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09 दिसंबर 2023

गेहूं की कीमतों को काबू करने के लिए केंद्र ने एक फिर स्टॉक लिमिट घटाई

नई दिल्ली। गेहूं की कीमतों को काबू में करने के लिए केंद्र सरकार ने एक बार फिर स्टॉक सीमा की मात्रा में कटौती कर दी है। केंद्रीय खाद्वय एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार गेहूं की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए तत्काल प्रभाव से थोक विक्रेताओं, खुदरा व्यापारियों, बिग चेन रिटेलर्स और मिलर्स के लिए स्टॉक लिमिट में कटौती करने का फैसला किया गया है।


सरकार ने ट्रेडर्स होलसेलर्स के लिए गेहूं की स्टॉक लिमिट को 2,000 टन से घटाकर 1,000 टन करने का फैसला किया है। सरकार ने यह फैसला गेहूं की जमाखोरी और होर्डिंग रोकने के लिए लिया है जिससे बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढ़ाई जा सकें। इसी तरह से रिटेलर्स के लिए स्टॉक लिमिट को 10 टन से घटाकर 5 टन, बिग चेन रिटेलर्स के लिए आउटलेट में 10 टन से घटाकर 5 टन करने का फैसला लिया है। मिलर्स के मामले में मासिक स्थापित क्षमता का 70 फीसदी 2023-24 के शेष महीनों से गुणा करके रख सकते हैं।

संशोधित स्टॉक सीमा तत्काल प्रभाव से लागू होगी, तथा व्यापारियों को स्टॉक को संशोधित सीमा तक कम करने के लिए 30 दिन का समय मिलेगा।

मंत्रालय के अनुसार सभी संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। साथ ही हर शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति को अपडेट करनी होगी। यदि कोई भी संस्था, जो पोर्टल पर पंजीकृत नहीं पाई गई या स्टॉक सीमा का उल्लंघन करती है, उसके खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

इससे पहले केंद्र सरकार ने 14 सितंबर 2023 को थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं पर स्टॉक सीमा को 3,000 टन से घटाकर 2,000 टन किया था।

केंद्र सरकार ने 12 जून 2023 को गेहूं के व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं पर मार्च 2024 तक 3,000 टन की स्टॉक सीमा लगाई थी, जिसे 14 सितंबर 2023 को कम कर दिया था। 

केंद्र ने गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है, हालांकि शीरे से एथेनॉल का उत्पादन जारी रहेगा।

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरीज को गन्ने के जूस से एथेनॉल बनाने पर तत्काल रोक के निर्देश दे दिए हैं। सरकार ने गन्ने से इथेनॉल बनाने पर रोक इसलिए लगाई है क्योंकि इस बार खराब मानसून के चलते गन्ने की फसल प्रभावित हुई है तथा इससे घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी आई है।

चालू पेराई सीजन में देश में चीनी के उत्पादन में करीब 12 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है। इसलिए सरकार चीनी की कीमतों में बढ़ोतरी रोकने के लिए उपाय कर रही है।

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत डायरेक्टर शुगर की ओर से जारी आदेश में कहां गया है कि सभी चीनी मिलों और डिस्टिलरीज गन्ने के जूस/सिरप का इस्तेमाल एथेनॉल बनाने के लिए नहीं करें। बी हैवी मोलेसेस यानी शीरे से एथेनॉल का उत्पादन जारी रहेगा।

कमजोर मानसून के कारण चालू सीजन में देश के कई राज्यों में गन्ने की फसल प्रभावित हुई है तथा सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र एवं कर्नाटक में हुआ है। ऐसे में चीनी का उत्पादन पहली अक्टूबर 2023 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2023-24 के अक्टूबर से सितंबर के दौरान घटकर 285 से 290 लाख टन ही होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 331 लाख टन का हुआ था।  

केंद्र सरकार ने 2.40 लाख टन गैर बासमती चावल के निर्यात की मंजूरी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कोमोरोस, मेडागास्कर, इक्वेटोरियल गिनी, मिस्र, केन्या को 2.40 लाख टन गैर बासमती चावल के निर्यात को मंजूरी दी है। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 7 दिसंबर 2023 को जारी अधिसूचना के अनुसार इन देशों को गैर बासमती चावल का निर्यात नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट लिमिटेड, एनसीईएल के माध्यम से किया जायेगा।


मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार केन्या को एक लाख टन गैर बासमती चावल का निर्यात किया जाएगा, जबकि 60 हजार टन मिस्र को, इक्वेटोरियल गिनी को 10,000 टन, मेडागास्कर को 50,000 टन तथा कोमोरोस को 20,000 टन गैर बासमती चावल का निर्यात किया जायेगा।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 23.14 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 68.82 लाख टन का ही हुआ है, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान इसका निर्यात 89.54 लाख टन का हुआ था।

केंद्र सरकार ने घरेलू आपूर्ति बनाए रखने के लिए 20 जुलाई से गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया हुआ है, लेकिन कई देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरत के मद्देनजर सरकार उनके लिए गैर-बासमती चावल के निर्यात की अनुमति देती है।

उत्तर भारत के राज्यों में नवंबर अंत तक 22.76 लाख गांठ कॉटन की हुई आवक

नई दिल्ली। पहली सितंबर 2023 से नवंबर 2023 तक उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में 22.76 लाख गांठ, एक गांठ-170 किलो कॉटन की आवक हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 16.21 लाख गांठ से ज्यादा है।


इंडियन कॉटन एसोसिएशन लिमिटेड के अनुसार पहली सितंबर 23 से 30 नवंबर 2023 तक पंजाब की मंडियों में कॉटन की आवक 1,27,675 गांठ की, हरियाणा की मंडियों में 7,33,235 गांठ तथा राजस्थान की गंगानगर लाइन में 6,38,570 गांठ तथा इस दौरान लोअर राजस्थान में 7,76,700 गांठ कॉटन की आवक हुई है।

चालू फसल सीजन 2023-24 में इन राज्यों में 44.37 लाख गांठ कॉटन के उत्पादन का अनुमान है, जोकि पिछले फसल सीजन 41.18 लाख गांठ की तुलना में ज्यादा है। पंजाब में चालू फसल सीजन में 4.34 लाख गांठ, हरियाणा में 15.74 लाख गांठ तथा गंगानगर लाइन में 12.68 लाख गांठ के अलावा लोअर राजस्थान में भी 12.68 लाख गांठ के उत्पादन का अनुमान है।

कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया, सीसीआई ने इन राज्यों से न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर 35,907 गांठ कपास की खरीद की है। अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब की मंडियों से 17,258 गांठ, हरियाणा की मंडियों से 12,289 गांठ, गंगानगर लाइन की मंडियों से 4,225 गांठ के अलावा लोअर राजस्थान की मंडियों 3,000 गांठ कपास की खरीद हुई है। 

राजस्थान में गेहूं, चना एवं सरसों के साथ ही जौ की बुआई तय लक्ष्य से कम

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में 4 दिसंबर 2023 तक राजस्थान में गेहूं, चना, सरसों के साथ ही जौ की बुआई तय लक्ष्य से पीछे चल रही है। हालांकि गेहूं की बुआई के लिए अभी समय है लेकिन चना, सरसों तथा जौ की बुआई का समय लगभग समाप्त हो चुका है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार राज्य में जौ की बुआई घटकर 3.54 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि तय लक्ष्य 3.65 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। हालांकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में जौ की बुआई 3.37 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई थी।

रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई घटकर राज्य में 34.91 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि तय लक्ष्य 41 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। पिछले साल इस समय तक राज्य में 37.10 लाख हेक्टेयर में सरसों की बुआई हो चुकी थी। तिलहनी फसलों की कुल बुआई चालू रबी में 36.19 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि तय लक्ष्य 43.60 लाख हेक्टेयर से कम है।

दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू रबी में घटकर 17.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि तय लक्ष्य 21 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है। पिछले साल इस समय तक राज्य में चना की बुआई 20.43 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। दलहन की कुल बुआई चालू रबी में राज्य में 18.10 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई 20.71 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। दलहनी फसलों की बुआई का लक्ष्य 21.40 लाख हेक्टेयर तय किया गया है।

गेहूं की बुआई चालू रबी में राज्य में 21.97 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 23.49 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है। चालू रबी में राज्य में 31 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई का लक्ष्य राज्य के कृषि निदेशालय ने तय किया हुआ है।

गुजरात में दलहन एवं तिलहन की बुआई पीछे, गेहूं में हल्का सुधार

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में गुजरात में दलहन एवं तिलहन की बुआई पीछे चल रही है, जबकि गेहूं की बुआई में हल्का सुधार आया है।


राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार राज्य में 4 दिसंबर तक तिलहन की बुआई केवल 2.43 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 2.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई चालू रबी में 2.43 लाख हेक्टेयर में हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.87 लाख हेक्टेयर की तुलना में कम है।

इसी तरह से चालू रबी में दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई राज्य में घटकर 4.56 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 5.07 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। दलहनी फसलों की कुल बुआई चालू रबी में 4.92 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 5.39 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई चालू रबी में राज्य में थोड़ी सुधरकर 6.87 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 6.86 लाख हेक्टेयर में बुआई ही हुई थी।

मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई चालू रबी में राज्य में 17,929 हेक्टेयर में, मक्का की 83,087 हेक्टेयर में तथा अन्य फसलों की 10,233 हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल क्रमश: इनकी बुआई 14,982 हेक्टेयर में, 84,995 हेक्टेयर में तथा 9,381 हेक्टेयर में हो चुकी थी। 


उत्पादक राज्यों में हाल ही में हो रही बारिश चना की फसल के लिए फायदेमंद

नई दिल्ली। चालू रबी में चना की बुआई में भले ही 11 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है, लेकिन हाल में उत्पादक राज्यों में हो रही बारिश इसकी फसल के लिए फायदेमंद है। इससे चना की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में बढ़ोतरी होने की संभावना है।


भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान, दक्षिणी तमिलनाडु, मध्य प्रदेश के पूर्वी हिस्सों और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश हुई। आंध्र प्रदेश के दक्षिणी तट, विदर्भ, मराठवाड़ा, मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों और पूर्वी गुजरात और हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में हल्की बारिश हुई।

आईएमडी के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान, तटीय आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश संभव है। आंतरिक तमिलनाडु और पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। इसके अलावा तटीय कर्नाटक में हल्की बारिश संभव है।

कृषि मंत्रालय के अनुसार 1 दिसंबर 23 तक चना की बुआई 11.26 फीसदी कम होकर 75.09 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 85.54 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में चालू रबी में चना की बुआई बढ़कर 20.26 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 18.60 लाख हेक्टेयर से कम है। हालांकि महाराष्ट्र में चालू रबी इसकी बुआई घटकर केवल 15.26 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 19.36 लाख हेक्टेयर से कम है।

कर्नाटक में चालू रबी में चना की बुआई कम होकर 8.24 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 10.73 लाख हेक्टेयर से कम है। इसी तरह से आंध्र प्रदेश में चना की बुआई 1.41 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 2.50 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

राजस्थान में चालू रबी में चना की बुआई घटकर 17.52 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 20.42 लाख हेक्टेयर से कम है। उत्तर प्रदेश में चना की बुआई 6.44 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 8.82 लाख हेक्टेयर से ज्यादा है।

गुजरात में चना की बुआई चालू रबी में घटकर 3.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 4.65 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। छत्तीसगढ़ में चालू रबी में चना की बुआई 1.22 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 1.30 लाख हेक्टेयर से कम है।

चालू रबी में गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा मोटे अनाजों की बुआई घटी

नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में गेहूं के साथ ही दलहन एवं तिलहन तथा धान की बुवाई पिछले साल की तुलना में पीछे चल रही है।


कृषि मंत्रालय के अनुसार 1 दिसंबर तक रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई 187.94 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुआई 197.55 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

रबी दलहन की बुआई घटकर चालू सीजन में 108.09 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 119.37 लाख हेक्टेयर से कम है।

रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुआई चालू सीजन में 75.09 लाख हेक्टेयर में हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 85.54 लाख हेक्टेयर से कम है। हालांकि इस दौरान मसूर की बुआई चालू रबी में बढ़कर 14.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 13.99 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। मटर की बुआई चालू रबी में 7.94 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई केवल 7.57 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। उड़द की बुआई 2.46 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 3.17 लाख हेक्टेयर से कम है।

मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में 39.93 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुआई 41.68 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

मोटे अनाजों में ज्वार की बुआई चालू रबी में 16.74 लाख हेक्टेयर में, मक्का की 14.55 लाख हेक्टेयर में और जौ की 7.92 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 18.21 लाख हेक्टेयर, 14.27 लाख हेक्टेयर और 7.98 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।

