आर एस राणा
नई
दिल्ली। चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 17,000 करोड़
रुपये को पार कर गई है जिससे केंद्र सरकार के हाथ—पावं फूल गए हैं। केंद्र
सरकार राज्यों को इस बाबत पत्र तो लिख रही है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा
ठोस उपाय नहीं करने से बकाया भुगतान राशि में कमी आने के बाजए यह लगातार
बढ़ती ही जा रही है।
चीनी मिलों को गन्ना खरीदने के 14 दिन के
अंदर किसानों को भुगतान करना होता है, गन्ना पेराई सीजन समाप्ति की ओर है
कुछ मिलों में पेराई भी बंद हो गई है लेकिन चीनी मिलें भुगतान नहीं कर रही
है जिससे गन्ना किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
केंद्रीय
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने गन्ना उत्पादक राज्यों के मुख्यमंत्रियों
को पत्र लिखकर तत्काल बकाया भुगतान करवाने का अनुरोध किया है। उत्तर
प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटका, हरियाणा, मध्य प्रदेश और बिहार के साथ ही
सभी 16 गन्ना उत्पादक राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर अनुरोध
किया है कि गन्ना पेराई सीजन 2017—18 और उसके पहले के बकाया का भुगतान
तत्काल किसानों को कराया जाये, तथा जो चीनी मिलें ऐसा नहीं करती है, उनके
खिलाफ उचित कार्यवाही की जाये। इससे पहले खाद्य सचिव ने भी 23 मार्च को सभी
गन्ना उत्पादक राज्यों के खाद्य सचिवों को इस बाबत पत्र लिखा था।
सबसे ज्यादा बकाया उत्तर प्रदेश की मिलों पर
इंडियन
शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार मार्च के आखिर तक चीनी मिलों पर
किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 16,000—17,000 करोड़ रुपये हो गई है, इसमें
सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का 8,282 करोड़ रुपये
बकाया है।
चीनी उत्पादन हो चुका है 45 फीसदी ज्यादा
चालू
पेराई सीजन 2017-18 में पहली अक्टूबर 2017 से 31 मार्च 2018 तक चीनी का
उत्पादन 281.82 लाख टन का हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के
मुकाबले 45 फीसदी ज्यादा है।
सुधार के लिए उठाए गए कदम नाकाफी
चीनी
की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाये गये कदम बेअसर
साबित हो रहे है। हाल ही में केंद्र सरकार ने 20 लाख टन चीनी के निर्यात
की अनुमति दी थी, ताकि अतिरिक्त भंडार को कम करने में मदद मिले लेकिन विश्व
बाजार में चीनी के भाव काफी नीचे है जिससे निर्यात पड़ते नहीं लग रहे
हैं। ....... आर एस राणा
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