाख टन की हो पाई है जबकि​ पिछले साल इस समय तक राज्य से 37.42 लाख टन की खरीद हो चुकी थी। इसी तरह से हरियाणा से चालू सीजन में समर्थन मूल्य पर अभी तक 44.50 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया है जबकि पिछले साल हरियाणा से इस समय तक 47.16 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। मध्य प्रदेश भी चालू सीजन में 28.89 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया है जबकि पिछले साल इस समय तक 30.55 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी थी।
उत्तर प्रदेश से चालू रबी में गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद बढ़कर 5.15 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य से केवल 1.56 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। राजस्थान से भी चालू रबी में खरीद बढ़कर 4 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 2.31 लाख टन गेहूं की ही समर्थन मूल्य पर खरीद हुई थी।
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन में गेहूं की खरीद का लक्ष्य 320 लाख टन का तय किया हुआ है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन में 308.24 लाख टन गेहूं की खरीद समर्थन मूल्य पर की थी।.....  आर एस राणा

ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़ा, भाव में तेजी की उम्मीद

16 अप्रैल 2018

महाराष्ट्र से नेफेड 25 हजार टन प्याज की करेगी खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्याज की कीमतों में आई गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र से 25 हजार टन प्याज की खरीद को मंजूरी दी है। सहकारी संस्था राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) अगले सप्ताह से प्याज की खरीद शुरू करेगी।
नेफेड के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्ढा के अनुसार राज्य के नासिक जिले की लासलगांव और पिंपलगांव मंडियों से प्याज की खरीद की जायेगी। इससे प्याज के भाव में सुधार बनने की संभावना है। नेफेड अपनी इकाई में 5,000 टन प्याज का भंडारण करेगा और बाकी बचे प्याज का भंडारण किराये के गोदामों में किया जाएगा। 2-3 महीने बाद प्याज को बाजार में बेचा जायोगा। देश के कुल उत्पादन में रबी प्याज का योगदान करीब 65 प्रतिशत है।
मंडियों में 300 से 877 रुपये प्रति क्विंटल रह गए भाव
महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में 12 अप्रैल को प्याज का भाव घटकर 400 से 788 रुपये प्रति क्विंटल रह गया जबकि दैनिक आवक 15,665 क्विंटल की हुई। इस दौरान राज्य की पिंपलगांव मंडी में प्याज के भाव 300 से 877 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा दैनिक आवक 21,974 क्विंटल की हुई। 
एमईपी हटाने के बाद भी घट रहे हैं भाव
प्याज की कीमतों में गिरावट रोकने के लिए केंद्र सरकार ने फरवरी के आरंभ में प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था, इसके बावजूद प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट बनी हुई है। प्याज व्यापारी योगेश अग्रवाल ने बताया कि महाराष्ट्र और गुजरात के बाद राजस्थान की मंडियों में भी नए प्याज की आवक बढ़ने से भाव में मंदा बना हुआ है।
निर्यात में आई कमी
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल से जनवरी के दौरान प्याज का निर्यात घटकर 20.34 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 27.20 लाख टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2016-17 में प्याज का कुल निर्यात 34.92 लाख टन का हुआ था.....  आर एस राणा

देशभर के किसान 10 दिन रहेंगे अवकाश पर, दूध, फल और सब्जियां नहीं बेचेंगे

आर एस राणा
नई दिल्ली। पूर्ण कर्ज माफी और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत का डेढ़ गुना तय करने की मांगों को लेकर देशभर के किसान 10 दिन के अवकाश पर रहेंगे। राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले देशभर के 90 किसान संगठन पहली जून से 10 जून तक दूध, फल और सब्जियों के साथ ही खाद्यान्न की बिक्री भी नहीं करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बताया कि देश के किसान कर्ज तले दबे हुए हैं, साथ ही उन्हें फसलों का उचित मूल्य भी नहीं रहा है जिस कारण किसान आत्महत्या जैसे कदम उठा रहा है केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें किसानों की लगातार अनदेखी कर रही है इसलिए देशभर के किसान संगठनों ने राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले किसान अवकाश मनाने का फैसला किया है।
उन्होंने बताया कि इस दौरान किसान पूरी तरह से अवकाश पर रहेंगे, दूध के साथ फल, सब्जियों और खाद्यान्न की बिक्री नहीं की जायेगी। इसके अलावा शहर से दवाईयों को छोड़ अन्य वस्तुओं की खरीद भी किसानों द्वारा नहीं की जायेगी।
मध्य प्रदेश से राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा उर्फ कक्का जी ने बताया कि किसान अवकाश के दौरान किसान गांव में ही रहेंगे। उन्होंने बताया कि 6 जून को मंदसौर जिले में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि देने के लिए देशभर में हवन का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने बताया कि अगर केंद्र सरकार ने किसानों की मांगे नहीं मानी तो फिर 10 जून को भारत बंद का आह्वान किया जायेगा। हम उन सभी से अनुरोध करेंगे, जो किसानों द्वारा उत्पादित अन्न, फल, दूध या फिर सब्जियों का उपयोग करते हैं, किसानों को बचाने के लिए भारत बंद में सहयोग दे। .........  आर एस राणा

मार्च में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 3 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में मार्च में 3 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 11,46,051 टन का हो चुका है जबकि पिछले साल मार्च में इनका आयात 11,14,325 टन का ही हुआ था। चालू तेल वर्ष नवंबर-17 से अक्टूबर-18 के पहले पांच महीनों नवंबर से मार्च के दौरान खाद्य तेलों के आयात में 2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार नवंबर-17 से मार्च-18 के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात बढ़कर 59,31,829 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 57,98,776 टन का ही हुआ था। चालू तेल वर्ष के पहले पांच महीनों में 57,78,135 टन खाद्य तेलों का और 1,53,694 टन अखाद्य तेलों का आयात हुआ है।
एसईए के अनुसार केंद्र सरकार ने पहली मार्च को आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी थी, ​जोकि किसानों के साथ ही उद्योग के हित में उठाया गया अच्छा कदम है लेकिन सरकार ने आयातित क्रुड पॉम तेल और रिफांइड तेल के आयात शुल्क में अंतर कम रखा है जिसकी वजह से रिफांइड तेलों का आयात बढ़ा है। मार्च में कुल आया​त हुए तेलों में रिफाइंड तेलों की हिस्सेदारी 15 फीसदी रही है। 
आयातित आरबीडी पॉमोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर मार्च में औसतन 678 डॉलर प्रति रहा जबकि पिछले साल मार्च में इसका भाव 731 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल के भाव मार्च में 671 डॉलर प्रति टन रहा जबकि पिछले साल मार्च में इसका भाव 734 डॉलर प्रति टन था। .........  आर एस राणा

खेती, किसानी को होगा फायदा, मानसून सामान्य रहने का अनुमान-मौसम विभाग


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में मानसून सामान्य रहने का अनुमान है, जिससे खाद्यान्न की पैदावार अच्छी होगी। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार इस साल 97 फीसदी बारिश का अनुमान है। खराब मानसून की संभावना काफी कम है।
आईएमडी के महानिदेशक के जे रमेश के अनुसार लंबी अवधि के दौरान 97 फीसदी बारिश होने का अनुमान है और इसमें प्लस-माइनस 5 फीसदी की कमी या बढ़ोतरी हो सकती है। चालू खरीफ में देश में ज्यादा बारिश होने की संभावना ज्यादा है जबकि कम बारिश होने की उम्मीद काफी कम है। उन्होंने कहा है कि अल-नीनो का खतरा कम हो गया है, मानसून से पहले अल-नीनो की स्थिति न्यूट्रल हो गई है। ऐसे में देश में लगातार तीसरे साल बेहतर मानसून रहने का अनुमान है।
मानसून का लंबी अवधि (एलपीए) का औसत 97 फीसदी रहेगा जो कि इस मौसम के लिए सामान्य है। 96-104 फीसदी एलपीए को सामान्य मानसून माना जाता है, जबकि 104-110 फीसदी एलपीए को सामान्य से अधिक बारिश माना जाता है। वहीं एलपीए के 110 फीसदी से अधिक होने पर इसे अत्यधिक माना जाता है।
सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना 56 फीसदी बताई गई है, जबकि सामान्य से कम बारिश होने की संभावना या कम बारिश होने की संभावना 44 फीसदी है।
सामान्य बारिश की वजह से न केवल कृषि विकास को मदद मिलती है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था खासकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका सकारात्मक असर होता है। मौसम विभाग की तरफ से जारी अनुमान में कहा गया है कि चार महीनों के दौरान मानसून में हर क्षेत्र में बराबर बारिश होने का अनुमान है।
खरीफ सीजन की फसलों धान, ज्वार, बाजरा, कपास, मक्का, सोयाबीन आदि की फसलों के लिए मानसून की बारिश पर निर्भरता ज्यादा होती है इसलिए सामान्य मानसून रहने से खरीफ में खाद्यान्न की पैदावार में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है।
समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से ज्यादा रहने पर अल-नीनो कहलाता है और समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से कम रहने पर ला-नीना कहलाता है। अल-नीनो मॉनसून पर उल्टा असर डालता है। वहीं ला-नीना से ज्यादा बारिश होती है।
इससे पहले मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट ने भी इस साल देश में मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान लगाया था। स्काईमेट के अनुसार इस साल जून-सितंबर के दौरान 100 फीसदी बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही स्काईमेट ने अपनी रिपोर्ट में कहां था कि इस बार बारिश की शुरुआत भी समय पर होगी।.....  आर एस राणा

12 अप्रैल 2018

मौसम बना किसानों के लिए खलनायक, कई राज्यों में बारिश की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। फसलों की कटाई के समय हो रही बेमौसम बारिश ने किसान ने ​नींद उड़ा रखी है। मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक आगामी 24 घंटों के दौरान देश के कई राज्यों में कहीं हल्की तो कहीं भारी बारिश होने की आशंका है। गेहूं, जौ, चना के साथ ही सरसों की फसल की कटाई जोरों पर है अत: तेज बारिश हुई तो फसलों को नुकसान होगा।
स्काईमेट के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और असम में कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश के साथ ही एक-दो स्थानों पर भारी बारिश होने की आशंका है। पंजाब, मध्य प्रदेश, विदर्भ, केरल, आंतरिक तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के शेष हिस्सों में भी कुछेक​ स्थानों पर गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कुछ जगहों पर प्री-मॉनसून वर्षा दर्ज की जा सकती है। जबकि बिहार, ओड़ीशा और गंगीय पश्चिम बंगाल में एक-दो स्थानों पर गरज के साथ बौछारें गिर सकती हैं।
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान तथा हिमाचल और उतराखंड के साथ ही अन्य राज्यों में रबी की प्रमुख फसल गेहूं के साथ ही जौ, चना और सरसों की कटाई चल रही है तथा कुछ जगहों पर गेहूं की कटी हुई फसल खेतों में पड़ी है। अत: ज्यादा बारिश हुई तो फसलों की क्वालिटी तो प्रभावित होगी, साथ ही उत्पादन में भी कमी आयेगी। 
स्काईमेट के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में मध्यम से भारी बारिश रिकॉर्ड की गई। उपंजाब, उत्तर प्रदेश, विदर्भ, आंतरिक तमिलनाडु, केरल, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, ओड़ीशा, गंगीय पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश तथा राजस्थान के कुछ भागों में गरज के साथ बौछारें दर्ज की गई।
उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और असम में कई जगहों पर हल्की से मध्यम जबकि कुछ स्थानों पर भारी बारिश दर्ज की गई। उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में हल्की वर्षा हुई। तटीय तमिलनाडु में भी एक-दो स्थानों पर बारिश देखने को मिली।.........   आर एस राणा

चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया बढ़कर 17 हजार करोड़ के पार


आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 17,000 करोड़ रुपये को पार कर गई है जिससे केंद्र सरकार के हाथ—पावं फूल गए हैं। केंद्र सरकार राज्यों को इस बाबत पत्र तो लिख रही है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा ठोस उपाय नहीं करने से बकाया भुगतान राशि में कमी आने के बाजए यह लगातार बढ़ती ही जा रही है।
चीनी मिलों को गन्ना खरीदने के 14 दिन के अंदर किसानों को भुगतान करना होता है, गन्ना पेराई सीजन समाप्ति की ओर है कुछ मिलों में पेराई भी बंद हो गई है लेकिन चीनी मिलें भुगतान नहीं कर रही है जिससे गन्ना किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने गन्ना उत्पादक राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर तत्काल बकाया भुगतान करवाने का अनुरोध किया है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटका, हरियाणा, मध्य प्रदेश और बिहार के साथ ही सभी 16 गन्ना उत्पादक राज्यों के मुख्यमंत्रियों को ​पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि गन्ना पेराई सीजन 2017—18 और उसके पहले के बकाया का भुगतान तत्काल किसानों को कराया जाये, तथा जो चीनी मिलें ऐसा नहीं करती है, उनके खिलाफ उचित कार्यवाही की जाये। इससे पहले खाद्य सचिव ने भी 23 मार्च को सभी गन्ना उत्पादक राज्यों के खाद्य सचिवों को इस बाबत पत्र लिखा था।
सबसे ज्यादा बकाया उत्तर प्रदेश ​की मिलों पर
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार मार्च के आखिर तक चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 16,000—17,000 करोड़ रुपये हो गई है, इसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का 8,282 करोड़ रुपये बकाया है।
चीनी उत्पादन हो चुका है 45 फीसदी ज्यादा
चालू पेराई सीजन 2017-18 में पहली अक्टूबर 2017 से 31 मार्च 2018 तक चीनी का उत्पादन 281.82 लाख टन का हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 45 फीसदी ज्यादा है।
सुधार के लिए उठाए गए कदम नाकाफी
चीनी की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाये गये कदम बेअसर साबित हो रहे है। हाल ही में केंद्र सरकार ने 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी, ताकि अतिरिक्त भंडार को कम करने में मदद मिले लेकिन विश्व बाजार में चीनी के भाव काफी नीचे है जिससे निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। .......  आर एस राणा

चीन को बढ़ेगा कपास का निर्यात, कीमतों में सुधार आने का अनुमान

फरवरी में बासमती चावल का निर्यात बढ़ा, गैर-बासमती का घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। बासमती चावल के निर्यात में जहां फरवरी में बढ़ोतरी हुई हैं वहीं गैर-बासमती चावल के निर्यात कमी आई है। ईरान के साथ ही अन्य खाड़ी देशों की आयात मांग बढ़ने से फरवरी में बासमती चावल का निर्यात 3.45 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी में इसका निर्यात 3.41 लाख टन का हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात फरवरी में घटकर 7.43 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी में इसका निर्यात 15.63 लाख टन का हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 1 फीसदी बढ़कर 36.19 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अव​धि में इसका निर्यात 35.92 लाख टन का हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल से फरवरी के दौरान 30 फीसदी बढ़कर 77.6 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 68.1 लाख टन का ही हुआ था।
बासमती चावल का कुल निर्यात 40 लाख होने का अनुमान
एपिडा के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार बासमती चावल का ​कुल निर्यात वित्त वर्ष 2017-18 में लगभग 40 लाख टन के करीब ही होने का अनुमान है। वर्तमान में ईरान, साउदी अरब और कुवैत के साथ ही अन्य खाड़ी देशों की आयात मांग अच्छी बनी हुई है। उन्होंने बताया कि गैर बासमती चावल में बंगलादेश के साथ ही दक्षिण अफ्रीकी देशों की आयात मांग अच्छी है। विश्व बाजार में गैर-बासमती चावल की उपलब्धता कम होने के कारण इसके कुल निर्यात में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
बासमती धान की कीमतों में तेजी की संभावना
खुरानिया एग्रो के रामनिवास खुरानिया ने बताया कि उत्पादक मंडियों में बासमती धान की आवक बंद हो गई है जबकि बासमती चावल में निर्यात मांग अच्छी है। इसलिए आगे मिलों की मांग बढ़ने से बासमती धान के भाव में और तेजी आने की संभावना है। हरियाणा की करनाल मंडी में सोमवार को पूसा 1,121 बासमती धान की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 3,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए जबकि बासमती चावल सेला के भाव 6,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।............. आर एस राणा

10 अप्रैल 2018

सरकारी खरीद शुरू होने के बावजूद, सस्ता गेहूं बेचने पर मजबूर हैं किसान

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक राज्यों की मंडियोंं में गेहूं की दैनिक आवक बढ़ रही है तथा सरकारी खरीद शुरू होने के बावजूद भी कई राज्यों की मंडियों में किसान व्यापारियों को 1,550 से 1,660 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचने को मजबूर है। केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। 
मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की कई मंडियों में गेहूं एमएसपी से 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे बिक रहा है। मध्य प्रदेश में राज्य सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदने की घोषणा की हुई है तथा राज्य में एमएसपी पर खरीद भी शुरू हो गई है लेकिन खरीद आवक के मुकाबले सीमित मात्रा में ही हो रही है जिस कारण किसानों को केंद्र सरकार द्वारा तय एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल भी नहीं मिल पा रहा है।
गेहूं के सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश का भी यही हाल है। राज्य की मंडियों में किसान 1,550 से 1,650 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेच रहे है। राज्य की सहारनपुर, गौंडा, बरेली तथा कानपुर लाईन की मंडियों के साथ ही ललितपुर मंडी में गेहूं 1550 से 1,675 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है। जेवर मंडी में गेहूं बेचने आए किसान प्रमोद कुमार ने बताया कि मंडी में अभी तक सरकारी खरीद शुरू नहीं हुई, इसलिए व्यापारियों को नीचे भाव में ​गेहूं बेचना पड़ा। राजस्थान में गेहूं की दैनिक आवक के मुकाबले समर्थन मूल्य पर खरीद नाममात्र की हो रही है जिस कारण अधिकांश किसान नीचे भाव पर गेहूं बेच रहे हैं।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने एमएसपी पर 6 अप्रैल तक केवल 13.15 लाख टन गेहूं ही खरीदा है। इसमें मध्य प्रदेश से 10.21 लाख टन, हरियाणा से 2.24 लाख टन, राजस्थान से 40 हजार टन तथा उत्तर प्रदेश से केवल 21 हजार टन की ही खरीद हुई है। इस साल केंद्र सरकार ने 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि पिछले साल 308 लाख टन की खरीद हुई थी।
उत्तर प्रदेश की गौंडा लाईन और राजस्थान की बीकानेर मंडी से ​बंगुलरु पहुंच गेहूं के सौदे 1,950 से 1,975 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं जबकि इसमें परिवहन लागत करीब 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल भी शामिल है।
प्रवीन कॉमर्शियल कंपनी के प्रबंधक नवीन गुप्ता ने बताया कि विश्व बाजार में गेहूं के भाव सस्ते हैं, हालांकि अभी तो आयात नहीं हो रहा है लेकिन जून-जुलाई में यूक्रेन और रूस में गेहूं की नई फसल की आवक बनने पर आयात पड़ते लग सकते हैं। इसीलिए दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें उत्तर भारत से गेहूं की खरीद सीमित मात्रा में ही कर रही है। तूतीकोरन बंदरगाह पर आयातित लाल गेहूं का भाव शनिवार को 1,770 से 1,775 रुपये प्रति​ क्विंटल रहा।..........  आर एस राणा

फरवरी में बासमती चावल का निर्यात बढ़ा, गैर-बासमती का घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। बासमती चावल के निर्यात में जहां फरवरी में बढ़ोतरी हुई हैं वहीं गैर-बासमती चावल के निर्यात कमी आई है। ईरान के साथ ही अन्य खाड़ी देशों की आयात मांग बढ़ने से फरवरी में बासमती चावल का निर्यात 3.45 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी में इसका निर्यात 3.41 लाख टन का हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात फरवरी में घटकर 7.43 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी में इसका निर्यात 15.63 लाख टन का हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात 1 फीसदी बढ़कर 36.19 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अव​धि में इसका निर्यात 35.92 लाख टन का हुआ था। गैर बासमती चावल का निर्यात वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल से फरवरी के दौरान 30 फीसदी बढ़कर 77.6 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 68.1 लाख टन का ही हुआ था।
बासमती चावल का कुल निर्यात 40 लाख होने का अनुमान
एपिडा के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार बासमती चावल का ​कुल निर्यात वित्त वर्ष 2017-18 में लगभग 40 लाख टन के करीब ही होने का अनुमान है। वर्तमान में ईरान, साउदी अरब और कुवैत के साथ ही अन्य खाड़ी देशों की आयात मांग अच्छी बनी हुई है। उन्होंने बताया कि गैर बासमती चावल में बंगलादेश के साथ ही दक्षिण अफ्रीकी देशों की आयात मांग अच्छी है। विश्व बाजार में गैर-बासमती चावल की उपलब्धता कम होने के कारण इसके कुल निर्यात में 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
बासमती धान की कीमतों में तेजी की संभावना
खुरानिया एग्रो के रामनिवास खुरानिया ने बताया कि उत्पादक मंडियों में बासमती धान की आवक बंद हो गई है जबकि बासमती चावल में निर्यात मांग अच्छी है। इसलिए आगे मिलों की मांग बढ़ने से बासमती धान के भाव में और तेजी आने की संभावना है। हरियाणा की करनाल मंडी में सोमवार को पूसा 1,121 बासमती धान की कीमतों में 50 रुपये की तेजी आकर भाव 3,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गए जबकि बासमती चावल सेला के भाव 6,600 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर बने रहे।.............   आर एस राणा

मौसम ने बढ़ाई किसानों की ​चिंता, बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर भारत के साथ मध्य और दक्षिण भारत के कई राज्यों में ​बीते 24 घंटे के दौरान हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान हुआ है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में कई जगहों पर हुई बारिश से रबी फसलों गेहूं, जौ, चना, सरसों और मसूर को नुकसान हुआ है वहीं तेज आंधी ओर ओलावृष्टि से उत्तर प्रदेश में आम की फसल भी प्रभावित हुई है।
उत्तर भारत के राज्यों में रबी की प्रमुख फसल गेहूं के साथ ही अन्य फसलों की कटाई का कार्य  चल रहा है, तथा कई जगह फसल कट भी चुकी है लेकिन खेतों में ही पड़ी हुई है। बारिश से जहां फसलों की कटाई प्रभावित हुई है वही कटाई करने के बाद खेत में पड़ी गेहूं, जौ और सरसों आदि की फसलों की क्वालिटी प्रभावित होने की आशंका है।
उत्तर प्रदेश, हिमाचल तथा उत्तराखंड के कई जिलों में बारिश के साथ तेज आंधी और ओलावृष्टि से आम के साथ ही सब्जियों की फसलों को भी नुकसान हुआ है।
मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक बीते 24 घंटों के दौरान जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उप हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कई हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई। इस दौरान उत्तरी राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, केरल, आंतरिक तमिलनाडु, तटीय कर्नाटक पर भी हल्की बारिश देखी गई। विदर्भ, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, दक्षिणी मध्य महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के एक दो स्थानों पर हल्की बारिश हुई।
स्काईमेट के अनुमसार आगामी 24 घंटों के दौरान जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, उप हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम और पूर्वोत्तर भारत में हल्के से मध्यम बारिश होने की संभावना है। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी राजस्थान, ओडिशा, तेलंगाना, केरल में कुछ स्थानों पर बारिश के आसार है।
दिल्ली, हैदराबाद, तटीय आंध्र प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र, विदर्भ, कर्नाटक और तमिलनाडु में कुछ जगहों पर वर्षा की उम्मीद है।
उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों के ज्यादातर हिस्सों में तापमान सामान्य रूप से नीचे रहेगा।................  आर एस राणा

उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 100 लाख टन के करीब

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2017-18 में पहली अक्टूबर 2017 से 6 अप्रैल 2018 तक चीनी का उत्पादन बढ़कर उत्तर प्रदेश में 99.25 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछलेे पेराई सीजन की समान अवधि में उत्पादन केवल 81.93 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में गन्ने में औसतन रिकवरी की दर बढ़कर 10.79 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले पेराई सीजन में रिकवरी की दर औसतन 10.55 फीसदी की आई थी।
राज्यें में 119 चीनी मिलों में पेराई चल रही थी, जिसमें से न चीनी मिलों में पेराई बंद हो चुकी है। अभी राज्य में 111 चीनी मिलें पेराई कर रही है, ऐसे में उत्पादन 100 लाख टन से ज्यादा ही होने का अनुमान है
पहली अक्टूबर 2017 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने 6 अप्रैल 2018 तक किसानों से 29,234.58 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है जबकि इसमें से भुगतान केवल 18,447.51 करोड़ रुपये का ही किया है। अत: कुल बकाया राशि तो 10,787.07 करोड़ रुपये है लेकिन तय भुगतान समय 14 दिन के आधार पर राज्य की चीनी मिलों पर बकाया की रकम बढ़कर 8,282.06 करोड़ रुपये हो गई है।.............  आर एस राणा

07 अप्रैल 2018

कई राज्यों के जलाशयों में पानी कम, गर्मी बढ़ने पर पेयजल संकट की आशंका


आर एस राणा
नई दिल्ली। गर्मी शुरू होने के साथ ही देश के कई राज्यों के जलाशयों में पानी का स्तर पिछले दस साल के औसत स्तर से भी नीचे आ गया है जोकि चिंताजनक है। केंद्र सरकार भी इसे लेकर सजग हो गई है तथा पानी की कमी वाले राज्यों को केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर चेताया भी है कि पानी के उपयोग में सावधानी बरतें। झारखंड, ओडिशा, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के साथ ही पंजाब के जलाशयों में पानी कम है अत: जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, इन राज्यों में पीने के पानी के साथ ही फसलों की बुवाई हेतु सिंचाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने पानी की कमी वाले राज्यों को पत्र लिखा गया है कि पानी के उपयोग में सावधानी बरतें। गर्मी बढ़ने पर पानी की मांग में भी इजाफा होगा, जबकि पहले ही कई राज्यों के जलाशयों में औसत से भी कम पानी है। देशभर के 91 जलाशयों में पानी कुल भंडारण क्षमता का केवल 27 फीसदी ही रह गया है।
मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 5 अप्रैल 2018 को पश्चिमी क्षेत्र के गुजरात तथा महाराष्ट्र के 27 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर कुल भंडारण क्षमता का 30 फीसदी ही रह गया है जोकि पिछले दस साल का औसत अनुमान 34 फीसदी से भी कम है। पिछले साल की समान अवधि में पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों में कुल क्षमता का 35 फीसदी पानी था।
उत्तरी क्षेत्र के जलाशयों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। हिमाचल, पंजाब तथा राजस्थान के 6 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर 21 फीसदी रह गया है जबोकि पिछले दस साल के औसत 26 फीसदी से भी कम है। पिछले साल की समान अवधि में उत्तरी क्षेत्र के जलाशयों में कुल क्षमता का 23 फीसदी पानी था। 
मंत्रालय के अनुसार मध्य क्षेत्र के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के 12 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 30 फीसदी रह गया है जबकि  पिछले वर्ष की समान अवधि में इन जलाशयों में पानी का स्तर 44 फीसदी था। हालांकि इन जलाशयों में पानी का स्तर पिछले साल के 30 फीसदी के बराबर ही है।
दक्षिण भारत के जिलों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 31 जलाशयों में पानी का स्तर पिछले साल से तो ज्यादा है लेकिन 10 साल के औसत स्तर से काफी कम है। 5 अप्रैल 2018 को इन जलाशयों में पानी का स्तर कुल भंडारण क्षमता का 18 फीसदी ही रह गया है जोकि दस साल के औसत 24 फीसदी से काफी कम है। वैसे, पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों के जलाशयों में पानी का स्तर केवल 13 फीसदी ही था।
मंत्रालय के अनुसार पश्चिमी बंगाल, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, आंधप्रद्रेश, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के जलाशयों में पानी की स्थिति बेहतर है।............ आर एस राणा

खाद्यान्न की एमएसपी पर खरीद के लिए स्पेशल फंड बना सकती है केंद्र सरका


आर एस राणा
नई दिल्ली। फसलों के न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत का डेढ़ गुना तय करने के साथ ही किसानों को एमएसपी से नीचे भाव पर फसलों की बिक्री नहीं करनी पड़े, इसकी शुरुआत केंद्र सरकार खरीफ सीजन से ही करने की तैयारी कर रही है। खाद्यान्न की खरीद हेतु केंद्र सरकार 50,000 करोड़ रुपये का एक स्पेशल फंड बनायेगी।
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार एमएसपी पर किसानों की फसलों की खरीद सुनिश्चित करना चाहती है इसके लिए हर फॉर्मूले का अध्ययन कर रही है। किसानों के लिए बनाए जाने वाले स्पेशल फंड का अनाज खरीदने और रख-रखाव के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि अनाज खरीदने के लिए राज्यों को समय पर पैसा मिले सके।
सार्वजनिक कंपनियां एमएसपी पर करे खरीद
पहले फॉर्मूले के अनुसार सार्वजनिक कंपनियां बढ़ी हुई एमएसपी पर किसानों से सीधे खाद्यान्न की खरीद करेंगी, इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार स्वयं वहन करेगी। एमएसपी पर खरीदे गए खाद्यान्न की खरीद और रख-रखाव की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी।
भावांतर भुगतान योजना को भी किया जा सकता है लागू
इसके अलावा दूसरे फॉर्मूले के तहत मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही भावांतर भुगतान योजना के तहत फसलों की खरीद की जायेगी। भावांतर भुगतान योजना के तहत अगर फसलों की बिक्री एमएसपी से नीचे भाव पर होती है तो उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी।
निजी कंपनियों की भी खरीद में हो सकती है भागीदारी 
सूत्रों के अनुसार इसके अलावा तीसरे फॉर्मूला में केंद्र सरकार खाद्यान्न खरीदने में निजी कंपनियां को भी शामिल करना चाहती है। निजी कंपनियां सरकार के नाम पर सीधे किसानों से अनाज खरीदेंगी, तथा एमएसपी और बाजार भाव के अंतर का भुगतान केंद्र सरकार स्पेशल फंड के माध्यम से करेंगी। अब यह राज्य सरकारों पर निर्भर करेगा कि वह इन स्कीमों में किस फॉर्मूले को अपनाना चाहती हैं।
अनुकूल मौसम से खरीफ में उत्पादन बढ़ने का अनुमान
किसानों की आय वर्ष-2022 तक दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार खरीफ सीजन से इसकी शुरूआत करना चाहती है। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी कंपनी स्काईमेट ने कहा है कि इस साल बारिश अच्छी होगी, तथा सूखा पड़ने की आशंक नहीं है। ऐसे में खरीफ में खाद्यान्न की पैदावार भी बढ़ने का अनुमान है। ............आर एस राणा

