आर एस राणा
नई
दिल्ली। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने किसानों को फसलों का समर्थन मूल्य
देने के बड़े-बड़े वादे तो किए थे, लेकिन राज्य से धान की न्यूनतम समर्थन
मूल्य (एमएसपी) पर हो रही खरीद में दावों की पोल खुलने लगी है। पहली
अक्टूबर से शुरू हुए खरीद सीजन में 5 नवंबर तक राज्य की मंडियों से एमएसपी
पर केवल 18,535 टन धान ही खरीदा गया है।
राज्य में धान का
उत्पादन 200 लाख टन के करीब होता है जबकि चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में
एमएसपी पर खरीद का लक्ष्य ही 10.44 लाख टन का रखा गया था। अत: सरकारी खरीद
के अभाव में किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य से 25 से 30 फीसदी नीचे भाव पर
व्यापारियों और राइस मिलरों को बेचने पर मजबूर हैं।
एमएसपी से 270 से 550 रुपये बिक रहा है धान
केंद्र
सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए सामान्य किस्म के धान का
एमएसपी 1,750 रुपये और ग्रेड-ए धान का एमएसपी 1,770 रुपये प्रति क्विंटल तय
किया है जबकि उत्पादक मंडियों में 1,200 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल धान
बिक रहा है।
क्रय केंद्रों पर नमी या फिर अन्य कारण बताकर खरीद से परहेज
पीलीभीत
जिले की पूरनपुर तहसील के गांव बेगपुर के किसान गुरुप्रीत सिंह ने बताया
कि उन्होंने साढ़े पांच एकड़ में धान की फसल लगाई थी, लेकिन पूरनपुर मंडी
में सरकारी खरीद न के बराबर की जा रही है, क्रय अधिकारी फसल में नमी की
मात्रा ज्यादा बताकर या अन्य कोई कारण बताकर किसानों से खरीद नहीं कर रहे
हैं। इससे परेशान होकर उन्हें अपनी फसल राइस मिलर को 1,200 से 1,400 रुपये
प्रति क्विंटल के भाव बेचनी पड़ी। राइस मिलर एक क्विंटल पर एक किलो धान की
कटौती करते है, साथ ही अगर भुगतान तुरंत चाहिए तो फिर एक फीसदी मुद्दत भी
काट लेते हैं, नहीं तो भुगतान एक महीने बाद किया जाता है। उन्होंने बताया
कि इस बारे में कई बार पूरनपुर मंडी सचिव को भी अवगत कराया गया, लेकिन
समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ।
अधिकारियों के माना खरीद की गति धीमी
पूरनपुर
मंडी सचिव सहदेव सिंह ने आउटलुक को बताया कि मंडी से धान की समर्थन मूल्य
पर खरीद तो रही है, लेकिन खरीद की गति धीमी है। अभी तक करीब 3,000 से 4,000
टन धान ही समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक मंडी
में आ रहे धान में नमी की मात्रा ज्यादा आ रही थी, साथ ही किसानों का
रजिस्ट्रशन नहीं होना भी एक कारण है। किसान भी रजिस्ट्रेशन कराने में कम
रुचि ले रहे हैं। हालांकि अभी 15 नवंबर तक किसान जरिस्ट्रेशन करवा सकते
हैं। उन्होंने बताया कि पीलीभीत जिले में 96 क्रय केंद्र खोले गए हैं, तथा
धान की खरीद का लक्ष्य 30.40 लाख क्विंटल का है। उन्होंने बताया अगर नमी की
मात्रा 20 फीसदी से ज्यादा है, तो फिर व्यापारी को उसे ड्रायर से सूखाने
में 100 रुपये प्रति क्विंटल का खर्च आता है, इसलिए व्यापारी उसी हिसाब से
खरीद करता है।
व्यापारियों और राईस मिलर को बेचना पड़ रहा है धान
राज्य
के बरेली जिले की तहसील बहेड़ी के किसान दिलबाग सिंह ने बताया कि पूरी
बहेड़ी तहसील में एक ही क्रय केंद्र पर धान की खरीद की जा रही है, वह भी
नाममात्र की ही। उन्होंने बताया कि क्रय केंद्र पर धान की खरीद नहीं करने
के लिए अधिकारीगण तरह-तरह के बहाने जैसे फसल में काला दाना, हरा दाना या
फिर नमी ज्यादा बताकर खरीद के अयोग्य घोषित कर देते है। जिससे परेशान होकर
किसान व्यापारियों को या फिर चावल मिलों में 1,300 से 1,500 रुपये प्रति
क्विंटल पर धान बेच देता है।
खरीद के बदले नहीं दी जा रही रसीद
उन्होंने
बताया कि चावल मिल वाले किसानों को धान की खरीद की रसीद तक नहीं देते हैं,
बल्कि कांटे की जो पर्ची होती है उसी के आधार पर पैमेंट कर दी जाती है।
उन्होंने बताया कि बहेड़ी तहसील उत्तराखंड के बार्डर पर स्थित है तथा यहा
धान की खेती सबसे ज्यादा होती है।
अधिकारियों से मिला केवल आश्वासन
सुल्तानपुर
जिले के किसान रामप्रकाश ने बताया कि धान की समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए
जिले में 19 क्रय केंद्र तो खोले गए हैं लेकिन खरीद नहीं के बराबर की जा
रही है। इस बारे में हमने जिलाअधिकारी को भी अवगत कराया था, लेकिन वहां से
भी केवल आश्वासन ही मिला।
खरीद का लक्ष्य 10.44 लाख टन
राज्य
के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पहली अक्टूबर
से शुरू हुए चालू खरीद सीजन में 5 नवंबर 2018 तक राज्य की मंडियों से
18,535 टन टन धान एमएसपी पर खरीदा गया है। उन्होंने बताया कि चालू खरीफ
विपणन सीजन में राज्य से धान की खरीद का लक्ष्य 10.44 लाख टन का तय किया
गया है।................. आर एस राणा
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