अलीगढ़। आलू के निरंतर बढ़ते भाव से किसानों के चेहरे पर चमक आ गयी। आलू ने ऐसा लुभाया कि इस बार भी किसानों ने गेहूं के मुकाबले आलू की फसल बोने में अधिक रुचि दिखाई है। इस तरह गेहूं की अपेक्षा आलू का रकबा बढ़ने से यह आशंका जताई जा रही है कि आने वाले वक्त में गेहूं पर महंगाई की मार पड़ सकती है।
पिछले वर्ष जिले में गेहूं का उत्पादन रिकार्ड तोड़ हुआ था। दो लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल लक्ष्य की तुलना में दो लाख सात हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में गेहूं की बुवाई हुई थी। इसके सापेक्ष सात लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था। सरकार ने गेहूं का समर्थन मूल्य एक हजार अस्सी रुपये निर्धारित किया था। जिला प्रशासन ने गेहूं क्रय केंद्र खोलकर किसानों का अनाज खरीद लिया। नगद धनराशि न मिलने की वजह से किसानों ने व्यापारियों के हाथ गेहूं बेच दिया। हालांकि जिला प्रशासन ने खरीद का अपना लक्ष्य पूरा कर लिया। मगर किसानों को अधिक लाभ नहीं मिला। इसके विपरीत आलू की बुवाई भी रबी फसल में होती है। दोनों की बुवाई में सिर्फ एक माह का अंतर होता है। इसलिए किसान एक फसल ही बो सकते हैं। पिछले वर्ष अधिक रिकार्ड उत्पादन की वजह रही कि आलू की बुवाई का क्षेत्रफल कम था। इसलिये रिकार्ड गेहूं का उत्पादन रहा। अब आलू का मूल्य अधिक मिलने की वजह से किसानों ने इसकी बुवाई का जिले में क्षेत्रफल बढ़ा दिया है। शासन ने आठ हजार पांच सौ हेक्टेयर जमीन में उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके विपरीत 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी बुवाई होने की संभावना है। इस बार शासन ने जिले में दो लाख पंद्रह हजार हेक्टेयर जमीन में गेहूं की बुवाई का लक्ष्य रखा है। उप कृषि निदेशक डा।ओमवीर सिंह ने बताया कि इस साल आलू की बुवाई अधिक हो रही है। पिछले वर्ष गेहूं फसल की बुवाई अधिक क्षेत्रफल में हुई थी। (दैनिक Jagaan)
28 अक्तूबर 2009
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