मुंबई October 30, 2009
अमेरिका में आर्थिक सुधार से भारतीय आभूषण कारोबार को बल मिला है।
क्रिसमस और नए साल के अवसर पर भारतीय हीरा प्रसंस्करणकर्ता निर्यात में 25-30 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। आभूषण के वार्षिक कारोबार में इन दो अवसरों पर निर्यात की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत के करीब है।
पिछले साल अमेरिका में आभूषण की बिक्री में 20 प्रतिशत की गिरावट इस दौरान आई थी। इसकी प्रमुख वजह मंदी रही, जो लीमन ब्रदर्स के धराशायी होने के बाद शुरू हो गई थी। हाउसिंग और ऑटोमोबाइल क्षेत्र को प्रोत्साहन पैकेज दिए जाने के बाद से अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आश्चर्यजनक सुधार देखा गया। जुलाई-सितंबर 2009 के दौरान विकास दर 3.5 प्रतिशत हो गई।
अमेरिका में आर्थिक सुधार भारत के आभूषण कारोबारियों के लिए अहम है। इसकी वजह यह है कि भारत के कुल आभूषण निर्यात कारोबार में अमेरिका की हिस्सेदारी प्रत्यक्ष रूप से 30 प्रतिशत और परोक्ष रूप से 50 प्रतिशत तक है।
भारत के आभूषण कारोबारी मंदी की निराशा में दूसरे बाजारों की ओर देखने लगे थे। इसमें स्थानीय बाजार और बढ़ता हुआ चीन का बाजार शामिल है। लेकिन इन बाजारों से अमेरिकी बाजार में हुए नुकसान की भरपाई होती नजर नहीं आ रही थी।
डॉयमंड इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन और रेवाशंकर जेम्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रवीण शंकर पंडया ने कहा कि भारतीय आभूषण कारोबारी फिर अमेरिकी बाजार का रुख करने लगे हैं। जेम्स ऐंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के वाइस चेयरमैन राजू जैन ने कहा कि क्रिसमस के नजदीक आते ही आभूषणों के बारे में जानकारी लेने वालों में तेजी आई है, साथ ही अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी एक शुभ संकेत है, भले ही इस समय बिक्री कम हो रही है।
पिछले 5 दिनों में गीतांजलि जेम्स, जिसकी 150 रिटेल चेन हैं, ने बिक्री में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की है। कंपनी ने अधिग्रहण योजनाओं को छोड़ दिया था, लेकिन अब वह अमेरिका में संभावनाएं देखने लगी है।
गीजांजलि के कुल कारोबार में अमेरिका से होने वाले कारोबार की हिस्सेदारी 15-20 प्रतिशत है। बहरहाल क्रिसमस के लिए निर्यात ऑर्डर, जो अगस्त से शुरू होता है और अक्टूबर अंत तक चलता है, में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सामान्यतया तैयार आभूषणों की डिलिवरी ऑर्डर के 45 दिन के भीतर कर दी जाती है। (बी स हिन्दी)
31 अक्तूबर 2009
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