विश्व बाजार में दाम कम, डीओसी के निर्यात में आई ​भारी गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम होने के कारण मार्च महीने में डीओसी के निर्यात में 55 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 75,393 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल मार्च में इनका निर्यात 1,70,494 टन का हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार फरवरी के मुकाबले मार्च में सोया डीओसी के साथ ही सरसों डीओसी, केस्टर और राइसब्रान डीओसी के निर्यात में भी कमी आई है। मार्च महीने सोया डीओसी का निर्यात घटकर 39,209 टन का ही हुआ है जबकि फरवरी महीने में इसका निर्यात 73,816 टन का हुआ था। इसी तरह से सरसों डीओसी का निर्यात फरवरी के 52,071 टन से घटकर मार्च में केवल 23,499 टन का ही हुआ है। केस्टर डीओसी का निर्यात मार्च में घटकर 5,185 टन का ही हो पाया है जबकि फरवरी में इसका निर्यात 40,722 टन का हुआ था। राइसब्रान डीओसी का निर्यात फरवरी के 82,054 टन से घटकर मार्च में केवल 7,500 टन का ही हुआ है।
कुल निर्यात में हुई बढ़ोतरी
एसईए के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में डीओसी के निर्यात में 51 फीसदी ​की बढ़ोतरी होकर  कुल निर्यात 28,39,623 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान डीओसी का निर्यात 18,85,480 टन का हुआ था।
डीओसी की कीमतें तेज
सोया डीओसी के भाव भारतीय बंदरगाह पर मार्च में औसतन 486 डॉलर प्रति टन रहे जबकि पिछले साल मार्च में इसके भाव 369 डॉलर प्रति टन थे। इसी तरह से सरसों डीओसी के भाव पिछले साल मार्च के भाव 240 डॉलर प्रति टन की तुलना में चालू वर्ष के मार्च महीने में 249 डॉलर प्रति टन रहे।
घरेलू मंडियों में भाव
मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में शुक्रवार को सोया डीओसी का भाव 32,000 रुपये प्रति टन रहा जबकि राज्य की मौरेना मंडी में सरसों डीओसी का भाव 16,000 रुपये प्रति टन रहा।............ आर एस राणा

06 अप्रैल 2018

प्याज के भाव में आई भारी गिरावट, 3 से 8 रुपये मिल रहे हैं किसानों को दाम

आर एस राणा
नई दिल्ली। उपभोक्ताओं को भले ही प्याज 15 से 20 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदना पड़ रहा हो लेकिन किसानों को अपनी फसल मंडियों में 3 से 8 रुपये प्रति किलो की दर से बेचनी पड़ रही है। प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान की मंडियों में प्याज के भाव घटकर 300 से 800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। महीनेभर में ही इसकी कीमतों में ​भारी गिरावट आ चुकी है।
महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में प्याज का भाव घटकर गुरुवार को 300 से 800 रुपये प्रति क्विंटल रह गया जबकि महीनाभर पहले इसका भाव 700 से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल था। इसी तरह से गुजरात की राजकोट मंडी में प्याज का भाव घटकर 400 से 625 रुपये प्रति क्विंटल रह गया जबकि मार्च के शुरू में इसके भाव 650 से 1,300 रुपये प्रति क्विंटल थे। दिल्ली की आजादपुर मंडी में शुक्रवार को प्याज का भाव घटकर 500 से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।
एमईपी समाप्त करने के बावजूद गिरावट बरकरार
प्याज की कीमतों में गिरावट रोकने के लिए केंद्र सरकार ने फरवरी के आरंभ में प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था, इसके बावजूद भी प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट बनी हुई है। गुजरात ओनियन कंपनी के प्रबंधक योगेश अग्रवाल ने बताया कि महाराष्ट्र और गुजरात के बाद राजस्थान की मंडियों में भी नए प्याज की आवक बढ़ी है। राजस्थान में प्याज की पैदावार चालू रबी में ज्यादा होने का अनुमान है। इसलिए आगे इसकी कीमतों में और गिरावट आ सकती है। 
निर्यात में आई कमी
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल से जनवरी के दौरान प्याज का निर्यात घटकर 20.34 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 27.20 लाख टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2016-17 में प्याज का कुल निर्यात 34.92 लाख टन का हुआ था
उत्पादन में कमी आने की आशंका
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में प्याज का उत्पादन 4.5 फीसदी घटकर 214 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 224 लाख टन का हुआ था।  ..............आर एस राणा

गेहूं की सरकारी खरीद 10 लाख टन के पार, उत्तर प्रदेश ने बढ़ाया खरीद लक्ष्य

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 10.49 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। अभी तक हुई कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की है। पंजाब और हरियाणा के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार ने भी गेहूं के खरीद लक्ष्य में 10 लाख टन की बढ़ोतरी कर दी है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद 8.62 लाख टन, राजस्थान से 32,750 टन, गुजरात से 7,600 टन और हरियाणा से 1.37 टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश ही मध्य प्रदेश और राजस्थान से आगामी सप्ताह से सरकारी खरीद में तेजी आने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश ने 10 लाख टन बढ़ाया खरीद का लक्ष्य
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही के अनुसार राज्य से 50 लाख टन गेहूं की खरीद की जायेगी जबकि पहले 40 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया था। पिछले साल राज्य से सरकारी एजेंसियों ने 36.99 लाख टन की खरीद की थी। राज्य के कृषि मंत्री के अनुसार गेहूं की खरीद के लिए राज्य में 5,500 खरीद केंद्र खोले जायेंगे, तथा खरीद के 72 घंटों के अंदर किसानों को सीधा भुगतान बैंक खातों के माध्यम से किया जायेगा।
पजाब और हरियाणा भी बढ़ा चुके हैं खरीद लक्ष्य
पंजाब के साथ ही हरियाणा ने भी चालू रबी विपणन सीजन 2018—19 में गेहूं की खरीद का लक्ष्य बढ़ाकर क्रमश: 130 और 80 लाख टन कर दिया है जबकि इससे पहले पंजाब से 119 लाख टन और हरियाणा से 74 लाख टन खरीद का लक्ष्य ​तय किया गया था। इन राज्यों में गेहूं के उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी होने की संभावना है। पिछले साल पंजाब में 117 और हरियाणा में 74.32 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी।
रबी में 320 लाख टन की खरीद का अनुमान
इस साल केंद्र सरकार ने 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है जबकि पिछले साल 308 लाख टन की खरीद हुई थी।
गेहूं का एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल 
चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन में 1,625 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद हुई थी।.... आर एस राणा

