आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ तिलहनी फसलों सोयाबीन और मूंगफली की आवक अगले महीने उत्पादक राज्यों में शुरू हो जायेगी। उससे पहले ही खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 11 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जिसका असर घरेलू बाजार में तिलहन की कीमतों पर पड़ने की आशंका है, जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ सकता है।
रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा होने के बावजूद भी खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में बढ़ोतरी हुई है। अगस्त में 15,12,597 टन खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात हुआ है जबकि पिछले साल अगस्त में इनका आयात 13,61,272 टन का ही हुआ था।
जुलाई के मुकाबले अगस्त में आयात ज्यादा
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता के अनुसार जुलाई में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 11.19 लाख टन का ही हुआ था जबकि अगस्त में आयात बढ़कर 15.12 लाख टन का हो गया। उन्होंने बताया कि जून-जुलाई में इनके आयात में कमी आई थी, जिस कारण घरेलू बाजार में खाद्य तेलों का बकाया स्टॉक कम था।
कुल आयात में कमी आने का अनुमान
एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष (नवंबर-17 से अक्टूबर-18) के पहले 10 महीनों नवंबर से अगस्त के दौरान आयात में 3.7 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 122,78,673 टन खाद्य एवं अखाद्य तेलों का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 127,53,568 टन का हुआ था। उद्योग के अनुसार चालू तेल वर्ष में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का कुल आयात 147 से 148 लाख टन का होने का अनुमान है जबकि पिछले तेल वर्ष में 154.4 लाख टन का आयात हुआ था।
आयातित खाद्य तेलों के भाव घटे
विश्व बाजार में कीमतों में आई गिरावट के कारण आयातित खाद्य तेलों के भाव में भी मंदा आया है। आरबीडी पामोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर अगस्त में घटकर औसतन 578 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि जुलाई में इसका औसत भाव 592 डॉलर प्रति टन था। इस दौरान क्रुड पॉम तेल का भाव भी 583 डॉलर से घटकर 565 डॉलर प्रति टन रह गया।
खरीफ तिलहनों की बुवाई बढ़ी
चालू खरीफ सीजन में तिलहनों की बुवाई बढ़कर 173.95 लाख हैक्टेयर में ही चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 169.20 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई चालू सीजन में बढ़कर 111.92 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुवाई केवल 105.26 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई घटकर चालू सीजन में 39.87 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में मूंगफली की बुवाई 40.76 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।............ आर एस राणा
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