नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय ने चावल की सभी किस्मों पर आयात शुल्क शून्य करने की अधिसूचना जारी कर दी है। इन किस्मों पर अब तक 70-80 फीसदी तक शुल्क लगता रहा है। मंत्रालय के इस कदम से संकेत मिल रहा है कि भारत इस साल अपनी आधिकारिक चावल व्यापार नीति के तहत बगैर किसी शुल्क के आयात करने की तैयारी कर रहा है। हालांकि इस अधिसूचना को तभी लागू माना जाएगा जब वाणिज्य मंत्रालय के तहत काम करने वाला डीजीएफटी चावल व्यापार नीति में बदलाव को मंजूरी दे दे। शून्य आयात शुल्क की व्यवस्था बासमती जैसी किस्मों पर भी लागू होगी। इस बीच वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आशंका जताई है कि बाढ़ और सूखे की दोहरी मार के चलते इस साल चावल उत्पादन 2008-09 के स्तर से 1।6 करोड़ टन कम रह सकता है।
हालांकि उन्होंने विश्वास जताया कि देश में चावल की कमी नहीं होने दी जाएगी। उन्होंने कहा, 'हमने उत्पादन में बढ़ोतरी हासिल कर ली होती, लेकिन पहले सूखे और बाद में देश के कुछ हिस्सों में बाढ़ के कारण खेती-बाड़ी पर असर पड़ा, खासकर खरीफ सीजन की फसलों की उत्पादकता पर।' मुखर्जी ने कहा, 'सितंबर के पहले सप्ताह तक हमें संकेत मिल रहे थे कि रबी की शुरुआती फसल और हरियाणा तथा पंजाब में फसलों के संरक्षण और चावल की अच्छी फसल से कम उत्पादन की कुछ हद तक भरपाई हो जाएगी। हम उम्मीद कर रहे थे कि चावल उत्पादन में 1.1-1.2 करोड़ टन की ही कमी रहेगी, लेकिन अब लगता है कि कमी का आंकड़ा 1.6 लाख टन तक चला जाएगा।' उधर चावल आयात को शुल्क मुक्त करने की तैयारी वाली सरकार की अधिसूचना से इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि सरकार सिर्फ पीएसयू को ही सीमित मात्रा में चावल आयात करने की अनुमति देगी। यह मात्रा 10 लाख टन के आस-पास हो सकती है। चावल का आयात अभी भी एसटीसी के जरिए हो रहा है। एक ट्रेड अधिकारी ने कहा, 'पीएसयू को चावल के आयात की अनुमति देने का यह संकेत हो सकता है।' वित्त मंत्रालय की यह अधिसूचना हालांकि इस बात का साफ संकेत दे रही है कि घरेलू बाजार में चावलों की कीमतें बढ़ सकती है। सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि ये संकेत दुनिया में चावल का सबसे ज्यादा उपभोग और उत्पादन करने वाले देश की तरफ से आए हैं। चावल का निर्यात करने वाले दिल्ली के एक कारोबारी ने ईटी को बताया कि चावल की कीमतों में औसतन 200 डॉलर प्रति टन की बढ़ोतरी हो सकती है। चावल के कारोबार से जुड़े लोगों के मुताबिक इस समय वियतनाम से 25 फीसदी टूटा चावल करीब 375 डॉलर प्रति टन पर बिक रहा है, लेकिन अब यह 500 डॉलर प्रति टन का स्तर छू सकता है। आयात के अनुमानों को देखते हुए मंत्रियों के अधिकारप्राप्त समूह यानी ईजीओएम ने पिछले महीने बासमती और दूसरे प्रीमियम चावलों के निर्यात में ढील देने का विवादास्पद फैसला लिया। इस साल सूखे की वजह से धान की फसल को नुकसान होने से चावल की कीमतें बढ़ने की आशंका के बावजूद सरकार ने यह फैसला किया था। (ई टी हिन्दी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें