मुंबई October 16, 2009
अंतरराष्ट्रीय बाजार में गुरुवार को कच्चे तेल के दाम 75 डॉलर प्रति बैरल के साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए।
विश्लेषकों और तेल उद्योग के अधिकारियों ने बताया कि इससे तेल कंपनियों को घाटा होने की आशंका बढ़ गई है। इस हफ्ते कच्चे तेल के दामों में काफी इजाफा देखने को मिला है। भारत में कच्चे तेल की कीमत औसतन 69.08 डॉलर प्रति बैरल ही रही है।
जबकि सितंबर के महीने के लिए यह औसत 67.70 डॉलर प्रति बैरल रही। तेल कंपनियों ने बताया कि 16 अक्टूबर से शुरू होने वाले पखवाड़े के दौरान उन्हें प्रति लीटर पेट्रोल की बिक्री पर 73 पैसे का घाटा होगा जबकि डीजल की बिक्री पर कंपनियों को घाटा नहीं होगा।
पहले जहां पेट्रोल की बिक्री से कंपनियों को 1.90 रुपये प्रति लीटर का घाटा होता था, वहीं पिछले पखवाड़े के दौरान अब यह घटकर 1 रुपया ही हो गया है। लेकिन कच्चे तेल के दाम फिर से बढ़ने से तेल कंपनियों को होने वाले इस घाटे की आशंका जताई जा रही है।
खंडवाला सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक विनय नायर ने बताया, 'अगर कच्चे तेल की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी के साथ ही रुपया भी कमजोर होने लगता है तो यह तेल विपणन कंपनियों के लिए चिंता की बात हो सकती है। हालांकि अर्थव्यवस्था के बेहतर होने के संकेत मिल रहे हैं जिससे मांग में इजाफा होने की पूरी उम्मीद है। इससे इन कंपनियों को होने वाले घाटे में और इजाफा हो सकता है।'
अभी तक जो रुपया डॉलर के मुकाबले मजबूत हो रहा है इससे तेल विपणन कंपनियों को राहत मिली है क्योंकि उन्हें तेल खरीदने के लिए कम रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है। इस साल अभी तक रुपया डॉलर के मुकाबले 4 फीसदी मजबूत हुआ है। जबकि पिछले साल इसमें डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। बुधवार को रुपया डॉलर के मुकाबले 46.14 पर बंद हुआ जो पिछले 12 महीनों का उच्चतम स्तर है।
मुंबई की एक ब्रोकिंग फर्म के विश्लेषक ने बताया, 'डॉलर के मुकाबले रुपये के मजबूत होने से निवेशक कच्चे तेल और बाकी जिंसों में निवेश कर रहे हैं, इससे कीमतों में भी इजाफा देखने को मिला है। कंपनियों को सब्सिडी पर ऑटो और कुकिंग ईंधन बेचने से रोजाना 104 करोड़ रुपये का घाटा हो रहा है। (बीएस हिन्दी)
19 अक्तूबर 2009
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