आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से आरंभ होने वाले कपास के नए सीजन में बकाया स्टॉक 22 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) ही बचने का अनुमान है जोकि पिछले साल की तुलना में 16.07 लाख गांठ कम है। उत्तर भारत के राज्यों में चालू महीने में हुई अच्छी बारिश से नई फसल की आवक में भी देरी होने की आशंका है, इसलिए अभी कपास की कीमतों में ज्यादा मंदा आने की संभावना नहीं है।
कुल उपलब्धता 416 गांठ की रही
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन 365 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि नई फसल के समय बकाया स्टॉक 36.07 लाख गांठ का बचा हुआ था। चालू सीजन में करीब 15 लाख गांठ कपास का आयात होने का अनुमान है। ऐसे में कुल उपलब्धता 416 लाख गांठ की बैठेगी।
विश्व में कीमतों में आई गिरावट
सीएआई के अनुसार विश्व बाजार में कपास की कीमतों में आई गिरावट कारण भारत से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे है। विश्व बाजार में कपास के भाव 82.13 सेंट प्रति पाउंड रहे तथा उपर से इसमें करीब 10 सेंट प्रति पाउंड से ज्यादा का मंदा आ चुका है। चालू सीजन में अभी तक कपास की 69 लाख गांठ का निर्यात हो चुका तथा कुल निर्यात 70 लाख गांठ का ही होने का ही होने का अनुमान है।
358 लाख गांठ की हो चुकी है आवक
अगस्त के आखिर तक उत्पादक राज्यों की मंडियों में 358 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है जबकि कपास का आयात मई आखिर तक केवल 13.50 लाख गांठ का ही हुआ है। फसल सीजन 2016-17 में कपास का आयात 27 लाख गांठ का हुआ था, जबकि चालू फसल सीजन 2017-18 में आयात घटकर 15 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है।
उत्तर भारत में आवक में होगी देरी
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश राठी के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में चालू महीने में हुई बारिश से नई फसल की आवक में देरी होगी। इसलिए अभी घरेलू मंडियों में कपास की कीमतों में ज्यादा मंदा आने की संभावना नहीं है। अहमदाबाद में सोमवार को शंकर 6 किस्म की कपास के भाव 28,000 से 28,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहे। घरेलू बाजार में यार्न मिलों के कपास बकाया स्टॉक भी कम माना जा रहा है।
बुवाई में आई कमी
कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की बुवाई चालू खरीफ सीजन में 2.39 फीसदी पिछे चल रही है। अभी तक देशभर में कपास की बुवाई केवल 118.10 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 120.98 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।..........आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से आरंभ होने वाले कपास के नए सीजन में बकाया स्टॉक 22 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) ही बचने का अनुमान है जोकि पिछले साल की तुलना में 16.07 लाख गांठ कम है। उत्तर भारत के राज्यों में चालू महीने में हुई अच्छी बारिश से नई फसल की आवक में भी देरी होने की आशंका है, इसलिए अभी कपास की कीमतों में ज्यादा मंदा आने की संभावना नहीं है।
कुल उपलब्धता 416 गांठ की रही
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन 365 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि नई फसल के समय बकाया स्टॉक 36.07 लाख गांठ का बचा हुआ था। चालू सीजन में करीब 15 लाख गांठ कपास का आयात होने का अनुमान है। ऐसे में कुल उपलब्धता 416 लाख गांठ की बैठेगी।
विश्व में कीमतों में आई गिरावट
सीएआई के अनुसार विश्व बाजार में कपास की कीमतों में आई गिरावट कारण भारत से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे है। विश्व बाजार में कपास के भाव 82.13 सेंट प्रति पाउंड रहे तथा उपर से इसमें करीब 10 सेंट प्रति पाउंड से ज्यादा का मंदा आ चुका है। चालू सीजन में अभी तक कपास की 69 लाख गांठ का निर्यात हो चुका तथा कुल निर्यात 70 लाख गांठ का ही होने का ही होने का अनुमान है।
358 लाख गांठ की हो चुकी है आवक
अगस्त के आखिर तक उत्पादक राज्यों की मंडियों में 358 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है जबकि कपास का आयात मई आखिर तक केवल 13.50 लाख गांठ का ही हुआ है। फसल सीजन 2016-17 में कपास का आयात 27 लाख गांठ का हुआ था, जबकि चालू फसल सीजन 2017-18 में आयात घटकर 15 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है।
उत्तर भारत में आवक में होगी देरी
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश राठी के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में चालू महीने में हुई बारिश से नई फसल की आवक में देरी होगी। इसलिए अभी घरेलू मंडियों में कपास की कीमतों में ज्यादा मंदा आने की संभावना नहीं है। अहमदाबाद में सोमवार को शंकर 6 किस्म की कपास के भाव 28,000 से 28,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहे। घरेलू बाजार में यार्न मिलों के कपास बकाया स्टॉक भी कम माना जा रहा है।
बुवाई में आई कमी
कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की बुवाई चालू खरीफ सीजन में 2.39 फीसदी पिछे चल रही है। अभी तक देशभर में कपास की बुवाई केवल 118.10 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 120.98 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।..........आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें