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04 फ़रवरी 2019

अंतरिम बजट 2019 के बारे क्या कहना है किसान नेताओं का?

आर एस राणा
नई दिल्ली। दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और महाराष्ट्र आदि कई राज्यों में हुए किसान आंदोलनों से सरकार के साथ ही विपक्षी दलों के एजेंडे में किसान और खेती ने प्रमुख जगह बनाई। वही तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की हार से यह तो तय था कि अंतरिम बजट 2019 में सरकार किसानों के लिए कुछ अलग करेगी। अत: अंतरिम बजट 2019 में सरकार ने किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए सीधी राहत की घोषणा करते हुए पांच एकड़ तक जमीन वाले किसानों को सालाना 6 हजार रुपये देने की घोषणा की है। जानिए इस पर किसान संगठन के नेताओं का क्या कहना है?
सरकार को गणित भी नहीं आता
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी एम सिंह ने कहा कि किसानों के लिए यह बजट मायूसी वाला है। लगता है सरकार को तो गणित भी नहीं आता? सरकार ने बजट कहा कि 2 हेक्टेयर तक की जमीन वाले किसान को सालाना 6,000 रुपये देंगे, तथा इसके दायरे में 12 करोड़ किसान आयेंगे। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के लिए संशोधित अनुमान में 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जबकि 12 करोड़ किसानों के हिसाब से यह राशि 24,000 करोड़ रुपये बैठेगी।
उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने फसलों का एमएसपी सी2 यानि लागत का 50 फीसदी तय करने का वायदा किया था, लेकिन एमएसपी ए2एफएल के आधार पर तय कर दिया। इससे किसानों को प्रति हेक्टेयर करीब 40 हजार रुपये की सालाना आय कम हो गई जबकि सरकार किसानों को 6,000 रुपये सालाना देने की बात कर रही है। यह केवल चुनावी बजट है, यह बात किसान भी अच्छी तरह से जानता है।
सरकार को चुनाव के समय ही याद आती है किसानों की
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता एवं लोक सभा सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि किसानों के लिए बजट बेहद निराशाजनक है। जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने वर्ष 2014 में चुनाव के समय किसानों को कहा था कि एक बार हमें मौका दे, फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत का डेढ़ गुना तय कर देंगे, लेकिन ऐसा किया नहीं।
उसी तरह से अब लोकसभा चुनाव को देखते हुए सरकार को किसानों की याद आई है, तथा अंतरिम बजट में जो 6,000 रुपये देने की बात की है वह भी एक झुमला ही है। वैसे भी यह अंतरिम बजट है। अत: आगे नई सरकार बनेगी तो, जरुरी नहीं कि वह इसे जारी रखे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से वित्त मंत्री ने भी माना है कि बाजार भाव और एमएसपी में 1,000 से 1,200 रुपये क्विंटल का अंतर है, उस हिसाब से एक छोटा किसान भी हर साल 20 से 30 क्विंटल एग्री जिंस की बिक्री तो करता ही है, अत: उसे सालाना 20 से 30 हजार रुपये का नुकान तो हुआ ही है। 
ऐसा बजट एक फरवरी नहीं एक अप्रैल को पेश करना था
राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) नेता जयंत चौधरी ने कहा कि ऐसा बजट एक फरवरी नहीं एक अप्रैल को पेश करना था। अगर सरकार कुछ भूस्वामी को चंद रुपये देकर सोचती है, कि पल्ला झाड़ लो, सारी सब्सिडी छीन लो, आय दोगनुी हो गई, तो आंख खुल जायेगी। देश का किसान इससे ज्यादा का हकदार है।
सरल भाषा में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 3.33 रुपये
स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान के नाम पर किसानों को प्रति वर्ष 6,000 देने की घोषणा की गई, सरल भाषा में कहा जाए तो अगर 5 लोगों का परिवार है तो, प्रति व्यक्ति 3.33 प्रतिदिन, मोदी जी चाय पर चर्चा कराने में माहिर हैं। कम से कम चाय का तो दाम दे देते। "ऐतिहासिक" पीएम फसल बीमा योजना, जिसका इस बजट में जिक्र तक नहीं। "ऐतिहासिक" पीएम आशा योजना, जिसमें सरकार के पास खरीद के आंकड़ें तक नहीं और अब.."ऐतिहासिक" पीएम किसान सम्मान योजना ..लगता है जल्द ही पीएम खुद इतिहास बनने वाले हैं।.......   आर एस राणा

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