Oct 21, 10:27 pm
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नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केंद्र सरकार ने गन्ने की नई मूल्य प्रणाली की घोषणा की है। इससे गन्ने के मूल्य में 60 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की संभावना है। 'एफएंडआर' नाम की इस मूल्य प्रणाली में गन्ने की खेती की लागत के साथ किसानों के जोखिम और लाभ भी जोड़े जाएंगे। प्रणाली को केंद्रीय मंत्रिमडल ने पहले ही मंजूरी दे दी है, जिसे अध्यादेश के जरिए लागू किया जाएगा। संसद के शीतकालीन सत्र में आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन के लिए पेश किया जाएगा।
फेयर एंड रिम्यूनरेटिव नाम की इस मूल्य प्रणाली की जानकारी केंद्रीय कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार ने बुधवार को यहां पत्रकारों को दी। उन्होंने बताया कि इससे गन्ना किसानों को प्रोत्साहन मिलेगा। गन्ना मूल्य को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों के बीच आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं। केंद्र के न्यूनतम वैधानिक मूल्य [एसएमपी] को स्वीकार करने की जगह राज्य सरकारें अपने स्तर पर राज्य समर्थित मूल्य [एसएपी] घोषित करती हैं। इससे अलग-अलग राज्यों में चीनी की लागत में घट बढ़ होती है।
हालांकि केंद्र की इस नई प्रणाली को राज्य किस हद तक मानेंगे, इस पर संदेह भी है। पंजाब ने गन्ने का मूल्य [एसएपी] जहां 185 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया है, वहीं उत्तर प्रदेश में अभी तक घोषणा नहीं हो पाई है। इससे गन्ना किसान और चीनी मिलें परेशान हैं। पेराई सत्र शुरू होने के बावजूद राज्य की चीनी मिलों में चीनी उत्पादन शुरु नहीं हो सका है।
गन्ना मूल्य तय करने की इस प्रणाली पर उत्तर प्रदेश के किसान नेता सुधीर पंवार ने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह बहुत पहले हो जाना चाहिए। लेकिन इस प्रणाली के अमल के बाद ही इसकी खामियों का पता चल सकेगा। लेकिन अगर इस प्रणाली में किसानों के जोखिम और खेती के लाभ को भी जोड़ा गया है तो इसकी प्रशंसा की चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों के हाल पर गठित स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के बाद ही लागू कर देना चाहिए था।
कृषि मंत्री ने एक अन्य सवाल के जवाब में बताया कि चीनी की कमी को देखते हुए सरकार ने तैयार चीनी के आयात की अवधि दिसंबर, 2010 तक बढ़ा दी है। यह अवधि नवंबर, 09 में समाप्त होने वाली थी। (जागरण)
22 अक्टूबर 2009
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