खाद्यान्न की पैदावार होगी अच्छी, इस साल मानसून सामान्य रहने का अनुमान-स्काईमेट

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों के साथ ही खेती से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है कि इस साल देश में मानसून सामान्य रहने का अनुमान है। इससे खाद्यान्न की पैदावार तो अच्छी होगी ही, साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा है। मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक इस साल देश में मॉनसून सामान्य रहने का अनुमान है। इस साल जून-सितंबर के दौरान 100 फीसदी बारिश होने की संभावना है। इसके साथ ही इस बार बारिश की शुरुआत भी समय पर होगी।
खरीफ सीजन की फसलों धान, ज्वार, बाजरा, कपास, मक्का, सोयाबीन आदि की फसलों के लिए मानसून की बारिश पर निर्भरता ज्यादा होती है इसलिए सामान्य मानसून रहने से खरीफ में खाद्यान्न की पैदावार में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है।
स्काईमेट द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार इस बार मानूसन सामान्य रहने की संभावना ज्यादा है, इसमें 5 फीसदी की अधिकता या कमी आ सकती है। दीर्घावधि मानसून पूर्वानुमान के अनुसार जून से सितंबर की अवधि में दीर्घावधि औसत 887 मिलीमीटर के मुकाबले 100 फीसदी बारिश होने का अनुमान है।
सूखा पड़ने की आशंका नहीं
स्काईमेट द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा है कि इस साल सामान्य से कम बारिश होने की संभावना सिर्फ 20 फीसदी है। वहीं, सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना भी 20 फीसदी और भारी बारिश की संभावना 5 फीसदी है। सबसे अच्छी खबर यह है कि इस साल सूखा पड़ने की आशंका नहीं है।
96 फीसदी से 104% बारिश
स्काईमेट के मुताबिक इस साल जून-सितंबर के बीच 100 फीसदी मॉनसून का अनुमान है। पूरे सीजन के लिए 96 से 104 फीसदी बारिश होने की संभावना 55 फीसदी है।
आईएमडी का अनुमान चालू महीने के मध्य तक
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) द्वारा मौसम का पूर्वाअनुमान भी चालू महीने के मध्य तक जारी किए जाने की संभावना है।
पिछले साल हुई थी 95 फीसदी बारिश
वर्ष 2017 में स्काईमेट ने देशभर में 95 फीसदी (5 फीसदी कम या ज्यादा) बारिश होने का अनुमान जारी किया था, जबकि आईएमडी का अनुमान 96 फीसदी (5 फीसदी कम या ज्यादा) बारिश होने का था जबकि बारिश 95 फीसदी हुई थी। हालांकि इसके पिछले साल वर्ष 2016 में स्काईमेट और आईएमडी के अनुमानों के उल्ट बारिश कम हुई थी।.... आर एस राणा

मध्य प्रदेश से मसूर और सरसों की एमएसपी पर खरीद को केंद्र ने दी मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश से चालू रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए मसूर और सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने बुधवार को टविट कर जानकारी देते हुए बताया कि राज्य से 1,36,808 टन मसूर और 3,90,400 टन सरसों की खरीद समर्थन मूल्य पर की जायेगी।
मध्य प्रदेश से मसूर की खरीद के लिए केंद्र सरकार ने जहां 581.43 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, वहीं सरसों की खरीद के लिए 1,561.60 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। राज्य की मंडियों में मसूर के साथ ही सरसों के भाव एमएसपी से नीचे चल रहे हैं।
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन के लिए मसूर का एमएसपी 4,250 रुपये (बोनस सहित) और सरसों का एमएसपी 4,000 रुपये प्रति​ क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। राज्य सरकार ने सरसों और मसूर पर राज्य की तरफ से क्रमश: 100-100 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस घोषित कर रखा है। राज्य की इंदौर मंडी में बुधवार को मसूर का भाव 3,575 रुपये प्रति क्विंटल और मौरेना मंडी में सरसों का भाव 3,675 रुपाये प्रति क्विंटल रहा।
मसूर के भाव में पिछले दो-तीन दिनों से सुधार बना हुआ है, सरकार के इस फैसले से सरसों के भाव में भी सुधार आने का अनुमान है।.............  आर एस राणा

चने की एमएसपी पर खरीद नाममात्र की, किसान समर्थन मूल्य से नीचे बेचने पर मजबूर

आर एस राणा
चालू रबी में चना की रिकार्ड पैदावार किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हुई है। उत्पादक राज्यों की मंडियों में नई फसल की आवकों का दबाव बना हुआ है जबकि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा खरीद नाममात्र की ही जा रही है, जिससे किसानों को मंडियों में अपनी फसल मजबूरी में (न्यूनतम समर्थन मूल्य) एमएसपी से 700 से 900 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है। चना के भाव में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाये गए कदम भी नाकाफी साबित हुए हैं।
नेफैड ने खरीदा मात्र 83 हजार टन चना
प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना की दैनिक आवक लगभग एक लाख क्विंटल की हो रही है जबकि चालू रबी सीजन में एमएसपी पर नेफैड ने अभी तक केवल 83,201 टन चना की खरीद ही की है। नेफैड ने 23 मार्च तक तेलंगाना से 21,133 टन, कर्नाटका से 41,279 टन, आंध्रप्रदेश से 15,738 टन, महाराष्ट्र से 1,776 टन और राजस्थान से 3,353 टन चना की खरीद ही एमएसपी पर की है।
चना निर्यात पर 7 फीसदी है इनसेंटिव
घरेलू मंडियों में चना की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने चना निर्यात पर निर्यातकों को 7 फीसदी इनसेंटिव घोषित किया हुआ है लेकिन आयास्ट्रेलियाई चना सस्ता होने के कारण हमारे यहां से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। हालांकि चना आयात पर 60 फीसदी आयात शुल्क लगाने के बाद से आयात नहीं हो रहा है।
किसानों को हो रहा है भारी घाटा
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोसन सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में चना 3,500 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है। जिससे चना किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। बुधवार को मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में चना का भाव 3,600 रुपये प्रति क्विंटल रहा जबकि राजस्थान की बिकानेर मंडी में इसका भाव 3,700 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
रिकार्ड पैदावार का अनुमान
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में चना की रिकार्ड 111 लाख टन पैदावार होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 93.8 लाख टन का हुआ था।...........आर एस राणा

04 अप्रैल 2018

किसानों को वाजिद दाम दिलाने हेतु एमएसपी पर खरीद और भावांतर योजना को हरी झंडी


आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानो का आय वर्ष-2022 तक दोगनुी करने का लक्ष्य लेकर चल रही नरेंद्र मोदी सरकार किसानों को उनकी उपज का वाजिब दिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। किसानों को अपनी फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर नहीं बेचनी पड़े, इसके लिए दो फार्मूलों को आज मंत्रियों के समूह ने अंतिम रुप दे दिया। सूत्रों के अनुसार इसे जल्दी ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा।
फसलों के एमएसपी को लागत का डेढ़ गुना तय करने के साथ ही किसानों को अपनी उपज समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर नहीं बेचनी पड़े, इस पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई में  मंत्रियों के समूह की बैठक हुई जिसमें कृषि मंत्री, सड़क परिवहन मंत्री और खाद्य मंत्री ने भाग लिया। इसमें दो फॉर्मूलों को मंजूरी दी गई।
बैठक में तय पहले फॉर्मूले के मुताबिक केंद्र सरकार बढ़ी हुई एमएसपी पर किसानों से सीधे खाद्यान्न की खरीद करेंगी, इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार स्वयं वहन करेगी। एमएसपी पर खरीदे गए खाद्यान्न की खरीद और रख-रखाव की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी।
दूसरे फॉर्मूले के तहत मध्य प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही भावांतर भुगतान योजना के तहत फसलों की खरीद की जायेगी। भावांतर भुगतान योजना के तहत अगर फसलों की बिक्री एमएसपी से नीचे भाव पर होती है तो उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी। अब यह राज्य सरकारों पर निर्भर करेगा कि वह इन दोनों स्कीमों में किस फॉर्मुले को अपनाना चाहती हैं।
भावांतर भुगतान योजना पर उठ रहे हैं सवाल
मध्य प्रदेश में भावांतर भुगतान योजना के तहत जिंसों की खरीद तो हो रही है लेकिन हाल ही में राज्य के कृषि मंत्री ने भी स्वीकार किया है कि भावांतर भुगतान योजना के तहत मॉडल भाव से नीचे फसलें बेच चुके किसानों को नुकसान हुआ है। यही कारण है कि चालू रबी में राज्य सरकार ने एमएसपी पर ज्यादा खरीद करने का केंद्र सरकार से अनुरोध किया है।
गेहूं और धान की होती है अभी तक ज्यादा खरीद
केंद्र सरकार एमएसपी पर गेहूं और धान की ही खरीद बड़े पैमाने पर करती रही है जबकि अन्य फसलों दलहन, तिलहन या फिर मोटे अनाजों की खरीद सीमित मात्रा में ही होती है।............... आर एस राणा

