मुंबई October 16, 2009
विदेशी मांग में कमी और देश में जौ का उत्पादन बढ़ने से इसकी कीमतों पर दबाव बढ़ा है।
घरेलू बाजार में भी जौ की मांग में कमी आई है। इन सबका परिणाम यह हुआ है कि इसकी कीमतों में इस सत्र के दौरान 20 प्रतिशत से ज्यादा की कमी आई है। कारोबारी सूत्रों के मुताबिक, बाजार में इसकी आपूर्ति पर्याप्त मात्रा में है।
साथ ही नई फसल की बुआई भी नवंबर के अंत से शुरू हो जाएगी, जिससे स्टॉक में और बढ़ोतरी होगी। राजस्थान के श्रीमाधोपुर स्थित कारोबारी सुरेश वशिष्ठ ने कहा, 'पश्चिम एशिया में जौ की मांग जौ उत्पादक देश उजबेकिस्तान, यूक्रेन, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया कर रहे हैं, जिनकी कीमतें भारत की तुलना में कम हैं। इसकी वजह से निर्यात प्रभावित हुआ है।'
देश में जौ के कुल उत्पादन में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और 2009 में उत्पादन बढ़कर 20 लाख टन हो गया है जबकि इसके पिछले साल 17 लाख टन उत्पादन हुआ था। इसके पहले जौ की कीमतें 1300 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई थीं और किसानों ने चालू सत्र के दौरान जौ की खेती को चुना है, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान है।
केवल अप्रैल में इस जिंस की कीमत 1000 रुपये प्रति क्विंटल रही लेकिन माल्ट उद्योग इस दर को स्वीकार नहीं कर पाया, जो जौ का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। (बीएस हिन्दी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें