हैदराबाद October 29, 2009
दालों की कीमतें, खासकर अरहर और उड़द में तेजी अभी भी बनी रहेगी। वायदा बाजार आयोग के अध्यक्ष बीसी खटुआ ने कहा कि इसकी प्रमुख वजह यह है कि सूखे और बाढ़ से फसलें प्रभावित हुई हैं।
बहरहाल इस समय थोक बाजार में अरहर दाल 55 रुपये किलो और खुदरा बाजार में 90 रुपये किलो के ऊपर बिक रही है। संवाददाताओं से बातचीत करते हुए खटुआ ने कहा कि अनाज के मामले में ऐसा होने की उम्मीद नहीं है क्योंकि चावल उत्पादन में आई कमी की भरपाई गेहूं की फसल से हो जाएगी। दालों का कोई विकल्प नहीं है।
उन्होंने कहा कि इन सबका अलग अलग महत्व है और दालों का कोई विकल्प नहीं है। फसलों की कटाई शुरू हो गई है, लेकिन अभी भी सही स्थिति सामने नहीं आ रही है। खासकर अरहर दाल के मामले में।
उन्होंने कहा कि अगर उत्पादन पिछले साल के 25 लाख टन के बराबर रहता है तो कीमतों में तेजी बनी रहेगी। हाजिर बाजार का असर वायदा बाजार पर पड़ रहा है। वहीं दूसरी ओर पिछले साल रबी के दौरान चने की बंपर पैदावार हुई थी। इसकी कीमतें खुदरा बाजार में 35 रुपये किलो चल रही हैं।
खटुआ ने कहा कि इस साल खरीफ के मौसम में 60 लाख हेक्टेयर कृषि प्रभावित हुई है। इसका परिणाम यह हुआ है कि इस साल चावल का उत्पादन गिरने के आसार हैं। पिछले साल बंपर उत्पादन के चलते इसका अग्रिम स्टॉक है, जिससे उत्पादन में कमी की भरपाई कुछ हद तक हो जाएगी और कीमतें नियंत्रण में रहेंगी।
रबी की शुरुआत के पहले हुई बारिश के चलते गेहूं की फसल प्रभावित नहीं होगी और शायद इसकी पैदावार पहले के वर्षों से कुछ ज्यादा ही रहे। खटुआ ने कहा कि एफएमसी लंबी अवधि के सौदों के खिलाफ नहीं है, खासकर कॉफी के मामले में। लेकिन आयोग इस मामले में बहुत सावधानी से कदम बढाना चाहता है।
खटुआ ने उम्मीद जाहिर की कि एफसीआर संशोधन विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में आ जाएगा। इस संशोधन के बाद से ऑप्शंस, इंडेक्स ट्रेडिंग और अन्य डेरिवेटि्व्स के लिए रास्ते खुलेंगे। पिछले साल विधेयक नहीं लाया जा सका क्योंकि कीमतों में बढ़ोतरी और महंगाई दर अधिक होने के चलते कुछ पक्षों ने इसका विरोध किया। (बीएस हिन्दी)
30 अक्तूबर 2009
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