आर एस राणा
चालू
रबी में चना की रिकार्ड पैदावार किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हुई
है। उत्पादक राज्यों की मंडियों में नई फसल की आवकों का दबाव बना हुआ है
जबकि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा खरीद नाममात्र की ही जा रही है, जिससे
किसानों को मंडियों में अपनी फसल मजबूरी में (न्यूनतम समर्थन मूल्य) एमएसपी
से 700 से 900 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है। चना के
भाव में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाये गए कदम भी नाकाफी
साबित हुए हैं।
नेफैड ने खरीदा मात्र 83 हजार टन चना
प्रमुख
उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना की दैनिक आवक लगभग एक लाख क्विंटल की
हो रही है जबकि चालू रबी सीजन में एमएसपी पर नेफैड ने अभी तक केवल 83,201
टन चना की खरीद ही की है। नेफैड ने 23 मार्च तक तेलंगाना से 21,133 टन,
कर्नाटका से 41,279 टन, आंध्रप्रदेश से 15,738 टन, महाराष्ट्र से 1,776 टन
और राजस्थान से 3,353 टन चना की खरीद ही एमएसपी पर की है।
चना निर्यात पर 7 फीसदी है इनसेंटिव
घरेलू
मंडियों में चना की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने चना
निर्यात पर निर्यातकों को 7 फीसदी इनसेंटिव घोषित किया हुआ है लेकिन
आयास्ट्रेलियाई चना सस्ता होने के कारण हमारे यहां से निर्यात पड़ते नहीं
लग रहे हैं। हालांकि चना आयात पर 60 फीसदी आयात शुल्क लगाने के बाद से आयात
नहीं हो रहा है।
किसानों को हो रहा है भारी घाटा
केंद्र
सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए चना का एमएसपी 4,400 रुपये
प्रति क्विंटल (बोसन सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में चना
3,500 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रहा है। जिससे चना
किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। बुधवार को मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी
में चना का भाव 3,600 रुपये प्रति क्विंटल रहा जबकि राजस्थान की बिकानेर
मंडी में इसका भाव 3,700 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
रिकार्ड पैदावार का अनुमान
कृषि
मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में चना की रिकार्ड
111 लाख टन पैदावार होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 93.8
लाख टन का हुआ था।...........आर एस राणा
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