आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के बाद किस्मों के सुधार में लगे देश के कृषि वैज्ञानिकों ने भोजन में बड़े पैमाने पर उपयोग होने वाले गेहूं की तीन नई किस्में विकसित की है। चालू रबी सीजन में किसानों को फील्ड ट्रायल के तौर पर बोने के लिए इन किस्मों के बीज दिए जायेंगे।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजवीर यादव ने बताया कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित 57वें अखिल भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान गेहूं की छह किस्मों की पहचान की गई। इनमें तीन किस्में एचडी 3226, एचडी 3237, एचआई 1620 आईएआरआई ने विकसित की हैं।
उन्होंने बताया कि चालू रबी सीजन में कुछ प्रगतिशील किसानों को इन किस्मों के बीज फील्ड ट्रायल के तौर पर बुवाई के लिए दिए जायेंगे तथा सक्षम अधिकारी द्वारा अधिसूचना जारी के बाद, इन किस्मों के बीज किसानों के लिए उपलब्ध कराये जायेंगे।
उन्होंने बताया कि एचडी 3226 किस्म की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता जहां 57.7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है, वहीं इसमें प्रोटीन की मात्रा 12.80 फीसदी है जोकि अन्य किस्मों से ज्यादा है। साथ ही इस किस्म में ब्लैक, ब्राउन और येलो रस्ट के साथ करनाल बंट की प्रतिरोधक क्षमता भी है।
उन्होंने बताया कि एचडी 3226 किस्म की बुवाई सिंचित क्षेत्रों के राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश तथा उत्तर भारत के अन्य राज्यों के लिए उपयुक्त है। अच्छी पैदावार के लिए इस किस्म की बुवाई समय से यानि नवंबर के पहले सप्ताह में करना उपयुक्त है। इसी तरह से एचडी 3237 और एचआई 1620 किस्मों की बुवाई इन राज्यों के किसान कम सिंचाई वाले क्षेत्रों (दो सिंचाई) में भी कर सकते हैं।
इन किस्मों से जहां किसान गेहूं की अधिकतम पैदावार ले सकेंगे, वहीं रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण पर्यावरण के लिए भी अनुकूल है।... आर एस राणा
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