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13 जनवरी 2021

कपास की कीमतों में आगे और तेजी की उम्मीद, निर्यात में होगी बढ़ोतरी

नई दिल्ली। विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में चल रही तेजी से घरेलू बाजार से अक्टूबर 2020 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में 60 से 65 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास का निर्यात होने का अनुमान है। उधर उत्तर भारत के राज्यों में अब कपास की फसल 24 से 25 फीसीद ही बची हुई जोकि मजबूत हाथों में है इसलिए बिकवाली का दबाव अब मंडियों में बनने की उम्मीद नहीं है।

अहमदाबाद के कॉटन कारोबारी रामलाल भाटिया के अनुसार अमेरिका में कपास के उत्पादन अनुमान में और कमी आने की आशंका है, जबकि निर्यात लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में वहां बकाया स्टॉक कम बचेगा। इसी के असर से आईसीई कॉटन मार्च वायदा मंगलवार को 1.58 फीसदी बढ़कर 81.70 सेंट पर पहुंच गया। उन्होंने बताया कि मौजूदा तेजी को देखते हुए घरेलू बाजार से चालू सीजन में कॉटन का निर्यात बढ़कर 60 से 65 लाख गांठ होने का अनुमान है जोकि कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया, एसईए के आरंभिक अनुमान 54 लाख गांठ से ज्यादा है। पिछले साल देश से 50 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। चालू सीजन में अभी तक करीब 22 लाख गांठ के निर्यात सौदे हो चुके हैं।

उन्होंने बताया कि चालू फसल सीजन में अभी तक करीब 210 से 215 लाख गांठ कपास की आवक मंडियों में हो चुकी है तथा सीसीआई ने 11 जनवरी 2021 तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 83,41,536 गांठ कॉटन की खरीद की है ​बाकि खरीद यार्न मिलों, एमएनसी कपंनियों और स्टॉकिस्टों ने की है। सीसीआई खरीद के साथ ही पुरानी और नई कॉटन की बिक्री भी कर रही है तथा उत्पादक मंडियों में कपास के दाम सीसीआई के खरीद भाव से ज्यादा हो गए हैं, जिस कारण सीसीआई की खरीद में पिछले चार, पांच दिनों से कमी आई है, तथा अब ज्यादा खरीद यार्न मिलें या फिर एमएनसी कंपनियां ही कर रही हैं।

नॉर्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि विश्व बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी के कारण घरेलू बाजार में भाव बढ़ रहे हैं, जिस कारण किसानों की बिकवाली पहले की तुलना में कम हो गई है। किसानों को उम्मीद है ​कीमतों में आगे और तेजी आयेगी, इसलिए बिकवाली कम रहे हैं। अगर एक फीसदी भाव नीचे भी आते हैं तो फिर सीसीआई के खरीद केंद्रों पर बिक्री कर देंगे। उन्होेंने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों में अब किसानों के पास वैसे भी 25 फीसदी की करीब फसल बची हुई है, जोकि मजबूत हाथों में है।

​व्यापारियों के अनुसार कॉटन की कीमतों में तेजी आई से यार्न के निर्यात पड़ते पहले की तुलना में कम हो गए हैं, लेकिन कॉटन में नि​र्यात पैरिटी अच्छी बनी हुई हैं तथा मिलों अपनी 90 से 95 फीसदी उत्पादन क्षमता का उपयोग भी कर रही है। पिछले तीन महीनों में यार्न मिलों ने अच्छी खरीद की है जिस कारण मिलों के पास अगले दो से तीन महीने की खपत का स्टॉक है लेकिन विश्व बाजार में आगे दाम और तेज होने की संभावना है इसलिए मिलों की खरीद बराबर बनी रहने से मौजूदा कीमतों में 1,000 से 1,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की और तेजी बनने की उम्मीद है।

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