नई दिल्ली। स्टॉकिस्टों की सक्रियता से घरेलू बाजार में सोमवार को दलहन की कीमतों में मिलाजुला रुख देखा गया। जहां अफ्रीकी देशों से आयातित अरहर एवं आयातित मसूर के साथ ही चना की कीमतों में गिरावट आई, वहीं देसी मसूर और मूंग के दाम तेज हुए।
भारतीय मौसम विभाग, आईएमडी के अनुसार पहली जून से 4 सितंबर के दौरान देशभर में सामान्य की तुलना में 11 फीसदी बारिश हुई है। इस दौरान 36 सबडिवीजनों में से 7 में बारिश सामान्य से कम हुई है।
आईएमडी के अनुसार पांच सितंबर को तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ के साथ ही कर्नाटक में कई बारिश होने का अनुमान है। छह और सात सितंबर को मध्य प्रदेश, विदर्भ, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ के अलावा कर्नाटक और तमिलनाडु में बारिश होने का अनुमान है। 8 सितंबर को महाराष्ट्र के अधिकांश क्षेत्रों में बारिश होने का अनुमान है।
चेन्नई में बर्मा की उड़द एफएक्यू और एसक्यू के साथ ही लेमन अरहर के दाम स्थिर बने रहे। उड़द एफएक्यू और एसक्यू के भाव अगस्त एवं सितंबर शिपमेंट के फसल सीजन 2023 के क्रमश: 1,010 डॉलर और 1,105 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर हो गए। इस दौरान लेमन अरहर के दाम 1,310 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ के पूर्व स्तर पर स्थिर बने रहे।
आयातित उड़द के दाम स्थिर होने से घरेलू बाजार में उड़द की कीमतों में मिलाजुला रुख रहा। उड़द के उत्पादक राज्यों में पिछले एक, दो दिनों में बारिश हुई है, तथा अगले दो, तीन दिनों में और बारिश होने का अनुमान है। ऐसे में इसकी कीमतों में तेजी, मंदी चालू महीने मौसम कैसा रहता है इस पर भी निर्भर करेगी। जानकारों के अनुसार त्योहारी सीजन के कारण उड़द दाल में दक्षिण भारत की मांग अभी बनी रहेगी, जबकि बर्मा में पुरानी उड़द का बकाया स्टॉक पहले की तुलना में काफी कम हुआ है। बर्मा से उड़द के आयात पड़ते महंगे हैं। ऐसे में उड़द की कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार कम है, हालांकि बढ़ भाव में मुनाफावसूली करनी चाहिए।
लेमन के साथ ही देसी अरहर के दाम तेज, लेकिन अफ्रीकी देशों में आयातित अरहर में गिरावट आई। अरहर के उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक के साथ ही मध्य प्रदेश में अगले दो, तीन दिन अच्छी बारिश होने का अनुमान है। व्यापारियों के अनुसार खपत का सीजन होने के कारण अरहर दाल में मांग बराबर बनी हुई है, साथ ही घरेलू बाजार में देसी अरहर का बकाया स्टॉक भी कम है। स्टॉक लिमिट लगी होने के कारण दाल मिलों के पास भी तय मात्रा में ही अरहर का स्टॉक बचा हुआ है जबकि घरेलू मंडियों में देसी अरहर की आवक पहले की तुलना में कम हो गई है। अफ्रीकी देशों से अरहर के आयात में देरी हो रही है इसलिए अरहर की कीमतों में अभी बड़ी गिरावट के आसार नहीं है।
स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली आयातित मसूर के दाम कमजोर हुए है, लेकिन देसी के दाम दिल्ली में तेज ही बने रहे। मसूर में व्यापारी अभी ज्यादा मंदे में नहीं है। त्योहारी सीजन होने के कारण मसूर दाल में बिहार, बंगाल एवं असम की मांग बनी हुई। वैसे भी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मंडियों में देसी मसूर की आवक काफी कम हो गई है। जानकारों के अनुसार इसके भाव में बढ़ी हुई कीमतों में स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली समय, समय बनेगी। उधर कनाडा एवं ऑस्ट्रेलिया से आयातित मसूर की आवक बराबर बनी रहने का अनुमान है।
स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली से दिल्ली में चना के दाम कमजोर हुए हैं। जानकारों के अनुसार नेफेड त्योहारी सीजन में चना की बिक्री बढ़ायेगी। ऐसे में चना की तेजी, मंदी काफी हद तक नेफेड की निविदा के भाव पर तय होगी। हालांकि उत्पादक राज्यों में चना का बकाया स्टॉक पिछले साल की तुलना में काफी कम बचा हुआ है। चना की नई फसल फरवरी, मार्च में ही आयेगी। त्योहारी सीजन के कारण चना दाल एवं बेसन की मांग अभी बनी रहेगी। इसलिए इसके भाव में बड़ी गिरावट के आसार कम है।
सूत्रों के अनुसार नेफेड ने मध्य प्रदेश में फसल सीजन 2023 का खरीदा हुआ 3.15 लाख टन चना बेचने का फैसला किया है, इसके अलावा अगले दो महीनों में निगम करीब 15 लाख टन चना की बिक्री करेगी। सरकार का मकसद त्योहारी सीजन में कीमतों को काबू में रखना है।
मूंग के दाम तेज बने हुए है। जानकारों के अनुसार उत्पादक राज्य में बारिश की कमी से फसल का उतारा कम आ रहा है। इसलिए मूंग में बिकवाली कम आ रही है। खपत का सीजन होने के कारण मूंग दाल की मांग अभी बनी रहेगी। इसलिए इसकी कीमतें अभी ज्यादा मंदा आने का अनुमान नहीं है। हालांकि बढ़ी हुई कीमतों में स्टॉकिस्टों की मुनाफावसूली आ सकती है। जानकारों के अनुसार मौसम अनुकूल रहा तो आगामी दिनों में नई मूंग की आवक बढ़ेगी।
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