24 अक्तूबर 2009
निर्यात मांग कमजोर रहने से जौ पिछले साल से 12 फीसदी सस्ता
निर्यात मांग कमजोर रहने के कारण जौ पिछले साल के मुकाबले 12 फीसदी सस्ता हो गया। वहीं घरेलू बाजार में स्टॉक अधिक होने के कारण भी इसकी कीमतों में नरमी को बल मिला हैं। कारोबारियों के मुताबिक नई फसल के नजदीक ही इसकी कीमतों में सुधार होने की संभावना हैं। राजस्थान की जयपुर मंडी में एक साल के दौरान जौ के दाम 800-860 रुपये से घटकर 750-770 रुपये प्रति क्विंटल और उत्तर प्रदेश की दादरी मंडी में इस दौरान इसके दाम करीब 100 रुपये घटकर 750-780 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। जौ कारोबारी के. जी. झालानी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि निर्यात मांग कमजोर रहने के कारण पिछले साल के मुकाबले जौ सस्ता है। निर्यात मांग में कमी की वजह अन्य जौ उत्पादक देश जैसे उज्बेकिस्तान, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया आदि में जौ का उत्पादन सुधरना है। कारोबारियों के अनुसार वर्ष 2009-10 के दौरान देश से एक लाख टन जौ निर्यात होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2008-09 के दौरान दो लाख टन जौ का निर्यात हुआ था।वहीं घरेलू बाजार में जौ का स्टॉक अधिक होने के कारण इसके मूल्यों में तेजी नहीं आ रही है। दरअसल देश में जौ का उत्पादन काफी अधिक होने के कारण इसका स्टॉक काफी बचा हुआ है।कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 में 15.40 लाख टन जौ का उत्पादन हुआ था। सरकार ने पहले अग्रिम अनुमान में 15 लाख टन जौ के उत्पादन का लक्ष्य रखा था। वित्त वर्ष 2007-08 में 12 लाख टन जौ का उत्पादन हुआ था। सरकार ने वित्त वर्ष 2008-09 के लिए जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को 30 रुपये बढ़ाकर 680 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था।कारोबारियों के अनुसार नई फसल आने से पहले इसके मूल्यों में सुधार होने की संभावना है। जौ कारोबारी अशोक जैन के अनुसार जौ के दाम कम मिलने के कारण किसानों द्वारा जौ की बुवाई कम किए जाने की संभावना है। ऐसे में नई फसल से पहले जौ के दाम बढ़ने के आसार हैं। चालू वर्ष में जौ के दाम अधिकतर समय 750-900 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास ही रहे। अप्रैल में जरूर माल्ट उद्योग की मांग बढ़ने के कारण जौ 1000 रुपये प्रति क्विंटल बिका था। जबकि पिछले साल जुलाई-अगस्त के दौरान के 1300 रुपये प्रति क्विंटल तक चले गए थे। भारत में जौ का उत्पादन राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश आदि राज्यों में होता है। जिसमें राजस्थान की हिस्सेदारी सबसे अधिक है। (बीएस हिन्दी)
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