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29 अक्टूबर 2009

डॉलर कमजोर होने से निकिल के मूल्य में 5 फीसदी सुधार

यूरो समेत विभिन्न मुद्राओं के मुकाबले डॉलर कमजोर होने से निकिल की कीमतों में तेजी का रुख दिखाई दे रहा है। पिछले एक माह के दौरान इसके दाम करीब पांच फीसदी बढ़ चुके हैं। जानकारों के अनुसार फिलहाल निकिल की मांग औसत ही है। लेकिन अगले साल इसकी मांग और उत्पादन दोनों में बढ़ोतरी होने की संभावना है।लंदन मेटल एक्सचेंज में एक माह के दौरान निकिल तीन माह अनुबंध के दाम करीब 17,600 डॉलर से बढ़कर ख्8,8त्तम् डॉलर प्रति टन हो गए। वहीं घरेलू बाजार में इस दौरान निकिल के दाम 825 रुपये से बढ़कर 874 रुपये प्रति किलो हो चुके हैं। मेटल विश्लेषक अभिषेक शर्मा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि डॉलर के मुकाबले यूरो मजबूत होने के कारण एलएमई में निकिल की कीमतों में तेजी आई है। उनका कहना है कि इस दौरान यूरो का एक्सचेंज रेट 1.421 डॉलर से बढ़कर 1.500 डॉलर हो गया। हालांकि एलएमई में इस दौरान निकिल का स्टॉक 1.16 लाख टन से बढ़कर 1.23 लाख टन हो गया हैं। उनके अनुसार निकिल का स्टॉक पर्याप्त होने के कारण आने दिनों में इसके मूल्यों में गिरावट आ सकती है। निसर्ग इंटरनेशनल निकिल कंपनी के संजय शाह का कहना है कि फिलहाल निकिल की औसत मांग चल रही हैं। हालांकि चालू वर्ष की शुरूआत के मुकाबले निकिल की मांग ज्यादा है। इंटरनेशनल निकिल स्टडी ग्रुप (आईएनएसजी) की रिपोर्ट के अनुसार अगले वर्ष इसकी मांग और उत्पादन में बढ़ोतरी होने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2010 के दौरान रिफाइंड निकिल का वैश्विक उत्पादन 14.4 लाख टन रहने के आसार हैं। चालू वर्ष में यह आंकडा़ 12.8 लाख टन पर है। वहीं प्राइमरी निकिल की वैश्विक खपत अगले साल बढ़कर 13.5 लाख होने की संभावना है। इस साल खपत 12.1 लाख टन रहने का अनुमान है। जानकारों के अनुसार निकिल की खपत 25 फीसदी बढ़कर करीब चार लाख टन पहुंचने की संभावना जताई जा रही हैं। निकिल की सबसे अधिक खपत स्टेनलैस स्टील में 65 फीसदी, इलैक्ट्रोप्लेटिंग में आठ फीसदी, केमिकल में पांच फीसदी और अन्य उत्पादन में 22 फीसदी रहती है। इसका सबसे अधिक उत्पादन यूरोप में 34 फीसदी में होता है। इसके बाद एशिया में 29 फीसदी, अमेरिका में 23 फीसदी, अफ्रीका में चार फीसदी और ओसेनिया में 11 फीसदी उत्पादन होता है। (बिज़नस भास्कर)

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