चीनी का बंपर उत्पादन, किसानों के साथ मिलों के लिए भी घाटे का सौदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2017-18 में पहली अक्टूबर 2017 से 31 मार्च 2018 तक चीनी का उत्पादन 281.82 लाख टन का हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 45 फीसदी ज्यादा है। बंपर उत्पादन से चीनी के भाव घरेलू बाजार में उत्पादन लागत से भी नीचे चल रहे हैं जिस कारण ​चीनी मिलें किसानों को समय से भुगतान नहीं कर पा रही है।
मिलों पर किसानों की बकाया राशि बढ़ी
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मार्च के अनुसार आखिर तक चीनी मिलों पर किसानों की बकाया राशि बढ़कर 16,000 से 17,000 करोड़ रुपये होने पहुंचने का अनुमान है। इसमें सबसे ज्यादा बकाया राशि उत्तर के किसानों की करीब 7,200 करोड़ रुपये तथा महाराष्ट्र और कर्नाटका की चीनी मिलों पर किसानों की राशि बढ़कर 2,500-2,500 रुपये होने का अनुमान है। अन्य उत्पादक राज्यों की चीनी मिलों पर भी बकाया राशि बढ़कर इस दौरान 4,000 करोड़ रुपये पहुंचने की संभावना है।
भाव में सुधार के लिए उठाए गए कदम नाकाफी
चीनी की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार कदम तो उठा रही है, लेकिन बंपर उत्पादन और विश्व बाजार में चीनी के दाम नीचे होने के कारण सरकारी कदम बेअसर साबित हो रहे है। हाल ही में केंद्र सरकार ने 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी, ताकि अतिरिक्त भंडार को कम करने में मदद मिले लेकिन विश्व बाजार में चीनी के भाव काफी नीचे है जिससे निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं।
महाराष्ट्र में 100 लाख टन से ज्यादा हो चुका है उत्पादन
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में 31 मार्च तक महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 101.27 लाख टन का हो चुका है जबकि उत्तर प्रदेश में इस दौरान 95.40 लाख टन और कर्नाटका में 35.56 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। इन राज्यों में अभी भी मिलों में पेराई चल रहा है इसलिए उत्पादन में और बढ़ोतरी होगी।
चीनी के भाव उत्पादन लागत से कम
इस्मा के अनुसार चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर औसतन 3,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं जोकि उत्पादन लागत की तुलना में 500 से 600 रुपये प्रति क्विंटल नीचे हैं।.....   आर एस राणा

03 अप्रैल 2018

गेहूं की सरकारी खरीद पांच लाख टन के पार, एमपी सरकार 10 जून के बाद देगी बोनस


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद 5.10 लाख टन की हो चुकी है। अभी तक हुई खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की है। प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से गेहूं की ससरकारी खरीद में चालू सप्ताह में तेजी आने का अनुमान है। 
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार अभी तक हुई कुल खरीद में मध्य प्रदेश से 4.91 लाख टन, राजस्थान से 13 हजार टन और गुजरात से 6,000 टन गेहूं की खरीद हुई है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में कांटे लग गए हैं, तथा चालू सप्ताह में दैनिक आवक बढ़ने से खरीद में भी तेजी आयेगी। 
उधर मध्य प्रदेश में गेहूं किसानों को 10 जून के बाद बोनस मिलेगा, जबकि राज्य के सरसों किसानों को भावांतर भुगतान योजना के तहत भुगतान 10 अप्रैल के बाद ​मिल जायेगा। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुसार राज्य के किसानों को गेहूं पर 265 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दिया जायेगा। 
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,735 रुपये प्रति​क्विंटल तय किया हुआ है जबकि मध्य प्रदेश में राज्य सरकार ने किसानों से गेहूं की खरीद 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदने की घोषणा की हुई है। किसान चाहे तो अपनी फसल को मंडियों में भी बेच सकते है। मंडियों में बेचने वाले किसानों को भी 265 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस का भुगतान मिलेगा। 
राज्य की मंडियों में सरसों के भाव घटकर 3,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं जबकि राज्य सरकार ने 4,100 रुपये प्रति क्विंटल की खरीद पर सरसों खरीद की घोषणा की हुई है। अत: सरसों किसानों को 10 अप्रैल के बाद भावांतर योजना के तहत भुगतान किया जायेगा। राज्य के किसान चाहे तो सरसों का वेयर हाउस में भंडारण कर सकते हैं, वेयर हाउस का किराया राज्य सरकार वहन करेगी।...........  आर एस राणा

बासमती चावल के निर्यात सौदों में आयेगी तेजी, धान के भाव भी बढ़ेंगे

आर एस राणा
नई दिल्ली। अप्रैल से बासमती चावल में ईरान के साथ ही अन्य खाड़ी देशों की आयात मांग बढ़ेगी, जिससे घरेलू मंडियों में बासमती धान की कीमतों में भी सुधार आने का अनुमान है। उत्पादक मंडियों में बासमती धान खासकर पूसा 1,121 का स्टॉक कम माना जा रहा है। सोमवार को हरियाणा की करनाल मंडी में पूसा 1,121 बासमती धान का भाव 3,650 रुपये और पूसा 1,509 किस्म के धान का भाव 3,350 रुपये प्रति क्विंटल रहा। 1,121 पूसा बासमती चावल सेला का भाव 6,600 रुपये और स्टीम का 7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहा। 
बासमती चावल के निर्यात सौदों में आयेगी तेजी
केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल मित्तल ने बताया कि बासमती चावल का ​निर्यात वित्त वर्ष 2017-18 में मूल्य के हिसाब से बढ़ेगा, जबकि मात्रा के हिसाब से पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है। उन्होंने बताया​ कि अप्रैल से बासमती चावल के निर्यात सौदों में तेजी आयेगी। विश्व बाजार में भारतीय बासमती चावल पूसा 1,121 सेला का भाव 1,150 डॉलर प्रति टन है। बासमती चावल के निर्यात सौदों में तेजी आने से चावल मिलों की बासमती धान में भी मांग बढ़ेगी, जिससे धान के भाव भी बढ़ेंगे। वैसे भी उत्पादक राज्यों में बासमती धान का स्टॉक कम माना जा रहा है।
अप्रैल से जनवरी के दौरान बढ़ा है निर्यात
एपिडा के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 32.74 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इनका निर्यात 32.51 लाख टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2016-17 में बासमती चावल का ​कुल निर्यात 39.9 लाख टन का हुआ था जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2015-16 के 40.4 लाख टन की तुलना में थोड़ा घटा था।
गैर-बासमती चावल के निर्यात में भारी बढ़ोतरी
गैर-बासमती चावल का निर्यात वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान बढ़कर 70.17 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 52.47 लाख टन का ही हुआ था।............  आर एस राणा

02 अप्रैल 2018

चीनी की कीमतों में ओर मंदे की आशंका, मिलों द्वारा चीनी बेचने की तय सीमा समाप्त


आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने फरवरी और मार्च के लिए चीनी मिलों पर घरेलू बाजार में चीनी बिक्री के लिए जो मात्रात्मक प्रतिबंध लगाया था, वह 31 मार्च 2018 को समाप्त हो रहा है जबकि इसको आगे बढ़ाने के लिए अभी तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। ऐसे में अगले सप्ताह से मिलों द्वारा चीनी की बिक्री बढ़ाने की संभावना है जिससे मौजूदा भाव में और भी मंदा आ सकता है।
उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव शनिवार को 2,950 से 3,025 रुपये और महाराष्ट्र में 2,900 से 2,950 रुपये प्रति क्विंटल रहे। दिल्ली में इस दौरान इसके भाव 3,250 रुपये प्रति क्विंटल रहे। उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन 2017-18 में चीनी की उत्पादन लागत करीब 3,500 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा की आ रही है, ऐसे में मिलों को पहले ही घाटा लग रहा है। अत: भाव में और मंदा आया तो घाटा और बढ़ेगा।
​चीनी के एक थोक कारोबारी के अनुसार पिछले दो ​महीनों से चीनी बेचने के लिए मिलों पर सीमा तय होने के कारण घरेलू बाजार में चीनी की सप्लाई कम थी, अत: सीमा हट जाने से चीनी की सप्लाई बढ़ेगी। वैसे भी चीनी मिलों के पास चीनी का स्टॉक बढ़ रहा है। जिसका असर इसकी कीमतों पर पड़ेगा।
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन 2017-18 में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 295 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में केवल 203 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। देश में चीनी की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन की ही होती है। पहली अक्टूबर 2017 से 15 मार्च 2018 तक 258.06 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 175.5 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।............... आर एस राणा

