नई दिल्ली October 19, 2009
महंगाई दर के आंकड़े अब मासिक आधार पर जारी किए जाएंगे।
दरअसल, सरकार ने वैश्विक स्थिति से तालमेल बिठाते हुए थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़ों को साप्ताहिक आधार पर जारी करने की मौजूदा व्यवस्था को मासिक आधार पर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
इसके साथ ही मंहगाई के इन आंकड़ों के लिए 1993-94 की जगह अब 2004-05 की कीमतों को तुलना का आधार माना जाएगा। नई व्यवस्था में संवेदनशील प्राथमिक वस्तुओं और ईंधन सामग्री की हिस्सेदारी सूचकांक में कम रहेगा वहीं विनिर्मित उत्पाद, जिनकी हिस्सेदारी इस सूचकांक में इस समय 63.75 प्रतिशत है,जो बढ़कर करीब 80 प्रतिशत हो जाएगी।
विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि मासिक आधार पर जारी किए गए आंकड़ों में, आंकड़ों की गुणवत्ता में सुधार आएगा। वर्तमान में जारी आंकड़ों में केवल एक चौथाई ही अद्यतन होते हैं, बाकी के पुराने आंकड़े आ जाते हैं।
क्रिसिल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा, 'आधार में बदलाव करना बड़ा बदलाव है। इसके चलते आंकड़े ज्यादा विश्वसनीय हो जाएंगे। मासिक आधार पर जारी किए गए आंकड़े ज्यादा सही होंगे।' वर्तमान में सरकार थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़े साप्ताहिक आधार पर जारी करती है, लेकिन अब आंकड़े मासिक आधार पर तैयार किए जाएंगे।
बहरहाल प्राथमिक और ईंधन से संबंधित आंकड़े साप्ताहिक आधार पर जारी होते रहेंगे, क्योंकि इसमें बहुत तेजी से बदलाव होता है। मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में ये निर्णय लिए गए। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने बैठक के बाद बताया कि 2004-05 को आधार वर्ष मान कर आकलित थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) से जुड़ी मुद्रास्फीति की नई शृंखला जल्द ही शुरू की जाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार का इरादा इस नई शृंखला को 14 नवंबर के बाद जारी करना है। विश्लेषकों का भी मानना है कि मासिक आधार पर जारी किए गए आंकडे मौद्रिक नीति तय किए जाने में ज्यादा स्थिर साबित होंगे।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा, 'वर्तमान में जो अनावश्यक उत्तेजना और चिंता होती है, वह खत्म हो जाएगी। मौद्रिक नीति निर्धारण में यह ज्यादा स्थिरता लाएगी और स्थिति को समझने में मददगार होगी। इससे रिजर्व बैंक को फैसला लेने और स्थिति के बारे में सोचने के लिए ज्यादा वक्त मिलेगा।' योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन समिति की अनुशंसा के मुताबिक वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इसे अंतिम रूप दिया है। (बीएस हिन्दी)
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