28 अक्टूबर 2009
कपास का उत्पादन बढ़ने के साथ निर्यात भी सुधरने के आसार
वर्ष 2009-10 में भारत में कपास की पैदावार में 6.8 फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक कपास की पैदावार बढ़कर 312.75 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने की संभावना है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन की कीमतों में तेजी से कॉटन निर्यात भी बढ़कर 70 लाख गांठ तक पहुंचने सकता है।सीएआई के मुताबिक वर्ष 2009-10 सीजन के शुरू में कॉटन का बकाया स्टॉक 71.50 लाख गांठ रह सकता है। इस साल की पैदावार 312.75 लाख गांठ तथा आयातित कपास सात लाख गांठ को मिलाकर कुल उपलब्धता 391.25 लाख गांठ रह सकती है। देश में कॉटन की सालाना खपत 250 लाख गांठ रहने की संभावना है जबकि 70 लाख गांठ निर्यात हो सकती है। इस तरह कुल 320 लाख गांठ कपास की बिक्री होने की संभावना है। ऐसे में वर्ष 2010-11 के अगले सीजन के समय कॉटन का बकाया स्टॉक 71.25 लाख गांठ रहने की संभावना है। पिछले साल देश में 292.75 लाख गांठ कॉटन की पैदावार हुई थी। अबोहर स्थित मैसर्स कमल कॉटन ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव तेज होने के कारण चालू वर्ष में भारत से कॉटन के निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी होने की संभावना है। न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के दिसंबर वायदा अनुबंध के भाव 26 अक्टूबर को बढ़कर 68.59 सेंट प्रति पाउंड हो गए जबकि पिछले साल 15 अक्टूबर को भाव 47.54 सेंट प्रति पाउंड थे। इस समय चीन की खरीद अच्छी बनी हुई है जिससे घरेलू मंडियों में कॉटन की कीमतें बढ़ी हैं। शंकर-6 किस्म की कॉटन के भाव 16 अक्टूबर को गुजरात की मंडियों में 23,000-23,300 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी 356 किलो) थे जोकि सोमवार को बढ़कर 24,000 से 24,100 रुपये प्रति कैंडी हो गए। मानसा के कॉटन व्यापारी संजीव गर्ग ने बताया कि उत्तर भारत की मंडियों में कपास की दैनिक आवक बढ़कर 30,000 गांठ (एक गांठ 170 किलो) से ज्यादा की हो गई है। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद तो शुरू कर दी है लेकिन मंडियों में भाव एमएसपी के बराबर रहने से सरकारी खरीद पिछले साल के मुकाबले धीमी है। (बिज़नस भास्कर....आर अस राणा)
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