नई दिल्ली October 19, 2009
अनाज की सरकारी खरीद में बढ़ोतरी के बावजूद सरकार की अनाज खरीद और वितरण एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) का भंडारण और वितरण नुकसान लगातार कम हुआ है।
2008-09 में एजेंसी ने रिकॉर्ड मात्रा में गेहूं और चावल की खरीद की। इस दौरान भंडारण और वितरण का नुकसान पिछले साल के 233.91 करोड़ रुपये की तुलना में 22 प्रतिशत कम रहा।
एफसीआई के एक अधिकारी ने कहा, 'ऐसा इसलिए संभव हुआ कि गोदामों की दीवारें नमी मुक्त कर दी गईं, जांच की गति बढ़ाई गई और 100 किलो की बजाय 50 किलो की बोरी का इस्तेमाल किया गया। साथ ही अनाज की निकासी भी सुनिश्चित की गई।'
भंडारण और निकासी का नुकसान ( जैसा कुल अनाज के भंडारण और निकासी के दौरान हुआ) 2008-09 के दौरान क्रमश: 0.13 और 0.40 प्रतिशत रहा। सरकार ने यह नुकसान क्रमश: 0.18 और 0.40 प्रतिशत तय किया था। 2009-10 के दौरान सरकार ने 0.20 प्रतिशत भंडारण नुकसान और 0.40 प्रतिशत वितरण नुकसान का लक्ष्य तय किया है।
अधिकारी ने कहा, 'पिछले दो साल के दौरान हमने रिकॉर्ड गेहूं और चावल की खरीद की है। ऐसी स्थिति में भंडारण और वितरण नुकसान में कमी आना महत्वपूर्ण उपलब्धि है।' पिछले साल 585 लाख टन गेहूं और चावल की खरीदारी हुई थी, जिसने पिछले साल के 510 लाख टन के रिकॉर्ड को तोड़ दिया था।
अनाज में नमी, स्टॉक में गिरावट, स्टॉक में कवक संक्रमण, कृंतक समस्या और बोरों की सिलाई कमजोर होने और लंबे समय तक गोदामों में पड़े रहने के चलते भंडारण नुकसान होता है। एफसीआई साल में औसतन 1,500 किलोमीटर दूरी तक 270-280 लाख टन अनाज भेजती है। अतिरिक्त खाद्यान्न सामान्यतया उत्तर भारत में होता है, जिसे देश भर में भेजा जाता है।
वितरण नुकसान प्रमुख रूप से परिवहन के दौरान चोरी की वजह से होता है। इसके अलावा लंबी दूरी तक अनाज भेजने से नमी कम हो जाती है, साथ ही इसे विभिन्न हाथों में सौंपने, मजदूरों द्वारा हुक के प्रयोग, बोरों के कमजोर होने और उनके फटने, वैगन में छेद होने, दरवाजों में सुराख होने, लदान के दौरान नुकसान और तौल के विभिन्न तरीकों में अंतर होने की वजह से होता है। एफसीआई किसानों सहित विभिन्न एजेंसियों एवं कारोबारियों के लिए खाद्यान्न का संरक्षण करती है। (बीएस हिन्दी)
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