तिलहनी फसलों की बुआई चालू रबी सीजन में घटकर 89.49 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 89.88 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम है।

रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुआई चालू रबी में थोड़ी बढ़कर 84.26 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले इस समय तक इसकी बुआई 83.71 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। अन्य रबी तिलहन में मूंगफली की बुआई 2.20 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2.74 लाख हेक्टेयर से कम है। सफ्लावर की बुआई चालू रबी में 47 हजार हेक्टेयर में ही हुई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 53 हजार हेक्टेयर में हो चुकी थी। अलसी की बुआई चालू में बढ़कर 2.18 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 2 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी।

धान की रोपाई चालू रबी में 9.28 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 10.70 लाख हेक्टेयर से कम है।

रबी फसलों की कुल बुआई चालू रबी सीजन में 434.72 लाख हेक्टेयर में ही हुई है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 459.22 लाख हेक्टेयर से कम है।

चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में कैस्टर तेल का निर्यात 3.38 फीसदी बढ़ा - उद्योग

नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान कैस्टर तेल का निर्यात 3.38 फीसदी बढ़कर 3.66 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 3.54 लाख टन का ही हुआ था।


सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एसईए के अनुसार अक्टूबर में कैस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 50,070 टन का हुआ है, जबकि पिछले साल अक्टूबर में इसका निर्यात केवल 39,783 टन ही हुआ था।

एसईए के अनुसार मूल्य के हिसाब से वित्त वर्ष 2023-24 के पहले सात महीनों में कैस्टर  तेल का निर्यात 4,607.97 करोड़ रुपये का हुआ है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल से मार्च के दौरान इसका निर्यात 9,027.64 करोड़ रुपये का हुआ था।

व्यापारियों के अनुसार ग्राहकी कमजोर होने से कैस्टर सीड के साथ ही कैस्टर तेल की कीमतों में गिरावट आई। गुजरात की राजकोट मंडी में केस्टर तेल कर्मिशलय के भाव गुरुवार को कमजोर होकर 1,230 रुपये और एफएसजी के दाम घटकर 1,240 रुपये प्रति 10 किलो रह गए। राजकोट मंडी में कैस्टर सीड के दाम घटकर 1,185 से 1,210 रुपये और गोंडल मंडी में 1,120 से 1,151 रुपये तथा जूनागढ़ में 1,130 से 1,170 रुपये तथा जामनगर मंडी में इसके दाम घटकर 1,130 से 1,167 रुपये प्रति 20 किलो रहे।  

अक्टूबर में 20 लाख टन सोयाबीन की आवक, एक लाख टन सोया डीओसी का निर्यात

नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2023-24 के पहले महीने अक्टूबर में घरेलू मंडियों में 20 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी आवक केवल 17 लाख टन की हुई थी।

सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सोपा के अनुसार अक्टूबर में एक लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हुआ है, जबकि पिछले साल अक्टूबर में केवल 49 हजार टन का ही हुआ था। अक्टूबर में सोया डीओसी का उत्पादन 9.07 लाख टन हा हुआ है, जबकि 1.17 लाख टन का पिछला स्टॉक बचा हुआ है। अत: इस दौरान डीओसी की घरेलू खपत फीड में 6.50 लाख टन और फूड में 75 हजार टन की हुई है। अत: पहली नवंबर को 1.99 लाख टन सोया डीओसी का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जबकि पिछले साल पहली नवंबर के 2.25 लाख की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार अक्टूबर में उत्पादक मंडियों में 20 लाख टन सोयाबीन की आवक हुई है, जिसमें से 11.50 लाख टन की क्रॉसिंग हो चुकी है। 40 हजार टन सोयाबीन की इस दौरान सीधी खपत हुई है। अत: पहली नवंबर को किसान, व्यापारियों एवं प्लांटों के पास 118.21 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के 126.37 लाख टन की तुलना में कम है।

सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन में सोयाबीन का उत्पादन 118.74 लाख टन होने क अनुमान है, जोकि पिछले साल के 124.11 लाख टन से कम है। चालू फसल सीजन में पहली अक्टूबर को सीजन की शुरुआत में घरेलू बाजार में 24.07 लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था।