01 अप्रैल 2018

गेहूं की खरीद का लक्ष्य 320 लाख टन, कई राज्यों में एमएसपी से नीचे बिकने की आशंका


आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से शुरू हो गई है तथा पहली अप्रैल से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तथा अन्य राज्यों से खरीद चालू हो जायेगी। गेहूं की खरीद का लक्ष्य चालू रबी में 320 लाख टन का तय किया गया है। जानकारों के अनुसार उत्पादन की तुलना में खरीद लक्ष्य कम होने के कारण उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार की कुछ मंडियों में गेहूं एमएसपी से ​नीचे बिकने की आशंका है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में एमएसपी पर 2.11 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हो चुकी है इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की 2.05 लाख टन है। राजस्थान से 2,000 टन और गुजरात से 4,000 टन गेहूं की खरीद हो पाई है।
जुलाई में लाल गेहूं का हो सकता है आयात
बंगलुरु स्थि​त प्रवीन कॉमर्शिलय कंपनी के प्रबंधक नवीन गुप्ता ने बताया कि यूक्रेन से आयातित लाल गेहूं का भाव बंगलुरु में 1,790 रुपये और आस्ट्रेलियाई गेहूं का भाव 1,940 से 1,950 रुपये प्रति क्विंटल है। डॉलर में यूक्रेन के गेहूं का भाव 230 डॉलर प्रति टन है, इसमें 20 फीसदी आयात शुल्क लगने के बाद वर्तमान में तो आयात पड़ते नहीं लग रहे हैं लेकिन जुलाई में यूक्रेन और रूस में गेहूं की नई फसल की आवक बनेगी, तथा इन देशों में उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है। इसलिए जुलाई-अगस्त में इसके भाव घटने से आयात पड़ते लग सकते हैं। 
एमएसपी से नीचे बिकने की आशंका
मथूरा स्थित बालाजी फूड प्रोडेक्टस के प्रबंधक संदीप बंसल ने बताया कि देश में गेहूं के अग्रणी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश से गेहूं की खरीद का लक्ष्य 40 लाख टन का तय किया गया है जबकि पिछले साल सरकारी एजेंसियों ने 36.99 लाख टन की खरीद की थी। उत्पादन 300 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है ऐसे में राज्य की कुछ मंडियों में एमएसपी से नीचे बिकने की आशंका है। उधर बिहार में इस साल दो लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है जबकि पिछले साल वहां केंद्रीय पूल के लिए कोई खरीद नहीं हुई थी। बिहार की कुछ मंडियों में भी आवक बढ़ने पर इसके भाव समर्थन मूल्य से नीचे रह सकते हैं।
पंजाब-हरियाणा ने बढ़ाया खरीद लक्ष्य
इस साल केंद्र सरकार ने 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा है जबकि पिछले साल 308 लाख टन की खरीद हुई थी। कुल खरीद में सबसे ज्यादा पंजाब में 119 लाख टन और हरियाणा में 74 लाख टन खरीद का एलान किया गया था। मगर, दोनों राज्यों में इस साल पैदावार अच्छी होने के अनुमान से पंजाब ने हाल ही में 130 लाख टन और हरियाणा ने 80 लाख टन गेहूं की खरीद की घोषणा की है। पिछले साल पंजाब में 117 और हरियाणा में 74.32 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी।
मध्य प्रदेश से कम, राजस्थान से खरीद लक्ष्य ज्यादा
मध्यप्रदेश से इस रबी विपणन सीजन में 67 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा गया है जबकि पिछले साल राज्य से 67.25 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। उधर राजस्थान से पिछले साल महज 12.45 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी जबकि इस बार 16 लाख टन की खरीद का लक्ष्य रखा है। अन्य राज्यों में उत्तराखंड से एक लाख टन और गुजराज 50,000 टन गेहूं खरीद का लक्ष्य है। इसके अलावा 50,000 टन की खरीद अन्य राज्यों से की जायेगी।
एमएसपी में 110 रुपये की बढ़ोतरी
चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन में 1,625 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद हुई थी।
उत्पादन अनुमान में कमी
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी सीजन 2017-18 में गेहूं का उत्पादन घटकर 971.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 985.1 लाख टन का हुआ था। विशेषज्ञों के अनुसार मौसम अनुकूल रहा है इसलिए उत्पादन तय लक्ष्य से ज्यादा ही होने की संभावना है।.....  आर एस राणा

अरहर, उड़द और मूंग का आयात फिर हो सकता है शुरू, किसानों की बढ़ेंगी मुश्किले


आर एस राणा
किसानों को उत्पादक मंडियों में दालों की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर करनी पड़ रही है जबकि केंद्र सरकार द्वारा अरहर, मूंग और उड़द के आयात पर लगाया गया मात्रात्मक प्रतिबंध 31 मार्च 2018 को समाप्त हो रहा है। अत: केंद्र सरकार ने इनके आयात पर रोक नहीं लगाई तो अप्रैल से इनके आयात सौदे ​फिर से शुरू होने की आशंका है, जिससे घरेलू बाजार में दलहन की कीमतों में और मंदा आयेगा।
आयातित पड़ते सस्ते
केंद्र सरकार ने पांच अगस्त 2017 को वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 2 लाख टन अरहर के आयात की सीमा तय की थी, जबकि 21 अगस्त 2017 को उड़द और मूंग के आयात के लिए वित्त वर्ष 2017-18 हेतु 3 लाख टन की सीमा तय की थी। विश्व बाजार में दलहन के भाव नीचे बने हुए हैं, ऐसे में अगर केंद्र सरकार ने इनके आयात पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई तो फिर से आयात सौदे शुरू होने की संभावना है। शाक्म्भरी खाद्य भंडार के प्रबंधक राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि विश्व बाजार अरहर, उड़द और मूंग की कीमतें नीचे बनी हुई है। अगर आयात सौदे होते हुए तो आयातित उड़द मुंबई पहुंच करीब 3,000 से 3,200 रुपये, मूंग 3,500 से 3,700 रुपये और अरहर 3,900 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल होगी।
उत्पादक मंडियों में एमएसपी से नीचे हैं भाव
केंद्र सरकार ने अरहर का एमएसपी खरीफ विपणन सीजन 2017-18 के लिए 5,450 रुपये प्रति क्विंटल, मूंग का एमएसपी 5,575 रुपये और उड़द का एमएसपी 5,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। उत्पादक मंडियों में इनके भाव एमएसपी से 20 से 25 फीसदी नीचे बने हुए हैं।
केंद्रीय पूल में दलहन का बंपर स्टॉक
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार केंद्रीय पूल में दलहन का 20.50 लाख टन का स्टॉक था जिसमें से 7 लाख टन दालों की बिक्री ही हो पाई है। चालू रबी में दलहन की खरीद एमएसपी पर विभिन्न राज्यों से सार्वजनिक कपंनियों नेफैड, एफसीआई, एसएफएसी के माध्यम से की जा रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि रबी सीजन के अंत तक केंद्रीय पूल में दलहन का स्टॉक 22-23 लाख टन से भी ज्यादा होने का अनुमान है।
रिकार्ड पैदावार की संभावना
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दलहन की रिकार्ड पैदावार 239.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन 2016-17 में दालों का उत्पादन 231.3 लाख टन का हुआ था। ..............  आर एस राणा