नई दिल्ली। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आशंका जताई है कि इस साल सूखा और बाढ़ दोनों आपदाओं के कारण 2008-09 के मुकाबले चावल का उत्पादन 1.6 करोड़ टन कम होगा।
मुखर्जी ने हालांकि भरोसा जताया कि अनाज की आपूर्ति में कोई कमी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हमने अपेक्षाकृत ऊंची वृद्धि दर की होती, लेकिन सखा और बाद में कुछ हिस्सों में आई बाढ़ के असर ने कृषि की संभावनाओं और विशेष तौर पर खरीफ की फसल को उल्लेखनीय रूप से प्रभावित किया।
हालांकि वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद [पीएमईएसी] द्वारा चालू वित्त वर्ष लिए जाहिर 6.75 फीसदी की वृद्धि दर के अनुमान का समर्थन किया लेकिन उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए अपेक्षाकृत अधिक निराशाजनक दृष्टिकोण पेश किया। इससे पहले पीएमईएसी ने इस सप्ताह अनुमान जाहिर किया था कि खाद्य उत्पादन में इस सत्र में 1.1 करोड़ टन की गिरावट होगी।
भारत ने 2008-09 के खरीफ सत्र में 9.915 करोड़ टन का रिकार्ड उत्पादन किया था। उन्होंने कहा कि सितंबर के आखिरी सप्ताह तक हमारी उम्मीद थी कि शुरुआती रबी फसल, हरियाणा एवं पंजाब द्वारा फसलों की सुरक्षा और चावल अच्छी पैदावार से हालात कुछ ठीक होंगे। हमें उम्मीद थी कि चावल के उत्पादन में एक से 1.2 करोड़ टन की कमी होगा लेकिन अब लगता है कि चावल के उत्पादन में 1.5 से 1.6 करोड़ टन की कमी आएगी।
देश के आधे हिस्से में सूखे ने बुवाई प्रक्रिया को बाधित किया है जिससे धान की फसल की बुवाई में करीब 60 लाख हेक्टेयर की कमी आई और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र ने खड़ी फसल को प्रभावित किया। उन्होंने कहा कि मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। आंध्र जो चावल उत्पादन की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है वह सूखे से प्रभावित नहीं था लेकिन यह हाल में आई बाढ़ से प्रभावित हुआ।
मंत्री ने हालांकि कुछ प्रभावित क्षेत्रों में मुख्यमंत्रियों की पहल की प्रशंसा की जिन्होंने बिजली के लिए ज्यादा भुगतान किया ताकि सिंचाई की सुविधा मुहैया कराई जा सके और इस तरह नुकसान में कमी आई। मुखर्जी ने कहा कि इसलिए यदि आप बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और पंजाब का देखें तो मुख्यमंत्रियों की सूझ-बूझ और दूरदेशी का भला हो, उन्होंने बहुत अधिक बिजली मुहैया कराई ताकि भूमिगत जल का उपयोग किया जा सके। उन्होंने फसलों की सुरक्षा की। इसलिए उतना नुकसान नहीं हुआ हालांकि प्रभावित जरुर हुआ।
इसी हफ्ते कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा था कि पंजाब और हरियाणा में चावल का उत्पादन सूखे के बावजूद पिछले साल के स्तर पर बना रह सकता है। केंद्रीय भंडार में इन दोनों राज्यों को योगदान सबसे अधिक होता है। उन्होंने कहा कि देश में मांग पूरी करने के लिए अनाज का पर्याप्त भंडार है। अनाज का बड़ा भंडार गेहूं और चावल की रिकार्ड खरीद के कारण संभव हुआ। खरीद और वितरण की प्रमुख एजेंसी एफसीआई ने 2008-09 के विपणन सत्र [अक्टूबर से सितंबर] में 3।33 करोड़ टन चावल की खरीद की थी। (दैनिक जागरण)
26 अक्टूबर 2009
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