आर एस राणा
नई
दिल्ली। चीनी निर्यात पर सब्सिडी के सहारे किसानों के भुगतान में तेजी
लाने का दावा तो बहुत किया जा रहा है लेकिन हकीकत इसके उल्ट है। छह जून को
मोदी कैबिनेट ने 20 लाख टन चीनी के निर्यात पर 5.50 रुपये प्रति क्विंटल
गन्ने के फेयर ऐंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (एफआरपी) पर सब्सिडी देने की घोषण
की थी, लेकिन तीन महीने बीतने के बावजूद भी इसमें से मात्रा 4.5 से 5 लाख
टन चीनी का ही निर्यात हो पाया है, जाहिर सी बात है किसानों के बकाया
भुगतान में भी तेजी नहीं आ पाई। इसका एक कारण विश्व बाजार में चीनी के भाव
नीचे होना भी है, ऐसे में पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले पेराई सीजन के
लिए केंद्र सरकार ने फिर से 50 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दे दी
जोकि अभी दूर की कौड़ी नजर आता है।
आगामी पेराई सीजन के लिए 50 लाख टन निर्यात की अनुमति
केंद्र
सरकार ने 26 सितंबर को 50 लाख टन चीनी निर्यात पर 13.88 रुपये प्रति
क्विंटल की मदद गन्ने के एफआरपी पर देने की घोषणा कर दी। इसमें चीनी मिलों
को परिवहन लागत भी 1,000 से 3,000 रुपये प्रति टन दूरी के हिसाब से दी जायेगी।
मगर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम में अंतर ज्यादा है, ऐसे
में निर्यात में तेजी आयेगी, ऐसी उम्मीद बेमानी ही है।
विश्व बाजार में वर्तमान भाव पर निर्यात मुश्किल
इंडियन
शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के डायरेक्टर जनरल अबिनाश वर्मा कहते हैं कि
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के मौजूदा दाम पर चीनी का निर्यात मुश्किल
है। विश्व बाजार में व्हाईट चीनी के भाव 315-320 डॉलर प्रति टन है जोकि
रुपये के हिसाब से 2,283 से 2,320 रुपये प्रति क्विंटल होते हैं। उन्होंने
बताया कि चालू सीजन में अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की उपलब्धता ज्यादा
रही है, जिस कारण ब्राजील ने 70 से 80 लाख टन चीनी का उत्पादन कम करने का
फैसला किया है। उधर पाकिस्तान में भी चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन
कम होने का अनुमान है, जिस कारण आगामी दिनों में विश्व बाजार में चीनी के
दाम सुधरने की उम्मीद है। पिछले साल पाकिस्तान ने 20 लाख टन चीनी का
निर्यात किया था।
अबिनाश वर्मा ने बताया कि विश्व बाजार में चीनी के दाम में सुधार आता है तो 50 लाख टन नहीं तो फिर 30 लाख टन का निर्यात हो सकता है।
सरकार राहत पैकेज के नाम पर कर रही है नाटक
अखिल
भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि केंद्र
सरकार ने जून में 20 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी थी, लेकिन निर्यात
केवल 4.5 से 5 लाख टन ही हुआ। नए पेराई सीजन के लिए 50 लाख टन के निर्यात
की जो अनुमति दी है, यह केवल दिखावा मात्र है। सरकार अपनी नाकामियां को
छिपाने के लिए राहत पे राहत पैकेज देने का नाटक तो कर रही है लेकिन इससे
किसानों के बकाया भुगतान में तेजी नहीं आ रही। कैराना में हुए उपचुनाव के
समय प्रधानमंत्री ने 10 दिनों में भुगतान का वायदा किया था, लेकिन 4 महीने
बीतने के बावजूद भी भुगतान अटका हुआ है।............ आर एस राणा
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