नई दिल्ली : केंद्र सरकार कर मुक्त रिफाइंड चीनी आयात की सीमा को 10 लाख टन और बढ़ाने की तैयारी कर रही है ताकि घरेलू बाजार में चीनी की आसमानी कीमतों पर कुछ अंकुश लगाया जा सके। इसके पहले सरकार ने कारोबारियों को 30 नवंबर तक कुल 10 लाख टन कर मुक्त सफेद चीनी के आयात की इजाजत दी थी। जब कारोबारी इस लक्ष्य को पूरा कर लेंगे तो उन्हें 10 लाख टन और चीनी के आयात की इजाजत दी जा सकती है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, 'एक बार जब रिफाइंड चीनी के आयात की मौजूदा सीमा पूरी हो जाती है, तो हमारी योजना 10 लाख टन और आयात करने की इजाजत देने की है। इसके अलावा कर मुक्त सफेद चीनी के आयात के लिए नवंबर की अंतिम तिथि को भी बढ़ाया जाएगा।'
अधिकारी ने बताया कि देश में अभी तक करीब आठ लाख टन सफेद चीनी के आयात के लिए सौदे हुए हैं। इनमें से तीन लाख टन चीनी भारत पहुंच चुकी है। गौरतलब है कि दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता देश भारत में साल 2009-10 में चीनी उत्पादन और खपत में करीब 75 लाख टन का अंतर रहने के आसार हैं जिसे देखते हुए सरकार ने चीनी के आयात का निर्णय लिया है। देश में चीनी की सालाना खपत करीब 2.35 करोड़ टन की है, जबकि अक्टूबर से सितंबर के इस सीजन में चीनी का उत्पादन सिर्फ 1.6 करोड़ टन हुआ है। पिछले एक साल में चीनी की कीमत करीब दोगुनी होकर 36 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई। सहकारी चीनी मिलों ने आशंका जताई है कि नवंबर तक चीनी की कीमत 40 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच सकती है। केंद्र सरकार कच्ची चीनी के आयात पर ज्यादा जोर दे रही है और इसके आयात के लिए कोई सीमा नहीं लगाई गई है ताकि घरेलू उद्योग बड़े पैमाने पर अपनी रिफाइनिंग क्षमता का इस्तेमाल कर सके। रिफाइंड यानी सफेद चीनी के आयात के लिए सीमा तय की गई है और इसके आयात के पीछे सोच यही है कि बाजार की तात्कालिक जरूरतों की पूर्ति हो सके। वैसे सफेद चीनी के आयात की अवधि 1 अगस्त को ही खत्म हो गई थी, लेकिन सरकार ने यह समय सीमा बढ़ाकर 30 नवंबर तक कर दी थी। इसके साथ ही सरकार ने निजी कंपनियों को भी आयात की इजाजत दी, पहले यह इजाजत सिर्फ पीएसयू कंपनियों एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी को ही मिली हुई थी। (ई टी हिन्दी)
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