आर एस राणा
नई
दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2017-18 में पहली अक्टूबर 2017 से 31 मार्च 2018
तक चीनी का उत्पादन 281.82 लाख टन का हो चुका है जोकि पिछले साल की समान
अवधि के मुकाबले 45 फीसदी ज्यादा है। बंपर उत्पादन से चीनी के भाव घरेलू
बाजार में उत्पादन लागत से भी नीचे चल रहे हैं जिस कारण चीनी मिलें
किसानों को समय से भुगतान नहीं कर पा रही है।
मिलों पर किसानों की बकाया राशि बढ़ी
इंडियन
शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मार्च के अनुसार आखिर तक चीनी मिलों पर
किसानों की बकाया राशि बढ़कर 16,000 से 17,000 करोड़ रुपये होने पहुंचने का
अनुमान है। इसमें सबसे ज्यादा बकाया राशि उत्तर के किसानों की करीब 7,200
करोड़ रुपये तथा महाराष्ट्र और कर्नाटका की चीनी मिलों पर किसानों की राशि
बढ़कर 2,500-2,500 रुपये होने का अनुमान है। अन्य उत्पादक राज्यों की चीनी
मिलों पर भी बकाया राशि बढ़कर इस दौरान 4,000 करोड़ रुपये पहुंचने की
संभावना है।
भाव में सुधार के लिए उठाए गए कदम नाकाफी
चीनी
की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार कदम तो उठा रही है, लेकिन
बंपर उत्पादन और विश्व बाजार में चीनी के दाम नीचे होने के कारण सरकारी कदम
बेअसर साबित हो रहे है। हाल ही में केंद्र सरकार ने 20 लाख टन चीनी के
निर्यात की अनुमति दी थी, ताकि अतिरिक्त भंडार को कम करने में मदद मिले
लेकिन विश्व बाजार में चीनी के भाव काफी नीचे है जिससे निर्यात पड़ते नहीं
लग रहे हैं।
महाराष्ट्र में 100 लाख टन से ज्यादा हो चुका है उत्पादन
इस्मा
के अनुसार चालू पेराई सीजन में 31 मार्च तक महाराष्ट्र में चीनी का
उत्पादन 101.27 लाख टन का हो चुका है जबकि उत्तर प्रदेश में इस दौरान 95.40
लाख टन और कर्नाटका में 35.56 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। इन
राज्यों में अभी भी मिलों में पेराई चल रहा है इसलिए उत्पादन में और
बढ़ोतरी होगी।
चीनी के भाव उत्पादन लागत से कम
इस्मा
के अनुसार चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर औसतन 3,000 रुपये प्रति क्विंटल
रह गए हैं जोकि उत्पादन लागत की तुलना में 500 से 600 रुपये प्रति क्विंटल
नीचे हैं।..... आर एस राणा
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